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राजस्थानी कहावता (ट-ण)


टका दा ी लेगी ऊर कूंडो फोड़गी।
टकै की हांटी फूटी, गंडक की जात पिछाणी।
टकै-टकै न्यूत है।
टपकण लागी टापरी, भीजण लागी खाट।
टक्को टूंसी एक न यार, तोरण मारण होग्यो त्यार।
टक्को लाग्यो न पातड़ी, घर में भू दड़कदे आ पड़ी।
टांडो क्यूं हो ? कै सांड हां। गोबर क्यूं करो ? कै गऊ का जाया हां।
टाटी कै घर नै फेरतां के बार लागै ?
टाबर है पण बड़ा का कान कतरै।
टाबरां की टोली बुरी, घर में नार बोली बुरी।
टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारम चाल्या।
टूट गई डाली, उड़ गया मोर। धी मरी, जंवा ी चोर।
टूटतै आकास कै बलो कोनी लागै।
टूटी की बूटी कोनी।
टूटी नाड़ बुढापो आयो, टूटी खाट दलिद्दर छायो।

ठंडो लोहताता नै काटै।
ठठेरै की बिल्ली खुड़कां सै कोनी डरै।
ठगां कै ठग पावणा।
ठग्यां ठग, ठगायां ठाकर।
ठांगर कै हेज घणूं, नापीरी कै तेज घणूं।
ठाकर आया ए ठुकराणी ! चूले आग न पंडै पाणी।
ठाकर गया रङ ठग रह्या मुलक का चोर। बै ठुकराणी मर गई, जणती ठाकर और।
ठाकर तो कूलै मांड्योड़ो बी बुरो।
ठाकर व्है वो जाण समज्झै अक्खरां। सीरोही तरवार बहे सिर बक्करां।
पातां सामी पांत क पैल परूसणा। एक दे करतार फेर क्या चावणा।
ठाकरां ऊत गई।कह, गयां ही जाय है।
ठाकरां की टाबर टीकर है ? कह, भाई रे साले रे दो डावड़ा है।
ठाकरां क्यूं गावो, कह, रोवण में ही कोनी धापां।
ठाकरां खल खावो हो, कह, आ ही कुत्ता हूं खोसी है।
ठाकरां गैर बखत कठे, कह, गैर बखत तो म्हे ही हां।
ठाकरां, घोड़ी ठेका तीन देसी।
ठाकर यार तो पैली ही ठेकै आसी, दोय तो एकली देसी।
ठाकरां ठाडा किसाक ? कमजोर का तो बैरी ही पड्यां हां।
ठाकरां धोला आवगा और भागो हो, कह भाग-भाग तो धोला किया है, नहीं तो कालां में ही मार गेरता।
ठाकरां, पूंचो पतलो दीखै है ? कह, लाग्यां बेरो पड़सी।
ठाकारं, ब्याया क कुवांरा ? कह, आध। आधा क्यूं ? म्हे तो त्यार हां, आगलो मिल ज्याय तो पूरा हो ज्यावां।
ठाकरां भागो किसाक ? कह, गैल की मार जाणिये।
ठाकरां, मर्या सुण्या ? कह, सांपरत खड्या हां नी।
ठाडा का दो बांटा। गडै कै धन को बोजो-बोजो रूखालो है।
ठाडै को ठींगो सिर पर
ठाडै को डोको डांग नै फाड़ै।
ठाडै हीणै का दोय गैला।
ठाडो मारै अर रोवण भी कोन्या दे।
ठाली ठुकराणी पेई मं हाथ जाय।
ठाली बैठी डोकरी, घर में घाल्यो घोड़ो।
ठालै बैठ्यां सूं बेगार भली। (ठालफ सैं बेगार भली)
ठिकाणे ठाकुर पूजीजै।
ठिकाणै सै ई ठाकर बाजै।
ठोकर खार हुंस्यार होय।

डर तो घणै खाये को है।
डाकण अर जरख चढी।
डाकण बेटा ले क दे ?
डाकणां के ब्यावां में नूतारां का गटका।
डाकणां सै गांव का नला के छाना है।
डाडी कै लाग्यां आपके पहलां बुझावै।
डिगमरां कै गांव में धोबी को के काम ?
डूंगर चढ़तो पांगलो, सीस अणीतो भार।
डूंगर तो देख बा का ही होय है।
डूंगर बलती दीखै, पगां बलती कोनी दीखै।
डूंगरां नै छाया कोनी होय।
डूबतो सिंवलां न हाथ घालै।
डूमकी जाणै तो बखाणै।
डूम गय-गाय मरै, धणीड़ै कै भांवै ही कोन्या।
डूमणी रे रोवण में ही राग।
डूर्मा आडी डोकरी, बलदां आडी भैंस।
डेड घड़ाङङर डीडवाणु पाऊं।
डेढ छैल की नगरी में ढाई छैल आयो है, ठग्गैगो, ठगावैगो नहीं।
डोकरी मुसाण कैंका ? आये गये का ?
डोकरीङ र राज कथा कोय।

ढक्योड़ो मत उघाड़ और बू घर तेरो ई है।
ढबां खेती, ढबां न्याव।
ढल्यो घोटी, हुयो मांटी।
ढींगा कतरा ही घलाले, पतासो एक घालूं ना।
ढेढ को मन लह्यावड़ै में।
ढेढणी और रावलै जा आई।
ढेढड नै सुरग में भी बेगार।
ढेढ रे साथे धापङर जीमो भांवै आंगली भर कर चाखो।
ढेढ रो पल्लो लगावो, भांवै बाथे पड़ो।
ढेढां री दुरसीस सूं दाव थोड़ा ही मरै।
ढोसी का डूंगर चीकमा होता तो नारनोल का कुत्ता कदेस का जाट ज्याता।
आगे री कहावतां- क-घ च-ञ ट-ण त-न प-म य-व श-ज्ञ

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