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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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संक्षिप्त राजस्थानी साहित्यिक और सांस्कृतिक कोश


अ -अ:

अकनकंवरी- व्याव रा गीतां री अखंड कंवारी नायिका।
अकबर- (सन1542-1605)हुमायु पुत्र। मुगल बादशाहां मांय सूं सर्वााकि पराक्रमी। 'दीन-ए-इलाही'संप्रदाय रो प्रवर्तक। मेवाड़ रा महाराणा प्रताप अर मारवाड़ रा राव चंद्रसेन सिवा सगला राजा इणने सलाम भरता। ओ काव्य रसिक ने कला प्रेमी हो अर इणरे दरबार मांय बीरबल, तानसेन, टोडरमल अर अब्दुर रहीम खानखा जैड़ा नवरत्न हा।
अक्षयपात्र- पांडवां रे वनवास समै सूरज द्वारा युाष्ठििर ने दीरीजियो एक वासण, जिणरी विशेषता आ ही के इण मांट पकायोड़ो भोजन जठै तांई द्रौपदी पुरसती रेहवती, खूटतो कोनी।
अक्षयवड़- तीरथराज प्रयाग मांय संगम कांठे आयोड़ो वड़ रो विशाल रूंख। इणरे संबंा मंय केहवलीजे के ओ जल-प्रलय मांय ई नी डूबे।
अखिलल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलण- इणरी थरपरना सन 1935 मांय कोलकाता मांय व्ही अर श्री रामदेव चौखाणी  इणरा पेहला अयक्ष हा।
अखैसाही नाणो- जैसलमेर रा रावल अखैराज द्वारा चलायोड़ो चांदी रो एक सिक्को।
अगण- छंद शास्त्र रा आठ गणां मंय सूं वे गण, जिके काव्य रचना मांय अशुभ गिणीजे ज्युं के-जगण, रगण, सगण अर तगण।
अगतो- वो दिन जद जीव हिंसा सूं वचण सारु भट्टी आद नी बालीजे अर कारीगर (सुथार, लुहार, सुनार) औजारां सूं काम नी करे। जथा-अमावस, होली, दीवाली परव आदि।
अगरचंद नाहटा- जनम सं. 1967 बीकानेर। मृत्यु सं. 2040. नाहटा-गुवाड़ रा लखपति वेपारी, विद्वान अर ख्यातनाम शोावेत्ता। आपरा काम मांय मगन रेहवण वाला नाहटाजी खरेखर ना+हटा। इणा हजारां सूं बैसी शोालेख लिखिया अर जैन ारम संबंाी घणा ग्रंथां रो संपादन कियो। 'अभय जैन ग्रंथालय' रा स्थापक-मालिक हा। ओ ग्रंथालय घणा शोा-करतावां री तिस शांत करे। नाहटाजी खुद हरता-फिरता ग्रंथालय हा। 'सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीटूच, बीकानेर' रा डाइरेस्टर रह्या। देश री घणी संस्थावां आपरो सनमान कीनो। देश री घणी शोा पत्रिकावां ने बीजी पत्रिकावां रे संपादक मंडल मांय हा। शोा री दीठ सूं घणो महताऊ, ऐड़ौ एक अभिनंदन ग्रंथ ई आप माथे प्रकाशित व्हीयो। आपरा संपादित ग्रंथ इण मुजब है- 'बीबी-बांदी रो झगड़ो, रूकमणी मंगल, वीश विरहमान जिन स्तवन, सभाश्रृंगार, ज्ञानसागर ग्रंथावलि,' अर 'जिनराज सूरि कृत कुसुमांजलि' आद।
अगरवाल- देश री एक चावी वैश्य जात, जिका आपरो उद्भव राजा अग्रसेन सूं माने। पइसा सूं समृद्ध, आ जात ारम, करम अर सेवा रे कामां मांय आगीवाण है।
अग्नि- पंचभूता मांय सूं तेज नाम रा मूर्तिमान देवता। दक्ष प्रजापति री सोले पुत्रियां मांय सूं स्वाहा इणारी पत्नी हा। वरुण री मदद सूं अग्नि खांडववन रो दहन कीनो। ओ वन पनरे दिनां तांई बलतो रह्यो ने फकत छ जणा वचिया-नागराज तक्षक रो पुत्र अश्वसेन, मय दानव ने चार सारंग पक्षी। इंद्र रे पछे, वेदां मांय सगलां सूं बैसी स्तुति अग्नि देवता री मिले।
अग्निकुल- दैत्य यज्ञ मांय विान नी नाखे, इण सारू आबू पर्वत माथे ऋषियां, महर्षि वशिष्ट रे नेजा हैठै एक यज्ञ कीनो। यज्ञ कुंड सूं चार पुरुष उत्पन्न व्हीया। इणासूं राजपूतां रा चार कुलां रो आरंभ मानीजे-परमार, परिहार, चालुक्य के सोलंकी ने चौहाण। ए चारुं अग्निकुल केहवीजे।
अग्रदास- जैपर कनै, गलता तीरथ रा एक रामभक्त कवि। ए 'भक्तमाल' रा रचयिता अर नाभादास रा गुरु हा। 'कुंडलिया रामायण (हितोपदेश उपाख्यान बावनी) यान मंजरी, राम यान मंजरी' अर 'अग्रसागर' इणारां ग्रंथ है। अग्रसागर रे संबंा मांय केहवीजे के ओ 'सूरसागर' जित्तो वडो हो, पण अबारतांई इणरा अढ़ीसौ पद ई मिले। अग्रदास शेखावाटी रा रैवासा गाम रा ने कृष्णदास (पयहारी) रा शिष्य हा, जिणा गलता मांय 'रामानंद गादी' री थरपणा कीवी। ए 'रसिक संप्रदाय (रामावत वैरागी)' रा प्रवर्तक हा। इणासूं समाजसुाार री घणी प्रेरणा मिली। रै वासा मांय इणा जानकीवल्लभ राम री उपासना कीवी। रामभक्ति मांय मााुर्य भाव प्रगट करण मांय आप अग्रणी हा।
अगस्तय-(1) 'वेदां' रा मंत्र दृष्टा एक ख्यातनाम ऋषि। मित्रावरुण अर उर्वशी रा संयोग सूं कुंभ मांय उत्पन्न होवण सूंए कुंभज केहवीजे।विंयाचल पर्वत रो गरब खंडण करणे सूं अगस्त्य केहवीजिया। इणारो व्याव विदर्भ राजकुमार लोपामुद्रा सूं व्हीयो हो, जिणसुं इणारे दो पुत्र दृढस्यू अर दृढस्यू व्हीया। लंकाऊ भारत मांय आर्य संस्कृति रो प्रचार रो श्रेय इणाने है। ए तमिल भाषा रा प्रथम व्याकरणकार है। नहुष ने अजगर बणण रो शापइणी दीनो हो। ए वशिष्ठ ऋषि रा सगा मोटाभाई हा। पंचवटी पहुँचणा पेहला भगवान राम ने ए मिलिया हा। इणा समंर रो मर्दन ई कीनो। (2) एक तारो जिको भादरवा मास मायं उदय व्है नै मेह री समाप्ति रो सूचक है।
अघरणी- गरभाारण व्हीया पछे आठमा महीने मांय करीजण वालो संस्कार। सीमंत संस्कार।
अघोर पंथ- एक शैव संप्रदाय, जिणरो आरंभ अथर्ववेद रे काल सूं मानीजे। समभाव पैदा करण सारू, ए सूगली वस्तुवां सूं ई सूग नी करे। इणीज वास्ते ए मल, मूत्र, काचो मांस रो सेवन करे अर मसाण मांय रेहवे। शरीर माथे चिता-भसम लगावे। कपाल-माला ाारी शिव इणारा उपास्य है। इणीज कारण इणाने 'कापालिक' ई केहवे। इण पंथने 'औघड़पंथ' ई कहवे। जन सााारण औघड़पथियां सूं घणी बीहे। ए गुरुने संतां री समाायिां री पूजा करे नै तंत्र मांय विश्वास राखे।
अचलगढ- आबू सूं तीन कोस दूर, अचलेश्वर मिंदर सूं थोड़ो आगा गयां पछे ओ किलो आवे। परमार वंशीय राजावां द्वारा सन 700 मांय बणवायो गयो हो। गढ मांय महाराणा कुंभा री मूर्ति है। कर्नल टॉड मुजब सन् 1452 मांय गढ रो ऊपरी भाग कुंभा बणवायो हो अर सैंग गढ़ री मरामत करवाई ही। इण मांय कुंभा री राणी ओखा रो महल, मंदाकिनी कुंड अर एक स्तंभ ई है, जिण माथे कुंभा रो नाम अंकित है। इण मांय भृतहरि गुफा ने लारे सूं बणवायोड़ो एक फूटरो जैन-मिंदर ई है।
अचलदास खीची री वचनिका- गाढण शिवदास रचित (सं.1480) अेक ऐतिहासिक काव्य ग्रंथ। इण मांय गागरोणगढ रा राजा खीची अचलदास अर मांडू रा बादसाह हौसंगसाह रा युद्ध अर जौहर रो जबरो वर्णन है। अचलदास अप्रतिम वीरता सूं युद्ध करतो वीरगति पाई। डींगल साहित्य री वचनिका विाा री आ एक उत्तर रचना है। पद्य ने गद्य री इण तुकांत रचना मांय दूहा, सोरठा, छप्पय, कुंडलियां, छंदां रो प्रयोग व्हीयो है। अबार तांई इणरा चार संपादन व्हीया है। डॉ. भूपतिराम साकरिया रो संपादन घणी विश्वविद्यालयां रे पाठक्रम मांय नियत है।
अचलेश्वर महादेव- आबू सूं अचलगढ जावतां, चढाई पेहला ओ मिंदर आवे। अठै शिवलिंग री जगा फगत एक खाडो है,  जिणने ब्रह्मखाड केहवे। दंतकथा है के ब्रह्मखाड पताल तांई ऊंडी है नै काशी विश्वनाथ जग आपरो पग लंबायो तो उणारो अंगूठो इण जगा पूगो। ब्रह्मखाड री सामां माता पारवतां री मूरत अर पीतल रो विशाल नंदी है, जिणने आबू रा शासक ाारावर्ष रा नैनाबाई प्रह्लादन बणवायो हो। ओ अचलेश्वर रो परम भगत ने भोज जैड़ो विद्वान हो। नंदी रे कनै दुरसा आढा री पीतल री मूरत है, जिका अबै एक कांनी राखीजी है। मिंदर रे बारे एक मोटी तुला है, जिण मांय राजालोग तुल'र, स्वर्णदान करता। इण मिंदर मांय राणा लाखा रो एक त्रिशूल है, ने मिंदर रे सामां वाला बाग मांय एक गदा पड़ी है। 'गाघोतरो' रो शिलालेख, चित्राम साथे मिंदर रे बारे लगायोड़ो है। कनैईज भरथरी री गुफा अर मानसिंाजी री समााि है।
अज- सूर्यवंशी राजा दशरथ रा पिता अर रघु रा पुत्र।
अजपाजाप-इण जाप मांय किणी भांत री साानां री जरूरत नी रेहवे। (माला के  बीजा कोई साान)। नाम रटण री ई जरूरत कोनी। सास रे आवागमन साथे इणरो जाप व्है। एक दन राम मांय 21600 सासां रे साथे मंत्र रो जाप व्है, जिणने नाथपंथी अजपाजाप केहवे। कबीर ई इणरो प्रयोग 'ओहं सोहं' रे रूप मांय कीनो हो।
अजमेर- मारवाड़ रा राजा सामंतसिंघ चौहाण रो पुत्र अजयराज चौहाण, आपरा नाम सूं अजमेर (अजयमेर-सन560) वसायो। केहवे के पेहला इण रो नाम गढ वीठली हो। सन् 1818 मांय जनरल ऑक्टरलोनी इणने अंगरेजी राज मांय भेल दीनो। सन् 1956 मांय ओ नगर राजस्थान रो अंग बणियो। बादशाह अकबर अजमेर रे ओले-दोले परकोटी बणवायो हो। अंगरेजां रे समै ओ नगर अजमेर-मेरवाड़ा री राजधानी हो।

