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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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बूँदी जिले रो सामान्य परिचय

सहयोग कर्ता रो नाम अने ठिकाणो
डा. श्रीमति प्रेम जैन
व्याख्याता ( हिन्दी विभाग )
कोटा विश्‍वविधालय

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क्षेत्रफ़ल

5850.5 वर्गकिमी

साक्षरता

55.80 प्रतिशत

समुद्रतल सु ऊँचाई

 

आदमियो री साक्षरता

72.17 प्रतिशत

बारिश रो औंसत

76.41 से.मी.

लुगाया री साक्षरता

37.76 प्रतिशत

उच्चतम तापक्रम

49 ं से.ग्रे.

नगरपालिका

 

न्युनतम तापक्रम

4 ं से.ग्रे.

पंचायत समितियाँ

4

कुल जनसंख्या

9,61,269

गांव पंचायते

181

आदमियो री संख्या

5,03,827

राजस्व गांव

870

लुगाया री संख्या

4,57,442

तहसील

5

ग्रामीण जनसंख्या

7,82,338

 

 

शहरी जनसंख्या

1,78,931

 

 


सोनालो अतीत अर चोखी रीत्यान की धरोहर बूँदी आपणा एतिहासिक अर कुदरती रुप के काण्णै परसिद्ध छ। चारूमेर पहाड्यान सूँ घिरी ई पुराणी नगरी को अतीत पराकरम की क्याण्यान सूँ भरयो पडयो छ।याँ की स्थापत्य कला अर चतराम देखबा जोग छ।
याँ राजस्थान राज्य का दक्षिण पूरब मे स्थित छ। बूँदी जिलो पहाडी जिलो छ, पछाव भाग मं अरावली व विध्याचल दोन्यूँ पहाडीया छ। 19 वी सदी म बूँदी जिलो अगरेजान सूँ समझौतो कर लियो छो। बूँदी जिलो के उत्तर म टोंक जिलो,पच्छिम म भीलवाडो अर लंकाव-पच्छिम म चितौडगढ जिलो छ।पूरब म ई की सीमा प चम्बल नदी बेवे छ जो ई के ताँई कोटा जिला सूँ अलग करे छ।सवाई माधोपुर जिला की सी मा भी बूँदी सूँ लागै छ।कैवे छ क बूदाँ मीणा न बूँदी बसाई छ। ई ही बंूदा का पडपोता सूँ देवा हाडा न बूंदी ली अर आपणो राज्य स्थापित करयो । हाडा चौहाना को परभुत्व होबा के काण्णै यो छेत्र हाडौती कैलायो।
जिला म रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य अर दुगारी म एक पक्ष्यान को अभयारण्य भी छ। जिला म राजपुरो ,लाम्बाखोह, पराणा, धोरेळ ,डाबी म सेण्ड्स्टोन र सथूर, वासनी ,कांजरी सीलोर म मंसजरी स्टोन, सथूर, केसवपुरा,दौलतपरा मे लामइस्टोन। उमर ,बसौली म मारबल के इलावा ग्रेनाइट , लोया का भन्डार,मुर्रम,सेलीस्टोन ,चायना क्ले आद खनिज प्राप्त होवे छ ।

दशर्नीय स्थल

 

ओ जिलो रुप सूँ आपणी बनावट के काण्णै यो नगर अनोखो ई दिखाई देवे छ । 12 वी सदी सूँ लेर 20 वी सदी का पैला अदक ताणी याँ का हरेक राजा न इ के ताँई रुपाळो बणावा म जोग दयो। जी सूँ बूँदी छतरिया अर तालाब अर बाग पर्यटकान क ताँई आपणी आडी खींचे छ।पुराणा पकोटान सूँ घिरया ई नगर म भीतर घुसबां काण्णै चारुँ दसान म चार दरवाजा बण्या हुआ छ।परकोटा सूँ बारै भी लंका गेट ,खोजा गेट अर मीरा गेट बण्यो हुआ छ।

