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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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जयपुर जिले रो सामान्य परिचय

 

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क्षेत्रफल

14068 वर्ग कि.मी.

साक्षरता

70.63 प्रतिशत

समुद्र तल सु ऊँचाई

122-183 फ़ीट

आदमियां री साक्षरता

83.58 प्रतिशत

बारिश रो औसत

 

लुगाया री साक्षरता

56.18 प्रतिशत

उच्चतम तापक्रम

 

नगरपालिका

10

न्युनतम तापक्रम

 

पंचायत समितियाँ

13

कुल जनसंख्या

52,52,388

गांव पंचायतां

488

आदमियां री संख्या

27,69,096

राजस्व गांव

2359

लुगाया री संख्या

24,83,292

तहसील

13

ग्रामीण जनसंख्या

26.58 लाख

 

 

शहरी जनसंख्या

25.94 लाख

 

 


जयपुर

सहयोगकर्ता
अनामिका चौहान
54-जनपथ, श्‍यामनगर जयपुर
कानाबाती- 9351379661


परिचय

गुलाबी नगर रै नाम सूं जाण्‍यौ जावा वाळो जैपुर राजस्थान राज्य री राजधानी छै। आमेर रै तौर माथै यो प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े री भी राजधानी रेयो छै। इण शहर री स्थापना  १७२८  माय  आंबेर रै  महाराजा जयसिंह द्वितीय करी ही। जैपुर आपणी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति अर ऐतिहासिक महत्व रै खातर प्रसिद्ध रेयो छै। इण शहर नैं तीन आड़ी सूं अरावली पर्वतमाला घैर राख्‍यो छै। जैपुर शहर री पिचाण अठै रा मेहलां अर पुराणा घरां माय लाग्‍या गुलाबी धौलपुरी भाटा सूं होवसी, जो अठैरी स्थापत्य री खूबी मान्‍यी जावै छै। १८७६ माय तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह इंग्लैंड री महाराणी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट रै स्वागत माय आक्‍खा शहर रो रंग गुलाबी करवा दियो, जद सूं शहर रौ नाम गुलाबी नगरी पड़ग्‍यो।

शहर चारूं मैर सूं भींता अर परकोटा सूं घिरियो हुओ छै, जिण माय प्रवेश रै वास्‍तै सात दरवाजे छै।  फैरूं एक और द्वार भी बण्‍यो जो न्यू गेट कैहलायो। जैपुर आधुनिक शहरीकरण माय सबसूं नियोजित अर व्यवस्थित शहरां माय गिण्‍यो जासी। शहर रै वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य रो नाम आज भी प्रसिद्ध छै। ब्रिटिश शासन रै दौरान इण माथै कछवाहा  राजपूत शासकां रो शासन रेया हो। १९वीं सदी माय इण शहर रो विस्तार शुरु हुयो विण बखत इणरी जनसंख्या १,६०,००० ही जो बढ़’र २००१ रै आंकड़ों रै अनुसार २३,३४,३१९ होयग्‍यी। अठै रा मुख्य उद्योगां माय धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न अर आभूषणां रो आयात-निर्यात अर पर्यटन आदि भैळा छै। जैपुर नैं भारत रौ पेरिस भी कैयो जावै छै। इण शहर री वास्तु रै बारां माय कैयो जावै छै कै शहर नैं सूत सूं नाप लो, नाप-जोख माय एक बाल रै बरोबर भी फ़र्क नीं मिलसी।

सत्रहवीं शताब्दी माय जद मुगल आपणी ताकत खोवा लाग्‍या, तो संगळा भारत  माय अराजकता माथौ उठावा लागी, अस्‍या माय राजपूताना री आमेर रियासत, एक बडी ताकत रै रूप माय उभरी। महाराजा सवाई जयसिंह  नैं जद सुचारु  राजकाज  संचालन रै वास्‍तै  आमेर न्‍हानो लागवा लाग्‍यो तो नुंवी राजधानी रै रूप माय जैपुर साम्‍ही आयो। इण शहर री नींव कठै राखी गी, इण बारां माय मतभेद छै, पण इतिहासकारों रै अनुसार तालकटोरा रै कनै स्थित शिकार री होदी सूं इण रै निर्माण री शुरुवात होई।

