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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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रामायण

मानव मित्र रामचरित्र
लेखक- महाराज चतुरसिंहजी बावजी

विजय चरित्र

श्री राम भघवान रा हुकम शूं अबे तो समंदर पे पुल बंधवा लागी। वांदरा म्होटा-म्होटा मंगरा रा मंगरा ऊंचाय ऊंचायने समंदर पे लावा लाग, ने नल-नील नाम रा वांदार वठे गजधरी करता हा। वणां पक्की पुल ठेठ अणी तीर सूं वणी तर तक बांध दीधी। जाणे एक समंदर रा दो समंदर कर दीधा, ने दोई कानी शूं समदर उछल-उछल ने पुला आडी दोड़ा आवे ज्यूं पाणी रा हिलोला आय रिया हा। वमीं दांण राम भगवान शिव भघवान ने नमस्कार कर, फोज ने कूंच रो हुकम देने धनुषणबा ले' फोज सेती समंदर रे पैले तरी लंका रे नजीक डेरा जाय न्हाख्या. या खबर लागतां ही रावण घबराय गियो, ने मन में केवा लागो के यूं जाणतो हा के समदर वे वच्चे लंकापुरी कने कुण फरक शके है. पण अणां मनखां तो आखी फोज लंका नखे लाय न्हाखी. अमां रा बल ने बुद्धि री खबर नी पड़े। यूं विचारष शुक और सारण नाम रा दूतां ने छाने खबर लावा ने मेल्या के फोज में कुण,कुण, कस्यो-कस्यो है, ने राम पे कणी-कणी री मोह, ने वेर है। जदी व्हो रागश वांदरा रो रूप करने वठे जाय, धार-धार ने फोज ने देखा रिया है। अतराक में विभीषणजी वणाँने ओलख लीधा, सो पकडाय ने राम रे नजर कीधा। जदी वणां दूतां सघी वात भगवान ने अरज कर दीधी। जदी राम भगवान हुकम कीधो, केई जोज-जो पूछे अणांने सही-सही दाकब कर,ो ने ई देखणो चावे सो देखाय दो। जदी तो विभीषमजी साथे रे'ने वणां ने चावे सो देखाय दो। जदी तो विभीषणजी साथे रे'ने वणां ने सब वताय दीधा, ने पाछा रामचन्द्र भगवान नखे लाय ऊभा राख्या। जदी भगवान हुकम कीधो, के रावण ने के'दीजो के काले म्हाँरी चड़ाई लका पे व्हे'गा, वण ीवेला खबर पेड़गा के कणी में कतरो बल है, सो त्यार रेवे अतवा जानकी ने लाय शरणे आय जावे। नीतर लछमणजी रा तीर खमवा त्यार व्हे' जावे। जदी दोई दूंत राम भगवान रे हाथ जोड़, शीख माँग, ने लंका मं आय रावण ने सब वाताँ वाकब कर दीधी। जदी रावण लड़ाई रे वासते फोज री त्यारी करआी। अठी ने राम भगवान भी आपरी फोज री चार पांती कराय ने लंकापुरी रा चार ही बारणा रोकाय लीधा, ने अङ्गदजी ने हुकम कीधो थें रावण नखे जावो. जदी अंहदजी रावण नखे जाय वमईं ने कियो के म्हने राम भगवान मोकल्यो है। अबे थांरी राम रा बाणां रे माथा लगावारी मरजी है, के राम रा चरमां रे। ई रो एक जबाव दे दो। जदी तो रावम राती-राती आँख्या कर ने कियो के अणी वांदरा ने बांध ने मार न्हाखो। नदी तो चार जेठ्या अङंगजी ने पकड्‌या। पण अङ्गदजी तो चारा ने ही भींत सूं भीड़क ने पूरा कर दीधा, ने कियो के अबे लड़ाई आरंभ व्हे' है। जदी रावण की के'यू केवो के जीमण री त्यारां आवे है। जदी अङ्गदजी कियो के सघला ने जीमाय दांगा. जीमता-जीतमा दांद गले उतर जायगा। यूं केने अङ्गदजी पाछा आय, राम भगवान ने अरज करी। पछे लड़ाई रो दुवो व्हे' गियो। वठी ने रावण ीजलीभ्या रागश ने बुलाय ने कियो के सीत तो राम रे भरोस म्हारो केणो नो माने है। म्हूं जोरावरी शूं कणीने ही म्हारा रावला में नी घाल शकूं. क्यूंके रागशां रो कियो नी करे जमी पे जोरावरी तो रे, झीशं ही साता ने अठा आंणी, परन्तु म्हारा रावला में तो जोरावरी शूँ नी घाल शकूं. क्यूंके रागश जोरावरी शूं घरमें घालणओ पाप समझे है, सो थूं आछो कारीरगर है, जीशूं थूं राम रो माथो वस्यो-रो वस्यो वणाय लाव ने एक वस्यो ही धनुष बणाय लाव। जदी तो वस्यो-रो-वस्यो माथने धनुष वणाय, रावण रे नजर कीध। वमी नेदेख रावण घओ राजी व्हियो। वींने नरी रीझ देने कियो के म्हूं मंगाऊ दजदी पुगाय दी।