अजीतसिंघ, महाराजा जोधपुर-जनम सं.1735, लाहौर अर मृत्यु सं. 1781. इणारो सगलो जीवण आपरा राजने जमावण अर सुरक्षित करम मांय ईज वीतो। औरंगजेब सूं जुद्ध करतां, इणा छपनां रा भाखरां मांय घणा वरस अबखाई सूं काढिया। संसार मांय कठैई नी मिलै, अैड़ो अजोड़ वीर, सामधरमा अर देशभक्त इणारो संरक्षक-सहायक हो, पण अजीतसिंघ बुरा लोगां रो सिखावा मांय आय'र दुर्गादास ने देशवटो दियो तो किणी कवि कह्यो-
महाराजा अजमाल री जद पारख जाणी।
दुरगो देसां काढियो, गोला गांगाणी।।
अजीतसिंघ अेक नामी किव ई हा, पण आपरे पिता जसवंतसिंघ सूं साव जुदी शैली रा। इणारा तीन ग्रंथ चावा है-'गज उद्धार, गुण सार' अर 'भाव विरही'। मिश्रबंधु आपरे इतिहास ग्रंथ मायं पांच ग्रंथां रो उल्लेख कीनो है, पण दूजा दोय मिले कोनी। इणारा आश्रित कवियां मांय बालकृष्ण, जगजीवन ने श्यामराम रो पण उल्लेख है। 'अजित ग्रंथ' अर 'अजितोदय' इणारा प्रशस्ति ग्रंथ है। राजलोभ मांय इणारा पुत्र बखतसिंघ इणारी हत्या कीवी। उण टैम अेक कवि कह्यो-
बखता भकत वायरो, थें मारियो अजमाल।
हिंदुआणी रो सेवरो, तुरकाणी रो साल।
अडारगिरि- (1) राजस्थानी साहित्य मांय आबू पर्वत रो अेक विशिष्ठ नाम (2) भारतवर्ष री सगली पर्वतमालां रो साहित्यिक नाम।
अडार भार वनस्पति। अडार भार वनस्पति मांय चार बाग अपुष्प, आठभार, सपुष्प (फल साथे) ने छ भार लतावां है। अेक भार वनस्पति री संख्या-परिमाण, बारे करोड़ तीस लाख अेक हजार छ सौ आठ (123001608) मानीजियो है। इणने अडार गिर भार वनस्पति ई केहवे।
अणखलो- सिवाणो रे किला रो अेक पर्याय, जिणने सं. 1077 मांय भोज परमार रा पुत्र वीरनारायण बणवायो हो। इण भाखर रा सगला शिकर निम्नमुखी है ने इणीज सारू ओ अणखलो केहवीजे। राजस्थान मांय ओ दुरग सगलां सूं जूनो है अर मारवाड़ रा ' नव कोटां' मांय इणरी गिणती व्हे। इण भाखर माथे कूमट रा झाड़ ई मोकला। इणीज सारू इणरो अेक नाम कुमटगढ ई है।
अणदो सोनी- मारवाड़ रे मालाणी परगना रा प्राचीन भगतां मांय सूं अेक। इणारो लिखियोड़ा साहित्य तो उपलब्ध कोनी, पण घाट अक सिंघ मांय आपरा पद आज ई गावीजे। इणा सारू चावो है के-
भगत व्हुीयो अेक अणदासोनी, इसड़ो तो व्हीयो ई कोनी।
मात-पिता री ममता छोड़ी, तिरिया ने माता कह छोड़ी।
अतिशयोक्ति- वो अर्थालंकार, जिण मांय किणी व्सुत के घटणा रो यथार्थ सूं जुदो पण चमत्कारपूरण वरणण कियो जावे। इणरा सात भेद है।
अत्युक्ति- अेक अर्थालंकार, जिण मांय सुंदरता, वीरता ने उदारता रो अत्युक्तिपूर्ण वर्णन व्है।
अत्रि- ब्रह्मा रा मानस पुत्र। अेक वैदिक ऋषि नै प्रजापति। पत्नी रो नाम अनसूया अर तीन पुत्रां रा नाम है-दुर्वासा, दत्तात्रेय ने सोम। अत्रि धर्मशास्त्र रा प्रवर्तक ऋषि हा ने इणारे ग्रंथ रो नाम है 'अत्रि संहिता'। अे गोत्र प्रवर्तक ऋषि हा। गुरुशिखर (आबू) माथे अत्रि अर अनसूया रा पगलिया है। अरात्रि हूवण सूं अत्रि केहवीजिया।
अद्भुत- नव रसां मांय सूं अेक। इणरो वर्ण पीलो है। विस्मय इणरो स्थायीभव; अचंभा वाली वस्तुवां अवलंबन, अचरजकारी दशावां उद्दीपन, स्तंभ, स्वेद, रोमांच इणरा अनुभाव ने वितर्क अर हर्ष संचारी भव है। देवता गंधर्व है।
अद्भुतशास्त्री- अेक मंजियोड़ा, राजनीतिक, साहित्यकार अर विद्वान। घणी पत्रिकावां सूं जुड़ियाड़ा। सन् 1945 मांय 'मारवाड़ी गौरव' अर सन् 1960 मांय राजस्थानी मासिक 'कुरजां' काढी। जन्म सं. 1985 अर मृत्यु सन् 1962।
अद्वैतवाद- आद शंकराचार्य रो वो सिद्धान्त, जिण मांय 'ब्रह्म सत्यम् जगन्मिथ्यम्' नै 'जीवो ब्रह्मेवनापर' री पुष्टि करीजी है। ब्रह्म ईज सत्य है अर जगत झूठो है तथा ब्रह्म सूं ईज जड़, चेतन विश्व री उत्पत्ति व्ही। जीवात्मा ब्रह्म सूं नेरो कोनी। माया रे कारण ईज वा जुदी देखीजे।
अधमा- वा नायिका, जिका नायक री भलाई रो बदलो बुराई सूं देवे। जिका अणूती रीसां बले अर जिका मनावण सूं माने नी।
अधिरथ - धृतराष्ट्र रो सारथी। इणरी पत्नी रो नाम राधा, जिणे कर्ण ने पालपोसने मोटो कीनो।
अनलकुंड (अग्निकुंड)- आबू पर्वत रो वशिष्ठाश्रम, जठै महर्षि वशिष्ट इतिहास प्रसिद्ध यज्ञ कियो हो। इणसूं चार वीर पुरुषांने उत्पन्न कीना ने चारां ने क्षत्रिय कुल मांय दीक्षित किया। अे चार क्षत्रिय वंश हा-सोलंकी, चौहाण, परमार, ने परिहार। अे चारूं अग्निकुलोत्पन्न क्षत्रिय केहवीजे।
अनसूया- कर्दम ऋषि अरे देवहूती री पुत्री तथा अत्रिऋषि रा पत्नी। वनवास में जद श्री राम अत्रि-आश्रम गया तो इणा सीता ने उपदेश दियो हो। इणा घोर तपस्या कर'र वरदान मांय तीन उत्कृष्ट पुत्र प्राप्त किया हा।
अनात्मवाद- वो वाद जिणमांय आत्मा रो निशेध व्है। ओ आत्मवादा रो विरोधी अर बौद्ध दर्शन रो अंग है।
अनासागर- सन 1135 मांय अजमेर रा राजा अणैजी (अर्णोराज) मुसलमानां ने हरायने युद्धभूमि ने पवित्रकरण सारू अेक हवन कीनो। हवन री जगा माथेईज अणासागर (अनासागर) री रांगां खोदाय ने आपरे नामसूं तलाब रो नाम राखियो। सन् 1637 मांय शाहजहाँं अनासागर माथे 1240 फीट लांबी संगमरमर री बारहदारी बणवाई, बेगमां सारू संगममर रा महल बणवाया अर आथूणे बाग ई बणवायो। इण सागर रो घेरो आठ मील रो है नै इणरे वच मांय अेक महल वणियोड़ो हो, जिणने पठाणा तोड़ियो हो।
अन्नाराम सुदामा- जनम सं. 1980 वीकानेर। नवलवारता (उपन्यास)कार, वारताकार अर कवि। राजस्थानी भाषा री विधा नवलवारता मांय आप सिरेनाम। 'मैंकती काया ने मुलकती धरती, मेवे रा रूंख, डंकीजता मानवी, घर संसार' अर 'गलत इलाज' वारता संग्रै। 'वधती अवंलाई' नाटक तथा 'पिरोल में कुत्ती व्याई' अर 'व्यथा कथा' आपरा कविता संग्रै। घणी संस्थावां सूं संबंधित ने मोकला पुरस्कारां सूं पुरस्कृत। आधुनिक राजस्थानी प्रांजल गद्य रा उत्कृष्ट लेखक। पेहला आप शिक्षक हा।
अनुप्रास- अेक शब्दालंकार, जिणमांय अेक भांत रा व्यंजन वारमवार आवे अर काव्य री शोभा वधारे। इणरा पांच प्रकार व्है। राजस्थान रो वैणसगाई अलंकार अेक खास भांत रो अनुप्रास अलंकार, जिणरो निर्वाह करणो घणो करड़ो काम।
अनुभाव- रस रा चार अंगां मांय सूं अेक। इणसूं आंतरिक भाव प्रगट व्है-ज्युं क्रोध सूं मूंडो रातो व्है। आश्रय री चेष्ठाने ईज अनुभव केहवे। इणरा चार भेद व्है- कायिक, मानसिक, आहार्य और सात्विक।
अनुस्वार- नाक सूं निकलणवाणी अवाज के शब्द, जिणरो चिह्न बिंदी (.) रूप है न जिको अक्षर री शिरोरेखा माथे लागे। अनुसार सदीव स्वर सूं संबंधित रेहने उच्चारीजे।
अनोखी आन- आचार्य बदरीप्रसाद साकरिया रचित अेक अैतिहासिक नवलवारता। जिणरा घणखरा संवाद राजस्थानी मांय है। इण मांय राजस्थानी गीतां रो ई समावेश है। ओ अेक आंचलिक उपन्यास है, जिको पैतांलीस वरसां पेहला लिखिजियो हो। सारी कता रो आधार हिंदू वीरां री बे विशेषतावां है- (1)जुद्ध मांय वीर रो माथो कटियां पछे उणरो धड़ लड़े अर (2) वीरां रे मरियां पछे उणारी पत्नियां उणारे लारे सती व्है। इणीज बे विशेषतावां रे कारण मुगल दरबार मांय 70 खान ने 72 उमराव रेहवता। स्व. अगरचंद नाहटा इण उमरावां अर खानां री सूची डूंडलोद सूं प्रकाशित 'साधना' पत्रिका मांय छपवाई ही।
अनोपसिंघ, महाराजा बीकानेर-जनम सं. 1695, वीकानेर महाराजा करणसिंघ रा तीजा बेटा। जग चावां ' अनूप संस्कृत पुस्तकालय' रा थापक। औरंगजेब री दक्षिण मुहिम रे समै, अडोनी रा बांमणा कने सूं अे घणां संस्कृत ग्रंथ ले आया। इणसूं आकृष्ट हुय'र घणा संस्कृत पंडित बीकानेर आय वसिया। अनोपसिंघ खुद संस्कृत रा कवि, ज्योतिष रा जाणकार तथा आयुर्वेद, मंत्रतंत्र, नै कामशास्त्र रा ज्ञाता हा। 'अनूप विवेक, प्रतिष्ठा प्रयोग चिंतामणि, श्राद्धप्रयोग चिंतामणि, अनूप रत्नावली, जयाभिषेक पद्धति, कौतुक सारोद्धार' वगेरा ग्रंथां री रचना कीवी। वीरता मांय ई कम नी हा। औरंगजेब इणाने 'महाम रातिब' री उपाधि दीवी, औरंगाबाद रा सूबेदार बणिया ने अडोनी (आदूनी) रो राज दीनो। इणारी प्रेरणा सूं 'बेताल पच्चीसी' ने 'शुक सारिका' जैड़ा कथा ग्रंथां रो राजस्थानी मांय अनुवाद व्हीयो। अे संगीत रा ई जबरा प्रेमी। 'संगीतानूपरण' अर 'संगीत वर्तमान' रा प्रणेता हा। इणारा आश्रय मांय भावभट्ट अर रघुनाथ गोस्वामी क्रमशः संगीत रा छ ने अेक ग्रंथ वणाया।
अपभ्रंश- साहित्यिक प्राकृत सूं जुदी होयने जद बोलचाल री भाषा स्वतंत्र रूप सूं विकसित हूवण लागी तो साहित्यिक उणने अपभ्रंश केहवण लागा। कालान्तर मांय इण मांय पुष्कल साहित्य रचीजियो। अपभ्रंश रो समै 500 ई. सूं. 1500 ई. तांई रो केहवीजे। इणीज भाषा मांय आचार्य हेमचन्द्र आपरो व्याकरण वणायो। इणीज भाषा मांय महाकवि चतुर्मुख स्वयंभू, त्रिभुवन स्वंयंभू, पुष्पदंत नै कणहपाद आपरी रचनावां रची। 'नागर, उपनागर, मारू, शौरसेनी' अर 'ब्राचड़' इणरा कई भेद है। राजस्थानी मारू अपभ्रंश रो विकसित रूप है। इणीज अपभ्रंश ने विद्वान 'पश्चिमी अप्रभंश' ई केहेव।
अपरंच- (1) 1980 ई. मांय प्रकाशित तॢमाही पत्रिका। संपादक- श्री पारस अरोड़ा, जुगत प्रकासण, कबूतरां रो चौक, जोधपुर। (2) राजस्थान मांय कागद लिखण री पद्धति। इणरो अरथ व्है- 'इणरे आगे लिखणो है के।'
अपसरा- कल्प रे आरंभ मांय देवतां द्वारा उत्पन्न देवांगनावां। रंभा, मेनका, धृताची, तिलोत्तमा, उर्वशी आद अपसरावां ही। जग चावी बात है कि जद जद किणेई देवत्व प्राप्त करण सारू घोर तप कियो, इंद्र उणरी तपस्या भंग करण सारू इम अपसरावां ने मेलतो।
अबुलफजल- घणा चावा इतिहासकार नै बादशाह अकबर रा विश्वासु मित्र। अे नागौर रा हा नै इणारे पिताजी रो नाम शेख मुबारक हो। सतरमा सैका रो इणारो इतिहास ग्रंथ 'आइन-ए-अकबरी' प्रसिद्ध है। इण मांय भारत री प्रमुख भाषावां मांय 'मारवाड़ी' रो नाम ई है।
अब्दुर रहमान- (ई. 1010) मुलतान वासी अेक मुसलमान कवि, जिणा 'संदेश रासक' ग्रंथ री रचना कीवी। इण ग्रंथ माय जुदी जुदी ऋतुवां रे माध्यम सूं कवि वियोगण रा संदेश, उणरा प्रियतम कनै मेले। इण ग्रंथ ने 'सनेह रासक' ई केहेव। इणरी भाषा मारू अपभ्रंश (पश्चिमी अपभ्रंश) है नै इणरो छंद 'रासक' है।
अब्दूल वहीद 'कमल'-जनम सन् 1936। गाम नारसरो, तहसील सरदारशहर। अे नाटककार, कवि, नवलवारताकार है। 'उकलती धरती, उफलतो आभो (कविता) हाऊड़ै रो धोरो (बाल नवलवारता) धराणो (नवलवारता) तूं जाणी का मैं जाणी (नाटक) गली रो लाडेसर (वारता संग्रै) आपरी पोथियां है। 'माटी री आण' वारता माथे फिलम बणगी है। अर 'गोगी' माथे बणणी शूरू व्ही है। घणी संस्थावां सूं संबंधित। 'मिमझर' संस्था रा थापण हार। अकादमी सूं पुरस्कृत।
अभय जैन ग्रंथालय-स्व. श्री अगरचंद नाहटा द्वारा आपरे मोटा भाई रे नाम सूं थरपित, ओ ग्रंथालय, शोधकर्तावां रो मोटो तीरथ हो। अठै हजारां हस्तलिखित ग्रंथ, अर अनेक दुर्लभ चित्र अर सिक्का संग्रहीत है। प्रकाशित ग्रंथ ने पत्रिकावां ई हजारां री संख्या मांय है। नाहटाजी री मृत्यु पछे ओ बंद है।
अभयसिंह, महाराजा जोधपुर- जो के अे खुद कवि नी हा, पण जबरा काव्य रसिया हा। कवियां रो सनमान जिको उणा कियो, वो संसार मांय अद्वितीय है। 'विरद श्रृंगार' रा रचयिता करणीदान ने 'लाख पसाव' ई नी दियो, पण खुद घोड़े माथे सवार हुयने, कवि ने हाथी माथे बिठायने सवारी काढी अर ठेठ कवि रा घरतांई पहुँचावण गया। हइ संबंध रो अेक दूहो चावो है-
अस चढियो राजा अभै, कवि चाढे गजराज।
पोहर अेक जलेब में, मोहर चले महराज।।
भट्ट जगजीवन, वीरभाण, रसपुंज ने माघोराम, जिसा श्रेष्ठ कवि इणारा आश्रित हा, जिणा क्रमशः 'अभयोदय, राजरूपक, कवित्त श्री माताजी रा' ने 'शक्ति-भक्ति' ग्रंथां रो निर्माण कियो।
अभिधा-सबद री तीन शक्तियां मांय सूं अेक, जिण मांय किणी सबद ने सुण'र, उणरो पेहलो अरथ ईज ध्यान आवे।
अभिधा-सबद री तीन शक्तियां मांय सूं अेक, जिण मांय किणी सबद ने सुण'र, उणरो पेहलो अरथ ईज ध्यान आवे।
अभिनय-अवस्था रो अनुकरण ईज अभिनय है। इणरा चार प्रकार व्है।
अभिमन्यु-अर्जुन ने सुभद्रा रो पुत्र। घणी नैनी ऊमर मांय, महाभारत रे युद्ध मांय इणे अेकले ईज चक्रव्यूह तोड़ियो। पछे तो सात महारथी भेला हुय'र, इणरो वध कियो। अभिमन्यु रो व्याव विराट राजा री कंवरी उत्तरा साथे व्हीयो हो, जिणरी कूख सूं परीक्षित जनमियो।
अभिसारिका-अभिसार जावणवाली नायिका। काम वासना रे वशीभूत हुयने गुप्त रूप सूं नायक ने मिलवा जाणो अभिसार केहवीजे।
अमदावाद री राड़-सन् 1730 मांय जोधपुर महाराजा अभैसिंघ अर गुजरात रा सूबेदार बुलंदखां रे वच मांय हुओड़ो जुद्ध। अभैसिंघ जीतिया नै केहवीजे के अमदावाद रे कोट रा दरवाजा आपरे साथे जोधपुर लाया। इण जुद्ध रो वर्णन 'सूरजप्रकाश' अर 'राजरूपक' मायं मिले। 166 छप्पय छंदां मांय बखता खिड़िया ई इणरो वर्णन कियो।
अमरनाथ-कश्मीर रो अेक चावो तीरथ जठै सांवण री पूनम ने अेक गुफा मांय बरफ रा शिवलिंग रा दर्शण व्है।
अमरनाथ जोगी-केहवीजे के ठाकरड़ा(डूंगरपुर)गाम रे इण कवि साढी तीन दिनां मांय गलालैंग (गुलाबसिंघ) री वीर गाथा ने छंदोबद्ध कीवी। तीन सौ वरसां पेहला रो ओ ग्रंथ सताईस खंडां अर 12000 ओलियां मांय आबद्ध है। ओ अेक प्रभावशाली ग्रंथ है ने जोगी लोग आज ई इणने गामां मांय गावता फिरे।
अमरसिंघ-नागौर पति अमरसिंघ राठौड़। जनम सं. 1670 अर मृत्यु सं. 1701. इणा शाहजहाँ रे दरबार मांय आपरी कटारी रो परचो बतायो, जद सलावतखां उणसूं तोछड़ाई कीवी। अे अप्रतिम वीर ने स्वाभिमानी हा। इ्‌युंतो अे ईज पाटवी कंवर हा, पण जद जोधपुर रो राज इणारा नैनाबाई ने दीरीजियो तो इणासूं सहन नी व्हीयो, अर शाहजहाँ रे दरबार मांय परा गया। उणा भरिया दरबार में सलावतखां ऊपर कटारी वाही। इण घटणा रो अेक दूहो घणो चावो है-
इण मुख सूं गग्गो कह्यो, इण कर निकसि कटार।
'वार' कहण पायो नहीं, जमधर हो गई पार।।
अमल- राजस्थानी रीत-रिवाजां मांय अमल रो घणो उपयोग व्हैतो। ओसर-मोसर सगला मांय उणरो उपयोग। लोग मनवारां कर'र अमल देवता। किणी कवि कह्यो-
जलम मरण अर व्याव में अमल गले अनाप।
वार तेवार आवो तो भेलो ल्याजो आप।।
इण विन ओसर अेकनी, मोसर इण विन नाय।
रूस्यां सैण मनावता, देवां अमल गलाय।।
आखातीज तिंवार ने अमलां सूं ई मनाय।
किसो काम अठै इसो, अमल बिना व्है जाय?।।
अमल रो पोतो-अमल राखण री खलेची।
अमियो ढाढी- पालीवाल बांणा माथे इणा 'नीसाणी' ग्रंथ रचियो, जिणरो संपादन कर'र आचार्य बदरीप्रसाद साकरिया, इणने 'पालीवाल संदेश' मांय आगरा सूं प्रकाशित करवायो।
अमृत-(1)अमर करिणयो रस। इणने पीवण सूं कोई पण अमर बण जावे। जद पृथु रा बीह सूं पृथ्वी गाय बणगी, तो देवाता इन्द्र ने टोगड़ो बणाय'रे अमृत काढ़ियो, पण दुर्वासा रा शाप सूं वो समुद्र मांय पड़गो। इणने काढण सारू ईज देवात अर दैत्यां समुद्र मंथन कियो। समुद्र मांय सूं निकलियोड़ो ओ चवदमो रतन हो। (2)हठयोग री क्रिया मांय चंद्रमा सूं जिको अमृत झरे, वोईज साचो अमृत है। (3) फलित ज्योतिष रा अठाईस योगां मांय सूं अेक योग।
अमृतध्वनि-चौवीस मात्रावां वालो अेक यौगिक छंद, जिणरे प्रारंभ मांय अेक दूहो आवे। ओ छ पदां रो व्है। इण सारूं इणने 'षटपदी' ई केहवे। इणरा लारला चार पदां मांय सूं हरेक पद आठ मात्रावां रो व्है। प्रथम पद रे आद मायं जिको शब्द आवे, वोई छठे पद रे अंत मांय आवणो चाहीजे। ओ छंद वीर रस रे उद्रेक सारू घणो उपयोगी है।
अमृतलाल माथुर- आधुनिक काल रा मारवाड़ रा अेक रामभगत कवि। मारवाड़ मांय लुगायां द्वारा गावीजता गीत, लोकगीता के, फाटागीतां री तरजां माथे इणा 'गीत रामायण' री रचना कीवी। इण मांय 135 पद, 24 चौपाइयां, चार दूहा ने अेक शिखरणी छंद है। इणने लोक महाकाव्य कह्यो जा सके। घणीज लोकप्रिय रचना। 'मारवाड़ी भजन संग्रै' आपरी दूजी रचना है।
अयोध्या-अवध री राजधानी, जिका श्रीराम री जलम भौम है। आ नगरी सरयु नदी रे कांठे वसियोड़ी है। इणने साकेत ई कहेवे। जैन तीर्थंकर आदिनाथ री जलम भौमq पण आईज है। बाबर मिंदर तोड़'रे मस्जिद बणवाई। उणरो विवाद अबार जोरां सू चाले है। घणा रामभगत गोलियां खावी ने अमर व्हीया।
अरणोद-गोतमजी-प्रतापगढ़ तहसील रो अेक तीरथ।
अरविंदसिंघ, मेवाड़-मेवाड़ रा महाराणा परवार मांय इणारो जनम सन 1744 मांय व्हीयो हो। अे अेक घण आयामी व्यक्तित्त्व रा घणी है। संगीत, कला, शिक्षा, साहित्य अर धर्म सूं सम्बन्धित घणा ट्रस्टां रा प्रेरणा स्तोत्र अर थापक-संचालक रह्या है। अैड़ोईज अेक ट्रस्ट महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन है, जिको पनरे 'अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय' अर 'मेवाड़ राज' अेवार्ड दर वरस देवे। इण मांय महाराणा उदयसिंघ, महाराणा कुंभा, महाराणा सज्जनसिंघ, महाराणा राजसिंघ अर महाराणा फतैसिंघ रे अलावा कर्नल जेम्स टाड, हलदीघाटी, हकीमखान सूर, पन्नाथाय, हारीत ऋषि, राणा पूंजा (भील नेता), भामाशाह, डागर घराणा अर अरावली अेवार्ड ई जुदा जुदा श्रेष्ठ कार्यो सारू अरपीजे। इण फाउण्डेशन रा थापक पूर्व महाराणा भगवतसिंघ हा । (1999)
अरुंधती-(1)कश्यप ऋषि रा पुत्री ने वशिष्ठ रा पत्नी। (2) इण नाम रो अेक नक्षत्र।
अर्जुन-ईंद्र अर कुंती रा औरस पुत्र ने पांडु रा जारज पुत्र। द्रोणाचार्य रा प्रिय शिष्य अर श्रीकृष्ण रा परम भगत तथा उणारा बेनोई। द्रौपदी इणरो वरण कियो। इण सुभद्रा रो हरण कीनो। उलूपी ने चित्रांगदा इणरी दूजी पत्नियां ही। भगवान शिव इणने पाशुपतास्त्र दियो अर अग्नि, इणने कपिध्वज वालो दिव्यरथ ने गांडीव धनुष दियो। महाभारत रा जुद्ध मांय कृष्ण इणरा सारथी हा। जुद्ध री शरूआत मांय ईज अर्जुन विषाद सूं पीड़ित हो। उण टैम कृष्ण इणने कर्त्तव्य पालण रो जिको उपदेश दियो, वोई 'गीता' केहवीजे। इण जुद्ध मांय अर्जुन कौरवां रा घणा महारथियां रो संहार कियो। पण अेक अैड़ो समै ई आयो के इतरा बड़ा वीर ने भीलां जुद्ध मांय हरायो। अंत मांय राजकाज छोड़'रे आपरा भाइयां अर द्रौपदी साथे हिमाले गयो।
अर्जुनलाल सेठी- जलम ई. 1880 अर मृत्यु ई. 1941। इणारे वास्ते चावो है के - 'अंगरेजां में लार्ड कर्जन, जैनियां में लार्ड अर्जुन।' अे अंगरेजी, फारसी, संस्कृत अर पाली रा समर्थ विद्वान हा। इणारी विद्वात्ता सूं प्रभावित हुय'र जैपर नरेश राज री दीवानगी धामी। इणारो बेवाक जवाब हो के अर्जुनलाल नोकरी करसी तो अंगरेजां ने देस बारे कुण काढसी? जैपर मांय 'वर्धमान विद्यालय' री थापना कीवी, जठै क्रांतिकारियां ने शिक्षा दीरीजती। लोकमान्य तिलक सूं लेय'र पं. मोतीलाल नेहरू सगला इणारो सनमान करता। हिंदू-मुसलिम अेकता सारू इणा घणो काम कर्यो। जिंदगी रे लारला दिनां मांय गंदी राज-रमत सूं अे घणा परेशान किया गया।
अर्थदोष-काव्य मांय अरथ-संबंधी दोष। अे तेईस तरै रा व्है।
अर्थालंकार-अर्थ रे चमत्कार सूं संबंधित अलंकार के वो अलंकार जिणमांय अरथ रो गौरव व्है। ज्युं के श्लेष, यमक वगेरा।
अर्धमागधी-अेक प्राकृत भाषा, जिणरो चलण अवध मांय हो। मगध प्रदेश री भाषा 'मागधी' अर शौरसेन प्रदेश री भाषा 'शौरसेनी'। इण दोनूं रे मध्य मांय बोलीजण वाली भाषा रो नाम 'अर्धमागधी' पड़ियो। जैन साधु-साहित्यकारां रो घण खरो साहित्य इणीज भाषा मांय है।
अर्धविराम-वाक्य रो अर्थ ग्रहण करण री दीठ सूं, वाक्य मांय कास जगा, थोड़ो विराम देवण री क्रिया। इणरी अनुकूलता सारू वाक्य मांय लगायो जावण वालो अैड़ो चिह्न (,) इणने अंगरेजी मांय कॉमा केहवे।