राजा सवाई जयसिंह द्वितीय यो शहर बसाणे सूं पैली इणरी सुरक्षा रै वास्‍तै सात मजबूत दरवाजों रै साथै किलाबंदी करवाई। इतिहास री पौथियां रै अनुसार यो देश रो पैलो आक्‍खी योजना रै साथै बण्‍यो शहर छै अर स्थापना रै समै राजा जयसिंह आपणी राजधानी आमेर माय बढ़ती आबादी अर पाणी री समस्या नैं ध्यान में राख’र ही इणरो विकास कियो हो। नगर रै निर्माण रो काम १७२७ माय शुरू होयो अर प्रमुख स्थानां नैं बणवा माय लगाबगा चार वरस लाग्‍या। यो शहर नौ खंडों माय विभाजित छै, जिणमें दो खंडों माय राजकीय इमारतां अर राजमहलां बस्‍या छै। शिल्पशास्त्र रै आधार माथै नगर बसावा री राय एक बंगाली ब्राह्मण विद्याधर भट्टाचार्य दी ही।

यो शहर आरंभ सूं 'गुलाबी' नगर नीं हो, पण १८५३ माय जद वेल्स रै राजकुमार आया तो महाराजा रामसिंह रै आदेश सूं इणनैं गुलाबी रंग सूं रंग जादुई आकर्षण प्रदान करवा री कोशिश करी गई। उणरै पछै ही यो 'गुलाबी नगरी' रै नाम सूं प्रसिद्ध होयो।


जैपुर रो बदलाव 

जैपुर री रंगत अबै बदल री छै। अबै तो जैपुर विश्व रै दस सबसूं रूपाळा शहरों माय भैळो छै। जैपुर माय स्वतन्त्रता रै पछै केई महत्वाकांक्षी निर्माण होया। एशिया री सबसूं बडी आवासीय बस्ती मानसरोवर, राज्य रो सबसूं बडो सवाई मानसिंह चिकित्सालय, विधानसभा भवन, अमर जवान ज्योति, एम.आई.रोड, सेन्ट्रल पार्क अर विश्व रै प्रसिद्ध बैंक अणी कड़ी माय भैळा छै। जूना जैपुर और नुवां जैपुर माय नुवीं अर जूनी संस्कॄति रा दरसण इण शहर रै विकास अर इतिहास दोन्‍यूं नैं स्पष्ट करै छै।


जैपुर रा दरसणजोग स्थल

शहर माय घणा सारा पर्यटन आकर्षण छै, जिण माय जंतर मंतर, हवा महल, सिटी पैलेस, गोविंद देवजी रो मंदिर, बी एम बिड़ला तारामण्डल, आमेर रो किलो, जयगढ़ दुर्ग आदि आवै छै। जैपुर रै रौनक भरिया बाजारां माय दुकानां रंग बिरंगा सामानां सूं भरी पड़ी छै, जिण माय हथकरघा उत्पाद, मूंगा भाटा, हस्तकला सूं युक्त वनस्पति रंगों सूं बण्‍या वस्त्र, मीनाकारी आभूषण, पीतल रा सजावटी सामान, राजस्थानी चित्रकला रै नमूने, नागरा-मोजड़ी जूतियाँ, ब्लू पॉटरी, हाथीदांत रै हस्तशिल्प अर सफ़ेद संगमरमर री मूरतां आदि भैळी छै। प्रसिद्ध बाजारों माय जौहरी बाजार, बापू बाजार, नेहरू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार और एम.आई.रोड़ रै साथै लाग्‍या बाजार छै।


