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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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देवजी

देवनारायण यानी देवजी रा देवरा आखै राजस्थान माय फैल्योड़ा है, जिका हजांरा री गिणती में है। सरिफ राजस्थान मांय ई नीं, बल्कै मालवा रै गामां मांय ई इणां रा देवरा फैल्यौड़ा है। इणां रौ खास स्थान तौ सवाईभोज है जिकौ भीलवाडाा जिलै रै आसींद कनै आयौ थकौ है। दूजै खास स्थानां में फरणौ है जिकौ मध्यप्रदेश मांय उज्जैन रै कनै आयौ थकौ है। टौंक रै कनै दांता गाम मांय इणां रौ अच्छौ देवरौ है। इणां रै अलावा दूजा केई स्थान ई घणा चावा है जिका राजस्थान अर मध्यप्रदेश मांय आया थका है। चमत्कारी पुरुष देवजी रौ जन्म बगड़ावतो में भोजा री गूजर स्त्री साढू (सेठू) री कोश सूं 1243 ई रै लगै टगै हुयौ मानीजै। देवना़रायण नै भगवान कृष्ण रै अवतार रै रूप में जाण्यौ, मान्यौ अर पूज्यौ जावै। गूजर जाति में खास तौर सूं इणां रै प्रति बड़ी सरधा अर भगती रा भाव पाया जावै। इणां रै साथै इणां रे भाई खांडेराव यानी भूणाजी री ई पूजा हुवै। भूणाजी लक्ष्मण रा अवतार गिणीजै रात-रात भर देवजी अर भूणाजी रै देवरां माथै बगड़ावत देवनारायण रौ नाम लिरीजै यानी इणआं री गाथावां गाईजै। भादवै री छठ अर माह सुदी सातम माथे क्रमवार नीलागर अर देवनारायण रू पूजा खास धूमधाम साथै करीजै, अर इणां रै नाम जागण करीजै। देवनारायण रौ सुमरण द ेवजी, ऊदाजी (उदयराव), क्रस्ण, धरमराज अर नारायण- आं पांच नामां सू करीजै। मुसलमानां में अै 'ऊदलसार' रै नाम सूं मान्या जावै।
देवजी अर भूणाजी री पूजा-विधि अणूंती ई सैज अर आड़ंबर बिहूणी है। बस, अंतस मांय फगत सरधा अर भगती चाइजै। बारलै औपचारां रौ कोई खास मैतव नीं। गामां रै सरधालू भगतां सारू देवरा बणाय'र पांच ईटां रै रूप में इणां री थापना कर जी जावै। अै किणी ई दिस कानी थापन करीज सकै। इणां री पूजा रै रूप में पेड़ री पत्तियां तोड़ ईंटां मैथै मेल दिरीजै। पत्तियां में जाल, नेगड़, नीम अरबील री पत्तियां चढावै। गूगल आद रौ धूप दिरीजै। प्रसाद-रूप मे अै इज चढ़ियोड़ी पत्तियां दी जावै जिणनै 'पात्ती दिरीजणौ' कैयौ जावै।

देवजी अर भूणाजी री पूजा-विधि अणूंती ई सैज अर आड़ंबर बिहूणी है। बस, अंतस मांय फगत सरधा अर भगती चाइजै। बारलै औपचारां रौ कोई खास मैतव नीं। गामां रै सरधालू भगतां सारू देवरा बणाय'र पांच ईटां रै रूप में इणां री थापना कर जी जावै। अै किणी ई दिस कानी थापन करीज सकै। इणां री पूजा रै रूप में पेड़ री पत्तियां तोड़ ईंटां मैथै मेल दिरीजै। पत्तियां में जाल, नेगड़, नीम अरबील री पत्तियां चढावै। गूगल आद रौ धूप दिरीजै। प्रसाद-रूप मे अै इज चढ़ियोड़ी पत्तियां दी जावै जिणनै 'पात्ती दिरीजणौ' कैयौ जावै।
केई भगत लोग देवजी री 'गोल' पैरै। गूजर जाति रै अलावा दूजा लोग ई गोल पैरै। केी परिवारां में परंपराऊ रूप सूं गोल पैरी जावै। अटूट सरधा अर विसवाल रै कारण, तो केी लोग मनोती मान'र गोल पैरै। आ गोल तांबै री बणियोड़ी अंगूठी हुवै। इण मे ंतीन या च्यार तार हुवै। गोल पैरतां बगत केई लोग उच्छभ मनावै, जियां जनेऊ लेवतां बगत कर्यौ जावै। सगा-संबंधियां नै बुलाईजै। सामाजिक भोज दिरीजै। बैन-बेटियां नै न्यूंत'र उणां नै कपड़ा-गैणा दिरीजै। गोल धारण करण वालै नै बनौला ई दिया जावै। उण दिनां पगां में जूता नीं पैरै, उरबाणै पगां ई धूमै। देवजी रा भगत अर भोपा दारू-मांस नीं छूवै।
देवजी रेै पिता रो नाम भोजौ हौ अर माता रौ नाम साढ। भोजौ बाधा रौ बेटौ हौ अर चौईस भायां में सूं अेक हौ। बाधा रा बेटा हुवण सूं चौईसूं 'बघड़ावत' या 'बगड़ावत' बाजिया।
दांतौ बणियौ द्वारका, फणै बदरीनाथ।

