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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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दादू
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जयमल अर पत्ता
जोरावर सिंह बारहठ
महाराणा कुम्भा
कमलावती
कविवर व्रिंद
महाराणा लाखा
रानी लीलावती
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पृथ्वीसिंह
पृथ्वीराज कवि
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राणा सांगा
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रामसिंह राठौड
अजयपाल जी
राव प्रतापसिंह जी
सूरजमल जी
राव बीकाजी
चित्रांगद मौर्यजी
डूंगरसिंह जी
गंगासिंह जी
जनमेजय जी
राव जोधाजी
सवाई जयसिंहजी
भाटी जैसलजी
खिज्र खां जी
किशनसिंह जी राठौड
महारावल प्रतापसिंहजी
रतनसिंहजी
सूरतसिंहजी
सरदार सिंह जी
सुजानसिंहजी
उम्मेदसिंह जी
उदयसिंह जी
मेजर शैतानसिंह
सागरमल गोपा
अर्जुनलाल सेठी
रामचन्द्र नन्दवाना
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प्रेस नोट्स


 

प्रेस नोट
राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचित में सम्मिलित करवाने के लिए
बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल का एक ओर प्रयास, प्रधान मंत्री को लिखा पत्र

नई दिल्ली। 22 अप्रैल 2013। राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचित में सम्मिलित किये जाने की मांग करते हुये बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह को पत्र लिखा है। सांसद मेघवाल ने अपने पत्र मे कहा है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता की मांग कई वर्षो से की सदन मे तथा सदन के बाहर की जा रही है। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति सहित राजस्थान के कई संगठनो द्वारा यह मांग जोर पकड़ रही है।  कई बार लोक सभा मे सांसदो द्वारा इस विषय को उठाया गया है जिनके जवाब मे सरकार द्वारा प्रश्नो के जवाब व विभिन्न चर्चाओ का जवाब देते हुये  सरकार द्वारा राजस्थानी व भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि मे सम्मिलित करने से संबंधित कई आश्वासन दिये गये है, लेकिन किसी भी आवश्वासन को सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया है।

सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने प्रधान मंत्री से अनुरोध किया कि चूंकि 25 अगस्त 2003 को राजस्थान विधानसभा की ओर से सर्व सम्मति से पारित संकल्प केन्द्र सरकार को भेजा हुआ है। इसलिए आप गृह मंत्रालय को इस बजट सत्र मे राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची मे सम्मिलित करवाने का विधेयक लाने व पारित करवाने हेतू निर्देशित करावें।

