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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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पुस्तक - सीख़ सरीरां उपजे
(महेश नायक, लेहरु जवेरी, पन्नालाल पटेल)

साथिड़ां,
जै राम जी री!

महूं थाणे ऊं दोस्ती करणो चावुं। कई थां म्हारे लारे दोस्ती करोला!  या वी कई वात, चाले हाथ मलावो। अबे वे गई पाकी दोस्ती। आपणे अड़े-भड़े, घर-परवार में अर आपणे साथिड़ां ने किजो के महेश चाचा ऊं थाणी पाकी दोस्ती व्है ग्यी है। कोईक पूछे ''कितर?'' तो कई करोला? वणाने या पौथी देखावजो अर किजो ''अतर''। साथिड़ां अणी पोथी  ऊं म्हां थाणे वाते लाया हा अेक यात्रा रो नूतो (बुलावो)। क्यूं कितर लागो? त्यांर हो नीं, म्हारे लारे अणी यात्रा रे वाते?
म्हारी अणी यात्रा रे पाछे कई मंशा है अर म्हारे मन में अणीरे वाते कई कदर है, अण्डे वाते म्हूं थांने आपणां विसार वतावणो चावू हूं। अबार तक जणा तरीका ऊं म्हूं म्हारे जमारा रा दन पूरा करे रियो हो वणारे मू में फगत अन्याव हो? अणा परे म्हैं घणो होच्यो तो म्हारे आत्मा में घणा सवाल उपज्या हैं।
कई म्हूं मनख वेयने अणी तरे रो जमारो जीवूं कई? अबे थां ई वतावो के जठे असो अन्याव, लोब-लालच अर घोखो व्है वणारो फल नाश रे सवा कई व्है सके। यो नाश व्है रियो है आपणे धरती रो, आपणे हपनां रो, आपणे विसारां रो, आपणे मन री हाची वातां रो। अबार तक आपणे जीवा रा तरीका अर होच में णी वातां परे होचवा री अर अणारे वाते आपणी जमेवारी री घणी खामी है। आपे आपणे हवारथ रे खातर अणी धरती माता रे लारे दश्मणां जसो वैवार करे रिया है। "म्हूं मनख हूं" तो म्हूं चावूं जो करे सकूं असा विसार मन में राखेन थोड़ां-घणा मोटा पया वाला मनख हरेक मनख ने अर वणारा गण-दोष अर काम ने अेक नेम में राखे रिया हा। यो सब करवा हारू वे मोटा-मोटा विकास रो नाम ले रिया है। आपे खद ई अणी विकास में उलझेन आपण ेआपस रा परेम अर हमझ ने ई खोवता जाई रिया हा। मोटी वात तो या है के घन दौलत रे पाछे खद ने जाणवा-पेचाणवा री वगत ई आपणे पां नीं री है।
अणी यात्रा में आपणी हमझ ने अेक दशा में होचवा हारु अर अबार व्हैवा वाली कई वातां रो पतो पड़ेला। अबार री झुठी वातां अर हाची वातां जो आपाने आपणे घर-परवार अर समाज ऊं घणी छेटी ले गई है वणाने गेराई ऊं हमझवा रो मौको मलेला। आपणे खद रा गण अर मन में नवा-नवा काम करवा री हमझ ने वदावा अर आपणा पुराणा पारम्परिक (खान-दानी) काम-धंधा ने, धरती रा रंग रूप अर अणा सबारो आपणे लारे जुड़ांव ने जाणवा अर हमझवा रो मौका मलेला। अबार रे वगत में आपणे हामे आवा वाली तप्तियां ने हमझवा री अर वणाने हुलझावा हारु आपणो कई काम है? आपणी कई जमेवारी हैं? अणी वात री हमझ ई वदेला।
अणी में थाणी आपने अटारां हुनरमंद समाज रे लारे वात व्हैला, जान-पेचाण व्हैला। वे सब थानै आपणे-आपणे खानदानी काम-घंघा अर वणारे गुणां ने ई वतावेला। वणारो आपणे काम-धंधा रे लारे-लारे धरती रे अर समाज रे जुड़ाव अर जमेवारी कई है  यो ई वतावेला। समाज में हीखवा रा मौका, अेक दूजा रे लारे आपस रा वैवार, समाज में ापस री आपे-धापे वाली हमझ ने ई वे थानै सबां ने गेराई ऊं वतावेला।
अबे साथिड़े अेक वात घणी ध्यान ऊं हणो के या पौथी स्कूलां में जे किताबां चाले वणाऊं घणी न्यारी है। अबात तक आपे ये हमझा हा के किताबां  खाली भणवा रे वातरे व्है पण या पौथी वणां जसी नीं है। स्कूलां री किताबां ज्यूं अणें वेणा-वणाया सवालां रा जबाव नीं है। अणी में आपणे मन में घणा सवाल उपजेला पण जबाव तो आपां ने अड़े-भड़े रेवा वाला न्यारा-न्यारा समाज रे मनखां रे लारे वात करवा ऊं हीज मेला।
अणी पौथी में भणा रे लारे-लारे थाणे करवा हारु नराई नवा-नवा काम ई है जितर नवा-नवा हुनर रा मखां ऊं वात करणी, वणारा काम-धंधा देखणा अर हमझणा, अणी पौथी में माण्डया लगा चितर में रंग भरणो। वो ई आपणे हाथां ऊं वणायो लगो रंग। आपणे जीवा रे तरीका परे होचवा अर नवा तरीकाऊं जीवा री पेल करणी। अणी पौथी रूपी यात्रा हरेक मख तक जावे अणीरे वातरे थानै घणी मेणत करणी व्हैला। सबां ने हले-मलेन काम करनो व्हैला जो अबार घणो कम व्है गयो हैं। अणा सब ऊं थाणे वश्वास अर आश में वदापों व्हैला। यो आपणे वातरे घणो जरूरी है क्यूंके आज रे "हड़कदेयने करो" वाले विसार आपणे वश्वास अर आस ने घणी कम करे दिदी है।

म्हारे विसार ऊं अणी यात्रा रे लारे आपे अेक नवो काम करे सका हा।
अणी पौथी रे आसरे म्हने, पन्नालाल पटेल अर लेहरू दीदी ने थाणे सबां ऊं दोस्ती करवा रो मौको मल्यो या घणी हाऊं वात है। अणी यात्रा रे लारे अेक दोस्त वरेई आवणो चावे है। आवो, म्हूं थाणे वणाऊं  मलावूं। वे थाने आपणे खद रे बारां में वतावेला के, "वे कुण है?" अणी यात्रा में आपे सब वणाऊं मलता रेवाला। अणी नवी होच, धरती, आपणे वातावरण, अबार री समाज में तप्तियां, खद ने पाछो देखवा री अर हमझ वदावा री पेल रे लारे जै राम जी री। पाछा मलाला अणी आश अर वश्वार ऊं....
टाबरे मह्ने तो थां सब जाणो हीज हो! हॉ हॉ हॉ..... म्हूं हूं बुढियो। आपणे मेवाड़ देश री भील-गमेती जाती री लोक खेल/नाट्य परम्परा 'गवरी' रो अेक कलाकार। म्हारे लारे दो राईयां ई रेवे हैं। अणी वातरे केई मनख राई-बुढिया रे नाम ऊं जाणे हैं। टाबरे म्हूं अन्याव ने परमे अर झेला में बदलवा रो अेक जीवतो-जागतो रूप हूं। म्हारी गाथा भस्मासूर रा राक्षसी सभाव ने देव अर मानवी गुणां मेें बदलवा री गाथा है। म्हूं ने तो भस्मासूर हूं अर न शिव भगवान हूं। थां यो कै सको हो के म्हूं भस्मासूर रे रूप में शिव हूं।
जदी म्हूं भस्मासूर हो वदी म्हैं अपणे खद ने घणो मोटो वतावा अर खद भगवा ऊं मोटो वेवा हारू महादेव जी री घणा वरसां तक तपस्या किदी। शिवजी म्हारा तप, लगन अर मेणत ऊं राजी व्हिया अर म्हैं वणारे पां ऊं अेक असो वरदान मांग्यो के, "जणा रे माथा परे म्हूं हाथ मेलूं वो भसम व्है जावे।" कई था अणी वात रो मतलब हमज्या? अणी रो मतलब जो ई म्हारे हरीका जीवा रा तरीका, आदत अर हपना देखतो थको असो करेला वो आपणे खद रा गण ने भूलतो थको म्हारे जसो  लोभी अर लालची व्है जावेला। वणा में जे देव गण है वे सब खतम व्है जावेला।
भगवान रे अणा छोटाक वरदान ने जाणेन म्हूं घणो घमड़िलो अर अेकलखर्यो व्है ग्यो अर खद ने भगवान ऊं मोटो हमझवा लागो। धरती में मां पार्वती रा रूप ने देखेन वणी रा रूपालापन परे रिझाई ग्यो। अबे तो वणी ने आपणी लुगाई वणावा हारू भगवान शिव ने बालवा हारू वणारे लारे दोड्यो। पण म्हूं धोखा में हो अर धोखा में हीज रियो। धरती ने जीतवा अर अमारा काम खद करवा री आंधी होड़ में यो शिव रो वरदान म्हारे वातरे नाश रो कारण व्हियो। म्हूं धरती रे काम री नकल करतो थको आपणे खद रो हाथ खद रे माथा परे ले ग्यो अर भसम व्है ग्यो पण अबे शरीर में ऊं म्हारो जीव कोईनीं निकले रियो हो। पछे पाछो शिवजी म्हारो हात दिदो अर वणारी आत्मा म्हारे शरीर में वली। चालिस दन तक वणारी आत्मा म्हारे शरीर में री तो म्हारे जीव ई देव गुणां जसो व्है ग्यो। यो है म्हारे गाथा रो छोटोक रूप म्हारे मुंड़ा परे भस्मासूर रो मुंड़ो है, कमर में भगवान शिव रा रूप में घूघरां बन्ध्या लगा है। हाथ में लाकड़ी री उन्दी तदलवार मह्‌ूं पकड़े राखू हूं। अणा रूप ऊं थां म्हने ओलखे सको हो।

टाबरे म्हूं अेक रूप हूं जण्ड़ो नाश व्है अर नवा-नवा काम री आपणे हियाऊं शरूआत व्है। म्है घणी यात्रा किदी है अर म्हारो यात्रा करवा हारू घणो मन करे हैं। म्हारी या मंशा ही के म्हूं थाणे लारे आपणे खद रा अनुभव ई वाटतो रेवूला अर थाने ई म्हूं हमझे सकूला। थाणे काम अर अबार रे जीवा रा अन्याव भर्या मूल ने परेम अर झेला में बदलवा हारू म्हूं थाणे वश्वास ने वदावू अर थानै झेलो देतो रेवूं। अबे तो थां सब त्यार व्होला अणी यात्रा रो पेलो पग मेलवा हारु। अबे अणी पौथी लारे शरू व्है है आपणी सबऊं न्यारी यात्रा। अबे अणी पौथी रो पेलो पानो अर आप े सब.....

सुनार
"अरे सब अटे बजार रे वचे आई ग्या! खैर अबे आवे ई ग्या हा तो अटू हीज आपणी यात्रा चालू करा हा। कटे परा गया सब?..... अरे-साथिड़े! थां सब अटे उबा हो, पण थां अटे भेला वेयने कई देखी रिया हो? वा अबे, खबर पड़ी, थां ता अटे कांच री पेटियां में जमाड्या लगा सोना-चांदी रा गैणा देखी रिया हो। म्हूं ई तो देखुं! वेटियां, नेकलिस, चेन, पाजेब, कडल्या, बो'रा, कान री टोकरियां अर गाला, चुडो, नथ, कांटो, कातरियां, कन्दोरां अर अणारा रूपाला न्यारा-न्यारा डिजाण। अणा में केई तो सोना रा है अर केई चांदी रा अर नराई में तो हीरा, पन्ना, माणक, मोती जसा नगीना जड्या लगा है थां सब ये देखे रिया हो। या तो घणी हाऊं वात है, पण थां कई यो जाणो हो के ये रूपाला गैणा कतर वणे हैं? चालो, आपे सब अणी दकान रे माईने चाला अर राजेश जी जड़िया ऊं वात करा।"
"राम-राम राजेश जी, म्हाणे दकान में आवा ऊं थाणे काम में कई रोड़ो तो नीं अटकेला? असल में वात या ही के म्हारा ये नाना-नाना साथिड़ां थाणे काम धन्धा अर हुनर ने देखणा अर अणां गैणां रे बारां में जाणना चावे है।"
"थाणे सबारे आवा ऊं कसो रोडो! सब अणा काम ने देखे अर अमाने जाणे या तो घणी हाऊं वात है अर यो तो म्हारो काम है। अणारो अणा काम में मन अर लगन है तो ये हीखे ई सके है। मोटी वात अणा काम ने हिखवा में संतोख चावे। छोटा-मोटा राचाऊं बारिकी रे लारे काम करता थका धीरे-धीरे असा जेवर वणावा री कला अर काम हीखे सके है। म्हां ई म्हाणे बाप-दाद री हमझ, वणारों अनुभव अर हुश्यारी गणो लाभ उठायो अर अबे नत-हमेश अणीमें ऊं नवो-नवो हिखता थका काम करे रिया हा। नानके मोट्यारे हीखणो तो कटेई अर कदी खतम नीं व्है है यो तो जतरे जीवो वतरे  चालतो रेवे है बस आपानो हीखवा हारू हर वगत तद्यार रेणो चावे।"
"राजेश जी गैणा तो तरे-तरे रा व्है है अर हरेक जगां रो आपणो न्यारो गण व्है है। तो कई हरेक गैणा ने वणावा रो अेक अलग तरिकों अर कला व्है है? कई यो सब थांने ई करणो पड़े है?"
"नीं नीं असो नीं है। गैणां रो रूप, डिजाण ई घणा न्यारा-न्यारा व्है हैं। अणारे हिसाब ऊं अणान ेवणावां री न्यारी-न्यारी कला कारीगरी व्है है जितर छिलाई, डायकटिंग, एम्बोज, सिडिंग, मीनाकाम, कुन्दन वर्क, नगीना री सेटिंग, कैडलाई, सफाई, धोवाई अर पोलिश। अबे यो तै नीं के यो सब अेक जसो व्है। अणारे वातरे म्हाने सबां ने आपस में अेक- दूजा रे भरोसे रेणो पड़े है।"

"राजेश जी आपरे अटे ये छोटी-मोटी केई तरे री मशीनां म्हने नजरे आई री है। पेली तो ये सब अटे नीं ही?"

