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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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वेबसाइट वास्ते मिली चिट्ठियां री सूची
  1. श्री डॉ. अर्जुन सिंह जी शेखावत
  2. श्री अर्जुनदान जी चारण
  3. श्री बी. एल. माली जी 'अशांत'
  4. श्री बैजनाथ जी पंवार
  5. श्री भंवर सिंह जी सामौर
  6. श्री सी. एल. सांखला जी
  7. श्री दीन दयाल जी मेहरा
  8. श्री दुलाराम जी सहारण
  9. श्री जानकी नारायण जी श्रीमाली
  10. श्रीमती डॉ.कविता जी किरण
  11. श्रीमती कमला जी कमलेश
  12. श्री लक्ष्मण दान जी कविया
  13. श्री मनोहर सिंह जी राठौड
  14. श्री पन्नालाल जी कटारिया
  15. श्री पारस जी अरोडा
  16. श्री रतन जी शाह
  17. श्री रामदयाल जी मेहरा
  18. श्री रामनिवास जी लखोटिया
  19. श्री सत्यदेव जी संवितेन्द्र
  20. श्रीमती शारदा जी कृष्ण
  21. श्री श्याम महर्षि जी
  22. श्री विनोद जी स्वामी
  23. श्री यादवेन्द्र जी शर्मा 'चन्द्र'

श्री डॉ. अर्जुन सिंह जी शेखावत

डॉ. अर्जुन सिंह शेखावत
संस्थापक-अध्यक्ष, आदिवासी अकादमी
2-घ 36 , कमला नेहरू नगर
पाली (राज.) -306401
फोन न. 02932-257062, 257966

मानीता श्री सुरेन्द्र सा,
जै राजस्थानी।

घणै मान रामास्यामा। आपरौ हेत भरियो कागद कालै मिळियौ, टूका सूदी समिचार मालम व्हिया, हिवडै हरख व्हियौ।

आप मायड भासा री सेवा रौ लूठौ बीडौ हाथै लियौ, इआण वास्ते आपने घणा घणा रंग।

अबारु म्है दिल्ली अर भुवनेश्वर (उडीसा) साहित्यकार सम्मेलन में व्हिर हुयौडौ हूं सो हाका घडबड मायं फगत म्हारी औळखाण अर पैलडा रास्ट्रपति ने मेलियोडा कागद री एक पडत आपनै पूगरी करु हूं। राजस्थानी भासा साहित्य संस्कृति माथै मोकळौ बरणन है, पछै रवाना करूला।

आप खास बात रौ ध्यान राखजौ के जकौ ई साहित आप वेबसाइट माथे देवो वीं री भासा सुद राजस्थानी जरूरी है, हिन्दी रो एक ई सबद नीं आवणौ चाइजै, नीतर हिन्दी अर राजस्थानी माय कांई फर्क वे, वर्तनी ई सुद व्है, व्याकरण ई राजस्थानी री व्हैणी चाइजै।

म्है अेकर अहमदाबाद आपनै मिलूला। बबडती टयाल सूं आपरै पत्रुतर री उडीक रैसी।

घणा घणा रंग।

आपरौ हेताळू

अर्जुनसिंह शेखावत

 


श्री अर्जुनदान जी चारण

अर्जुनदान चारण
क्षेत्रीय वन अधिकारी
किसन निवास, होटल खासबाग रे सामने
रातानाडा
जोधपुर (राज.)

