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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजस्थान मांय धर्म अर सम्प्रदाय

राजस्थान री संस्कृति ग्रामीण प्रधान संस्कृति है। प्रदेश रे लोक अंचल मांय रेवण वाळे लोगां रो पहनावो, खान-पान, आचार-विचार अर दिनचर्या इयारे काम-धंधे रे आधार पर निश्चित होवे है। प्रदेश री लोक संस्कृति में ईश पूजन, धर्म पालन, सत्य निष्ठ आचरण, शरणागत वत्सलता अर आतिथ्य सत्कार रो खास मेहत्व दियो जावे है।
धर्म रे अनुसार अगर राजस्थान री जनसंख्या रो विश्लेषण करियो जावे तो राजस्थान में लगभग 89 प्रतिशत हिन्दू धर्मावलम्बी रेवे है जदकि भारत मांय हिन्दूआ री जनसंख्या रो प्रतिशत लगभग 82 है। मुस्लिम धर्मावलंबिया री जनसंख्या राजस्थान मांय 8 प्रतिशत है। राजस्थान री कुल जनसंख्या मांय सिक्ख धर्मावलंबिया रो लगभग 1.5 प्रतिशत, जैन धर्मावलंबिया रो प्रतिशत 1.28, ईसाईया रो प्रतिशत लगभग 0.11, बौद्ध धर्मावलंबिया रो प्रतिशत 0.01 अर दूजा धर्मावलम्बिया रो प्रतिशत 0.03 है।

हिन्दू धर्म


हिन्दुआ री संख्या राजस्थान मांय सबसु ज्यादा है पण इणमे भी कई जातियां अर सम्प्रदाय है। राजस्थान में इया तो हिन्दुआ में सैकडो सम्प्रदाय पाया जावे है पण इयामें प्रमुख वैष्णव, शैव, रामोपासक अर शक्ति रा उपासक है।
राजस्थान रा राजपूत, चारण, भाट कायस्थ जातियां शक्ति री प्रतीक देवी री उपासना करे है। वैष्णव सम्प्रदाय रा लोग वल्लभाचार्य रा उपासक माना जावे है। हिन्दू लोग मुख्य रूप सू पौराणिक धर्म ने माने है। पुराणां रे अनुसार कोई एक देवता री पूजा नीं करी जावे। ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, गणेश, हनुमान, राम, कृष्ण, बुद्ध अर कुल देवी शक्ति री भी पूजा करी जावे है। हिन्दू लोग इणरे साथे गोवर्धन पर्वत, गंगा, यमुना, नर्मदा आदि नदियां अर तुलसी, वट अर पीपळ आदि रे पेडा री भी पूजा करे है।
कृष्ण रा उपासक कृष्ण रे बाल रूप री सेवा करे है। पर कई लोग राधाकृष्ण री पूजा भी करे है। राम रे उपासका मांय राम-स्नेही सम्प्रदाय प्रमुख है जिणारी गद्दी बाँसवाडा मांय है। राजस्थान में शैव मत रा अनुयायी बहोत कम है। अटे कबीर पंथी अर दादू पंथी भी कई संख्या में मिले है। दादू पन्थ री गद्दी नरायणा (जयपुर) में है अर ए लोग भगवा कपडा पेरे है।

जैन धर्म


जैन धर्म रा संस्थापक ऋषभदेव जी हा पण जैन धर्म रा मुख्य प्रवर्तक तीर्थकर महावीर हा। इण धर्म मांय मुख्य रूप सु श्‍वेताम्बर, दिगम्बर, स्थानकवासी अर तेरहपंथी सम्प्रदाय है। श्‍वेताम्बरा रा गुरु सफेद कपडा पेरे है। इणारी एक शाखा तेरहपंथी है जिणने चलाणे वाळा भीकमजी ओसवाळ है। भीकमजी रो आपरे गुरु सु वैचारिक मतभेद हुयग्यो तो वे आपरो नुवों पंथ चलायो। इयाने आपरे विचार रा खाली 13 साधु मिलिया हा इण वास्ते ओ तेरहपंथी मत कहलायो। स्थानकवासी जैन गुरुआ री पूजा करे है जिका सफेद कपडा पेरे है अर मुँह माथे सफेद पट्टी बांधे है। दिगम्बर मत रा अनुयायी नग्न मूर्तिया री हो पूजा करे है।

मुसलमान धर्म


हिन्दूआ रे बाद राजस्थान मांय मुसलमानां री संख्या सबसु ज्यादा है। मुसलमान धर्म रे प्रवर्तक मुहम्मद साहब रे इण धर्म रा दो वर्ग हुयग्या- सुन्नी अर शिया। राजस्थान में दोनु ही वर्गा रा मुसलमान पाया जावे है। अटे मुगलकाल सु पेला भी कई मुस्लिम शासक हमला करिया हा पण मुगल बादशाहा अटे पेली बार राज करियो अर मुस्लमान अटे आर बसगिया। राजस्थान मांय अधिकतर मुसलमाव बे है जिणाने जबरन धर्म परिवर्तन कर मुस्लमान बणायो गयो हो। कायमखानी इसा ही मुसलमान कहलावे है जिका आज भी आपरे नाम रे आगे राठौड, गौड आदि जातिसूचक शब्द लगावे है।