े यूं केने अशोक वाड़ी मे ंजाय सीताजी ने कियो, 'हे हठीली ! जणीरा जोर पे पोमावती ही, वो भी काल रो खायो, वांदार-रीछड़ा री फोज भेल कर समंदर पे बुल बाँध, अठे पधारयो , ने फेर ोपोड़ यिो, ने असाय ही बोफा वांदार भी नींद काड़वा लागा। जीशूं म्हारा वीर रागशां, अचाणचूक में अङ्गद, सुग्रीव, हनुमान, जांबवान, नल-नील सघलां ने मार भगाया, ने राम ने मार, व्हींरो माथो ने धनु, अठे ले'आया। सो देखाँ हाथीपगी ! थूं जाय' ने व्ही ले'आव। जदी हाथीपगी रागशमी बारणे शूं माथोने धनुष लाय सीताजी ने बातोय वणांशे देखताँ हो सीताजी घबराय ने जीव भूल गिया। जदी रावण हँसतो-हँसतो बारमए परो गियो। त्रिजटा रागशणी पछे ठंडा पाणीरा आला-आला हाथ सीताजी रे आँख्या पे फेर्या। वयणी ंशूं सीताजी ने ओशान आई। जदी त्रिजटा कियो के आप कस्या नी जाणो के रांगशआंरा बड़ा-बडा छल व्हे' है। या तो करतीब माथो ने धनुष है। यूं के वणा ंमाथा में शं रुई काड़ ने बताई। जदी सीताजी ने भरोसो आयगियो। अतराक में तो लडाई री नगरो व्हियो। जदी कियो के यो कवच पेर'वारो नगारो व्हियो है। फोज भागती तो लडाई रो नगारो क्यूं व्हेतो ने वो वांदरा रो गरजमओ शुयाण रियो है। दूजो नगारो व्हेगा नेसघली फोज त्यार वेने तोजो नगारो व्हेवापे चड़ाई कर देगा। अबे म्हूँ भ जावऊं हूँ, ने लड़ाई देख, जो समाचार व्हेगा, वी म्हूं आपने अरज कर दूँगा. सीता माता, राम भघवान रे जीत व्हेवारी परमेशर शूंँ अरज करवा लागा ओर वठीने रावण री फोज भी त्यार व्हेने लड़ावने निकली। अठी तो राम भगवान री फोज त्यार हीझ। पछे दोही फोजां आपस में भिड़गी' ने करड़ी झाक झीक मची। पण शेवट में रागशां रा पग उथलवा लागा ने वांदरां वणांने दबावता थका वधवा लागा। या वात रावण जाणातांई यूं केवा लागो के अचरज है ! वांदार ूसं रागश हटे ! पछे तो झट आप रो रथ त्यार कराय ने झट कवच पेर, लंका रा नामाी-नामी योद्धा ने लारां ले'ने, रावण आप हीज लड़वा दोड्यो। अठीने राम, लछमण, हनुमान, सुग्रीव ने अंगदी नी उमंग शूं आगे वध्या। राम-रावण री लड़ाई देखवा री घमां दिनां शूं देव-दानव, ने मनखां लालसा ही। जीशूं आकाश में नराी विमाण में देवता, गंर्धव, यक्ष ने ऋषियां री भीड़ भराय गी'। लोग के'वा लागा के आज यो राम-रावण रो युद्ध नी है, पण धर्म-अधर्म रो युद्ध है। राम  भघवान भी लछमणजी ने हुकम कियो, हे भाी लछमण ! आपांरा गुरु विश्वामित्रजी आपां ने लड़ाई रि विद्या अमजी दिन रे वासते शिखाी ही। आज अधर्मियां रा मुखियने मार'ने गुरुजी शूं उऋण व्हे'णो है। रावण भी वमीरा बेटा मेघनाद ने कियो, के बेटा मेघा ! आज नजम रा वेरी राम ने मार'ने संसार पे आपणी धाक जमावणी है. ्‌टतरा दिना रा म्हारा जशरो देवरो है, वणीपे आज कलश चढ़ावणो है। यूं घमा दिनंा शूं एक-एक रा शुभाव रा वेरी, राम-रावण रो युद्ध कई है, आणे आखा संसार रो रंक फिरवा रो दिन है। के'क तो संसार में आज शूं ही धरम रोनाम नीं रेवेगा, ने के'के अधरम रो खोज ही नी लाधेगा। राम ने रावण दोई गुरु है, सो अतरा दिन राम तो मनखपणो कई व्हे' है, यो पाठ संसार ने भणावता हा, ने रावण ढाँढाण रो पाट संसार ने शिखावतो हो। अबे कई व्हे'गा? कई व्हे'गा ? वमी वगत रावण रे आगे-आगे