अर्बुद-देखो आबू।
अलकापुरी-कुबेर री पुरी। रावण जद कुबेर सूं लंका खोसली, तद कुबेर आ नवी नगरी वसाई।
अलख-माया सूं निर्लिप्त ईश्वर-निरंजन।
अलखिया संप्रदाय-इण संप्रदाय रा प्रवर्तक साधु लालगिरि हा, जिणारो जलम चरु जिला रा सुलखिया गाम मांय व्हीयो हो। बालपणे मांय घर छोड़'र नागा साधुवां सागे नाठा। वीकानेर आयने किला सांमी बारे वरस रह्या। इण जगा अेक लाल भाटो आजई है। अठै संप्रदाय रा लोग नालेर चढावे। श्री ओझाजी लिखियो है के अे जात सूं मोची हा, पण इणारा शिष्य बामण, वाणिया सगलाई है। बीकानेर नरेश रतनसिंघ इणाने आपरे साथे तीरथां लेयगा। पछे अे जैपर कनै गलताजी मांय रेहवण लागा। अठै इणारी समाधि ई है। अलखिया संप्रदाय जातपांत अर मूरत-पूजा मांय नी माने। लालगिरिजी रा कुंडलिया घणा चावा है।
अलगोजो-वांस के लकड़ी सूं बणायोड़ो, ओ बंसरी वालो वाद्य है नै दोनूं हाथां सूं वजाईजे। तीन तीन आंगलियां दोनूं बंसरियां माथा। इणरो सुर घणो ऊंचो व्है ने इणीज वास्ते गावणियाने ई ऊंचा स्वर सूं गावणो पड़े।
अलंकार-(1) अरथ रे शब्दां री वा जुगती (युक्ति) जिणसूं काव्य री शोभा वधे। (2) 72 कलावां मांय सूं अेक। (3) छंद शास्त्र मांय प्रथम गुरु साथे चार मात्रावां रो नाम। (3) अलंकार-सोना-चाँदी धातुवां रा आभूषण। (4) अलंकार (साहित्य मांय) दो भांत रा व्है-अर्थालंकार ने शब्दालंकार।
अलूनाथ कविया- चावा भगत अर कवि। इणारे लिखियोड़ा 160 कवित्त मिले। अे जोधपुर रा मालदेव रा समकालीन हा। जलम सिणला गाम। पिताजी रो नाम हेमराज। आमेर आ रूपसिंघ वैरागर इणाने जसराणा गाम दीनो।
अल्लाजिला बाई-श्री नबीबख्श री बेटी अर बीकानेर री चावी गीतरेण। 'माड राग' री तो अे सर्वश्रेष्ठ गायिका ही। 1982 मांय 'पद्मश्री' रो इलकाब मिलियो। 'संगीत श्यामला कोलकाता' री संस्था इणाने दस हजार रूपिया ने तांबापत्र देय'रे सनमान कीनो। लोग इणाने मरू-कोकिल रा हेतालु नाम सूं बोलावता। बी.बी.सी. माथे कार्यक्रम देवण सारू लंदन आमंत्रीजिया। आखी जवानी बीकानेर राजघराणा री संगीत-सेवा करतां वीती। इणारा गुरु उस्ताद हुसैन बख्श हा। अे इणाने आठ वरस री नैनी ऊमर मांय बीकानेर दरबार मांय ले गया। महाराजा गंगासिंघ तो इणारा गीत सुण'र घणा राजी व्हीया। अठैईज अल्लाजिल्ला बाई दादरो, ठुमरी रागां अर हारमोनियम सीखिया। छगनी अर मगनी गीतेरणां सूं इणाने माड राग मिली। बुढापा मांय ई जद वे 'केसरिया बालम, आवोनी पधारो म्हारे देश' उगेरता तो लोगां रा माथा, संगीत रा सुरां माथे घुणीजण लागता। 1992 मांय निधन।
अवतार-(1) पुराणा मुजब परमात्मा के किणी देवता रो मिनख के पशु रूप मांय जनम लेवणो। अवतार बे तरै रा व्है- (1) निमित्तावतार अर (2) नित्यावतार। अवतारां री संख्या चौवीस है। (2) प्रमुख अवतार दस है, जिके दसावतार केहवीजे। (3) चौवीस री संख्या।
अवधानमाला-महाराजा मानसिंघ, जोधपुर रा समकालीन ने थबूकड़ो (मारवाड़) गाम रा रेहवासी बारठ उदैराम रचित 561 छंदां रो डींगल पर्यायवाची कोश। इण कोश रो तत्सम नाम 'अभिधानमाला' है। ओ कोश 'राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासणी' सूं प्रगट करीजियो है।
अवधी- अर्धमागधी प्राकृत सूं उत्पन्न, अजोध्या रे आजू-बाजू बोलीजण वाली भाषा। जायसी रो 'पद्मावत', तुलसी रो 'रामचरित मानस' अर 'कृष्णायन' इणीज भाषा मांय लिखियोड़ा महाकाव्य है। इण मांय तद्भव शब्दां री भरमार व्है। अवधी ने 'कोसली' ई केहवे।
अवंती-(1)मालवा रो प्राचीन नाम। (2) मालवा री प्राचीन राजधानी। इणने 'उज्जयिनी (उज्जैण) अर अवंतिका ई केहवे।
अश्वमेघ- अेक यज्ञ जिणने प्रतापी राजा ईज कर सकता हा। इण मांय अेक सिणगारियोड़े घोड़े माथे 'जयमाला' बांध'र छोड़ देवता। लारे लारे उण राजा री सेना चालती रेहवती। घोड़ो ने अपड़ण वाला साथे जुद्ध व्हैतो अर उणने हराय'र घोड़ो सेना साथे फेर आगे वधतो। इण तरै सूं ओ  भूमंडल रो चक्कर काटने पाछो आवतो। अैड़ राजा चक्रवर्ती केहवीजता।
अष्टछाप- पुष्टीमार्गी आठ कवियां रो मंडल- सूरदास, कुंभनदास, परमानंददास, कृष्णदास, चतुर्भुजदास, नंददास, छीतस्वामी अर गोविन्दस्वामी। घणा आधुनिक शोधवेत्ता अष्टछाप रो अस्तित्त्व मानेईज कोनी।
अस्तअलीखां मलकांण- पिता श्री सबदलखां मलकांण। जनम सन् 1939, गाम बेरी छोटी (नागोर जि.)। (1) ऊंडी दीठ (2) आमना रा सोरठा (3) रंगीलो राजस्थान (4) कुंडलिया सतसई (5) वीर बहतरी-सगली काव्य पोथियां। (6) प्रीत रा पंछी (निबंध) अर (7) उणियारा ओल्यूंतणा (संस्मरण) आपरी प्रगट पोथियां है। राजस्थानी अर हिंदी री अण छपी पोथियां ई मोकली। 'वीर बहतरी' पुरस्कृत पोथी। दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली सूं 'अम्बेडकर अवार्ड' अर राजस्थानी विकास मंच जालोर सूं डाक्टर री मानद उपाधि मिली। आकासवाणी, जोधपुर सूं काव्य अर वारता पाठ।
असंख प्रवाड़े जैतवादी-चित्तौड़ रा राणा रायमल रा घणा बलशाली ने असंख्य युद्धां मांय विजय हासल करणारा पुत्र पृथ्वीराज रो विरुद। उडणो प्रणो ई इणारो विरूद हो। ओ विरुद इणाने बादशाह दियो हो जद उणा अेकईज दिन मांय टोडा (सिंघ) अर जालोर विजय कियो।
असंगति-अेक अर्थालंकार, जिणमांय कारण कोई तो फल कोई दूजो ईज व्है। ज्युं बिहारी रो दूहो-दृग उरझत, टूटत कुटुंब।
असाइत-सिद्धपुर (गुजरात) रा औदिच्य बांमण राजाराम ठाकुर रा पुत्र। अे कथावाचक संगीतज्ञ ने अभिनेता ई हा। चवदमा सैका मांय इण कवि रो ग्रंथ 'हंसावती' घणो चावो। इण मांय 440 छंद है ने ओ चार खंड़ां मांय विभाजित है। इण मांय श्रृंगार, करूण अर अद्भुत रो सुन्दर वर्णन है।
अहल्या-ब्रह्मा री रूपाली मानस पुत्री अर गौतम ऋषि रा पत्नी। अेक रात गौतम री गैरहाजरी मांय गौतम रो रूप धारण कर'र इन्द्र इणरो शील भंग कियो। गौतम, अहल्या ने शिला तथा इंद्र ने 'हजार भग' वालो बणण रो शाप दीनो। अहल्या री घणी आजीजी पछे गौतम कह्यो के श्रीराम रे चरणरज रे स्पर्श सूं थारो उद्धार हूसी। आ पंच कन्यावां मांय गिणीजे।
अंक-(1)नाटक रो प्रमुख विभाग-ज्युं दोय अंकां रो नाटक के तीन अंकां रो नाटक। (2)नव री संख्या।
अंकपलई-अंकां ने आखरां री जगा राखने, उणारा समुदाय सूं वाक्य ज्युं अरथ निकालण री अेक विद्या।
अंग-वर्तमान भागलपुर, बिहार रै चौफेर रो प्रदेश। इणरी पुराणी राजधानी चंपापुरी ही। कर्ण अठै रो राजा हो। (2) छ री संख्या (3) निर्गुण संतां रो अेक पारिभाषित शब्द। वे इणरो प्रयोग आपरा काव्य ग्रंथां रे विषयांने जुदा करण सारू करता। ज्युं अकल रो अंग, रासो रो अंग। (4) राजनीति रा सात अंग। (5) स्वयं।
अंगद-(1) बलि रो पुत्र। राम-रावण जुद्ध पेहला राम इणने विष्टिकार बणायने लंका मेलियो हो। सुग्रीव पछे ओ किष्किंधा रो राजा वणियो। (2) लक्ष्मण रो पुत्र।
अजंनी- पूर्व जनम मांय पुंजिकस्थलि नाम री अपछरा, जिका सराप रे कारण वांदरी बणी। पिता अर पति रो नाम क्रमशः कुंजर ने केसरी हो। वायु री भगती करणे सूं इणरे हडुमान नाम रो पुत्र व्हीयो। (2) अेक भांत रो अशुभ घोड़ो।
अंतमेल- दूहा रो अेक प्रकार, जिणरा पेहला अर चौथा चरणा मांय 11 मात्रावां तथा दूजा अर तीजा चरणा मांय तेरे मात्रावां व्है। तुक पेहला अर चौथा चरण रे ंत माय मिले। इणने 'वडो दूहो' ई केहवे।
अंताक्षरी-वो छंद पाठ, जिको पेहला कह्योड़ा छंद, श्लोक के गीत रा आखरी आखर सूं शरू व्है।
अंबदेव सूरि- सन् 1214 रा कवि। इणा 'संघपति समरा रास' नाम री रचना कीवी।
अंबरीष-अेक परमभागवत राजा। दुर्वासा इणने मारण सारू कृत्या नाम री राक्षणी उत्पन्न कीवी। विष्णु आपरा चक्र सूं उणरी रक्षा कीवी। ओ चक्र पछे दुर्वासा लारे पड़ियो। आखर माफी मांगणे सूं दुर्वासा बचिया।
अंबा-(1) काशी नरेश री मोटी कन्या। आपरा नैनाभाई विचित्रवीर्य साथे व्याव करणसारू, भीष्म इणरो हरण कीनो। बदलो लेवण सारू आ शिखंडी रा रूप मांय पैदा हुई ने महाभारत मांय भीष्म री मौत रो कारण बणी। (2) पार्वती। (3) दुर्गा।
अंबिकादत्त व्यास--जनम सन् 1915, जयपुर। संस्कृत रा उद्भट विद्वान। आपरी रचना 'शिवराज विजय' संस्कृत रो पहेलो उपन्यास मानीजे। संस्कृत मांय  बीजी तीन रचनावां रे सिवाय हिंदी मांय छ पोथिया लिखी। 'भारत भास्कर, कवि मार्तंड, भारतभूषण आद उपाधियां सूं विभूषित।
अंबू शर्मा-कोलकाता सूं प्रगट हूवण वाली घणी राजस्थानी पत्रिकावां (लाडेसर, सरवर, म्हारो देश, नैणसी) रा लूंठा संपादक। 'विष्णु सहस्त्रनाम, यीसू हजारो' अर 'महाभारत सतसई' रा लिखारा। 'राजस्थानी रामायण' जिसा चावा ग्रंथ रा रचयिता। पत्रकार, कवि, लेखक अर उमदा अध्यापक। राजस्थानी भाषा ने समर्पित, इण सशक्त मावन ने विद्वान रो जनम सन् 1934, झूंझणू मांय व्हीयो। घणा सनमानां ने पुरस्कारां सूं सनमानित।