"हॉ, थां ठीक केई रिया हो, पेली सब काम हाथ ऊं अर अणा छोटा-मोटा राचाउं हीज करता हा। छोटा-छोटा सोनी आपणे गुणां रा नवा-न्यारा पन रा काम अर कलाकरम ऊं गराकां ने राजी राखता हा। अबे हाथां रा कामां ने हड़क देयने  करवा हारू हर कोई मशीनां ने वापरवा लागे ग्या है। अबे थां ई देशो, अबार मनख पुराणा अर पारम्परिक गैणा ऊं जादा तो नवा अर तरे-तरे री डिजाणां रा गैणा आसे करे हैं। अणी वाते मोटा-मोटा दकानां वाला घणा ऐटोटाईज अर छूट रा नवा-नवा तरीकां वताईने गराकां में अेक तरे  रो हवारथ अर दवेश रो भाव पनपावे अर वदावे है। जितर के 'भीमजी झवेरी' रा गैणा मोटा, हु्‌श्यारा, कला रा पारखी, पया वाला मनखा ने आसे आवे है। अल में वे रूप, तौल में अर डिजाण में खरा नीं उतरे है अर वणामें भेल ई घणी व्है ज्यूं वणाने देखा तो लागे के यो तो घणा में गा गैणा है अर अणारो मोल कम है। ये सब थोक में कारीगर मशीनां परे वणावे है।"
"तो कई राजेश भाई अबे पुराणां गैणा-गांटा ने कोई आसे नीं करे?"
"नीं असी वात तो नीं है पण अबार पुराणा अर पारम्परिक डिजाण ने बदलेन नवो-नवो रूप दो तो मनख आसे करे हैं। ठेठ पुराणां गैणा ने तो बारणे ऊं आवा वालां देशी-परदेशी मनख जरूर आसे करे हैं। अणी वातरे अबार सोना रो काम करवा वाला नराई जणा जादा लालच में पुराणां गैणा री नकल उतारने नवा गैणा ने ई पुराणों वतावे हो। जणिऊं वे वणाने मेंगो वेचेने नरोई नफो कमावे सके। अणा काम रे वदवा ऊं बंगाल, इन्दौर, कोटा रा कारीगर आपणे अटारा सोनियां रे अटे नोकरियां करे रिया है। अर आपमे अटारां सोनीयें आपणों कारोबार बम्बई में लगई दिदो है। होचवा री वात के पेली असी बेईमानियां अर भेलपणो अणा काम में कोईनीं हो।"
"तो कई राजेश जी थां ई कटेई बारणे जावा रो विसार तो नीं करे रिया हो?"
"तो कई राजेश जी थां कटेई बारणे जावा रो विसार तो नीं करे रिया हो?"
"नीं बुढ़िया जी, थां कसी वात किदी। आपणे अटे के है, "कम पेरणो अर कम खाणो पण उदेपुर छोड़ेन कटेई नीं जाणो।" म्हारो आपणी धरती ने छोड़वा हारू मन ई नीं करे। मोटी वात के म्हाणो काम अणी माटी ऊं जुड्यो लगो है। अणी धरती परे जन्म लिदो है तो अणारे वातरे अणी धरती, समाज अर देश रे हारू म्हाणी कई जमेवारी है। अर मोटी वात तो या के जदी म्हारे नाने भाईये ई अणा वकत अर वात ने हमझवा रो जो जोश वतायो हैं। वणी ने देखता खका तो म्हूं हपना में ई असो नीं विसारे सकूं। म्हने वश्वास है के अणारे सबां रे हामे यो बजार अर अणारो डेल गेलो घणा दन तक नीं टके सकेला। सबऊं मोटी वात के हरेक माटी रे गुणा लारे ई जमारो जीवा रा गुण भेला मल्या थका है। अणमें आपणों काम है के आपणा काम अर कला ऊं अणा गुणा-दोषां ने बा'णे काढ़णा अर अणिऊं आपणे माईला मन री कला कारिगरी अर गण निकले सके।"

"घणो हाऊ, राजेश जी थां घणी मोटी अर गेरी वातां वताई है जणा परे म्हाणे आपणी अकल दोड़ावणी जरूरी व्हैगी है। अर अण परे म्हा सब जणां उण्ड़ो वसार करता थका आपस में वातचित कराला। खैर, यो तो अेक गेलो विह्यो है अबे तो आपे सब आगे मलता ई रेवाला अर आपणी ह मझ ने वदावता रेवाला। अबे म्हां आगे चाला, थाने घणो घणो मुजरे अर राम-राम। चालो भाईडे,..... हुणे रिया हो! थां या अवाज.....।"
आपणी हमझ अरणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारु उदेपर में थां अणाऊं मले सको-
राजेश जी जड़िया, गणपतलाल जी सोनी, घनश्याम जी सोनी सराफा बाजार, घण्टाघर।

कसारा
"कई थां जाणो हो के या टक-ठक टक-ठक..... री अवाज कण्ड़ी है? चालो आपे सब वटे हीज जईने देखा। अरे अटे सब जगा तो पीतल रा ठामड़ा वणावा रो काम व्है रियो  है। वठी देखो, मोहनलालजी आपणा काम में कतरा रम्या लगा है। आवो आपे सब वणाऊं हीज वात करा। जै राम जी री मोहनलाल जी! थानै ये सब वणावता लगा देखेने अणा सबां ने अचम्बो व्है रियो हैं। थां कई म्हाने यो वतावोला के, थां कई-कई वणावो हो अर कितर वणावो?"
"अरे, अणमें अचम्बा री कई वात है! पेली तो मनख आपणे घर में, खेत में काम में आवा वाली सब जरूरी चीजां मनख आपणी हमज अर काम करता थका खद ई वणावता हा। सब जणा आपस में अेक दूजा रे लारे आपणे काम ने वाटता थका सख अर सन्तोख ऊं आपो जमारो गुजारता हा। पण अबे अणे दलाले अर मोटे-मोटे कारखाने मनखा रे जीवा रो तरीको अर अरथ हीज बदले दीदो है।"
"वो कितर? थां तो अतरा रूपाला तरे-तरे रा ठामड़ा वणई रिया हो। मनखा री चावना अर जरुत रे हिसाब ऊं थां वे जसा चावे वसा वणाने वणईने दे सको हो।"
"हां, ये तो म्हां वणई रिया हा पण ये सब दकानदारां रे वातरे वणई रिया है। ये पीतल रा घड़ां, चरू-चरवी, कलश, जलाधरी, कढ़ाई, देगची सब ठामड़ा वैपारी माणे पाऊं आपणी जरूत रे हिसाब ऊं वणड़ावे। अणमा पीतल अर ताम्बो वणारो हीज व्है, म्हाणे तो खाली मजूरी हीज मले। अबे तो अणा वैपारियां री मांग ई धीरे-धीरे कम वेती जाई री है।"
"असो क्यूं? ठामड़ा री जरूत तो सबा ने व्है है! थां वतावो साथिड़े, क्यूं वे है के नीं?"
"पण अबे मनखा री जरूतां कारखानां में वणवा वाला इस्टील अर गिलट रे ठामड़ां ऊं पूरी करे रिया है। जदी विजली ऊं चालवा वाला राचाऊं (गिजर) पाणी ऊनूं व्है है तो पछे तांबा अर पीतल रे ठामड़ां री कई जरूत है। अबार तो इस्टील, गिलट अर पलास्टिक री वालटियां, मटकियां अर देगचियां ई आईगी है।"

"पण असल में मनख आपणे शरीर परे वेवा वाला खराब असर ए नीं जाणे है। हां! इलाज अर दवाईयां परे रिपा जरूर खरचेला। आज ई जे मनख पीतल, ताम्बा रे ठामड़ा में हाणु-भाजी वणावे अर वणमें पाणी भरे। वे सब अणारा गण-दोष जाणे है, अर वे अणा ठामड़ा ने हीज वापरे है। सिरकारी नेम-कानून, करजो, झेलो ये सब तो मोटा कारखाना वाला ने वदावा हारू हिज है। जदी मनख अणा कारखाना वाला रे समामान रा हेवा व्है जावेला अर वणारे हामे कोई दूजो आसरो नीं रेवेला। पछे वे अणा सामान री कीमत ई कारखना वाला खद रे नफा अर मोटा नखा रे नफा रे खातर अर वणारे मन री मरजी ऊं हीज तै करेला। कयूं के म्हाणे जसा तीपल अर तांबा रा ठामठ़ा वणावा अर काम करवा वाला मनख अर जाणकार ई नीं रेवेला। म्हाणो हनर नीं रेवेला तो जो वे हाऊं-भुण्ड़ो देवेला वो हीज वणाने मन मारेन वापरणो पड़ेला। "
"मोहनलाल जी यो तो घणो डेल काम व्हैला अणा परे आपां सबा ने अबार ऊं हीज विसार अर वातचित तालू कर देणी चावे। अबे म्हारा ये नाना-नाना मोट्यार जानणा चावे हैं के थां ठामड़ा कितर वणावो हो?"
"आवो, म्हूं थाने हमझावूं के म्हां ठामड़ां कितर वणावा हा? सबऊं पेली तो तांबा अर पीतल जसा ठामड़ां वणावना है वसी वण्ड़ी चादर ने भट्टी में उनी करा। पछे अणिने लेवेन खोलना अर कोच परे न्हाका हा, पछे घण वावत जावा अर अमाने जसो रूप देणो है वसो देवा अर जठे जोड़ बेवाड़णो है वठे पीतल रो टाको लगावा। पछे खरवर ऊं मठार करता थका टीचा लगावा। जो थां अणा घड़ा पर गोल- गोल नेशाण देखी रिया हो, अणाने सब मनख टीचा ऊं जाणे है। ठामड़ां अर चादर ने साफ करवा हारू तेजाब अर आमली री जरूत पड़े हैं। टांका चलावा हारू म्हां मसाला अर सोड़ो काम में लेवा हा। पेली गराक म्हाणे ऊं मन्दरां अर देवरा रा कलश, जलाधारी ऊं लेयने राजा दरबारा रे चांदी रा ठामड़ां थाली-कटोरी वणड़ावता हा। वणा लारे म्हाणो घर-परवार ज्यूं हिदो रिश्तो हो। म्हा तो हाथियां री पाजेब, घोड़ां ने पेराव रा जेवर सब अटे हीज वणावता हा। "

"अबे जदी मोहनलालजी थाणे हामे नवी पिढ़ी रे नाने-नाने मोट्यारे अणी हाजी वातां ने जाणे लिदी है तो थाणे कसो लागे रियो है?"
"म्हने अणा परे पुरो वश्वास है। अबार वेवा वाली वातां अर जीवा रे तरीका परे जो सवाल अणा उठावलणा चालू किदा है। ये सब अणा री हुश्यारी अर अकल री नेशाणी है। वगत अर समाज ऊं टूटा लगा मनखां ने हाचो गेलो वतावा री अणाम अकल, हुश्यारी अर जोश है। कणई काम ने मूल ऊं हमझवा अर वदावा हारू असो ह ीज माहौल चावे  है।"
"मोहनलालजी म्हां सबाने आप ऊं घणो हिखवा ने मल्यो। अणा परे म्हां ओर विसार कराला, मन में वरेई घणा सवाल पैदा व्हेला वणा हारू आप रे पां पाछो आवणो हिज पड़ेला। अणाऊं हिखणो अर हमझणो तो अबे वेतो हिज रेवेला। अबे म्हां आगे जावा रो थाणे ऊं हाथ जोड़ेुकम चावा हा। अरे, साथिड़े अबे म्हारा पग अणा गेला अेड़ी जाई रिया है?
आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारु उदेपर में थां अणाऊं मले सको-
मोहनलाल परमानंद कसारा, नमीत ला जी कसारा, फतेह लाल जी कसारा, कसारों की ओल, जगदीश चौक।

