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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजस्थानी लोक गाथा

नाग कन्या

एक राजा री रांणी रो दो बेटा। रांणी गोखढ़ा में बैठी रै। गोखड़ा कने एक खूणां में चिड़कली रो घूंआलो। रांणी देखाती रैती. दोई जणां रल मिल दांणो चुगन लावता। लारे लारे उडतां, धूंआलो बणावा रो मसालो भेलो करता।
चिड़ै चिड़ी मिल एक तुरकलियो भेजो कर धूंआलो घालियो, खर बणायो। चिड़ी अंडादेवा घूंआला में बैठी, चिडो बारै बैठ पैरादीर करतो। चिड़ी अंडा सेवा बैठी, चिड़ो दांणो लाय चिड़ी ने झेलाय जावे। चिड़ी छाती रे अंडा चिपकायां बैठी रैवती। नाग मणि ने एक पल नेरी नीं मिल ज्यूं वा उण रा अंडा ने नेरा नीं छोड़ती। अंडा मांयनू दो बच्चिया निकलिया। चिड़ो चिड़ी वां खातर पल पल मूंघी कता। दोईजणां दांणोचुगो लाय उणां री चांता में चुगो देयचुगावता। बच्चिया थोड़ाक ई चूं चूं करता तो मां बाप उडिया आवता। चिड़ी झट पांखां नीचै ढांक छाती रे लगाय लेवती। कोई जिनवार ने के मिनख ने घूंआला करे आवतो देखती तो तो चिड़ी चिड़ी "चां चां" कर न झपट न पाखा रा झपाटा मारता, चांचां री ठोकता। वे तोउणां री जांण में आप में जतरो जोर हो पूरोत बरत लेता। एक दिन कजांणा काँी व्हियो जो चिड़कली मरगी। थोड़ी देर तो चिड़ै चां चां कर घणां ई विलाप कीधा। बच्यिां कनें बैठियोदांणो लायो। दो चार दिन ई दौरा निकलया व्हेला, चिड़ो एक नवी चिड़ी ने लेय आयो। चिड़ी आवतां ई आपरो घर घूआलं देखियो. मांय ने बच्चियां ने देखिया तो चांचां मारवा लागी। बापड़ा बच्चियां चूं चूं करता बाप साम्हा नाले। थोड़ी देर बाप ई देखतो रिये पछै नवी चिड़ी रे लारै व्हे एक दो चां चां री मार बच्चियां ने घर बारे काढ दीधा। बच्चियां रो कांी जोर चालतो। पूरा पांख ई नीं निकलिया, फुदक फुदक चालता चूं चूं करता रुलवा लागिया।
रांणी बैठी देख री। उण ने लागियो जांणे चिड़ी रा बच्चा चूं चूं नी ं कर रिया उण रा आपरा टाबर विलख रिया है। रांणी बां बच्चिया ने उठाय ऊंचा राखिया।
रांणी आज रो यो चिड़ा चिड़ी रो तमासो देखियो तो वा ऊंडा विचार में पड़गी। चार दि पैलां जो चिड़ो यां बच्चियां ने अछन अछन करतो वीं आद दूजी चिड़ी रे आवतां ई चांचां री मार मार बच्चियां ने घूंआला बारे काढ दीधा। बच्चिया बिलखरिया जीं में उण ने दया तक नीं आई। कांई भरोसो मड़द जात रो। आज म्हूं ई मर जावूं तो काले म्हारा टाबरां री या कुगत व्हे। राजा काले परण दूजी लावे। ये टाबर कण कण रा व्हे जावे। रांणी रे आंखिया सूं आंसू टप टप पड़वा लागिया। टाबरां ने छाती रे लगाय डसूका भर भर रोवा लागी। रांणी री आंखियां ताबां जेड़ी राती पड़गी।