संपादक महोदय को प्रकाशनार्थ।

(प्रभु दयाल यादव)
निजी सचिव सांसद बीकानेर
मो. 9971705619


राजस्थानी रै बिना गूंगो राजस्थान

--डॉ. राजेन्द्र बारहट


20 मार्च के  देनिक भास्कर में वेद प्रकाश वैदिक का समसामयिक एवं सार्थक लेख

संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता भारतीय भाषाओँ की उपेक्षा के विषय पर पढ़ा एक जिम्मेदार लेखन में भारत बोल रहा है ,पढ़कर मन प्रसन्न हो गया ,श्री वैदिक को बधाई ,में उनके लेखक को प्रणाम करता हूँ ।जिन प्रदेशों के सांसदों ने सरकार को मजबूर किया उन प्रदेशों के लोगो ने आजादी का भाषाई स्वाद चखा है ,मातृभाषा में शिक्षा ,नोकरी परीक्षा माध्यम ,अपनी भाषा में राज का आनंद एवं उसका अर्थ क्या होता है ,उसमें कमी,बदलाव ,या समाप्ति से पड़ने वाले फर्क का मतलब जानते है ,संसार में फेले 16 करोड़ राजस्थानियों के मानसिक गरीब प्रतिनिधि 35 सांसद  थे परन्तु वे इसका अर्थ ,प्रभाव ,नहीं जानते थे ,क्यूंकि हम राजस्थानियों नै भाषाई आजादी का फल नहीं चखा है ।केरल के 10 एवं राजस्थान के 25 सांसद लोकसभा में है परन्तु आजादी के बाद  केरल नै देश को जितने आई .ए .एस दिए उसके 10 प्रतिसत भी राजस्थान नहीं दे पाया उसका कारण हमारी भाषा को संवेधानिक मान्यता नहीं होना है परन्तु गोरव शाली राजस्थान के गैर जिम्मेदार सांसदों को नहीं लगता की इसके लिए मिलकर संसद सरकार को राजस्थानी मान्यता के लिए मजबूर करे ,नितीश कुमार नदियों, रेलों के जाल वाले प्रदेश को विशेष दर्जे के लिए सरकार को समझा ,डरा रहे है ,इधर रेगिस्थान, आदिवाशी, पहाड़ी प्रदेश राजस्थान हेतु बोलना अशोक गेहलोत, वसुंधरा राजे, सांसद, पार्टिया जरुरी नहीं समझते छिछले आरोपों की राजनीती करते है ।जबकि बाड़मेर में मंगला तेल का कुआ हमारा जिसका नाम मंगला केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर की माता जी के नाम पर, क्या उनके प्रदेश में कोई नामकरण महाशक्ति करणी माता, पन्नाधाय ,हाडीरानी ,करमाबाई ,मीराबाई ,गवरीबाई ,इमरती देवी के नाम पर हो सकता है ?उनकी माताजी का राजस्थान को क्या योगदान है ?लेकिन जो नाम  लिखे है उनका मानव समाज को ऐतिहासिक योगदान है ,  परन्तु हमारे सांसद नेता राजस्थान के मन को कितना तोड़ सकते है इस होड़ में लगे हुए है ,गोरव शाली राजस्थान का सर सर्म से झुक रहा है ,दिल्ली में हम नेतृत्व विहीन है ,प्रदेश का नेतृत्व गूंगा है ,भाषा की मान्यता के लिए बोलता नहीं है ,राजस्थान को अपनी भाषा में पढाई ,राज ,नोकरी का अधिकार दूसरे प्रान्तों की तरह नहीं है ,16 करोड़ राजस्थानी अपमानित महसूस कर रहे है ,भाषा की मान्यता के बिना राजस्थान गूंगा है ,ईश्वर अशोक गहलोत, ,वसुंधरा राजे, किरोड़ीलाल मीणा को ये समझने की सामर्थ्य देवे ,जिससे राजमाता सोनियाजी की शुभ दृष्टी इस प्रदेश पर पड़े । इसी आशा एवं विश्वाश के साथ ,जै भारत ,जै राजस्थान ,जै राजस्थानी ।

डॉ राजेंद्र बारहठ प्रदेश महामंत्री अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति राजस्थान .60,गायरियावास उदैपुर ,राजस्थान ,9829566084,



   


 


 

प्रेस नोट

राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल का एक ओर प्रयास,
सरकार पर दबाव बनाने के लिए मामला आश्वासन संबंधि समिति को भेजा

नई दिल्ली। 05.03.2013। बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए एक ओर महत्वपूर्ण कदम उठाते हुये संसद की सरकारी आश्वासन संबंधि समिति की सभापति श्रीमती मेनका गंाधी को सोमवार को एक पत्र लिखा है। सांसद मेघवाल ने पत्र मे सरकार द्वारा बार - बार आश्वासन देकर उनकी पालना नहीं करने पर सरकार पर दबाव बनाने की मांग की है। सांसद मेघवाल ने अपने पत्र मे लिखा है कि राजस्थानी तथा भोजपुरी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूचित में सम्मिलित किये जाने की मांग कई वर्षो से की सदन मे तथा सदन के बाहर की जा रही है। कई बार सदन मे माननीय सदस्यों द्वारा इस विषय को उठाया गया है जिनके जवाब मे सरकार द्वारा निम्नांकित आश्वासन दिये गये थे:-

1. दिनांक 18.12.2006 को 193 की चर्चा का जवाब देते हुये श्री जयप्रकाश जयसवाल माननीय मंत्री ने कहा था कि ‘‘................ अब इसमे ज्यादा देर नहीं लगेगी। हम उम्मीद करते है कि आगामी सत्र मे शायद इस संबंध में यह बिल पारित कराया जाएगा, जिसके साथ ही इन दोनो भाषाओं को मान्यता मिलेगी।...’’

2. दिनांक 30.10.2010 को 193 की चर्चा के दौरान   MINISTER OF FINANCE (SHRI PRANAB MUKHERJEE): Sir, I understand the sentiments of the hon. Members. This is an important issue, particularly, the demand of Rajasthani and Bhojpuri languages to be included in the Eighth Schedule, but the scope of the Calling Attention in this House is limited. Therefore, I respectfully submit to the hon. Members that we can have this discussion on a substantive motion as the time is not available in this current Session. We can have … (Interruptions) We can have a substantive discussion in the next Session because we do not take any decision under the Calling Attention. If you want to have any....

