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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजस्थानी लोक गाथा

चौबोली

राज विक्रमादित, सकल गुणां री खान, चवदा विद्या निदान। जीव जिनावरां री बोली पण समझै। एक दिन री वात, राज जीमण जीम रियो, राणी परुस जीमाय री, राज री थाली में छौका परुसिया। कीड़ी उण रा नर ने कैय री, "थूं जा, राजा री थाली मांयनूं एक छौको म्हनें लाय दे। खावा री भावड़ आय री।"
नर कीड़ी बोली, "चाल, म्हूं थाली में वल थनेें छौको झेलावूं, थूं लैन भाग जाजे। राजा नैं ठा ई नीं पड़वा दां।"
कीड़िया ने यूं वातां करतां सुण राजा ने हंसाणो आय गियो।
राणी पूछियो "बतावो हंसणो क्यूं आयो?"
"नीं, कांई वात नीं।"
"राणी हठ मत झाल। कांई नीं।"
राणी तो हठ झाल लीधो, "नींं बतावो जतरे दांतण ई नीं करूं।"
राणी घणी समझाई, "थांनै बतायां म्हूं पाखांण रो व्हे जावूंला जो कैवावो मत। पण राणी मानै नीं,"चावे जो व्हो, म्हनें बतावणो ई पड़ेला।"
रंाणी दांतण नीं कीधो। राजा मनावतो - मनावतो हार थाकियो हार थाकियो छेवट में बोलियो, "नीं मानो तो चालो गंगा जीरे किनारे चालो , वठै बतावूं । पखांण रो तो बणणो है ई ज तो पछे गंगाजी रा घाट पै ई ज क्यूं नीं बणूं।"
राणी गंगाजी जावा ने गांठड़ी बांध लीधी। राजा ई सैंगा मिल जुल हालिया। गंगाजी रे किनारे जाय डेरा दिया। राजा उदास थको हाथ मूंडो धोवा ने गियो। आगे एक बाकरो न छाली चर रिय। कने कुवो, राजा तो जिनावरां री बोली समझतो, वे वातंा कर रियो जो सुणवा लाग गियो।
छाली बोली ,"इण कुवा रे मांयने बेलड़़ी पसर री, उण रा पानड़ा खावां रो जीव कर रियो, जो म्हनें पानड़ा लाय दे।"
बाकरो बोलियो,"उण बैल़ड़ी रा पांनड़ा ले वा जावूं तो म्हूं मायंने परो पड़ूं।"
"पण म्हनेंं तो भावड़ आय री है, जो म्हारी भावड़ पूरी कर।"
"थने तो भावड़ आय री है, म्हूं परो मरुं, लेवा जावूं तो।"
"चावै जो व्हो, म्हारै तो ये पानड़ा लाइज दे।"छाली रुसावती बोली।
बाकरो हंसियो, म्हनैं थे राजा विक्रमादित रा मांजना रो जांणीयो कांई? रांणी हट मांड लीधी अर यो पाखांणा व्हेबा ने गंगाजी पै आय गियो। म्हूं राजा जेड़़ो मोलियो कोनी बिना वात थीरी जिद्द पूरी कर  मरवा ने जावूं। एक दांण रुसावती व्हे तो हजार दांण रुसाव।"
यूं कैय बाकरो तो आगे हालियो। राजा रै तो इणा री बात सुणता ई एकणदम अकल ठिकांणै आयगी।
"एक बाहरै म्हारी अकल बिसराय दीधी। मांटे बात केड़ीक सांची कहीं।"
राजा तो डेरे आवतां ई पाछो नगरी में जावा रो हूकम देय दीयो। राणी बोली "यूं कांई जावो। पैला म्हने वचा वात बताय पछै चालो।"
"रांणी, रैवादे,थांरी हठ पूरी करवाने म्हनेंं पाखांण रो कोनी व्हेणो।"
"नीं कैवो तो, या रुसाई।"
"एक दांण रुसावती हो तो हजार दांण रुसाव"
"म्हूं रुसाईगी तो म्हारा जेड़ी लुगाई मिलणी कोनी है वा।"
"थारो जेड़ी कांई मिलणी कोयनीं, एड़ी लावूं जिण री पगथली री होड़ ई थूं नीं करै।"
"एड़ा बोलिया हो तो चौबोली ने परण न लावो तो जांणूं। रांणी बोल वाहियो।"

राजा बोल झेल लीधो "थूं जा म्हूं तो चौबोली ने परणन घरै आवूंला।"