रावण री फोज चाल री'ही। वणी फोज में अंकपन, कुमुख, अतिकाय, नरांतक, देवांतक, वज्रदंत, कुंभ, निकुंभ ने प्रहस्त जश्या बड़ा-बड़ा शूरवीर सेनापति हा। वणीरे डावी कानी मेघनाद धनुष ले'ने चालरियो हो, ने रावण रा एकसो बेटा भी, वठीने ही ज लारां चालरिया हा, ओर जीमणी कानी, नंद सूं जाग्यो थको, ने अबास्याँ खावतो थको, ने घणी म्होटी-म्होटी मुदगर हाथ में उछलातो थको, जाणें मंगरो रो मंगरो कुंभकरण चालरियो हो। ओर छेटी नजीक रा भाी-बंध न रावण रा मित्र रागश हा और पाछ ेपाछे रावण रे मामेरा रा दानवां री फोज ही, ने सबांरे वच्चे रावण रे छतर-चमर व्हेता थका ने  धनुष में ताणथो तोक जाय रियो हो। अशी रावण री पूरी चड़ाई आजड दिन पे'लो कमी पे नी व्ही' ही। अणां मायंलो एक-एक जणो तीन ही लोकाँ ने धुजाय न्हाखे, जश्यो हो. यूं राम ने रावण री फोजां रण रे आसी-शामी भिड़ गी'। वांदार'ने ओर रागशां ने, घमां दिनां री ऊर निकालावारी तक मिलगी। ज्यूं छूटा पल्ला हाथ्यांरी टक्करां व्हेवा लागी। शरीखा-शूं-शरीखा भिड़ग्या। जाणे दो समंदर उमड़-उमड़'ने लड़ रिया हा। तलवारां, लाठ्यां, टोला, तीर, रूंखड़ा, गदा, शूलां ओर भाला, अश्या हजारां आवधां शं हजरां लड़ रिया हा, ने सैंकड़ा, हजारां, ने लाखां धरती पे पड़ गिया हा। कतराई तो मर गिया हा ने कतराी अधमर्या व्हे' गिया। नराी रीष में खबर ही नी रेवा शूं शस्त्र-अशत्र ने रूख-भाटा व्हेवा बे भी गुल्थं-गुत्था ने बाथक-बीथ्यां आप गिया, ने दांतां शूं, ने नखां शूं ने हाथां, लाता ने घूंशां-मुक्यां शूं ज्यूं-आवे-ज्यूं, ई एक-दूसरा ने मारवा लागा। यूं तरे-तरे ही लडायां वमी जाग व्हेवा लागी। वणी दाण लडाई शूं कोई नवरो नीं हो। एक-एक शूं गुथाय रिया हा। वमी दांण मेघनाद रे ने लछमणजी रे, ने रावण रा नाना रे ने जामवंतजी रे, ने कुंभकरण र हुमानजी रे ौर राम शूं रावण रे बड़ो भयंकर युद्ध व्हे'रियो है। परंतु मेघनाद बड़ो छली हो, पण लछमणजी तो छल री लड़ाई नी करता हा। वणी दाण मेघनाद लड़तो-लड़तो लछमणजी ने छेटी ले' गियो। अटी ने राम भगवान रे ओर रावण रे धनुष झट-झट उठक-बेटक करवा लागा. दोयांरा हाथां में सूं जाणए तीरां री नदय्‌ां व्हे'री ही। ओर कठी कुंबखरण ने हनुमानजी रे अनोखी ही युद्ध व्हे' रियो हो। हनुमानजी तो वमी रे मंगरा पटकता हा, ने कुभकरण अबास्यां खावतो हो ने मन मं यूं जाणतो के जाणे एक-दो महिना अठे हीज सोय जावां। वमीरी तो ऊंघ ही नी गी'। जदी तो हनुमानजी दोड़'नें वींरे एक रेपट मेली, ने लारां-रो-लारां एक मुक्को वमीं री थाती पे वजेड़ दी।ो जणी शूं कुंभकरण ने गरणेटो आय गियो। पण वणी पड़ते-पड़ते ही हनुमानजीा रे ेक मुक्की अशी दीधी, के हनुमानजी गरणेटो खाय ने पड़ गिया। दाई जणा ने जाणे साथे ही नींद आयगी। पम कुंबकरण तो पाछ ोझट चेत गियो. अबे कुंभकरण शूं लड़वा वालो कोई खाली नी रियो, ने वठी ने लछमणजी मेघनाद ने वणांरी मार शूं अधमर्यो कर न्हाख्यो। या रावण देख'ने विचारी के अबे तोमेघा वेहा हीज मरता दीखे है। यूं सोच'ने रावण कुंभकर ने कियो के थू ंराम ने रोक। पछे रावण झट दोड़'ने लछमणजी रे बाणां री वरखा कर दीधी। अबे दोई बाप-बेटा बाणां शूं अकेला लछमणजी ने पटकवारी करवा लांगा। पण वो वीर, राम रो छोटो भाी, अणां दोई बड़ा टणका रागशां ने भी वाणां री मार शूं थकावा लागो। या तरे' देख'ने राम भगवान भाई री भीड़ पे पधारवा लागा। पण वच्चे ही कुंभकरण मंगरा री नांई आय'ने राम भगवान पे मुगदर ने मगरा ओर वलांदरा