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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजसमन्द जिले रो सामान्य परिचय

सहयोगकर्ता
गोविन्‍द सिंह राठौड़
मो. 9413976486

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क्षेत्रफल

4564.12 वर्ग कि.मी.

साक्षरता

55.82

समुद्र तल सु ऊँचाई

532.50 मी.

आदमियां री साक्षरता

74.05

बिरखा रो औसत

571.5 मि.मी.

लुगाया री साक्षरता

37.89

उच्चतम तापक्रम

44 ं से.ग्रे.

नगरपालिका

4

न्युनतम तापक्रम

6 ं से.ग्रे.

पंचायत समितियाँ

7

कुल जनसंख्या

986269

गांव पंचायता

205

आदमियां री संख्या

492736

राजस्व गांव

975

लुगाया री संख्या

493533

तहसील

7

ग्रामीण जनसंख्या

8.57 लाख

 

 

शहरी जनसंख्या

1.29 लाख

 

 


   

राजसमन्द अपणे-आप में एक न्‍यारी पैचाण राखै हे। यो शहर 10 अप्रेल, 1991 ने उदैपुर (उदयपुर) सूं अलग वे’र एक स्‍वतंत्र जिलो बणियों।
णसू पेले यो उदैपुर जिला रो इ’ज एक भाग हो। यो जिलो राज्य में आपणी खनिज सम्पदा के कारण एक विशेष जग्‍या राखै है। अठै कई तरह रा खनिज पाया जावे है। जिणमूं मार्बल एक है अठै सेंकडो मारबल गोदाम हे,150 सूं भी ज्यादा गेंगसा युनिट्सहैं, और घणी सारी मारबल री माईन्स है या एशिया री संगळा उं मोटी मारबल मंडी है । अणि‍’ज जिला सूं जुडि़या कांकरोली मेंजे. के. टायररो बहुत बड़ो प्लान्ट भी है ।
अठै राजसमन्द झील रे किनारे नौचोकी पाल पर, धोळा संगमरमर रा भाटा पे खुदाई सूं विश्व रो प्राचीन व सबसूं मोटो संस्कृत रो महाकाव्य लिख्‍यो ग्‍यो है, जो कि “राजप्रशस्ति महाकाव्यम” रे नाम सूं जाण्‍यो जावै है। इस हेतु यह अपना स्थान गिनिज बुक में दर्ज करा चुका है। स्थापत्य कला, संगीत, खेल, राजनिति अ’र संस्कृति रे कारण यो जिलो अपणे-आप में एक अलग जगह राखै है।
अठै घूमणे लायक घणा सारा स्थानहै, जैसे नौ चोकी, सिंचाई विभाग री पाळ पे बणियो उद्दयान, विट्ल विलास बाग, पुराणा किला, मामू भाणेज री दरगाह, तुलसी साधना शिखर, दयाल शाह किलो, जे. के. टायर द्वारा विकसित सिविल लाईन्स उद्दयान, कुम्भलगढ़ रो किलो, देवगढ़, एकलिंगजी, देवीगढ़ पेलेस, बप्पा रावल, कुम्भलगढ़ रो वन्य जीव अभ्यारण्य, बेरों रो मठ, बरदड़ री नाल, हल्दीघाटी, गौरीधाम, बाघेरी रो नाको, राजसमन्द झील, नन्दसमन्द झील, गणेश टेकरी अ’ल टांटोल रो बांध आदि । मुख्य मंदिरा में कांकरोली रो द्वारिकाधीश मंदिर, गडबोर रो चारभुजा मंदिर, कैलाशपुरी रो एकलिंगजी मंदिर और नाथद्वरा रो श्रीनाथजी मंदिर है।

 

दर्शनीय स्थल

 