आइती- महाजनी ओपासरा (उपाश्रय-पाठशाला) मांय सिखायो जावणवालो व्याकरण पाठ रो अेक अपभ्रंश रूप। इणो अरथ व्है- अ सूं इति।
आई-(1) भगत रैदास री शिष्या, बीका डाभी री घणी फूटरी कन्या। मांडू रो बादशाह इणने आपरी बेगम वणावणी च्हावतो हो। इण कारण सूं आ मालवा सूं नाठ'र आपरे पिता साथे मारवाड़ आयगी। बिलाड़ा मांय स्थित हुयने ज्योतीस्वरूप मांय लीन हुयगी। आ सीरवी जात री कुलदेवी है। बिलाड़ा माय इणारो समाधिस्थल है, जिको वडेर केहवीजे। अठै अखंड ज्योति रा दरसण करीजे। (2) चारणा री अेक देवी। (3) मा।
आईदान गाडण- इण कवि रे गाम-ठाम रो पतो कोनी, पण इणारो 'श्री भवानीशंकरजी रो गुण शिवपुराण' प्राप्त है। ओ ग्रंथ सगला रसां सूं भरपूर है। इम मांय शिवजी रो कैलास माथे आगमन सूं लेय'र, शिव-गणेश जुद्ध, कार्तिकेय रो जनम तथा तारकासूर वध तांई री सगली कथावां रो समावेश है। शिव व्याव रो घणो फूटरो वर्णन इण मांय है।
आउआ- भूतपूर्व मारवाड़ राज रो अेक भारत चावो ठिकाणो। सन् 1857 रे आजादी रे संग्राम मांय अठै रा ठाकर खुसालसिंघ (कुशलसिंघ) चांपावत रे नेतृत्व मांय आबू ने अैरणपुरा छावणियां री विद्रोही फौज, आसोप ठाकर शिवनाथसिंघ कूंपावत, गूलर ठाकर शिवनाथसिंघ मेड़तिया तथा लांबिया, बाता, भींवालिया अर बाजावास रा ठाकर आपरी नैनी-मोटी फौज री टुकड़ियां साथे अेकठा व्हीया। मारवाड़ राजा तखतसिंघ आपार सेनापतियां अनाड़सिंघ, कुशलराज सिंघवी ने विजयराज मेहता ने विद्रोह दबावण सारू मेलिया। अनाड़सिंघ काम आयो अर दूजा नाठा। दूजी वार जार्ज लारेंस अर राज री फौज संयुक्त रूप सूं हल्लो कियो, पण अे ई हारिया। स्वतंत्रता सेनानियां मेसन रो माथो काट'र, कोट रे सिरे दरवाजा लटका दीनो। पछे कर्नल हेम्स घणी मोटी फौज लेय ने हमलो कीनो। पांच दिनां तांई घमसाण चालियो। इण ग्रंथ रा संपादक रा लड़ दादोसा, जिके आउआ ठाकर रा वालोतरा मांय मुकीम हा, केहवता हा के अंगरेजा गायां आगे कीवी अर थोड़ा रक्षकां ने रिश्वत देय'र किला रा दरवाजा खुलवाया। अंगरेजी फौज आउआ ने लूटीयो। सुगाली माता री मूरत ई आपरे साथे लेयगा। वालोतरो इणीज समै सूं तागीर व्हीयो अर खालसो करीजियो। आउसा अमर हुयगो। आज ई लोकगीतां मांय आउआ ने आसोप री तारीफां रा गीत चंग माथे गावीजे- 'आउओ आसोप घणिया मोतियां री माला रे।'
आउआ रो घरणो- जोधपुर राजा उदयसिंह (मोटा राजा) री आज्ञा सूं जद गोविंददास बोगसा रो गाम जब्त कियो गयो तो चारणा उणरो विरोध कियो। विरोध करणवालां रा गाम ई जब्त व्हीया तो सं. 1643 तो आउआ मांय चारण भेला हुय'र कामेश्वर महादेव मिंदर मांय धरणो (भूख्या, तिरस्या अेक जगा बैठो रेहवणो ने आत्मार्पण करणो दियो। इण धरणा मांय कई चारण आत्महत्या कीवी। खुद री कटारी सूं खुद रो ईज गलो कापणो-अैड़ी आत्महत्या ने 'चांदी करणो' केहवे। आज सूं 400 वरसां पेहला, ओ धरणो इतिहास री अेक अभूतपूर्व घटणा है। दुरसा आढा ई इण मांय भाग लियो हो। वे घवाया जरूर, पण बचगा। चारणा सिवाय इण मांय पाली ठाकर गोपालदास चंपावत ई चारणा रे पक्ष मांय प्राण त्यागिया।
आखा-(1) मांगलिक अवसरां माथे पूजा सारू काम मांय लिया जावण वाला चावल। (2) अणविंध्या मोती जिके अक्षत री जगा, तिलक करतां काम मांय लिया जावे। (3) ब्रामणाने भिक्षा मांय दियो जावण वालो अनाज।