हलवाई
"साथिड़े, कदी कसी अवाज आपा ने कटी भलावे है तो कदी कसी हुगंध! कई थां सबां ने ई आई री है या हुगंध..! वटी देखो हामे कई है? 'लाला मिष्ठान भण्डार' म्हने असो लागे है के जगदीश जी आपाने बुलाई रिया है! चालो, सब जणा वटे ह ीज चाला। राम-राम जगदीश जी थाणे अणि मिठाईयां री हुगंध तो घणा ठाबन्द आई री है। वात कई है?"
"राम-राम दादा भाई, म्हारे अटे मिठाईयां हमेस अर ताजा सामान ऊं वणे हे तो अणारी हुंगध तो आवेला हीज. ये कई दूजी जगां वणी लगी अर डाबा में बान्दयो लगो थोक बन्द माल थोड़ी ई है! जणा ने हाऊं अर ताजा राखवा हारू मशीनां में मेलणो पड़े अर बारेई मईना तक वेचे सके।"
"तो कई थाणे अटे ये मिठाईया बारई मईना नीं वणे?"
"वणे क्यूं नी! पण 'ऋत रे हिसाब ऊं' जतर उनाला मे लस्सी, रबड्ी, श्रीखण्ड, रसमलाई अर राबड़ी रा मालपुआ रोज ताजा वणे है, अर हियाला में मूंग री दाला रो हलवो, गाजर रो हलवो, उड़द री दाल रा लाडू, परबाते उनो-उनो दूध अर जलेवी, सूतर फीन्नी, घेवर यो सब वणे हैं। पछे तेवारां परे ई न्यारी-न्यारी मिठाईयां वणे है। थोड़ी घणी मिठाईया जितर बरफी, पेडा, बुन्दी रा लाडू अर गलाब जामुन तो आका साल भर वणे  हैं।"
"असो क्यूं? न्यारी-न्यारी ऋत मे न्यारी-न्यारी मिठाईयां?"
"ऋत रे हिसाब ऊं शरीर ने पूरी खुराक मलनी चावे। अणी सब मिठाईयां में काम आावा वालो सामान ऋतां ने ध्यान राखता थका वापरणो पड़े। जणिऊं के खावा वाला रे शरीर ने वणारो गण व्है सके अर वणारो शरीर हाऊं रेवे। यो सब काम पीढियां ऊं म्हाणे बाप-दादा अर दाने मनखे आपणे खद रे अुभर अर काम करता खका जाण्यो हैं। अबे म्हाणो यो फरज वणे है के म्हा आपणा गराकां रो ह र तरेऊं ख्याल राखा। हर काम अर हनर रो आपणो दरम अर ईणानदारी व्है है। मनखा रो म्हाणे परे वश्वास है क्यूं के म्हां ईमानदारी अर राम-धरम ऊं आपणी जमेवारी पूरी करे रिया हा। पाठली पांच पीढियां ऊं म्हा आपणा खानदानी काम-हुनर अर कला में हमेस कई नवो-जुनो करता थका आपणी हुश्यारी अर गण वदावता आई रिया हा। रामधरम अर ईमानदारी रे वेवार हीज म्हाणी हाख अर पेचाण वणाई राखी है। पण थोड़ाक बेईमान मनख अर पया वाला लोग जणी तरे अणा बजार ने वदावे रिया है अणा जाला परे आपां सबां ने विसार करणो अर अणाने हमझणो चावे।"
"जगदीश जी या तोघणी काम री वात है अणीने आकी वतावो जणिऊं म्हारे लारे रा नाना-नाना साथी ई अणा भरमजाल ने हमझे सके।"

"अबार री वगत में बजार में होड़ा-होड़ी रे वदवा ऊं सामान रा गण-दोष जमेवारी अर रामधरम ऊं जादा केई मोटा वैपारी आपरमो सामान वेचावा हारू एटोटाईज घणो करवा ढूका है। आपान भोलावा हारू ताजा अर हाऊं सामान रो भरम पैदा करे हैं अर अणारे वातरे खरचो ई घणो करणो पड़े है। जितर वाल्स, क्वालिटि, वाडिलाल, कैडबरिज, अमूल, बिट्रानिया, पार्ले जसी आईसकरीम, चौकलोट, कैक व मिठाईयां रा कारखाना एटोटाईज अर मेंगो परचार करेन आपणा सामान ने नाना टाबरां, मोट्यारां अर परवारा रे हामे हाऊं वतावे हैं अर सब मनखां ने भरम में राखे हैं। यो भरम वण्यो रेवे अणी हारू नवा-नाव उतमघड़ा अर धतंग पैदा करता खका वदावता रेवे है।"
"जगदीश जी असी तपतियां तो दूजा नरई कामां अर हुनरां रे हामे हैं। तो कई समाज री हले-मलेन काम करवा री रीत अर आदत थोड़ाक हावार्थी, लालची मनखा रे असा बेईमानी अर दगा रा तरीका री दास (गुलाम) व्है जावेला?"
"नीं बुढ़िया जी असो नीं व्है सके। मनख आपणी अकल अर हुश्यारी ऊं आवा वाला वगत रा माहौल अर वणाऊं वेवा वाला असर ने हमझे लेवे है। हरेक रा न्यारा-न्यारा पन, आपणी अकल अर अनुभव रे लारे विचार करेन सबां लारे हले-मलेन वातचित करे। असी वातां तो मसाज में घमो असर न्हाके है अर अणाऊं समाज में रेवा वाला री आपणी हमझ वणे है। आपाने अबार जो हुविधा अर विकास रे नाम परे जो जीमण परुस्यो जाई रियो है अणें फगत अन्याव, लूट, लालच, गुलाम वणावा री आस अर धरम ऊं ठेटी राखवा री वात हीज है। आपां सबां ने अणा जाला ने हमझेन खद ने अणाऊं छेटी राखणो चावे।"
"म्हा सबां ने थाणी हमझ अर वेवारिक गेरी नजर घणी आसे आई। म्हाणे वपातरे जरूरी व्है ग्यो है के म्हां सब अणी हंगली वातां परे उण्ड़ो विचार करा। अबे म्हा  सब जावा हा। राम-राम! जरूत पड़ती रेवेला अर आपे मलता रेवाला। साथिड़े आपणी यात्रा रा हरेक रे'मा (विश्राम) में आपाने अबार री खावोकड़ी, लालची, झूठी, हवार्थी, दगाबाज जमारो जीवा रा तरीका में जकड़ी लगी वेवस्था री कोर-कोर नजरे आई री है। आगे-आगे देखता रेवो व्है व्है कई?"

साथिड़े आपणी यात्रा खाली देखवा अर हुणवा हारू हीज नीं है। आपे हुणेन भूले जावा अर देखने आद राखा हा। पणो मोटी वात या है के जो देख्यो वो कतरो हमझ में आयो। आवो आपे सब सहेलियां री वाड़ी चाला पठे बैयने अणी वात परे ओर वातचित करला के जो आपे आज देख्यो अर हुण्यो वणाने आपे गेराई ऊं हमझवा रे वातरे आपे कई करे सका हा?
आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारू उदेपर में थां अणाऊं मले सको-
जगदीश जी हलवाई,परमाननंद पंचोली
लाला मिष्ठान भण्डार,राजन मिष्ठान एवं नमकीन भण्डार,
75, घण्टाघर।12, फतेहपुरा, बेदला रोड़।
अरे वा! थां सबे मलेन तो सवालां री वरखा करे दिदी। या घणी हाऊं वात है। आपणी या यात्रा दो रूप में व्है री है। अेक तो बारणे जो आपे जात-समाज रा हुनरमंद कलाकारां ऊं वात करता थका घूमे रिया हा। पण अेक यात्रा तो आपमे सबां रे मन में, विसारा में चाले री है। या मोटी अर काम री यात्रा है जठेऊं आपाने मले है विसार करवा री हमझ, भरम रा सवाल अर ईणानदारी री हमझ, असा केई नवा सवाल अर जोश, अटेऊं खले है आपणे आगे रा गेलां अर ये नवा-नवा सवाल अेक तरे री शरूआत है आपणी यात्रा रो मारग कद वणावा हारू। यो अणी वात रो ई इसारो है के अबार आपमणे हमे जो परूसी थकी 'वणी वणाई वेवस्था' मेले दिदी है वा आपे नीं चावा हा। क्यूं के आपाने लागे हैं के अणीउं आपणी हिखवा री कला, हमझ अर हिखवा रा मौका ने वदावा री जगा नीं मले। आपां खद अणाने अर आपणां  ने पेचाणे ई नीं सका। अबे यो अनुभव आपणे आवा वाला जमारा ने जीवा रे वातरे अेक नवीं ज्योत रो काम करेला।
थां जो सवाल ऊबा किदा है, वणा ने निवेड़वा रे वाते म्हूं थाने केई काम करवा री राय दू हूं। अण में कईक काम तो हूनरमंद समाज रा कलाकार, जात-समाज रा कारीगर, आपणा साथी, जाणकारां ने ठावा करणा। जणाऊं वात व्है वे दूजा मनखां ने वतावणी अर वणा परे वात करणी। अमा परे चितर वणाई ने, खेल के पड़ वणावेन, मुरत वणावेन कैणी केयने, गीत, कविता, अरथ अर पारसियां ने गावेन अर अणा ने छोटा-मोटा अखाबर में छपड़ावेन मनखा ने वताई सको। अणी रे केड़े थां थांणी खोज ने मू में राखेन नवा-नवा काम खद करता थका अर आपणे अड़े-भड़े रेवा वाला, मां-बाप, दादा-दादी अर आपणे साथिड़ा री मदद ले सको। मने लागे था अणी वात ने हमझे ग्या व्होला, अबे हांझ व्है गई है। आज तो थां अणी वातां परे होचज्यो। सम्पट राख ज्यो जो दन अर टेम आपे तै किदो है वणी दन आपे पाठा मलांगा।
खोज-खबर आपसी वातचित

  1. अबे थां सब थाणे हमझ रे हिसाब ऊं देखो के थाणे घर में कसा-कसा ठामड़ा है? अर वे थाणे शरीर ने कतरो फायदे करे है अर कतरो नकसाण?
  2. थाने कई हाऊं भावे? हलवाई रा पकवान के मोटी-मोटी दकाना में मलवा वाली डाबा में बन्द खावा-पिवा रो समान। अणे वणावा अर पाछी अवेरेन मेलवा में कणी तरे री दवा अर पाउड़र ने काम में लावे है। अर वणा पाउड़र अर दवाईयां रो आपणे शरीर परे कई असर पड़े है?
  3. अणी तरे थां अणी वातां ने हमझेन अणारो आपस में मेलझोल वदावे सको जितरः-

. गैणां अर रूपालोपन।
. नग अर गरे-दशा।
. गैणा-गाटा अर विवाह, लगन, तैवार।
. गैणा रे लारे घमड़, फैसण ऊंच-नीच री भावना रो मेल।

  1. आपणे अड़े-भड़े रा मोईल्ला वाला अर ओलक-पेछाण वलाऊं पतो करे सको के जणी काम ने वे करे रिया हैं कई वो वणारो खानदाीनी काम है?

. वणा काम में कई-कई बदलाव आयो हैं?
. कोई नीं करे रिया है तो वणाने आपणो खानदानी काम क्यूं छोड़णो पड्यो? वणाऊं कई फायदो अर कई नकसाण व्हियो?
. आवा वाली पिढी आपणे परवार रा खानदानी हुनर ऊं कतरो हेत राखे है? आवा वाला वगत में वणारां कई हपना है? वणारे वातरे वे कई हीखे रिया है?
खुद रे करवा रो काम

  1. थाने भावे ज्ये पकवान थां खुद वणावो अर वणां पकवान ने वणावा री कला म्हाने वतावजो ज्यो म्हाई वणीने वणावेन खाई सका।
  2. थां थाणे चावना रा गैणा-गाटा आपणे घर में काम नीं आवा वाली चीजां ऊं वणईने पेरे सको।
  3. अणा केड़े ओर कई काम है जे थां थाणे गांम, घर-बार, समाज अर मोईल्ला में करे सको।
  4. थाणे मन री वात, विसार अर अनुभव दूजा ने ई वतावो।

चर्मकार
"अरे थां सब आई ग्या। वा भई तां तो वगत री घणी कदर राखो हो। अबे खबर पड़ी, थां आपणा अनुभव, काम अर वातां वतावणा चावो जो थां अतरा दन तक समाज रा मनखां लारे किदी। सब घणा राजी-राजी अर जोस में नजरे आई रिया हो। मुण्ड़ा रे बदलाव रे लारे-लारे हाथां में जो समामान है वणी में ई म्हने बदलाव नजरे आई रियो है। पलास्टीक री पाणी री बोतल अर रोट्या भरवा रा टीपण री जगा तांबा अर पीतल रा टीपण-बोतल नजरे आई री है। अरे वा थां सब तो कई न कई हाथां में ई पेरे राख्यो है लागे है के थां अणा सबां ने वणावा में घणी मेणत किदी है। अणा टीपण में तो जरूर थाणे हाथ रा वणाया लगा पकवान हीज व्हैला। वणां सबां रो मझो तो आपे जरूर लेवांगा पण वो आसमां रो। अरे वो देखो अशोक जी तो आपाने बा'णे  आईने हेलो पाड़े रिया है......। "
"भाई अशोकजी थाणे अटा रो तो नकसो ह ीज बदले ग्यो है! अबे अटे मोजड़िया तो वणती नजरे ई नीं आई री है? अटे तो बूट, सेन्ड़ल अर चम्पल रो हीज काम वे असो लागे रियो है। असो क्यूं? म्हूं तो कई बिजो वचार करेन अणां सबां ने थांणे अटे लायो हूं।"
"टाबरे थां सब अटे आया यो तो घणो हाऊं किदो। म्हूं थानै हमझाऊंला के अटे यो बदलाव क्यूं व्हियो? अणा मोईल्ला में पेली उदेपुर अर अड़े-भड़े रा मनख मोजड़िया वणड़ावा हारू अर लेवा हारू आवता हा। अटे हरेक घर में नामी कारीगर हा। पण अबे बाटा, वुडलेण्ड, लिबरटी अर नाईकी जसा-मोटा कारखानां रा पगरखा पेरणा आज मनखा रे वातरे मोटकी वात व्है गयी है। पेली तो नाना-मोटा टाबर घर रा मोटा अर दाना मनखां रे लारे हले-मलेन काम करता थका अणा काम अर हुनर री बारीकियां, गण अर गराकां रे लारे वैवार वणावा री अर वणारो वश्वास वदावा री वातां हिखता हा। पण आज रा मोट्यांरां में अणा हुनर अर काम ने हीखवा री कम चावना है। कई मेणती अर नामी कारीगर, काम री बारीकियां ने जाणवा वाला म्हाणा भाई लोग तो कुवैत, दुबई जसा अरब देसा में परा ग्या है। पण अणारे वातरे वणाने आपणो परवार अर देस छोड़ेन जाणो पड्यो है। अबार तो घणा खरा परवार अबा री चावना रा पगरखा आगरा ऊं लाईने वेचणो चालू करे दिदो है। अबे ये सब घर मोटी-मोटी कांच री दकानां में बदले ग्या है अर घरे पगरखा वणावा रो काम हमेटेन खा्‌मी लाईने वेचवा रो काम शरू करे दिदो है।  "
"असो क्यूं? जदी गराक थाणेऊं वणारी चावना, नाप अर नवी डिजाण रा पगरखा, चम्पल, खा'ड़ा, मोजड़ियां अर बूड जसा चावे वे वणड़ावे सके है तो पछे ये वण्या वणाया बा'णे रा अेक जसा पगरखा क्यूं वके है?"

