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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजस्थानी लोक गाथा

खींवो बींजो

मारवाड़ में खींवो अर बींजो दो नामी धाड़वी रै वै। बींजो सोजत में अर खींवो नाडोल में। दोनूुं जणां आपरै हुनर में मा'यर। नांमी चोर, आस पास रै चोखलै में ठा'वा । दूर-दूरा मालवै अर गुजरात में जाय नै धापै। उजीण अर अमदाबाद रा सेठां नै सपनां में खींवों-बीजो दीखै। खीरै-बीजै रै नाम रै साग भागवान सेठाणियां रीं आंख्यां री नींद भाग जावै। खींवो अर बीजो दोई हाथ रा चतर, सूत्यै मिनख रै डील सूं गाबो उतार ले तो इ नींद नीं भागै। चोरी करबा चालै जद वांरा पग इसा फोरा पड़ै जाणै रऊ रै पै'ल मिनकी रो पग पड्‌यो। बारा हाथ ऊंचो डंडो एक मलफ में कूद जावै। पचास कोस पाला जाय, चोरी करनै सूरज घर आस उगावै। दोई जणां आछी-आछी जगां चोरी कीधी पण कठै ही पकड़ में माया नीं। देस-देस री बोली बोल ले, बगत पड़ै जिसा सांग कर ले अर भेख बदल ले। चोरी री कला मैं निपुण जांणै खापरियै चोर रा ओतार।
दोई अस्या नामी धाड़वी पण दूजै सू्‌ं मिलणै रो हाल मोको नींं पड्यो। खीवैं, बींजै री तारीफ सुण राखी, हाथ री, चतराई री बातंा सुण राखी। बींजो भी खींवै रा परवाडां सू वाकफ, हाथरड़ा मारभा री का'ण्यां सुण तारीफ में गाबड हलावेै। दोवां रेै ही मन में मिलबा री पण भाग- संजोग री बात ेक दूजै सूं मिल्या नीं।
बैठां बैठां बींजै रेै मन में आई- "चालो, नाडोल में सेठाणो ही चोखो है। हाल तांई ई गांव मेंें आपां गया ही कोयनी हां । थोडो- घणोंं कोई उपाय ही करांला, खींवो हुयो तो मिलणो ही व्है जावैलो।" या विचार बींजो नाडोल आयो। एक दो दिन गांव में रैय सारा गली- कूचा, पैसार- ओसार सगलो देख्यो।
अमावस री  अंघार रात। बींजो चोरी करवा चाल्यो। कालै पट्टू री गाती मारी। पागड़ी उतार नै परी मेली। माथेै टोपी मैली। जांधियो पैर्‌यौ। कमर में कटार बांधी झिरमर- झिरमर छांटा पड़र् या। बींजलियां झबूकरी। पड़नालां सूं  पाणी टपक रयो। अंधारी रात में हाथ सूं साथ नीं सूझेै। संजोग री बात, बींजो, खींवै रेै घर कनैं आय निकलयो। खींवो ही आछी कमाई करनै थोड़ा दिनां पैलां हीज आयो हो जो घर बैठ्यो मोज करै। बींजै देख्यो घर में सूं अतर री लपट अर मांस री सुगन्ध आयरी है। है कोई दिलदार आदमी। ई रै घरं हींज चोरी करां।
बीजो चोरी कबा वास्तै पछींंत रै कान लगायो। पछींंत कनै आवतां ही तो मायनै खींवै नै खबर पड़गी के  कोई चोर है। वीं इसारो कर बहू नै छानी- मानी रैवा सारु कह्यो। खींवै उठ ने खूंटी परसूं तरवार उतारी। तरवार तो वीं  इसें हलकै हाथ सूं  उठाई  जो कीं नैं ही पतो नीे चालै पण तरवार पै माखी बैठी ही जिकी उडी। माखी रैे उडतां ही बारै बींजो जाणग्यो के घर-धणी जागग्यो। कोई बात नीं। बींजो नचीत हुयो पछींंत खोदै। मजाल कांई के घर में बैटयोडां नै ही खबर पड़ जावै के कोई पछींत खोद रयो है। पण यो तो खींवो। हाथ में तरवार लियां, जम्योड़ो बैठ्यो के ज्यूं ही चोर मांयनै बड़वा नैं माथो धालै ज्यूं ही तलवार पछाटूं। बींजै पछींत खोद माथो मावै जिसो बगारो कीधो।

