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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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कोटा जिले रो सामान्य परिचय

सहयोग कर्ता रो नाम अने ठिकाणो
डा. श्रीमति प्रेम जैन
व्याख्याता ( हिन्दी विभाग )
कोटा विश्‍वविधालय

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क्षेत्रफ़ल

12436 वर्गकिमी

साक्षरता

74.45 लाख

समुद्र तल सु ऊँचाई

 

आदमियो री साक्षरता

86.25 लाख

बारिश रो औंसत

88.56 से.मी.

लुगाया री साक्षरता

61.25 लाख

उच्चतम तापक्रम

45 ं से.ग्रे.

नगरपालिका

3

न्युनतम तापक्रम

9 ं से.ग्रे.

पंचायत समितियाँ

5

कुल जनसंख्या

1568580

गांव पंचायते

162

आदमियो री संख्या

827647

राजस्व गांव

937

लुगाया री संख्या

740933

तहसील

5

ग्रामीण जनसंख्या

7.31 लाख

 

 

शहरी जनसंख्या

8.38 लाख

 

 


कोटा जिलो राजस्थान का दक्षिण पूरबी भाग मं अवस्थित छ। यो 24ं,25 ं सूं 25 ं,51ं उतराव अक्षांश अर 75ं,37ं सू पूरबी देशान्तर क बीच स्थित छ। ईका पछाव मे चित्तौंडगढ़ जिलो, लंकाव मे झालावाड जिलो अर मध्य परदेस को मंदसौंर जिलो। पूरब मे बारां जिलो अर पछाव मे बूंदी जिलो छ ।कोटा जिलो ईका मुख्यालय नगर कोटा का नाम सू जाण्यो जावे छ। जे पूरब मे ई नाम की रियासत की राजधानी छी उपलब्ध अभिलोखो के अनुसार बूंदी का राजा जैंत सिंह का पौंत्र न ईस्वी सन 1264 मं चमब्ल का पूरबी किनारा का शासक कोटिया भील के तांई मार र ई भाग के तांई आपणा अधिकार मे ले ल्यो छो। सन 1949 म कोटा जिला को वृहद राजस्थान मायँ विलीकरण हो गयो।कोटा जिलो भाग मुख्यालय संभागीय स्तर को मुख्यालय छ। जिला मं सांगोद ,ईटावा, दीगोद कोटो अर राम गंजमण्डी 5 उपखण्ड छ। जाके माये लाडपुरा, दीगोद, पीपल्दा, राम गंजमण्डी, सांगोद की तहसीला सामल छ।
जिला कि जलवायु गाढी अर रूखी छ। न्यूनतम औंसत तापमान 9ंअर अधिकतम औंसत तापमान 45 ं छ।चम्बल जिला की प्रमुख बारहमासी नदी छ। खनिज सम्पदा दी दृष्टि सूं सुकेत अर देव की क्षेत्र म चूनो पत्थर पायो जावे छ। रामगजमंडी मोडक क्षेत्र म पाया जावा हाको कोटा स्टोन नामक पत्थर जिला को महत्वपूर्ण खनिज छ। ईको उपयोग फ़र्श बणावा मे करयो जावे छ। दूसरा खनिजा म बजरी ,मेसनरी स्टोन,लाइम स्टोन अर लाईम कंकड भी छ।

दशर्नीय स्थल

 

चम्बल उधान -
कोटा मे चम्बल नदी का किनारा प लगभग 10 एकड जमी म स्थित यो बाग चोखा बागान म से एक छ। चट्टानी जमी पर स्थित ई बाग के कारण जमी ताँई समतल करवा की जगैं पे प्राकृ तिक अर मूक रुप सु विकसित करयो गयो छ। बाग मे एक बडो फ़व्वारो अर नरा आकर्षक फ़व्वारा सु युक्त मूर्तियाँ विधमान छ। चम्बल नदी मे नाव मे बैंठ र सैंर करबा की सुविधा भी छ। यो बाग सारी उमर का सेलाण्याँ ने लुभाव छ।बालकान के कारणे बिजली सू चाल बा आळी टाय ड्रेम। मेरीगो राउण्ड झूलो, लक्ष्मण झूलो अर दूसरा झूला छ।

हाडोती यातायात प्रशिक्षण पार्क -
चम्बल बाग के नीडे (पास) 12 एकड जमी पर यातायात पार्क राजस्थान का पेला अर देश का सर्वश्रेष्ठ यातायात पारकान मे एक छ। ईको निर्माण जुलाई 1992 मे होयो। पारक म किशोरा अर बालका के तांई यातायात का जरूरी नियमान की जानकारी देबा दे कारणे यातायात प्रशिक्षण दीर्घा को निर्माण करयो ग्यो।जगैं जगैं प सडक सकेंतचिन्ह लगाया छ ।ऩरा भवन जसाँ अस्पताल, स्कूल, डाकखाना, हवाई अड्डा आद का मण्ड्ल भी याँ बणाया ग्या छ।बालका का मनोरंजन कारणे याँ वनस्पतिबाग,पक्षी बिहार अर रंगबिरंगा झूला छ। पारक मे बण्या फ़्लाई ओवर ब्रिज को आपणो अलग ही आकर्षण छ।