3. दिनांक 30.10.2010 को 193 की चर्चा के जवाब में श्री अजय माकन माननीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि ‘‘...... जैसा कि मैने पहले कहा है। मैं केवल इतना कहना चाहता हूॅ कि जहां तक राजस्थानी व भोजपुरी भाषा का सवाल है, इन दोनों भाषाओं को संविधान की आठवी अनुसूचि मे सम्मिलित करने के लिए सरकार विचार कर रही है। सरकार इसके ऊपर विचार कर रही है और जो भी फैसला, होगा , हम हाउस के अन्दर बतायेगें। सरकार विचार कर रही है और सीताकांत महापात्रा कमेटी रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर हम विचार कर रहें।

4. दिनांक 17.05.2012 को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में गृह मंत्री    SHRI P. CHIDAMBARAM Say Madam, we will consider these two Reports and take a decision and we will be able to announce a decision in the Monsoon Session. …

इसके अतिरिक्त कई माननीय सदस्यों द्वारा पुछे गये प्रश्नो के जवाब व विभिन्न नियमो के तहत उठाये गये विषय का जवाब देते हुये भी सरकार द्वारा राजस्थानी व भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि मे सम्मिलित करने से संबंधित आश्वासन दिये गये है, लेकिन किसी भी आवश्वासन को सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया है। अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि इस विषय को समिति की बैठक मे सम्मिलित किया जावें तथा समिति के अधिकारो का उपयोग कर आवश्यक कार्यवाही करते हुये सरकार द्वारा दिये गये आश्वासनो को पूरा करने हेतू निर्देशित करें। 

सधन्यवाद।
संपादक महोदय को प्रकाषनार्थ प्रेषित:-

(प्रभु दयाल यादव)
निजी सचिव, संासद बीकानेर मोबाईल 9971705619



प्रेस नोट
जयपुर/ 30 जनवरी, 2013

मायड़भाषा के लिए अहिसा सर्किल पर किया मुखपत्ती सत्याग्रह

जयपुर. बुधवार को गाधी जी की पुण्य तिथि के अवसर पर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति की ओर से जयपुर के अहिसा सर्किल पर मुखपत्ती सत्याग्रह किया गया। युवको ने राजस्थान विश्वविद्यालय से अहिसा सर्किल तक मौन मार्च निकाला। उसके बाद 'राजस्थानी रै बिना गूगो राजस्थानÓ लिखी हुई पट्टी मुख पर लगाकर गाधी जी की प्रतिमा के समक्ष सत्याग्रह किया। इस दौरान युवाओ ने राजस्थानी भाषा को सवैधानिक मान्यता दिए जाने के सवाल को लेकर अपना प्रतिरोध दर्ज कराया। समिति कार्यकत्ताओ के अनुसार गाधीजी का कहना था कि जो बालक अपनी मातृभाषा के बजाय अन्य भाषा मे शिक्षा ग्रहण करते है वे आत्महत्या ही करते है। जबकि प्रदेश व देश की गाधीवादी सरकार उनके इन विचारो की अवहेलना तथा मातृभाषा राजस्थानी की उपेक्षा कर रही है। सत्याग्रह मे सघर्ष समिति के प्रदेश सयोजक तथा अभिनेता मोहन कटारिया,  मातृभाषा राजस्थानी छात्र मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश गोदारा, प्रदेश मत्री अजय सोनी, राजस्थानी मोट्यार परिषद के जयपुर जिला सयोजक सदीप मील के अलावा जनता दल एस के प्रदेशाध्यक्ष अर्जुन देथा, रामस्वरूप पूनिया, सन्नी स्वामी व सुभाष चौधरी सहित अनेक कार्यकत्र्ता शामिल हुए।

फोटो : राजस्थानी को मान्यता की माग को लेकर अहिसा सर्किल पर मुखपत्ती सत्याग्रह मे शामिल युवा।


प्रेस नोट
जयपुर/ 25 जनवरी, 2013

आरएएस के नए पैटर्न पर उठे सवाल

अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति ने राजस्थानी के
पाठ्यक्रम प्रतिशत को माना नाकाफी, कहा- अन्य प्रदेशो की तरह
अपनी भाषा को क्यो नही प्राथमिकता?

जयपुर. आरएएस के नए पैटर्न मे जहा आरपीएससी ने राजस्थानी भाषा और साहित्य को तवज्जो दिए जाने का दावा किया है वही अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति ने राजस्थानी के पाठ्यक्रम प्रतिशत को नाकाफी माना है।