श्री नाथजी मंदर-
राष्‍ट्रीय राजमारग संख्‍या 8 पे राजसमंद जिला में ‘नाथद्वारा’ वल्‍लभ सम्‍प्रदाय रो परमुख तीरथ स्‍थान है। अठे वल्‍लभ सम्‍प्रदाय रा परमुख उपास्‍य श्रीनाथजी भगवान रो भव्‍य मंदर है। भगवान श्रीनाथजी रे कारण इ’ज इण गांव रो नाम श्रीनाथद्वारा पडि़यो। इण मंदर में जो भगवान श्रीनाथजी री काळा मार्बल सूं बणी मूरत है इणरो निर्माण 18वीं सदी रे शुरूआत में व्‍यो बतावे है, इण मूरत ने मथुरा सूं ला’र अठे स्‍थपित किदी ही, ताकि इणने धरमद्रो‍हिया रे हाथां नष्‍ट वेवा सूं बचाई जा सके । अठा री पिछवाइयां परसिद्ध है।

श्री द्वारिकाधिश मंदर-
श्रीद्वारिकाधिश मंदर पुष्टिमार्गी वल्‍लभ सम्‍प्रदाय रो परसिद्ध स्‍थान है जो नाथद्वारा सूं 16 किमी उत्‍तर में राजसमंद झील रे पाड़े स्थित कांकरोली नगर में है। श्रीद्वरिकाधिश भगवान श्रीकृष्‍ण रो इ’ज स्‍वरूप है। इण मूरत ने भी श्रीनाथजी रे ज्‍यूं इ’ज वल्‍लभ सम्‍प्रदाय रा पंडा 1669 में मथुरा सूं अठे लाया हा ताकि औरंगजेब रे आतंक सूं बचा सके।

पिप्‍पलाद माता मंदर-
पिप्‍पलाद माता रा मंदर रो निर्माण 10वीं सदी में मेवाड़ महाराणा श्री अल्‍लट करवायो। यो मंदर उणवास (हल्‍दीघाटी) में स्थित है।

श्रीचारभुजाजी मंदर-
यो मंदर गडबोर में स्थित है। यो परसिद्ध स्‍थल मेवाड़ रा चार धाम में सूं एक है। ( मेवाड़ रा चार धाम- केसरियाजी, कैलाशपुरी, नाथद्वारा अ’र गडबोर )

राजसमंद झील
महाराणा राजसिहं 1662 में इणरो निर्माण करायो। इण झील रे उत्‍तरी भाग ने नौ चौकी रे नाम सूं जाणे है। इण पाल पे 25 शिलालेखा पे मेवाड़ रो इतिहास (राजप्रशस्‍ती) संस्‍कृत भाषा में लिख्‍यो तको है।

 

पर्यटन स्थल

 


कुम्‍भलगढ़-

अजेय दुर्ग कुंभलगढ़ महाराणा प्रताप री जन्मस्थली के रुप में प्रसिद्ध है। हल्‍दीघाटी युद्ध री पराजय रे केड़े राणा प्रताप इणने आपणी राजधानी भी बणायो हो। यो दुर्ग मेवाड़ अ’र मारवाड़ री सीमा ने सादड़ी गांव रे मेरे अरावलीपर्वतमाला पे बणियो है और इणरो निर्माण 1448 ई. -1458ई. में महाराण कुंभा करवायो हो अ’र इणरो प्रमुख शिल्‍पी मंडन हो। दुर्ग रे माय राणा कुंभा रो निवास स्‍थल ‘कटारगढ़’ है।
ण किला री भींत ने दुनिया में चीन री भींत रे केड़े दूजी  संगळा उं लांबी भींत रे रूप में जाणी जावे है । यह भी मान्‍यो ग्‍या  है के या भींत  चंद्रमा सूं भी स्पस्ट रुप में नज़र आवे है ।