संग्रहालय -
कोटा सेर का पुराणा मेल मँ स्थापित महाराव माधोसिंह संग्रहालय मँ कोटा चित्रसेली की रुपाळी राजपूत मिनिचर पेन्टिंग अर कोटा शासकान के प्रयोग मे लाई जाबा हाली कलात्मक चीजाँ भी सामेल छ। किसोर सागर के पास ब्रज बिलास पैंलेस मे स्थापित राजकीय संग्रहालय मे भी दुर्लभ सिक्का अर हाडोती मूर्तिशिल्प को चोखो संग्रहालय छ।

क्षारबाग -
छत्तर बिलास तालाब अर बाग के पास स्थित ई जगैं पर कोटा का हाडा शासका को दाह संस्कार की परम्परा री छ। गुजर ग्या शासकाँ की याद मे वाँका पोतान की आडी सूँ भाटान सू छतरी बणवाई जावे छ।बाग मे स्थित नरी छतरिया राजपूत स्थापत्य कला को चोखो नमूनो छ। छतरिया पे ढांढा ठोर ,देवी देवता अर लता -बूँटा की कलात्मक आकृतिया मांडी हुई छ। छतरिया के चारू मेर बाग,फ़व्वारा अर बिजली सज्जा छ जीमे बाग औंर सुन्दर लागे छ।

मथुराधीश मन्दिर-
या पाटनपोक मँ भगवान मथरा धीस को मन्दिर छ, जिके कारण यो सेर वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख तीरथ धाम छ।देश मे बल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख 7 पीठा मे सूँ कोटो प्रथम पीठ छ।मन्दिर माँय आखा बरस वैष्णूँ सम्प्रदाय री रीती नीति के अनुसार उच्छबन का आयोजन करया जावे छ।जी मँ जन्म आठे पे नन्द महोत्सव, दवाकी पँ अन्न्कूट उच्छव अर होली पे आयोजित हाको उच्छव प्रमुख छ।

चार चौंमा को सिवालैं
कोटा सूँ 25 किमी. दूर चार चौंमा गाँव के पास पुराणो शिव मन्दिर छ।जी के ताँई गुप्तकालिन अर्थात चौंथी पाँचवी शताब्दी को बतायो जावे छ।कोटा राज का इतिहासकार डाँ. मथुरालाल शर्मा न चार चौंमा का शिव मन्दिर मे कोटा का राज म सबसू पूराणो देवालो बतायो छ। मंदर म स्थित चार मुखी शिव की मूरती बोथ आकर्षक छ। बेदी सु चोटी ताणी मूरत की ऊँचाई 3 फ़ीट छ। कंठ सूँ ऊपरे का ये चारूँ मूण्डा काळा अर चमकीला छ। चाँरू मूण्डान का बालान की सजावट भी देखबा जोग छ।

कंसुआ को शिव मन्दिर -
कोटा सेर सूँ लगभग 6 किलोमीटर दूरे डी.सी.एम. मारग प आठवी शताब्दी का कंसुआ छ।मन्दर का पर क्र्‌मा मारग म बांवडा हाथ आडी की दवाल पर कुटिला लिपि म लिख्यो हुवो आठवी शताब्दी को शिलालेख छ। यो शिलालेख सिवगण मौंर्य को छ जीमं ई मन्दर का निरमाण को पूरो बरणन छ। आम लोगा की धारणा छ कयो कणव रिषी को आसरम हो। असा भी कयो जाव छ क या प हो शकुन्तला न आपणो बालपणो अर किसोर पणो बितायो छो।मन्दर का गरभ गिरह मे काली भाटान का चार मुखी शिवलिंग छ। मन्दर की खासेत या छ क सूरज की परतम किरण मन्दर क 20-25 फ़ीट भीतर स्थित शिवलिंग प सीधी पडे छ।याँ स्थित भेरू मन्दिर मे भेरु की आदमकद मूर्ति प्रतिष्थापित छ। याँ औंर भी कइ शिव लिंग छ जामे स एक हजार मुखी शिव लिंग भी छ जे तीन फ़ीट ऊँचा अर एक फ़ीट चौंडा छ।


भीमचौरी -
कोटा सूँ 50 किमी. दूरे दरा मान का स्थल प भीं भीम चौरी स्थित छ । एक लम्बा चौंडा भाटा का दो तला चबूतरा प थोडा खम्बा हाको एक ढ्स्यो मन्दिर ही भीमचौरी या भींम चंवरी कयो जावे छ। इतिहासकार ई के ताँई गुप्तकाल को मान र ईको निरमाण काळ चौंथी शताब्दी बतावे छ।या प 44 फ़ीट चौंडा अर 74 फ़ीट लम्बा बडा बडा किला खण्डान से बण्या एक चबूतरा प भीम चौंरी को मूळ मन्दर ढूंठ का रूप मं मौजूद छ जी के ताँई भीम को मण्डप मान्यो जावे छ।