पकड़-पकड़ ने फेंकवा लागो, नेराम भगवान ने रोक लीदा। राम भगवान वणीरा फेंक्या मंगरा-मुगदरां नेतो फाट न्हाख्या, पण आपरा वांदरा ने तो आपरा हाथ शूं कूंकर काटे। अतारक में हनुमानजी ने शु ध आई, सो वी झपट ने रावण पे दोड्‌या। जतरेक तो मेघनाद शक्ति बाण री लछमणजी रे दे'पाड़ी। जणी शूं लछमणजी ने मूर्छा आयीगी। अतराकम में रावण हंसोत-हंसतो पाछो आय, राम भगवान शूं लड़वा लागो, ने मेघनाद हनुमानजी शूं लड़वा लागो। जतरे सुग्वीवजी अकंपन ने टक, देखे तो रावण ने कुंबखर दोई भाई अकेला राम भगवान शूं लड़ रिया है। पण राम भगवान रे तो कई गनार ही ही नी ही। जदी तो सुग्रीवजी, कुंबकरण आय धाकल्यो, सो अबे तो बाली रा भाी रे, ने रावण रा भाई रे लड़ाई व्ह7ेवा लागी। वमीं दांण सुग्रीवजी री थाप सूं कुंभकरण पड़ने झट उठते ही सुग्रीवजी रे पाची दी।ी। जीशूं सुग्रीवजी ने मूर्छा आयगी। जदी वणी झट वणांने कांख में दाव लीधा। अतराक में जामवंतजी राव ण रा नाना ने मुरछित कर वठे आय पूगा, ने सुग्रीवजी भीशुध में आय, वमीरी कांख में शूं नकिल गिया। जदी जामवंतजी कियो आपां ने मेघनाद कान ीजवाणो चावे, वछे चावना है। अणांने तो राम भगवान समाल लेवेगा। रागश नराई तो मर गिया है, ने आपांरी फोज रा वीर वध-वध ने वार कर रिया है। अतराक में विभीषणजी कुमुख ने पटक, वठे आय गिया, ने अङ्गदजी भी बज्रदंत ने पटक'ने खुलासा व्हे' गिया है। जदी सुग्रीवजी अगदजी ने कियो अंगु ! थूं अंदाता री चाकरी में रीजे यूं केने कुम्भकरण रा नाक-कान काट ने मेघनाद शूं लड़वा परा गिया। ने विभीषणजी और जामवंतजी भी वठे जायने देखे तो लछमणजी री थामी में भारी घाव लागो हो ने वी अचेत पड़या थका हा। जदी जामवंतजी हनुमानजी ने ओषध लेवा ने दोड़ाय ओर सुग्रीवजी मेघनाद ने रोक लीधो. ने अठी ने कुम्भकरण नकटो व्हियो थको रीश में बराय, ने राम पे झपटयो. जदी राम वणी रे बाण वावा लागा, पण वणा बाणा ने रावण काटवा लागो. जतराकम मे ंअगदजी कूद ने रावण रा हाथ में धनुष कोश ने वणीररे एक रेपट जोर री ूं दीधी, क्यूं कोई छोरा रे देवे, ने कियो के हे अधर्मी ! हे दुष्ट ! थां दो-दो जणां एक-एक शूं लड़ो हो, थांन लाज नी आवे। अठी ने आव जो युद्ध रो शवाद चखाय दूं के बाली रो बेटो वाली शूं ओछो नी है। जदी तो रावम अंगदजी पे दूजो धनुष लेने' वावा लागो, ने केवा लागो के हे मूरख ! बाप खाणा !

वंश रा कलंक ! शत्रु रा मित्र ! म्हूं तो मित्र रो बेटी जाण'ने टालरियो हूं। जदी अगदजी कियो के राम रो शत्रु कोई नी है। वी संसार री खोटायां माटवाने आया है ओर म्हें सब वणा ंरी अणी चाकरी में लागा हां। म्हारा पिता में खोटायां थारी सङ्ग शूं आई सो आज म्हारा बापब रो वेर, थां शूं लेणो है। जदी तो रावण झट दूजो धनुष ले ने अंगदजी पे थावा लागो। जतराक में राम भगवान कुंभकरण रो एक हीज बाम में छाती में ऊंडो धाव देख, जाण भगवान रे भो छाती में घाव पड़ गियो। पण अतराक में होत हनुमानजी ओषद ले आया। वणीं शूं लछमणजी आलस मरोड़'ने जाणें नींद शूं जाग गिया, ने सब पीड़ा मिटगी, ने फेर मेघनाद शूं ललकार ने जाय मिड्या। रावण भी झट अंगदजी ने अचेत कर, राम भगवान शूं आय भिड़यो। अबे तो पाछो राम-रावण रो ने लछमण-मेघनाद री झगड़ो व्हेवा लागो ने देखवा वाला रो मन हींदा री पाटकड़ी री नांई अठी रो उठी फरवा लागो। वणां रे हाथ री, ने शरीरी री आगत ओर मन री धरीप, ने शुभाव री उमंग देख-देख ने दंग व्हे' गिया। वणीं वगत लछमणजी मेघनाद ने धाकल ने कियो, के