"राजा तो वठा सूं ई ज चौबोवी ेन परणवा व्हीर व्हेगीया। चौबोली घणी ज रुपाली। वींं एक आंट 
झेल राखी। कोई मिनख रात रा चार पौहर मांयने चार दांण उण ने मूंडै बोलाय दे तो उण ने परणै नीं बोलावणी आवे तो उण मिनख ने कैद में घाल दे। डोढी रे मूंड़ागै एक चांदी री मंडियोड़ी नौबत मेल राखी, एक चांदी रो डंको मेल राखियो। परणवा रा उम्मीदवार जो आवे, आय उण नौबत माथै डंका री दे। चौबोली रात ने उण ने म्हेंलां में बुलावे। सोला सिणगार कर बैठ जावे। उण ने बोलावा वाला सैेग रात बोलावारी कौसिस करैं पण वा बोलें नीं। दिन ऊगतां ई चौबोली तो आपरे मालियां में परी जावे उण मिनख ने कैद में घाल दे। यूं करतां चौबोली पूरा एक सौ आठ राजावां ने आपरां बन्दी बणाय लीया।"
अबै राजा विक्रमादीत वठै पूगिया। नंगरी रै बारै एक बावड़ी वठै जाय ने बैठिया। चौबोली सिनान करे जो डावड़ी आय वठा सूं पांणी ले जावे। डावड़ी बावड़ी पै आय पांणी सूं बोली, "थनैं चौबोली री आंण है, पांणी उझल न ऊपरै आय जा।"
पांणी उझल न ऊपरै आय गियो। भर कलसो सिनान सारूं पांंणी लैयगी। राजा वीर विक्रमादित देख रियो।
दूजै दिन उणी ज वेला राजा आय बावड़ी पै बैठ गियो। राजा रा हुकम में चार वीर। राजा फुरमावे जिण री तामील करे। राजा वींरां ने हुकम दीधो, "थां पांणी पै आड़़ा सोय जावो पांणी ने मत उझलवा दीजो"
"जो हुकम" कर, चारु वीर पांणी पै सोय गिया। चौबोली री डावड़ी लै चांदी रो कलसो सिनान सारुं पांणी भरवा आई। आवतां ई राजा सूं बोली, "पगां ने पांणी में लटकायां बैठियो है, काठ बारै। चौबोली रे सिनान सारूं पांणी ले वाने आई हूं।"
राजा पै ठसको जमाय डावड़ी बोली "चौबोली री आंण है पांणी बारे उझल जा।"
"राजा विक्रमादित री आंण है पांणी मत उझल।" राज बोलियो।
"बालण जोगो आयो है विक्रमादित री आंण देवाणियो। इण रे कहिये पांणी उझलतो रै जाय।"
"जो तो देख ले, पाणी उझलै के नीं।"
पांणी नीं उझलियो। डावड़ी पाछी बोली, चौबोली री आंण है पांणी उझल जा।"
पांणी तो है जठे रो जठै। घणी दाण कहरियो पण पांणी तो नीं उझलियो जो नी उझलयो। राजा बैठियो मुलकतो रियो।
पच पचाय डावड़ी रीता कलस लीधां म्हेलां पूगी। आगै चौबोली बाजोट पै बैठी। दांतण कर लीधो पांणी ने ऊड़ीक री। पांणी ले डावड़ा नीं आई तो रीस में राती पड़ री। डावड़ी ने रीता कलस देखी तो एड़ी री झाल चोटी रे जाय लागी।
"रांड, दो पोहैर लगाय न ता आई, फेर रीता कलस लै न आई।"
"बाईसा, पांणी उझलियो नीं, आपकी आंण धलावतां धलावतां लातरगी। एक बटाउ आयोड़ो बैठियो जो पांणीदीधे आंण घलाय दीधी के राज विक्रमादित री आंण है उझलियो तो। पांणी नीं उझलियो म्हूं कांई करुं।"
चौबोली ने घणई रीस आई "म्हारा राज में विक्रमादित री आंण कसी।"
अतराक में तो राज आय नौबत पै डंका मारिया तीन।
चौबोली री डावड़ियां बोली आय, "अरे, आयो जीं गैले जा पाछो मां बाप बाट नालता व्हेला। थारा जैड़ा पूरा एक सौ न आठ बैठिया घट्टिया पीस रहिया है। थारे घरे जा साजो साबतो।"
"कांई ठा घट्‌टी फैरु फेरुला के थारा बाईजी ने लारे ल2ैय न घरे जावूंला, आ तो काले सूरज री ऊगाली ठा पड़ेला।" राज जुबाब दीधो।
चौबोलू हूंकारोे भर लीधो "कै, संझ्या रा आय जावे।"
सांझ पड़ी राजा चौबोली रे म्हेलां चालिया। राजा वीरां ने हुकम दीधो "आज थां सूं काम पड़ियो है चौबोली तो यूं बोलवा ने नीं सोरे सांस। थां बठे लुक न बैठ जाओ।"
"जो हुकम" वीर बोलिया"आप सोच ई मत करो।"