रांणी ने यूं रोवती देखी तो राजा हैरानगत व्हे गियो।
"रांणी व्हियो कांई।"
रांणी तो रोवे ई रोवे। "म्हारे टाबरां में ईकाले म्हूं मर जावूं तो थां वा री वा बितावो जो चिड़े उण रा बच्चियां में कीधी।"
राजा बोलियो "रांणी, बावली व्ही है के गैली व्ही है। एड़ी वातां करे। ये टाबर मह्‌ारा जीव सूं बत्ता व्हाला है। चिड़ा चिड़ा जिनावर है। आंपां मिनख हां।"
"नीं राजा मानूं नीं। माँ मरी न बाप परायो।"
"नीं ज मरे थूं। एड़ी खोड़ीलो वातई मन में क्यूं लावे।"
"म्हनें भरो,ो दिरावो। म्हूं मर जावूं तो म्हारा टाबरां ने दौरा मत राखजो।"
राजा हंसतो हंसतो वचन दीधो, "गैली है थू रांणी। थारा टाबरां ने थूं राखै जिण सूं चौगणा सौरा राखूं।"

वासा, वात आई न गी। वैणा री वात ही। म्हीनां छ म्हीनां नीं व्हिया, राणी तो थोड़ीक साजी मांदी व्हेय मरगी।
राजा टाबर ने छाती रे लागन घमओ रुदन कीधो। टाबरां रा जतन राखे। छः म्हीनां ई नीं व्हिया, न राजा रे तो बियाव रा बड़ाला आवा लागिया। राजा नटै पणहाली नवाली, कामेती, ठिक़ड्या पासवान रातदिन अरज करे, अन्दाता डोढ़ी रे जड़ी पड़ी है। रावला चकार बिलखतां फिरेस सूना म्हेला पड़िया। रांणीसा व्हे तोयां म्हेलां री गियोड़ी रौनक तो पाछी आवे। व्हेणी जो व्ही, घणी आच्छी धणियाणी ही, म्हांरा भागखोटा है जो भगवान उमर थोड़ी घाली। बियाव करावो तो कंवरजी मां रो सुख देखे। यां री देख भाल करैं।
ना ना करताराजा ने वांरी परधै परणावाने राजी कर लीधा। बियाव कर लाडीजी ले आया। राजा तो नवा लाड़ीजी ने में बिलम गिया। टाबरां रो ईअबै पैला जतरो धियान नां राखै। लाड़ीजी कैवै जो मान जावे। नवी राणी ात दिन राजा रा कांन भरतीं कंवरा री सिकायतां, अचपलाई री बातां सुणतो सुणतो राजा थाक गियो। नवी राणी ने बेटो व्हे गियो। उण री घड़ी पुल मूंघी व्हेवा लागी। दोई कंवरजी ने कुण पूछे। ठोटी राणी सोक रा दोई बेटाकांटा ज्यूं चुभै, लुण ज्यूं खारा लागै। यांरो पाप कटै तो म्हारो बेटो राज रो हकदार व्हे। दोई कंवरचांद रै कला री नांई बधरिया।
एकदिन दोई कंवर आप रा संडालिया सागे दड़ी रमरिया। दड़ी रे लागियो जोर रो टोरो जो दड़ी उजल रांणी रै खोला में जाय पड़ी रांणी दड़ी लेय लीधी। रमतां री रमत रुकगी। संडाली कै, "कंवर सा आप। जाय दड़ी ले आवो तो आंपां रमां।"
कंवरीज राणी री दासी ने हेलो मारियो म्हांरी दड़ी फैंक।
राणी दासी ने कहियो "कैदे दड़ी, रमवा री व्हे तो आय न ले जावो।" बड़ा भाई छोटा न कै थूं ला, छोटा बड़ा ने कैवे आप लावो. यूं करता दोई भाई देडी लेवाने गिया। रांणी वा दड़ी तो राख दीधी दूजी दड़ीदेय दीधी। वे दड़ी ले रमवा लागय गिया।