कासी बणियौ केसवा, जोधपुर जगनाथ।।
मतलब-जोधपुर में जगन्नाथ, दांता में द्वारकानाथ, फरणा में बद्रीनाथ अर कासी में केसवा रै रूप में देवनारायण री प्रतिष्ठा है।
कैयौ जावै के अजमेर रै चौहाण राजा बीसलदेव रै राज में अेक बाध रौ अणूंतौ ई आतंक हौ। उणी दिनां सांभर रै क्षत्रिय कांडल रौ पोतौ अर मांडल रौ बेटौ हरिराम नौकरी-चाकरी री सोय में उठै पूगियौ अर अेक मालण रै घरै ठैरियौ। उण दिन बाध रौ भोजन बणण सारू मालण रै बेटै री बारी ही। हरिराम उणरै बेटै री ज्यान बचावण सारू उणरी जगै खु गयौ अर उण नरभक्खी बाध नै मार नांखियौ। जद वौ आपरी तरवार धोवण सारू कनै आई बावड़ी कनै पूगियौ तौ उठै पंडित कोकाशाह री बेटी लीला सूं उणरौ मिलणौ हुयौ।
लीला बाल विधवा ही अर वा परपुरुष रौ मूंडौ नीं देख्या करती ही। इणी वजै सूं वा अंधारै अंधारै बावड़ी माथै सिनान करण नै आया करती ही। लीला हरिराम नै बाध मारतां देख लियौ हौ, सौ वा उणरी वीरता सूं प्रभावित हुयगी ही। वा हरिराम नै उणसूं ब्याव करण सारू कैयौ। वा बोली के बाध रै सिकार रै बदलै राजा बीसलदेव जद उणनै इनाम मांगण रौ कैवै तौ वौ उणनै मांग लेवै। हरिराम यूं ई करियौ। दिन बीतियां लीला रै बेटौ हुयौ, जिणरौ सिर बाघ जैड़ौ हौ। हरिराम उणनै अमंगली समझ'र जंगल मांय छोड आयौ। उणी बगत सिकार नै निकलियोड़ौ राजा बीसलदेव उठी नै निकलियौ। वौ टाबर नै देखियौ तौ उणनै उठाय'र साथै लेय आयौ। संजोग सूं वौ उणरै पालण-पोखण री जिम्मेदारी हरिराम नै इज सूंपी। तद हरिराम बोलियौ के बाघमुखौ हुवण सूं औ टाबर बड़ौ हुय'र खून करण लागैला अर पछै आप इणनै डंड देवौला। तंद राजा बीसलदेव उणरा तीन अपराध छिमा करण रौ वचन दियौ। बाघमुखौ हुवण सूं औ टावर बाधौ बाजियौ।
धीरै-धीरै बाधौ बडौ हुवण लागियौ। अेकर खेल-खेल में बाधौ न्यारी-न्यारी जातियां री चौईस लड़कियां रै साथै फेरा खाय लिया। जत राजा बीसलदेव नै इण बात री ठा पड़ी तौ उणरौ औ पैलौ अपराध छिमा करता थका वै इणरै साथै उणां रौ विधिवत् ब्याव करवाया दियौ। चौईस सूं ई इमरै चौईस बेटा हुया। आं चौईसां रै ई बडा हुयां इणां रौ रिस्तौ कठैई नीं हुयौ, कारण के अै चौईसूं ई न्यारी-न्यारी जातियां री स्त्रियां सूं हुया हा। तद आं बगड़ावतां रौ परम मित्र राण रौ राव गूजरां माथै दवाब नांख'र इणां रा ब्याव करवाया। सै सूं बडौ बेटौ भोजौ दो स्त्रियां सूं ब्याव करियौ। बडोड़ी स्त्री सूं उणरै पेटौ भूणौ हुयौ।