वे हीव इन्द्रजींत ! ओशान राख, यो म्हारो वाण थारो प्राण लेवाने आवे है। यूँ केने, कान तक ताणने, वणी पे बाण वायो। वो बाण मेघनाद रे रोकवा शूं भी नी रूक्यो' ने धड़-गावड़ रो हेत छोड़ाय ने ऊगता सूरज रा रंग सरीखो लोया शूं रातो व्हियो थको पे'ली कानी जातो पड्‌यो। यूँ बेटा ने मरतो देख, रावण मरणीक व्हे' ने राम पे बाणां री वरखा कर दीधी। जदी तो राम भगवान भी पूरा जोर शूं लड़ाई शुर कर दीधी। दोयांने ही घणां दिनां री ऊर मेटवा री तक मिल गी' ही। जाणे चोमासो चरत थका दो डाकी सांड टांडता-टांडता आय भिड्या। जाणे विना अगड़ रे दो मदा हाथी लड़वा लागा। वणी वगत रावण तो रथ में बेठो थको हो, ने राम भगवान तो अरवाणा पगां धती पे ऊभा हा। या देख'ने, राजा इन्द्र आपरो रथ राम भगवान रे वासते पुगाय'ने, आप आकाश में कुबेर रा रथ में बेठ'ने लड़ाई देखवा लागो। राम भगवान ने रथ पे सवार देख'ने रामजी री फोज में दूणी उमंग आयगी, ने वणी दाण रावण ने राम री घणी फोज घेर लीधी। जदी राम भगवान हुकम कीधो के एक शूं घमआं रो लड़यो अधरम है। रागश नराई छीज गिया है। अबे थें म्हां दोयांरी लड़ाई देखो। या शुण'ने रावण कियो, म्हूं एक ही त्रिलोकी रे वासते मोकलो हूं। जदी राम भगवान हूकम कीधो, हे रावण ! अबाणूं, या वातां री वगत नीं है। या तो नींठ-नींठ आज आपांने हाथां रो करतब देखाबारी तक मिली है। जदी तो रावण यूं बोल्यो के देख ! यूं के'ने एक म्होटो भालो राम पे जोर कर ने वायो। पण भगवान वणी सांप सरीखा भाला ने दूसरो भालो फेंक धरती पे पटक दीधो। जाणे दो सांप लड़'ने पड़ गिया। अबे तो रावण तरे'-तरे'रा तीर ने आवधां री राम भगवान पे वरखा कर दीधी। पण भगवान भी पाछा वस्या-रा-वस्या तीर ने आवध वायने' वणांने वच्चे ही काट'ने न्हाख दीधा। यूं रावण भी राम रा वाणां ने काट'ने न्हाखवा लाग्यो। जाणे घणां दिनां रो लेखो, दो साहूकार चव-चव-ने जव-जव चुकाय रिया है। देखवा वाला चतराम रा व्हे' ज्यूं व्हे'रिया हा। जाणे राम-रावण री लड़ाई दूजां ने दोड़नी शिखाय रिया है। तीरां ने तलवारां री धारां फेराय-फेराय ने वासदी रा तड़ंग्या उछल रिया हा। दोई शूर-वीर जाणे केशूल्या फूल्या व्हे' ज्यूं व्हे' रिया हा। घायल वीर भी रणखेत में पड्‌या थका या लड़ाई देख'ने तरष, ने घावां री पीड़ भूल गिया हा। राम, ने रावण रा रथ अतरी आगत शूं अठी-रा-अठी फिर रिया हा, के राम ने देखता जठे रावण ने ओर रावण ने देखता जठे राम ने देखात जठे रावण ने ओर रावण ने देखता जठे राम ने कतरी ही दांण नजर आया जाता ह, ने वणां रे साथे दोड़णओ छोड़'ने सबां री आँखाँ देवतां री आँखाँ व्हे' ज्यूं ठेर'गी। एक-एक वार में अनेक-अनेक दानव फेर वणी में कणी री वारी, कणी री वारी, देखवा लागा, ने वाह-वाह कर रिया हा ने देवतां रा हाथां में शूं फूल वरष रिया हा।  जाणे अशी लड़ाई में शामल व्हेवा ने रणखेत में उतर रिया हा। जाणे शंकर हीज दो रुप धार, लड़ रिया है। राम-रावण रो युद्ध राम-रावण जश्यो हीज व्हियो। अबे तो राम रो दो हाथां रो जवाब देवाने रावण रा वीस हाथ अटकवा लागा. जाणे राम री लेणो रावण सूं नी चुकावणी आयो। जाणे राम रो लेणो रावण सूं नी चुकावणी आयो। जींशूं माथा ने, हाथां ने चरणा में देवा लागी, ने ज्यूं-ज्यूं राम वत्ता-वत्ता लेवे ज्यूं-ज्यूं वो वत्ता-वत्ता देवे। अणी में राम रो लोब, ने रावण री उदारता देखवा जशी हो। या दशा देखने, सब देवता डरप गिया, ने रागश हरष शूं खेंखारा करने' गरजवा लागा। रावण भी