राजा आया तो रांणी केस खोल राखिया, विकराल रूप कर राखियो, दड़ी रे लागवा रा एनांणडील माथे माडं दीधा। रांणी रोय रोय कैवा लागी "ये थांरा सपूतां रा करम। दड़ी री ठोक म्हने मारी। दड़ी लेवा रे मिस आय म्हारे लारे खैचां तांणी कीधी। भरोसो नीं व्हे तोया उणां री दड़ी।"
राजा माने नीं माने, मानणो पड़ियो। रांणी तो अटवाटी खटवाटी लेय लीधी, दोई बेटा ने देसूंटो दो तो पांणी पीवूं। सूरज री ऊगाली दो काला घोड़ा सरोपवा कंवरजी कनें पूग गिया। दोई कंवरजी सरोपाव माथे झेल रवाना व्हे गिया।
उणां रे चार संडाली, एक मीणो,ेक बिरामण, एक खाती, एक लुहार। ये चारू ई जमां बोलिया, "जठे आप वठे म्हां। म्हां ई सागै चाला।"
"चालो।" छ ई जणां वहीर व्हे गिया। गैला में आवतां उणां देखियो एक चोर ने बांध ने जाय लिया। पैरायती कैय रिया "बारा बरसां पैला इण चोरी चोरी करी पण खोजी बारा बरसां पछै खोज काढ इण ने पकड़ायो। एडो जबरो खोजी जिण री मिसाल ई नीं।"
कंवर जी खोजी सूं मिलिया "भाी म्हांरो ेक संडाली मीणो है जो खोजी रो बेटो है, थांरा कनासूं इलम लेवमो चावै, सीखाय दो कांई?"

वीं खोजी मीणे उण रा संडाली मीणा ने राजी राजी सीखावा ने लाख लींधो "तीन बरसां में इण ने परवीण कर दूंला।"
मीणो बोलियो "थां जावो। म्हूं हेरतो थको जठै व्होगा म्हूं आय जावूंला।"
मींणा छोडा पांचूं जणां आगै चालिया। आगै उजाड़ मंे कांी देखे के एक हरिण मरियो पड़ियो। हरिणी ाकल वाकल व्हे री। आवे घड़ी घड़ी रो मूंडो सूंघे। गाबड़ सूं गाबड़ रगड़े, तड़ाछां खाय खाय पड़री, आंखियां सूं आंसूवां रा रैला चाल रिया। एक तपसी बिराम हिरणी री या गत देखी तो यदा आयगी। उण मंतर पढ़ हिरण ने सरजीवण कर दी।ो या देख दोई कंवर जी बिरामण रे पगै पड़िा "म्हाराज म्हां विद्या सीखवा परदेस जाय रिया हां। आप क्रिया कर या सरजीवण विद्यासंडाली बिरामण ने सीखाय दो।"
"कर दो म्हारे लारे। तीन बरसां में पारगंत कर दूंला।"
बिरामण ने लारै कर चालूं जणा आगै चालिया।
आगे गिय आगे गिया। एक नगरी में पूगिया। वठै ईदेखवा लोखवा लागिया दे कांई इलम व्हे तो सीखा. हेरतां हेरतां ठा पड़ी के अठे एक खाती है जो उड़म खटोला बणावे। संडाली खाती ने ले वठै गिया। खात ीहूंकार भर लीधो "अठै छोड जावो तीन वरसां में उड़ण खटोला बणावणो सीखाय दूंला।"
अबै लुवार बोलियो, "तीनूं संडाली तो आप आपरो इलम सीखवा जम गिया। म्हूं ठाला ज्यू ंक्यूं फिरूं. म्हारे जोक इलम म्हूं ई सीखूं।"
फिरतां फिरतां एक लुवार कारगीर मिलयो वो ताला एड़ा बणावे के पड़कूंची तो नीं लागे जो नीं लागे पणदूजी कूंची किम सूं ई एड़ी कोनी बणे जिण सूं तालो खुलै। वो लुवार ईज खोले तो खुले। लुवार वठे ताला बणाणा सीखवा ने रुक गियो। कंवर जी एक एड़ो तालो मोल लीधो, आगे चालिया। अबै दोई भाई रै गिया. बारा न बारा चौइणस कोस री उजाड़ में जाय पड़ियो। रात पड़ी काली अंधारी रात। बड़ा कंवरजी, छोटा भाई ने कहियो "सोय जा थूं थाक गियो। म्हूं नीगै राझूं जीव जिनावर री।"
