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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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स्थापत्य कला

राजस्थान मे स्थापत्य व शिल्प रो विकास गुप्तो रे समय सु आपरे चरम पर चुक्यो थो।हूणो रे आक्रमणो सु राजस्थान रे स्थापत्य पर गहरो आघात पहुच्यो हूण कई विशाल भवनो रे साथे साथे हजारो बौद्ध मठो ने नष्ट करियो । जद प्रतिहार इ क्षेत्र पर आपरो शासन जमायो तो स्थापत्य रे मामले मे भी गुप्तो रा सच्चा उत्तराधिकारी सिद्ध हुया। इयारे काल मे इ क्षेत्र मे बडी संख्या मे मंदिर बणया जिका गुर्जर शैली अथवा महामारु शैैली रा केविजे है।

राजप्रासाद -

राजस्थान मे बैराठ ,मैनाल ,नागदा, राजोरगढ़ ,नगरी ,भीनमाल और जालोर आदि पुराणे नगरो रा राजप्रसाद अब नष्ट हो गिया।

राजस्थान मे मुगल स्थापत्य रो प्रभाव पडने सु पेला रा राजप्रसाद सादगी पूर्ण व छोटे कक्षो वाळा होवे है। इयामे फ़व्वारे युक्त जलाशय व उपवन ,कुंजो सु घिरयोडा आवास ,दीवाने खास, दीवाने आम ,शयन कक्ष, तोपखाना ,शस्त्रागार ,भण्डार ,चित्रशालाया ,बारहदरिया गवाक्ष , झरोखा व रंग महल आदि बणाया गिया। इ प्रसादो रो स्थापत्य व कला देखते ही बणे है ।

हवेलियाँ -

हवेलियो रे प्रमुख द्वारो पर अगल - बगल मे कलात्मक गवाक्ष ,विशाल द्वार रे बाद लम्बी पोल, बदो चौक ,चौक रे अगल - बगल मे कमरा ,सामने चौबारा रे अगल- बगल और पृष्ठ मे कमरा होवता था।

शेखावाटी ,ढ़ूंढ़ाण, मारवाड व मेवाड राज्यो री हवेलियां स्थापत्य री दृष्टि सु भिन्नता लिये हुई है।जयपुर ,रामगढ़ , नवलगढ , फ़तहपुर, मुकुंदगढ ,मण्डावा ,पिलानी ,सरदार शहर ,रतनगढ़ आदि कस्बो मे आज भी खडी विशाल हवेलियां हवेली स्थापत्य रो उत्कृष्ट उदाहरण है।

जैसलमेर री सालमसिंह री हवेली ,नथमल री हवेळी व पटवो री हवेली पत्थरो री जाळीदार कटाई रे वास्ते विश्व प्रसिद्ध है।

करौलीं ,भरतपुर ,कोटा री हवेळीया भी कलात्मक पत्थर तराशी रे वास्ते प्रसिद्ध है।

छतरियाँ और देवल-

राजाओ ,श्रेष्ठियो ,संतो व वीर आदमी लुगाइया रे मरणोपरंात बणीया ए स्मृति स्थल इतिहास ,स्थापत्य ,शिल्प ,चित्रकला व भवन निर्माण री दृष्टि सु बडा महत्व रा है।
राजाओ री छतरियो मे सामान्यत पगलिया बणीयोडो हुवे है तो शैवो व नाथो री छतरियो मे शिवलिंग नंदी या खडाऊ बणीयोडा होवे है।
राजस्थान मे शायद हीकोई प्रचीन गाँव हो जिण री सीमा पर कोई न कोई छतरी ना बणी हो ।

मंदिर शिल्प -

राजस्थान मे राजा धर्म व दर्शन ने राज्य रो आदर्श मानियो है।पुष्कर व अर्बुदांचल रे मंदिर प्राचीन काल री स्थापत्य कला री कलात्मकता सु परिपूर्ण है।

राजस्थान मे आठवी सु दसवी शताब्दी रे महामारु शैली रा कई म्ंादिर बणया जिणमे आभानेरी रो हर्षमाता रो मंदिर व मत्स्य प्रदेश रा मंदिर प्रमुख है।

कुम्भाकालीन रणकपुर रो जैन मंदिर चौमुखो है। इ मंदिर रा निर्माता धारणक व शिल्पकार देपाक था ।

विमलशाह रे मंदिर रा (शिलालेखो रे आधार पर ) 1031 ई . मे और वास्तुपाल व तेजपाल रे मंदिर रो 1231 ई. मे निर्माण हुयो।

ओसियाँ मे एक ही जगह उपर वैष्णव ,शैव,जैन व शाक्तधर्म रा मदिर बणियोडा है। जठे साचिया माता रो प्रचीन सूर्य मंदिर , महावीर मंदिर ,तीन हरिहर मंदिर व पीपलडा रो मंदिर आदि प्रमुख है।

पुष्कर रे ब्रह्म मंदिर रो निर्माण गोकुलचन्द पारीक करवायो । भारत मे ब्रह्मा जी रो दूसरो मंदिर राजस्थान मे ही ओसतरा (जालोर) मे स्थित है।

मेडता मे मीराबाई रे मंदिर ने चारभुजा जी रो मंदिर भी केविजे है।
बाडमेर मे किराडू रो म्ंादिर 12 वी व 13 वी सदी रो मानो जावे है। अटे कई मंदिर है।

करौली मे मदनमोहन जी रो मंदिर व कैला देवी रो मंदिर जगत प्रसिद्ध है।
मसावता ,रानेटा व औडच रे संगम पर कैलास पर्वत पर प्रचीन काल रा वीर हनुमान जी रो मंदिर है। देश - विदेश रा यात्री अटे मन्नत माँगणे आवे है । टाटू कुल रा प्रधान देवता है।

भोपा ज़नज़ाति री कुलदेवी विरात्रा माता रो मंदिर बाडमेर जिले रे विरात्रा स्थान पर स्थित है।

राजस्थान मे 33 करोड देवी - देवताओ री साल मण्डोर (जोधपुर ) मे स्थित है।

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