एक डोकै पै काली हांडी मेल बगारै में घाली जाणै मिनख बड़तो हुवै। खींवै दीवौो बुझाय दीधो सो अंधारो हो रयो। अंधारै में आदमी बड़तै रो माथो दीखायो। खींवो तो तक्योड़ो बैठो ही हो, खांच नै मारी तरवार री। खट्ट! हांडी फूटी। हांडी फूटतां ही बींजै नें हंसी आयगी। खींवै हीं हंस दीधो। एक दूजै री चतराई पै रीझग्या। खींवो बोल्यो-

"साबास, तूं कूण ऐड़ो हुसियार तो एक बींजै नै हीं सुण्यो है।"
"रंग है थनै हीं। ऐड़ो चतर तो एक खींवै ही नैं सुण्यो है।"
"खींवलो तो म्हनै ह़ीज कैवै।"
"बीजिंयो तो म्हनै हीं कैवै।"
हैं? आवो, आवो, भला पधार् या।"
"म्हनै हा थांसूं मिलण रो घणों कोड हो।"
"म्हारै ही घणी मन में ही" हाथ आघो कर खींवै बींजै ने माय ने लीधो।"
दोई जणां बांह पसार मिल्या। घणां राजी हुया, देखो भाग सूं अणचीत्यां आपां मिल्या।
"बींजाजीा, थारैं जिसा चतर थे हीज मिल्या हो।" हांडी साम्ही झांक नै दोई जणां हंस्या।
खींवै बहू नैं हेलो मार् यो-
" देखै कांई है? खातर कर। आज आपणै मंूघा पांवणा पधार् या है। मनमेलू मैमान रो मिवलाप मोटा भाग सूं हुवै।" खींवौ री बहू झट बाजोट बिछायो। दारु री बोतल अर प्याला लाय मेल्या। सूलै रीं कांब लाय मेली, खींवो बींजो बैठ्या मनबारां लेय रया। सूलां खाय रया। खींवै री बहू परुस री। खींवो बीजो बातां करवा लाग्या। आप आप री, नवी-जूनी हाथ री कारीगरी री बातां सुणतां- सुणतां दिन उगग्यो।
खींवै बीजै नै खातर कर दो चार दिन रोक्यो। तीजै पोहर रो बगत, बाजोट लगाय दोय जणां जीम रया, खींवै री बहू बैटी मांख्या उड़ाय री। खींवो- बींजो बातां कर रया। खींवै री बहू बोली-  'थे दोई जणां नामी धाड़ेत हो, नामी- नामी जगां चोरी करी है, धणां हुसियार हो। पण मिनख कोई ऐड़ो काम नीें करै जींसूं दुनिया मेंं बीं रो नाम व्है जावै जठै तांई कां ई नी। कोई इसो काम करो के दुनियां जांणै। नाम रैवे कै गीतड़ां कै भींतड़ां। दुनिया कांई जाणैला के थें दो जणां मिलियां हो।'
" बींंजो बोल्यो- भाभी, वात साची। थेंं कैवो जो ई करां।"
खींवै री बहू बोली- छोटी- मोटी तो दूजा ई करै। थें दो जणां मिल्या हो तो असी जगां करो जो संसागर ्‌चम्भो करै। थांरी वात चालै।"
" बोलो भाभी, ते जो कैवो वा चीज लावां, थै केवो जीं ठोड़ करां।"
खींवै री बहू बोली- चिंतौड़ सूं जय -विजय घोड़ियां लावो। वै देवासू घोड़िया है, वां रै पगां लाग्या ताव- तेजरो टूट जावै। गाढां पै' रा में वा घोड़िया नै राखैं, वां घोड़िया नै लावो तो जाणूं के थें मोटा धाड़वी हो।"
या सुणतां ही बींंजो थाली पर सूं ऊठग्यो। लारै खींंवौ ही उठ्यो। चलूं करी।

"वै घोड़ियां लावां तो अठै आय जीमा, नीं तो मूंडो नीं बतावां ।" या कैय दोई अणां बहीर हुया।