फेर निडर व्हे'ने राम भगवान सूं लड़वा लागो, ने वणीं यूं विचारी के अबे विभीषण जी भेद नी वतावे, तो हजार राम शूं पण नी हारूं। पे'ली अणी बिभीषण ने मार'ने म्हूं अमर व्हे' जावूं। यूं विचारी, वणी ब्रह्माजी रो वाय दीधो। पण विभीषण ने भगवान बचावा ने झयट रथ पे शूं कूद, आपणी चोड़ी छाती पे वणी भालाने भेल लीधो। राम भगवान रे यो भालो लागो, जीशूं थोड़ाक अचेत व्हे'गिया हा। अणी भाला रो यो शुभाव हो, के जणी रे अणी भाला री लाग जाती वो मर जातो। पण अणी भाला रो यो पण शुबाव हो, के जो ईंने परोपकारी मनख पे वावे तो यो भालो वावा वाला री ऊमर ले'ने ब्रह्मलोक में परो जावे. अश्यो ईंने वरदान हो, जींशूं अणी राम भगवान ने परोपकारी जाण, ने रावण री ऊमर नष्ट कर, ब्रह्मलोक में परो गयो। अबे तो विभीषण रा मन शूं भाई री ममता निकल'गी, ने जगत-बनधु राम भगवान ने अर्ज कीधी के अमी दुष्ट रे डूंठी में अमृत है सो वो अमृत नी सूखे'गा जते ईंरो कई नी बिगड़ेगा। या शुणतां ही राम भगवान झट अगनी बाण ले'ने रावण ने हुकम कीधो, हे साधु-ब्राह्मण रा वेरी रावण ! अबे शावचेत व्हे'जा। यो म्होर बाण थारो प्राण लेवे है। रावण भी बराई बाण वाया, पम राम रो बाण तो वमींरी डूंढी में घूश ने कोठी रा शेणा शरीखो खाड़ो पाड ही नाख्यो, ने मतीरीा री पोट बिखरे ज्यूं वणीरा माथा वखेर नाख्या, ने वीस बाण वायने, बुवारी रा टींडका ज्यूं वीस ही हाथ न्यारा-न्यारा फेंक दीधा. यूं आपमा हाथां री आगत निशाण पे ठीक लागवारो अभ्यास भुजांरो जोर देखवा वाला तो देखता ही रे'गिया, ने रावण मगरा रा माथा री नांी धूज ने धरती पे धमाक देतीरो पड़गियो। अबे तो चार ही कानी शूं राम भगवान री जै-जैकार व्हेवा लागी, ने नजर-नछरावलां व्हेवा लागी, ने या खरब लंका में पूगताई सब रागशण्यां रोवती-कूटती वठे जाई। मेघनाद री वउतो सवी व्हे'गी। दूजी रोय-रींख पाछी घरे गी'। वणी वगत रावण री राणी मंदोदरी राम भगवान ने अरज कीधो के कोई तो अणां ने रोवा वालो बाकी राख्यो व्हे'तो। जदी भगवान हुकम कीधो 'अज्ञान री वातां रावण री रोज है, सो बरोबर संसा रेवेगा, जतरे अज्ञानी ईंने रोवता ही रेवेगा। पछे विभीषणजी ने हुकम कीधो सो वमआं रावण री क्रिया-काष्ठा कीधी, ने दूजां रागशां री भी कराई। पछे राम भगवान रा हुकम शूं लछमणजी ओर सुग्रीव सब जणां जाय विभीषणजी ने लंका री गादी बेठाय दीधा. जदी विभीषणजी जानकी माताने बड़ा आदर सशूं श्रीराम भघवान विराजता वठे पधाराय। वमी वगत राम भघवान हुकम कीधो, जानकीजी ने पदेल ही लावो. क्यूं के म्हारी सब फोज जानकीजी ने देखमो चावे है। जदी सीता माता म्यांनां में शूँ उत्तर, पेदल-पेदल भगवान विराज्या वठे पधार्यां, नेसब वांदार ओर रीछां झुक-झुक ने मुजरा कीधा सो सीता माता वारणा लेवाया, ने लछमणजी झट दोड़ने' चरणा में धोक दीधी, ने घमआ राजी व्हिया। सीता माता हुकम कीधो लालीज आपोर अपराध कीधो जणीरो म्हें दुःख भुगत लीदो। जदी लछमणजी अरज कीधी, अपराध तो म्हारो है, के रीश में कई-री-कई अरज करायगी। पण ईंरो म्हने तो कई विचार नी है। क्यूंके छोरू करोड़ अपराध करे तो भी माईतो दयाहीज करे है। अबे श्रीराम भगवान रा नराई दिना शूं दरशण व्हिया। जीशूं श्रीभगवान ओर सीताजी ने अश्यो आनन्द व्हियो, सो कईं वात करे। यूंही याद नी आवे। अबे श्रीसीता-राम री जुगल जोड़ी रा सब जणां दरशण कर आपणा धन-धन भाग मानवा लागा। अबे राम भघवान हुकम कीधो अठे लछमण, इन्द्रजीत ने मार्यो ने शक्ती शूं घायल व्हियो, वमी