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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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पेलो भाग
आज काल आपणे अठे भणावारी अशी रीत है, के पेङली हीज बालकां ने पराई बोली भणावणों शरु करे। अणी शूं बालकां ने घणी अबकाई पडे। शूडा री नांई पढ लेवे, पण समझ में नी आव शूं भण भण ने भूलता जावे। ईं शूं बालक घबराय जावे, उमंग दब जावे ने आपने नजोगा समझ वारो हमेंशां रे वास्त स्वभाव पड जावे। सारा ही देशवाला पेली पराई बोली में भणावणो खोटो के, है ने रजवाडा शिवाय कठे ई पेङली पराई बोली भणावे पण नी है। योही कारण है, के रजवाडा में जठे जठे मदरसा है, वठे वठे पण अतरा भण्या थक मनख नी लांघे है। भणणो अणी लोक ने पलोक दोई जगां रा सुखरी जड है। ईं वास्ते या पोथी मेवाडी बोली में बालकां रे भला रे वास्ते लिखी है, सो समझणा मनखां ने चावे के या पोथी बालकां ने भणाय ने वणारा बिना अरथरा दुख ने मिटावे।
(स्व. महाराज साहब चतुरसिंहजी)

पेली पोथी (मेवाड़ी में)
क. कको केवलियो।
ख. खखो खाजलो।
ग. गगा गोरी गाय।
घ. घघो घोट पलाण्यो जाय।
ड़. आगे नंद्यो भागोजाय।
च. चडा चडारी चांच है।
छ. छछ्या विद्या पीटला।
ज. जजो जेवर वाणी रो।
झ. झझा जीरी शांडी रो।
ञ. नन्यो भाट चोट्टो।
ट. टटाल पोली खांड घी।
ठ. ठठा जीरा गाडुवा।
ड. डडो डावण गंठे।
ढ. क्ढा हूणा पूंछ है।
ण. राणो ताणओ हेल है।
त. ततो तमाली तेल है।
थ. थथो थावरियो।
द. ददो दीवटियो।
ध. धधो धानरो।
न. ननो फुलायरो।
प. पाप पाटकडी।
फ. फफो फुलायरो।
ब. बबा में चानणी।
भ. भाव कटाररो।
म. बामण मोटको।
य. जग्गु जाडा पेटरो।
र. राईबालो रांकलो।
ल. लला घोडी लात वावे।
व. ववावेंगण वासदे।
श. शीया घोटा मरडीया।
ष. षषा खूणा फाडिया।
स. साग्से दन्ते।
ह. हावलो हींडोलणो।
ल लेरे लाची दो पणियार।
क्ष. माथे मोटो घडो चढांव।
त्र खडिया खातर मोरचोर, पाले बंध्या दो चोर।
ज्ञ.

मंगल मेशरो, दे विद्या परमेशरी।
परमेशररी रे पायलागू, हाथजोड विद्या मांगू।
विद्या रे घरघावडी, शेंश विद्या आवडी।
आंवडी में दीवो, म्हारा गुरुजी बावजी घणा वरस जीवो।
क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ
ट ठ ड ठ ण, त थ द ध न
प फ ब भ म, य र ल व
श ष स ह ल क्ष त्र ज्ञ

ओलखवारा अखरा
अ क च ट त प य श
ख छ ह ठ फ र ष
ग ज ड द ब ज्ञ ल स
घ झ ढ ध भ व ह ल
ड क्ष ञ ण न म त्र।

पाठ 1 पेलो।
नट
रश. कश. नश. दश. बश. नट. नख. नथ. नम. नत. तल. हल. खल. टल. कल. घर. भर. कर. फर. चर. धन. दन. लख. जड. पग. कण. भग. बग. झट. गण. मण. हण. थण.

पाठ 2 दूजो
भगत
हर भज। झट कर।
लख भग। कण कण।
दश गण। झट भण।
पट पट। दश नट।
फर छर। घर घर।
नत नम। टम टम।
झट पट। खट पट।

पाठ 3 तीजो
मनख
कमल, हलद, मरच, जचम, परण, मरण, मनख, बलद, हरण, पकड़, अमल, कलम, कमर, हरख, शडक, धरम, करम, तलक.

पाठ 4 चोथो
कलश
जनम भर। कलश भर।
धरम कर। तलक कर।
मनख वण ।बलद गण।
मगन मल।मनख चल।
भजन कर। शबर कर।
भगत वण।मत परण।
शजन गढ। कशन गढ।
अमल भर।झट पकड़।
शढ़क पर। वणज कर।

पाठ 5 पांचमो।
बाराखडी-
क. कमले क।
का. कंने का।
कि. पच्छूं कि।
की. अग्यूकी।
कु. ल्होडे कु।
कू. वड़े कू।
के. एक मत के।
कै दोमत कै।
को. काना कण मत को।
कौ. दोदो मात कन्यार कौ।
कं. मस्ते मींडी कं।
कः आगल मींडी रो कः।

