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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजस्थानी कहावता (क-घ)



कंगाल छैल गांव नै भारी।
कंवरजी म्हैलां से उतर्या, भोड़ल को भलको।
बतलाया बोले नहींरङ बोलै तो डबको।
कंवारा का के न्यारा गांव बसै है।
कक्कै को फूट्यो आंक ई को आवै अर नाम विद्याधर।
कटे तो काऊ का, सीखे तो नाऊ का।
कठे राजा भोज, कठे गांगलो तेली।
कठे राम राम, कठे ट्यां ट्यां !
कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई।
कण कण भीतर रामजी, ज्यूं चकमक में आग।
कद नटणी बांस चढै, कद भोजन पावै।
कद राजा आवै, कद दाल दलूं।
कदे गधो गूण पर, कदे गूण गधा पर।
कदे घई घणा, कदे मूठी चणा।
कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर।
कनफडा दोन्यू हीन बिगाड्या।
कुन्या फूले, तुल फले, वृश्चिक ल्यावै लाण।
कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई।
कपूत जायो भलो न आयो।
कबित सोवै भाट नै, खेती सोवै जाट नै।
कबूतर नै कुवो ही दीखै।
कम खालेणा पण कम कायदे नहीं रहणा।
कमजोर की लुगाई, सबकी भौजाई।
कमजोर को हिमायती हारै।
कमजरो गुस्सा ज्यादा, ऐई मारा खाणै का रादा।
कमाई गैल समाई।
कमाऊ आवै डरतो, निखट्टु आवै लड़तो।
कमावै धोती हाला, खा ज्याय टोपी हाला।
कमावै थोड़ो खरचै घणूं, पैलो मूरख उणनै गिणूँ।
कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै।
करड़ी बाँघै पगड़ी घुरड़ लिववै नक्ख।
करड़ी पैरे मोचड़ी, अणसरज्या ही दुक्ख।
करणी जिसी भरणी।
करणी पार उतरणी।
करणी भोगै आपकी, के बेटो के बाप।
करन्ता सो भोगन्ता खोदन्ता सो पड़न्ता।
करम कमेड़ी को सो, मन राजा को सो।
करमहीन खेती कैर, के काल पडै के बलद मरै।
करमफूटया नै भागफूट्या ही मिलै।
करम में घोड़ी लिखी, खोल कुण ले ज्याय?
करम में लिख्या ंककर तो के करै शिवशंकर ?
कर ये महती मालपुआ, बो ा लेसी हुया हुया।
कर रै बेटा फटाको, घर को रह्यो न घाट को।
कर रै बेटा फाटको, खड़्यो पी दूध को बाटको।
कर ले सो काम, भजले सो राम।
कर्क मैद को के भाव ? कै चोट जाणिये।
कर्म की सगलै बाजै है।
करैगो टहल तो पावैगो महल।
करैगो सेवा तो पावैगो मेवा।
कल सूं कल दबै है।
कलह कलसै पैंडे को पाणी नासै।
कसम मरे को धोखो कोनी, सुपनू सांचो होणूं चाये।
कसाई कै दाणै नै बकरी थोड़ी ही खा सकती है ?