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"भगवान भलो करै। थांकी लिछमी दिन दूणी रात चौगाणी बधै।"
चित्तौड़ में बिजैदास सेठ री हवेली आगे एक बाबो सेठ री जै बोल रयो। बाबो पगां सूं पांगलो, आंगलियां गल री, जगां-पाटा बांध्यो़ा, चींथड़ां-चींथड़ा हो रया। देखतां ही दया आवै! सेठ री पोल आगै पड़यो, आवतां- जावतां रीं खैर मनावै। कोई रोटी रो टुकड़ो दे दे,
सौ सौ आसीस दे, खाय नै पड़यो रैवै।
मंझ आधी रात रो बगत। पाटा बांध्योड़ै बाबै रै कांधैं पै एक जणै हाथ मेलियो। हाथ मैलण रै सागै पांगलो बाबो झम देणी को ऊभो जाणै कधे पोगलो हो ही कोनी ऊभो व्है आवण बालैं मिनख रै कान मैं कह्यो-
"बींजाजीं, पड़कोटै रै मांयने सातवै ओवरै मैं जय-विजय घोड़ी एक-एक खूणै में बंधै। सातूं ताला जड़ कूच्यां सिराणै ले सेठ-सेठाणी किंलाड़ा रै माचो अड़ाय आड़ा सोवै।"
"खींवाजी, त्यार रीजो। काले ई बगत रां आवूं।"
"ठीक।"
दूजै दिन बो ईज बगत हुयो। बींजो आयो। पड़कोटो लांध मांयनै गियो सेठ-सेठाणी सूत्या हा जीं ओवरै री छान पै चढग्यो। एक कानी रा केलू दूरा कर् या। केहलू दूर कर ओवरै में कूदग्यो। सेठ-सेठाणी सोय रया। बींंजै दीवो बूझा दियो। सेठ रै  माचै रा पागा, आप रै चारुं हाथां -पगां सूं उठाय अधर देणी रो माचो दूरो मेंल्यो। सिराणेै सूं कूच्या काढ, औवरै रो तालौ खोल्यो। जय-विजय घोड़ियां मांय नैं ऊभी। झट आय घोडी रै लगाम काठी मेंल, सलाम करी-
"म्हारी आगै ही जय व्हिज्यो।"
घोंड़ीनै ले ं जाय बारै खींवै नं पकड़ाई। बींजो पाछो मांयनै आयो। सातूं ताला जड़तो आयो, कूंच्या सेठजी रै सिराणै मेैली। माचो ऊपाड़ ज्यूं पैलां हो ज्यूं ओवरै रै आडो अड़ा दियो। ओवरै री दान पै चढ केलू दूर कर् या अर बांनै पाछा मेल्या। पड़कोटो कूद बारै खींवै कनैं आय घोड़ी पै चढग्यो।
खींवाजी, म्हारै हिस्से री म्हें ले जावूं, थांरै हिस्सै री थें ले आवजो।
चालता हुवो, म्हैं ही आवूं।
बींजो तो घोड़ी ले आधो हुयो।
दिन ऊग्यो, सेठ तालो खोल घोड़ी नै पाणी पावा नै गयो। देखेै तो एक घोड़ी, दूजी घोड़ी नीं। सेठ नैं आप री आंख्यां पै भरोसो नीं आयों आंख्यां मसल नै देख्यो घोड़ी तो एक री एक।
सातूं ओबरां रा तालां यूं रा यूं जड़िया। माचो देकै तो किंवाड़ां सूं अड़रयो।
ऊपर नजर पड़ी त केलू यूं रा यूं छायोड़ा, एक अठी नैं वठी नैं सरकियोड़ो तक नीं।
सेठ अचंभै मैं पड्यो- घोड़ी गई तो किसे रस्तै! सारै चैखलै में त्राहि-त्राहि माचगी। मिनख भेला हूया। सगला जणां कैवा लाग्या-
"घोड़ी देवासू ही जो अन्तध्यान व्हेगी। सुरंग लागी नीं, छान टूटी नीं, ताला खुल्या नीं। घोड़ी नैं ले जाय तो कोई सकै नीं।"
वा तो अन्तरध्यान व्हीं।
घर-घर में घोड़़ी री चरचा चालै। अबै विजय घोड़ी रा घणां जाबता राखै। कठै ही या ही जय री नाई नीं परी जावै। पांच-सात दिन आडा पड़वा देय, रगसतो-रगसतो फाट् योड़ा चींथड़ां वालो बाबो सेठ रै कनैं आयो। दुपैरी रो बग़त, सेठ एकलो बैठ्यो। बाबो बोल्यो- "सेठजी, घोड़ी  अन्तरध्यान नीं हुई। वीं नैं तो चोर लेग्या।"
सेठ हंस्या-" बाबा, देवलीला कहीं नीं जावै। देवासू घोड़ी ही, आई ज्यूं ई गई। चोर वीं नै कांई ले जातै।"
"नीं सेठजी वीं नैं चोर लेग्या।"
"चोर किण तरै ले जाय सकै! बायरै में उडै तो भले ही।"
"सेठजी, चोर लेग्या, आप कैवो तो में आपनै घोलै दुपारां काढ बतावू्‌ं।"
"बता।"
"आप चालो" तालो लगावो। माचै पेै मूंड़ो ढांक सोय जावो। जे आप नैं खबर पड़ जावै के चोर हैं तो मूंड़ो उधाड़ लीजो।
सेठजी सोची, देखां तो सरी यो कांई करै। तालां जड़ं' कूंच्यां सिराणै मेल, मूंडैे पै चादरो ओढ सोयग्या। अबैं खींवो आयो। केलूं उतार, सिराणै सूं कूंच्या काढ, माचै ने दूरो सिरकाय, घोड़ी काढी। सेठजी नैं खबर नीं पड़ी कै कोई वारां माचां नैं सरकायो है, कूंच्या काढी है। वे तो देखरया के पांगलियो आवै नै जाय नैं पूंछुं।
अतराक में तो आवाज आई" सेठजी राम राम, या घोड़ी चोर नैं लियां जाय रयो हूं।"