छोटा कंवर तोे पड़ता ई सोय गियो। मंझ्यान आधी रात की। रुंख री डाल पै चकवो चकवी बैठिया वात करै।
चकवी बोली "कै रै चकवा वात जो कटे रात।"
चकवो बोलियो, "घर बीती कैवूं के पर बीती।"
चकवी कहियो "पर बीती तो सदा ई कै आज तो घर बीती कै।"
चकवो बोलियो, "कै अबारूं इण घड़ी पल में कोई म्हने मार म्हारो मांस खाय ले तो रोज दिन री उगाली लाखीणी लाल उगलवा लाग जावें।"
सुणतां ई बड़ा कंवर जी तीर सांधियो। चकवो लटाक धरती पै आय पड़ियो, चकवी उड़गी। उणीज वेला चमका रो मांस जीम लीधो। मांस खावतां ई उण ने तो गैल आयगी। जो सूय गियो। व्हेवा रो जोग हो। रात ने एक कालिदर आयो जो छोटा कंवर ने डस गियो। दिनूंगे बड़ो कंवर उठे तो छोटो भाी लीलोछम्म पड़ियो। नाग रो डंक लाग रिय। रोयो कलपियो पण कांई व्हे। काठ खापंण लेवा नंगरी आड़ी चालियो। नंगरी रे बारै तो मिनखां रो ठठ्ठ लाग गियो। पूछियो तो ठा पड़ी के इण नंगरी रो राजा मर गियो. एका एक कंवरी ने छोड़। अबै राज रो धमी कुण बे जो आज राज रा धी रो चुणाव व्हेय रियो है। हथणी री सूंड में माला देय छोड़ देवेला, जिण मिनख रा गला में हथमी माला नांख दे उण रो कंवरी रे लारै बियाव कर राजा रो धणी थिरप देला।

बड़ा कुंवर देखियो आंपणै कांीलेणो देणो,ं आंपां तो झट खांपण लैय भाी री दाह क्रिया करां। वो गैलो टाल आगतो आगतो कांम कानी जावा लागियो. हथमी ऊंधे गैलै पड़ कंवरी रे गलां में आय माला नांखी। कामदार मसूदी कैणलागिया हथणी चूकगी, गैलै चालता मानवी रा गला में नांखी जो दूणीदांणपाछी फैरो। हाथणी माला लैय, सैंना ने टालती कंवरजी नेगदला में आय माला नांखी। आधा मिनख तो कै विंधिया जोम ोती। माला जिम रा गला में पड़गी वो राजा रो धणी. पण निर जणां जो धणी बणवा ने मूंडो धोय राखिया वे कै हथमी चूक रपी है। एकर फेरो फरेो।
एक मतै व्है सैंग जणां बोलिया "चांवल पैल फेरे भींजे, दूजे फेरे सींझे, तीजे फेरे लोग पतीजे अबकाले जिण रा गला में माला पड़ जाय वो ई बाई रो बींद।"
कंवर तो माी रा विजोग में दुखी व्हियोड़ो। एक रूंख माथै चढ़ न बैठ गियो, यो रोलो रप्रो रुके तो आपरोकाम करुं। हथणी ने माला देय छोड़ी। हथणी तो हरेती हेरती, रूंख री डाल माथै बैठिया कंवर जी रा गला में आया माला नांखी। सैंग मान गिया। बाईजी रा करम में यो ई वर लिखियो तो आंपां कांंई करां। कंवरजी ने उतार नीचे म्हेलां लै गिया, नुवाय धोवाय, पाट बैठाय राज तिलक कर दीधो।
कंवर जी पाट बैठिया जठा पैलां आदमियां ने भेजिया थां फलांणी, जायगा जाय पैलां एक मांणस मरियो पड़ियो उण रोदाग करो, पठै बाट बैठूं।
