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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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बीकानेर जिले रो सामान्य परिचय

सहयोग कर्ता रो नाम अने ठिकाणो (मूलनिवास)
जीत मारु D/O किसन जी मारु
उस्तो री बारी रे बाहर ,बजरंग काँलोनी
बीकानेर (राजस्थान )
मोबाइल न. 9828022553

वर्तमान ठिकाणो
श्रीमति जीत राजेन्द्र भाटी
163/ओपोजिट कदम्ब बंगलोज
वस्त्रापुर फ़ाउन्टेन ,बोडकदेव
अहमदाबाद (गुजरात )
मोबाइल न. 9924509679 /999873630

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क्षेत्रफ़ल

30286.19 वर्गकिमी

साक्ष र ता

57.54 प्रतिशत

समुद्र तल सु ऊँचाई

 

आदमियो री साक्षरता

70.78 प्रतिशत

बारिश रो औंसत

26.37 से.मी.

लुगाया री साक्षरता

42.55 प्रतिशत

उच्चतम तापक्रम

48 से.ग्रे.

नगरपालिका

3

न्युनतम तापक्रम

6 से.ग्रे.

पंचायत समितियाँ

5

कुल जनसंख्या

16,73,562

गांव पंचायते

219

आदमियो री संख्या

8,85,722

राजस्व गांव

880

लुगाया री संख्या

7,87,840

तहसील

6

ग्रामीण जनसंख्या

 

 

 

शहरी जनसंख्या

 

 

 


इ शहर री स्थापना राव बीकाजी सन 1488 मे करी ईरे वास्ते इरो ओ नाम पडयो। राव बीकाजी जोधाजी रा बेटा हा।ओ राजस्थान रे 5 संभागो मे सु एक हैं।ओ थार रेगिस्तान रो भाग हैं। अठ्ठे सिंधुघाटी व वैंदिक संस्कृति रा अवशेष मिल्या हैं। ओ जिलो 27ं.11 से 20ं.03 उत्तरी अंक्षाश व 71 ं.54 सु 74 ं.12 पूर्वी देशांतर बीच बसयोडो हैं। इ जिले मे 880 गाव,219 गावंपच्‌ंाायत हैं। ई जगे पर खेजडी रोहडा,बेर औंर जाल व पीलू,नीम, आक, पीपल रा पेड हुवे हैं। महाभारत काल रे समय ई क्षेत्र ने कुरू जांगल रे नाम सू जाणो जावतो हो। 1947 मे शहर रे शासक ने इने राजस्थान राज्य मे मिला दियो । वैंज्ञानिको री धारणा हैं कि पेला ई जगे पाणी ज्यादा हो व समुद्र लहरावतो हो। ई जगा रो तापमान बदलतो रेवे हैं। शहर 5 दरवाजो कोट्गेट,जस्सूसर गेट,नाथूसर गेट,व गोगागेट सू घिरयोडो हैं। ईरे अलावा कई छोटे दरवाजो मे हम्मालो री बारी,उस्तो री बारी,कसाईयो री बारी,पाबू बारी व ईदगाहबारी आदि सामिल हैं।शहर रे भीतरी इलाको मे कई प्राचीन हवेलियो रे लाल पत्थर पर नक्काशी युक्त जाली झरोखे औंर द्वार गोखडा देखण लाइक हैं।

दर्शनीय स्थल

 

बीका री टेकरी
ओ किलो एक ऊंची चट्टानी जगेपर बणयोडो हैं जके ने राव बीकाजी शहर री स्थापना सु 3 साल पेला बणायो। ओ खण्डर रुप मे हैं। ओ शहर रे दक्षण पचिम मे स्थित पवित्र स्थान हैं। ई पवित्र जगे रे कने राव बीका, राव नारुजी, राव लूणकरण व जैंतसिंह री छतरया हैं।

जूनागढ
ई दुर्ग रो निर्माण 1593 मे राय सिंह जी करवायो । ओ दुर्ग लाल बलुआ पत्थर औंर संगमरमर सू बणियोडो अति सुन्दर हैं। दुर्ग मे प्रवेश रे मुख्य दरवाजो मे करणपोल व सूरजपोल हैं। इ दुर्ग रे परकोटो पर कई बुर्जा हैं । इरे चारो तरफ़ खाई हैं।ई दुर्ग रे चन्द्र महल औंर फ़ूल महल मे शानदार चित्रकारी,कांच औंर नक्कशीदार संगमरमर रा पैंनल हैं। अन्य महलो मे अनूप महल करन महल डुंगर महल ,गंगा महल,गज मंदिर औंर रंग महल प्रमुख हैं। महलो री दीवारो ने कलाकृतियो सु सजायोडो हैं। ओ मुगल कला सु प्रभावित राजपूत चित्रकारी रो नमूनो हैं। ई दुर्ग मे गंगानिवास दरबार हॉल,चीनी बुर्ज,हरम्ंादिरऔंर संग्रहालय भी हैं।