क का कि की कु कू के कै को कौ कं कः
ख खा खि खी खु खू खे खै खो खौ खं खः
ग गा गि गी गु गू गे गै गो गौ गं गः
घ घा घि घी घु घू घे घै घो घौ घं घः
ड़ ड़ा ड़ि ड़ी ड़ु ड़ू ड़े ड़ै ड़ौ ड़ौ ड़ं ड़ः
च चा चि ची चु चू चे चै चो चौ चं चः
छ छा छि छी छु छू छे छै छो छौ छं छः
ज जा जि जी जु जू जे जै जो जौ जं जः
झ झा झि झी झु झू झे झै झो झौ झं झः
ञ ञा ञि ञी ञु ञू ञे ञै ञो ञौ ञं ञः
ट टा टि टी टु टू टे टै टो टौ टं टः
ठ ठा ठि ठी ठु ठू ठे ठै ठो ठौ ठं ठः
ड डा डि डी डु डू डे डै डो डौ डं डः
ढ ढा ढि ढी ढु ढू ढे ढै ढो ढौ ढं ढः
ण णा णि णी णु णू णे णै णो णौ णं णः
त ता ति ती तु तू ते तै तो तौ तं तः
थ था थि थी थु थू थे थै थो थौ थं थः
द दा दि दी दु दू दे दै दो दौ दं दः
ध धा धि धी धु धू धे धै धो धौ धं धः
न ना नि नी नु नू ने नै नो नौ नं नः
प पा पि पी पु पू पे पै पो पौ पं पः
फ फा फि फी फु फू फे फै फो फौ फं फः
ब बा बि बी बु बू बे बै बो बौ बं बः
भ भा भि भी भु भू भे भै भो भौ भं भः
म मा मि मी मु मू मे मै मो मौ मं मः
य या यि यी यु यू ये यै यो यौ यं यः
र रा रि री रु रू रे रै रो रौ रं रः
ल ला लि ली लु लू ले लै लो लौ लं लः
व वा वि वी वु वू वे वै वो वौ वं वः
श शा शि शी शु शू शे शै शो शौ शं शः
ष षा षि षी षु षू षे षै षो षौ षं षः
स सा सो सी सु सू से सै सो सौ सं सः
ह हा हि ही हु हू हे है हो हौ हं हः
ल ला लि ली लु लू ले लै लो लौ लं लः
क्ष क्षा क्षि क्षी क्षी क्षु क्षू क्षे क्षै क्षो क्षौ क्षं क्षः
त्र त्रा त्रि त्री त्रु त्रू त्रे त्रै त्रो त्रौ त्रं त्रः
ज्ञ ज्ञा ज्ञि ज्ञी ज्ञु ज्ञू ज्ञे ज्ञै ज्ञो ज्ञौ ज्ञं ज्ञः

अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः।।

पाठ 6 छठो
ओ चे क ई पाऐ लो आ वौ उ धी औ जी अः दि छु ए म भै अ कं ई बः ऊ अं।।

पाठ 7 सातमो
नार
राम. गाम. काम. नाम. आज. राज. धान.
पान. कान. गाय. नाक. चाल. जाग. पाग.
राख. आव. जा लाव. भाग. दाख.नार.
मा. बाप. भात. दाल. बाड. छाछ. लात.
जात. रात. चार. हाथ. बा. ना.।
पाठ 8 आठमो।
धजा
धजा. जगा. हरा. नरा सगा. टका. चणा।
जणा. भणा. परा. उरा. तवा. नवा. दादा।
नाना. मामा. काका. भाभा. बाबा. आखा।
काचा. पाका. छाना. माना. पाना. पाडा. जाडा।

पाठ 9 नवमो
कमल
बा चणा पाका।
ओव आव काका।
नाना आव चणा खा।
मामा आव, आगाजा।
चणारा दाणा वगार।
दादा भणवा तयार।
दादा भणवा जा।
काचा घणा हा।
नाना भणवा चाल।
दादा दाल घाल।
चार बलद आया।
काका कमल लाया।
आठ टका लागा।
काका मामा भागा।

पाठ 10 दशमो
बेना भणवा चाल।
घी. पी. नी. खीर. तीन. तीर. चील. भील. डील.
रीश. पीश. ऋीक. भाजी. बाजी. खाटी. बाटी.
बाई. भाई. आई. पाणी. शाणी. धाणी. मीठी.
फीकी. पीली. कीडी. जीजी.

पीली गाय आंई।
पाणी पाय लाई।
चाली गाय चरवा।
कीडी निकली तरवा।
खाटी छा पीदी।
पाडी लात दीदी।
थोरी पाटी लाच।
वातां मती घणाव।
मीठी खीर पी।
घणी आछी ही।
भाई भणवा चाल।
गालां मती निकाल।
मा बाप री बात मान।
कमाड पर जड।
मीठी बात कही।
रीश करी रहो।
जीजी धीरप राख।
मीठा फल पण चाख।

पाठ 11 ग्यारमो
गुरुजी, शुण. चुग. पुल.
सुख. दुख. उडद. कुलथ. कुचर.
कुल. पुडी. खुल. कुमार. छुल.
दूध ऊठ पूछ घूघरी गूजर
रुई आलू रतालू लाडू बाऊ

पाठ 12 बारमों
मनकी
मामा मारकणी गाय आई।
गूजर गाय दूवां जा।
दादा दूध लोया।
कूका ऊठ दूध पी।
भूरी मनकी आई।
मनकी दूध पी जायगा।
मनकी परी ताड़।
मनकी रा नख छुम जायगा।
मनकी परी गी।
महाराज आज शीख दीदी।
पाठ याद कर।

पाठ 13 तेरमों।
एक. देख. रेल. तेल. हेत.
खेत. रेत. देर. शेर. मेल.
खेल. झेल. बेन. पेट. हेर.