राज जाय बैठिया, चौबोली सोला सिणगार कर बैठी, चौपड़ पासा ढालिया, पील जोत जगर मगर करती कनैं बलैं।

राजा रो एक वीर ढोलिया में छिप न बैठगियो। राजा चौबोली ने बतलाई मोकली वातां पूछी पण चौबोली तो भाटा री चोट। राजा लातर न ढोलिया ने बतलायो "ढोलिया चौबोली तो नीं बोले, थूं ई कोई बात कर जो रात कटै। चार घड़ी रात आगे पड़ी है।"
ढोेलियो बोलियो, राजा थूं अठै
ढोेलियो बोलियो, "राजा थूं  अठै कठै आय फंसियो। खैर म्हूं बात कैवूं थूं हूंकारो दे, एक पौर रात तो म्हूं थारी काट दूं।"
ढोलियो वात कैवे राज हूंकारो देवा लागियो।
"एक राजा रो बेटो अर ेक साहूकार रो बेटो भायला। लारे सोवे, लारे खावे, लारे रमे, लारे रा लारे। एक पलक एक दूजा बिनां नीं रैवे। वां दोवां ई आपसरी में ये कोल वचन कीधा के अंपा एक दूजा सूं एक घड़ी अलगा नीं रैवलां।"
दोई जणां परणियोड़ा, दोवां री वीनणीयां पीहर बैठी। वे जोध जुवान व्ही, आणो लेजावा री ताकीद पीर वाला करवा लागिया। साहूकार बेटा ने देख न बोलियो, "बेटा, आपां जात रा महाजन ठेरिया, राजा रैतो अधबूढ व्हे जावे जतरे ई कुंवारी बाप रे घरे बैठी रै तो धके। पण आंपां रे तो झट आंगलियां सूं बतावा लाग जावे, जात ओलंभो दे दे। थूं जा वीनणी ने ले आ।"
साहूकार रो बेटो बोलियो,"भाई जी, थांरो हुकम माथें। पण म्हूं जदी जावूं राजा रो बेटो ई म्हारे साथे आवे। म्हां तो आपसरी में कौल वचनां में बंधियोड़ा हां। एक दूजा ने छोड़ अकेला कठै ई जावां नीं।"
पैला तो साहूकार सोच में पड़ गियो। पछै बोलियो, "एड़ी ज थांरां में मितरता है तो राजा रा बेटा ने ई साथे ले जा। पण देखली जै उणां री आव भगत उणा जोग सासरा में व्हेणी चाई जे।"
राजा रो बेटो तो उमगायोड़ो जावे, भायला रे सासरे जाय रियो हूं साहूकार रा बेटा रो मन भेलो भेलो व्हेय रियो, कजाणां आगे सासरा वाला केड़ीक आव भगत करे, कियां मन मोह राखै, या नीं व्हे कठै ई राजा रा बेटा मन में फरक पड़ जावै, म्हारे नाम राजा रा बेटा रो चौगणो आदर सतकार नीं कीधो तो राजा रो बेटा मन में कांई जांणेला।
राजा रो बेटो तो गैला मंे हंसी मसखरी करतो चाले, साहूकार रो बटो ढीलो ढीलो। चालतां चालतां गैला मेंं एक देवी रो मिंंदर आयो। देवी एड़ी हाजरां हजूर कै दरसण करवा ने आवे जो पाछो खाली मनोरथ नीं जावे, मांगे जो दे। कोढियां रो कोढ़, झड़ै, नेपुत्तरियां ने पुत्तर दे। साहूकार रे बेटे देवी आगे जाय बोलमा बोली,"देवी, म्हारा सासरा में म्हारो मन चाहियो आदर सतकार राजा रा बेटा रो व्हे जावे तो म्हूं पाछो फिरतो आपरे म्हारो माथो चढावूं।"
बोलमां बोल आगे बधगियो। वात री व्हेवणी हीं। राजा रा बेटा री आव भगत सासरा में व्ही के कदै ई व्हीं नीं, आगे व्हेवे नीं। सासरा बाला लूंठा साहूकार हा। दिसावर में दुकानां चालती, समंदर मेंं जहाजां चालती। मन रा मातबर। राजा रो कंवर तो देखतो ई रै गियो। दिन दस रैय आणो लैय पाछा चालिया राजा रो बेटो तो वखांण करतो ई नीं  थाके। साहूकार रा बेटा रो मनोरथ पूरो व्हेगियो, घणो राजी। पाछां वलतां गैला में ज्यूं ई देवी रो मिंदर आयो, साहूकार रो बेटो रुकियो।
बोलियो,"थां बधो, म्हूं दरसण कर आवूं।"
राजा रो बेटो बोलियो, "म्हूं ई आवूं। सागै सागै चालां।"
"म्हारे मानता है, मानता मनायन आवूं। थां चालां।"