कसो हाक मार्यां कूवो खुदै है।
कांई गोडियो कैवै रङ कांई पूंगी कैवे।
कांट कटीली झाखडी लागै मीठा बोर।
कांटे सै कांटो नीसरै।
कांदा खाय कमधजां, घी खायो गोलांह।
चुरू चाली ठाकरां, बाजंतै ढोलांह।
कांदे वाला छीलका है उचीदै जितणी है बाई आवै।
कांधियो थोड़ा ई बलै है।
कांधे पर छोरो, गांव में ढिंढोरो।
काकड़ी की चोरी रङमूकां की मार।
काका खोखो पायो, कह, काका कै सागै तो ऐ है गैरा करैगी।
काग कुहाड़ो नर, काटै ही काटै।
सुई सुहागो सापुरुष, सांठै ही सांठै।
काग पढ़ायो पींजरै, पढगो च्यारूं वेद, समझायो, समझ्यो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ।
कागलां कै काछड़ा होता तो उड़तां कै ना दीखता।
कागलां कै सराप सूं ऊंट कोनी मरै।
कागलो हंस, हाली सीखै हो सो आप हाली भी भूलगो।
कागा किसका धन हरे, कोयल किसकूं देय।
जीभड़ल्यां के कारणै, जग अपनो कर लेय।
कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास। ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास।
कागा हंस न गधा जती।
काच कटोरो, नैण जल, मोती दूध रङमन्न।
काच की भट्टा मांइ मांय धवै।
काचो दूध खटाई फाड़ै, तातो दूद जमावै।
काजल सै आंख भरी कोनी हुवै।
काजी के मार्योड़ो हलाल होवै है।
काटर कै हेज घणों।
काठ की हांडी दूसरां कोनी चढ़ै।
काठ डूबै लोडा तिरै।
काणती भाभी छाय घाल, घालस्यूं दहीं, तु सुप्यार भोत बोल्या ना।
काणती भेड़ को र्याड़ो ही न्यारी।
काणियां पांड्या राम राम।देखी रै तैरी ट्याम ट्याम।
काणी कै ब्या मैं फेरां तांई खोट।
काणी कै ब्या में सौ कोतिक।
काणी को काडल भी कोनी सुहावै।
काणी छोरी तनै कुण ब्यावैगो, कह ना सरी, मैं मेरै भायां नै खिलाऊंगी।
काणूं खोड़ो कायरो, ऐंचताणूं होय। इण नै जद ही छोड़िये, हाथ घेसलो होय।
कात्या जी का सूत, जाया जी का पूत।
कातिक की छांट बुरी, बाणियां की नांट बुरी, भायां की आंट बुरी, राज की डांट बुरी।
कातिक राज, कीर्तियां, मंगसिर हिरणियां, पोवां पारधी जोड़ा, काटी कटै न घोड़ा।
काती कुत्ती माह बिलाई, फागण मर्द अर ब्याह लुगाई।
काती रो मेह कटक बराबर है।
काती सब साथी।
कादा नै छैड़ै, छाटां भरै।
कानां ने मुंदरा होसी तो सै आपै आदेस कहसी।
कान में कीटी अन्तर रङ लगास्यूं।
कानूड़ो कल में आयो, रात बड़ी दिन छोटा ल्याओ।
काम अर लाम को बैर है।
काम करल्यो सो कामण कर्या।
काम करै कोई, मोज उड़ावै कोई।
काम की मा उरैसी, पूत की मां परैसी।
काम नै काम सीखावै।
काम पड्यो जद सेठजी तमेलै चढ़गा।
काम सर्यो जुग बीसर्यो, कुणबो बाराबाट।
कामी कै साख नहीं, लोभी कै जात नहीं।
काल कुसम्मै ना मरै, बामण बकरी ऊंट। बो मांगे बा फिर चरै, बो सूखा चाबै ठूंठ।
काल जाय पण कलंक नहीं जाय।
काल बागड़ सैं नीपजै, बुरो बामण सै होय।
काल मरी सासू, आज आयो आंसू।
काला कनै बैठ्यां काट लागै।
काला रै तूं मलमल न्हाय तेरी कालूंस कदै नहिं जाय।
काली भली न कोड्याली।
काली हांडी कनै बैठ्यां कालूस लागै।
कालै गाबा को कालो दाग कोई कोनी देखै।
कालै कै कालो नहीं जामै तो कोड्यालो तो जरूर ही जामै।
कालो आंक भैंस बराबर।
किमै गुड़ ढीलो, किमैं बाणियूं ढीलो।
कियां फिरै जाणै बिगड्योड़ै ब्याव में नाई फिरै ज्यूं।किरती एक जबूकड़ो, ओगन सह गलिया।
किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस। दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस।
किसन करी सो लीली, म्है बाजां लंगवाड़ा।
किसाक बाजा बजै, किसाक रंग लागै।
कीड़ी नै कण, हाथ नै मण।
कीड़ी पर के कटक?