सिटी पैलेस-

राजस्थानी व मुगल शैलियों री मिश्रित रचना, एक पूर्व शाही निवास जो जूना शहर रै बीचों-बीच छै। भूरा संगमरमर रा स्तंभ माथै टिक्‍या नक्काशीदार मेहराब, सोना अर रंगीन भाटा री फूलां वाळी आकृतियों सूं अलंकृत छै। संगमरमर रा दो नक्काशीदार हाथी प्रवेश द्वार माथै पेहरेदार रै ज्‍यूं ऊबा छै। पैलेस माय एक संग्राहलय छै जिण माय राजस्थानी पोशाकों व मुगलों अर राजपूतों रै हथियारां रो बढ़िया संग्रह छै। इण माय घणा रंगा अर आकारों वाळी तराशी मूंठ री तलवारा भी छै, जिण माय सूं केई मीनाकारी रा जड़ऊ काम अर जवाहरातों सूं अलंकृत छै अर शानदार जड़ी म्यानां सूं युक्त हैं। मेहल माय एक कलादीर्घा भी छै, जिण माय लघुचित्रों, कालीनों, शाही साजों सामान अर अरबी, फारसी, लेटिन व संस्कृत माय दुर्लभ खगोल विज्ञान री रचनावां रो उत्कृष्ट संग्रह छै, जो सवाई जयसिंह द्वितीय विस्तृत रूप सूं खगोल विज्ञान रो अध्ययन करवा रैवास्‍तै प्राप्त करी ही।


जंतर मंतर-

एक भाटा री वेधशाला। या जयसिंह री पाँच वेधशालावां माय सबसूं विशाल छै। इणरै जटिल यंत्र, इणरो विन्यास व आकार वैज्ञानिक ढंग सूं त्‍यार कियो गयो छै। या विश्वप्रसिद्ध वेधशाला जिणनैं २०१२ माय यूनेस्को विश्व धरोहरों माय भैळो कियो छै, मध्ययुगीन भारत रै खगोलविज्ञान री उपलब्धियों रो जीवंत नमूना छै। इण माय सबसूं प्रभावशाली रामयंत्र छै, जिणरो इस्तेमाल ऊंचाई नापवा रै वास्‍तै कियो जावै छै।


हवा महल-

ईसवी सन् 1799 माय निर्मित हवा महल राजपूत स्थापत्य रो मुख्य प्रमाण चिन्ह छै। जूनी नगरी री मुख्य गलियों रै साथै यो पाँच मंजिलो मेहल गुलाबी रंग माय अर्धअष्टभुजाकार और परिष्कृत छतेदार बलुए भाटा रा झरोखा सूं सुसज्जित छै। शाही स्त्रियां शहर रो दैनिक जीवन अर शहर रा जुलूस देख सकें अणी उद्देश्य सूं इण मेहल री रचना करी गई ही।


जयगढ़ दुर्ग-

मध्ययुगीन भारत री कुछ सैनिक इमारतों माय एक, जयगढ़ दुर्ग। महलों, बगीचों, टांकियों, दूजा भन्डार, शस्त्रागार, एक सुनोयोजित तोप ढलाई-घर, केई मंदिर, एक लंबो बुर्ज अर एक विशालकाय तोप- जयबाण, जो देश री सबसूं बड़ी तोपों माय एक छै। जयगढ़ रा फैल्‍या परकोटा, बुर्ज अर प्रवेश द्वार पश्चिमी द्वार क्षितिज नैं छूवै छै।


नाहरगढ़ किलो

जयगढ री पहाड़ियों रै पाछे स्थित गुलाबी शहर रो पहरेदार छै- नाहरगढ़ किलो। यद्यपि इणरो घणो हिस्सो ध्वस्त हो ग्‍यो छै, फैर भी सवाई मान सिंह द्वितीय व सवाई माधोसिंह द्वितीय री बणाई मनोरम इमारता किले री रौनक बढावै छै। 


गोविंद देवजी रो मंदिर-

जैपुर माय भगवान कृष्ण रो सबसूं प्रसिद्ध, बिना शिखर रो मंदिर। यो चन्द्रमहल रै पूरब माय बण्‍या जन-निवास बगीचे रै बीच अहाते माय स्थित छै। संरक्षक देवता गोविंदजी री मूर्ति पैली वृंदावन रै मंदिर माय स्थापित ही जिणनैं सवाई जयसिंह द्वितीय आपणै परिवार रै देवता रै रूप माय अठै पुनः स्थापित कियो हो।