दाण हनुमान ओर जामंवत री राय शूं ओषद कीधी। अठे अणां रींछ ने वांदरा थांरे वासते प्राण झोंक-झोंक'ने लड़ाई कीधी ही। वणी वगत सब जमआ ंकियो म्हांरे वासते, ने आखा संसार रे वासते आप ओर सीता माता करता-कतरा दुःख देख्या। म्हें आपरी कई चाकर कर शक्या। यातो श्रीसीता माता री दया है। पछे सब देवता ओर ऋषियां सीता-राम री स्तुति कीधी। वणी वेलां विभीषणजी अरज कीधी, लंका री विजय व्ही है सो फोज ने लंका लूटवारो हुकम व्हे जावे. जदी भगवान हुकम कीधो लंका तो अणारीज है, अबे कई लूटे। जदी विभीषणजी लंका में सूं गे'णा-गांठ-कपड़ा लायने सबां ने पेरया'ने खूब पकवा न बेठाय-बेठाय ने जीमाया ने अरज कीधी, अबे लंका में विराजने अणी दास पे करवा करावे। जदी भगवान हुकम कीधो, अबे काले भरत नखे नी पूगणी आवेगा, तो भरत भाी प्राण छोड़ देवेगा, ने अयोध्य छेटी है जी शूं वठे जावारो कईं'क उपाय करणो चाव। जदी विभीषणजी अरज कीधी के पुष्प विमान घमो तेज चाले है, सो वणी में विराजने काले-रो काले पधारवो व्हे शके है। पण एक रात ही लंका में विराजवो व्हेवे तो लंका पवित्र व्हे' जावे। जदी भगवान हुकम कीधो, हाल चवदा वर्ष में ेक दिन फेर बाकी है, जतरे नगरी में म्हने जाणो चावे, ने भरत दुःख देखे जतरे म्हने भी सुख नी करणों। अणीं वासते भाी विभीषण म्हने क्षमा कर। जदी विभीषम सब फोज री घमई खातरी कीधी, ने विमाण लाया, सो सीता-राम वणीपे सवार व्हेवाय गिया, ने पछे लछमणजी सुग्रीवजी जामवंतजी आदि वांदारा भी वमी में बेठ गिया। पछे विभीषणजी वणीपे बेठने राम भगवान रा हुकम परमआणे विमाण ने चलावा लागा, ने हनुमानजी ने आगे अयोध्या में वधाई देवाने भेज दीधा। श्री राम भगवान रा हुकम शूं विभीषणजी विमाण ने चलायो। पे'ली तो विमाण धरती पर शूं ऊंचो चढयो पछे अयोध्या री कानी जरो शूं दोड़वा लागो। वमी वगत श्रीराम भगवान सीताजी ने हुकम करवा लागा देखोय यो विाण कश्या वेग शूं दोड़ रियो है, जाणे लंका तो भाग री' है, ने समंदर साथे-साथे दोड़ रियो व्हे' ज्यूं दीखरियो है। सीताजी हाथ जोड़ ने अरद कीधी समुद्र रे वच्चे रींगोट-रो-रींगोट कई दोड़ रियो है। जदी भगवान हुकम कीधो या नल-नील पुल बांधी है। अणीप व्हे'ने हीज सब फोज पार व्ही' ही ओर यो श्रीशंकर भगवान रो मन्दिर है। दी श्रीसीता हाथ जोड़ महादेवजी रे नमस्कार कीधो ओर भगवान हुकम कीधो जी धोला-धोला मे'ल दीख रिया है, वा अणां सुग्रीवजी रां नगरी है। जदी लछमणजी अरज कीधी अठा रा बाली नाम रा बडा बली राजा ने एक हीज बाण में भगवान मार न्हाख्यो हो. वणी बाली, रावण ने भी कांख मे दबाय लीधो हो. जदी सुग्रवी, ने विभीषणजी भी अरज कीधी या किष्खिन्धा ने लंका तो आप रीज है, ने म्हेंतो आपरा हीज  सेवक हां। पछे भगवान हुकम कीधो, अठे शबरी भीलम मिली ही। वणीं म्हांरो घमों आदर-मान कीधो हो. या वावड़ी, यो गढ़ है, ने यो पंचवटी रो वन दीखवा लाग गियो। अठे गिद्धराज री क्रिया कीधी है। या शुण सीतामाता रे आखा ं में शूं आंशूं पड़वा लाग गिया, ने हुकम कीधो, हे दाना पिता गिद्धराज ! म्हारे वाते थां प्राण छोड़ दीधो हो. ओ हो ! म्हारे वासते कतरा-कतरा महात्मा ने, कतरा-कतरा दुःख देखणां पड्‌या। जदी जामवतजी अरज कीधो, आयरे वासते कणी भी दुःख नी देख्यो पण आपरा नाम शूं सेकड़ा रा जनम सुधर गिया।  