कीड़ी सचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय।
कुए की मांटी कुए में लाग ज्या है।
कुछ लख्या सो मन में राख।
कुण सी बाड़ी को बथवो है।
कुत्तां कै पाड़ौस सै कसौ पैरो लाग्यो।
कुत्ता तेरी काण कै तेरै घणी की।
कुत्ती क्यूं भुसै है, कै टुकड़ै खातर।
कुत्तै की पूँछ बार बरस दबी रही पण जद निकली जद टेढ़ी की टेढ़ी।
कुमाणस आयो भलो न जायो।
कुम्हार की गधी, घर घर लदी।
कुम्हार कुम्हारी नै तो कोनी जीतै, गधैड़ै का काम मरोड़ै।
कुम्हार नै कह, गधै पर चढ़ जद तो को चढ़ै ना, पाछै आप चढ़ै।
कुल बिना लाज ना, जूं बिना खाज ना।
कुंभार रे घर में फूटी हांडी।
कूआ सै कूओ कोनी मिलै, आदमी सै आदमी मिल जाय।
कूण किसी कै आवै, दाणू पाणी ल्यावै।
कूदिये ने कूवै खेलिये न जूवै।
कूद्यो पेड़ खजरू सूं, राम करै सो होय।
कूरा करास खाय, गेहूँ जीमै बाणिया।
कुवै में पड़ कर सूको कोई बी नीकलै ना।
कूवो खोदे जैनै खाड त्यार है।
के कुत्ती कै पाणई गाडो चालै है?
के गीतड़ां से भींतड़ा।
के गूजर को दायजो कै बकरी कै भेड़।
कै जाणै भेड़ सुपारी सार।
के तो घोड़ो घोड्यां में केङ स चोरां लियो लेय (के सङचोर लेईगा)
के तो फूड़ चालै कोनी रङचालै जद नो गांव की सीम फोड़ै।
के नागी धोवै रङ के नागी निचोवै।
के फूँक सै पहाड़ उड़ै है ?
के बाड़ पर सोनूं सूकै है ?
के बेटी जेठ के स्हारै जाई है ?
के बेरो ऊँट के करोट बैठे ?
के मारै बादल को घाम, के मारै बैरी को जाम।
के मारै सीरी को काम, कै मारे काटर की जाम।
के मीयां मरगा, क रोजा घटगा।
के रोऊं ऐ जणी! तूं आंगी दी न तणी।
केले की सी कामड़ी होली सो सी झल !
केश वेश पाणी आकास नहीं चितेरो देखै आस।
के सर्व सुहागण के फरहड़ रांड़।
के सहरां, के डहरां।
के सोवै बंबी को सांप, के सोवै जी के माई यन बाप।
कै जागै जैंकै घर में सांप, कै जागै बेटी को बाप।
कै डूबै रङरोला कै डूबै बोला।
कै तो गैली पैरै कोनी रङपैंरे तो खोलै कोनी।
कै तो पैल बलद चालै कोनी, र चालै तो सात गांवां की सींव फोड़ै।
कै तो बावलो गांव जा कोन्या रङजा तो बावडै कोन्या।
के मोड्यो बांधै पागड़ी, कै रहै उघाड़ी टाट।
कैर को ठुंठ टूट ज्यागो, लुलैगो नहीं।
कैं लड़ै लड़ाकडो कै लड़ै अणजाण।
कै हंसा मोती चुगै कै लंघन कर ज्याय।
कोई को हाथ चालै तो कोई की जीभचालै।
कोई कै बैंगण बायला, कोई कै बैंगण पच्छ कोई कै बादी करै, कोई कै जाय जच्च।
कोई गावै होली का, कोई गावै दिवाली का।
कोई भी मा का पैट से सीख कर कोनी आवै।
कोई मानै न तानै, मैं तो लाडै की भुवा।
(कोई मानै ना तानै ना, मैं लाडो को भुवा)
कोई स्यान मस्त, कोई ध्यान मस्त, कोई हाल मस्त, कोई माल मस्त।
कोडी कोडी धन जुड़ै।
कोडी कोडी करतां बी लंग लागै है।
कोडी चालै डौकरी, कैंका काडै खोज, कांई थारो खोगयो पूछै राजा भोज।
म्हरै सैं थारै गई जैंका काडूं खोज, थारै सैं बी जायगी मत गरबावै भोज। तोयलां की दलाली में काला हाथ।