गलताजी-

एक प्राचीन तार्थस्थल। मंदिर, मंडप अर पवित्र कुंडो रै साथै हरियाली युक्त प्राकृतिक दृश्य इणनैं आनन्ददायक स्थल बण देवै छै। दीवान कृपाराम रै हाथ सूं निर्मित ऊंची चोटी रै शिखर माथै बण्‍यो सूर्य देवता रो न्‍हानो सो मंदिर शहर रै संगळा स्थाना सूं दिखै छै।


सरगासूली (ईसर लाट)-

त्रिपोलिया बाजार रै पश्चिमी किनारा माथै ऊंची मीनारनुमा इमारत जिणरो निर्माण ईसवी सन् 1749 माय सवाई ईश्वरी सिंह आपणी मराठा विजय रै उपलक्ष्य माय करवायो हो।




जैन मंदिर-

आगरा मार्ग माथै बण्‍या इण उत्कृष्ट जैन मंदिर री भींतां माथै जैपुर शैली माय उन्नीसवीं सदी रा घणा रूपाळा चित्र बण्‍या छै।


मोती डूंगरी अर लक्ष्मी नारायण मंदिर-

मोती डूंगरी ऊंचाई माथै बण्‍यो किला छै, जो स्कॉटलैण्ड रै किले रै ज्‍यूं निर्मित छै। कुछ वर्षों पेंली, पहाड़ी पादगिरी माथै बण्‍यो गणेश मंदिर और अद्भुत लक्ष्मी नारायण मंदिर भी उल्लेखजोग छै।


रामनिवास बाग-

एक चिड़ियाघर, पौधघर, वनस्पति संग्रहालय सूं युक्त एक हरो-भरो विस्तृत बाग, जठै खेल रो प्रसिद्ध क्रिकेट मैदान भी छै। बाढ राहत परियोजना रै अंतर्गत ईसवी सन् 1865 माय सवाई राम सिंह द्वितीय इणनैं बणवायो हो। सर विंस्टन जैकब सूं रूपांकित, अल्बर्ट हाल जो भारतीय वास्तुकला शैली रो परिष्कृत नमूना छै, जिणनै पछै उत्कृष्ट मूर्तियों, चित्रों, सज्जित भांडो (बर्तनों), प्राकृतिक विज्ञान रै नमूनों, इजिप्ट री एक ममी अर फारस रै प्रख्यात कालीनों सूं सुसज्जित कर खोल्‍यो ग्‍यो। सांस्कृतिक कार्यक्रमां नैं बढ़ावा देवा रै वास्‍तै एक प्रेक्षागृह रै साथै रवीन्द्र मंच, एक आधुनिक कलादीर्घा अर एक खुला थियेटर भी इण माय बणायो ग्‍यो छै।


स्टैच्यू सर्किल –

चक्कर रै बीच सवाई जयसिंह रो स्टैच्यू घणो ही उत्कृष्ट ढंग सूं बण्‍यो हुओ छै। इणनैं जैपुर रै संस्थापक नैं श्रद्धांजलि देवा रै वास्‍तै नुवीं क्षेत्रीय योजना रै अंतर्गत बणायो ग्‍यो छै। इण माय स्थापित सवाई जयसिंह री भव्यमूरत रै मूर्तिशिल्पी स्व.महेंद्र कुमार दास छै।


सांगानेर -

जयपुर सूं १२ किलोमीटर टोंक जावा वाळा राजमार्ग माथै स्थित छै। इणरै ध्वस्त महलों रै अलावा, सांगानेर रै उत्कृष्ट नक्काशीदार जैन मंदिर छै। दो त्रिपोळिया (तीन मुख्य द्वार) रै अवशेषो सूं नगर माय प्रवेश कियो जावै छै। शिल्प उद्योग रै वास्‍तै यो महत्वपूर्ण केन्द्र छै अर ठप्पे व जालीदार छपाई री इकाइयों सूं हाथ रा बण्‍या बढिया कपड़ा अठै री देण छै। ये कपड़ा देश व विदेश माय प्रसिद्ध छै।