सेठजी चादर फैंक उठ्या। देखै तो जाती लगी घोड़ी री पूट रो पलको पड़यो। सेठजी माथै हाथ दैय बैठ गया। खींवो नाडोल जाय बींजै सूं रामरमी करी।

खींवै री बहू राजी हुई। धोड़ीयां नैं बैंची, अमोलक घोड़ीयां ही, खूंब दाम बंट्या। बींजै नैं पांवणाो राख्यो। बाणियां रो लैणौो हो जो चुकायो। अबै रंग-राग करै।
दरुड़ा पीवै मारुड़ा गावै। "सूला रहिया साट पै, कूंपा मद भरियाह।"
सूला तो साट पै सिकबो करै, दुबारै रा कूंपा भरिया पड्या रै। खींवैजी री बीनणी हिगलाट पै बैठी हींडै। ढोली बैठ्या मांढ गावै। जांगड़ा दूहा देवै। खबर ई नीं पड़ै के कठी नैं तो दिन उगेै कठी नें आथमै।
बींजो-खींवौ मनवारां दे, निछरावल करे, रिपियैं री रीझां करै।
आणंद लाग रियाो हो। खींवै री बहू प्यालै में दुबारो परुसती ं बोली।
थां दोई जणां रो जस्यो नाम वस्यो ई काम। जय-विजय घोड़िया लाया,
मोटो काम कर्यो पण थे दोई भड़ मिल र काम करो जस्यो तो बाकी है। खींवो हस्यो "ओर कांई चावो थे? हाल तांई मन नीं भर् यो के?"
" मन भरवारी बात नीं। मैं तो चावूं के थे दोई जणां भेला हुया होतो कोई एड़ो काम करो जो जुग में चा'वों हुवै। मिनख नीं रै पण वांरा कामड़ा, नामड़ा अमर रैवै।"
बींंजो बोल्यो " मन री बात हुवै जो साफ कैयदो भाभी, थे केवो जो करां।"
खींवै री बहू बोली- "पाटण रै मिंदर माथै सोनै रो ईडो है , बो सवा करोड़ र बताईजै। सुणां के रात नैं हीरा-पन्ना जगमग करै, दूर सूं लागै जाणै दीवो बल रियो है। बो लावो तो थांरी तारीफ। एक तो बजार रै बीच में सूं लावणो, दूजी बात वीं मिंदर सिखर पाकी कली रो के कीड़ी चढै तो पग रपटै। एड़ी चीज लाबा में थांरी हुंसियारी अर नाम है। चोरी करै तो असी के घर ही भरै, नाम ही हुवै अर हुंसियारी री ठा पड़ै।"
खींवो बींजो बोल्या- "बो ईडो लावां तो म्हंें असल चोर। नीं तो मूंडै ऊपरली मुंछ मुंड़ाय देवां।" खींवो अर बींजो साहूकार बणिया सामान मोलायो। साथै ऊंट-गाड़िया ली। मुनीम गुमास्ता लिया। पाटण आया। पाटण आय राजा कनैं मुजरै गया। आछी आछी चींजां नजर करी, अरज करी-
"म्हे परदेशी साहूकार हां। आपरै राज में राजा राज परजा चैन, नाहर - बकरी  एक घाट पाणी पीवै। म्है अठै बस वैपार करणो चावां।" राजा कयो- भली बात।
थांरी चीज वसत रो कोई नुकसाण म्हारे राज में हुवै नीं। थे भलां वेपार करो।