आखा तीज- वैशाख सुदी तीज अर उण दिन रो पर्व। राजस्थान रो ओ चावो तिवार है। ओ घणो शुभ दिन मानीजे ने इण दिन वगर मुहूर्त व्याव करीजे। तपोनिष्ठ ब्रामणा री उत्पत्ति इण दिन सूं मानीजे। ओ ई मानीजे के इण दिन सूं सतजुग रो आरंभ व्हीयो। इणीज दिन सूं सृष्ठि री उत्पत्ति व्ही ही। आ तिथ कदैई टूटे कोनी। (आखा तीज, अखी तिंवार) इण दिन बाल-व्याब ई घणा व्है। छोरियां 'आंघल घोटा' री रमत रमे ने वींद-वीनणी बण'र गीत गावती गाम मांय घूमे। मोटियार कब्बडी रमे। इण दिन 'खीच-गलवाणी'  जो जीमण बणे।
आगीवाण-(1) सन् 1936 मांय 'मारवाड़ी' भाषा रे इण राजस्थानी पखवाड़िया रो प्रकासण ब्यावर सूं व्हीयो। पं. बालकृष्ण इणरा संपादक हा अर श्री जयनारायण व्यास ने जद देशवटो दीरीजियो तो उणारा संरक्षण मांय इण छापा रो प्रकासण व्हेतो। ओ पेहलो राजनीतिक छापा हो। क्रांति री अलख जगावतो ओ छापो घणो लोकप्रिय व्हीयो। इणरे हरेक अंक रे पेहला पाना माथे अे काव्य ओलियां लिखियोड़ी व्हेती-
म्है म्हाकां भाई-सैणा सूं, दो दो बात करसां।
देस जात रे हित जीसां, अर वांके हित ई मरसां।
श्री हरिभाऊ उपाध्याय इणरी घणी प्रंशसा ने हिमायत कीवी ही। (2) इण नाम रो अेक अठवाड़ियो छापो, जिणने सत्येन जोशी, जोधपुर सूं प्रगट करता हा।
आगूंच- जोधपुर सूं प्रगट व्हेती अेक तिमाही पत्रिका। श्री मीठेश निर्मोही रे संपादन मांय इणरो पेहलो अंक जनवरी 1982 मांय प्रगट व्हीयो।
आग्याचंद भंडारी- जनम सन् 1921 जोधपुर। नाटककार। 'पन्ना धाय' अर 'देश रे वास्ते' इणारा अेकांकी घणा चावा है।
आचार्य- (1) वेदांत रा वे विद्वान, जिणा स्वतंत्र भाष्य लिखिया व्है ने वेदांत री नवी शाखा री प्रस्थापना कीवी व्है। (2) किणी संप्रदाय रा थापक। (3) साहित्य रा निष्णात। (4) संस्कृत री अेक परीक्षा रो नाम। (5) ब्रामणा री अेक अल्ल। (6) स्कूल रा हेडमास्टर।
आचारंग- सूत्रात्मक शैली मांय रचियोड़ो जैन आचार रो अेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ। इणरा रचनाकार श्रुवस्कंध पंचमगणधर सुधर्मा स्वामी हा। मूल रूप मांय ओ गद्य ग्रंथ है, जिण मांय पद्य भाग घणो ओछो है। जैन आगम ग्रंथा मांय ओ सर्वोपरि है।
आडावलो- गुजरात मांय पालनपुर सूं लेय'र, राजस्थान मांय आमेर तांई पसरियोड़ी भाखरमाला। आद्य+वलय सूं ओ शब्द बणियो। पण अंगरेज इणरो उच्चारण अरवल्ली कियो, जिणसूं इणरो हिंदी करण अरवली के अरावली व्हीयो।
आडी- किणी वस्तु के विषय रो अैड़ो गूढ़ वर्णन के जिणसूं उणरो जबाव देवण मांय के उण वस्तु रो नाम बतावण मरांय ऊंडो विचार करणो पड़े।
आणी- (1) अपत्य सूचक 'राजस्थानी साहित्य' रो अेक प्रत्यय-ज्युं रामसुख मगनीरामाणी (रामसुख मगनीराम रो बेटो)। (2) स्त्री प्रत्यय-राणी, कंवराणी।
आणो- व्याब रे पचे कन्या ने दूजीवार सासरे मेलण रो अेक रिवाज अर इण टांणे कन्या रे मात-पिता री तरफ सूं दिया जावण वाला वस्त्र गेहणा वगेरा।
आतमपुराण- 426 कुंडलियां रो अेक ग्रंथ, जिणरा कवि सिरोही रा श्री हरचंद सोनी हा। ओ ग्रंथ 'अनूप मंडल, पादरू' गाम सूं सन 1982 मांय प्रगट व्हीयो। इण मांय कवि आपरे गुरु अनूपदासजी रे उपदेशां ने काव्यबद्ध कीना है।
आत्मकथा- लेखक द्वारा लिखियोड़ो खुद रो जीवण चरित्र। गद्य साहित्य री अेक विधा।
आदित्य- (1) कश्यप ने अदिति रा पुत्र, जिके प्राचीन देवता गिणीजे। (2) सूरज। (3) आदित्य बारे व्है।

आदिनाथ- (1) नाथ संप्रदाय रा प्रथम आचार्य, जिके लारे सूं शिव मानीलिया। (2) शिव। (3) जैन संप्रदाय रा तीर्थंकर ऋषभदेव (रिखभदेव)। अे नाभि अर मरूदेवी रा पुत्र हा। (4) विष्णु रा चौवीस अवतारा मांय सूं अेक।
आधुनिक राजस्थानी साहित्य- (सन् 1900 सं. 1966 तांई)- डॉ. भूपतिराम साकरिया रो आधुनिक राजस्थानी साहित्य (इतिहास) रो प्रथम मौलिक ग्रंथ। इण मांय राजस्थानी भाषा रा 160 साहित्यकारां रो संक्षिप्त ओलख ने उणारा रचनावां री संक्षिप्त समीक्षा है। इणने सन् 1966 मांय राजस्थान सेवा समिति, अहमदाबाद छपवायो हो। ओ हिंदी मांय लिखियोड़ो है।
आधुनिक राजस्थानी साहित्य- प्रेरणा, स्रोत ने प्रवृत्तियां-डॉ. किरणचंद्र नाहटा लिखित डॉक्टरेट डिग्री सारू स्वीकृत शोध प्रबंध। प्रकासण ई. 1974।
आनर्त- (1) गुजरात नै मालवा रो अेक भाग। (2) उत्तर गुजरात रो प्राचीन नाम।
आनंदकुंवरी - अलवर महाराजा विजयसिंघ रा पटराणी । सन् 1910 रे लगेटगे इणा अेक काव्यग्रंथ बणायो, जिणांय 105 गेय पद ने 5 दूहा हा। सगला पद जुदी राग-रागणियां मांय है अर वर्ण्य विषय श्रीकृष्णलीलावां है। इण ग्रंथ री भाषा मेवाती मिश्रित ब्रज है- वात्सल्य अर सिंगार रस सूं सराबोर।
आनंदवर्धन- कश्मीरवासी संस्कृत रा प्रसिद्ध आचार्य। 'काव्यलोक' ने 'ध्वन्या लोक' ग्रंथां रा प्रणेता। 'ध्वनि सम्प्रदाय' रा प्रवर्तक। इणारो समै ई. 855 है।
आपजी- दादा, पिता के दूजा वडेरां सारू वपरातो आदर सूचक संबोधन। 'आपजीसा'।
आबू- राजस्थान रा सिरोही जिला मांय आयोड़ो घणोईज रमणीक नै प्राचीन डूंगरां माथे वसियोड़ो अेक नैनको नगर। समंदर सूं इणरी ऊंचाई 4500 फीट है। आबू रोड ठेसण सूं 18 मील आगो है। अठैरा दरसनीय स्थलां मांय 'नखी तलाव, दीलवाड़ा रा जैन मिंदर, गुरुशिखर, जिणरी ऊंचाई 5653 फीट है, अचलगढ़, अचलेश्वर मिंदर, वशिष्ठाश्रम ने सनसेट पाइण्ट वगेरा है। अेक दंत कथा मुजब अठै पेहला अेक विशाल खाडो हो, जिणरे कने वशिष्ट मुनि रो आश्रम हो। अेक दिन वशिष्ट री कामधेनु इण खाडा मांय पड़गी। खाडा ने पूरण सारू मुनि पेहला सरस्वती नदी ने वीनती कीवी। पछे उणा हिमालयराज री प्रार्थना कीवी। हिमालयराज आपरा पुत्र नंदीवर्धन ने सहायता सारू मेलियो, जिण अर्बुद नामरा विशाल सापरी सहायता सूं ओ खाडो पूरीयो। इण कारण इण भाखर रो नाम अर्बुदाचल पड़ियो। ईंसा सूं तीन सौ वरसां पेहला यूनानी इतिहासकार मेगस्थनीज इण भाकर रो वर्णन कियो है। ह्वेनसांग ई अर्बुद रो उल्लेख कियो है। शिलालेखां सूं पतो चाले है क् अठै पेहला शैवमत रो प्रचलण हो। इण प्रदेश रो पेहलो शासक परमार राजपूत हो। जैन साधुवां रो आगमन अठै ई. 1032 मांय व्हीयो। आबू पर्वतमाला माथे बारे गाम वसियाोड़ा है। अंगरेजां अठै रेजीडेंसी री थरपणा कीवी, जिणसूं वे राजस्थान अर सौराष्ट्र रा राजावां माथे नजर राख सके। सिरोही दरबार केसरीसिंघ 27000 रूपिया सालानी पट्टो लिख'र ओ अंगरेजां ने दियो हो। वे इणरो विगसाव घणो फूटरो कियो। जगचावा दीलवाड़ा रा जैन मंदिर अठै ई है। आबू री महिमा अर सौंदर्य माथे राजस्थानी मांय चालीस सूं बैसी पोथियां मिले। अठै री खूबसूरती माथे सिरोही राजा सुरताण कह्यो के-
टूंके टूंक केतकी, झरणे झरणे जाय।
अर्बुद री छबि देखतां, अवर न ावे दाय।।
आबू रास- इण ग्रंथ री रचना कवि पाल्हण सन् 1233 मांय कीवी। इण मायं आबू पर्वत माथे मिंदर निर्माण रो वर्णण है। उण टैम अठै रो राजा सोवसिंघ हो, जिणरी कवि घणी प्रशंसा कीवी। इण मिदंर रे कमठा रो काम शोभन शिल्पी कियो।

