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आलमजी

मारवाड़ रै सुचावै लोक देवतावां अके आलमजी ई है। इणां रै चमत्कारां रै बारै में अणगिणत दंतकथावां चावी है। अै अलख परब्रह्म री निरगुण उपासना करण वाला शूरवीर अर भगत हा। कैयौ जावै के अै जैतमालोत राठौड़ राजपूत हा अर आपरै छेत्र री अत्याचारियां सूं सदीव रक्सा करी। केई बार हमलावरां नै अै आपरै ैवी चमत्कारां सूं लारै हटाय दिया।
जिकौ कोई ई आं री वाी सुणतौ, वौ भगती-सागर मांय डूब जावतौ, ईश्वर रौ परम भगत बण जावतौ, सदाचार रौ मारग अपणाय लेवतौ। अै केई चोरां, डाकुवां अर लुटेरां रौ जीवण पलट दियौ। गरीबां, अपाहिजां अर दुखियां री सेवा में सदीव लागियोड़ा रैवता। मारवाड़ रौ रेगस्तानी इलाकौ, जिकौ पीवण रै पाणी रै संकट सूं ग्रस्त रैया करतौ हौ, आं रै देैवी चमत्कारां री बजै सूं आज ई मुगत है। आलमपुर गाम मांय पाणी रौ कोई संकट नीं। पीवण रै खारै पाणी री बोहलाई वालौ इलाकौ आज मीठौ पाणी उणां रै चमत्कारां रै पाण इज पीवै।
आं री साधना, तपस्या अर त्याग रै कारण मीलाणी रा वीर अर सिद्धपुरुष रावल मल्लिनाथ अर उणां री भगत राणी रूपांदे आपरा श्रद्धालु भगत हा सुचावा कवि ईसरदास लंबै बगत तांई आं री पुण्यभूमि माथै ईश्वर आराधना अर जन-मानस री अनुपम सेवा करी। आं नै राजा अरक रंक सगला श्रद्धा सूं मानता अर पूजता हा। आज पण हरेक इलाकै रा लोग आं रै त्याग, तपस्या अर चमत्कारा सूं प्रभावित है अर अै लोगां रा व्हाला लोक देवता बणियोड़ा है।
सिद्धपुरुष आलमजी रौ खास स्थान गुड़ामालाणी सूं तीन मील दूर आलमपुर गाम रैयौ है। उठै अै साधु-जीवण बीतावता थका जन-कल्याणकारी योजनावां क्रियान्वित करी। आं रै नाम माथै इज इण गाम रौ नाम 'आलमपुरौ' पड़ियौ। गुड़ा-मालाणी अर आलमपुरा गामां रै बीच गुडा-मालाणी सूं लगै-टगै डेढ मील री दूरी माथै अेक विसाल धोरौ आयोड़ौ है, जिण माथै अै आपरी साधना साधी ही। इण धोरै नै 'आलमजी रौ धोरौ' कैयौ जावतौ रैयौ है अर आज ई 'आलमजी रौ धोरौ' नाम सूं चावौ है। इण विसाल रेतीलै टीबै माथै सिद्धपुरुष आलमजी रौ विसाल मिंदर बणियोड़ौ है, जिणरौ गोल गुंबज दूर-दूर तांई निजर आवै। मिंदर रौ मांयलौ हिस्सौ छोटौ अर दुमंजिलौ है, जिणरै ऊपरलै हिस्सै माथै घोड़ै सवार आलमजी री हदभांत ई फूठरी कलात्मक मूरती थापित है। आखती-पाखती केई छोटी-बडी मूरतियां विराजमान है। इण मिंदर रौ निरमाण मू भारती करवायौ है। उणसूं पैला फगत अेक चबूतरौ इज अठै हौ। इण मिंदर रै कनै इज रतन भारती अर जगा भारती रा समाधि-स्थल बणियोड़ा है। रेतीलै टीबै माथै च्यारूंमेर कांटां री बाड़ लगायोड़ी है, जिणरी परिधि मांय आलमजी रौ मिंदर, कीं संतां रा समाधि-स्थल अेक छोटौक विसरामघर रतन अर जगा भारती रौ बणियोड़ौ है। कनै अणूंतौ ई फूटरौ अर बडौ पाणी पीवण रौ टांकौ ई बणियोड़ौ है।
विसाल धोरै री कठण चढाई अके मील सूं ई ज्यादा है। फेरूं ई हजारूं श्रद्धालु भगत आयै बरस इण पवित्र स्थल री जात्रा कर'रअपणै आप नै सौभाग्यशाली समझै। रेतीलौ टीबौ आलमजी रै मिंदर री वजै सूं धारमिक महत्ता लियोड़ौ है, इणरी कीं दूजी खासियतां ई है। अठै मालाणी रै सिद्ध अर वीर पुरष राव मल्लिनाथ री धरमपत्नी रूपांदे रै दांतण सूं पैदा हुयोड़ी जाल आज ई धारमिक ट्रिस्ट्रीकोम अर प्राचीनता रै कारण चावी है। इण धोरै री रेत माथै पैदा हुवण वाला घोड़ा-घोड़ी उत्तम मालाणी नस्ल रै घोड़ां सारू चावा है। जद घोड़ी बच्चौ पेदा करण री हालत में हुवै तौ उणनै अठै लायौ जावै। जे घोड़ी नै अठै लावणौ संभव नीं हुवै तौ इण धौरै री रेत नै लोग आपरी घुड़सालां मांय बिछावै। धौरै रौ तौ अेकूकौ कण अणमोल है। इण घोरै माथै पैदा हुवण वाली रेगिस्तानी वनस्पति अर लकड़ी नै काणौ धारमिक दीठ सूं अवगुण समझीजै।