साहूकारंा मालूम करी "म्हनैं कोई असी हाठ बतावो जठै एक आदमी बैठ निगराणी कर सकै। म्हैं परदेशी आदमी हो, म्हारै कनै जयादा मिनख नीं। ये हजार रिपिया नजराणै रा नजर है, म्हां नै मांयली हाटां देवावो।"
राजा बांनै मिदर वाली हाटां देवाई। दोई साहूकार आछी तरै वैपार करै।
वां एक गोहरी पाली बीं नैं सिखावणो सरु कर्यो। गलैं में भंवर-डोर बांधी राखेै। पछकड़ै री हाट में गोयरी नैं राखै अर सिखावै।
पोस महीनैे री अमावस आवा देय वां ईंडो उतारबा री तजबीज करी। सिखायोड़ी- भणायोड़ी गोहरी नैं मिंदर माथै फैंकी। गोहरी चढती गई, ईंडै कनैं जाबा देय-गलै री डोर खैंची। गोयरी बठै ही रुकगी पग रोप्या। ज्यूं डोरी री ताणां दे ज्यूं गोहरी काठी चैठे। डोरी-डोरी दोय जणां चढ्या। बारा-बजी, ठैं ठैं ठैं- कर घड़ियाल पै डंका पड़या। लारै री लारै ईंडै रै माथै छीणी ठकरावै। ईजो उतार लियो दूर सूं गस्त रा चौकीदारां री आवाज आई "खबरदार, खबरदार।" यै एक घड़ै रै ठींढा पाड़ड घड़ूल्यो बणायनैं लारै ले गया हां, बीं में झट दीवो संजोय, कपड़ो पलेट, ईडै री जगां लगाय दीयो। चौकीदार निकलग्या, मिंदर रै ईडै रो जगमग-जगमग करतो चानणो रोजीना री ज्यूं ही दिख्यो। बैं तो खबरदार-खबरदार करता आगै निकल गया। यै पेट रेै ईं डो बांध नीचेै ुतर्या गोहरी नैं उतारी।
एक चोर बारा बरसां सूं ई ईंडै नैं चोरबा री फिराक में फिर रयो। बीं ईंडै माथेै छीणी बाजती सुणी। जाणग्यो कोई ईंडै पै पूग गयो है। छिप नैं मिंदर कनै ऊभो रैग्यो।
खींवौ, बींजो ईडो लेय चाल्या, लारै रो लारै चोर होग्यो। दरवाजै पै जाय पैरा वालां नैं कैयो- "भाई दो तीन के बरस रो टाबर गुजर गयो है। बारैं ले जावा दो।"
पैरावालो नट गयो " रात नैं दरवाजो नीं खुलै।" खींवैं दो रिपिया काढ पैरै वालै रै हाथ पै मेल्या। "जाबा दे, रात काढणो दोरो होसी।" पैरे वालै दरवाजै री खिड़की खोल यांनेै बारै कर खिड़की बंद कर दी चोर थेपड़ी बाल पैरे वालैं कनैें आयो- " मुड़दो ले आगै गया, म्हनैं बासदी लैय जाबा दो।" खिडकी खोल दी। चोर बारै निकलयो। मसाणां में जाय चोर तो मुड़दा भेलै सोयग्यो।
खींवौ बोल्यो- " यां मुड़दां में कोई जीवतो तो कठै ई नीं हैं। अठीला थें देखलो बठीला म्हैं देखलूं।"
दोई जणां कटारी ले मुड़दां रै मारता देखै। चोर रै कटारी लागी, निकलती कटारी नै रुमाल सूं पूंछ ली। कठै ही लोही लाग्यो दीख्यो नीं। खींवै कह्यो- "म्हनै ओझको पड़यो, लोही तो लाग्योड़ो दीखै नीं।"