आभीर- गुजरात रो घराऊ ने उगूणो भाग।
आमेर- जैपर राज री पुराणी राजधानी, जिका जैपर नगर सूं 10 कि.मी. आगी आडावलो पर्वतां मांय वसियोड़ी है। इगियारमां सैका मांय मीणा कने सूं चीत'र, दुल्हराज इण नगर ने वसायो हो। अठै रो गढ ने देवी रो मिंदर जगचावो। गढ मांय अेक भमरगली ई है। इणरा कपट-द्वारा बणावण में सात वरस लागा। इणरो अेक नाम जगगढ अर दूजो अंबनगर ई है।
आयारो- जैन परंपरा रो सैंगा सूं प्राचीन अर प्रामाणिक ग्रंथ। वस्तु, भाषा, शैली ने छंद सगली दीठ सूं महत्त्वपूर्ण। इण ग्रंथ रो साठ टका भाग पद्य अर बाकी गद्य मांय है। ओ 'जैन विश्वभारती', लाडणूं सूं प्रकाशित है।
आरती- (1) आरती करण रो दीपक पात्र। (2) भगवान री स्तुति री अेक गीत पद्धति। (3) अेक लोक गीत जिको बींद री आरती उतारतां गावीजे।
आरंभराण- ' आरंभ आरांण'रो अपभ्रंश रूप। वो राजा जिको चौवीसां घंटा दुश्मण माथे भारी सेना लियां, हमलो करण सारू तैयार रेहवे।
आर्यसमाज- ऋषि दयानन्द थपरित धर्म-सुधारक-समाज। इण समाज मांय मूर्तिपूजा, अवतारवाद तता छुआछूत रो निषेध है।
आर्याव्रत- हिमालय अर विंध्याचल रो वचलो प्रदेश-भारत।
आसमुद्रानु वै पूर्वादासमुद्रात्तु पश्मिात।
तयो रे वांतरं गिर्वोरार्यावर्त विदुर्बुधाः।। (मनुस्मृति)
आलम- अकबर काल रा अेक मुसलमान कवि जिणा 'माध काम कंदला' ग्रंथ री रचना कीवी।
आलमजी- मारवाड़ रा मालाणी प्रदेश मांय लूणी नदी रे कांठावाला प्रदेश राड़धरा (राष्ट्रधरा) भूभाग रा अेक प्रख्यात लोक देवता। अै जैतमलोत राठौड़ हा। इणारा परचा घणा चावा है। ढांगी नाम रो धोरो, जिणने आलजमी रो घोरो ई केहवे, इण माथे इणारो थांन वणियोड़ो है। अठै भादरवा सुद बीज अर महासुद बीज ने मेलो भरीजे। अेक दूहो चावो है-
घर ढांगी आलमघणी, परधल लूणी पास।
लिख्यो जिणने लाभसी, राड़धरो रहवास।
आवड़- चारणा री आ देवी हिंगुलाज मातारो अवतार मानीजे। अे सात बेनां ही ने सातांई देवियां मानीजे। इणारा पिता मामड़ साउवा शाखा रा चारण हा। आवड़ रो थांन तेमड़ा भाखर माथे जैसलमेर मांय है, जिणसूं इणारो अेक नाम तेमड़ाताई ई है।
आसापुरीदेवी- (1) आशापूरण करणआली देवी-दुर्गा। (2) चारण कुलोत्पन्न बरबड़ी देवी रो अेक नाम। चौहाणवंश री इष्ट देवी। आ घणी जातां री कुलदेवी है।
आसो बारठ- जोधपुर राज रे बाड़मेर जिला रे भाद्रेस गांम सं. 1563 मांय जनम। पिता रो नाम गीधा अर अे भक्त ईसरदसा रा काका हा। रूठी राणी ने तेड़वा, राव मालदेव इणाने जैसलमेर मेलिया। जोधपुर बावड़तां, राणी रे फूछणे सूं इणा कह्यो-
मान रखे तो पीव तज, पीव रखे तज मान।
दो दो गंयद न बंंध ई, हैके खंभू ठांण।।
'गोगाजी री पेड़ी, लक्ष्मणायण, गुण निरंजन प्राण, उमादे भटियाणी रा कवित्त, वाघजी रा दूहा, राव चंद्रसेण रा रूपक' ने 'राव माला सलखावता रा छंद' इणारी रचनावां है।
आंबो मोरियो- पुत्र जनम, पुत्र व्याव, तीरथ जात्रालुवां के उणारे लायोड़े गंगाजल रो सामेलो अथवा गुरु, संत रो स्वागत आद मांगलिक अवसरां री सकुशल समाप्ति रे टांणे लुगायां द्वारा गावीजण वालो वधाई रो अेक भावपूर्ण गीत।
आंवल-बावल- घणा लांबा अरसा सूं मारवाड़ अर मेवाड़ रे वच मांय सीम रो झगड़ो जचालतो हो। आखर तै व्हीयो के 'आंवल आंवल मेवाड़' अर 'बावल बावल मारवाड़'। जठै आंवल रा क्षुप बंध व्है ने बावल शरू व्है, वाईज दोनूं री हद।
आंवली इग्यारस- (1) फागण सुदी इग्यारस। (2) हींडा हींडण रो अेक वासंतिक लोक गीत।

इकलिंगजी-  अेक घणो जूनो शिवालय, जिणरो निरमाण हमीर प्रथम (सं. 1381- 1421) मांय करवायो हो। इण विग्रह रो निर्माण काला भाटे सूं है ने ओ चतुर्मुखी है। मुसलमानां सू संघर्ष पहेला इणरी स्फटिक मूर्ति ने व्यवस्थापकां कनै रा तलाव इन्द्रसर मांय नाखदी। जुद्ध रे पछे, इणने ढूढण रो घो प्रयत्न करीजियो पण नी लाघण सूं बीजी बणवाई गई। स्फटिक लिंग बप्पा रावल (सं.781- 810) मांय बणवायो हो। ओ हिन्दुवां रो अेक चावो तीरथ है, जिको उदैपुर- नाथद्वारा सड़क माथे है। इकलिंगजी, मेवाड़ राजघराणां रा इष्ट देवता ई नी, मेवाड़ रा राजा गिणीजे अर राजा फगत दीवाण केहवीजे।
इग्युं-  वडी 'इ' री मात्रा।
इतिशुभमस्तु-  दे. शुभमस्तु।
इंदिरा गांधी नहर-  पेहला इणरो नाम राजस्थान नहर हो। इणरो शिलान्यास उण टैम रा गृहमंत्री श्री गोविंदवल्लभ पंत ई. 1958 मांय कियो हो। आ 648 की.मी. लांबी है। इणरो माटी काम 39 करोड़ धनमीटर है। जो सगली माटी भेली की जावे तो दूजो अेवरेस्ट बण जावे। इण मांय 340 करोड़ टाइल्स लागेला, जिणसूं पृथ्वी माथे आठ मीटर चौड़ो पट्टो बण सके। इण माथे 1400 अरब रूपिया खरच होवण रो अंदाज है, ने इण सूं घण खरो आथूणो भाग लीलोचम व्है जासी। इणसूं तीस लाख टन अनाज पैदा हूसी। जोधपुर, बाड़मेर जिसा नगरां रो पाणी संकट ई मिट जासी।
इंद्र- कश्यप ने अदिति रो बेटो, जिको मेह रो देवता गिणीजे। ओ स्वर्ग रो राजा है। पत्नी रो नाम शची अर पुत्र रो नाम जयंत है। घोड़ो रो नम उच्चेश्रवा नै सारथी रो नाम मातलि है। वज्र इणारो अचूक हथियार नै औरावत इणारो हाथी है। गौतम रे सराप सूं अे हजार भग वाला बणिया अर माफी मांगमे सूं हजार नेत्र वाला। नगरी रो नाम अमरावती अर बगीचा रो नाम नंदनवन है। वृत्रासुर री हत्या सूं ब्रह्महत्या रो पाप लागो। मेघनाद सूं जुद्ध हारिया। पेहला पर्वतां रे पाखां ही ने वे उड़ता उड़ता मन च्हावे जठै बैठ'र जन, धन री हाण करता। जद पर्वतां रो अत्याचार वधतो गयो तो इंद्र इणारी पांखां काप नाखी ने इण तरै सूं पर्वत अचल केहवीजिया।
इंद्रकूण-  राजस्थानी री सोले दिशावां मांय सूं अेक। इंद्रकूट।
इंद्रजित-  रावण रो अेक पुत्र मेघनाद जिको लक्ष्मण रे हाथां मरीजियो। इंद्र ने जुद्ध मांय हरावण सूं इणरो नाम इंद्रजित पड़ियो।
इंद्रप्रस्थ- आज री दिल्ली रो जूनो नाम। वनवास रे पेहला आ पांडवां री राजधानी ही। इणरा दूजा नाम खांडवप्रस्थ अर बृहस्थल ई हा।

इंद्रराज सिंधी-  सोजत रा भीमराज सिंधी रा पुत्र अर जोधपुर महाराजा भीमसिंघ रा सेनापति। इणा जालोर मांय छिपियोड़ा महाराजा मानसिंघ माथे हमलो कियो। जीतवा री अणी माथा हा के भीमसिंघ रो देहान्त हुयगो अर सिंधीजी शत्रु मानसिंघ ने राजा वणाया। पण लारे सूं मानसिंघ इणाने कैद किया। जोधपुर माथे जैपर रा हमला टांणे इणाने छोड़िया। उण टैम जोधपुर हारणवालो ईज हो के आपरी अद्भुत क्षमता सूं इणा जैपर जीतियो अर लूंटीयो। पछे अमीरखां इणाने दगे सूं मार दियो।
इंद्रव्रजा-  अेक छंद जिणरा प्रत्येक चरण मांय तगण, पछे अेक जगण ने अंत माया बे गुरु आवे।
इंद्राणी- इंद्र री अपूर्व फूटरी ने वीर पत्नी शची। इणे शुंभ अर निशुंभ राक्षसां ने हाराया। नहुष इणारे लारे कामांध हुयने स्वर्गभ्रष्ट व्हीयो। पुराणा ने पढतां पड़े के घणा इंद्र व्हीया अर हरेक इंद्र री इंद्राणी जुदी जुदी ही।

उग्रेसन- मथुरा रा यदुवंशी राजा। कंस रा पिता अर कृष्ण रा नानोसा। कंस रो वधकर'र, कृष्ण इणाने पीछी राजगादी सूंपी।
उचालो- दुकाल, जुद्ध, प्लेग, अत्याचार (राजा के ठाकर रा) के बीजा किणी भारी संकट रे समै सगली प्रजा आपेर गांम सूं दुजा गांम मांय, घर- बखरी साथे वास करण सारू अेक साथे प्रस्थान।
उछाव- साहित्य ने समीक्षा रो पखवाड़ियो छापो। संपादक-  माणक तिवारी बंधु। पहेलो अंक जनवरी 1988 वीकानेर सूं प्रगट व्हीयो।
उजास- 'प्रौढ शिक्षण समिति', बीकानेर सूं प्रकाशित मासिक पत्रिका। प्रथम अंक सन् 1972 मांय प्रगट व्हीयो।
उज्जयिणी- मालवा री जूनी राजधानी। आईज विक्रमादित्य री राजधानी ही। द्वादश ज्योतिलिंगां मांय सूं अेक महाकालेश्वर रो स्थल। मोटो तीरथ। अठै कुंभ रो मेलो ई भरीजे।
उडणो शेर- वीकानेर रा राव कल्याणमल रा नैना भाई अमरसिंघ- हरदेसर गांम रो ठाकर। किणी बात मांय बादशाह अकबर सूं नाराज हुय'र, ओ बारवटिया वणियो ने बे हजार री कटक साथे घाड़ा मारतां। इणाने पकड़ण सारू बादशाह आपरे सेनापति आरबखां ने मेलियो। अमरसिंघ अमल घणो लेवतो। अमल लीधा पछे उणने कोई जगी न सके। नै कौई जगावे तो वो उणरो माथो वाढ लेतो। जिण दन आरबखां उणने घेरियो, वो अमल रे नशा मांय गला डूब हो। उण टैम चारणी पद्मा सांदू जागरण गीत गायो-
वीकहर सीहधर मार करतो वसू, अभंग अरव्रंद तो सीस आया।
लाग गयगाण भुज तोल, खग लांकला, जाग ओ जाग कलियाण जाया।।
गीत सुणतांी वो जागो ने आरबखां माथे कटकियो। आरबखां हाथी माथे हो। अमरसिंघ उण माथे वार करणी च्हावतो हो के लारे सूं अेक शत्रु उणरी कमर माथे भरपूर वार कीनो। घणी घायल हालत मांय वो घोड़ो सूं कूदियो अर अंबाडी माथे बैठा आरबखां माथे जबरो वार कियो। आरबखां मारियो गयो। बादशाह उणने 'उडणो शेर' कह्यो।
उणियारो- राजस्थानी पखवाडियो। सन् 1982 मांय श्री थानवी द्वारा जोधपुर सूं प्रगट।
उत्तमचंद भण्डारी- महाराजा मानसिंघ जोधपुर रा अेक सचिव जिणा 'नाथ चंद्रिका' खंड काव्य लिखियो। इण मांय जलंधरनाथजी री शक्तियां रो प्रदर्शन तथा जलखैर्या राठोड़ां रे अवटकां रो वर्णन है।

उत्तरा- विराट राजा री पुत्री अर अभिमन्यु री पत्नी। बृहन्नला रे रूप मांय अर्जुन इणने संगीत री शिक्षा दीवी ही। अश्वत्थामा इणरो गरभपात करण सारू ब्रह्मास्त्र छोड़ियो, पण कृष्ण इणरी रक्षा कीवी। राजा परीक्षित री माता।
उत्तराखंड- हिमालय री तलेटी रो प्रदेश। भारत रा नवा राज, उत्तरांचल रो पुराणो नाम।
उत्पेक्षा- अर्थालंकार, जिण मांय प्रस्तुत मांय अप्रस्तुत री संभावना की जावे। इणरा वाचक शब्द है-  मनु, मानो, मनहु, जाणो वगेरा। इणरा भेद ई अनेक है।
उदयपुर- मेवाड़ रा छप्पनमां महाराणा उदैसिंघ,आपरे नाम सूं पिछोला री पाल माथे ओ नगर ई. 1559 मांय वसायो। चित्तौड़ पछे ओ मेवाड़ री राजधानी रह्यो। चोफेर भाखरा सूं घिरीजियोड़ो ओ नगर खूबसूरत ने सुरक्षित है। राजमहल, ठीक पिछोला री पाल माथे है। सहेलियां री वाड़ी, गुलाब बाग वगेरा, इणरा सुंदरपणा मांय वधेपो करे।
उदयराज उज्जवल- सं. 1942 मांय ऊजला गांवमांय जनम। पिता श्री लक्ष्मीदान। 'दीप वांरो देश, ज्यांरो साहित्य जगमगे' रा उद्घोषक अर मातभाषा रा अेक सन्निष्ठ सेवक। आप पेहला चारण हा, जिके बी. अे. तांई भणिया ने पछे जोध्पुर राज मांयसरिस्तेदार वणिया। चारण विद्यार्थियां सारू इणा चारण बोर्डिंग शुरू कीवी। 'राजस्थानी साहित्य सम्मेलण ' रा सभापति रह्या। 'राजस्थानी सबद कोश' रा अेक संपादक ई हा। इण संबंध मांय अेक मुकदमो ई चालियो, जिणमांय आप जीतिया। श्री सीताराम लालस ने पैसा ई देणा पड़िया ने इणारो नाम ई उमेरणो पड़ियो। डॉ. तैस्सितोरी ने ई मदद कीवी। 'घूड़सार, उजल संदेश, भानिये रा दूहा, सती शतक, भाषा शतक, गांधीजी रा दूहा, तेज शतक, दूध प्रकाश' अर 'स्वराज शतक' आपरी पोथियां है।
उदयराम बारठ- महाराजा मानसिंघ, जोधपुर रा दरबारी कवि अर थबूकड़ा गाम रा रेहवासी। जिण सतावीस कवियां ने महाराज 'लाख पसाव' दियो, उण मांय सूं अेक। इणरो घणो समै कच्छ महारावल भारमल अठै वीतियो। 'कवि कुलबोध' इणारी अमर रचना है जिणमांय ऊपरला दोनूं राजावां रो वर्णण है। 'अनेकार्थी कोश' अर 'अेकाक्षरी नाम माला' ई इणारा ग्रंथ है। अे सगला 'राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासणी' सूं प्रकाशित है।
उदयवीर शर्मा (डॉ.)- जनम ई. 1932, बिसाउ। शोध ग्रंथ 'शेखावटी का हिन्दी- राजस्थानी साहित्य'। अन्य पोथियां है-  'पिरथीराज, कुरजां, किरत्यां रो झूमको, सूंटो, डांफी अर मनोहर शतक'। बिसाउ री चावी संस्था राजस्थान साहित्य समिति रा मंत्री। इणीज संस्था री मुखपत्रिका 'वरदा' रा संपादक हा।
उदयशंकर- ई. 1900 उदयपुर मांय जनम होवण सूं मा- बाप 'उदयशंकर' नाम राखियो। महाराणा फतैसिंघ रे जमाना मांय इणारा पिता श्यामाशंकर चौधरी, अेक स्कूल मांय हेडमास्टर हा। लंदन स्कूल ऑफ आर्टस सूं चित्रकारी मांय माहित व्हीया। रूस री मेडम पावालोव रे नृत्य दल मांय भरती व्हीया। ई. 1939 मांय 'उदयशंकर केंद्र' री थापना कीवी। 'शंकर स्कोप' संसार मांय घणो वखाणीजे। ई. 1977 मांय अवसाण।