"क्यूं के गराकां में ई अबे अतरी सबर नीं री है के वे नाप देयने दस पन्द्रे दन वाट भाले सके। अबे तो वणाने वणी टेम माल चावे। थांई जाणओ के पगरखा वणावा हारू तो टेम लागे हीज है। अेक वात ओर है के आगरा रा पगरखा तो सस्ता घणा पड़े। क्यूं के वटे तो खालड़ो अर मजूरी दोई सस्ती है। वटे कई वैपारी तो थोड़ी घणी पूंजी लगईने आपणे खुद रा कारखाना लगाई दिदा है। वटे अेक हरिका पगरखा रा हजारों जोड़ा अेक लारे वणे अणें वणारी लागत अर मैणत ई कम बैठे। हरेक रे नाप अर नवा-नवा तरिका रा पगरखा वणेन आकाई देस में वके है।"
'" पण थां तो अबार खुद ई पगरखा वणई रिया हो?"
"म्हारे थोड़ा-घणा गराग है जो ये जाणे है के कारखाना रे पगरखा अर म्हारे पाऊं वणड़ाया लगा पगरखा में कई फरक है। गराकां री छोटी-मोटी चावना ई म्हाणे वातरे घणी काम री व्है। गराकां री खउशी रे वातरे म्हूं रामधरम ऊं काम करुं अर नवा-नवा तरीका, डिजाण अर कला खोजतो रेवूं हूं। जटा तक म्हूं आपणे काम ऊं पूरो राजी नीं वेऊं वटा तक म्हने आपणां काम ने अदूरो छोड़वा रो मन ह ीज नीं करे। अणा काम में आवा वाला राच, रंग, डोरो, खिल्लियां सबह हाऊं, नेमण अर भरोसा री व्है है। अणा सबा रे वातरे काम में मन लगावणो, आपणा अनुभव अर णआ काम री हरेक दशा में पारखी नजर राखणी जरूरी है।"
"देखो नाना साथिड़ां, अेक तो आपमे अटारा सब पया-कौड़ी दूजा देस में बैठा लगा मोटा-मोटा कारखाना वाला रे खल्या में जाई रिया है जे आपणे ऊं घणा छेटी बैठा लगा है। दूजी आपणे अटारी जो पूराणी कला-कारीगरी अर खासियत ही वां सब खतम व्है री है। जे मनख अर मोट्यार अबार अणी कला-कारीगरी ने जाणे वे सब तो ठाला व्है रिया है, णा रे पां काम कोईनी है। अबे वे सब ई आपणे देस छोड़ेन बा'णे जाई रिया है। अबे आपणी चावना री अर जरूत री जगा जो कारखाना में ऊं जो पगरगां आई रिया है वणामें ऊं आपे आपणी हबलई चावना मानेन पेरे रिया हा। सबऊं मोटी वात अणीऊं आपणे आपस रो वेवार, लेण-देण, कण-कायदो अर अएक दूजा रे काम री कदर खतम व्है री है। होचवा री वात तो या है के अबार री वगत में 'अणी सब वाताऊं मोटो घन है या वात' होड़ा-होड़ी में घणी वदे री है।"
"अशोक जी थाणी हमझ तो वाकीर में म्हाने अेक नवो जोस दे री है। अबे थां वतावो के आज रा असा टेम में आपणा माईला वश्वास ने कतर बांधने राखे सका हा ।"
'"अणमें म्हारो विसार है के आपे सब आपणे जमारो जीवा ही जा धारणा है वणीने बदलेन अर आपस में अेक दूजा रो हात अर भड़ो देवा री कोसीस करालां तो आपणे अटा रा रिपा-पया ने आपणे ऊं घणा छेटी बैठा लगा मोटा-मोटा सेठा रे खल्यां में जावा ऊं रोके सका हां। आपणे अटा री कला-कारीगरी री कदर करा अर वणाने हीखवा री कोशिस करा तो आपे अमारो पुरो फायदो ले सका। अबार आपणे अटे जे हुनरमंद कारीगर है वणाने वाणला देसा में जावा ऊं रोके सका। आपणे अटे मोट्यारां में कणाई काम रे वाते जो हरम है वणी ने मेटेन ठालागिरि कम करे सका। सबऊं खास वात तो या है के आपे आपणां आपसी लेण-देण, वश्वास, अेक दूजा री कदर अर आपे-धापे वाली भावना ने वदावे सका।"

"हाची में अशोक जी म्हां हंगला चावा हा के आपणो समाज अर हरेक मनख अणी हाऊं गेला परे आगे जावे। मनख आपणे जीवा रे तरीका अर वणारी होच परे पाछो विचार करे अण्ड़े वातरे हीज तो म्हा सब अणी यात्रा परे निकल्या  हा। अबार तो म्हां सब आगे जावा अर आगे ई म्हां आपणां दूजा साथिड़ां, मोट्यारां अर टाबरां ने आपरे पां लावता रेवालां अर थानै मलवा आवता रेवाला"
आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारू उदेपर में थां अणाऊं मले सको-
अशोक जी चुंडावत कुन्दन शू-स्टोर, मोची वाड़ा।

खेरादी

"साथिड़े, आपणे नख जमारां रे माईने आपां लाकड़ी ने हरेक जगा वापरा हा। घरां में नाना भाया रे वाते हिन्दो, वेलण-चरगाटो, टेबूल-कूरसी, अलमारी, सोपासेट, कमाड़, तसबीरां, भमरां, फरकणी, गरबा रमवा रा डंट्या, खेतां रे माईने हल, मे'ड़ो, रेट री ददेल रा रूप में आपा लाकड़ी ने वापरता थका रोज रा काम में लेवा हा। अर तो अर छोटा-छोटा टाबर तीन पाट्या री गाड़ी ऊं चालणो ई हीखे है, हैक नीं! वठी देखो वो हामे '"कौशल्या हैण्डीक्राफ्ट"नाम री दकान है, वठे शंकरलाल जी खैराद परे लाकड़ी ऊं कसा-कसा रमच्या वणाई रिया है। चालो, वठे हीज चाला अर देखा तो खरी के वे कई करे रिया है।"
"राम-राम शंकरलाल जी, अणा रूपाला रमच्या ने वणावा री कारीगरी रे वाते म्हाने ई कई वतावो?"
"नाना भायां, यो जो थां धरती रे बरोबर ऊं अेक फूटं ऊंची लाकड़ी अर यो लोड़ा रो जो खूंटो देखे रिया हो अणाने खैराद केवे है। अणी लोड़ा रा खूटा रे वचे थोड़ीक जगां खाली है। अणा रे वचे जणी लाकड़ी ऊं जो रमच्यो अर के कई दूजी चीज वणावणी है वणआने अणीमें कसे देव। अेक लाम्बी लाकड़ी जणा रे दोई मुण्ड़ा परे डोरी बांधी थकी व्है है। वणी डोरी ने अणा खैराद परे कातरियां रे गलाई गोल-मोल परेई देवे है। पछे वणाऊं अणा खैराद ने घुमावे है वणा लारे-लारे वा लाकड़ी ई भमवा लागे। पछे जो रमच्यो वणावणो है वो वणाई देवा, योहीज है अण्डो हेल तरिको। अणामें आपणी हमझ अर अकल ऊं काम करता थका म्हां हमेस नवो-नवो करता रेवा हां।"
"थांने नवा-नवा काम अर आपणी कला ने वदावा री हिख कटू मले?"
"म्हाने ये हंगला काम करवा री हिख आपणे हियाऊं, अड़े-भड़े रा समाज, अणी धरती माता ऊं, अणी परे रेवा वाला जीव-जनावरां अर रूकड़ां ऊं मले हैं। समाज आपणो है तो समाज रा टाबर ई हंगला आपणा हीज है। म्हाणी अणा टाबरां रे वातर कई जमेवारी हा। म्हां अणारे वातरे असा-असा रमच्या वणावा हा जो वणाने हले-मलेन काम करवा री हिख हिखावे अर धरती ऊं जुड़वा री भावना में वदापो करे सके। भगवान री अणी अमोलक अर रूपाली माया रा नेम ने पेचाणेन वे आपणी हमझ वदाई सके। छोटोक छोरो जदी हेंड़वा लागे तो वणारे आसरा रे वातरे तीन पाट्या वाली गाज़ी म्हां वण्ड़े हारू वणावा हा। चकरी, भंमरा, फरकणी ये सब रमच्या हैं जे टाबरा ने चालवा-फरवा, आपणो बोझ ढ़ाबवा, आपो आप ऊबो रेवा री हिख देता थका अणा रे वातरे हमझ पैदा करे हैं। लाकड़ी री वणी थकी फलां री टोपली अर बीजा घर में  काम आवा वाला रमच्या ऊं जदी भेला वेयने रमे है तो वणामें आपणी खुद री, परवार री अर समाज रे वातरे ई हमझ वदे है। "

"थाणो काम तो घणो कला वालो अर घणो चतराई वालो है, थानै तो थाणा का ऊं फुरसत ई नीं मलती वेलां?"
"नीं, असी वात नीं है! अबे पेली जसो नीं रियो है! अणा काम में ई कई तपतियां आईगी है। मोटा-मोटा कारखाना, अबार री वकाऊं परम्परा, होड़ा-होड़ी, राज वाला री आड़ी टांग, अणाऊं म्हाणे धन्धो पूरो खतम वेई रियो हैं।"
"शंकरबा थां जो वात के रिया हो वणी वात ने वश्वास अर निशंका ऊं वतावोला तो म्हारां साथिड़ां ने या हाऊं हमझ में आवेला?"
"अबार कचकड़ा, पलास्टीक अर रबडं रा रमच्यां मशीनां ऊं वणे है। अणारा मोटा-मोटा कारखाना है। सैल, मोटर ऊं चालवा वाला रम्यां, विजली रा करटं ऊं चलवा वाला रमच्यां, छोरा-छाबरा अणाऊं कई नीं हीखे। खाली अेकला अणाने अचम्बा ऊं देखता रेवे अर राजी वेवे है। वणाने यो पतो नीं है के ये करटं ऊं चालवा वाला रमच्या कतर काम करे हैं। पछे वसी हीज वणारी होज अक अकल परी वणे है। वणारी हमझ अर अकल रो वदापो नीं व्है सके है। अणामें नीं तो आपणे अटारां खास गण व्है अर न ई आपणे समाज, वातावरण अर अटारी रेण-सेण ने हमझवा री हिख मले है। हर जगा रा न्यारा-न्यारा गण अर अणूतो पण व्है है। थां म्हने वतावो कसी असी कम्पणी है जो कणी खास जगां रे गण-दोष ने ध्यान में राखेन रमच्यां वणावे है?"
"हां अबार थां राज री आड़ीं टांग रे वातरे कई वताई रिया हा?"
"अबे म्हूं कई वताऊं अबार तो म्हाणा काम रे वातरे लाकड़ियां लावणी ई मश्कल व्है गई है। लाकड़ी लावो तो जाणे घणो मोटो जुलम करे रिया हा। पेली ई म्हां धरती रे लारे अेक आपणो माप वणावेन चालता हा अर आज ई चाला हा।  हूखा रूकड़ा री लाकड़ी म्हाणे काम में आवे है जणिउं धरती अर जीव-जनावरां ने कई नकसाण नीं वेवे है। पण अटी तो राज रा कायदा-कानून ई असा है के राज रा नख, मोटा-मोटा कारखाना वाला वणा रा धन्धा ने वदावा हारू अर सेरा में धन्धा वदावा रे नाम परे आक्खा जंगल रा जंगल काटे देवे है पण म्हाने लाकड़ी कोईनीं मले है। उपरेऊं म्हाणे यो ओलीम्बो मले है के म्हां खेरादी लोग आक्खा जंगलां ने वाढ़े रिया हा, घणी-मोटी तपती हमे आई लगी है। अर केई तरे रा भें परा उपजीयां हैं। म्हाणा टाबर अर मोट्यार ई अबे अणी होड़ा-होड़ी रा विकास अर आपो आप ने पया वालो केवा रे नाम परे आपणा आवा वाला  वगत रा हपनां तो परा देखे है। पण या आज री भणाई- लिखाई (ईस्कूली शिक्षा), होड़ा-होड़ी रो विसार, फोगट में हेल तरिकाऊं बैठा- बैठा खावा रो दिमाग वणाने ठालागिरि (वना काम) रे सवा वणाने अर कई नीं देवे। नीं तो वे आपणा खानदानी काम-धंधा री कला े हमझे सके है अर नीं दूजा काम-धन्धा करवा जसो वणई सके है।"
"तो कईं थां आपणा काम ने करवा रे वातरे आवा वाली वगत ने देखता खका दःखी तो नीं वेई रिया हो?"
"नीं दखी तो नीं हूं पणो होच जरूर करुं हूं। थाणे लारे आवा वाला नाना टाबरां ऊं मलेन मन में घो हरख अर राजी वेई रियो हूं। आपणा टाबरां रे माईने पारम्परिक हुनर, ग्यांन अर हमझ ने लेयने जो जोस हैं वणी रे वातरे आपां सबा रो फरज वणे हैं के आपां हंगला वणाने वणा री खानादानी जीवा री कला ऊं जोड़ सका। ये हीज टाबर आपणी अकल अर हुश्यारी ने पेछाणेन आपणा-आपणा काम ने जमेवारी ऊं हमझता थका परेम अर हले-मलेन रेवा वालो अेक हमझणो अर सखी समाज वणावेला। आपणो अर आपणे जात-समाज रे लारे आणंद अर सन्तोख ऊं हले-मलेन रेवा वाला कामां ने पाछा वदावेला।"
आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारू उदेपर में थां अणाउं मले सको-
शंकर लाल जी कुमावतउदयलाल जी कुमावत
कौशल्या हैण्ड़ीक्राफ्ट, खेरादी वाड़ा।खेरादी वाड़ा।

