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संदर्भ-कानिया मानिया कुर्र
तारीख- 1 जून 2005, अंक-3, पेज-1
प्रस्तुति - स्वर्गीय श्री कन्हैयालाल सेठिया,
ठिकाणो- सेठिया ट्रेडिंग कम्पनी, 3 मेंगोलेन, कोलकाता-1

सिंझयां हूंता ही मिनख उठयो र दीयै रै मूंडै ऊपर तूळी मेल दी। दीयो चट्‌ट-चट्‌ट कर बोल्यो-बडा आदमी इयां कै करै है? मिनख हंस र बोल्यो-अरै तूं हो के? मन्नै अंधेरे में सूझयो ही कोनी।

बायरो कयो-पीपळ रा पानडां, मैं आऊं जणां ही थांकै हताई हुवै कै?
पानडा बोल्या-पूठ पाछै बात करण री म्हांरी आदत कोनी।

पग कयो-कांटा चुभ'र किस्यै जलम रो बैर काढयो?
कांटो बोल्यो-अरै खुरडा मनै ही गिट'र मनै ही डंडै है के?

दूबडी पूछयो-झरणां, तूं चनेक ही सिचल्यो कोनी रवै, तूं पून को जायोडो है के?
झरणूं बोल्यो-भली पिछाण करी? मै तो डूंगरां रै जायोडो हूं जका पसवाडो ही का फैरै नीं।

सूई, तूं फूलां रो काळजो छेक र कांई काढयो? डोरो तो हार में ही रहग्यो पण तूं तो जीत में रै र ही नागी-बूची ही रही।
गाछ स्यूं कळी रो मन फाटग्यो।
लोग कयो- कळी फूल बणग़ी।

तांबै रो कळसो माटी रै घडै नै कयो घडा, थारै में घाल्योडो पाणी ठण्डो कियां रवै, र म्हारै में घाल्योडो तातो कियां हुज्यावै? घडो बोल्यो-मैं पाणी नै म्हारै जीन में जग्यां दयूं हूं र तू आंतरे राखै, ओ ही कारण है।


संदर्भ- कानिया मानिया कुर्र
तारीख-जुलाई सु सितम्बर 2006, अंक-2, पेज-1
प्रस्तुति- स्वर्गीय श्री कन्हैयालाल सेठिया
ठिकाणो- सेठिया ट्रेडिंग कम्पनी, 3 मेंगोलेन
कोलकाता-1

दूबडी कयो-गाय चर तो भलाई, पण चींथ मत।
गाय बोली- कां करू? पांगळी को बणाई नीं।

तिरियां मिरियां भरी तळाई रे दूबडी आर गळबाथ घाल ली। लैरां चिड र बोली- तनै कुण नूंती ही? बीच में ही मींडको टर टर कर बोल्यो- गैली, अपणायत हुवै जका नूंतै नै को अडीकै नीं।

एक छांट पडी र दूजी छांट पडी, बादळियो अरडाट कर र ओसर ग्यो।
आभो बोल्यो- अरै तूं टो आल मलीदो बांध र ऊपर ल्यायो हो नीं? पाछो नीचै ही कियां खिंडा दियो? बादळ कयो- उपरां कठेई मेलण णै ठोड ही को लादी नीं, बोझायो कती क ताळ मरै हो?

आंख्यां बाहरी है र कान आंधा है, आ ही भली हुई। नही तो देखै जियां ही सुणलै र सुणे जियां ही देख लै क तो परळै हूंता के ताळ लागै?

मैणबत्ती कैयो- डोरा, मैं थारै स्यूं कत्तो मोह राखूं हूं? सीधी ही काळजै में ठीड दीन्ही है।
डोरो बोल्यो- म्हारी मरवण, जणां ही तिल-तिल बळूं हूं।

डूंगर री चोटी परां चढ र कीडी नीचै देख्यो तो हाथी बकरी जतो र, ऊंट सुसुयै जतो क ही लाग्यो। कीडी घणी राजी हू र बोली- अबै को डरूं नीं। वैम स्यूं ही बडाळ डीखै हा।
खाथी खाथी चाल र नीचै आई तो फेरूं हाथी डूंगर जतो रूंठ हाथी जतोक ही दीख्यो। घबडा र डूंगर नै पूछ्यो, चनेक में ही ओ फरक आछो किया पडग्यो?
डूंगर मुळक र बोल्यो- पैली आंख्यां थारी पण पग म्हारा हा, अबै आंख्यां र पग दोन्यूं थारा निज रा है।

गेलो पगां पडसी जद मजलां मए ही मुंडागै आ ज्यासी।

कोरी मटकी में भरयोडो पाणि टोपो टोपो कर र पाछो झरग्यो। कनै ही पडयो फूटयोडो घडो चिड र बोल्यो- हिया र दिया फूटयोडा मिनख, ई सापतै में र म्हारै में कांई फरक रयो? आंख्यां दीखतो ही पाप हुवै जणां स बात न्यारी है।

पान पीळा पडता देख र माळी रो चैरो पीळो पडग्यो।
फळ पीळा हूंता देख र माळी रै मूंडै परां ललाई आ गी

 

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