उत्तरा- विराट राजा री पुत्री अर अभिमन्यु री पत्नी। बृहन्नला रे रूप मांय अर्जुन इणने संगीत री शिक्षा दीवी ही। अश्वत्थामा इणरो गरभपात करण सारू ब्रह्मास्त्र छोड़ियो, पण कृष्ण इणरी रक्षा कीवी। राजा परीक्षित री माता।
उत्तराखंड- हिमालय री तलेटी रो प्रदेश। भारत रा नवा राज, उत्तरांचल रो पुराणो नाम।
उत्पेक्षा- अर्थालंकार, जिण मांय प्रस्तुत मांय अप्रस्तुत री संभावना की जावे। इणरा वाचक शब्द है-  मनु, मानो, मनहु, जाणो वगेरा। इणरा भेद ई अनेक है।
उदयपुर- मेवाड़ रा छप्पनमां महाराणा उदैसिंघ,आपरे नाम सूं पिछोला री पाल माथे ओ नगर ई. 1559 मांय वसायो। चित्तौड़ पछे ओ मेवाड़ री राजधानी रह्यो। चोफेर भाखरा सूं घिरीजियोड़ो ओ नगर खूबसूरत ने सुरक्षित है। राजमहल, ठीक पिछोला री पाल माथे है। सहेलियां री वाड़ी, गुलाब बाग वगेरा, इणरा सुंदरपणा मांय वधेपो करे।
उदयराज उज्जवल- सं. 1942 मांय ऊजला गांवमांय जनम। पिता श्री लक्ष्मीदान। 'दीप वांरो देश, ज्यांरो साहित्य जगमगे' रा उद्घोषक अर मातभाषा रा अेक सन्निष्ठ सेवक। आप पेहला चारण हा, जिके बी. अे. तांई भणिया ने पछे जोध्पुर राज मांयसरिस्तेदार वणिया। चारण विद्यार्थियां सारू इणा चारण बोर्डिंग शुरू कीवी। 'राजस्थानी साहित्य सम्मेलण ' रा सभापति रह्या। 'राजस्थानी सबद कोश' रा अेक संपादक ई हा। इण संबंध मांय अेक मुकदमो ई चालियो, जिणमांय आप जीतिया। श्री सीताराम लालस ने पैसा ई देणा पड़िया ने इणारो नाम ई उमेरणो पड़ियो। डॉ. तैस्सितोरी ने ई मदद कीवी। 'घूड़सार, उजल संदेश, भानिये रा दूहा, सती शतक, भाषा शतक, गांधीजी रा दूहा, तेज शतक, दूध प्रकाश' अर 'स्वराज शतक' आपरी पोथियां है।
उदयराम बारठ- महाराजा मानसिंघ, जोधपुर रा दरबारी कवि अर थबूकड़ा गाम रा रेहवासी। जिण सतावीस कवियां ने महाराज 'लाख पसाव' दियो, उण मांय सूं अेक। इणरो घणो समै कच्छ महारावल भारमल अठै वीतियो। 'कवि कुलबोध' इणारी अमर रचना है जिणमांय ऊपरला दोनूं राजावां रो वर्णण है। 'अनेकार्थी कोश' अर 'अेकाक्षरी नाम माला' ई इणारा ग्रंथ है। अे सगला 'राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासणी' सूं प्रकाशित है।
उदयवीर शर्मा (डॉ.)- जनम ई. 1932, बिसाउ। शोध ग्रंथ 'शेखावटी का हिन्दी- राजस्थानी साहित्य'। अन्य पोथियां है-  'पिरथीराज, कुरजां, किरत्यां रो झूमको, सूंटो, डांफी अर मनोहर शतक'। बिसाउ री चावी संस्था राजस्थान साहित्य समिति रा मंत्री। इणीज संस्था री मुखपत्रिका 'वरदा' रा संपादक हा।
उदयशंकर- ई. 1900 उदयपुर मांय जनम होवण सूं मा- बाप 'उदयशंकर' नाम राखियो। महाराणा फतैसिंघ रे जमाना मांय इणारा पिता श्यामाशंकर चौधरी, अेक स्कूल मांय हेडमास्टर हा। लंदन स्कूल ऑफ आर्टस सूं चित्रकारी मांय माहित व्हीया। रूस री मेडम पावालोव रे नृत्य दल मांय भरती व्हीया। ई. 1939 मांय 'उदयशंकर केंद्र' री थापना कीवी। 'शंकर स्कोप' संसार मांय घणो वखाणीजे। ई. 1977 मांय अवसाण।

उदासी-  नानकपंथी साधुवां रो अेक भेद।
उद्दीपन- काव्य रा वे विभाव, जिके स्थयीभावां ने उत्तेजित करे। ज्युं चंदरमा, चंदण, रूप, भूषण अर नायिका री चेष्टावां।
उद्धव- देवभाग रा पुत्र ने कृष्ण रा सखा। देवगुरु बृहस्पति कनै सूं नीतिशास्त्र साखिया। नंद, जशोदा, अर गोपियं ने समझावण सारू कृष्ण इणाने गोकल- व्रिंदावन मेलिया। जठै अे आपरी निर्गुण भक्ति ने भूल'र प्रेमाभक्ति मांय डूबगा। 'भ्रमर गीत' इणीज कथा माते रचीजिया।
उन्मनी- हठयोग री पांच क्रियावां मांय सूं अेक। इण मांय साघक आपरी नजर नाक रे आगला भाग माथे लगावे।
उपदेस रत्न कथाकोश-  इण अद्भुत अर विसाल ग्रंथ रा लेखक जयाचार्य हा। इण मांय 567 कथावां है। इण न्यारे निरवले कोश मांय लोकरंजन साथे  लोकमंगल रो समन्वय व्हीयो है। इण मांय धरम, अध्यात्म अर नीति री त्रिवेणी वेहवे। इण मांय संू 50 कथावां लेय'र डॉ. किरणचंद्र नाहटा उणारो संपादन कर'र छपाई है। ओ ग्रंथ आचार्य तुलसी राजस्थानी शोध संस्थान वीकानेर सूं प्रगट है।
उपनिषद- 'वेदां' री शाखावां 'ब्राह्मण ग्रंथां रो वो लारलो भाग, जिणमांय अध्यात्म रो निरूपण व्हीयो है। दस मुख्य उपनिषद है-  'ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, मांडुक्य, तैत्तरीय, ऐतरेय, छांदोग्य अर बृहदारण्यक।' इ्‌युं उपनषिदां री संख्या सौ सूं वत्ती है।
उपन्यास-  अंगरेजी शब्द 'नोवेल' रो हिंदी रूप। ओ शब्द मूल बंगाली रो है। हिंदी रे व्यापक असर सूं ओ नाम राजस्थानी मांय ी प्रचलित व्हेगो। राजस्थानी रा प्रथम उपन्यासकार शिवचंद्र भरतिया सन् 1903 मांय इण विधा ने 'नवलकथा' री संज्ञा दीवी। गुजराती मांय ई इणने नवलकथा केहवे। डॉ. साकरिया री दीठ इम विधा रो नाम 'नवल वारता' व्हेणो चाहीजे। इणरी परिभाषा है- वा लांबी वात जिणांय घणा पात्र व्है ने नायक रा जीवण सूं संबंधित सगली घटनावां रो पूरो वर्णन व्है। इणरा तत्त्व है- कथावस्तु, पात्र, संवाद, चरित्रचित्रण, वातावरण, शैली अर उद्देश्य।
उपपुराण-  मूल पुराणां ज्युं अे ई अडारे है। लारे सूं इणा मांय बे फेर जुड़गा। सन्तकुमार, नृसिंह, नंद, शिवधर्म, दुर्वासा, नारदीय, उशानस, मानव, वरुण, काली, महेश्वर, सांब, सौर, पराशर, मारीच, भार्गव, विष्णुधर्मोत्तर, बृहद्धर्म वगेरा।
उपमन्यु- इणरो दूजो नाम उत्तंक हो ने ओ वेद ऋषि रो घणो गुरुभक्त शिष्य हो। परीक्षा लेवण री दीठ सूं गुरु इणने खावण- पीवण री मनाई फरमावी। इणे आकड़ा रा पान खाया, जिणसूं अंधापो आयो अर अेक दिन कुआ मांय पड़गो। इणने हेरता हेरता गुरु कुआ कनै गया। उणने कुआ मांय देख'र घणा दुखी व्हीया। गुरु अंधापो दूर करण सारू अश्विनीकुमारां ने आमंत्रिया। उणारी दवा सूं अंधापो गयो। तक्षक नाग सूं बदलो लेवण सारू इणे जनमेजय राजा ने 'सर्पयज्ञ' करण सारू चढायो हो।
उपमा- अेक अर्थालंकार, जिणमांय दो वस्तुवां (उपमेय अर उपमान) रो चमत्कारपूर्ण वर्णण व्है। इणरा सात भेद है।

उपवेद- चार वेदां र् अेक अके भेद। धनुर्वेद, गंधर्ववेद, अथर्वेद, आयुर्वेद।
उबैदुल्ला फरहती- इणा रे लिखियोड़ो राजस्थान रो इतिहास-  'तोहकए राजस्थान' सन् 1889 मांय मेवाड़राज रे प्रेस सूं ऊर्दू ने हिंदी दोनूं भाषावां मांय प्रगट व्हीयो। इण मांय राजस्थान री सतरे रियासतां साथे अजमेर जिला रो इतिहास ई है। इणारो जनम सन् 1857 मांय अमरोहा, उत्तरप्रदेश मांय व्हीयौ। पेहला आपरे पिता साथे जोधपुर आय बसिया ने उठैसूं मेवाड़ मांय। पेहला स्कूल मास्टर हा ने पछे प्रेस रा मेनेजर बणिया।
उमा- हिमालय ने मैना री पुत्री। इणारा पति रूद्र हा। शिव ईज म्हारा पति- इण विचार सूं घोर तपस्या कीवी। मा वारंवार टोकती के अैड़ो तप नी करणो चाहीजे। उ संबोधन वाचक अर मा निषेधवाचक। दोनूं रे मेल सूं उमा बणियो।
उमादे भटियाणी- दे. रूठी राणी।
उमादे भटियाणी री वात-  ई. 1790 मांय लिखियोड़ी डींगल री अेक रचना, जिण मायं उमादे भटियाणी री प्रतिज्ञा रो वर्णण है।
उमाव- राजस्थानी री पखवाड़ियो छापो, जिको भीनासर सूं माणक तिवाड़ी 'बंधु' रे सम्पादकपणा मांय ई. 1989 मांय छपणो शरू व्हीयो।
उम्मेदराम-  अे जैपर रा हणुतिया गांम रा हा ने राजा बख्तावरसिंह, अलवर रा आश्रित कवि हा। डींगल अर पिंगल दोनूं मांय रचनावां करता। 'वाणी भूषण, राजनीती चाणक्य,अवध पच्चीसी, जनक शतक' ग्रंथां आद रे साथे इणा 'बिहारी सतसई' अर 'कवि प्रिया' री टीकावां ई लिखी।
उर्दू-  खड़ी बोली रो वो रूप, जिण मांय अरबी, फारसी रा तत्सम ने तद्भव शब्द घणा व्है तता जिणरी लिपि फारसी व्है। आ देश री अेक मान्य संवैधानिक भाषा है। इ्‌युं उर्दू रो अरथ फौज व्है। खरेखर, आ बादशाही छावणियां मांय बोलीजती ही।
उर्मिला- सीरध्वज जनक री कन्या अर लक्ष्मण री पत्नी। अंगद ने चित्रकेतु इणरा पुत्र हा।
उर्वशी- स्वर्ग री अेक अपछरा। भरत मुनि रा शाप सूं पृथ्वी माथे जनम लियो। आ पुरुरवा माथे मोहित व्ही, जिणसूं इणरे पांच पुत्र उत्पन्न व्हीया। आ अर्जुन माथे ई मोहित व्ही, पण अर्जुन रे अस्वीकारणे सूं, उण अेक वरस सारू नपुंसक बणण रो शाप दीनो। उरू (जांघ) कने बैठणे सूं इंद्र इणरो नाम उर्वशी राखियो।
उलूक- घूघू। लक्ष्मी रो वाहन। कठैई शुभ ने कठैई अशुभ मानीजे।
उषा- भगवान कृष्ण रा पुत्र अनिरुद्ध री पत्नी ने वाणासुर री कन्या। इण सारू दोनूं पक्षां मांय घोर जुद्ध व्हीयो। अंत मांय वाणासुर हारियो अर घूमघाम सूं इणरो व्याव अनिरुद्ध साथे व्हीयो।

