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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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भीलवाडा जिले रो सामान्य परिचय

सहयोगकर्ता-

डॉ भुपेंद्र सिंह भीमड़ीयास़
जिला, भिलवाड़ा
कानाबाती- 9828338900


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क्षेत्रफल

10445 वर्ग कि.मी.

साक्षरता

51.09 प्रतिशत

समुद्र तल सु ऊँचाई

 

आदमियां री साक्षरता

68.12 प्रतिशत

बिरखा रो औसत

70.40 सेमी.

लुगाया री साक्षरता

33.47 प्रतिशत

उच्चतम तापक्रम

 

नगरपालिका

6

न्युनतम तापक्रम

 

पंचायत समितियाँ

11

कुल जनसंख्या

2009516

गांव पंचायता

381

आदमियां री संख्या

 

राजस्व गांव

1730

लुगाया री संख्या

 

तहसील

12

ग्रामीण जनसंख्या

15,94,790

 

 

शहरी जनसंख्या

4,14,726

 

 


भीलवाड़ा
अजमेर खंडवा रेलमार्ग पे प्रमुख औद्योगिक शहर भीलवाड़ा बस्यौ तको है। ई शहर ने ग्यारहवीं सदी उं भी पुराणो केवे है। कर्नल जेम्स टॉड वांकी किताब एनाल्स एण्ड एन्टीक्वीटीज आफ राजस्थान में इके ले लिख्यो तको है। 1825 ईस्वी में विशप हैबर अठे आयो हो और वांका यात्रा वृतान्त में भी अणी शहर रो जिक्र कीदो है। यों शहर सूती कपड़ा उद्योग के ले जाण्यो जावे है। 1948 में राजस्थान को भाग बसवां उं पेली यों भूतपूर्व उदयपुर रियासत में आतो हो। साहस और बलिदान की भूमि भीलवाड़ा की सीमा पुरब में बून्दी, पश्चिम में राजसमन्द, उत्तर में अजमेर अन दक्षिण में चित्तौड़गढ़ मली तकी ही।

पर्यटन स्थल:

हरणी महादेवः 
भीलवाड़ा उं छः किलोमीटर छेटी मंगरोप रोड़ पे शिवालय है, जो हरणी महादेव के नाम उं प्रसिद्ध है। उठें हर शिवरात्रि पे तीन दन को मेळो भरावे है और इने जिला प्रशासन, जिला परिषद् की मदद उं करे। मेळा में तीन दन तक रोज़ राते न्यारा-न्यारा कार्यक्रम अन धार्मिक भजन सन्ध्या (राती-जगा), कवि सम्मेलन अन सांस्कृतिक संध्या को कार्यक्रम राखे। यो मन्दिर मगरा की तलहटी में है, पुराणा टेम में अठे घणां आरण्य वेबा के कारण इने आरण्य वन भी केता हा, जिको अपभ्रंश वेन हरणी नाम वेग्यो है।

मेनाल:
माण्डलगढ़ उं 20 किलोमीटर छेटी चित्तौडगढ़ की सीमा पे पुरातात्विक अन प्राकृतिक सौन्दर्य की जगा मेनाल में बारहवी शताब्दी का चौहान कला का लाल भाटा उं बणायो तको महाकालेश्वर मन्दर, रूठी राणी को मेल, हजारेश्वर मन्दर देखवां जस्यो है। सैकड़ो फीट ऊपर उं पड़तो थको नदी के पानी की धार भी आवा वाला पर्यटकां के लिए खास है।
जहाजपुर: यो भीलवाड़ा जिला को ऐतिहासिक स्थल खुद को इतिहास रंग-बिरंगो लिदो तको है। कर्नल जेम्स टॉड 1820 में उदयपुर जाता तका अठे आयो हो। अटा को बड़ो देवरो (पुराणां मन्दिरों को झुण्ड), पुराणो किलो और गेबीपीर के नाम उं मस्जिद देखवां जसी है।
बिजौलिया: माण्डलगढ़ उं लगभग 35 किलोमीटर छेटी बिजौलिया में प्रसिद्ध मन्दाकिनी मन्दर और बावड़िया है। ये सब बारहवीं शताब्दी का बण्या तका है। लाल भाटा उं वण्या तका मन्दर पुरातात्विक और ऐतिहासिक रूप में भी जाण्यो जावे है कां कि इतिहास प्रसिद्ध किसान आन्दोलन के ले भी बिजौलिया को नाम रियो है।

