| नांव : गजेन्द्र सिंह ककरानाशिक्षा : बी. ए (हिंदी साहित्य)
 जन्म तिथि : चेत्र सुदी दशमी १९३८ ,वार-शुक्रवार
 जनम स्थान : ककराना (झुंझुनू ,राज.)
 जिला -झुंझुनू (राजस्थान )
 मोबाइल -०७८३८९७९११२
 मौजूदा काम धन्धो :लेखाकार
 
 पत्र-पत्रिकावा में छप्योड़ी साहित्यिक रचनावां : भास्कर भूमि छत्तीसगढ़ व् मेट्रो सांध्यकालीन में समय -समय पर प्रकाशित
 
 कविता
 1.सज-धज बैठी गोरड़ी
 2.बिलखती नार
 3.गीत- गाओ टाबरों
 4.म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव
 
 सदीव रो ठिकाणो :
 ककराना,झुंझुनू (राजस्थान)
 
 मोजूदा ठिकाणो :
 ककराना,झुंझुनू (राजस्थान)
 
 गीत- गाओ टाबरों,
 थारा मुलकबा सुं देश हरखसि
 थे ही तो हो आगला टेशन
 जमाना रे साथ करो खूब फैशन
 पण याद राखो बुजुर्गा री बाता
 बे मुस्किल घडी री रातां
 जोबन रो मद भी चढ़सी
 कुटुंब कबीलो भी बड़सी
 प्रणय कि भूलभुलइया में
 प्रियतमा कि आकृष्ट सय्या में
 भूल मत जाज्यो ज्ञान कि सीख
 मत छोड़ज्यो पुरखां का पगां री लीक
 थे ही घर, गांव,परिवार ,रास्त्र रि अनमोल थाती हो
 जीवन रूपी दीया री,  बिन जळी बाती हो||
 
 म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव
 म्हारे मरुधर देश  रा प्यारा ढाणी-गाँव ।
 कोरा कोरा मटका रो सोंधो -सोंधो पाणी।
 गर्मी रा मौसम को कलेवो,छाछ -राबड़ी और धाणी
 पीपल अर खेजडा री, ठंडी शीतळ छांव
 म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(1)
 
 पावणा रो अठे होव मोकलो सत्कार
 टाबर ,जिव -जिनवारा न हेत रो पुचकार
 सीधा सांचा लोग अठा रा, त्योंहारा रो चाव
 म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(2)
 
 केर कमटिया सांगरी का मेवा री सुवास
 धर्म दान और वीरता रा मंड्या पड्या इतिहास
 नर -नारयां रो अठे ,फुटरो बणाव्
 म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(3)
 
 प्याऊ ठंडा पानी का, हेला रो हेत अठे
 मीठी बोली ऱी अपणायत आ सोना जेड़ी रेत् कठे
 दुबड़ी ऱी जड़ की तरियां, आपस रो जुडाव
 म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।(4)
 
 शब्दार्थ- 1.कलेवा- नाश्ता, 2.पावणा-मेहमान,3. मोकल़ो- खूब अच्छा,4.टाबर -बच्चे ,4.फुटरो- सुंदर,5.बणाव्- श्रृंगार, 6.हेत-अपणायत - नेह ,आत्मीयता
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