मिनखा पाछो आय जबाब दीधो, "वठै तो कोई मांणस ई कोनी किण रो दाग करां।"
कंवरी जांणियो झूठा बोले गिया ई नीं। वे जावा लागिया तो लोग जावा नी दे। तिलक कराय कंवरजी गिया तो वठै कांई नीं। भाी री लासा आड़ा कांटा लगाय न आया जो बिखरिया पड़िया। कांई करै करम ठको न बैठ गिया। घणां न्याव धरम सूं राज पटा करे। राज री आमद रो पैईसो आवे जो रैय्यत री भलाई सारूं लगाय दे। कंवरी सूं बियाव कर लीधो. पण एक फूटी फाड़ राज री आवै जो आंपणा डील पै के आंपणी लुगाई का डील पै नीं लगावे।
दिन री उगाली खैखारता ई ऊगाली मे लाल पड़ै उण सूं आंपणो खाणो पीणो करे। बचै जो गरीब गरुबा ने दान में दे दे। पिरजा राजी। न्हार बकरी एक घाट पांणी पीवै।
अठी ने छोटोड़ा कंवर री कांी व्ही के। अलंगा री खड़ी कजाणा कठी नूं आंधी वरखा ाी। मोटा मोटा गड़ा री रीठ लागगी। कंवरजी तो तो सैग जहर धूप गियो. आंख खुली। ढीरां बारे निकलिया, भाई ने हेर भाई कठै। सोची दुख एकलो कोनी आवे, व्हेणीजो व्ही। कुण जांणे भाई रे लारे कांई बीती। ऊठा व्हे जठी ने पगडंडी दीखी चाल पड़िया। चालतां चालतां एक बावड़ी दीखी। फूटरा पगोथिया बंधियोड़ा, उत्तर पांणी पीधो इमरत री जात पांणी। मोटो बड़ला रो रूंख गैरी छाया। सूय गिया जो आंख मिलगी। लातरियोड़ा हा, आंख खुली तो देख संझया पड़ री। रमझम रमझम रमझोल रा घूघरा सुणिया कंवरीज बावड़ी री पाल रे ओले लुक गिया। कांई देखे बावड़ी मांयनूं एक कन्या निकली, जाणे चांद पूवासियो, तपियोडा सोना री नांई डील चमक रियो। चाले तो कंकु रा पगलिया मंड़ै। हंसे तो फेफ रा फूल झड़ै। चतराम रा वेज्यूं उण ने देखता रै गिया। वा तो थोड़ी देर रम खेल पाछी बावड़ी में उतर गी।
कंवरजी सूं तो वा जायगा ई नीं छोड़णी आवे। रात पड़
वा लागी। अबै चेतो आयो कंवरजी ने। बंडला री डाल माथै चढ़ न बैठ गिया। घड़ी एक रात गीन। बावड़ी रा पगोथिया पै उजालो पड़ियो जांणै चांद री किरणां पड़ी। कंवरजी रो ऊंचलो सांस ऊंचौ रैगियो, नीचलो सांस नीचै रै गियो। जांणियो जरूर वा कन्या आय री है। देखे कांई एक कालिंदार सांप। माथा पै मणि जिण रो उजास व्हे रियो।
कंवरजी तो छानां मानां, गाढा व्हेय डाल ने पकड़ बैठ गिया। सांप बड़ला नीचै आय मणि ने मेल्ह उण रा उजास में घूसवा लागियो। लौट पोटव्हे रियो, कलोलां कर रियो, पूंछ रो दे आंटो झाडां ने भांग रियो, पवन भख रियो, मिंड़का मिड़की जेड़ा जीवां ने देख, अलगां सूं फूंक मारे जो जैहर सूं लीला पड़ जावे। कंवरजी उण री लीला देखता रहिया, घड़ी घड़ी फिर फिराय नाग पाछो आयो। आपरी मणी ने ले सरड़ाट कतो बावड़ी में उतर गियो।