सिक्ख धर्म


राजस्थान मांय सिक्ख धर्म ने मानणे वाला लोग बहुत कम है जिका शहर अर कस्बा में ही पाया जावे है। देश रे स्वतन्त्र होणे रे बाद जद भारत रो विभाजन हुयो विण टेम इयारो आगमन राजस्थान में हुयो अर ए लोग अटे आर कई भागा में बसगिया। सिक्ख धर्म रा प्रवर्तक गुरु नानकदेवजी हा जिका जाति-पांति, तीर्था अर मूर्ति पूजा रा विरोधी हा। सिक्ख मूर्ति पूजा ने नीं माने अर आपरे पवित्र 'गुरु ग्रन्थ साहिब' ने माथो टेक कर आपरी श्रद्धा प्रकट करे है।

ईसाई धर्म


ईसाई धर्म रे लोगा रो आगमन राजस्थान में काफी देर सु हुयो। 19वीं शताब्दी रे शुरु में जद अंग्रेेजा रो राज भारत में हुयग्यो, जणे वे राजस्थान में आया। अजमेर स्वतन्त्रता प्राप्ति तक सीधे अंग्रेजा सु शासित रह्यो इण वास्ते इण क्षेत्र मांय ईसाई ज्यादा पाया जावे है। ईसाइया में प्रमुख दो वर्ग होवे है-कैथोलिक जिका मूर्ति पूजा रा समर्थक है अर प्रोटेस्टेन्ट जिका मूर्ति पूजा रा विरोधी है। ईसा मसीह इण धर्म रा प्रवर्तक हा। इण दो वर्गा रे अलावा मैथोडिस्ट चर्च ऑफ इंग्लैण्ड अर फ्री चर्च ऑफ स्काटलैण्ड ने मानने वाला भी ईसाई धर्म रा वर्ग है।

बौद्धधर्म


प्राचीन काल में जयपुर अर मेवाड में बौद्ध धर्म रो प्रचलन काफी हो। बैराठ में प्राप्त बौद्ध चैत्यालय इणरो प्रमाण है। पण अबे राजस्थान मांय बौद्ध धर्म ने मानने वाळा गिणती रा ही लोग रह गया है। महात्मा बुद्ध इण धर्म रा प्रवर्तक हा। भारत में ही नहीं चीन, तिब्बत, श्रीलंका, जापान, थाईलैण्ड तक बौद्ध धर्म फैल गयो हो, पण बाद में ओ धर्म भारत में खत्म प्राय हुयग्यो।

शैवधर्म


शिव सु सम्बन्धित धर्म ने शैव धर्म अर इणरे अनुयायियां ने 'शैव' केविजे है। इण धर्म री प्राचीनता प्रागैतिहासिक है। बाद में शैव धर्म रे अन्तर्गत पाशुपत मत रो विकास हुयो जिणरो बरणन पुराणां मांय मिले है। पाशुपत मतावलम्बी लकुलीश ने शिव रो अट्ठाईसवो अन्तिम अवतार माने है। कापालिक भी शैव होवे है जिका भैरव ने शंकर रो अवतार मान'र विनाने आपरो इष्टदेव स्वीकार करे है। राजस्थान में कापालिक साधुआ रो प्राबल्य ग्रामीण इलाका में आज भी दिखाई देवे है।
पूर्व मध्यकाल में शैव धर्म रो नवीन रूप नाथपंथ रे नाम सु विख्यात हुयो। नाथपंथ रो दबदबो जोधपुर में खूब रहियो, सखी, सिद्ध, नागा आदि भी शैव हा।

शाक्तधर्म

शक्ति री पूजा में विश्वास करने वाळा शाक्त मतावलम्बी कहलावे है। मातृ देवी री पूजा सिन्धु सभ्यता में परिलक्षित होवे है। शाक्त धर्म सामरिक जीवन सु जुडयो है। चूँकि युद्धों रो नेतृत्व राजस्थान रा राजा लोग करता हा अतः आपरी शक्ति में अधिकाधिक मान्यता होणे रे कारण ए देवी ने आपरी कुल देवी रे रूप में संस्थापित कर लिया। सिसोदिया राजा बाणमाता ने, बीकानेर में राठौड करणीमाता ने अर जोधपुर राजपरिवार नागाणेचीजी माता ने अर कछवाहा अन्नपूर्णा ने कुल देवी स्वीकार कर ली। आज भी राजस्थान में शक्ति पूजा रो महत्वपूर्ण स्थान है।

वैष्णवधर्म

राजस्थान में वैष्णव धर्म रो सबसु पेला उल्लेख दुसरी शताब्दी ई.पू. रे घोसुण्डी रे लेख में मिले है। वैष्णव धर्म री प्रमुख शाखाया में पुष्टी मार्ग, निम्बार्क अर बल्लभव सम्प्रदाय राजस्थान मांय काफी लोकप्रिय रिया है।
वैष्णव मत ने मानने वाळा जिण प्रकार कृष्ण नेे आपरो आराध्य देव माने है, इणी तरिया समाज में राम भक्ति भी सम्मानित पद प्राप्त करिए हुवे है। राजस्थान री प्रजा में रामभक्ति रा कई प्रतीक मिले है। पत्र या बहीखाते रे शुरु में 'श्री राम जी' रो लिखणो शुभ मानिजे है।

 

 


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