भड़ हीज नाडी ही, खाडो ईडै नैं गाड हाटां में जाय सोयग्या पाछे सूं चोर पूग्यो, खाडो खोद घर ईडो ले आयो।

सुबे भाख फाटी। मिनख अठी नैं बठी नै फिरण लाग्या। घडूल्ये मांयलै दीवै री जोत मन्द पड़ी। जगमग करतो मिंदर रो कलस सूनो दीख्यो। लोगां री नजर पड़ी ईडोनीं। आखै पाटण में हाको होग्यो ईडै री चोरी होगी। कोटवाल रो मूंडो पीलो पड़ग्यो। बजार रा साहूकार भाग्या आया। गांव भेलो हुयो। राजा कहयो- ईडो नीं मिले जितरै में अन्न नीं खावूं। साहूकार बण्योड़ा खींवो-बीजो राजा कनै आया।
" बीती बात रो कांई पछतावो ? यै पांच हजार रिपिया म्हांरी कांनी सूं लिखो। दूजा साहूकारां कनां संू और ही धन लावां। आप दूजो ईंडो बणावो। इतरा साहूकार बसां हां ई नगरी मैें।हो जीसूं सवायो बणावो। आप जीमो।"
राजा राजी होग्यो। दूजो ईडो बणवारी बातां होण लागी।
दूजै दिन बेगा ऊठ नैं खीवो अर बींजो लोटीया हाथ में ले नाडी पै फिरबा नैं गया। देखै तो खाडो पड़यो। खींंवो बीजै रो मूंडो देखै, बीजों खींवै रो।
मुड़दां में छिप्योड़ोे कोई न कोई।
" हे चोर सहर मांयनै हीज । कटारी खाय सहर सूं बारै बो जाय सके नीं।"
"निगै करां, सहर में। जूनां मूंग, फूल दारु के सेवली रो मांस को मोलावतो लाधै।" दोई जणा बाजार री हाटां -हाटां फिरै-कपडां मोलावता, किराणो मोलावता।
सांझ पड़ी एक लुगाई आय जूनां मूंग मांग्या। जूनां मूंग मोलावतां सुण बीजो, खींव सू्‌ं बोल्यो - "जूना मूंग तो आपणै है नीं?"
" आपणै तो है पण बैचां नी। कीं रै ङी घाव घोचो लाग्या काम नीं आवे।"
"धाव भरबा री तो आंपां कनै बा जड़ी है , तुरंत घाव भरै।"
सुणतां ही लुगाई यां कानी झांकी, झट पूछयो--- "कांई कह्यो?"
"म्हारै कनैं एक ज़ड़ी है जीसूं तुरत घाव भरे।" जाणग्या ई रे घरे कोई घाव लाग्योड़ो मिनख है। बीं रै लारै-लारै चाल्या। बा घर में बड़ी जीं रै  लारै वै ही घर में धस्या। आगै चोर पाटो बांध्या माचै पै पड़यो, सिरख सिराणै दे राखी। टसक रयो। खींवै, बींजै बलता राम राम कर् या। चोर रो मूंडो पीलो पड़यो। भरोसो होग्यो चोर ओ इज। बीजो  बोल्यो - थें खोटो कर्यो । या थानैं नहीं चाहीजे। यै काम असल चोर रा नींं। चोर रा जाया ई नहीं थे। ये दोगलापाणां रा काम है। चोर चोरी करै पण आपस में धोखो नींं करै।
खीवै कह्यो " थें ही चोर म्हे ई चोर। थे जाणग्या हा तो म्हा3रै भेला आय जावचता, आपा्‌ं सातै काम करता जतरा मूमडका वतरा ही बंट। कायदै री बात। थेै कायदै बारै गया जो खोटो।"
चोर बोल्यो "होणो  होणो जो तो होग्यो अबैं कांई विचार है।"
बींजै कह्यो- विचार कांई ? कायदै री बात में थे ही चालो, म्हैंं ई चालां तीन पांती करलां। चोर मानग्यो। खींंवै बीजै री मनवार कर रोक्या। आछी तरै सूं जिमाया चूंठाया। बहीर होवण री तिथी थापी। दूजै दिन मिंदर री हाटां वाला3 दोई साहकार राजाजी रै मुजरै गया अर अरज करी-
"धरां सूं समाचार आया, बाई रोसावो थरप्यो है। सीख करां , घरे जावां ।"
राजा सिरोपाव दे साहूकारां  नैं सीख दी, पाछा बेगा आवा रो कह्यो। खींवो, बींजो अर चोर चाल्या। दांतीवाड़ै कनैं आय चोर बोल्यो- ईड़ो अठै बेच म्हनैं म्हारी पांती दो।
खींंवो कह्यो- अठै नीं बेचा, मारवाड़ जाय बेचाला। चोर वठै ही बेचण री जित करबा लाग्यो। ईड़ो मेल पांती करबा नैं कह्यो "म्हारी पांती रो हिस्सो तीजो म्हनैं काट द्यो।"
बींजो बोल्यो " तीन हिस्सा कस्या? किराड़ जतरा विराड़। पांती दो होसी।"