आदरजोग पोखरणा जी
घणै मान रामरामसा।

आपरौ 22 नवम्बर रो कागद आज मिलियौ है। कारण कै आप औ कागद म्हारै पैली आळै ठिकाणै हनुमानगढ भैज्यौ हो। म्है लारला एक-डेढ़ साल सूं जोधपुर में तैनात हँू। आपरौ काम सरावन जोग है। म्हारी जिका इ मदद आपनै चाहिजै म्है उण सारू त्यार हूँ। जोधपुर में रहता थका म्है आर म्हारा सगळा स्टाफ राजस्थानी में इज बात करा। थोडी रचनावा राजस्थानी में करवारी खैचळ करू हूँ। एक पोथी लघुकथावा री "चट-भट" 2006 में छपी है। दूजी पौथी सारू रचनावां चाल रही है। म्हारौ नूवों ठिकाणौ आगै लिखियौ है।

आपरौ

अर्जुनदान चारण

श्री बी. एल. माली जी 'अशांत'

बी. एल. माली 'अशांत'
सदस्य, राजस्थानी भाषा संवैधानिक मान्यता समिति (राजकीय)
3/343, मालवीय नगर
जयपुर- 302017 (राज.)

आदरजोग
घणैमान।

उथ्ळो देवण मांय टेम हुयगी है। खमा बगसजो परिचै रा पाना ओकिये रे सागे भेज रैयो हूं। पोथ्यां भेजण मांय संको रैयो। आप चावो तो हूं भेज देवूंला।

कीं आर्टिकल भेजणे रो मन हो, पण घरहा कां जादा बेमार है, फोटोकॉपी कराणै कर फाइलां सूं काढ़णै रो टेम नी निकाळ सक्यो हूं। फेर आपरै संदेश रे साथे भेज देंवूला।

1. राजस्थानी व्याकरण (राजस्थानी मासा मांय)
2. राजस्थानी साहित्य रो इतिहास
3. राजस्थानी-राजस्थानी सबदकोस (पैला री)

ए तीनंू ग्रंथ तियार है। व्याकरण और इतिहास टाइप हुयग्या है। कोस री टाइप चाल रई है। आं रे पेलां कोई एक दरजन ग्रंथ इतिहास अर व्याकरण माथे प्रकाशित हुया है। आप वेब पर आने दिखावजो।

आपरे कागज री उडीक रैवैला।

आपरो ई

बी. एल. माली अशांत

श्री बैजनाथ जी पंवार

बैजनाथ पंवार
एस.बी.बी.जे. बैंक रे लारे
वार्ड नं. 18
चुरु (राज.) 331001

मा. श्री सुरेन्द्र सिंह जी पोखरणा
घणै आदर सूं रामा-स्यामा।

आपरो पत्र 22 नवम्बर 08 रो मिल्यो। बांच र घणों हरख होयो 'आपाणो राजस्थान' वेबसाइट चालू करणै सारू आपरी जतरी तारीफ करी जावै थोडी है। राजस्थानी भासा सारू आपरौ ओ जतन घणों सरावण जोग है। बहोत बहोत धन्यवाद। मोकळा-मोकळा लखदाद।

आप वेबसाइट चालू करी ओ घणों तगडो अर जबरो काम है पण, एक खास बात आपणी राजस्थानी भासा री बोलियां सारू है। आप राजस्थानी री माणक भासा रै माध्यम सूं ई ज काम करोला तो ठीक रहवैला। बारै रहणै रै कारण आप रै पत्र रो जवाब देरी सूं देवूं हूँ। माफ करजो।

एक राजस्थानी भासा रा कवि-लेखक रो ठिकाणो आप री जाणकारी सारू लिखूं हूँ।

श्री सत्य नारायण इंदौरिया
22, सत्य सदन
पो. रतनगढ (चूरू)