लालगढ पैंलेस
ओ शहर रे बाहरी इलाको मे स्थित भव्य भवनो मे सु एक हैं। लाल पत्थरो उपर शानदार नक्काशी युक्त ई भवन रे भीतरी कक्षो मे सुन्दर चित्रकारी करीयोडी हैं। लालगढ पैंलेस ई शताब्दी रे शुरु मे गंगासिंह जी द्वारा बणायोडो हैं। ई महल मे करीब 100 कमरा व एक भव्य पुस्तकालय भी हैं जके मे प्रामाणीक अभिलेख व अप्राप्य किताबा पडी हैं।लालगढ पैंलेस रे बारे लालसिंहजी री आदमकद प्रतिमा हैं।

गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय
5 नवम्बर 1937 ने महाराजा गंगासिंह री स्वर्ण जंयत समारोह री संध्या ने ओ संग्रहालय खुलयो ।ई संग्रहालय मे टेराकोटा, अस्त्र शस्त्र,शहर शेली रा लघुचित्र व प्राचीन सिक्को रो अच्छो संग्रह हैं। हडप्पा सभ्यता व गुप्त एवम कुषाण काल तथा बीरे बाद री भी मूर्तिकला व अन्य सामग्री प्रर्दशित हैं। संग्रहालय रे एक भाग मे क्षेत्रिय कला व हस्ताल्प रो प्रर्दशन देख सका।

गंगा निवासपब्लिक पार्क
ओ सार्वजनिक उधान दुर्ग रे सम्मुख सूरसागर जलकुण्ड रे कने हैं। बी समय रा वायसराय लॅार्र्‌डहारडंगस 1915 मे इरो उधघाटन करयो। पार्क मे बच्चो रे वास्ते छोटी कृत्रिम झील मे नौंका विहार री सुविधा हैं।पार्क रे एक कोने मे महाराजा डुंग़र सिंह री प्रतिमा व मुख्य द्वार रे सामने गंगासिंह जी री प्रतिमा हैं। गंगानिवास मे ही एक चिडिया घर भी हैं ।

रतन बहारी जी का मंदिर
शहर रे मुख्य मार्ग के इ एम रोड रे पास रतन बहारी जी रो मंदिर हैं । ई जगे रशिक सिरोमणी औंर रतन बहारी रा दो मंदिर हैं।इरो निर्माण 1828 ,52 मे शहर रा तत्कालीन महाराजा रतनसिंह करवायो। इने बणावन मे लाल व स्फ़ेद पत्थरो रो प्रयोग हुयो हैं।अठे टेस्सी टोरी पार्क भी देखण लायक हैं ।

लक्ष्मीनाथ मंदिर
ई मंदिर रो निर्माणराव लूणकरण 1505 सु 1526 रे दौंरान करायो बाद मे महाराजा गंगासिंह रे समय ओ उधान विकसित करयो । मंदिर मे विष्णु लक्ष्मी जी री मुर्ति हैं।

भाण्डासर जैंन मंदिर
लक्ष्मीनाथ मंदिर रे कने ही ओसवाल महाजन भाण्डासर द्वारा बणायोडो ओ मंदिर दर्शनीय हैं। ई मंदिर रो निर्माण 1468 मे हुयोओ मंदिर काफ़ी ऊंचो हैं । मंदिर रे अन्दर रंगीन कांच व सुन्दर चित्रकारी करयोडी हैं।मंदिर मे 23 वे जैंन तीर्थकर पाार्वनाथ स्वामी री प्रतिमा विराजमान हैं। इरे अलावा नेमीनाथ मंदिर,धूनीनाथमंदिर चिंतामणी जी का मंदिर व नागणेची का मंदिर हैं।

ऊंट अनुसंधान केन्द्र
शहर सु लगभग 8 किमी. दूर स्थित ओ केन्द्र एशिया मे अपनी तरह रो पहलो अनुसंधान केन्द्र हैं। लगभग 2 हजार एकड क्षेत्रफ़ैंलो ओ केन्द्र भारत सरकार रे अधीन कार्यरत हैं। अठे उन्नत नस्ल रे ऊंटो रो उत्पादन व बी पर अनुसंधान करयो जावे हैं।

देवीकुंड
 शहर सु पुर्व री औंर 6 किलो मीटर दूर एक जलकुण्ड रे किनारे ई स्थल पर भूतपूर्व शासको रीछतरयो हैं। देवीकुण्ड अठे बणयोडी इमारता रा गुम्बज बोत सुंदर हैंं। ओ एक अच्छो पिकनक स्थल हैं।

शिव बाडी मंदिर
शहर सु देवीकुण्ड जाणे वाले मार्ग मे स्थित शिवबाडी मंदिर रो निर्माण डुंगर सिंह जी 19वी शताब्दी मे करवायो। मंदिर रे चारो औंर कोटबंदी दीवार हैं।मंदिर रे भीतर सुंदर चित्रकारी करयोडी हैं। शिवलिंग रे सामने नन्दकेशवर री कांसी री प्रतिमा हैं।सावन मे अठे मेळो लागे हैं।