भमरी
नानां खेलवा चाल। नी भाई काक लडे।
अठेईज खेल। थारी चकरी उरी दे।
नी भाई चकरी टूट जोय। या भमरी ले।
थारे या रुपाली दडी राख।
अणी दड़ी रा कतरा दाम लागा?
ग्वबर नी, काका शेर गीया जदी लग्या।
ये गुरुजी आय गया, अबे भणवा चाल।

पाठ 14 चवदमों।
रूंखड़ा पे कोयलबोल रीटङ है
गोल. बोर. बोल. कोयल.
कोट. खोट. चोर. छोर.
क्ोल. मोर. जो. होनी.
पोल. छोटो. दीवो. टोपो. डोरो.

कोयल कशी आछी बोल री है।
कोयल ने पकड लो, नीतर बापडी ने
मनकी परी मारेगा।
कूका वा देख कोयल तो उडगी।
कणी उडाई ? अणी देवे उडाई।
रोवे मती काले फेर दूजी कोयल आवेगा।
यो देख यो कागलो आयो, इने बाटी खवाव।
कागलो हाऊ नी बोले।
यो केरडो आय गियो-गायकठै है ? चरवागी।
केरडा ने खेते ले चालो।
यो भूखो है-ईने दूध पावो।
गाय नी आई चारो चरावो।
भूरो पाडो कठे है ? वो ऊबो जो खोयरीयो है।

पाठ 15 पन्दरमो
माताजी
अंबा. गंगा कंकु. रंग. शंगत.
अंगोछो. अंगरखी. पंशेरी. चंदण.
हंदूर, हूल. पतंग. नारंगो. कंठी.
पगडंडी. ऋंडी. मंदर. शंख. पंच.
गंज. चंदरमा. पंखो.

गंगाराम की अंगरखी धोली है।
रंग लाय ने रंगो।
कशना रो अंगोछो तो रातो है।
अंबाबा री अंगरखी मेली है।
नंगजी काका रो चम्पो आज भणवा नी आयो।
माताजीरे मन्दर हंदूर मालीपना लेने गियो है।
वो शंख वाजै उठे माताजीरो मन्दर है।
दरशण करवा चालां।
चन्दरमां बाबजीरे उजाले पगडंडी पै चाल,
नीतर हूल भाग जायगा।
यो माताजी रो मन्दर आयगियो।
भोपाजी नखे पंखो है।
माताजी रे धोख दे, जै माताजी जगदंबा !
खंमा घणी खंमा।
दरबार अंदाता ने घणा वरश खुशी राखजे।

भजन
समैरो उलटो आज सुधारो,
अणी में वघग्यो म्हारो थारो।
देकावार उपदेश धरम सब, मनमें मतलब न्यारो।
कैङसो और करे सो और ही वीर पणो वार्तारो।।
शीख सिखावे आप न सीखे, दीवातले अन्धारो।
औरांने अवगुणी वणावे, गाडो वणे गुणांरो।।
अपणों दोष आप नहीं देखे, पण देखे दूजांरो।
सज्ज अवगुण आपण देखे, सांचो मत सन्तारो।।
धरम धरम कथ करम खपा वे, करे करम पांपां रो।
क्ीली बाग पडे खाडा में, दोष कई घोडा रो।।
ओरां रो नहीं थने अंदेशो, भोगेगा थूं थारो।
चतुर कहे चरडो म कोई, मन समझायो मारो।।

उपदेश
भणणो कई ?- गुरु रे पास सूं ज्ञान।
छोडणो कई ?- काम, क्रोध, लोभ मोह और मत्सर।
सुणणों कोई ? आच्छो उपदेश।
पार नी पाबे अस्यो कई ? तुष्णा।
छोटो कई ? मांगणो।
सब सूं बडो दुःख कई ? मूर्ख पणो।
चन्द्रमा जस्यो ठण्डो कई ? आछा आदमियां रो समागम।
सुख कई ? ज्ञ् संतोष।
धर्म रो सार कई ? उपकार।
जीव ने प्यारो कई ? प्राण।
सब गुणरी जड कई ? विनय।
सब धर्म रो मूल कई ? दया।
क्लेस रो मूल कई ? हँसी।
तमाम रोगां री जड़ कई ? अजीरण।
सब पापां री जड कई ? लोभ।
शांतिः ! शांतिः !!शांतिः !!!

 
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साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

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