"दिन ऊगियां गां में जाय ढाल माथे तीखा तीखा भाला घड़ाय लायो। आप बड़ला माथे छिब न बैठ गियो. वां ई वेला आई। नागराज बावड़ी बारे निकलियो। रूंख नीचे मणि ने मेल सरडाटा करतो हवा खावा बारे निकल गियो।"

ऊपर सूं कंवरजी रस्सी में लटकाय ढाल ने अधर देणी मणि पै नांख दीधी। मणि ठंकताई अंधारो व्हेगियो नागराज भागियो थको बड़ला कने आयो। ढाल ने पड़ी देख ढाल में आय फण री मारवा लागियो। तीखा भाला जो नाग री ठोढी ठालणी ठेक व्हेयगी। नाग तो मर गियो। कंवरजी ढाल नीचूं मणि काढ़ वावड़ी में मूंडो धोवा उतरिया। उणां रा कनें तो मणि ज्यूं पगोथिया पांणी उणां रा पग अड़ै ज्यूं पांण ीगैलो देतो जावे। वे तो पींयाल में जाय पूगिया। नीचे सात खंडिया, म्हेल बणियोड़ा, सोना रा थांभा, रूपा री छात, हंस मोती चुग रिया। वां म्हेलां खड़ाखड़ चढ़ गिया। आगे हींगलाट पे नाग कन्या सूती। वा ई ज कन्या जिण ने कंवरजी बावड़ी बारै निकलती देखी. वो तो जांणी नीहाल व्हेगियो। झट जाय जिण ने कंवरजी बावड़ी बारै निकलती देखी। वो तो जांणी नीहाल व्हे गियो। झट जाय हिंगलाट पे उण रे जोड़े बैठ गियो। पैलां तो नाग कन्या डरपी। पछै वातां करवा लागिया। कंवरजी तो उणा ने वातांी वातं में मोय लीधी।
कंवरजी नै कैवा लागी "कजाणां कांई व्हियो आज म्हारो बाप ओजूं तांी नीं आयो। आवेला तो म्हूं कै देवूंला के थारे लारे म्हनें परणाय दो। कांी करुं अठी ने तो कोई आवे ई नीं। कोई भलियो भटकियो आयगियो व्हेला तो म्हारा बाप री फूंफकार सूं ई मर जावे। अबै थां लुकजावो कठै ई म्हारो बाप आय गियो न फूंफकारो कीधो तो भसम व्हे जावोला।"
कंवरजी खुलिया मांयनूं नाग मणि काढ न बताई "सोच मत कर म्हनें मारवा वालो कोई नी। आंपां तो अठे बियाव कर आणंद सूं रैवाला।"
सूरज ने साखी कर गठजोड़ो बांध बियाव कर लीधो. घणां आंणद सूं रैवे।
एक दिन नाग कन्या बारै सैल करवा ने गी। उण रो निकलणो व्हियो अर ेक राजा रा बेटा रो वठी नूं निकलणो व्हियो, वो सिकार रमवा ने आयो हो। उण ने देखता ई नाग कन्या तो डरप ने भागी. भागती री एक मोजड़ी पग सूं निकल न पड़गी। राजा रे बेटे भागती ने देखलीधी। वा तो पांणी में उतरगी। राजा रा बेटा री निर पगरखी पै पड़ी, वीं मोजड़ी उठाय लीधी। घरे आय हठ पकड़ लीधी, परणूं तो इण मोजड़ी वाली परणूं। अन्न पांणी ने ई निरखतो रै। राजा जांणियो एका ेक है कै तो बावलो व्हे जावेला के मर पूरा देवेला। बेटा ने कहियो, "थूं अन्न पांणी खा, म्हूं इण मोजड़ी ाली ने हेरावूं।"
राजा नंगर में डूंडी पिटाव दीधी, दूतियां व्हो जो अठे हाजर व्हो।
सौ दूतियां आई, सौ मांय नूं पचास चाली, पचास मानूं पच्चीस टाली, पच्चीस मांय नूं पांट टाली, पांच मांय ने एक दूती बोली "राजा, काम व्हे जो हुकम दे। कै वै तो आकास रा तारा हेटे उतरा दूं, कै वे तो नंख पै छमक जीमाऊं, कै वे तो हथेली पै राई बाय बाग उगाय न बताय दूं।"