कुम्हार
"थां देखे रिया हो साथिड़े! देखो ये कुम्हारबा अणी भन्ना-भोट भमता लगा चाक रे वचमें आलो गारो मेलेन कतरा हड़क देयने नारा-न्यारा ठामड़ा उतारे रिया है। आवो, आपे सब वणारे भड़े जाईने यो सब देखा।"
"राम-राम रूपाबा म्हां सब थाणां अणी खानदाीन अर पारम्परिक कला वाला हुनर रे बारां में घणी हारी वातां जाणनी चावा हा।"
"पदारो, सब वराजो, या तो घणी हाऊं वात है। देखो, यो नरोई काला गारा रो ज्यो ढंगलो हैं अणाने पेली पाणी नाकेन पगाऊं हाऊं आटो गूंदा ज्यूं हाऊं गूंदा। पछे अणा टेणका रा चाक ने वासड़ा रे चिण्काऊं भन्ना-भोट घुमावेन छोड़े दा। पछे अणी चाक उपरे गूंद्यो लगो छोटोक गारा रे पिण्ड़ो मेली दा अर पछे वणाएं आपणे हाथाऊं जो ठामड़ो वणावणो है वणारो जसो रूप देणो व्है वसो रूप देवा। अणाऊं म्हैं नाना-मोटा मटका-मटकी, छा फेरवा री गोली, तुत्यां, कुंजां, दीवाणियां, गल्लां सब वणावा। पछे अणाने रूपाला करवा हारू अणाने गेरूं रे रंग ऊं रंगेन अणा उपरे चितर माण्ड़ा अर अणाने तावड़का में हूखवा हारू मेले दा। ये हुके जावे जटा केड़े अणा सबा ने अवाड़ा में जमाड़ेन अेक लारे पकावां। पाक्या केड़े ये नेमण व्है जावे अर माण्ड़णा ऊं घणा पूपाला लागे।"
"वा रूपाबा वा, थां यो हंगलो काम तो घणी मेणत ऊं हिख्यो व्हैला, कई थां यो सब काम अेकला हीज करो?"
"अरे भई यो काम म्हूं अेकलो नीं करूं। म्हारे परवार रा सब जणा ये गारा रा ठामड़ा वणावणो जाणे है। म्हां यो सब काम हले-मलेन करा  हा। काम करता थका घणी नवी-नवी वीतां हीखा। अबे तो यो म्हाणे रोज रो काम व्है गय् ोहै। मोटी वात या है के जतदरो काम करो वतरो थाने हीखवा मलेला। म्हारे लारे योहिज व्हियो म्हूं काम करतो रियो अणा ने हमझतो रियो अर  हिखतो रियो। अबे घर रा काम में तो मेणत रो पतो हीज नीं पड़े। आपणा काम में मन रेवे तो हमेश कई नवो-नवो वणावा री मंसा ई वणी रेवे। सबऊं मोटी वात अणाने करता करता म्हाने घणो सन्तोख अर धीजो मले। म्हाणो यो कुम्हारी काम कणी मशिनां, मोटरां, कंरट जसा साधना रे नमुई भरोसे नीं है। गारा रा ठामड़ा तो वापर्या केडे टूटेन-फूटेन पाछा धूला में बदले जावे। म्हाणी हमझ अर हाथां री मेणत वणा गारा ने पाछो नवा-नवा ठामड़ा में बदले दे।"
"देखो साथिड़े, अेक हुनर में कतरी चतराई ऊं सब काम व्हैता थका अर ठामड़ा वणावता थकां आपणी हमझ ई वदे री है अर घर री जमेवारी ई पूरी व्है री है।"
"हा, पण अबे अणा सब धन्धा रो अतरो असर कोईनीं रियो है। म्हाने चावे थोड़ो धमो पाणी अर ठमड़ा पकावा हारू थोड़ा-घणा टेणका। अबे तो असो जमानो आयो है के यो कालो गारो, पाणी, अर टेणका ई मलणा मश्कल व्है गया है।  बजार में मले है पण घणा मेंगा। रिया-गिया मनख ई अबे गारा रा ठामड़ा घणा कम वापरे हैं।"

'"अरे-अरे, असो क्यूं भई? अणी धरती परे तो गारा, पाणी अर टिणकां री कई तंगी थोड़ी है? अबे साथिड़े, थांई वतावे कई थाणे गारा रा ठामड़ा वापरे कई? क्यूं नराई मनख अणाने आसे नीं करे? अबे रूपलालजी थां ई वतावो के हाची वात कई है?"
"देखो, आज गारा रे मटकां री जगा फरीज, पाणी छाणवा री मशीन अर कूलर लेई लीदी है, अबे तो पलास्टिक रा गलास अर कप आई ग्या है तो पछे अणा कुल्लड़ अर तुत्या ने कूण पूछे। कुंजा अर छोटी मटकियां री जगा थरमस अर वाटर बैग ले लिदी। अबे तो होली-दिवाली परे ई मनख दिवा कोईनीं लगावे, हूदा सब जणां बजार जावे अर वटू मेणबतियां लावेन लगाड़े देवे। वणाने दीवां लगाड़ना फालतू लागे क्यूं दीवा में तो तेल नाकणो पड़े अर रूई री वाटी वणावणी पड़े यो सब कुण करें। असी आज रे नखा री होछ व्हैगी है। आज सेर रो जो वदेपो वेई रियो है अणाऊं गारो, पाणी अर टेणका मलना मश्कल व्है गया है। अबे ये मेंगा-हेंगा ई मले जावे तो अणाने लावा रो भाड़ो घणो मुंगो पड़े। अबे लागत वदेला तो म्हाणे ठामड़ा रो मोल ई वदेला। आज री मेंगारत तो म्हाणे खरचो ई घणो वदई दिदो है। बुढ़िया जी अबे थांई वतावो के आज रेण-सेण  रा जो तरीका आई ग्या है सब कम मेणत ऊं जादा सख चावे यो विसार अर दिमाग तो थोड़ा घणा मनख ज्ये घमड़िला अर अेकलखर्या है वणा रे दिमाग री उपज है। जो अणी धरती ऊं अपणे आप ने ऊंचो, न्यारो अर हुश्यार माने हैं अर आज रा अणा विकास ऊं लेईने आकी वैवस्था में अेक-दूजा ने लूटवा री हीज सीख है अर अणाऊं हीज या चाले री है।"
"म्हां सब थाणे विसारा री कदर करा हा। अणी लारे म्हाने यो वश्वास है के मनख अणी मौत रा मुण्ड़ा रे माईने ले जावा वाला विसारां ने हमझेला अर आपणे जीवा रे तरीका परे ई होचेला। म्हाने अणी गुण अर वातां ह ीज तो अणी यात्रा परे चालवा जीवा रे तरीका परे ई होचेला। म्हाने अणी गुण अर वातां हीज तो अणी यात्रा परे चालवा हारू मदद किदी है। मटका रो पाणी तरस ने मेटे अर फरीज रो पाणी तरस ने मेटे अर फरीज रो पाणी तो तरस ने वदावे या तो हाजी वात है। हमझ री या अणूती वात आपाने अणी धरती अर अणी रा गुणा ऊं पाछी जोड़ेला। जतरा आपे अणी धरती रे लारे जुड्या लगा रेवाला वतरी आपणे खद री हमझ वदेला क्यूं के आपे अणिउं न्यारा नीं हा। जतरा आपे हाची चीजां ने हमझाला वतार अणी धरती रे भड़े आवाला। अबे रूपाबां म्हाणो अटाऊं जावा रो मन तो नीं करे रियो है पण तोई दूजो अर काम हैं जणीयू जाणो तो पड़ेला। ज्यो विसार करेन अणी यात्रा री गाड़ी ने चालू किदी है वणी में अणा हुनरमंद समाज रा हुनरां ने हमझतां थका अणी यात्रा ने तो आगे ले जाणी पड़ेला।"

आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारू उदेपर में थां अणाऊं मले सको-
रूपलाल जी भगवान जी प्रजापतीदेवीलाल जी प्रजापत
दाता भेरू, कुम्हार वाड़ा,बेदला तलाई,
मकान नम्बर 51, पीपली के नीचेदूध की डेयरी के पास,
गोगुन्दा हाऊस के सामनेलखावली रोड़, बेदला।
अबे आपे सब सुखाड़िया सर्कल जावा है। वठे आज जो आपे देख्यो अर हुण्यो वणाने हमझवा हारु आपे कई काम करे सका हा।
साथिड़े थाणे मन में उपज्वा वाला सवालां रा जबाव तो थाने खुद ने हिज ठावा करणा पड़ेला। आपा अटा पेली ज्यो देख्यो हूण्यो वणाने गेराई ऊं हमझवा हारू घणी मेणत किदी। अर खुद आपे आगे वेयने ये काम किदा तो आपाने घणा सवाला रा जबाव ई मल्या अर नवा-नवा सवाल वरेई हिया में उपज्या। अबे अणा नवा सवालां रा जबाव नवा-नवा कामां करता खका खोजणा व्हैला। अणी तरे पाछो अेक हिखवा रो काम नवा तरिकाऊं चालू वेवेला। अणी वेलां ई थोड़ोक काम म्हूं थाणे वातरे छोड़े रियो हूं अर थोड़ोक काम थां थाणे मन में खुद होचने करे सको।
खोज-खबर अर आपसी वातचित

  1. बाटा, लिबर्टी, वुडलेण्ड जसा मोटा कारखाना री दकानां में जाईने थां यो पतो करे सको हो केः-

- वे पगरखा, चम्पल अर बूट कितर वणावे हैं?
- वणा पगरखां ने कुण अर कटे वणावे है?
- अेक जोड़ी पगरखो, बूट, चम्पल वणावां में कतरो खरचो आवे है अर वो कतरा में वके हैं?

  1. आपणी जंगलात ने उजाड़वा रे पाछे कणा मनखां रो हाथ है? अर कणा मनखां ने अर कणी जात-समाज ने अणी रे पाछे फोगट रो नकसाण झेलणो पड़े रियो है।
  2. कचकड़ा अर मोटर ऊं चालवा वाला रमच्यां आपणा दिमाग, आदत अर सरीर परे कणी तरे रो असर न्हाके है।
  3. आपणे घरवाला अर आड़ोसी-पाड़ोसी ऊं पतो करे सको

- वणारो रेण-सेण अणी धरती ऊं कतरो जुड्यो लगो है?
- धरती ऊं तालमे मलावा में कटे-कटे अटकाव है?

  1. थाणे घर में अर रोज वापरवा में असी कसी-कसी चीजां है जणारे मौल रा रिपा नफा रे रूप में आपणे देस ऊं बाणला देसां में जावे है?
  2. आपणे घर-परवार अर पाड़ोस में पाछला आठ-दस वरा में असो कई बदलाव आयो है जण्डो पतो करो। वणा बदलाव ऊं आपणा कसा-कसा देसी काम खतक व्हिया है अर अबार आपे बणारी ठौड़ कसी-कसी बारलो सामान अर चीजां वापरवा लागा हा।

खुद रे करवा रो काम

  1. आपणे गाम अर मोईल्ला में रेवा वाला कुम्हार ऊं था गारा रा रमच्यां अर ठामड़ा वणावणो हिखता थका नवा-नवा काम करे सको।
  2. थां थाणे चावना रा पगरखां, चम्पल अर बूट री डिजाण वणई सको।
  3. धरती परे निपजवा वाला रूकडा, पा'ना, गेरूं अणी तरे रा नरई रूकड़ा रे पा'ना अर फूला ऊं नवा नवा रगं कतर वणावे वणीरा तरीका रो पतो लगावता थकां वणीने थां खुद वणई सको।