राजमेल
17
वी शताब्दी क पैला अदक म बण्या य मेल वास्तुशिल्प क इलावा दीवाल - चितरान की दृष्टि सूं भी बेजोड राजमेलान म छतरमेल चौक क पास हथियासाळ छ जाँ जोतिसशास्तर सम्बंधी अन्तर बताया गया छ। हथियासाळ के पास एक कमरा म घणो रूपालो दीवाल चितर छ ई मेल को दूसरो रूपालो दरस चितरसाळा छ जीको दवाला रूपाळा भीत चितरान सूं सजी छ। ई म धार्मिक,एतिहासिक अर सिकार सम्बंधी दरस माण्डया गया छ।
तारागढ दुरग
-बनावट -
अरावली पर्वत श्रंृखला मे स्थित ओ किलो हाडा राजपूतो री वीरता रो प्रतीक हैं। बम्बादेव रा हाडा शासक देव सिंह बूंदी रा मुखिया जैंतामीणा ने हरा र बूंदी ने जीत लिया, बाद मे इया रा वंशज राव बर सिंह ई दुर्ग रो निर्माण करवायो।करीब 1,426 फ़ीट ऊंची पर्वत री चोटी पर स्थित होणे कारण ई किले ने तारागढ नाम भी देईजो।कर्नल टाड इ किले री स्थापत्य कला सु प्रभावित हो इने राजस्थान रो सर्वश्रेष्ठ किलो बतायो। तारागढ पर हाडा वंश रा राजा कदी भी एक छत्र राज ना कर सकिया । आपरी सामरिक स्थिती रे कारण ओ किलो आक्रान्ताओ री लिप्सा रो कारण रहयो।

- इतिहास -
मेवाड रा राणा लाखा कसम खाई की अमुक तिथी तक अगर बे इ किले ने ना जितेगा तो बे अन्न जल नही ग्रहण करेगा। पण जद  किलो हासिल ना हुयो तो बे मिट्टी रो किलो बणवार  बिने जीतणे री कोशिश करी इयारी सेना मे सामिल एक हाडा लडाके ने इ दुर्ग री रक्षा रो प्रयास करियो। ओ छदम युद्ध वास्तविक युद्ध मे बदल गियो औंर लडाके री मोत हुयगी। महमुद खिलजी औंर राणा कुम्भा भी क ई बार बूंदी ने जीत लिया। जयपुर नरेश सवाई जय सिंह  इण पर आक्रमण कर बहनोई बुद्ध सिंह हाडा ने हटा र दलेल सिंह ने अधिपति बणायो ।
ओ किलो आप रे जीवन्त भित्ति चित्रो रे वास्ते भी जाणो जावे हैं। खासकर राव उम्मेदसिंह रे समय बणियोडी चित्रशाला बूंदी चित्र शैंली रो  उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

नवलसागर
तारागढ दुरग हाळी पाडी की तलैटी म स्थित नवल सागर तलाब को निरमाण महाराव राजा उम्मेद्सीग द्वारा करवायो गयो छो।तळाब क बीच म एक मन्दर अर एक छतरी बणी हुई छ। अर कनारा प पब्लिक पारक छ।महाराव राजा बिस्नूसींग जी सुन्दर सोमा नाम हाळी घर हाळी द्वारा त ळाब क कनारे रुपाळो घाट अर एक मेल को निरमाण करायो गयो जे आज भी वांका नाम सूं सुन्दर घाट कैलावे छ।

चौरासीखम्बानकीछतरी-
बूंदी कोटा मारग प नगर क बारै कढता ही देवपरा बस्ती के पास बणी एक बडी सारी चौरासी खम्बान की छतरी म आपणा नाम के अनरूप चौरासी खम्बा बण्या छ। छतरी क बीच मे सिवलिंग छ अर छत प चारु कोणान म चार छोटी छतरयाँ बणी छ।ई छतरयाँ के ताँई राजा अनिरुद्धसींग्ंा़ का भाई देवा द्वारा सन 1683 म बणवायो ग़्यो छो। यां सुन्दर बगीचो भी बिगसित करयो ग्यो छो ।