बूढादीत को सूरजमन्दर
कोटा का पूरब म गवालियर की आडी जाबा हाळी सडक प दीगोद तेसील मुख्यालय सूँ 14 किमी. दूरे लंकाव म बूढादीत गाव म तलाब क पश्चिम कनारा प पूरब मुखी सिखर बंध सूरज मन्दिर स्थित हैं।पंचायतन शेली का मन्दर म गरभगिरह अर महामेंडो छ।मेंडा को आधुनिकीकरण 18 वी शताब्दी मे करायो ग्यो।मन्दर आज भी आपणा मूळ रूप म मौंजूद छ।यो सूरज मन्दर 9 वो शताब्दी मं बणायो ग्यो छो ।

गेपरनाथ
कोटा क आस पास खास शिवालयान म स गेपर नाथ शिवालय आपणो खास स्थान राखे छ।यो एक असो रुपालो मोहक स्थान छ जाँ मनख आपरुप ही बडा शिल्ला खण्डान के बीच आपणो अर समरध अतीत क ताँई ढूँढ्बा लाग जाव छ। ई मन्दर को निर्माण काळ इतिहास कारान के अनुसार 5वी से 11वी सदी के बीच मान्यो जावे हैं।आस पास बखरया बडा सांस्करतिक अवशेसान सूँ ई बात का परमाण मिले छ क कभी ई क्षेत्र म मोर्य ,सुंग, कुषाण, परमार अर गुप्तवंशी राजान को शासन छो।कोटा नगर सूँ 22 किमी. दूर कोटा रावत भाटा मार्ग प गांव रथ कांकरा क पास चम्बल घाटी म लमसम 300 फ़ीट ऊचाई मे स्थित गेपर नाथ मादेव को मन्दर आपणा अनूठा प्राकृ तिक परवेस ,चट्टानान से कढ़या अनेक झरणान की लैंक बीच आपणी सुन्दरता क साथ दर्सकान के ताँई आकृ षित करे छ। याँ हर बरस सोस्ती प मेळो लागे छ।

दरा अभयारण्य
कोटानगर सू 50 किमी. दूरे घणी सुन्दर कुदरती दरा गेम सेंचुरी की शुरुआत बरस 1955 मँ करीगी ।्‌घाटी क दून्यू आडी 335 सूँ 500 मी. ऊँची पाड्याँ अर मनोरम घाटयां छ। अभयारण्य मं तेंदवा , सांभर,चीतल ,नीळ ग़ाय,रीछ,जंगली सुअर आद जंदावर छ।

विभीसण मन्दर
कोटा सूँ 16 किमी. दूर केथूण कस्बा मं स्थित यो मन्दर तीसरी सूँ पाँँँँँचवी शताब्दी क बीच को बतायो जावे छ।एक छतरी म स्थापित बडी मूरती धड सूँ ऊपर ताणी की छ जी के ताँई विभीसण की मूरती कहयो ज़ाव छ।पण कोई इतिहास विशेषज्ञ ई मुरती के ताँई हनुमान की मूरती भी बतावे छ।
कोटा सेर का दूसरा देखबा जोग जगा म जग मन्दर ,घंटा घर , लक्खी बुरज, छोटी अर बडी समाध , अधर शिला, कोटा बेराज ,कोटा गढ पेलेस , महात्मा गांधी भोन, चिडियाघर, अर नीलकण्ठ मन्दर प्रमुख छ।

 

कला औंर संस्कृति--

 

बीजे परब का रूप म मनाया जाबा हाळो कोटा को दसवारो देश भर मे प्रसिद्ध छ। सन 1579 म कोटा का प्रथम शासक राव माधोसींग द्वारा स्थापित परम्परा 400 बरसान क बाद आज भी चली आरी छ ऩगर विभाग की आडी सूँ आयोजित दसवारा मेला म साहित्यिक , संास्करतिक अर मंनोरजक कार्यकरम आयोजित होवे छ। अर कोटा जिलां म ही सांगोद को न्हाण भी प्रसिद्ध छ। न्हाण को चलण नुवीं शताब्दी सूँ मान्यो जावे छ। होळी का औंसर प मणाया जाबा हाळा ई ऊचछव म गांववासी तरह तरह का सांग बणार आवाडा नेकले छ। देवी देवतान की पूजा के पाछे बरमाणी माई की पूजा होवे छ। रात म सांसकृतिक कार्यकरम होवे छ।
कोटा की चितर सेली भी मेसूर छ।इण आ पुष्ट मारग भगती भावना को गैंरो असर पडयो छ।बूंदी अर कोटा का राजनितिक अर संास्करतिक सम्बंधान के कारणे कोटा चितरकला को जन्म होयो । लंकाव शेली को भी काँई काँई राजनीतिक कारणान सूँ असर आयो छ।कोटा शेली का चित राण का बिसेछ राग राग्ण्या, बरामासा, होळी का आमोद पर मोद का दरस,तरे तरे की सणगार की झांक्यां अर बायरान की आकृति का मांडबा। कोटा की कोटा डोरया की साडयंा भी परसिद्ध छ।पास म कैंथूण कस्बा क ईलावा आसपास का दूसरा गावां अर कोटा म भी कोटा डोरिया साडी त्यार की जावे छ।

 
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