दरजी
"अरे नानके मोट्यांरे यो म्हूं कई देखे रियो हूं। मन मे विसार हो के म्हूं थाणे ऊं मलू यो होचेन तो म्हूं हड़क देयने आयो। पण थां तो अटे पेली त्यार हो अरे वा थाणे पगा में नवा-नवा पगरखा देखई रिया है पणे ये कई देसी है? अरे हां थां सब थाणे हाथां ऊं डिजाण अर वणाया लगा रमच्यां लावोला। म्हने असो लागे थां वे सब लाया व्होला? अणी यात्रा रो फरक तो म्हने थाणे रेण-सेण में नजरे आवा लागे ग्यो है चालो अबे आगे चाला अर अणी यात्रा रा नवा अनुभव ने जाणा।"
"देखो, नवा, रूपाला अर अबार चालवा वाली फैसण रा गाबा पेरणा सबां ने हाऊं लागे है। पण आपाने जो फैसण हाऊं लागे हेै वे आपणे वातरे कतरा काम री है, वणाने आसे करवा रे पाछे आपणी मंसा कई है? ये नवी-नवी फैसण अर डिजाण कुण वणावे है अर वे कतर आपाने हाऊं लागवा लागे जावै है? कई अणी वातां परे कदी थां विसार किदो है? आवो! अणी वात परे आपे कन्याबाई री दकान परे चाला अर वणारी राय जाणा। वठी देखो कन्याबाई आपणे हिवा री दकान परे कई खास तरे रा गाबा हिवा में लागा लगा है, ज्यो नरोई न्यारो लागे रियो है। चालो, वणाऊं मलेला।"
"कन्याबाई जी अणे सबे केई तरे री छोटी-मोटी दकानां देखी है जटे केई कारीगर आपणो न्यारो-न्यारो काम करे है। पणे थाणे अटे जो हिवा री कला थां करे रिया हो वा वणा सबाऊं न्यारी लागे री है असो क्यूं?"
"जणी दकानां री थां वातां करे रिया हो। वटा रो काम अबार री वगत अर जीवा रा तरीका ने देखता थका व्है है। वटा री वैवस्था, होच-विसार, साधन अर खबर सब नवा मनखा री चावना, फैशण अर नवी-नवी डिजाण परे टकी थकी व्है है, पण अटे तो अस्यो नीं है। म्हूं तो आपणे अटारो जो पारम्परिक पेरावो अर रेण-सेण है वो ईज हिवेन त्यार करू हूं जितर कुरती, पोलको, काचली, अम्ब्रेला कट घाघरो, सीनाबन्दी, लेंगा, जम्पर घाघरी, पेटीकोट अर अमारी न्यारी-न्यारी डिजाण।"
"पण आज-काल तो हर जगा सब अेक जसो ही आसे करे रिया है असो क्यूं?"
"आज थां जस्यो रेण-सेण, खाण-पाण अर पेरावो काम में लावे रिया हा। वो आपणे अटारा समाज री वैवस्था अर अटारी ऋत रे लारे कतरो मे खावे है? नीं मेल खावे तो पछे अणा ने पेरवा री जरूत क्यूं है? अणाऊं आपाने कई नकसाण व्है रियो है? अणी सब वातां परे सबा ने गेराई ऊं होचणो अर हमझणो चावे। अबार ई केई असा समाज हैं जठे आदमी अर लुगायां में अणा पैराव अर गाबां ने लेयने घणो लगाव अर वणारी कला री हमझ है। आपणे अटारा गण, परम्परा अर जीवा रां तरिका परे घणो वश्वास है है।"
"बाईजी, थांणी अणी गेरी वातां अर हमझ रो लाभ म्हां सबा ने मले, अणी सब वातां ने थोड़ी गेराई ऊं हमझावो।"

"बेटे, या तो घणी हूदी अर हेल वात है। अेक आपे-धापे अर सुखी जात-समाज में आपणे जगा रे मूल, धरती रा वातावरण अर गणां-दोषां री गेरी हमझ व्है है। थां हमझे लो के आपणए अटा री खासियत आपणे आपे-धापे रा समाज रे वाते देई रा वायरा रो काम करे हैं। थां या कैवत तो जरूर हामली वेला के 'जसो देस, वसो भेस' केवा रो अरथ यो है के आपणे अटा री ऋत, काम-धंधा, घर रा नाना-मोटा काम अर समाज री वैवस्था आपे-धापे जीवा रे मूल में ये सब है। आपणो रेण-सेण, पेरावो ई अणा हंगला रो अेक भाग है।"
" हाची वात हैं साथिड़े, कटेई आपे आपणे बाप-दादा रे ग्यांन, अकल, हमझ अर काल-कारीगरी री वात ने हमझ्या वना अणी उधार री वकाऊं आदत वाला जाला में उलझता तो नीं जाई रिया हा? अगर असो है तो आपाने कन्यादेवी जी री हमझ अर अनुभव ऊं अकल लेणी चावे। अणी यात्रा में हुनर अर काम री जीवा रे तरीका रे लारे गेरा रिश्ता री जो हमझ म्हारा नाना मोट्यारां में पनपे री है। या हमझ म्हाणे रेय-रेयने पाछा थाणे पां आावा हारू मौको देला। अणीऊं म्हने लागे के आपणो आपस में जात-समाज रे लारे रिस्तो अर परेम रा जे दवार खले रिया है। अणाने आपे यूं हीज वदावतां रेवाला तो आपे घणां हारा ग्यांन ने ठावो करे सकाला अर हमझे सकाला। अबे अणाने ओर वदावां हारू म्हां अबार तो आगे जावा हा। पण पाछा आवता रेवाला अर नवीं-नवीं अेक-दूजाऊं वातां हिखता रेवाला। "
आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारू उदेपर में थां अणाऊं मले सको-
कन्यादेवी जी, सन्तोषी माँं राजपूताना सिलाई सेन्टर, खेरादी वाड़ा।

छीपा
"थां हंगला देखे रिया हो अटे केयी तरे री परम्परां री चीजां ने अणां जाजमा, पछेवड़ा अर चादरा परे माण्ड़े राखी है। अणी जाजमां परे तो माण्डणा, फूल, रूकड़ा अर हाथी-घोड़ा जसा धणा जीव-जनावर माण्ड़े राख्या है। सब चादरां, पछेवड़ा अर जाजमां न्यारा-न्यारा रंग अर कलाकारी ऊं भरी लगी है। असो लागे हैं के कणी मशीन में अणा गाबा परे यो छपाई रो काम किदो लगो है। पण अटे तो असी कसी मशीन नजरे नीं आई री है, क्यूं रफीक भाई कई गरबड़ है?"
"म्हारा नाना टाबरां, अणमें गरबड़ जसो कई नीं है। यो चादरां अर जाजमां परे जो छाप्यो थको है ओ हंगलो काम म्हां म्हाणे हाथाऊं किदो है। वठी देखो! म्हारी माताजी वठे असा जाजम परे कई छापवा रो काम करे री है। चालो, म्हूं थाने देखावू के या छपाई कतर व्है है।"
'"अरे वा! यो तो म्हाणे वातरे घणो हाऊं मौको है। अबार म्हां अणा काम ने थोड़ो घणो हीखे लिदो तो पछे म्हां खद ई गाबां परे असी कलाकारी करे सका हा। चालो, चाला।"
"देखों, म्हारी अम्मा रे हाथां में अेक छापो है। टिणका रा छापा उपरे कलाकारी अर माण्ड़णा खोद्या लगा है। अम्मा अणीने रंग में भिजोवेन हामे मेली लगी जाजम परे छापे री है। अणी केड़े अणी छापाने कोरे मेलेन पछे दूजी छापां अर दूजो रंग लेयने पछे परेई छापा लागवेला। अणी तरे जणी तरे री छापां अणी जाजम परे छापणी है वे छप्या केड़े या अेक रूपाली, रंगी-बिरंगी जाजम वणे जावेला।"
"अरे वा, यो तो घणो हेल काम है। रफ़ीक भाई तो ये छापां थां वणावता व्होला?"
"नीं-नीं, म्हां नीं वणावा। पेली अटारा हीज कुम्हार असी छापां गाराऊं वणावता पण अबे ये लाकड़ी री छापां म्हा जैपर ऊं लावा हा।"
'"अर ये रंग जो थां वपारो हो ये कसा है?"

"अबे तो मनखा रा उपजाया वण्या-वणाया रंग  बजार में मले है तो म्हां वणाने वापरा हां। पण म्हाणां बाप-दादा जणां म्हाणे अणी काम अर रगं री न्यारी-न्यारी कलाकारी अणी कला री गेरी वातां हमझायी हीं। वे तो रूकड़ां रे पा'ना रा, फूलां रा अर केइ तरेरा धरती रा धातुओं ने भेला मलईने रंग घरे हीज वणावता ह। वे रंग पाकाई घणा वेता हा। गाबां जूना वेयने फाटे जावे पण वो रंग नीं उतरतो हो। मोटी वात तो या के वणाऊं अणी धरती अर अणी परे रेवा वाला जीव-जनावरां ने ई कई नकसाण नीं व्हैतो हो। पण अबार आपणी हमझ ऊं विकास रे नाम परे समाज में होड़ो-होड़ी रे लारे आंधो वश्वास है। जणी वातेर आपे अणी धरती ऊं छेटी व्है रिया हा अर अणीने मन पड़े ज्यूं वापरता थकां अणीरो दुणो नकसाण करे रिया हा।"
"असो क्यूं व्है रियो है? रंग-रंगीला अर कलाकारी वाला गाबा, परदां, चादरां पछेवड़ा, जाजमां दरियां तो हंगलाई मनख आसे करे हैं अर पछे थां तो जसी कलाकारी म्हाने चावे, वसी वणईने दे सको हो। पछेई थां या वात क्यूं करे रिया हो?"
"खाली छीपा समाज हीज नीं दूजी समाज ई जो आपणे काम अर हुनर री कलाऊं नवी-नवी कलाकारी रे लारे समाज में आपस रा रिश्ता, परेम, हले-मलेन काम करवा री होच, वश्वास अर ईमानदारी रे लारे हीखवा री कदर मौका वदावे री है। वणआने पिछड्या थका हमझणा अणिऊं मोटो भेम ओर कई वे सके है। म्हाणो यो कलाकारी रो काम अर हुनर री म्हाणी हमझ अणा मोटा-मोटा कारखाना रा खोटा असर ऊं ऊबारे सकेला। धन-माल री वदती थकी लोभ री आदत ने रोके सकेला। नवा-नवा काम करता थका आपणी हीखवा री हमझ ने कला-कारीगरी ऊं जोड़े सकेला। नीं कणी ने लुटणा अर नीं कणी ने लुटवा देणो यो विसार ई अणाऊं वदे सके है। अर सब मनखा री भलाई, सबारो धरती रे लारे वश्वास अर हमझ वदे वणी रे वास्ते वणो रे दिमाग रा गेला खोले सके। "
"हाजी वात हैं रफीक भाई, जात-पात रो भेद-भाव, धरम री अेकलखरीता, गरीब-अमीर रे भेद-भाव ऊं निपटवा रो म्हने ई यो अेक सई अर हाऊ उपाव लागे हैं। म्हारा नाना-नाना साथिड़ां ई आज रा जमारा ने जीवा रा तरिका रा रंगीला कांच जे अणारे आखां परे लाग्या लगा हैं। वे कांच अणा उतारेन न्हाके दिदा है अर अबे ये असली वातां ने हमझे रिया है। ये असली वातां म्हाने हरेक दाण आपरे पां लेयने आवेला। अबे म्हा अटे आई हीज ग्या हा तो मन करे रियो है के लागे हाथ फतेह सागर री पाल परे जावणो चावे। क्यूं म्हारे नाने-नाने भाये, थाणो कई विसार है?"
आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारू उदेपर में थां अणाऊं मले सको-
मोहम्मद रफीक छींपाफरीद भाई पालीवाला
18, देवाली जैन मन्दिर के पास,छींपा मोहल्ला,
देवाली।आयड़।
सुलेमान जी छींपा (गलूण्ड वाले)
बागर गली, हाथीपोल मज्जिद के पास,
हाथीपोल।

धोबी
"फतेसागर की पाल परे धुमवा रो तो मजो ई न्यारो है! वठी देखो कोई मनख हापड़े रिया है, कोई तरे रिया है तो कोई गाबा धोई रिया है.... पण अटे नारायणजी कटेई नज़रे नीं आई रिया है। अरे! वटे कुण है? म्हने वणा जसो कोई लागे रियो है आवो दका देखा तो खरी? "
"अरे नारायणजी, थां हो कई? कई वात है नारायणजी पेली तो तीन-चात दन में थां घाट परे आवता हा पण अबे तो मिना में अेक दाण ई आवणो मश्कल व्है है? म्हारो तो आपणां नाना साथिड़ां ने हमझावणो ई मश्कल व्है ग्यो के थां अटे घाट लागवणो कम क्यूं करे दिदो है।"
"अबे कई वतावा? मन तो करे हैं के रोज़ घाट लगावां पण अबार रा कायाद-कानून अर हालत ऊं मजबूर हा अेक तो म्हाणे पां अतरो काम ई कोईनीं आवे के म्हाने अटे रोज घाट परे आवा री जरूत पड़े है। उपरे ऊं राज, नगर-परिषद वाला अटे घाट लगावा हारू रोक लगई दिदी है। वणारा आदमी हर कणी दाण परा आवे है अर जोर जबरऊं गराकां रा गाबां परा ले जावे है। पछे वणारे पाछे-पाछे घूमो, चक्कर काटो, डण्ड़ भरो अर गराकां री खरी-खोटी हामलो।"
"पण अणी तरे री रोक लगावा रा कई वात अर कारण तो व्हैला।"
"वणारो केणो हैं के अणिऊं तलावां रो पाणी हूगलों व्है हे। म्हाणे गाबां धोवा ऊं वेवा वालो गन्दी-वाड़ो तो वणआने देखाये है, पण मोटी-मोटी होटला वाला रो जतरो मलवो अर कचरो अणा तलावां में पड़े है, कारखानां रो कचरों अर सेर री मोटी-मोटी नालियां अर गटर रो पाणी अणाने कतरा खराब करे है वो तो वणाने नजरे नीं आवे है। मोटी वात के म्हां तो अबार ई सरफ अर हाबू जसी जेरीली चीजां ने तो वापरा ई कोइनीं।"
"तो पछे थां गाबां कणीयूं धोवो हो?"
"देखों, अबार ई ऊस अर खौला (चूना रो पाणी) ने भेलो मलावेन भट्टी चढ़ावा हा।"
"भट्टी चढ़ावा रो कई मतलब?"
"मतलब ऊस अर खोलो मलावेन उना पाणी में गाबां डुबोवणा, आयो हमझ में? ऊस खारी जगा मां उपजवा वाला गारा जसो व्है है। पेली तो ऊस री डबोक अर खेमली ऊं गाड़ियां भरे-भरेन आवती ही वणाने वापरता हा। अणी में होडो ई मलावा हा। कणई गाबा रे वातरे अलीठो ई काम में लेवा हा अर कणाई रे वातरे देसी हाबू काम में लेवा हा। पण अेक वात जो खास हिखवा अर ध्यान देवा री है के भले कणी ई तरे रा गाबा व्हो, वणाने धोवा, हुखावा अर उ,्‌तरी करवा री म्हाणी कला ऊं वणा गाबां रे कई नकसाण नीं व्है है। लारे रो लारे वणाने धोवा वाला हाबू अर अलीठां ई जेरीलां कोईनी व्है जसा के अबार रा सरफ (डिटर्जेन्ट) व्है है।"
"पण टीवी, किताबां अर अखबारां में तो सरफ, रिन, एरियल व्हील, निरमा जसा डिटर्जेन्ट अर सरफ री घणी वढ़ाया करे है।"
"अबे भाई यो तो आपां सबां ने हीज तै करनो पड़ेला के वणमें कतरो हाच अर झूठ है अर असल में सई वात कई है। कतरा ये मोटा-मोटा हाबू सरफ वणावा रा कारखानां वाला आपणा नफा हारू आपाने वेण्ड़ा वणावे है। अबे थाई देखो के अबार तो गाबां धोवा री मशीनां आईगी हैं। वण्डे वातरे सरफ चावे, हाबू चावे अर विजली ई खरच करनी पड़े। अर तो अर पाणी री घणी जरूत पड़े हैं। यो सब आपे आपणे शरीर ने मेणतद ऊं वन्चावा हारू करा अर अणा ने वापरा हा।"