"एड़ी छानां री मानता है तो जा बोलमा पूरी कर आ। म्हां थनैं अठै ई उड़ीकां हां।"

साहूकार रो बेटो तो जाय तरवार काढ माथो काट देवी रे चढ़ाय दीयो। राजा रो बेटो उड़ीके, एक घड़ी व्हेगी, दो घड़ी व्हेगी। साहूकार रो बेटो पाछो नीं वलियो। अगताय हेला पाड़िया, कोई जुवाब नीं। रीस में आय राजा रो बेटो खड़ाखड़ मिंदर पे चढ़ियो। देखै तो माथो रुल रियो धड़ न्यारो कटियो पड़ियो। राजा रा बेटा री तो पगां नीचली धरती खिसकगी। यो कांई व्हेगियो? अबै जाय इण रा बाप ने कांई मूंड़ो बतावूं? आगे लायोड़ी वींनणी ने कांई कैवूं जाय न? आगै गियां कांई  भरम ताकेगा म्हारा पै। आज तांईतो एक दिन म्हां अलगा रहिया नीं तो अबे ई अलगा नीं रैवां व्हेणी जो व्हीं।
या विचार वीं पड़ियोड़ी तरवार ने उठाय माथा पै मारी जो दो बडंगा धड़ तड़फड़, सीलो पड गियो।
अठी ने गैला में ऊभी साहूकार री वींनणी अगथायगी। "व्हीयो कांई जो गिया जो ऊ वठै रैगिया। मिंदर मैं कांई बजराग बलै।" चाल न देखूं तो खरी।
साहूकार री वीनणी मिंंदर में झांके तो दोवां रा धड़ न्यारा माथा न्यारा। लोहियां रा डाबका भरिया। उण रे तो आंखिायंा आगे काला पीला आय गिाय। यो कांई कीधो यां? या कालींड़ी तो म्हारे माथे आवेला। म्हूं जाय सासरा वाला ने कस्यो मूड़ो बताऊं। जो हाथ पकड़ लैन आयो वीं या कीधी तो जीवड़ा अबै थूं रैय कांई करेला। या धार हाथ में तरवार उठाय गाबड़ पे जोर सूं वाही। देवी तो गाढो पुणचो पकड़ लीधो।
"छोड़ दे म्हने मरवा दे। यां दोवां रो भख लै न बैठी है। म्हारो ई भख ले।"
देवी बोली, "नाख दे तरवार नीचै। दोवां रा ऊ माथा यां रा घड़ां पै मेल। म्हूं सरजीवण कर दूं।"
साहूकार री बेटी झण देणी रा धड़ापे माथा राख दीधा। देवी सरजीवण छांटो नांखियो। दोई जणां आलस मोड़तां उठ बैठिया। वे दोई सरजीवंत तो व्हेगिया पण साहूकार री बेटी आगत आगत में माथा अदल बदल मेल दीधा, राजा रा धड़़ पै साहूकार रो माथो मेलदीधो। अबै ये दोई जणआं विचार में पड़ृयिा के या वींनणी, किण री लुगाई। धड़ वाला री लुगाई रही के माथा वाला री।
ढोलियो बोलियो, "हे राजा वीर विक्रमाजीत, थूं मोटो राज है, थारा न्याव नामी व्है। थूं न्याव कर या लुणाई किण री व्हीं?"
या सुणतां ई तो चौबोली चमकी। रीस में भर न बोली, "वा राजा, आछो न्याव कीधो। एड़ा ई ज न्याव करे थूं। धड़ सूं कांई लेणो देणो, लुगाई तो माथा वाला री व्हीं। माथा बिना धड़ रो कांई मोल।"
राजा बोलियो," थूं कैवे ज सांच है।"
बजा रे ढोली ढोल।
चौबोली बोली पैलो बोल?
नंगारची नंगार पै डाको मारियो "धैें"
अबै राजा झारी ने बतलाई, "एक पौर रात तो ढोलिये कटा दीधी। आगे तीन पैर रात औजूं पड़ी है। झारी, थूं वात करै तो रात कटै, चौबोली तो भाटा री चोट व्हियां बैठी है। बोलै न चालै।"
झारी बोली, "आच्छी वात राजा। म्हूं वांत कैवूं थूं हूंकारो दे।"