समिति के प्रदेश महामत्री डॉ. राजेन्द्र बारहठ ने कहा है कि राजस्थानी भाषा को जितना भी स्थान दिया गया है वह स्वागत योग्य है, परन्तु आरपीएससी को यह नही भूलना चाहिए कि उसे राजस्थान मे नियुक्त किए जाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी तैयार करने है और राजस्थान मूल के ही अभ्यर्थियो का चयन करना है। बारहठ ने पजाब, गुजरात व महाराष्ट्र सहित कई अन्य प्रातो का उदाहरण देते हुए बताया कि वहा प्रातीय भाषाए इन परीक्षाओ की माध्यम भाषाए तो है ही, प्रातीय भाषा व निबध के अनिवार्य प्रश्र पत्र भी होते है। साथ ही वहा की भाषा और उसके साहित्य को वैकल्पिक विषय के रूप मे चुने जाने की सुविधा भी अभ्यर्थी को मिलती है। उन्होने सवाल उठाया कि अन्य प्रदेशो की तरह आएएएस का पाठ्यक्रम नराजस्थानी रै बिना गूंगो राजस्थानिर्माण क्यो नही किया जाता? वर्तमान पाठ्यक्रम मे राजस्थानी भाषा ज्ञान के लिए 100 अक का अनिवार्य प्रश्र पत्र निर्धारित करने की वकालत करते हुए बारहठ ने कहा कि तभी राजस्थानी प्रतिभाओ के साथ न्याय हो सकेगा। नही तो पूर्व की भाति बाहरी अभ्यर्थी ही लाभ मे रहेगे। समिति ने कहा है कि आरएएस, एडीजे, पीआरओ, चिकित्सा एव इन्जिनियरिग सहित अन्य पदो हेतु आयोजित परीक्षाओ मे भी राजस्थानी भाषा के प्रश्र पत्र को अनिवार्य किए जाने से ही लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अधिकारी सही मायने मे लोक सेवक सिद्ध हो सकेगे। लोक भाषा के ज्ञान के बिना लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अधिकारी लोक दण्डक साबित होगे।

प्रेषक-
डॉ. सत्यनारायण सोनी,
प्रदेश मत्री, अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति।
दूरभाष : 9460102521

 


प्रेस नोट

दिसम्बर 2012 ने समाप्‍त व्‍यो। यो सत्र 15वी लोक सभा रो 12वो सत्र हो। प्रत्येक सत्र समाप्ति पे विभिन्न सस्थावा द्वारा ससद मे किया गया सासद व सरकार रे कामकाज रो आकलन प्रस्तुत कियो जावे है। लेजिसलेटिव रिसर्च नामक सस्था द्वारा 12वे लोक सभा सत्र री समाप्ति पे एक रिपोर्ट जारी करी गई है। जिणमे सासदा री सक्रियता रो आकलन कियो गयो है। इण रिपोर्ट रे अनुसार ससद मे बहस मे भाग लेवा वाळा पाच प्रथम सासद अर्जुन राम मेघवाल, भाजपा बीकानेर राजस्थान (345 डिबेट),शैलेन्द्र कुमार, सपा, कौषाम्बी यू.पी. (286), पी. एल. पूनिया, काग्रेस, बाराबकी यू.पी. (210), भर्तहरि महताब, बीजेडी, कटक उड़ीसा (193) तथा विरेन्द्र कुमार, भाजपा टिकमगढ़ म. प्र. (163) रिया।

बीकानेर। 27 दिसम्बर 2012 । शीतकालीन सत्र दिनाक 20

MP name
State
Constituency
Political party
Debates
PMB
Questions
Attend
ance
Arjun Ram Meghwal
Rajasthan
Bikaner
Bharatiya Janata Party
345
20
543
99%
Ratan Singh
Rajasthan
Bharatpur
Indian National Congress
46
0
132
96%
Mahesh Joshi
Rajasthan
Jaipur
Indian National Congress
10
0
307
95%
Sheesh Ram Ola
Rajasthan
Jhunjhunu
Indian National Congress
5
0
9
95%
Ram Singh Kaswan
Rajasthan
Churu
Bharatiya Janata Party
61
0
241
93%
Khiladi Lal Bairwa
Rajasthan
Karauli-Dholpur
Indian National Congress
19
0
126
93%
Jyoti Mirdha
Rajasthan
Nagaur
Indian National Congress
26
0
58
93%
Kirodilal Meena
Rajasthan
Dausa
Independent
39
0
489
92%
Badri Ram Jakhar
Rajasthan
Pali
Indian National Congress
17
0
379
89%
Bharat Ram Meghwal
Rajasthan
Ganganagar
Indian National Congress
13
0
159
89%
Gopal Singh Shekhawat
Rajasthan
Rajsamand
Indian National Congress
15
0
87
89%
Girija Vyas
Rajasthan
Chittorgarh
Indian National Congress
19
0
16
89%
Ijyaraj Singh
Rajasthan
Kota
Indian National Congress
31
0
418
87%
Harish Choudhary
Rajasthan
Barmer
Indian National Congress
47
0
493
86%
Raghuvir Singh Meena
Rajasthan
Udaipur
Indian National Congress
9
0
108
81%
Dushyant Singh
Rajasthan
Jhalawar-Baran
Bharatiya Janata Party
28
0
321
79%
Devji Patel
Rajasthan
Jalore
Bharatiya Janata Party
79
0
310
79%
Tarachand Bhagora
Rajasthan
Banswara
Indian National Congress
3
0
223
78%
 
 
 
 
 
 
 
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