"सई हमझो रिया हो थां, पण यूं तो आपे लापरवाह, फोगट रा खर्चा, आलसी अर मशीनां रे हारे व्हैता जावे रिया हा।"
"डिटर्जेन्ट जणारी खासीयत है के यो कदी खतम नीं व्है अर जमीन ने ई जेरीली अर ऊसर वणई दे है। दूजो, पाणी रे आखां मिचेन अर नेपवाही ऊं वापरवा री आदत में वदापो व्है है अर अणीयु पाणी री पतपी तो हमेश ई वणी  रेवे है। सबऊं खास वात या है के आपमो सरीर जो मेनत करणो चावे वो आपे नीं करा तो सरीर में ताकत रेणी चावे  वा नीं रेवे अप आपे सरीर ऊं हाऊं कदी नीं रे सका।"
"अणा मोटा-मोटा कारखानां वेवाऊं थाणां परवार अर थाणीं समाज रा हूनर परेई घणो असर पड्यो व्हैला?"
"म्हाणां छोरा-छाबरा ने तो अबे अणा काम ने करवा में ई घणी हरम आवे है। वणआने तो ठीक तरेऊं उस्तरी करणी ई नीं आवे, अबे जरूरी नीं है के इस्कूलां-कालेजां में भणे-लिखेन साबने नौकरी मले हीज जाई। असी टेम में नतो वे आपो काम करवा रे काबल रेवे अर नीं वणाने नौकरियां मले हैं। म्हां सब म्हाणां काम रे वातरे अर घाट ने चालू करवा रे वातरे आपणे अटारा कलेकटर ऊं मलेन घाट परे लागी लगी रोक हटावा हारू अरज किदी है। अर वणा म्हाने अेक खास जगां परेईस घाट लगड़ावा रो वश्वास इ दिदो हो, पण कतराई कलेकटर ई बदले ग्यां अर वात वटे री वटे अर तपतियां ई वटे हीज रेई ग्यीं।"
"तो थाणे कई लागे है अबे कई करणो चावे?"
"म्हां अेकलाई म्हाणे अणी सेवा रा काम ने अर म्हाणां खानदानी हूनर ने नीं वंचाई सका। या तो आपणे अटे रेवा वाला हंगला मनख अर पूरा समाज री जमेवारी है। जदी सब मनख अर हरेक समाज म्हाणे धोबी समाज रे काम री कदर अर जरूत ने हमझे है। अबार आपणा आराम अर रे'मा हारू जो गेला मोटा-मोटा कारखाना वाला हेठ, वैपारी अर राज वाला वणावे रिया है। वणाऊं वेवा वाला नकसाण ने समाज वाला हमझता व्है तो या वात व्है सके अर म्हाणे जसा समाज ने अणी तपतियां ऊं वंचावा हारू आगे आवे सके। म्हाणे हुनर ने चलावा रे मू में समाज है। कोई हुनर अर काम एकलो अणी वेवस्था रे हामे दो हाथ नीं करे सके। यो काम तो आपणे हंगला रे आपसी झेलाऊं हीज व्हैला अर वठू हीज अवाज उठेला। मनख रा न्यारा-न्यारा गण अर नवा-नवा काम हीखवा री लगन अणा हुनरां ने नवो जनम देला असो म्हने लागे है अणी वातरे म्हने लागे है कि जो कई ापाने करमो है वो आपाने हले-मलेन करणो व्हैला। न्यारी न्यारी वातां ने अेक दूजा लारे हमझता-हमझावता वणारो तोड़ काढ़ता थका हले-मलने रेवा रो माहौल वणावणो पड़ेला।"
"नारायण जी धरती रा जुड़ाव अरअमा परे निपजवा वाला साधन अर जीतां परे हरेक री जमेवारी री गेरी हमझ जो थां म्हामे लारे वाटी है। अणीने म्हां म्हाणे दूजा साथिड़ा अर घर-परवार ने मनखा लारे वाटाला। अणी वात परे आगे वेवा वाली वातां अर काम थाणे वतावा हारू पाछा जरूर आवाला। यो आवणो-जावणो तो चालतो हीज रेवेला, थां अेक वात रो वश्वास तो राखणो शरू करे दो के हले-मलेन रेवा रो माहौल तो वो चालू व्है ग्यो है।"
"साथिड़े दका हमलेन चालजो, अणा चिकणा भाटा परे कांजी जमे री हैकटेई पग नीं.... ओ ओ ओ...."
आपणी हमझ अर अणी हुनर ने हिखवा री कला वदावा हारू उदेपर मे ंथां अणाऊं मले सको-
शिव नारायण धोबीभगवानलालजी
सावरिया ड्रायक्लिनिंग,आलू फैक्ट्री रोड़,
फतहपुरा, बेदला रोड़।कच्ची बस्ती, पुंला
थाणे मन री वात, विसार अर अनुभव दूजा ने ई वतावो।

गुणी (वैद्य)
"अरे राई बुढ़िया जी थां आज अटे कतर ? अर ये नाना-मोटा टाबर थाने आसरो देता थका क्यूं लाई रिया है ? कई बात है म्हैं तो थाने हमेश ई फदकता, चकटता अर नाचता थका हीज देख्या है पण अबार थां खोड़ा-खोड़ा चालता क्यूं आई रिया हो ?"
"कई बताऊँ, रुपाललजी म्हूं आपणा नाना टाबरां रे लारे आपणे अटारा समाज की कला-कारीगरी रा काम ने देखवा अर हुनरमंद समाज रा हाल-चाल पुछवा चिकणा अर अणा टाबरां री वणाऊं ओलक-पेछाण कराव छारू निकल्यो हो। पण गेला में चिकणा भाटापरे पग पड़ता ई म्हूं रपटे ग्यो अर पग मडई ग्यो।"
"रूपलालजी वटे कोई केवा लागो के अणाने डाकटरपे पां लेई जावो, हाड़को टूटे ग्यो है पलास्टर रो पाटो बन्दड़ावणो पड़ेला, कणेई सला दिदी के एकसरो करावणो पड़ेला। म्है केयो के आपे लोयरा वाला रुपलाल जी पटेल रेअटे चाला अणी रे लारे-लारे थां सबारी वणाऊं ओलक-पेछाण ई व्है जावेला।"
"देखो टाबरे, पेली म्हूं राई बुढ़िया जी रे पग री मोच काड़े देऊं अर पछे जे वरेई मनख आया है जणा रे असा हाड़का री तकलिफा है वणारे ई ऐलाज करावणो है। थां सब सम्पट ऊं देखजो के म्हूं कणा रे पगा री मड़ हाथ रो नेकलणो अर मड़, कमर रा चडक्या निकालू अर कतर दूजा दरद हाऊ करुला। अणी लारे आपे सब अणा परे वातां ई करता जावाला।"
"अरे वा, म्हने तो म्हारा पग में घणो फरक लागे रियो है, अबे थां जितर वतायो वतर म्हूं उना पाणी रो हेक अर हरवा रे तेल री मालिश हमेश करूंला तो हड़क देयने म्हारो पग हाऊं व्हे जावेला। रूपलाल जी थां अणा नाना टाबरा ने ई आपणे ऐलाज करवा री कला रे बारां में कई वतावो।"
"म्हारा साथिड़ा, सबां में न्यारी-न्यारी खासियत अर गण व्हिया करे है। मनखां ने आपणे हिया में वसी लगी खासियत अर वणीरा गणां ने ओलकणा अर हमझणा चावे। म्हूं जदी थाणे जतरी उमर में हो वदी म्हने लागो के मनख री दैई अर अणीरी नसांकतर काम करे अणा ने म्हूं हमझू अर जाणू। अणी तरे म्हूं छोटा-मोटा काम करतो रियो अर म्हारी हमझ वणती ग्यी. कदी असा मौका आया जणी वेला म्हैं आपणी हमझ अर अकलऊं कणारेई अणा कामा रो झेलो किदो तो वणी माईने म्हने अणी काम करवा में लाभ मल्यो अर म्हैं वे काम निवेड़े दिदा। लारे लारे ई म्हूं अणी वात री हमेस सम्पट राकूं हूं के कणी रे वरती लागी व्है अर म्हने लागे के म्हूं अणा ने पूरो नीं करेसकूला तो म्हूं वणाने या सला अर राय देवतो रेवूं हूं के फलाणा डाकटर रे पां जावो. अणी तरे धीर-धीरे काम करत थका मनखां रो वश्वसा म्हारे काम परे वदतो ग्यो अर म्हने ई सरीर ने अर अणारी नसां ने पूरो हमझवा अर जाणवा रो मौको मलवा लागो। मनख आपणा गणां ने ओलकेन वणी ने वदावा हारू काम करे तो तै बात है के वणाने हाऊं फल मले सके।"
"तो कई रुपलालजी थां हंगली मान्दगी रो ऐलाज करे सको?"
"नीं टाबरां, म्हूं तो खाली हाड़का रो कई रोग व्है तो वणी री म्हारे पां जा थोड़ी घणी  हमझ हैं। अर थोड़ी घणी नसां अर नाड़िया में खेंचाव, खुन रे आवा-जावा में अटकांव वेवे अर खुन री कई छोटी मोटी बेमारी ने जाणवा, हमझवा अर निवेड़वा रो थोड़ो काम किदो है अर वा म्हारी हमझ है।"