बगरू –

३४ किलोमीटर अजमेर मार्ग माथै, जुनो किलो, अबार भी आच्छी अवस्था माय छै। यो आपणै हाथ री छपाई रै हथकरघा उद्योग रै वास्‍तै उल्लेखजोग छै, जठै सरल तकनीको रो प्रयोग होवै छै। इण हथकरघाओं रा डिजाइन कम जटिल व मटियाला रंगा रा होवै छै।


रामगढ़ झील –

३२ किलोमीटर उत्तर-पूरब माय रूंखड़ा सूं आच्छादित पहाड़ियो रै बीच एक ऊंचो बांध बांध’र एक विशाल कृत्रिम झील रो निर्माण कियो ग्‍यो छै। यद्यपि जमवा माता रो मंदिर व जूना किला रा खंडहर इणरा पुरावशेष छै। विशेषकर बरखा रै मौसम माय इणरै आकर्षक प्राकृतिक दरसाव इणनैं एक बेहतर पिकनिक स्थल बणा देवै छै।


सामोद –

४० किलोमीटर उत्तर-पूरब माय रूपाळा सामोद मेहल रो पुनर्निमाण कियो ग्‍यो छै अर यो राजपूत हवेली वास्तुकला रो बेहतर नमूनो छै साथ ही पर्यटन रै वास्‍तै उत्तम स्थल भी छै।


विराट नगर-

शाहपुरा-अलवर मार्ग माथै 86 किलोमीटर छेटी, खुदाई करवा पे निकळिया एक वृत्ताकार बुद्ध मंदिर रै अवशेषों सूं युक्त एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान छै, जो राजस्थान रो असाधारण व भारत रो आरंभिक प्रसिद्ध मंदिर छै। बैराठ माय मौर्य, मुगल व राजपूत समै रै स्मृतिचिन्ह भी हैं। अकबर द्वारा निर्मित एक खान, एक रमणीय मुगल बगीचो और जहांगीर द्वारा निर्मित चित्रित छतरियां व भींतां सूं युक्त असाधारण इमारत अन्य आकर्षण हैं। 


सांभर झील-

14 किलोमीटर पश्चिम माय लूंण (नमक) री विशाल झील, पवित्र देवयानी कुंड, मेहल और कनै ही स्थित नालियासार प्रसिद्ध छै।


जयसिंहपुरा खोर –

अजमेर मार्ग सूं 12 किलोमीटर- मीणा कबीले रै इण आवास माय एक दुर्गम किलो, एक जैन मंदिर अर हरा-भरा रूंखां रै बीच एक बावड़ी छै।


चाकसू –

चाकसू सूं 2 किमी पूरब माय शीतला माता रो मंदिर छै जिण माय प्रतिवर्ष चैत्र री अंधारी एकम् अर आठम (कृष्ण प्रतिपदा अर अष्टमी) नैं अठै मेळो भरै छै जिण माय लाखों री गिणती माय लोग भैळा होवै छै ।


गुड़िया घर -

पुलिस स्मारक रै कनै मूक बधिर विद्यालय रै अहाता माय केई देशों री रूपाळी गुड़ियाँ अठै प्रदर्शित छै।


बी एम बिड़ला तारामण्डल-

आपणै आधुनिक कम्पयूटरयुक्त प्रक्षेपण व्यवस्था रै साथै इण ताराघर माय श्रव्य व दृश्य शिक्षा अर मनोरंजनों रै साधनों री अनूठी सुविधा उपलब्घ छै। विद्यालयों रै दलों रै वास्‍तै अठै रियायत उपलब्ध छै।


गैटोर-

पश्चिम माय गैटोर रो रजवाड़ी मसाण (शाही श्‍मशान घाट) छै जिण माय जैपुर रै सवाई ईश्वरी सिंह रै सिवाय समस्त शासकों रै भव्य स्मारक छै। बारीक नक्काशी व लालित्यपूर्ण आकार सूं युक्त सवाई जयसिंह द्वितीय री घणी ही प्रभावशाली छतरी छै।