आलमजी रै धौरै रै नीचै सुचावा मालाणी मारवाड़ रा कवि ईसरदास केई बरसां तांई साधना करी अर प्रभु-भगती रै गीतां अर छंदां री रचना करी। इमरै अलावा अै जन-कल्याण सारू मीठै पाणी रै कूवै रौ निरमाम ई करवायौ जिकौ आज ई आं री यादगार अर जन-सेवा रौ प्रतीक बणियौड़ौ है। इण धौरै माथै आयौ बरस भादवै अर माघ महीनै रै चानणै पख रीबीज नै विसाल पैमानै माथै मैलै रौ आयोजन हुवै जिण मांय हजारूं लोग भेला हुवै। खास कर'र बिश्नौई, जाट, कलबी, राजपूत जाति रा लोग बेसी संख्या में अेकठ हुवै।
इण धारमिक, दरसणजोग अर इत्यासिक स्थल रै अलावा आलमजी रा केई मिंदर मठ अर थान गुड़ा-मालाणी इलाकै मांय मौजूद है। बाड़मेर नगर सूं तियालीस मील अर गुड़ामालाणी सूं चौबीस मील दूर, धोरीमन्ना मांय आलमजी रौ विसाल पक्कौ मिंदर बणियोड़ौ है। मिंदर नगर रै भाखरां री ओट मांय अर गाम री नदी रै किनारै आयौ थकौ है। मिंदर मांयआलमजी री घौडै माथै सवार प्रतिमा विराजमान ह। अर उणी रै आखती-पाखती अणगिणत छोटी-बडी प्रतिमावां ई मौजूद है। मिंदर तांई पक्की नालां ई बणियोड़ी है। कनै ई अेक विसाल बिरख रै हेठै छोटी देव कोठरी बणियोडॣ है जिणरै बाबत दंतकथा चावी है के अठै जात्रा माथै निकलियोडा़ केई देवता विसराम करण सारू कीं बगत रूकिया हा। आज औ धारमिक दीठ सूं पूजनीय बणियोड़ौ है।
राड़घरा रै लोगां नै तौ आलम घणी री आस। डॉ. (कुं.) महेन्द्रसिंह नगर मुजब राड़धरा रा रैवासी आलमजी नै घणा मानै। राड़घरा 'गुड़ा' अर 'नगर' दो भगां में बंटियोड़ौ लूणी नदी रै दोनूं किनारां माथै 60 मील तांी बसियोडौ है। डॉ. नगर बतायौ के अेकर सिरोही रा राजा सुरताण देवड़ा आबू परबत री रलियावणी छिब-छटा देख'र आपरी राणू सूं कैयौ-
टूके-टूके केतकी, झरणां सूं जल जाय।
आबू री छिब देखतां, अवर न आवै दाय।।
तद राणी, जिकी के राड़घरा री राजकंवरी ही, बोल पड़ी के-
जब खाणौ भखणौ जहर, पालौ चलणौ पंथ।
आबू ऊपर बेसणौ, भलौ सरायौ कंथ।।
तद राजा सुरताण कीं बुरौ मानता थकां गुस्सै में कैयौ के- " कांई आबू थारै निरजल अर निरगुण देस सूं ई गयौ-बीतौ है?" तद राणी आपरी जलमभोम री तारीफ करतां कैयौ के-
घर ढांगी आलम धणी, परगल लूणी पास।
लिखियौ ज्यां नै लाभसी, राड़धरा रौ वास।।
राड़धरा री महिमा तौ आलमजी सूं जुड़ियोड़ी है इज। राड़धरा रा लोग आपस में अभिवादन करतां ' जै आलमजी री' कैवै। इत्तौ ई नीं, आपरै हरेक शुभ काम में वै आलमजी नै पैला सुमरै। आलमजी निकलंक अवतार अर जैतमालोत राठौड़ां रा कुलदेवता मानीजै। आलमजी री मूरती घुड़सावर रै रूप मुजब मिलै। लाटै री बगत इणां रै नाम री 'भरण' अलग सूं निकाल'र प्रसाद चढाइजै।
आजकाल आलमजी रौ मेलौ विसाल पैमानै माथै भादवै अर माघ महिनां री चानणी दूज नै धोरीमन्ना मांय आयोजित हुवै। इण मांय घणकरा राजपूत, बिश्नोई अर जाट समुाय रा स्त्री पुरुष हिस्सौ लेवण नै अेकठ हुवै। पुरुष जठै सफेद पोसाक में आवै, स्त्रियां उठै लाल रंग रै वस्त्रां में अर गौणा-गांठा पैरियोड़ी आवे। इण कारण औ मेलौ 'रेड अेंड व्हाइट' रै नाम सूं ई आधुनिक भाषा में चावौ हुयोड़ौ है।
मेलै रै मौके धारमिक अर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करीजै। मालाणी नस्ल रै ऊंटां अर घोड़ां री दोडा़ं खास तौर सूं आयोजित करीजै, जिणां नै देखण सारू हजारूं लोग अेकठ हुवै। मैलै रै दिनां सात दिवसीय पशु मेलै रौ आयोजन ई करीजै, जिण मांय हजारूं पशुवां री खरीद बिक्री रौ सांवठौ इंतजाम रैवै। पशु-पालक अर करसा बडी श्रद्धा अर भकती सूं सिद्ध पुरुष आलमजी रा भजन, वाणियां, लोकगीत इत्याद गाय-गाय'र इणां नै साची श्रद्धाजंलि देवै अर कामना करै के इणां रै आसीरवाद सूं वै आपरौ जीवण बेसी सुख-सांयती सूं बितावै।

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