आपरो

बैजनाथ पंवार


श्री भंवर सिंह जी सामौर

भंवर सिंह सामौर
134, गांधी नगर
चूरू - 331001

आदरजोग डा.पोखरणा साहब,

आपाणो राजस्थान री वेबसाइट जारी करण सारू आपनै घणी-घणी बधाई। आपरा दर्शन जयपुर मांय करिया हां। आपरो कागद मिल्यौ बांच'र घणो हरख हियो। टैक्नोलोजी रै पांण राजस्थान री जाणकारी आप दुनियां भर में पुगावण री बात तेवडी है आपनै एकर फैरू बधाई।  आपणै ओ सुझाव भी देवणो चावूं हूं के वेबसाइट रो नांव आपाणो राजस्थान री ठौड आपणो राजस्थान राख सको तो और भी ठीक रैसी। बोला री ठोड बोला, भणा री ठोड भणा अर लिखारी ठौड लिखां रुप राख सको तो ठीक रैसी। भासा री एक रूपता सारू आपरो ओ काम आवण वाळी पीढ़ी सारू मील रो पत्थर हुसी। म्हारी तरफ सु तन मन अर धन सूं सहयोग करण रो आपनै वचन देवूं हूं। म्हारै सूं जिस्यो भी सहयोग चावो आधी रात को देणे त्यार हूं। आप इण वेबासाईट रै पांण राजस्थानी भासा रो जिको रूप थरप ज्यास्यो बो हि आगे मानीजसी इण वास्तै इण नै खडौ रुप देवण री चेस्ठा करज्यो।

आपरो

भंवर सिंह सामौर

श्री सी. एल. सांखला जी

सी. एल. सांखला
शब्दवन, पो. ठाकरवाडा
जिला कोटा (राज.)

मानजोग डॉ. पोखरणा सा.,
सादर नमन। जै राजस्थानी।

ओ जाण'र घणो ई हरख हुयौ क' आप राजस्थानी री वेबसाईट रो निर्माण कर रया हो। आपरी ई वेबसाईट री सफलता रै लेखे म्हारी शुभकामनावां। म्हारी राजस्थानी गध पोथी 'सबद री तागत' बी वेबसाईट रै लेखै भेज रयौ हूँ। रचनावां भी भेजूंगो। पोथी मिलण री इतला करजो सा।

नेह प्रेम अर सदभावना सूं बण्यो आपाणो राजस्थान।
पन्ना मीरां रे भावा सूं भण्यो आपाणो राजस्थान।
बन-बन घूम्या राणाजी भी मान बचावण माटी री।
वीर वरां री गाथावां सूं भरयो आपाणो राजस्थान।

आपरो

सी. एल. सांखला

श्री दीन दयाल जी मेहरा

दीन दयाल मेहरा
राजस्थानी साहित्य अकादमी
उदयपुर

आदरजोग पोखरणा जी,
सादर नमस्ते।

आपरो पत्र मिल्यो राजस्थानी भासा रे वास्ते आपरो काम महत्व अर स्थायी छै। ह्रदय सूं आपने इण काम वास्ते घणी-घणी बधाई अर शुभ कामनावां।

आपा सब री अबार एक ही भावना छै क राजस्थानी भासा ने मान्यता मिले। भगवान आप जिसा साधका रे बल मा ई कामना ने पूरी करसी।

आभार

दीन दयाल मेहरा


श्री दुलाराम जी सहारण

दुलाराम सहारण
105-गाध्ी नगर
चुरू- 331001

आदरजोग सुरेन्द्रसिंह जी पोखरणा जी

जै राजस्थानी।

आपरो 22 नवम्बर, 2008 रो कागद मिल्यो। घणो हरख व्हियो कै आप अहमदाबाद मांय बिराज'र राजस्थानी भासा सारू काम करण री हूंस पाळी। इंटरनेट री दूनिया मांय राजस्थानी हाल नुंवी है आपरी वेब इण दीठ मांय जबरो काम हुयसी। म्हारी मोकळी शुभकामनावां।

आपरा कागद देख'र ओ कैयो जा सकै कै भासायी दीठ सूं आपनै हाल घणो काम करणो है। इण सारू आप किणी राजस्थानी भासा रे साहित्यकार कनै सूं सा'रो लेवो। इण कारण आप नै निजू सुझाव देवूं कै भासाई एकरूपता अर शुद्धता सारू जागरूक हूवो।

वेब रो नांव 'आपाणो राजस्थान' राख्यो है। इण री ठौड आपणो राजस्थान हुवणो चाहिजै। अंग्रेजी मांय कोई दिक्क्त कोनी, कठै ई बदलाव री जरूरत कोनी, फगत हिन्दी/राजस्थानी मांय बदळ देवो।