राजा बोलियो "साबास, इण मोजड़ी ने पैरवा वाली ने व्हे जठा सूं लेन आव।"
दूती बोली "यो कांई मोटो कांम भलायो राजा, एड़ा काम तोतीजी ताली करूं।"
उण दूती ने वा बावड़ी बताई।दूती तो बावड़ी कने लुन न बैठगी। नागकन्या घूमण ने आई तो उणने देखतांई गला रे छेटाय दीधी। मूंडै पै हाथ फेरे ने बचिया दे, लूबां लूबां आंखिया सूं आंसूड़ा टलकै "बेटा, नीठ नीठ थनें आज देखी। घरे सैंग राजी तो है ? बारा बरसां सूं अठी ने निकली जो अठे ठमगी, थीं सूं मिल न जाऊंला। थूं तो म्हने कांई ओलखे बेटा, म्हूं थारी मासी हूँ। चाल झट घरे चालां। दो दिन थारे भेले रैय परी जाऊंला।"

नागकन्या भोली। वा यां तोतां ने कांई जांणे। जांणियो म्हारी मासी है। बोली "मासी, भलां ई आया, चालो।" दूती तो नागकन्या रे लारे पीयाल में उतरगी। कंवरजी पूछियो तो बोली "म्हारी मासी घणां वरसां सूं ाी है म्हासूं मिलवा ने। थोड़ा दिन रेवेला अठै।"
दूती तो पूरी चोथी। एक दिन नागकन्या ने पूछियो, "जमाईजी कनें यो तालो अतरो अंवेर न क्यूं राखे ?"
नागकन्या पूछ न बतायो, ये यूं कै वे के इण ताला रे दूजी कोई पड़कूंची नीं लागे।
"जवांईजी जीमै जद, जीमै तो एकला पण छ बाजां माथै जीमण क्यूं परोसावे ?"
"म्हनें तो ठा नीं।"
"गैली री गैली रैगी भाणजी। ठा राखवो कर।"
नागकन्या पूछियो "एक बाज पै परुसियोड़ो जीमण तो थां जीमो, पर कने पांच बाजा परुसाय न क्यूं राखो।"
कंवरजी बतायो "म्हां छ जणां साथे चालियो। उणां रा नाम रो परुसावुं। वे ई पांचूं जमाँ जठै व्हेला वठै ई म्हारा नाम री पातल परुसावता व्हेला। तीन वरस व्हियां वे हेरता हेरता म्हार कनें आवेला। पछै म्हां सैं ग मिलांला।"
नागकन्या सैंग वात दूती ने कैय दीधी। दूती तो ओसर री ताक में। नागकन्या ने कैवती रे बारे चालां, थोड़ीके वारली हवा ई खाया कर। बारे हव खाण ने गियाजद एक कागद मांड बावड़ी री पाल पै मेल्ह ऊपरे भाटो राख दीधो. राजा रा मिनख तो आबा जावा री घरमर धाी राखता ई ज हा। राजा रा आदमियां ने आवा रो समचो देय दीधो।
दुपैरां में कंवरजी तो सोय रिया, दूती नागकन्या ने बोलाय चपलाय बारै हवा खावा ने राजी कर लीधी। नागकन्या री आंख टोलाय, लुवार रा अठा सूं वो लायोड़ो तालो जड़़ दीधो। कंवरजी ओवरी में रोडज़ीजी आय गिया। ज्यूं ई बावड़ी बारै ये दोई निकली, राजा रा मिनख छिपियोड़ा बैठिया आय दोलूं फिर गिया। नागनकन्या भाजवा लागी तो दूबी बांवट्यो पकड़ लीधो "जावै कठै ? नीठां नीठ तो आज म्हारी चाकरी पाकी।"
"मासी" नागकन्या रोय दीधो।
"कसी तो मासी कसी भाणजी। बैठ जा सूधी रथ में थारा तो भाग खुलिया। राजा रा कंवर थारे लारै बियाव करैला।"