राणीजीकीबावडी
सेर के बीच महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण चौरापा प राव राजा अनिरुद्धसींग्ंा़ की रानी नाथावत जी के आडी सूँ सन 1699 मे बणवायी गी बावडी छ जी के तांई राणी जी की बावडी  कैवे छ।बावडी की सीढिया प बण्या तीन तोरण द्वारां की कलात्मक तो देखता ही बणे छ।

जैतसागर
सेर सूं थोडी सूं दुरां उत्तर दसा म शुक्ल दसा म शुक्ल बावडी दरवाजा के बारै पाग्यान के बीच एक घणी रुपाळी जेत सागर तलाब छ जी के तांई जैता मीणा न बणवायो छो ।जैत सागर तलाब की पाळ प घणो रूपाळो सूखमेल बण्यो हुओ छ।जी को निरमाण राजा बिस्नूसींग  ने करवायो छो। यां एक रूपालो बगीचो भी छ। जैत सागर ताळाब का एक कनारा प टेरेस गार्डन घुमवा फ़रबा अर कुदरती रुप न्हाळ्ता काण्णै ऊपयुक्त अस्तान छ।

सिकारबुरज
महावराजा उम्मेदसींग न सन 17770 ई म आपणा पूत अजीतसींग के कारणे ग़द्दी छोडर पाडयान क बीचा आपणो यो एकांतबासो बणवायो ।जैत सागर सूं आगे तकरीबन 3 किमी. दूर सिकार बुरज नाम का ई स्थल प हनुमान जी की एक बडी परतिमा छ अर मेल बण्या हुआ छ।थोडी सी दूरी प एक बुरज बणी हुई छ ज शिकार खेलबा के काम आवे छ। पास ही एक पाडी सिकर प चौथ माता को मन्दर छ।

बाणगंगा
नगर का उतर म सिकार बुरज के पास स्थित धार्मिक स्थल केदारेश्‍वर धाम क तांई सामान भासा म बाण गंगा का नाम सू सम्बोधित करे छ ।बंबावरा का राव राजा कोल्हण न सम्वत  1950 म याँ केदारेश्वर मन्दर को निरमाण करवायो ।या का एक जलकुण्ड छ अर जल धारा म भी बेती रेवे छ।बाण गंगा म और भी नरा छोटा मोटा मन्दर छ।

छारबाग
जैत सागर अर सिकार बुरज के बीच स्थित छार बाग मे ऊँ जमाना का बूंदी  राज्य कागुजरया हुआ राजाण की ओळ्यू म घणी छतरया बणी हूई छ।याँ म सबसू पराणी राव सुरजन का बाळक की छतरी छ जे सन 1581 ईस्वी म मुगलान के कारणै जुद्ध करतो हुओ मारयो ग्यो छो। ई बाग म ही राव छत्तरसाल जी की भी छतरी छ।

फ़ूलसागर
याँ तलाब राजा भोज सींंग जी की राणी फ़ूललता न सन 1602 म बणवायो छो। पाछे या राव राजा रामसींग न एक जलकुण्ड अर दो सुन्दर मेलाण का निरमाण करवाया छा। फ़ूल साग़र मेल का एक कमरा म बूंदी का राव राजा द्वारा सिकार करया ग्या जंगली जानवरान ला ढ़ांचा सजा राख्या छ।

मीरा साहब की दरगाह
बूंदी सेर की एक ऊँची पाडी चोटी प बाबा मीरा साब की दरगाह छ जे ऊँचक प होबा काण्णै दूरा सूँ ही दीखे छ। ई पाडी प चढबा काण्णै अब सडक मारग को निरमाण करवा ल्यो गयो छ।