कोस चाली कोन्या रङतिसाई।
कौण सुणै किण नै कहूँ, सुणै तो समझौ नाहि।
कहबो सुणबो समझबो, मन ही को मन मांहि।
क्यूं आंधो न्यूंतै, क्यूं दो बुलावै।
क्यूं लो खोटो, क्यूं लुहार खोटो।
क्यूं धो चीकणा, क्यूं कुंहाड़ो भूंठो।
क्रितिका करे किरकिरो, रोहिणी काल सुकाल, थे मत आबो मृगशिरी हड़ हड़ करती काल।

खटमल कुत्तो दायमो, जय्यो मांछर जूं।
खर घूघ मरख नरां सदा सुखी प्रिथिराज।
खर बाऊं बिस दाहणूं।
खरी मजरी चोखा दाम।
खल खाई न भल आई, सासरै गई न भू कुहाई।
खल गुड एकै भाव।
खांड गली का सै सिरी, रोग गली का कोई नहीं।
खां साब लकड़ी तोड़ो तो कै ये काफर का काम खां साब खीचड़ी खावो तो कै बिसमिल्ला।
खाईये त्यूंहार, चालिए व्यौहार।
खाज पर आंगली सीदी जाय।
खाणू पीणू खेलणू, सोणू खूंटी ताण आछी डोबी कंथड़ा, नामदी के पाण।
खाणू मा का हाथ को होवो भलांई झैर ई, चालणू गैलै को होवो भलाई फेर ई, बैठणू, भायां को होवो भलांई बैर ई, छाया मौके की होवी भलांई फैर ई, जीमणूं, प्रेम को होवो भलांई झैर ई।
खाणो मन भातो, पैरणो जग भातो।
खात अर पाण, के करै बिनाणी।
खाबो खीर कोङर बाबो तीर को।
खाबो सीरा कोङर मिलबो वीरा को।
खाय धणी को, गीत गावै बीरै का।
खाय कर सो ज्यांणू, मार कर भाग ज्याणूं (खा कर सो ज्याणू ङर मार कर भाग ज्याणू)
खाये जैंको गाये।
खारी बेल की खारी तूमड़ी।
खाल पराई लीकड़ो ज्याणूं भूस में जाय।
खाली लल्लोई सीख्यो है, दद्दो कोनी सीख्यो।
खावण का सांख, पावणा का बासा।
खावै पूणुं, जीवै दूणु।
खिजूर खाय सो झाड़ पर चढ़ै।
खिलाया को नांव कोनी होय, रुवाया को नांव हा जाय।
खींचिये न कब्बान छोड़िये न जब्बान।
खीर खीचड़ी मन्दी आंच।
खुले किंवाड़ा पोल धसै।
खूट्यो बाण्यो जूना खत जोवै।
खेत नै खोवे गैली, मोडा नै खोवै चेली।
खेत बड़ा, घर सांकड़ा।
खेत हुवै तो गांव सैं आथूणों ही हूवै।
खेती करै बिणज नै ध्यावै, दो मां आडी एक न आवै।
खेती धणियां सेती।
खेती बादल में हैं।
खेती सदा सुख देती।
खेल कोठा में पाणी कुवै मै सैंई आवै।
खेल खिलाड्यां को, घोडा असवारां का।
खैरात बटै जठै मंगता आपै ही पूंच ज्यावै।
खोई नथ बटोड़ा में नणद को नांव।
खो की मांटी खो में लागै।
खोटा काम ठेठ सूं कीन्या, घर खातो नै मांग्या दीन्या।
खोटो पीसो खोटो बेटो, ओडीवर को माल।
खोडली खाट खोड़ला पाया, खोड़ली रांड खोडलाई जाया।
खोपड़ी खोपड़ी की मत न्यारी।
खोयो ऊंट घड़ा में ढूंढै।
खोली रै तो पूर आप ही घल ज्या।

गंगा गयां गंगादास, जमना गयां जमनादास।
गंगा तूतिये में कोनी नावड़ै।
गंगाजी को न्हावणूं, बिपरां को ब्योहार, डूब जाय तो पार है, पार जाय तो पार।
गंजो नाई को के धरावै ?
गंजो रङ कांकरां में लोटै।
गंडक कै भरोसै गाडो कोनी चालै।
गंडकड़ो तो लूहलूह मरगो, धणी कै भांवै ही कोनी।
गंडक नारेल को के करै ?
गंडक नै देख कर गंडक रोबै।
गई आबरु पाछी कोनी आवै।
गई चीज को के पिस्तावो ?