गजनेर
शहर रे दक्षिण पचिम मे स्थित ओ स्थान 32 किलो मीटर दूरी पर स्थित हैं अटे री
झील,महल,वन्य जीव अभयारण्य तथा अप्रवासी पक्षिंयो रो कलरव बर बस ही सबने आकर्षति करे हैं। इने एक पर्यटन स्थल रे रुप मे विकसित करने वासते इया गजनेर पैंलेस होटल खोलयो हैं।अटे एक प्राचीन गोपाल मंदिर भी हैं । गजनेर झील मे नौंका विहार री सुविधा भी हैं।

कोलायत
शहर सु 50 किलो मीटर दूर स्थित इ पवित्र तीर्थ स्थल पर कपिल मुनी रो मंदिर हैं। कपिल मुनी भारतीय सांख्य दर्शन रा प्रणेता माना जावे हैं।कार्तिक मास पर लागण वाले 5 दिवसीय धार्मीक मेळे मे हजारो यात्री अटे रे पवित्र जलाशय मे डुबकी लगावने भेळा हुवे हैं।
कोलायत मे नौंका विहार री सुविधा भी हैं। अटे रे पवित्र सरोवर रे किनारे कई मंदिर व स्नान घाट बणयोडा हैं।

देशनोक
शहर सु 30 किलो मीटर दूर देशनोकगांव मे प्रसिद्ध करणी माता रो मंदिर हैं। करणी जी एक सामान्य चारण महिला ही जका रो जन्म 20 सितम्बर 1387 ने फ़लोदी रे कने सूवाप गावं मे हुयो। आप रे जनहित कार्यो रे कारण ए देवी रे रुप मे पुज्या गया । विवाह रे कुछ दिन बाद अकाल रे कारणए सपरिवारदेशनोकआया। ओ मंदिर 600 साल पुराणो हैं ई रे प्रवेश द्वार व दोनो तरफ़ री दीवारो पर संगमरमर पत्थर पर महीन कारीगरी करयोडी हैं। ई मंदिर रे अन्दर रो द्वार चांदी रो बणयोडो हैं इने महाराजा गंगासिंहजी भेंट करयों। इ मंदिर मे चूहा हमेशा घुमता रेवे हैं जकाने अटा रा लोग काबा केवे हैं, इयाने पवित्र मानो जावे हैं,दर्शनार्थी इ चुहो रे वास्ते प्रसाद औंर दूध चढावे हैं। अटे पर्यट्को वास्ते धर्मशाला औंर विश्राम गृह री व्यवस्था हैं।

मुकाम
शहर रे नोखा तहसील सु 15 किलो मीटर दूर ओ गांव विशनोई समाज रा संस्थापक जाम्भोजी रे म्ंादिर रे कारण प्रसिद्ध हैं। विशनोई समाज मे मुकाम री प्रतिष्ठा पवित्र स्थान रे रुप मे हैं क्योकि अटे सु 16 किलो मीटर दूर पीपासर मे भादवा कृष्णा 8 ने जाम्भोजी रो जन्म हुयो। मुकाम मे जाम्भोजी रे समाधी स्थल पर साल मे दो बार मेळो फ़ाल्गुन अमावस्या औंर सावन कृष्णा चौंदस व अमावस्या ने मेळो लागे हैं ।अटे पर्यट्को वास्ते धर्मशाला औंर विश्राम गृह री व्यवस्था हैं।

कोड्म देसर
शहर रे पचिम सु 24 किलो मीटर दूर ओ छोटो सो गावं हैं।अटे एक जलाशय रे किनारे भैंरुंजी रो मंदिर हैं। शहर मे आपरी राजधानीस्थापित करने सु पेला राव बीका 3 साल तक कोडम देसर मे ही रेया राव बीका ही जलाशय रे किनारे भैंरुंजी रो मंदिर बणवायो जकेने बे आपरे मण्डोर (जोधपुर) सु लेर आया।

 

 

कला औंर संस्कृति

 

शहर मे हर साल जनवरी मे पर्यटन ,कला एवं विभाग रे सहयोग सु ऊंट महोत्सव मनायो जावे हैं।शहर मे गलीचा औंर ऊनी दरिया,लोकप्रिय हैं। सूती कपडो री रंगाई छपाई हुवे हैं। अटे हस्तशिल्प कला री वस्तुआ प्रसिद्ध हैं।ऊंट री खाल पर चित्रकारी रो काम उस्ता परिवार रा लोग करे हैं।खाध पदार्थो मे रसगुल्ला, भुजिया एवं पापड प्रसिद्ध हैं। अटे अनूप संस्कृत पुस्तकालय सबसु पुरानो हैं। दुसरे संग्रहो मे स्व. मोतीचन्द्र नाहटा रा संग्रह साहित्य एवं कला की दृष्टि सु खास हैं । प्रदर्शनकारी कलाओ मे अटे रा लोकनृत्यो री परंपरा सैंकडो साल पुरानी हैं। रंगमंच रे क्षेत्र मे शहर री रम्मतो रो जोड नही हैं।

 
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फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

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