आमेर रो किलो-

यो कदैक सात सदी ताई ढूंडार रै जूना राज्य रै कच्छवाहा शासन री राजधानी रेया हो।

आमेर रो किलो अर शीला माता मंदिर राजा मान सिंह, मिर्जा राजा जयसिंह और सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित महलों, मंडपों, बगीचों अर मंदिरों रो एक आकर्षक भवन छै। मावठा झील रै शान्त पाणी सूं यो किलो सीधो उभरै छै अर वठै सुगम रास्ता सूं पौंच्‍या जा सकै छै। सिंह पोल अर जलेब चौक तक अकसर पर्यटक हाथी माथै सवार होयर जावै छै। चौक रै सिरा सूं नाळ (सीढ़ियों) री पंक्तियाँ उठै छै, एक शिला माता रै मंदिर री ओर जावै छै अर दूजी किला रै भवन री ओर। अठै स्थापित करवा रै वास्‍तै राजा मानसिंह संरक्षक देवी री मूरत, जिणरी पूजा हजारों श्रद्धालु करै छै, पूर्वी बंगाल (जो अबै बंगला देश छै) रै जेसोर सूं ल्‍याया हा। एक दरसीण स्तंभों वाळो हॉल दीवान-ए-आम अर एक दोमंजिलो चित्रित प्रवेशद्वार, गणेश पोळ आगे रा प्रांगण माय छै। गलियारा रै पाछे चारबाग री आड़ी एक रमणीय न्‍हानो बगीचो छै जिणरी जिमणी आड़ी सुख निवास छै अर डावी आड़ी जसमंदिर। इण माय मुगल अर राजपूत वास्तुकला रो मिश्रण छै। बारीक ढंग सूं नक्काशी करी जाळी री चिलमन, बारीक शीशां अर गचकारी रो काम अर चित्रित व नक्काशीदार निचली भींतां। मावठा झील रै बीच माय सही अनुपातित मोहन बाड़ी या केसर क्यारी अर उणरै पूर्वी किनारा माथै दिलराम बाग ऊपरै बण्‍या मेहलां रो मनोरम दरसाव दिखावै छै।

जूनो शहर – कदैक राजावां, हस्तशिल्पों अर आम जनता रो आवास आमेर रो जुनो क़स्बो अबै खंडहर बण ग्‍यो छै। आकर्षक ढंग सूं नक्काशीदार व सुनियोजित जगत शिरोमणि मंदिर, मीराबाई सूं जुड़्यो एक कृष्ण मंदिर, नरसिंहजी रो जूनो मंदिर व आच्छे ढंग सूं बण्‍यो पंगतियां (सीढ़ियां) वाळो कुड़ो, पन्ना मियां रो कुण्ड समृद्ध अतीत रा अवशेष छै।

दूजा स्थल- आमेर मार्ग माथै रामगढ़ मारग रै चौराया रै कनै राणियों री याद माय बणी आकर्षक महाराणी री केई छतरियां छै। मानसागर झील रै बीच, सवाई माधोसिंह प्रथम द्वारा निर्मित जल महल, एक मनोरम स्थल छै। परिष्कृत मंदिरों व बगीचों वाळा कनक वृंदावन भवन री पुरातन पूर्णता नै विगत समै माय पुनर्निर्मित कियो ग्‍यो छै।




आवा-जावा रा साधन-


हवाई मारग

जैपुर रो सांगानेर हवाई अड्डो एयरलाइंस अर जेट एयरवेज रै जरिए दिल्‍ली, अहमदाबाद, गोवा, कलकत्‍ता, मुम्‍बई, जोधपुर अर उदयपुर सूं सीधो जुड़्यो छै।


रेल मारग

जैपुर रेल मारग रै जरिए दिल्‍ली,, आगरा, लखनऊ, अहमदाबाद, बंगलोर, गोवा कलकत्‍ता, मुम्‍बई, चैन्‍नई,,सिकंदराबाद, बीकानेर, अजमेर, जोधपुर अर उदयपुर सूं सीधो जुड़्यो छै।


सड़क मारग

जैपुर सड़क मारग रै जरिए दिल्‍ली, आगरा, भरतपुर, मुम्‍बई, अजमेर बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर अर उदयपुर सूं सीधो जुड़्यो छै।

   
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आप भला तो जगभलो नीतरं भलो न कोय ।

आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

आपाणो राजस्थान
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

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