गई तिथ बामण ही को बांचै ना।
गई बात नै जाण दे, हुई बात नै सीख।
गई बात नै घोड़ा भी कोनी नावड़ै।
गई भू गयो काम, आयी भू आयो काम।
गई ही छाय ल्यावण नै, दुहारी भी दे आई।
गटमण गटमण माला फेरै, ऐ ही काम सिंधा का।
दीखत का बाबाजी दीखै, नीचै खोज गधां का।
गढ़ बैरी अर केहरी, सगो जंवाई धी, इतणातो अलग भला, जब सुख पावै जी।
गढां कै गढ ही जाया।
गड़गड़ हंसै कुम्हार की, माली का चर रया बुंट, तू मत हंसै कुम्हार की, किस कड़ बैठे ऊँट।
गणगोर्यां नै ही घोड़ी न दौड़े तो कद दोडै ?
गणगोर रूसै तो आपको सुहाग राखै।
गधा नै घी कुण दे ?
गधा ने घी दियो तो कै आंख फोड़ै है।
गधा नै नुहायां घोड़ो थोड़ो ई हो ज्याय।
गधेड़ो ई मुलक जीत ले तो घोड़ नै कुण पूछै ?
गधेड़ी चावल ल्यावै तो बा थोड़ी ही खाय।
गधेड़ै कै जेओठ में धूदी चढ़ै।
गधेड़ै को मांस तो खार घाल्यां ही सीजै।
गधेड़ो कुरड़ी पर रंजै।
गधै में ज्ञान नहीं, मूसल कै म्यान नहीं।
गधो घोड़ो एक भाव।
गधो मिसरी को कै करै?
गम बड़ी चीज है।
गया कनागत आई देवी बामण जीमै खीर जलेबी।
गया कनागत टूटी आस, बामण रोवै चूल्है पास।
गरजवान की अक्कल जाय, वरदवान की सिक्कल जाय।
गरजै जिसोक बरसै कोनी !
गरीब की लुगाई, जगत की भोजाई।
गरीब की हाय बुरी।
गरीब को बेली राम।
गरीबदास की तो हवा-हवा है।
गुरु की चोट, विद्या की पोट।
गले अमल गुल री हुवै गारी, रवि सिस रे दोली कुंडारी। सुरपत धनक करै विध सारी (तो) एरापत मघवा असवारी।
गहण लाग्यो कोन्या मंगता पैलाई फिरगा।
गहणो चांदी को रङ नखरो बांदी को।
गांठ को जाय रङ लोक हंसाई होय।
गांधी बेटा टोटा खाय, डेढ़ा दूणा कठे न जाय।
गांव करै सो गैली करै।
गांव की नैपे खेड़ा ही कहदी है।
गांव को ठाकर केरड़ी मार दी, पण म्हे क्यूं कहां?
गांव गयो, सूत्यो जागै।
गांव गांव खेजड़ी अर गांव गांव गूगो।
गांव बलै डूम त्युंवारी मांगै।
गांव बसायो बाणियो, पार पड़ै जद जाणियो।
गांव में घर ना, रोडी में खेत ना।
गांव में पड्यो भजांड़ो, के करैगो सामी तारो।
गांव हुवै जठे ढेढवाड़ो ही हुवै।
गाछ गैल बेल बधै।
गाजर की पूंगी बाजी तो बाजी नहीं तोड़ खाई।
गाजै जिको बरसै कोनी।
गाडा को फाचरो रङलुगाई को चाचरो, कुट्योडो ही चोखो।
गाडा टलै हाडा नही टलै।
गाडा नै देख कर पाडा का पग सूजगा।
गाडा में छाजला को के भार ?
गाडिये लुहार को कुण सो गांव ?
गाडी उलट्यां पछै विनायक मनायां के होय ?
गाडी को पहिरो रङआदमी की जीभ तो चालती ही चोखी।
गाडी सै रङ लाडी सै बच कर रैणूं।
गाडै लीक सौ गाडी लीक।
गादड़ मारी पालखी, में धडूक्यां हालसी।
गादड़ै की तावलां, सै बेर थोड़ाई पाकै।
गादड़ै की मार्योडी सिकार नार थोड़ा ई खाय।
गादड़ै की मोत आवै तो गांव कानी भाजै।
गादड़ै कै मूंडै न्याय।
गाय अर कन्या ने जिन्नै हांकदे, उन्नै ही चाल पड़ै।
गाय की भैंस के लागी?