रामेस्वर
बूँदी सूँ करीब 25 किमी. दूरी प पर्वतान के बीच एक रुपाळो धार्मिक अर घूमवा जोग स्थल छ रामेस्वर। याँ एक कुदरती नाळा म झरणो गरे छ अर सिव मन्दर भी बण्यो छ।याँ नरी धार्मिक स्थल अर धरमसालावा छ जा आये दन धरमपरेसी अर परकरती परेनी लोगान को आबो जाबो लाग्यो रैव छ।

केसोरायपाटण -
बंूदी जिला का केसोरायपाटण सेर म चम्बल नदी क कनारे एक बडो भारी विस्नू मन्दर बण्यो हुओ छ जीको लेखो स्कन्द पुरान ,पदम पराण ,अर वायु पराण म भी आव छ ।कैवे छ क राजा रन्तीदेव न ई नगर की स्थापना करी छी अर ई काण्णै ई को पुराणो नाम रन्तीदेव पाटण भी छ ऩदी तट सूँ  59 पगत्या चढ़बा प मुक्ख मन्दर आवे छ।मन्दर मे भगवान केसोराय जी की मूंडे बोलती मूर्ती छ। केसोरायपाटण म पाण्डवान की जग्ग्साला, पांडवान की गफ़ा, पुराणा जैन मन्दर ,हनमान जी अर माता अंजली का मन्दर ,पाँच सिवलिंग अर जम्बू मार्गेस्वर मन्दर भी देखबा जोग छ। केसोरायपाटण बस स्टेण्ड प स्थित पराणी दरगा हजरत सेख अब्दुल अजीज मक्की हिन्दू मुसलमान साम्परदायिक सौहारद की जीती जागती मसाल छ।

खटकडमादेव -
यो पुराणो तीरथ बूँदी नैणवा बस मारग प कठन पाडी क्षेत्र म स्थित छ। याँ एक सिवलिंग छ जे खटकड मादेव का नाम सूँ परसिद्द छ। खटकड सूँ आगे नैणवा एक परसिद्द स्थली छ।

बाँसीदुगारी
यो गांव कलजुग का चमत्कारी देवता सिरी तेजाजी महाराज की करमस्थली रहयो छ । याँ एक बडी भारी तळाब छ जी के  कनारे प ही तेजाजी को परसिद्द तीरथ छ ।

भीमलत -
या लमसम 150 फ़ीट की ऊँचक सूँ एक झरणो गरे छ।जे घणो ही रूपाळा दरस के ताँई बणाव छ। भीमलत घाटी म नीचे उतरबा प एक सिव मन्दर बण्यो हुवो छ, जाँ गोमुख सूँ भी लगातार पाणीबेवे छ। बूंदी-बिजौल्या सडक मारग सीधो भीमलत ताणी  पौंचे छ ।  भीमलत म सिंचाई विभाग को एक डाक बंगलो बण्यो हुवो छ।याँ दुसरा देखबा जोग जगा म हिण्डोली को ताळाब ,सतूर म रक्त दंतिका माइ जी को मन्दर, लकडेस्वर मादेव ,तलवास अर अजीतगढ़ अर इन्दरगढ़ को किल्लो छ।


 

कला औंर संस्कृति

 

बूंदी का अस्थापना दिवस 24 जून न हर बरस पर्यटन विभाग अर जिला परशासन को आडी सूँ जनसहयोग से बूंदी महोच्छव मनायो जावे छ।बूंदी म तीज का त्वार माथे मेळो लागे छ अर तीज की असवारी भी कढ़े छ। केसोरायपाटण म लागबा हाळा काती की पून्यूँ को मेळा अर देवजी का थाणा अर अळेद तेजाजी को मेळो परसिद्ध छ।     

 
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अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

हाई-टेक आऊट सोर्सिंग सर्विसेज
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्षर् समिति
राजस्थानी मोटियार परिषद
राजस्थानी महिला परिषद
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राजस्थानी खेल परिषद

हाई-टेक हाऊस, विमूर्ति कोम्पलेक्स के पीछे, हरेश दुधीया के पास, गुरुकुल, अहमदाबाद - 380052
फोन न.:- 079-40003000 ई-मेल:- info@hitechos.com