"एक समैं री वात है राजा। एक राजा रा बेटा रे अर साहूकार रा बेटा रे बालपणां"

में भायलो व्हे गियो। रात दिन लारे रैवतां, खावता पीवता सोवता बैठता। नादान तो हा ही छोर बुद्धि में वां कौल वचन कीधा के जो पैला परणेला जिण रे वीनणी पैली आवेला व आपरी लुगाई ने पैली रात आपरा भायला कनें भेज देला। वात आई गी। समै निकलतां कांई ताल लागै। दोई मोटयार जुवान व्हेगिया साहूकार रा बेटा रो बियाव पैलां व्हियो। वीनणी घरै आई सुवागरात मनावण ने साहूकारीणी गी तो साहूकार रो बेटो तो छांनो मांनो बैठियो। नीचो माथो धलियोड़ो उदास थकां। रमझम रमझम करती आई वींनणी साम्हो झांके ई नीं। साहूकारणी चतूर ही। वीं हाथ जोड़ पूछियो, "आप म्हारा सूं नाराज हो? म्हूं दाय नी आई, के म्हारा मां बापां को दियोड़ो दाय नीं आयो? म्हूं हूं जेड़ी चाकरी में हाजर हूं , बांह पकड़ियोड़ां री लाज निभावो।"
साहूकार रो बेटो बोलियो, "एड़ी कोई वात नीं। म्हंूं तो धरम संकट में फंसगियो हूं। टाबर पणां में राजा रा बेटा सूं वचन तो करलीधा पण अबै कांई करुं। नीं हा कैवणी आवै नीं नां कैवणी आवे।"
"कांई वचन कर लीधा आप? वचन करिया व्हे जांने पूरा करांला बतावो।"
संकते संकते साहूकार रे बेटे आपरा करियोड़ा वचन सुणाया।
"साहूकारणी बोली, चिंता मत करो म्हूं थांरा वचन ई निभाय लूंला म्हारो धरम ई बचाय लूंला।"
यूं कैय साहूकारणी राजा रा कंवर रा म्हेलां चाली। गैला में चार चोर मिलिया। साहूकारणी तो सोना सूं पीली व्हियोड़ी। चोरां गैलो रोक लीधो। धन अर लुगाई पावती मिल री। साहूकारणी बोली,"अबारूं था म्हने छोड़ दो। एक काम जाय म्हूं पाछी आय री हूं। पाछी आय थां ने सैंग गैणोगांठा े उतार दूंला, एक तार डील पै नीं राखूं। अबार थआ म्हने जावा दो।"
"पाछी नी आवे तो थारो कांई भरोसो। कठै जाय री है थूं?" चोरां पूछियो।
"जबान देय री हूं। म्हारा खाविंद रो एक वचन दियोड़ो है। उण ने पूरो कर पाछी आवूं। आय थांने दियोड़ो वचन पूरो करूंला।"
एक चोर बोलियो, "जावा दो रे। देखां तो खरी वचन कैड़ाक पूरा करै।"
साहूकारणी तो चाली। रमाझमां करती कंवरजी रा म्हैलां चढगी कंवरजी ढोलिया पै सूंतो। पग रो अंगोढो मोड़ियो "जांगो कंवर सा"
चमक न उठिया। देखे तो पगांथिया सोला सिणगार करियां सोलां वरसां री लुगाई ऊभी। कंचन सूं जगमगाय री। कंवर जी आंख मसल न देखियो कठै सुपनो तो नीं देख रियो हूं।
साहूकारणी बोली,"कंवर सा, वाचा में बंधियोड़ी आप री चाकरी मेंं हाजर हूं।"
"देवी, थू कुण है? कठां सूं आई? कांई चावै।"
"म्हूं आप रा बाल गोठिया साहूकार रा बेटा री अस्त्री हूं। आप रे भायला रे अर आपरे आपसरी में बालपणां में कौल वचन व्हिया जांने पूरा करवा ने आप रे भायले भेजी है।"
राजा रा कंवर ने टाबर पणां री वात याद आयगी। लाज सूं पांणी व्हे गियो। झट ढोलिया नीचे उतर बोलियो, "देवी माफ कर, छोर बुद्धि में कांई वात कर लीधी व्हेला। थूं म्हारी मां जाई बैन सूं बत्ती।"
यूं कैय चूंदड़ी ओढाय, हीरा मोतियां रो थाल भर उण ने सीख दीधी।
साहूकारणी पाची आई गैला में तो चोर ऊभा ई ज हा। अंधारा में झगर मगर झगर मगर करती आती देखी न चोर बोलिया, "वचनां री सांची नीसरी, आय त री है।"
साहूकारणी आय न बोली, "लो, थां रो भाग है, हीरा मोतियां सूं भरियो थाल और सिवाय आयो थांरे यूं कैय गैणो खोल देवा लागी।"
चोरों ने अचंभो आय रियो। वां कहियो, "?पैला थूं बता कठै तो गी, क्यूं गी? यो हीरा मोतियां रो थाल कुण दीधो?"
साहूकारणी आखी वात मांड ने सुणाई। चोरां विचारी धन्न है या लुगाई। कंवर जी चूंदड़ी ओढ़ाय इण ने आप री बैन बणाय लीधी तो आंपां ई बैन बणाय लां। धरम करम पै चालवा लागी लुगाई है।
चोरां कनें ई जो थोड़ो घणो चोरी रो माल हो, देय बैन बणाय, घर तक पूगाय गिया।
झारी बोली, "हे राजा वीर विक्रमाजीत,थै घणां घणां न्यावटा निवेड्या है अबै न्याव कर राजा रा बेटा री भलमणसाई बत्ती री के चोरां री?"