अेकर बंबाल रौ राजा ईहड़देव आपरी बेटी जेलू यानी जैमती रौ नारेल बामण रै हाथां भोजै कनै भेजियौ। भोजै सोचियौ के म्हां तौ गूजर हां। अर आ राजा री लड़की, सो चोखौ तौ औ है के नारेल राण रै रावजी नै भिजवायादां! नतीजन जेलू री सगाई राण रै राव सूं हुयगी। राव री बरात में बगडावत ई गया। संजोग अैड़ौ बणियौ के ब्याव सूं पैला जेलू भोजै नै देख लियौ अर भोजौ जेलू नै। दोनां में ई देखतां पाण प्रेम हुयग्यौ। भोजै कैयौ के अबार तौ थूं रावजी सूं ब्याव कर लै, म्हैं वचन देवूं पछै थनै आय'र ले जावूंला। अर भोजौ औ ई करियौ। कीं महीनां पछै वौ तेजा नै छोड'र आपरै बाईस भायां रै साथै राण पूगियौ अर जेलू नै भगाय लायौ। पतौ लागियां राव री सेना लारौ करियौ। धमासण जुद्ध हुयौअर जुद्ध में सारा ई मभाई मारिया गया। तेजौ इण कांड में सामल नीं हुवण सूं बचग्यौ। राण रौ राव बगड़ावतां रै पूरै कुनबै नै इज मौत रै घाट उतार दियौ। टाबरां तकात नै ई मार नांखिया। किणी बजै सूं भोजै री पैली स्त्री रै बेटै भूणै नै जीवतौ राख'र आपरै साथ लेयग्यौ। वौ फगत बगड़ावतां रै चौईसूं गामां नै इज नीं लूटिया, बल्कै उणां रै घरां नै ई मटियामेट कर दिया। बगड़ावत कुनबै रै खतम हुय जावण सूं दूजी स्त्रियां तौ सती हुयगी; पण मां बणण वाली हुवण री वजै सूं साढू सतीं नीं हुई। जद उणरै बेटौ ऊदौ यानी देव जनम्यौ, तौ इणरी जाणकारी राण रै राव कनै ई पूगी। राण रौ राव उणनै मरवावण सारू आपरा आदमी भेजिया, पण उणां री कोई कोसिस पार नीं पड़ी। आपरै बेटै री ज्यान जोखम में देख'र सेवट साढू आपरै पीहर मालवै गई परी। इण भांत साढू भांत-भांत रा अनेकूं कस्ट उठाय'र नीं सिरफ देव रौ पालण पोसण करियौ, बल्कै आपरै पशु-धन री रिंछ्या अर सार-संभाल ई करी।
मालवै आपरै नानाणै रैवतौ थको देव जद बडौ हुयौ, तद अेक दिन वौ आपरी मां अर आपरै बाप नै आपरै बापौती री धरती मालदेस जावण रौ मतौ दरसायौ। मां अर मामौ दोनूं घणा ई समझाया, तौ ई वौ आपरै लोगां नै साथै लेय'र मालवै सूं रवानै हुयग्यौ। देव जद धारा नगरी कानी निकलियौ। तद परमार जैसिंघदेव आपरी पेटी पीपलदे उणनै परणाई। सेवट मालदेस पूग'र देव आपरै बडेरां रा उजड़ियोड़ा चौईसूं गाम पाछा बसाया।

पछै अेक दिन आपरै भाट छोछू नै आपरै बडै भाई भूणै कनै भेजियौ, जिको राण रै राव कनै पल'र बडौ हुयौ हौ। छोछू भाट साधु रौ रूप धारण कर'र राण पूगियौ अर उठै जाय'र भूणै नै सगली हकीकत बताई। तद भूणौ कैयौ के म्हैं तद ी आय सकूं जद देव पीलौदा रै कुम्हारां सूं जुद्ध कर'र जयमंगल हाथी पाछौ लेवै। छोछू भाट पाछौ आय'र देव नै आ बात बताई, तौ देव पीलोदा माथै हमलौ कर'र जयमंगल हाथी पाछौ लेय लियौ।
उठी नै राण रै राव नै भूणै रे देव सूं मिल जावण री बात ठा पड़गी। जद भूणै नै मारण रौ हुकम हुयौ, तौ राव री बेटी जिकी उणरी मुंहबोली बैन ही, उणनै चेताय'र बचायौ। सेवट भूणौ देव सूं आय'र मिल्यौ। पछै दोनूं ई जणा आपरै बाप रौ बैर लेवण सारू त्यारियां करी। वै आपरै पसुवां नै राव री खड़ी खेती मांय बाड़'र उणनै बरबाद करण सरू हुया। जद राव नै इणरी ठा पड़ी तौ वौ आपरी सेना भेजी। दोनूं ई पगसां रै बीच भयंकर जुद्ध हुवण लागियौ। भूणौ अर देव राव री सेना नै तौ हराई ई हराई, खुद राव नै ई पकड़ लियौ। जद भूणै री मुंहबोली बैन तारादे आपरै बाप नै छोड़ देवण री अरज करी। नतीजन उणनै जीवणदान देयदियौ गयौ। इण भांत आपरै बडेरां रौ बदलौ लेय'र सगला ई मां साढू कनै बावड़िया।
चूंकै देवआपरै बडेरां रौ बदलौ लेय लियौ हौ अर पछा आपरा गाम बसाय'र धणियाप कर लियौ हौ, सो अबेै उणनै बिरथा हिंसा अर खून-खराबै में विसवास नीं हुवण सूं वौ मां सूं आग्या लेय'र जोग धारण कर लियौ। कुल मिलाय'र बगड़ावतां रै इतियास में देवनारायण अेक अैड़ौ चरित्र हुयौ, जिकौ आपरै कडूंबै अर जाति रै दुसमणां सूं बदलौ लियौ अर पाछौ, उणरौ रूतबौ कायम करियौ। आ इज वजै है के आज गूजरां में देवनारायण भगवान रै रूप में पुजीजै अर बगड़ावत महागाथा उणरै नाम सूं जाणीजै।

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