नागकन्या रोवती कूकती रैगी, रथ में घाल ले आया।
कंवर तो उण ने देख बावलो ई व्हे गियो। ब्याव करवा री उतावल मांड दीधी। नागकन्या विकराल रूप कर दीधो, ब्याव जो कर लीधो तो जीवती म्हूं नीं रैवूंला। अन्न पांणी खाणो नीं खाणो तो म्हारे हाथे है। यो सरीर रहियो मन चावे जतरा रोभा इण में घाल लो। मन तमो म्हारे हाथे है।
नागकन्या री घणी ज हठ देख छ म्हीनां री मोहलत दीधी। नागकन्या बोली "म्हनें रोजीना सदाव्रत बांटवा री मोहलत दो। जतरा आदमी इण गैले निकले उणां ने सदाव्रत बांटूला।"
राजा मानगिया। नागकन्या गोखड़ा में बैट जावे। जतरा जणां आवे उणां ने पातलां आपरी आंखिया रे आगे परुसावे।
अटीली आडी नेकंवररा चारूं मित्र आपरी विद्या सीख ने आय भेला व्हीया। अबै वे कवर री खोज करता करता उण गांव में ाय निकलिया नागकन्या रा गोखड़ा हेटे व्हेट निकलिया, पैरा वाल बोलिया "लो थां री पातलां परुसावता जावो। अठे राजा कांनी सूं गैले बगता मानविया रे जीमवां ने पातला परुसी जावे।
बिरामण बोलियो, "भाी, पातलां तो परुसाई लां पण म्हां हां तो चार जणां पातलां परुसावांला छ। यो म्हांरो नेम है।"
या वता सुणतांई नागकन्या वां चारूं मितरां ने आप कनें बुलाया।
बुलावता ई पूछियो, "थां विदया सीख न भेला व्हे गिया ? थां मायने बिरामण कुण है ? खाती कुण है ?"
वे चारूं एक दूजा रो मूंडो देखवा लाग गिया। या कुण है जो आपां री वातां जांणै।
नागकन्या पाछो पूछियो, "थांरा दो मित्तरा ने थां हेरता फिर रिया हो उणां रा नाम बतावो।"
नाम बतावतां ई नागकन्या रोवा लागगी। आप बीती मांड न सुणाई वे बोलिया, "थां कांई सोच मत करो। सैंग काम बणाय लेवांला।"
खाती रे बेटे झट उड़ण खटोलो घड़ आधी रात रा नागकन्या रा म्हेलां री छात पै उतरियो, नागकन्या बैठ न उडगी। बावड़ी कनें जाय उडनखटोलो उतरियो आगे आगे नाककन्या लारे चारूं मितर बावड़ी में उतरिया। लुवार झट तालो खोलियो। आगे कंवरजी मरिया पड़िया। बिरामण तो झट धियान लगाय मंतर पढ़ियो। कंवरजी तो आलस मोड़ता उठ बैठिया, मित्तरां ने देखता ई छारी रे लगाया।
आंपां तो सैंग मिल गिया, अबै दूजा कंवरजी ने हेरां। पांचू मित्तर अर नागकन्या खोजी रे लारे खो काढ़ता काढना जाय पूगिया उणरी नगरी में।
भाई भाई मिलिया मित्तर मित्र मिलिया। घणां ई राजी। देसूंटो तो भोगियो पण सैग जणां घणां ई चोखा रहिया। चारूं मित्तरां आप आप री विद्या सीखी। कंवरजी राजा पाट रा धणी व्हिया, नागमणि हाथ लागी। मरजी री लाडियां परण लीधी। चालो अबै आंपां रे घरे चालां। वारा बरस बीत गिया।

घणो उच्छाव सैंग जणां आप रै घरे आया। राजा राज कीधो, चौवटे न्याव कीधो। सोरा सांतरा रहिया।

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