जकी जाणकारी आप मांगी वै ऊपर लिखै ब्लाग ठिकाणे चक्कर लग़ाया मिल जासी। फेर इज कोयी जरूरी हुवै तो लिख सको। म्हारो सैयोग सदीव आपारै साथै रैयसी। फेरूं शुभकामनावां।

आपारो हेताळू

दुलाराम सहारण


श्री जानकी नारायण जी श्रीमाली

जानकी नारायण श्रीमाली
महामंत्री, राती घाटी राष्ट्रीय शोध एवं विकास न्यास, बीकानेर
प्रधान कार्यालय-ब्रह्मपुरी चौक
पो.बीकानेर
पिन-334005
दूरभाष : 0151-2542992
मो. 9829692829

मानजोग श्री सुरेन्द्रसिंह जी पोखरणा, आपाणो राजस्थान

अहमदाबाद

घणैमानं अभिवादन।

आपरो पत्र दि.22/11/08 टैम सर मिलियो। हिवडे सूं लगाय'र राख्यो क्यूं कै जवाब देणै में देरी हुई।

आपरो पत्र म्हारी बेटी मीनाक्षी दवे जोधपुर नैं भी मिलियो। मीनाक्षी री लिखियोडी 2 पोथ्यां राजस्थानी री है। आपनै 5-10 दिनां में भेजूला। कतिपय दूजी पोथ्यां भी भेजूला-जिणा सूं आपरो लक्ष्य पूरो हो सकै। राती घाटी जुद्ध री सामग्री ई भेज सूं। एक वैज्ञानिक होवता थका आप मायड भाषा रो सेवा सारू कदम बढायो है। आप धन्य हो। आपरो तो वंश ई लोक उपकार रो है। समता विभूति नाना गुरू ई पोखरणा वंश रा रतन अर महान संत हा।

शेष शुभ। आपरो

जानकी नारायण श्रीमाली

पूर्व सचिव, राज.भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी


श्रीमती डॉ.कविता जी किरण

डॉ.कविता 'किरण'
नेहरू कॉलोनी, फालना स्टेशन
पाली-306116 

आदरजोग श्री पोखरणा साब
आपरौ कागद मिलियो।

आप आपाणो राजस्थान नांव सु वेबसाइट सरू करी है जाण ने घणो हरख हुयो। "राजस्थानी कवि अर साहित्यकार" तथा राजस्थानी महिला लेखिकावां रो ई एक अलग पानो राखणो उपयोगी होवेला। जिण में राजस्थान री प्रथम कवयित्री मीरॉबाई सू सरूआत की जा सके।

खैर इण वेबसाइट सारू परिचय व छ: रचनावां प्रेषित है। उपयोगी होवे तो सूचना जरूर दिरावजो।

घणैमान

डॉ. कविता किरण
फालना


श्रीमती कमला जी कमलेश

कमला कमलेश
525 कल्पना कुंज
छावनी : कोटा

भाई सुरेन्द्र सिंह जी,
घणो-घणो मान।

आपके द्वारा चलायो गयो इक्कीस सूत्री कार्यक्रम राजस्थानी भाषा का प्रचार-प्रसार सारू घणो सराबा जोग छै। आप जस्या राजस्थानी का हेताळू आपणी योजनावां मं सफल होवैगा अस्यो बसवास अर आसीरवाद छै।
म्हूं म्हारी दो पोथ्यां "वांदना की बातां" संस्मरण अर "राधा" उपन्यास भेज री छूं। फोटो बी लारां भेज री छूं बायोडेटा पोथ्यां कै पाछै छप्या मंडया छै। अर कागद के लारा भी।

कमला कमलेश
निदेशक -
ज्ञान भारती, इन्दिरा मार्केट
कोटा-6 (राज.)