गाय का बाछी नींद आवै आछी।
गाय ल्याये न्याणै की, भू ल्याये घरियाणै की।
गायां भायां बामणां, भाग्यां ही भला।
गायां में कुण गयो, गोदो, कह मारदे बिलोवणो मोदो।
गारड बिना झैर कोनी उतरै।
गारै में पग, गिदरां पर बैठबा दे।
गाल्यां सै गूमड़ा कोनी होय।
गावणू अर रोवणू सैने आवै है।
गीवूं ल्यावै तो गधी रङ खाय अमीर।
गीत में गाण जोगो ना, रोज में रोवण जोगो ना।
गूजर उठे ही गुजरात।
गुड़ की डली दे दे नहीं बाणिये की बेटी बण ज्याऊंगी।
गुड़ कोनी गुलगुला करती, ल्याती तेल उधारो, परींडा में पाणी कोनी, बलीतो कोनी न्यारो। कड़ायो तो मांग कर ल्याती पण आटा को दुख न्यारो।
गुड़ खाय गुडियानी को पछ करै।
गुड़ गीलो हो तो मांखी कदेस की चाट ज्याती।
गुड़ै गुवाड़ै, फोज पापड़ै आवै।
गुड़ा घालै जितणो ही मीठो।
गुड़ डलियां, घी आंगलियां।
गुड़ तो अंधरै में बी मीठो।
गुड़ देतां मरै, बीनै झैर क्यूं देणूं ?
गुड़ बिना किसी चोथ ?
गुण गैल पूजा।
गुर-गुर विद्या, सिर-सिर बुद्धि।
गुरू चेलो लालची, दोनूं खेलै दाव। दोनूं कदेक डूबसी, बैठ पत्थर की नाव।
गुरु सै चेलो आगला।
गुलगुला भावै पण तेल कठेसूं आवै।
गुवाड़ को जायो की नै बाबो कै।
गूंगा तेरी सैन में समझौ कुल में दोय। के गूंगा की मावड़ी के गूंगा की जोय।
गूंगी रङगीता गावै।
गूगो बड़ो क राम, कै बड़ो तो है सो है ही पण सांपा से कुण बैर करै।
गूजर किसकी पालती, किसका मित्र कलाल ?
गूजर सै ऊजड़ भली।
गेरदी लोई तो के करैगो कोई ?
गैब को धन ऐब में जाय।
गैलो रांड का गैला पूत।
गैली सारां पैली।
गैलो भलो न कोस को, बेटी भली न एक। मांगत भली न बाप की, साहेब राखै टेक।
गोकुल सै मथरा न्यारी।
गोद को छोरो, राखणूं दोरो।
गोदी कां नै गेर कर पेट कां की आस करै।
गोबर को घड़ो, काठ की तरवार।
गोबर में तो घींघला ही पड़ै।
गोरी में गुण होगो तो ढोलो आपै ही आ मिलैगौ।
गोला किसका गुण करै, ओगणगारा आप, माता जिण की खाबली, सोला जिण का बाप।
गोलै के सिर ठोलो।
गौले को गुर जूत।
गोलो र मूंज पराये बल आंवसै।
गोह चाली गूगै नै, सांडो बोल्यो-मेरी भी जात है।
ग्यारस को कडदो बारस नै
ग्रहण को दान, गंगा को असमान।
ग्रह बिन घात नहीं, भेद बिन चोरी नहीं।

घटतोला मिठ बोला।
घड़ी को ठिकाणूं कोनी अर नाम अमरचन्द।
घड़ै कुम्हार, भरै संसार।
घड़ै गैल ठीकरी, मा गैल डीकरी।
घड़ै सुनार, पैरे नार।
घड़ै ही गडुओ, होगी भेर।
घड़ो फूट कर गिरगण ही हाथ आवै।
घणा जायां घण ओलमा, घणा जायं घण हाण।
घण जायां घण नास।
घण जीते, सूरमों हारै।
घण बूंठा कण हाण।
घण मीठा के कीड़ा पड़ै।
घणा हेत टूटण का, बड़ा नैण फूटण का।
घणी तीन-पांच आछी कोन्या।
घणी दाई घणा पेट फाड़ै।
घणी सराही खीचड़ी दांतां कै चिपै।
घणी सूधी छिपकली चुग-चुग जिनावर खाय।