राजा बोलियो, " या तो चौड़े ई है कंवर बत्ता भल माणस हा।"

वा सुणतां ई चौबोली रे एड़ी सूं झाल ऊठी जो चोटी रे जाय लागी। भभक न बोली, "अरे राजा, थआरी अकल रे कांई व्हे गियो। थूं राजा वीर विक्रमादीत वाजे अर एड़ा न्याव करै। भलमणसाई तो चोरां री है। चोरां ने वचन दियोड़ो, साहूकारणी आय आगै व्हे धन सूंप अरदास करे अ वे बैन बणाय न पाछी उण ने सीख दे। एड़ा ई ज न्याव कीधा है कांई थै।"
राजा बोलियो, "चौबोली न्याव कीधो जो खरो।"
बजा रे ढोली ढोल।
चौबोली बोली दूजो बोल।।
नंगार में दो "धें धें" दो चोब मारी।
अबै राजा विक्रमाजीत पीलसौत सूं बोलियो, दो घड़ी रात तो कट गी। पीलसौंत अबै थूं कांई वातां कै तो तीजो पोहर कटे।"
पीलसौंत बोली, "आच्छी वात है राजा। थूं हुकम दे त म्हूं ई एक वात कैवूं।"
पीलसौंत वात कैवा लागी, राजा हूंकारो देवा लागियो।
"एक बिरामण रा बेटा रे अर साहूकार रा बेटा रे मितरता। वे जुबान व्हिया, सासरे आणो लेवा ने चालियातो दोई जणा लारे लारे। मंजला दर मंजला एक नंदी रे किनारे पूगिया। वठा सूं दोवां रा ऊी सासरा गैला फंटे। मतो कीधो जो पैला आवै वो अठै रुक जावे। दूजो आवे जदी लारे लारे पाछा गांव चालै। बिरामणा रे बेटे आपरो गेला लीधो, साहूकार रे बेटे आपरो। साहूकार रा बेटा रे लारे एक नाई। सासरे पूगियां जंवाई री खातरी व्हेवा लागी। जद एक दानी लुगाई बोली, "जवांई रे लारे नांई है उण ने पैला पूछजो। खातरी में कांई कांण कसर रै ई जावेला तो जंवाईजी तो आगे जाय बाई रा पीहर री भंडाया करेला। इण नाई ने राजी राखजो।"
अबै घर री बहू बेटियां डोकरी री वात ने पकड़ लीधी। कोई वात व्हे तो पैला नाई ने पूछे। जीमावे त उण नै पैला सोवादे तो उण ने। पेला नाई ने पूछे पछे जंवाई जी ने। जंवाई राज मूंडो देखे नाईजी मूंछ मरोड़े। जंवाई ने घणी अबखाई आई। बाप रा नाम सूं एक कागज मांडियो। जिण में लिखी के वो मांदो घणों है जो बहू ने वांचता कागज भेज दो। कागज सुसरा ने दीधो। कागद वांचता पांण रथ जोड़ाय बेटी जंवाई ने सीक देय दीधी। साहूकार रो बेटो मूंडो चढायां रथ में बैठो। नाई टलौकड़ियां करतो जावे, "सासरा में जंवाईराज री खातर बत्ती व्हीं के नांई की? ज्यूं ज्यूं साहूकार रा बेटा ने रीस बत्ती आती जाय री। आधोक गैलो चालियो न वो तो नाई ने ले वहीर व्हेगियो। वीनणी ने ऊजाड़ कांकड़ में छोड़ दीधी। साहूकार री बेटी देखियो या भली बणाई भगवान। मां न मां र जायो देस ई परायो बारान बारा कोस रो उजाड़। कांई करै पाछी पीर जावा ने बैलिया टोरिया। दूजै गैले पड़गी। एक नगरी मंे जाय निकली। फूलमदैे मालण रे घरे उतरी। सोना रो टको दीधो। यो टको ले म्हनें थारे अठै रैवादे। थारे घर रो काम करुंला। "
फूलमदे राजी राख लीधी। मालण़ फूलड़ां चूंट लावे, गजरां, चौसरा गूंथे। मालण रोज छावड़ी भर रवलै ले जावे। राजा देखियो आज काले तो मालण चौसरां लावे जो भांत भांत रा गूंथियोड़ा। भांत भांत रा फूलां रा गैणां लावे। कदै ई माथा री टोपी, कदै ई हाथ रा चंटिया। कुण गूंथे इण रे एड़ा फूट रा
मालण ने पूछिया,"एड़ो कारीगर कुण व्हे गियो थारा घर में रोज नवी नवी भंात री चौसरां गूंथै।"
मालण बोली,  "पिरथीनाथ म्हारे पांवणी आयोड़ी है। धणी गुणवंती है घणी घणी कारीगरियां जांणै।"
राजा हुकम दीधो "अठै हाजर कर।"
मालण दूजे दिन साहूकार री बेटी ने रावलै लैन आई। बापड़ी घणी नटी पण कांई जोर चाले।