श्री लक्ष्मण दान जी कविया

लक्ष्मण दान कविया
संस्थापक एवं राष्ट्रीय संगठक, अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति
खैंण, पो. मुण्डवा - 341026
जिला- नागौर (राज.)
फोन न.- 01584-283311
मोबाइल न.- 9352911956

प्रतिष्ठा में,
सम्मान्नीय श्रीमान, सुरेन्द्रसिंह जी पोखरणा
प्रभारी, आपाणो राजस्थान : अहमदाबाद

विषय- राजस्थानी भाषा की मान्यता एवं प्रचार-प्रसार के सम्बन्ध में।
प्रसंग- आपके पत्र दिनांक 22 नवम्बर 2008 ले संदर्भ में।

मान्यवर,
सादर अभिवादन।

यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई की आपने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के एवं प्रचार-प्रसार कराने हित 'आपाणो राजस्थान' वेबसाईट प्रारंभ की है इसके लिए हमारी ओर से हादिक बधाई एवं साधुवाद।

आपने मेरे द्वारा राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता एवं प्रचार-प्रसार सम्बन्धी की गई गतिविधियों कि जानकारी चाही सो मैं फिलहाल आपकी सेवा में संक्षिप्त जानकारी एवं बायोडेटा भेज रहा हूँ। भविष्य में आप जितना चाहे उतना मैं यथा सम्भव, यथा शक्ति, यथा समय राजस्थानी सम्बन्धी जानकारी आप तक पत्रों द्वारा भेजने का प्रयास करता रहूंगा। आपके स्वस्थ दीर्घायु उज्जवल भविष्य एवं मंगलमय जीवन की नव वर्ष 2009 के उपलक्ष में शुभकामनाएं।

भवनिष्ठ

लक्ष्मण दान कविया


श्री मनोहर सिंह जी राठौड

मनोहर सिंह राठौड
ई-28, सीरी कॉलोनी
पिलानी - 333031
झंुझुनू, (राज.)
फोन न. 01596- 243501 (नि.), 252359 (का.)

श्रीमान पोखरणा सा.
नमस्कार।

आप राजस्थानी के लिए आपाणो राजस्थान वेबसाइट तैयार कर रहै है इसके लिए बधाई। आपने जो जानकारी चाही थी वो भिजवा रहा हूं आगे और भी भेजूंगा। आप समय-समय पर याद करते रहे।

शेष फिर।

विनीत

मनोहर सिंह राठौड


श्री पन्नालाल जी कटारिया

पन्नालाल कटारिया
बिठौडा कलां
वाया मारवाड जं.
पाली (राज.)

घण मानीता
आदर जोग डॉ. पोखरणा सा'ब
खम्मा घणी सा।

आपरो तिरंगो कागद म्हनै मिलियो। पढ़ियो घणो हरख व्हियो क आप गुजरात मांय विराजता थका मायड़ भाषा री पीड काळजा मांय राखो अर इणने जगत री अेक न्यारी निरवाळी भासा होवन री पिछाण करावण सारू जुगत कर रह्या हो। आपने घणा रंग अर लख दाद क आप जैड़ा भायड़ भासा रा हेताळु इन भांत से बिड़ो हाथ में ले राख्यो हो। "आपणो राजस्थान" नांव री वेबसाइट इण भासा ने संविधान री आठवी अनुसूची मांय मेलप करावण सारू महताऊ भौमिका निभावेला। आपरे कानी सु खिनायो (भेज्यो) गयो 21 सूत्री कार्यक्रम रो पण अवलोकन करियो। ओ आपरो महतारू कदम है। आपरे कानी सु भायड़ भासा से मान बधावता थका स्टीकर पण पुगता व्हिया। ऐडा ईज स्टीकर सागी रूप में (बगैर फेरबदल) छाप र ठोड़ ठोड़ चैप दिया गिया है। आपरी मन री भावना लोगों रे बिचाळे पुगती कर दिनी सा। आपरी रचना रक्त बैवे वीर नीपजे एडो राजस्थान राजस्थानी संस्कृति रो बखाण करती थकी घणी दाय आई।