हल्दीघाटी
हल्दीघाटी राजसमन्द जिला मुख्यालय सूं  35 किलोमीटर री दूरी पे दक्षिण में अरावली पर्वत श्रृखला रे वीच स्थित है, अठारो धूळो पीळो वेवा रे कारणे इने हल्दीघाटी रे नाम सूं जाणियो  जावे है।  आज सूं लगाभगा सवा चार सौ वरस पेली 15 जून 1576 ने व्‍या भीषण संग्राम री साखी है हल्दीघाटी।
ण घाटी मां मुगलां री विशाल सेना रो मुकाबला महाराणा प्रताप अ’र वांरा मुट्ठी भर सैनिकों किदो हो। आपणी  छापामार युद्घ पद्धति सूं महाराणा प्रताप मुगल सेना ने पाछे हटवा पे  मजबूर कर दिदी ही। प्रसिद्घ इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड  हल्दीघाटी ने मेवाड़ री थर्मापॉली नाम दिदो हो।  हल्दीघाटी में एक निजी संग्रहालय भी बणियो तको है।  भारत सरकार हल्दीघाटी ने राष्ट्रीय स्मारक घोषित कियो गया है। अठे महाराणा प्रताप री चेटक पे सवार विशाल प्रतिमा स्थापित है. हल्दीघाटी में ग्वालियर रा तंवर नरेश री छतरियां रे लारे महाराणा प्रताप रे सेना नायक हकीम खाँ सूरी री मजार व झाला मान री छतरी भी बणी तकी है। इण प्रसिद्घ युद्घ भूमि ने देखवा प्रति वर्ष देश रे कौणा-कौणा सूं एवं विदेशां सूं 3-4 लाख पर्यटक आवे हैं और इने देखकर अभिभूत व्‍है जावे है।. 

चेटक समाधि
चेटक समाधि हल्दीघाटी सूं  2 किलोमीटर छेटी है। हल्दीघाटी रे प्रसिद्घ युद्घ में महाराणा प्रताप रा स्वामी भक्त घोड़ी चेटक री खास जग्‍या है।  हल्दीघाटी रा युद्घ में इण्‍रो पग जख्मी वेवा रे केड़े महाराणा प्रताप रणभूमि छोडवाऩे मजबूर व्‍है जावे।  स्वामी भक्त चेटक घायल व्‍या रे बाद भी महाराणा प्रताप ने सुरक्षित युद्घ भूमि सूं  बारणे निकाळ ले जावे पण एक नाला ने पार करिया विणरी मृत्यु व्‍है जावे। वठे चेटक री संगमरमर री समाधि बणी तकी है। 

रक्त तलाई
रक्त तलाई हल्दीघाटी सूं थोड़ी सी छेटी है। हल्दीघाटी रा भीषण संग्राम में दोई सैना रा  हजारों सैनिक वीरगति प्राप्त करे।  केवे है के वणरा रक्त सूं रणभूमि लाल व्‍हैगी ही। अणी’ज दौरान वरखा व्‍है जावे और रक्तयुक्त पानी एक तलाई रे रूप में परिवर्तित व्‍है जावे। योइ’ज स्थान रक्त तलाई  नाम सूं प्रसिद्घ वेवे।

दिवेर
मेवाड़ रे उत्‍तरी छोर पे कुम्‍भलगढ़ एवं मदारिया री पर्वतश्रृंखला रे वीच दिवेर रो नाको स्थित है। अठे महाराणा प्रताप छापातार युद्ध सूं मुगलां सुनियोजित हमलो किदो अ’र विजयदसमी रे दिन ऐतिहासिक विजय प्राप्‍त किदी।  कर्नल जेम्‍स टॉड दिवेर ने मेवाड़ रो मेराथन नाम दियो हो ।

रूकमगढ़ की छापर
अठे 14 अगस्‍त 1857 में तोत्‍या टोपें अ’र अंग्रेज़ा रे वीच घमासान युद्ध व्‍यो हो।

माचीन्‍द

इणने महाराणा अमरसिहं रे जन्‍म स्‍थन रे रूप में जाण्‍यो जावे है।

आवा-जावा रा साधन

जिला मुख्यालय रेल व सडक सूं दूजा राज्य व जिला सूं जुडि़या तको है ।

 
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