"राजा उण ने देखतां ई तिवालो खाय गियो, एड़ी रुपवान अस्तरी तो म्हारे रावला में ई नीं। या मालण रे अठै कांई करै। इण ने तो रावला में ले जावो।"

साहूकार री बेटी बोली, "राजा, गांव रो घणी तो बाप बराबर व्हेवो करै। थूं एड़ी कुद्रस्टि रैयत पै क्यूं नांखै।"
राजा नीें मानियो, जो नीं मानियो। साहूकार री बेटी बोली, "म्हनेंं छै म्हीना री मौलत दिरादो।"
राजा मान गियो, साहूकारणी ने गांव बारै एकांत में म्हेल दिराय दीधो। बैठी झरोखी में वाट नाले। कोई सासरा पीहर रो आदमी निकले तो समाचार घालूं।
अठी ने साहूकार रो बेटो आगे चालियो। आगे बिरामण रो बेटो पूंगगियो जो उणां ने अड़ीक रहियो। साहूकार रा बेटो ने अकलो आवतो देखियो तो वो अचंभा में पड़ियो। पूछियो "कांई व्हियो वीनणी कठै रैगी?"
साहूकार रे बेटे वींंनणी गैला में छोड़ आवा री विगत बताई।
"फूट गिया करम। यूं वीनणी ने छोड़ दे कांई। उण रो कसूर कांई हो नाई री सरभरा वठै बत्ती व्हीं तो। चाल म्हारे लारे व्हे। उण ने लै न आवां।"
"दोई जणां चालिया। हेरतां फेरतां वीं गांम में पूगिया। साहूकारणी त झरोखा मेंं बैठ रैती, आतां जावतां री नींगै राखती। आपरा हाथ सूं गैले चलतां ने सदाबरत बांटतीष ये दोई झरोखा नीचे व्हेय निकलियो। वीं चटदेणी रा यां ने औलख लीधा। आदमी भेज उणां ने ठैराया। मांय ने बुलाया साहूकार रे बेटे देखतां ई बिरामण रा बेटा री आंगली दबाई, या तो बा ई ज है।"
बिरामण रे बेटे ने ई मिलिया, लारे चालवा री की। राजा ई सुणी के उण अस्तरी रो परणियोड़ो आय गियो तो जावा नै कैय दीधो।
साहूकारणी ने लै आपरे घरे आयो।
झारी पूछियो, "राजा आपरा न्याव री धाक समंदरा पार तांई मांनी जावे। आप बतावो यां में भलमणसाई कि ण री हैै। साहूूकार रा बेटा री के साहूकारणी री?"
राजा बोलियो, "चौड़े घाड़े ही भलमणसाई साहूकार रा बेटा री है जो छोड़ियोड़ी लुगाई ने पाछी घर मेंं बाली।"
सुणतांई तो चौबोली रे पड़ी पलीते आग।
"अरे अधरमी राजा थूं थारा राज में एड़ाज न्याव करे? एड़ाई न्याव कर थूं वीर विक्रमादीत वाजियो है कांई? साहूकार रा बेटा री कांई भलमणसाई इण में ? भलमणसाई तो साहूकारणी री है। निरदोस व्हेता थकां उण ने छोड़ दी, राजा उण ने राणी बणावतो पण वीं आपरो सत राखियो। लखदाद साहूकारणि ने।"
राजा बोलियो, "चौबोली पूरो न्याव कीधो है।"
बजा रे ढोली ढोल।
चौबोली बोली तीजो बोल।।
ढोली नंगारा पै धेंं धेंं धेंं तीन चौब लगाई।
अबै रात रो चौथो पौर आयो। राजा राणी रा गला रा हार ने बतलायो।