आपरी अरदास सर माथै आपने म्हारा बायोडाटा अर अैक पौथी की टाकवी रचनावां पुगती कर रह्यो हूँ।

आपरो
मायड़ भासा रो हेताळु
पन्नालाल कटारिया 'बिठौडा'


श्री पारस जी अरोडा

पारस अरोडा
अ-360, सरस्वती नगर
बासनी, जोधपुर-342005
फोन न.- 2720796

सुरेन्द्र सिंह जी पोखरणा,
सप्रेम वंदे।

आपरौ कागद मिलयो हो, जिणरी पूग म्हैं आपनै फोन माथै दी ही। रीढ री हड्डी मांय तकलीफ अर आंख्यां में मोतियौ व्हेणै रै कारण अबार लिखणौ पढणौ नीं रै बरोबर है।

आगै आप पत्राचार म्हारा नवा ठिकाणा पर करजौ, जिकौ उपर छप्योडौ है।

आप सपरिवार राजी खुशी होवोला।

आपरौ इज

पारस अरोडा


श्री रतन जी शाह

रतन शाह
राजस्थान भाषा प्रचार समिति 
पी.4, न्यू सी.आई.टी.रोड
स्कीम न.52
कोलकाता-700014

आदरणीय सुरेन्द्र सिंहजी पोखरणा,

आपको 22 नवम्बर को कागद मिल्यो 2 बरस पैली जयपुर मांय आपसु भेंट हुई ही पण अधिवेशन की आपा धापी में विशेष बात हो नई पाई ही आप जो काम कर रैया हो बो घणो महताऊ है म्हारी बधाई स्वीकारो म्हारै सू जो भी बण सकेगा। वो सेयोग आपके साथ रेवेगा। अलग डाक से आपणै कलकता में सम्पन्न हुयै अ.भा.राजस्थानी सम्मेलन की स्मारिका भेज रैयो हूं वी मांय राजस्थानी प्रचारिणी सभा के कामां को ब्योरो हो। आप बी को उपयोग करणो चावो तो जरूर कर लियो।

आप स्वस्थ एवं प्रसन्न होस्यों।

रतन शाह

श्री रामदयाल जी मेहरा

रामदयाल मेहरा
राजस्थान साहित्य अकादमी
उदयपुर

आदरजोग पोखरणा जी,
सादर नमस्ते।

आपरो पत्र मिल्यो। राजस्थानी भाषा वास्ते आपारौ काम महत्व अर स्थायी छै। ह्रदय सूं आपने इण काम वास्ते घणी-घणी बधाई अर शुभ कामनावां।

आपां सब री अबार एक ही भावना छै क राजस्थानी भाषा ने मान्यता मिले। भगवान आप जस्या साधकां रे बल में ई कामन ने पूरी करसी।

आभार

रामदयाल

रामदयाल जी मेहरा री दुजी चिट्ठी
तारीख 4-11-2009

रामदयाल मेहरा
राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर
मोबाइल नं.- 9460883222

आदरजोग पोखरणाजी

सादर नमस्ते।

राजस्थानी भाषा रे वास्ते आपरो काम प्रशंसनीय छै। सरावण जोग छै। आपरे पत्र मुजब म्हारो जतनो भी छै परिचय-फोटो भेजू छूं।

आपरो

रामदयाल मेहरा


श्री रामनिवास जी लखोटिया

रामनिवास लखोटिया
लखोटिया निवासएस-228, ग्रेटर कैलाश -2
नई दिल्ली - 110048

प्रिय संपादक महोदय,
आपरा पत्र में प्रकासन खातर एक प्रेरक-प्रसंग नीचे दे रियो हूँ।

प्रेरक प्रसंग : - श्री लालबहादुर शास्त्री नामबरी से क्यूं दूर भागता हा?