चोर लड़बा लाग्यो। खींवै काढ कटारी बाही जितरै बींजै काठ कटारी चोर नै मार लियो। आप ईड़ो ले घेर आया।

खींवै री बहू मोतियां रा आखा ले बधाया। घरे आय गोठां करी। अमल पाणी गांव नैं करायो। सारो गांव वाह वाह करबा लाग्यो। खींवो बींजै री तारिफ दुनिया करै। पांच सात दिन रैय बींजै घरे जाबा री सीक मांगी। खींवै  कह्यो- "घणां मान पधारो तो भलां पण ेक गलगै रैयगी। ये दोई काम आपां कर्या जी रो जस कीं नैं मिलणो चावै। आपां दोयां में सूं हुंसियार कुण?"
बींजै कह्यो " भाई, ई में बड़ै छोटै रो काई करणो। दोई मिल नै आपां कर् या जो ठीक"
"नीं सा, आपां रै समझ्यां कांई हुवै। दुनिया कैवे जद है क? थए म्हैं अठे नीें आाया होता, म्हारी लुगाई घोड़िया लाब नैं , ईड़ो लाबा नैं नीं कह्यो व्हैतो तो कठै सूं जावता? पहल म्हारै सूं व्ही बड़ाई म्हनै मिलणी चावै।"
बीजैं किण तरह मान जावै? आपस में दोवां रै ही झोड़़ होवण लाग्यो। पंचां कनैं न्याव कराबा नैं गया। पंचां कह्यो "थें दोई बराबर।"
पण खींवो बोल्यो- " या नीं हुवै सा। पंच परमेसर हो, न्याव करो। थां रो न्याव हुवै सो म्हारै माथेै पै।"
पंच बोल्या- " कुड़दांतली रा अंडा चोरनै लावै, कुड़दांतली नै खबर नीं पड़बा दे जो हुसियार।"
खींवो बोल्यो- "बींजा जी जाओ लावो।"
बींजै कह्यो " बड़ाई रो भूखो व्हेवै जो लावै। खींवै झट धोती री लांग चढाई। पीपल माथैे कुड़दांतली रो आलो जीं में अंड़ा। कुड़तांतली सेयरी। कुड़दांतली वोलै जद एक पल सारु अंड़ा पर सूं ऊंची हो टहूकड़ा मार पाछई नीची बैठ जावै।"
खींवो काचर ले पीपल माथै एक कानी सूं चढग्यों। दूजी कानू सूं बीजो ई ऊंट रा मागणा लैे छानै सूं चढ्यो।
कुड़दांतली टहूकड़ो मारै जीं रै सागै ऊंची हुवै। खींवो काचर तो  मेल दे अंडो उठाय ले।
बींजो चतराई सूं नीचे ऊभो। खींंवै री जैब सूं अंड़ो तो काढ ले, मींंगणो मेल दे।
एक, दो ,तीन, चार अंड़ा काढ लिया- मींगणा, राख दिया। एक कानी सूं खींवो उतर्यो, दूजी आड़दी सूं बींजो उतर्यो। न्याय करणिया पंच ऊभा। आवता देख पूछ्यो "अंडा ले आया?"
खींंवो गरब सूं छाती फुलायां बोल्यो- " यै लो।" जैब में हाथ घाल नैं काढ्या तो मींंगणा। बींंजै हंसतै लगां आपरी जैब में सूं अंड़ा काढ पंचा रै आगै मेल्या।

पंचा न्याव कर् यो- " बड़ाई बींजै नैं।" बींजै खींवै रो हाथ पकड़यो " चालो घरां, पांती आधी- आधी परी करां।"

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