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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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दिपक हरिचंद पंवार


मे महाराष्ट्र, पुणेसे दिपक पंवार.हमारे बुढे लोग कहते थे कि हम भी राजस्थासे आये हुवे हे .लेकीन कीस प्रांतसे आये और हम कोनसे समाजसे हे कुच पता नही .कुच बुढे लोग ऐसे भी कहेते थे कि जब महाराणा प्रताप और मोघलोका युद्ध हुंवा तब हमने राजस्थान छोडा |

हमारी भाषा राजस्थानी +गुजराती +महाराष्ट्रीय मिश्र हे चालीस -पचास साल पहेले हमारे समाज के लोग गोसाई का भेस कर के हाथमे सारंगी लेकर गीत गाते हुवे भिक्षा मांगते थे . उसके कारण आज हमारा समाज “गोसावी ” (गोसाई ) नामसे जाणा जाता हे . (हमारा समाज गिरी , पुरी , भारती वैगैरा ये जो दशनामी गोसाई समाज हे उनसे संबंधित नही ). हमारा समाज मांसाहारी हे. वो शिकार भी करते थे (गाय, भैंसो का मांस खाते नही ). गायको पवित्र मानते हे . समाजमे कुच ऐसे भी लोग हे जो हरि हर के भक्त हे और गलेमे तुलसी या रुद्राक्षकी माला धारण करते हे वो मांसाहार नही करते |

पहेले मृतक को दफनाया जाता था लेकीन अब जगहकी दिक्कत के कारण अग्निसंस्कार कीया जाता हे . मृतक अशौच १२ दिनका रहेता हे , उसे सुतक कहा जाता हे . तिसरे दिन नदीपर जाकर एक विधी कीया जाता हे उसको “तीन दनरो पांळी ” कहते हे और वैसेही बारवे दिन कीया जाता हे उसे “बारा दनरो पांळी कहते हे . शादीशुदा इन्सानकी म्रुत्यु होती हे तो उसका सुतक १२ दिन का रखते हे लेकीन अगर कुंवारेकी म्रुत्यु होती तो उसका सुतक तीन दिनका हि रहेता हे|

समाजमे शीतला माता को बहोत मानते हे . श्रावण मास मे कोनसे भी एक दिन ज्वारीको पिसकर उसमे दही डालकर पकाते हे उसको राबडी कहेते हे दुसरे दिन शीतला माता को उसका नैवेद्य चढाते हे उसके बाद कुंवारीयोको राबडी खिलाते हे कुंवारीयोका खाना होनेके बाद बाकी लोग प्रशाद ग्रहण करते हे .हमारे समाजमे स्वकुलोत्प्न्न लडकियो को स्वकुलोमे देवी के समान मानते हे . (जैसे कि पंवार कुल मे उत्पन लडकी पंवारोको देवी के समान हे ) उनको संवासळी कहते हे .. हमारे समाजमे लडकेकी शादीके दुसरे दिन कुलदेवता का पूजन करते हे उसको “देवकार्यो ” कहते हे . कुल के पुरुष हाथसे चक्कीपर गेहू पिसकर उसकी रोटी बनाकर उसमे गुड और घी डालकर उसका चुरमा बनाते हे और उसका नैवेध्य कुलदेवता को चढाया जाता हे . यह कुलदेवता का पूजन जिस घर मे शादी हे उसी के घरपर कीया जाता हे

हमारे समाज के आखरी नाम और कुलदेवता इस प्रकारसे हे , (जीतनोके कुलदेव के नाम मुझे पता हे उतनेही आखरी नामोके आगे दिये हुवे हे .)

नाम

कुलदेवी

पंवार

धार देवी

चंवांळ

आशापुरा माता

वाघेला

चावंड(चामुंडा )माता

घटाड

सिकोतर मां

राठोड

-

पडियार

पाबुजी महाराज

मकवांळा

-

लुंगातर

-

मेंळा

-

गुंदी

-

सिंदिया

-

धांदु

-

कोळी

खोडीयार मां

काळमा

-

मुंळ्याळी

-

बामळीया

-

राजस्थानसे भटका समाज , भुला आपणा गांव आपणे समाज का नाम |
कोई उसे धुंड कर दे दे , तो हो बडाही शुभकाम ||

दिपक हरिचंद पंवार
पुणे ४११०५२
(महाराष्ट्र )
deepakhpawar@yahoo.com
९९६०१६१२७२

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