एक बार री बात है के भारत रा भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री रे पास एक आदमी आयो और एकारक बेने एक सवाल करियो। "शास्त्रीजी आप नामबरी से इत्ती दूर क्यों भागो हो?" श्री लालबहादूर शास्त्री जी ई सवाल रो जवाब दियो बो हमेशा याद रखबा लायक है; और बो घणो हो प्रेरणा देबा बालो है।

शास्त्री जी बोल्या- "देखो भाई, बात ई प्रकार री है के एक बार में लाला लाजपत राय जी रे कने बैठ्यो हो। वे म्हनै कह्यो 'अरे लालबहादुर तने मालूम हो तो के ताजमहल ने बनाबा में दो प्रकार का भाटा रो प्रयोग कर्यो गयो हो। एक घणो चौखी भाटी है संगमरम को जीनै आपो मीनार, गुम्बद अर मीनां रे काम में ल्यावां। बीने देखबा रे खातर सारी दुनिया भर सूं लोग बाग आवे अर बीकी घणी तारीफ करे। दूसरो साधारण भाटो है जीको उपयोग भी ताजमहल के बनाबां में ही कर्यो गयो है। बे भाटा है नींव रा भाटा जीनैं नींव रा पत्थर कहवे। बे भाटा पर ही औ इत्तो बड़ो ताजमहल रख्यो गयो है। ऐ नींव रा पत्थर कहवे। बे भाटो पर हो ही औ इत्वी बड़ो ताजमहल रख्यो गयो है। वे नींव रा पत्थर री विशेषता है क सारा ताजमहल को बोजो बे अपणो ऊपर ले रख्यो है।' वे नींव रा पत्थरां ने कोई देख नीं सके। ज  आ बात है तो बै की कोई क्यान तारीफ करे। यान ही प्रिय लालबहादुर, आपां रे कार्यकर्ताओं ने भी दूसरा प्रकार रा भाटा री जवान अर्थात् नींव रा पत्थर री जान होणूं चाहवै। कार्तकर्ता ऐसा होणा चावै के जैनें अपणी नामबरी, प्रसिद्धी, मान री परवाह नीं हवै अर जी देशा री उन्नती री खातर अर देश री स्वाधीनता रे खातर अर हर प्रकार से देश री तरक्की रे खातर काम में ही लग्या रहवे।' लाल लजपत राय जी रा ऐ शब्द म्हारा हृदय में अंकित हो गया। माफ करे भाया, मनै तो नींव रो पत्थर बणबों ही ज्यादा पसन्द है।"

घणा-घणा धिनबाद।
आपरौ
रामनिवास लखोटिया


श्री सत्यदेव जी संवितेन्द्र

सत्यदेव संवितेन्द्र
182, सेक्शन 7 विस्तार,
न्यू पावर हाउस रोड, गीन पार्क,
जोधपुर-342003 (राजस्थान)

मानजोग डॉ. सुरेन्द्र सिंह सा,
सादर जय अम्बे।

आपरौ 22 नवंबर, 08 रौ कागद मिल्यौ। म्हनै घणौ हरख है के आप मायडं भाषा राजस्थानी सारूं नुंवी दीठ अर नुंवी तकनीक सूं काम कर रह्या हो। म्हैं आपरै सामी नतमाथ हूं अर आपरै सगळै प्रयासां में सागे हूं।

राजस्थानी वेबसाइट म्हांरे समै री मेहताऊ जरूरत है। म्हैं आपने इण सारू सामग्री अवस भेजूंगा। म्हारी जोड़ायत शर्मिला ओझा रौ आलेख आपने भेजूं। 'स्टेट मोनिटर' रा संपादक मायड़ भाषा रा हेताळु श्री भवानिसिंह चांपावत ठिकाना पीपाड़ा तहसील जैतारण जिला पाली (राजस्थान) नै ई आप इण बाबत कागद लिखावजौ अर वैबसाइट माथै 'स्टेट मोनिटर' रै हवालै बाबत उल्लेख करावजौ।