घणूं खाय ज्यूं घणूं मरै।
घणूं बल भर्यां घूंडी पड़ै।
घणूं सियाणो कागलो दे गोबर में चांच।
घर आयो पावणो रोवतड़ी हँस।
घरकां नै मारणूं, चोरां नै धारणूं।
घर का टाबर काणा भी सोवणा।
घर का टाबर खीर खा, देवता भलो मानै।
घर का पूत कुंवारा डोलै, पाडोसी का नो नो फेरा।
घर की आदी ई भली।
घर की खांड किरकिरी लागै, गुड़ चोरी को मीठो।
घर की खाय, सदा सुख पाय।
घर की डाणक घर का नै ही खाय।
घर की छीज लोक की हांसी।
घर को जोगी जोगणूं आन गांव को सिद्ध।
घर को देव रङघर का पूजारा।
घर गयां की छांग उसी का केरड़ा, बेटां री बोताज क नैड़ा खेतड़ा।
चालीजैसो तिकूं रा बोलणा, एता दे करतार फेर न बोलण।
घर गैल पावणूं या पावणा गैल घर।
घर घर मांटी का चूला।
घर जाए का दिन गिणूँ क दांत।
घर को घोस्यां का बी बलसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।
घर तो नागर बेल पड़ी, पाड़ोसण को खोसै फूस।
घर नै खोवै सालो।
घर बलती कोनी दीखै, डूंगर बलती दीखै।
घर-बार थारा, पण ताला कूंची म्हारा।
घर ब्याह, भू पीपलां।
घर में अंधेरो तिलां की सी रास।
घर में आई जोय, टेडी पगड़ी सीधी होय।
घर में कसालो, ओढ़ै दुसालो।
घर में कोन्या तेल न ताई, रांड मरै गुलगुलां तांई।
घर में नाही अखत को बीज, रांड पूजै आखा तीज।
घर में सालो, दीवाल में आलो, आज नहीं तो काल दिवालो।
घर मोटो टोटो घणूं, मोटो पिव को नांव ऐं कारण धण दुबली, म्हारो रसता ऊपर गांव।
घर रोक्यो सालां, भींत रोकी आलां।
घर वासे ही रांड अर गोद की बेटी गिरलाई न्ह्याल करै।
घर सै उठ बनै में गया रङ वन में लागी लाय।
घर सै बेटी नीसरी, भांवै जम ल्यो भांवै जंवाई ल्यो।
घरै घाणी, तेली लूखो क्यूं खावै ?
घाघरी को साख नजीक को हो ज्याय।
घिरत ढुल्यो मूंगा कै मांय।
घी खाणूं तो पगड़ी राख कर खाणूं।
घी घाल्योड़ो तो अंधेरा में बी छान्यूं कोन्या रैवै।
घी जाट को, तेल हाट को।
घी सक्कर, अरू दूध क ऊपर पप्पड़ा, सात भयां कै बीच सवाया कप्पड़ा।
घर में घीणा होय क हुडी चोलणा, एता दे करतार फेर नह बोलणा।
घी सुधारै खीचड़ी नाम बहू को हयो।
घुरी में गादड़ो ई सेर।
घूंस चालती तो बाणियो धरमराज नै भी घूंस दे देतो।
घूमटा सैं सती नहीं, मुंडाया सै जती नहीं।
घूमरहाली कै बिछिया चाये।
घोड़तां कै ब्या में गादड़ा ही गीत गावै।
घोड़ा तो ठाण बिकै।
घोड़ै के अवसार को अर बूडली माई को साथ ?
घोड़ै कै नाल जड़तां गधेड़ो ही पग उठावै।
घोड़ै को लात सूं घोड़ो थोडी ही मरै।
घोड़ो घास सैं यारी करै तो खाय के ?
घोड़ो चाये निकासी नै, बावड़तो सो आए।
घोड़ो दौड़े दौडे, कुण जाणै।
घोड़ो मर्द मकोड़ो, पकड्यां छोड़ै थाडो।
आगे री कहावतां- क-घ च-ञ ट-ण त-न प-म य-व श-ज्ञ

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