"पण रुपलालजी थाणे अटे तो कटेई म्हने औगध री शिशीयां अर कई वरेई ऐलाज करवा रा साधन तोनजरे नीं आई रियो है?"
"म्है अणां सबा री जरुत ई कोईनीं पड़े है। हाथां-पगां रा हाड़कां ने पाछा आपणी ठौड़ जोड़वा, बेवाड़वा अर मोच काढ़वा हारू एक खास जगा परे थोड़ोक दबाव देयने अर मालिश करने वणाने ठीक करे देवूं हूं। नाडियां रे खेंचाव अर खुन री रुकावट तो हेक, मालिस अर थोड़ीक कसरत करावाऊं परी व्है है। मान्दगी, ओगण अर माइली मार रा मूल कारण कई है ? अर अणारे ऐलाज हारू कसी कला, के कई काम करवाऊं हाऊं वेवे, के पछे कसरत करवा री जरुत हैं तो अणारे वातरे आपाने गेरी हमझ, अकल, अनुभव अर केई तरे री खोज खबर वदावणी पड़े। म्हैं कणी दवाखाना रा ईस्कूल ऊं के कणी मारसाब या गरुजी तिरेऊं या विद्या नीं हिकवा ग्यो। कितांबा-पौथियां अर पानड़ा री पटत विद्या तो  ापणा वैवारिक ग्यांन अर हमझ ने वदावा में रोड़ा न्हाके है। अणारे परसार अर हरेक रे वातरे जरूरी वाली होच आपणे विसारां ने एक घेरा में रोकेन भेमिला करे दिदा है। अणीऊं आपणे आपस में हीखखवा री कला-कारीगरी तो अणी देखादेखी री भकती अर जुठी-मुठी वातां में उलझेन एक मशीन परी वणे है।"
"ये वातां तो आप घणी काम री वताई? अबे थां यो वतावो के थाणे ऐलाज री फीस कतरी है?"
"बुढ़िया जी थां ई कसी वात कोर हो? अणा वकाऊं जमाना रो थाणे ई वायरो लागे ग्यो दिखे। म्हूं तो म्हारे घ रो गुजारो चलवा हारू खेती-वाड़ी करु हूं। यो काम तो भगवान री मेर ऊं हीज म्हूं करू हूं। भगवान चावे के म्हूं सेवा करू तो म्हूं  ई वना भेदभाव, जात-पात देख्या वना हवारथ ऊं म्हने जसो वणे पड़ै है वसो म्हूं करे रियो हूं।"
"हमझ्या टाबरे, नवी-नवी वातां आपे आकी उमर भर हिखे सका हाय ये तो कदी खतम हीज नीं व्हे। आपणे आपस रा झेला, परेम, लगन, मेणत अर जमेवारी री हमझ म्हाने या अकल दे है के कई आपस में हीखता थका आपे एक सखी अर मानवी समजा ने वणई सका हा।"
आवो साथिड़े, आज तो आपै गाबां री डिजाण, हीवणा अर वणारी देखभाल रे पारम्परिक ग्यान अर अबार रा नवा तरीका रे वातरे घणो देख्यो अर हुण्यो। अबे आपे निमच माता चाला हा, वठे बेयने अणी वातां परे गेराई ऊँ वातचित कराला। थां म्हारो होच मती करो, रूपलालजी म्हारे पग री मोच काढ़े दिदी है। अणी तरे थाणी रूपलालजी ऊं ई ओलक-पेचाण व्है गई। आपे अणी वात परे ई होचाला  के पआणे सरीर रे वतारे अर निरोग रेवा हारू आपे कसा-कसा काम ने वदाई सका हा। साथिड़े, आई रियो है नीं थानै यात्रा रो आणंद ? कई वात है अतरो कई गेरा ी ऊं होचे रिया हो? म्हने लागे आपणे हुनरमंद जात-समजा रे नवा साथिड़ां री तपतिया परे थां विसार करे रिया हो। या तो हाऊं वात है पण अणी लारे रा लारे वणारा गण,ग्यांन, आस अर वश्वास ने ई देखणओ चावे। वणारा काम धंधा में जो अबार तक वातां अर नवा काम व्है सके वणाने वदावा हारू आपाने होचणो चावे। तपतियां ऊं दखी वेवा री ठौड़ वणी तपतियां रो मकाबलो करणो आपणे यात्रा रो खास मकसद है।
अणी यात्रा रो असली आणंद तो वणा कामां में है जणाने करता थका  ंआपने सब अमारा गणां अर आवा वाला वगत रा मौका ने ई देखे रिया हा. अणा नवा काम रे आणंद में आपणा साथिड़ा अर परवार रे मनखा ने ई भेला राखोल  ातो घणो हाऊं व्हैला। वणा लारे वेयने यो विसार करे सको हो के  ापे ओर कई नवा-नवा काम हले-मलेन करे सका अर  ेकवात  ोर है के  ाका जमारा में हीखणो तो कदी खतम हीज नीं व्है है यो तो चालतो ही रेवे है। मेणत, जोस अर लगन ऊं हीखवा राकाम कदी नवा-नवा रूपा में आई जावे यो थोड़ो अनुभव तो थाने व्है हीज ग्यो व्हैला। केई नवा काम, केई सवाल सब अणामें है अर अणी में हीज है नवी आस, वात अर आवा वाली तपतियां रे हामे लड़वा रो जोस।

खोज-खबर अर आपसी वातचित

  1. देसी रंग फूल, पाना, गेरू, छाला, दूजां धातु ऊँ वणीयों थको रंग अर पाउडर, सोडो, दवा नाकेन वणाय लगा रंग में फरक काढ़ता थका अणारा आपणे शरीर परे हाऊं-भुण्डा असर रो पतो लगावे सको ?
  2. गाबां अर डोरा वणावा री मोटी-मोटी मिला ऊं आपणा जीवा परे अर अणी धरती परे वेवा वाला नकसाण रो पतो लगावे सको ?
  3. आपणे कुड़ा, वावड़ियां अर तलावां रो पाणी कितर खराब व्है मनखा लारे वात करेन अणा जाणवा अर हमझवा रो काम करे सको।
  4. आपणे घर में अर अड़े-भड़े जो देसी ज़ड़ी-बुटी, रूकडा अर वणाने वापरवा री कला ने जाणे, हमझेन हीके सको हो।
  5. पेराव रे लारे वणी जगां रा गण अर गाबां रा गण अर दोयां रे आपस रा रिश्ता ने हमझे सको?

खुद रे करवा रो काम

  1. आपणे चावाना री एक छाप वणई ने अणा हुनर रो अनुभव ले सको हो ?
  2. गाबां धोवा रा हाबू कितर वणे है यो हिखेन थां असा हाबू आपणे घरे वणई सको हो।
  3. अबार रे फैसल री होडा-होड़ी रो एक अनुभव थां कागद परे कोरो सको।
  4. आपणे अड़े-अड़े रा दरजी रे पाऊं फाटा-टूटा छितरा लावेन आपणए हारू अर आपमे छोटा भाई बेना हारू गुड़डो-गुड़िया, वणारे गाबा, कटपुतली  अर आपणे पौथियां रे पुट्ठा वणई सको।

थां आपणे अड़े-भड़े रा बीजा कणई हुनर ने देखेन वणाने हममझता थका वणी हुनर रो चितर माण्डो।
साथिड़ां, या यात्रा अबार पुरी नीं व्ही है। या तो एक शरूआत हीज है। नवी तरऊं आपणें जीवा रा तरीका अर जमारा ने देखवा, हमझवा री शरुआत। खद री अर आपस रे झेलाऊं री शरुआत, थोपया लगा नेम अर दबाव ऊं निकलेन खद रो अनुशासन अर नेम पैदा करवा री शरुआत, आपणी जमेवारी निबावा री शरुआत।

यां पौथी लेहरू दीदी, पन्ना भाई अर म्हैं तीन म्हाणे लारे काम करवा वाला रे मदद अर राय ऊं त्यार किदी है। अणी में जतरा हुनर वाला जात-समजा ऊं थाणी वात व्ही है आपणे अटे खाली अतरा हीज जात-समाज नीं है अर या वात अतरा तक हीज नीं है। असा ओर घणा नराई हुनर आपणा समाज में है जे आपणे गुण अर वना भेभाव ऊं दूजा जात-समाज री सेवा करत थका आपस रा वैवार अर रिश्ता ने वदावे रिया है। ज्यूं अणी यात्रा में जे हुनर वाला समाज अर कलाकरा आपाने मल्या है असा ओर घणा कलाकार आपणे अड़े-भड़े है। वणाऊं आपणी वात अर पेचाण ये सब आपणा नवा साथी कराई सके हैं अर तो अर तो अर आपे खद वणाऊं मलेन आपणए हमझ में वदापो करे सका हा। म्हने वश्वास है के सब थाणेऊं मलेन घणा राजी व्हैला अर हरेक आपणे काम-धन्धा रा गण-दोष थाने वतावेला अर हमझावेला.
जो चित्र लहरू दीदी थाणे वातरे वणाया है वणामें में आपणा परम्परागत हुनर री अबार ही हालत ने हमझवा रो एक छोटोक रूप है। जणाने लेहरू आपणे होच-विसार ऊं रुपालों अर जीवता रूपव में ढाले दीदो है। पण एक मोटो काम अणमें जमेवारी रे लारे थांई पूरो किदो के अणमें हाऊं रंग भर्यो। आपे सब जाणा हा के रंग आपणां जमारा (जीवन) में परेम रो रूप है। रूपालोपन अण में है। या साकी धरती घणा न्यारा-न्यारा रंगा ऊं भरी लगी है। वटाऊं हीज आपाने रंग ने गेराई ऊं हमझवा री हमझ मले है। जणा सयानापन, हमझदारी, जमेवारी अर हुश्यारी ऊं थां अणी में रंग भरेन आपणे मन री बात बा'णे काढ़ी है अर अणीने एक नवो अरथ दिदो है वणिऊं म्हारे मन रा वश्वास में वदापो व्हियो है। म्हने ललागे है अणा काम रे वातरे घी मेत चावे अर थां वना लाज हरम ऊं आपणा पारम्परिक हुनरां अर कामां ने देखोला, करोला हमझता थका दूजा ने ई वतावोला। आपणे मन में जा हरम बैठी लगी है वणी ने बाणे फैंके दोला। आपणे मेवाड़ी में केवे के "हरम तो चोरी-चकारी री, मेणत रा काम में कसी हरम।" अणी वात ने मन में राखता थका थां आपणा मनख जमारा अर जीवा रा तरीका मं कई बदलाव करोला ? आपणे जीवा रा तरीका में नवा-पुराणा पारम्परिक हुनरां ने हीखवा री पेल करणी। अणीने आपणए अड़े-भड़े रेवा वाला तारे वाटता थका हमझ ने वदावतो रेणो।
अशी आश अर वश्वास रे लारे पाछा मलाला।
भोगां नै यूं भोगतां, वदता जाय विसार।
हीताफल रै हाथे ज्यूं, बीजां रो विसतार।
--बावजी चतुर सिंह जी

जिण दिन जनमव्हियो मानव रो
आदिकाल में भूतल पर।
उद्यम गुरु मिल गयो उणी दिन।
उण ने निज जीवन-पथ पर।।
उद्यम है शिक्षा री खेती
खान ज्ञान री है उधम।
उधम है ईमान मनख रो
जीवन रो संबल उद्यम।
उद्यम में जिज्ञासा जागे
प्रश्न उठे है उद्यम में।
उद्यम में ही उठे समस्या
ज्या हल व्हेवे उद्यम में।।
उद्यमलीन मनख पहचाणे
निज बल-बुद्धि और क्षमता।
उद्यमरतन परिवारां में ही
व्है सहयोग और ममत।

आवो, उदेपर ऊं हिखा
या मेवाडी थी पौथी "सीख़ सरीरां उपजे..." आवो, उदेपर ऊं हिखवा' रो जो काम चाले रियो है वणी काम ने करता थका जा हमझ वणी है। वणी हमझ परे या पौथी त्यार किदी है। आवो, उदेपर ऊं हिखवा रो काम च्यार वरसा पेली उदेपर में खद रे हियाऊँ हिखवा राम काम, उदेपर री धती रे वातावरण ने आपणा वैवार अर जमारा (जीवन) रे लारे जोड़ता थका, अणिने कदर अरझेलो देता थका अर नवी-नवी खोज करता थका अणा विसारां ने वदावां हारू चालू किदो है। अणी काम रो खास मकसद यो है के अटे रेवा वाला मनखा रे वातरे नवी-नवी हिरखां री जगां अर मोका ने ठावा करणा अर वणावणा।। आवा वाली वगत में अटारा मनखां री उदेपर रे वातरे ज्या होच है जणी ऊं सबरो भलो व्है सके वणने हले-मलेन वदावणी अर वण परे काम करणो। म्हाणे यो वश्वास है के अणा काम में उदेपर में रेवा वाला मनखां ने आपणा हियाऊं री हमझ ऊं हल-मलेन हिखवा रा माहौल अर मौका मलेला।
यो काम अटारा मनखां लारे थोड़ा-घणा सवार अर वातचित रे लवारे शरु व्है है जितरः- "थानै उदेपर में कई हाऊं लागे जणिऊं थां अटे रे'णा चावो?" आवा वाला 20-25 वरसां में उदेपर हारूं थाणी कई होच है ?, "उदेपर री असी कई खासियत है ज्या अड़े-भड़े रा दूजां सेराऊं न्यारी है?" "उदेपर रा मनखां रे पां सई हिखवा रा कई-कई मौका है अर कसी-कसी जगा है?" उदेपर री परम्पर अर खानदानी हुनर/काम-धंधा ने वदावा हारूं थां कई करे रिया हो ? अणा सवालां परे वातचित करता थका नवा-नवा विसार अर रिश्ता वदे हैं। सबऊं मोटी वात के अणी काम री पेल अर हार-बंला उदेपर रा मनख हीज आपणे लगाव ऊं करे है। अणा में टाबर-टाबरी, मोट्यार, मारसाब, कलाकार, कारीगर, वैपारी जसा न्यारा-न्यारा मनखां लारे नवा-नवा काम, खेल, वातचित, पौथियां, काढ़णी अर बैटक जसा का व्है है। अबार अणी में व्हैवा वाला काम जितर मोट्यारां रे खद रे विसार रो कागद (युवा हलचल), हिखवा री न्यारी-न्यारी जगां (लर्निंग पार्क), मारसाब रे भणावतां थका नवा-नवा काम (टीचर्स एक्सन ग्रुप), टीवी-अखबार परे वातचित (समीक्षात्मक मीडिया व संवाद), मेवाड़ी बोली रा ग्यांन परे काम जितर आपणी वातं, कैणी के रे कागला (मेवाड़ी अध्ययन), बा'णे ऊं आवा वाला जात्रियां रो उदेपर में व्हैवा वाला असर परे वातचित (ट्यूरिझम अध्ययन)है।
"आवो, उदेपर ऊं हिखा" रा काम में अणी मेवाड़ में अबार व्हैवा वाला पारम्परिक अर खानदानी काम-धंधा अर हुनर री खोज एक खास काम है। क्यूं के अणिऊं हीज़ अटारी जात-समाज रो आपस में लेण-देण, जुड़ाव, मनखां रो आपस में वैवार, हमझ, कण-कायदां अर रिश्ता ने हमझे सका हा। यो सब आपे गेराई ऊं करणो चावा तो वणारे वातेर आपाने अटारी मूल बोली मेवाड़ी में हीज यो काम करणो व्हैला जणिऊं  अणाने गेराई ऊं समझे सकाला। या पौथी आपरे वातरे एक बलावो अर नूतो है के आवो आपे हले-मलेन उदेपर रे वातरे होचा, आपणी जमेवारियां ने हमझा, आपणए गुणां ने बाणे काढा, आपणे उदेपर ने एक अमोलक सेर बणावा। यो काम हरेक मनख रे आगे आवा ऊं अर हले-मलेन करवा ऊं हीज व्हैला। कणी सिरकारी अर बारली संस्था ऊं नीं व्है सके है।

 

 

 


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