ऊजली जेठवा-  राजस्थान री अेक प्रख्यात वात, जिण मांय घूमली रा राजकंवर मेहा जेठवा नै अमरा चारण री बेटी ऊजली री वात है। अेक दिन राजकंवर शिकार करतो- करतोौ जंगल मांय रस्तो भटकियो। मेह ने ठंड रे कारण वो घोड़ा माथे ईज बेभान हुयगो। समाधरमी घोड़ो उणने आधीरात रा, लेयने अमरा री झुंपड़ी आगे आयने हीसियो। ऊजली बारे आयने वीज रे झबकारे देखियो तो दंग रेहगी। बाप री मदद सूं मांय लाया ने हालत घणी खराब जोयने बापरी आज्ञा सूं अभ्यागतद री जान बचावण सारू वा उणरे भेलीसूयगी। सावरणा जेठवा आपरी ओलखाण दीवी ने वाचा दीना के वो उणरे सागे ब्याव करेला। राज मांय गया पछे वो उणने भूलण रो प्रयत्न कीनो। (क्युंके राजपूत चारणी ने नी परणीज सके)। जद ऊजली जेठवा ने मिलाव गई तो वो साफ नटगो। आखर ऊजली सराप दियो ने जद जेठवा शाप सूं मरियो तो ऊजली उणरे लारे सती व्हैगी।
ऊभछठ- भादवा वदी छठ ने लुगायां अवास करे ने सांझ सूं लेय'र जठै तांई चंदरमां नी दीसे, ऊभी रेहवे। हरजस के गीत गावे अर मिंदरां दरसण जावे। चंदरमां ऊगा पछे उणरी पूजा करने अवास भांगे।
ऊमरदान-  ई. 1908, ढाढरवाड़ा (मारवाड़) मांय जनम। अे कट्टर सुधारवादी ने पाका आर्यसमाजी हा। सरल राजस्थानी मांय कुरीतां माते इणारा व्यंग्य घणा चोटदार है। पेहला, खेड़ापा रामसनेहियां रा कंठीबंध चेला वणिया। संप्रदाय रा साधुवां रो पतन जोयने पाछा गृहस्थ वणिया। अे हास्य रस रा घणा चोखा कवि हा। जद महामहोपाध्याय ओझाजी इणाने नाम पूछीयो तो जवाब दियो के म्हारो नाम 'डेली डिलाइटफुल ऊमरदान'। इणारी रचनावां 'ऊमर काव्य' ग्रंथ मांय प्रकाशित है। 1960 ई. मांय अवसाण।
ऊंदरिया पंथ-  ओ पंथ जयसमंद रे आजू- बाजू रा भीलां मांय चाले। इण पंथ ने मानणवाला लोग- लुगाई (साव नागा) अेक जगा आमां- सामां बैठे। वच मांय चूरमा री ढिगली राखीजे। ढिगली माथे अेक मोली इण तरै सूं लटकावीजे के अेक छेड़ो चूरमा माथे रेहवे तो दूजो छात सूं बंधियोड़ो। जठै तांई कोई ऊंदरो मोली रे सहारे उतरने चूरमो नी खावे, उठै तांई अे सगला नरणा बैठा रेहवे। ऊंदरो चूरमो खायने पाछो जावे तो समझीजे के देवी भोग आरोगियो है। दिन रा अे लोग भजन कीर्तन करे। नाचे गावे अर अेक बीजा रे गुप्तांगा ने स्पर्श करे। पण इ्‌युं करतां किणी मांय विकार जागे तो उठैई कतल कर नाखे।

ऋष्यश्रृंग- विभांडक ऋषि रा पुत्र। उर्वशी ने जोयने इणारो वीर्यपात व्हीयो। अेक हिरणी उणने चाटगी। हिरणी रे पेट सूं उत्पन्न बालक रे माथे सींगड़ा हा। इणीज कारण बालक रो नाम ऋष्यश्रृंग राखीजियो। राजा रोमपाद री कंवरी सूं इणारो व्याव व्हीयो, जिणसूं घोर काल री जगा सुगाल व्हीयो। राजा दशरथ पुत्र- कामेष्टि जग्य मांय इणाने नैतिया हा। इणारो आश्रम, भागलपुर (बिहार) सूं 28 मील आगो ऋषिकुंड मांय है।
ऋष्यमूक- पंपासरोवर कनै रो भाखर, जठै सुग्रीव रेहवतो हो।

 

अे, अै

अेकदंत-  दे. गणेश।
अेकनाथ- महाराष्ट्र रा अेक महान संत ने भक्त कवि।
अेकलव्य- अेक भील पुत्र, जिण द्रोणाचार्य रे अस्वीकारणे सूं उणारी मूर्ति ने गुरु मान'र धनुर्विद्या मांय श्रेष्ठता प्राप्त कीवी। इणारी गुरुभगती रो जोटो नी है। द्रोणाचार्य गुरु दक्षिणा मांय जीमणे हाथ रो अंगूठो मांगियो। उण तुरत काट'र गुरु चरणां मांय मेल दीनो। भूक्ता कूतरा रो बाणा सूं मूंडो बंद करने इण आपरी तीरंाजी रो जबरो प्रदर्शण कियो।
अेकलिंगजी- कैलाशपुरी (मेवाड़) मांय घणा शिवालय है। इणा मांय मेवाड़ रा माहाराणावां रा इष्टदेव अेकलिंगजी रो मिंदर प्रमुख है ने इणीज कारण इण नगरी नै अेकलिंगेश्वरपुरी ई केहवे। निश्चै कोनी, पण केहवे है के बप्पा रावल सं. 791- 810 मांय ओ मिंदर बणवायो। काला भाटा सूं वणियोड़ो चतुर्मुख शिवलिंग, जिको इण मांय अबार प्रतिष्ठित है उणरी प्रतिष्ठा हम्मीर प्रथम सं. 1383- 1421 मांय कीवी। ओई केहवीजे के जद इण मिंदर माथे कलश नी चढतो हो तद महाराणा ने सुपनो आयो के धारा नाम रो दरजी इणरो परस करे तो कलश कढ जावेला। खरेखर उणरे परस सूं कलश कढगो। महाराणा उणने कांई मांगण रो कह्यो, तो उण कह्यो के म्हारो नाम अमर रेहवे, अैड़ो कांई करावो? उठैईज महाराणा उणरा नाम माथे धारेश्वरजी मिंदर बणवायो। अठै धजा चढावण रो अधिरकार दरजियांने है ने आ धजा संसार मांय सैसूं लांबी है। मेवाड़ रा शासक अेकलिंगजी है ने राणा तो खुदने उणारा दीवाण माने।
अेकांकी- अेक ईज अंक मांय समाप्त हुवण वालो संक्षिप्त नाटक। आ विधा पाश्चात्य साहित्य री देण है। बे चार पात्र, संक्षिप्त तता सचोट संवाद, प्रासंगिक कथा रो अबाव, अभिनय री अेकता, पृष्ठभूमि अर परिस्थिति रो चित्रण आद इणरा मुख्य तत्त्व है। राजस्थानी रा प्रथम अेकांकीकार शोभाचंद जम्मड़ हा। इणारी कृति 'वृद्ध विवाह दूषण' ही जिका ई. 1930 मांय प्रगट व्ही।
अेकेश्वरवाद- 'ईश्वर एक ईज है ने प्रकृति तता आतमा इणसूं भिन्न है।'- वालो सिद्धांत।
अैरावत- इंद्र रो हाथी। चवदा रत्नां मांय सूं अेक जिको समुद्र- मंथ सू निकलियो। ओ उगमणी दिशा रो दिग्गज केहवीजे।

 

ओ, औ

ओज- काव्य रो अके गुण, जिणरे वांच सूं सुणणियां रे हिरदै मांय वीरता अर जोश रो संचार व्है। दंडी रे अुसार, 'समास- बहुल- पदावली' रे कारण, ओज गुण रो आविर्भाव व्है।
ओढो रावण- रावण जैड़ो महाबली दूदा सूमरा रो विरुद।
ओपाजी आढो-  अे सिरोही राज रा पेसुआ गाम रा अेक भक्त ने जोधपुर महाराजा विजयसिंघ रा दरबारी कवि हा। इणा राजस्थानी मांय भक्ति भाव रा घणा पदां री रचना कीवी, पण आज उणा मांय सूं घणा ओछा मिले। पण जिताई मिले, उणसूं इणारी काव्य शक्ति री चोखी ओलख मिले। इणारे पिता रो नाम बखतसिंघ हो।
ओमकारेश्वर- मध्यप्रदेश मांय नरबदा रे कांठे, अेक मोटो तीरथ। 'द्वादश ज्योतिर्लिंगां' मांय सूं अेक।
ओरण- वो रक्षित जंगल के वा गोचर भूमि, जिका किणी देवता ने अर्पण कियां पछे उण जंगल री लकड़ी ई कोई नी काट सके।
ओल- (1) ओलियो (सागड़ी)। उधारा रूपिया लेवण री अेक अैड़ी प्रथा, जिण मांय करजदार ने रूपियां रे बदले, खुद रे किणी, कुटुंबीजण ने करजदाता रे अठै गिरवे राखणो पड़े। गिरवे राखियोड़ो व्यक्ति 'ओल' केहवीजे। व्याज साथे करजो चुकावण सूं ई मुक्ति मिले। करजो नी चुकावण सूं ओल अर उणरा परवारा रा लोगां ने करजदाता रे अठै सैंग भांत रा काम करणा पड़े। भारत सरकार इण प्रथा माथे अबै रोक लगा दीवी ही। (2) पंक्ति, लैण। (3) ऊमरो। (4) परम्परा।
ओलगण- (1) गावणवाली ढाढण। (2) नोकराणी। (3) वियोगण। (4) मेहतराणी।
ओलखाण-  राजस्थानी भाषा री मासिक पत्रिका, जिणरा सम्पादक डॉ. कल्याणसिंघ हा ने आ जोधपुर सूं ई. 1974 मांय प्रकाशित व्ही।
ओलमो- स्व. किशोर कल्पनाकांत द्वारा संपादित आ पत्रिका घणा रूपां मांय सामां आई। कदैई अठवाड़िक, कदैई पखवाड़िक तो कदैई मासिक। घणी अबकाइयां मांय नियमित चालती रेयी। इणरो पेहलो अंक रतनगढ सूं ई. 1954 मांय प्रगट व्हीयो।
ओल्यूं- अेक लोकगीत। किणी री विदा टांणे ओ लोक गीत गावीजे 'ओजी ओ गोरी रा लसकरिया, ओल्यूड़ी लगाय' र कठै चाल्याजी ढोला।' आद।
ओसवाल- कर्नल टॉड इण जात री उत्पत्ति संबंध मांय लिखियो है के तनोट, जैसलमेर रा राजा तनु रे चार कंवरा मांय आलन अेक हो। आलन रा चार कंवरां मांय देवसी रा वंशज ऊंटां रा वेपारी वणिया अर राकेचा वणज शरू कियो, जिके भविष मांय ओसवाल नाम सूं चावा व्हीया। आचार्य रत्नप्रभसूरीजी महाराज रा उपदेशां सूं प्रभावित हुयने सैंग ओसियांवासी जैन धरम अंगीकार कीनो ने क्युंके अे सैंग ओसिया रा हा, अे ओसवाल केहवीजिया। सैंग जातां रा लोग होवण सूं ओसवालां री खांपां ई घणी।
ओसियां- ओ गांम जोधपुर सूं बत्तीस मील उतरादे आयोड़ो है। शिलालेखां मांय इण रा नाम उपेश, उपकेश अर उवसिशल ई मिले। आठमां सइका मांय ओ गांम प्रतिहारां रे साम्राज्य मांय हो ने उण जमाने रा आठेक मिंदर ई अठै है। पछे ओ नगर चौहाणा रे कब्जा मांय आयो। ओसियां रा घणा मिंदर तो खजुराहो रा मिंदर करतां अेक सैको जूना है। अठै हरिहर रा जूना पांच मिंदर, अेक सूर्य मिंदर, अेक पिप्पलाद माता रो मिंदर घणो महत्त्वपूर्ण है। अठै श्वेताम्बर सम्प्रदाय री प्रमुखता ही ने ओईज नगर ओसवालां रो उद्गम स्थल मानीजे।
ओंकार- ईस प्रार्थना, वेद मंत्र, अर धार्मिक क्रियावां आद रे आरंभ मांय बोलीजण आलो के लिखीजणआलो, अ, उ, अर म- इन तीन वरणां सूं बणियोड़ो ओम शब्द। अे तीन वरण क्रमशः ऋक्, यजु ने साम वेद रा प्रतीक है। उपनिषद इणने आध्यात्मिक शक्तिवालो ने श्रेष्ठ मंत्र बतायो है। ओम रो अ विष्णु, उ शिव अर म ब्रह्मा रो प्रतीक है। तीनांई देवां रो समावेश इण प्रणव मंत्र मांय है।
ओंकार पारीक- जनम ई. 1934 वीकानेर। 'मोरपांख' काव्य रा रचयिता। भांत- भांत रा विषयां माथे घणा लेखां रा लिखारा। 'संहिता' (वीकानेर), 'जिजीविषा' अर 'राजस्थानी साहित्य प्रतिष्ठान (उदयपुर) जिसी संस्थावां रा थापक सदस्य। 'माणक' रा उपसंपादक रह्या। राजस्थानी साहित्य, भाषा अर संस्कृति अकादमी रा सचिव रह्या। हिंदी मांय ई घणी पोथियां लिखी। यायावर।
औचित्य संप्रदाय- कश्मीरवासी आचार्य क्षेमेन्द्र (ई. 1050) इणरा प्रणेता है। वे माने के रस, ध्वनि, अलंकार आद सगला औचित्य रो अनुकरण करे अर औचित्य रे सिवा बीजा किणी सूं रसभंग नी व्है। क्षेमेन्द्र रो केहवणो है के ठावी जगा माथे राखीजियोड़ो अलंकार अलंकार है ने गुण गुण है।

 

 

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