"तीन पौर रात तो कटगी, अबै चौथो पौर आयो है। हार,थूं वात करे तो पाछलो पौर ई कट जावेंं।"
हार बोलियो, "जो हुकम राजा, म्हूं वात कैवूं आप हूंकारो दो।"
हार वात कैवा लागियो राज हूंकारो दे।
एक बिरामण, एक सोनी, एक दरजी। ये जारुं जणां दिसावर कमावा ने चालिया। चालतां चालतां रात पड़ी। एक जगा ये ठैरिया। आपसरी में मत्तो कीधो आंपां कनें माल असबाब है, गाफल व्हे सोय जावलां तो चोरी जावा रो भौ है। आंपा चार जणां हां। एक पौर पैहरो देय दां। पैलो पौर पेरा पे खाती बैठियो। थोड़ी देर बैठियो नींद आवण लागी। दिन मेंं गैले चालियोड़ो जो लातरणो ई आई रियो। ऊंध आवा लागी तो उठो व्हे पाणी सूं आंखियां खंखोली, तोई नींद आंखियां में वलरी। कांई करूं नींद कियां उड़ावूं अठीने वठीेन झंाकियो तो एक काठ पड़ियो। खाती तो उण काठ ने लै चालो करवा लागियो। मन में आई जो एक पूथली धड़ काढॣ। हाथ मेंं चूड़ो पैराय दीधो। अतराक में एक पौर बीतगी। दरजी ने पैहरा पे जगाय सोय गियो। दरजी पैहरा पै बैठियो तो उण रे माथे ई नींद फिर री। आंखियां पै पाणी छांटियो, टैलवा लागियो तो खाती री बणायोड़डी काठ री पूथली दीखी। दरजी देखी खाती तो आपरो पैहरो यूं सोरो देय दीधो। आंपां क्यूं नीं इण ने गाबा पैराय दां। कतरणी, सींवणी लै दरजी तो सींव पूथली ने गाबा पैराय दीधा।
अब तीजै पौहर सोनी पैहरो देवण ने उठियो। देखे काठरी पूथली पैरियोड़ी ऊभी। सोनी झट गैणां घड़वा बैंठ गियो, तीजो पौर व्हेतां वींं पूथली ने गैणो धड़ पैराय दीधो।
अबै बिरामण देवता रो ओसरो आयो। बिरामण पैहरो देवण लागियो। निजर पूथली माथै पड़ी, फूटरी सी पूथली, गैणो पैरयां ऊभी। बिरामण तो मंतर पढ पिराण घाल दीधा। पूथली तो रमां
झमां करती लुगाई बणगी।
अबै ये चारूं आपसरी में लड़वा लागिया। वो कै म्हारी लुगाई, वो कै म्हारी लुगाई।
हार बोलियो, "राजा थारो न्याव जग चावो है। थंू दूध रो दूध, पांणी रो पांणी न्याव कर। या किणरी लुगाई व्हीं?"
"राजा बोलियो, यो तो चोड़े ई पड़ियो है। बिरामण पिराण घालिया जो बिरामण री लुगाई व्हीं।"
सुणतांई चौबली कड़की, "धूल पड़ी राजा थारा न्याव पै। बिरामण पिराण घालिया। जलम देवणियो व्हियो जो बाप व्हेगियो। लुगाई तो उण री जिण रो चूं़ड़ो पैहरियो। खाविंद तो खाती व्हियो।"
राजा बोलियो, "साबास चौबोली, न्याव थै भलो कीधो।"
बजा रे ढोली ढोल।
चौबोली बोली चोथो बोल।।
चौबोली हारगी, राजा वीर विक्रमादीत जीत गिया।
चौबोली राजा रे लारे ब्याव कर लीधो। बंदीखाना में जतरा राजा हा सैगां ने आप आप रा राजपाट पाछा सूंप, सिरोपाव दे घरे सीख दीधी।

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