भलां रींछडा-वांदार ने पापी पंखेरो रो आप नी व्हे'ता तो उद्धार कूंकर व्हे'तो, ने आगे भी आपरा चरित्र बिना संसार कणीं गेले चालतो। अणीं शूं आखा ही संसार रा जनम-जनम रा दुःख मिट गिया। भगवान हुमक कीधो यो वो हाथी रो बच्‌ोच म्होटो व्हे' गियो दीखे है, ने यो वो हीज मोर दीखे है। या पंचवटी  भी आयगी, साधुवां रा आश्रम दीखवा लाग गिया. जदी सबां वणांरे धोक दीधी, ने मे विमाण आगे निकल गियो सो चित्रकूट पे व्हे'ने एक समचे आगे वध गियो. वठे श्रृङ्गवेरपुर में निषादराज सब बाल-बच्चा सेती वाट न्हाल रियो हो. वठे विमाण ने नीच उतार्यो। झट विमाण शूं उतर, भघवान निषादराज ने छाती शूं लगाय ने मिल्या, ने सुग्रीव, विभीषण आदि शूं वणांने वाकब कीधा, ने सीतामाता निषादराजा री माता रे पगां लागा, ने भरतजी शूं मिलावरी आगत है, यूं केने सब पाछा चढ़ने विमाण ने आगे दोड़ायो। वणी वगत सीताजी छेटी शूं दखन हुकम कीधो 'यो धूलो कई उड़ रियो है ? जदी लछमणजी अरजी कीधी दादाजी ने सब अयोध्या वासी सामा पधरावता दीखे है, ने या सरयू नदी ने वी अयोद्या रा महल, ने वगीता भी दीखवा लाग गिया. अतराक में नराी आदमी तो पाछे-पाछे आय रिया, ने आगे-आगे एक दाना साधुने वणांरे पाछे एक फेर मोट्यार नजर आया। सीतामाता हुकम कीधो अणांमें बड़ा लालजी कठे है ? जदी लछमणडजी अरक कीधी 'ई आगे-आगे वशिष्ठजाी पधार रिया है, ने वणां रे पाछे सुमंत्रजी आय रिया है, ने ई राम भगवान रे, ने म्हारे साथे खेलवा वाला म्हांरा मित्र आय रिया है, ने वठीने माता, ने भाभीजी, वे वउ श्रुतकीर्ति, ने आपरे सखियां विभाग री कानी देखता-देखता, आगता-आगता आय रिया है। ई छोटा-छोटा, छोरा-छोरी वणाव कर-करने, किलकारिया करता जाय रिया है। जाणए आज अयोध्या में पाछो जीव आय गियो है। सीतामाता हुकम कीधो वउजी और लालजी, ने बेंनां ने अयोध्या वासी अश्य ादूबला व्हे' गिया, जो धार-धार ने देख्यां वना ओलखणी ही नी आवे। पण बेन मांडवी, ने श्रुतकीर्ति रे वच्चे या कूँ है ? वणी वगत भगवान रा हुकम शूं विमाण नीचे उतरयो, ने सब जणा वेवाम शूं उतर, पेदल-पेदल दोड़ गुरुजी वशिष्ठजी रे धोक दीधी। गुरु वशिष्ठजी माथा पे हाथ मेल, संबांने अशीश दीधी। फेरछोटा-बड़ा सब एक-एक शूं मिल्या। वो प्रेम कठा तक केणी आवे। चवदा वर्ष, चवदा जुग वच्चे भी वत्ता निकलय्‌ा हा। आज पाछा रामचन्द्र रा दरशण कर सबां रे हरष रो पार नी रियो। भगवान सबांने सुग्रीव, विभीषण, जामवंतजी शूं वाकर कीधा, ने अणाने भी आपणा मित्र, गुरु, मंत्री, भाई माता शूं वाकर कीधा। अबे बी आपस में ेक-एक शूं मिले, ने एक-एक री बड़ाई करे। यूं बड़ा आनंद शूं सब अयोध्या मे पधार्या ने शुभ मोरत में श्रीराम रे राज तिलक व्हियो ओर बड़ो उच्छव व्हियो, ने अबे अयोध्या पाछी हरी-भरी व्हेगी। जणी जगा राम राज करे वणी जगा रा सुख री कई केणी आवे। सबसंसार में राम-राज शूं सुख हो सुख छाय गियो। नरकां तो गेलो ही ऊज़ड व्हे गियो। अणी तरे' श्री रामचन्द्र आनन्द शूं राज करवा लागा, ने संसार सुख व्हे'गियो। परमात्मा जणी पासते आप अबकाई देख, मनखां रो रूप धारम करने उपदेश कीधो, वो उपदेश आखा संसार में फेलगियो। जगा-जगा मनख ने लुगायां, श्रीराम री, ने सीताजी री कथा सकरवा लागा, ने यूं घर-घर में सीता ने राम रा चरित्र री चरचा कर, आखो संसार सुधरवा लागो. यो राम चरित्र कई है, मानव मात्र रो मित्र है।

विजय चरित्र पूरो व्हियो।
अबे भी अणी मुजब आप रा चरित्र राखेसाग, वणी पे मानव अवतार धरवा वाला साक्षात्
श्री सीतराम परमात्मा प्रसन्न व्हे'गा
इति श्री मानव मित्र राम चरित्र पूरो व्हियो।

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