आप म्हनै satyasamvit@rediffmail.com माथै जाणकारी भेज सकौ। म्हारी कुल 48 किताबां में 7 राजस्थानी री है। बांरा आवरण पृष्ठ अर दूजी जानकारियां tiff सूं आपने भेज देवूंला।
आस करूं आप सावळ हुवौला।

घणै मान सूं अरजवंत।

आपरो

सत्यदेव संवितेन्द्र


श्रीमती शारदा जी कृष्ण

श्रीमती शारदा कृष्ण
आशादीप, पिपराली रोड
सीकर- 332001
राजस्थान

आदरजोग पोखरणा जी,
घणे मान निंवण!

'आपाणो राजस्थान' री वेबसाइट माथे कुण्सो फॉण्ट काम में लियो गयो है, आ बात समझ मांय नीं आवण सूं म्है वेबसाइट री पूरी जानकारी नीं लेय सकी। म्है ओ निरणै नीं कर सकी कै वेबसाईट माथे जितरो भी फीड है वी सूं परबारै भी म्हारीं कोई जाणकारी या सूचना है या नीं सो मारगदरशन करावजो कै वेबसाईट नै म्है बांचूं किंया? म्है राजस्थान माय प्रकाशित पुस्तकां री एक सूची, अर कीं पतां-ठिकाणा-कोन्टेक्ट न. आपनै भेजणी चाहूं, पण पैली वेबसाईट देख लेवणो जरूरी है।

राजस्थानी रै वास्तै आप जित्तो की करयो हैै वीं री सरावना लेखै म्हांरै बदां सबदां री सामरथ कमती पडै। भावां रो विस्तार आपनैं अरपूं लखदाद।

शारदा कृष्ण


श्री श्याम महर्षि जी

घणा मानीता श्री पोखरणा
नमस्कार

आपरा भिजवायेडा कागद मिल्या। राजस्थान खातर कोई खास खबर हुयसी रो भिजवाणै री कोशिस करूंला। स्टीकर अर ब्रोसर मिलग्या है। सहयोग री भावना रै साथ।

आपरौ
श्री श्याम महर्षि


श्री विनोद जी स्वामी

विनोद स्वामी
परलीका
राज. -335504

आदरजोग सुरेन्द्र जी,

सादर पगा लागणा।
नूंवै साल री मंगलकामनावां।

आपरी वेबासाइट सोनी जी दिखाई। आपरी पूगाई सगळी सामग्री रो सही उपयोग होसी। मैं तो एक छोटो सो सिपाही हूँ भासा रो। स्यात आ जंग तावळी जीत लेस्यां। इण जुग में इंटरनेट रो काम भोत महताऊ है इण वास्तै आ कमान आपरै हाथां मानौ, आप तो इण खेतर रा जाणकार हो इण सारू अंतर सूं जीत दिरावण में जुट जावो। आपा सगळा साथै हां ओर बातां बाद में।

आपरो छोटो भाई

विनोद स्वामी


श्री यादवेन्द्र जी शर्मा 'चन्द्र'

यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'
आशा लक्ष्मी, नया शहर
बीकानेर-334004

बंधुवर,

आपाणो राजस्थान री चोखी घोषणावां बांची पण म्है चावूं के जदताई भासा री एकरूपता अर सहजीकरण नीं होवैला अर क्रिया व सर्वनांव मांय एकरुपता नीं होवैला तब तांई भासा जणै-जणै कन्नै नीं पूगैला। जिकी वातां अबार सूं पैला 40-50 साल पैला होवती ही बै ई अबार हुवै है। आप म्हारी रचनावां नै वेबसाइट माथै प्रसारित करौ म्है लारलै दो मईना सू मांदगी सूं झलियोडो हूं अस्पताल भी रैयो। स्वस्थ होवणै पर मैटर भेजूला। आप राजी खुशी होवोला।

आपरौ

यादवेन्द्र शर्मा

 

   
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