शाहपुरा:
तहसील मुख्यालय उं 50 किलोमीटर पूरब में शाहपुरा राज्य की राजधानी हो, अठे रेलवे स्टेशन ही नी, गेलो सड़क उं भी जुड़यो तको है। इन्हें रामस्नेही सम्प्रदाय के श्रद्धालुओं को प्रमुख स्थान माने है। मुख्य मन्दर रामद्वारा के नाम उं जाण्यो जावे है, अठे पूरा भारत उं ही न बर्मा तक उं तीर्थ यात्री आवे है। अठे लोक देवताओं की फड पेन्टिंग्स भी बणाई जावे है। अठे प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी केसर सिंह बारहठ की हवेली स्मारक के हिसाब उ जाणी जावे है। अठे होळी के दूसरे दन (धुलण्डी) ने प्रसिद्ध फूल-डोल मेळो लागे है। जो मनका के ले आकर्षण को केन्द्र रेवे है। अठा की ढ़ाई इन्च गुलाब जामुन की मिठाई प्रसिद्ध है।

माण्डल:
भीलवाड़ा जिला उं 14 किलोमीटर छेठी माण्डल कस्बा में प्राचीन स्तम्भ मिन्दारा पर्यटन की दृष्टि उं हव वखत राखे है। अठउं थोड़ी क छेठी मेजा गांव के रोड़ पे प्रसिद्ध जगन्नाथ कच्छावा की 32 खम्भां की विशाल छतरी ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व के हिसाब उं नामचीन है। छः किलोमीटर छेठी शहर को प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मेजा बांध बण्यो तको है। होळी के 13 दिन पछे रंग तेरस पे अठा का लोग नाहर नृत्य करे है जो आकर्षण रो केन्द्र है। केवे है कि शाहजहाँ के राजकाल उं ही यो नाच चाल्यों तका आर्यो है। अठा के तालाब की पाल पे प्राचीन शिव मन्दर वण्या तको है। जिने भूतेश्वर महादेव रे राम उं जाण्यो जावे है।

माण्डलगढ़:
भीलवाड़ा जिला उं 51 किलोमीटर छेठी माण्डलगढ़ में खूब पुराणो विशाल दुर्ग है, त्रिभुजाकार पठार पे यो दुर्ग राजस्थान के पुराणा दुर्गा में एक घण्यो जावे है। ई दुर्ग पे बारी-बारी उं मुगलां और राजपूतां को आधिपत्य रियो  है।

अन्य स्थल:
भीलवाड़ा-उदयपुर गेला पे 45 किलोमीटर छेठी गंगापुर में गंगा बाई की प्रसिद्ध छतरी वणी तकी है जो पुरातात्विक और ऐतिहासिक दृष्टि उं खास मानी जावे है। इ छतरी ने महादजी सिंधिया महाराणाी गंगाबाई की याद में बणवाई ही।

भीलवाड़ा जिला उं 55 किलोमीटर छेठी खारी नदी के बाया किनारा पे एक धार्मिक स्थल भी बण्यो तको है, जिपे राजस्थान का लोक देवता देवनारायण जी को स्थान है और या को अठे भव्य मन्दिर बण्यो तको है, जिण ने इने बणावा वाला भोजराव के नाम पे सवाई भोज केवे है।

भीलवाड़ा उं 60 किलोमीटर छेठी पश्चिम में राजाजी का करेड़ा को भी आछ्यो नाम है। यो खास-तौर पे प्रसिद्ध मन्दर कल्ला जी के नाम उं जाण्यो जावे है। इके लारे सरकार सैलानी बाबा के नाम उं भी प्रसिद्ध है। अबाणूं 12-13 में राजस्थान का मुख्यमंत्री श्री अशोक जी गहलोत अने तेरहवीं तहसील बणावां री घोषणा किदी ही।
आवा जावा रा साधन

            भीलवाडा रेलमार्ग ने सड़कमार्ग उं संगला महानगरा उं जुड़ियो तको है।
 

 

 

 

 

 

 
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