आपाणो राजस्थान
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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''

जन्म तारीख : 30-08-1968
जन्मस्थल :बिठौड़ा कलां, तहसील माखाड़ जं., जिला पाली (राजस्थान) 306001
शिक्षा :इंटर मिडिएट (12वी) में राजस्थानी भाषा, बी.ए. में राजस्थानी भाषा,एम.ए. (राजस्थानी भाषा),नेट (यू.जी.सी.) राजस्थानी भाषा (2006), बी.जे. (एम.सी.) (जर्नालिज्म) 2008
लेखन :गीत, गजल, बालगीत, कविता और कहानियाँ
भाषा : हिन्दी, ऊर्दू और राजस्थानी

पुरूस्कार/सम्मान
जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) कानी सु. हिन्दी सेवा सम्मान
अखिल भारतीय साहित्य संगम उदयपुर कानी सु कलम कलावन्त
डॉ. अम्बेडकर फैलोशीप सम्मान

जुड़ाव
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं (संस्थावां) संस्कृति अकादमी-बीकानेर
राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर
राजस्थानी ज्ञानपीठ संस्थान, पाली
आदिवासी अकादमी पाली
राजस्थानी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मेलाप।

पत्रिकावां
जागती जोत, माणक मरूधर ज्योति
मधुमति, नैनसी, राजस्थानी, सूरतगढ,
जय मारवाड, युगपक्ष, राजस्थानी चिराग, राजस्थानी गंगा।

प्रकाशित पौथी
राजस्थानी कहानियाँ, झूमकौ, बातां रौ (2007)

अप्रकाशित
कहानी संग्रै
राजस्थानी कविता,
हिन्दी कविता,

अखिल भारतीय
ब्लॉक अध्यक्ष - राजस्थानी भाषा मान्यता संघ, समिति शाखा मारवाड, पाली
जिला अध्यक्ष - राजस्थानी मोट्यार परिषद, जिला शाखा पाली राजस्थान

कवितावां
आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान
आई आ आखातीज


झूमको बातां री (कहांणी संग्रै)
(श्री पन्नालाल कटारिया)

धापुड़ी
धौलौ दूध
साफा री लाज
अबला
मां
गिया रूंखां रौ फल
लौही रौ मोल
दारू दाखां रौ, उजाडै घर लाखां रौ
लाडेसर बापू
घर रौ दीवो
मिनखपणा
पराई थाली में घीर घणौ दीसै
रूपाली
जीवतौ भूत
लिछमी
रोलो
हेलजी अपणायत
कन्यादान
लांपौ
पराई बेटी
वंस रो बधापो
परायो धन
टीका रो दस्तूर
आबरू रो वेरी दारू
मोट्यार डोकरी
दायजौ
कालजे री कोर
बूढो मरतंग
थाल री टणकार
रामू रो बछेरियो
जद धरती धूजी


आपणी भासा राजस्थानी, आपणो राजस्थान
देश दिसावरी भेला होय,
सगला ल्यौ थै ठाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
रिपिया टक्का घणा ई,
कमावो, थोडो देवो ध्यान।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
राजस्थान ओलखिजे,
मायड़ भासा रे पाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
राजस्थान री राजस्थानी,
कांई परतख ने परमाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
राजस्थानी मीठी भासा,
अर, गुणो री खाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान,
मांयड ने मान दिरावालां,
हिरदै ल्यौ थे ठाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
अबै निदांला मत रहिजो,
थाने मायड भौम री आण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
गांव-गांव, ढांणी-ढांणी
मंडियो है घमसाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
मायड़ उडीके मानता ने,
ल्यावो संजीवनी, हडमान।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
मायड़ सूपत सब ऐक है,
किण विध खिचाताण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
जग बिसरमा उडीकतां,
पर! कोनी मिली पिछाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
धरमराज बण कोई काढेला,
मानता रो फरमाण।
आपणी भासा राजस्थानी,
आपणो राजस्थान।
हाथ जोड अरदास पन्ना री,
मिलै मायड़ ने सनमान।
आपणी भासा राजस्थानी
आपणो राजस्थान

आई आ आखातीज
आई आ आखातीज।
गलवाणी रो रांध्यौ खीज।
टाबर पणा (बाल विवाह) रा बोयाबीज।।
कैवे बापू पांच बरस रा टींगर ने।
बेटा, चाल धोक देवणने मिंदर में।
चंवरी मंडी है घणी भारी।
आई परणीजन रीर थारी बारी।।
टींगर मून खोल्यो।
बापू सूंकी बोल्यो।।
बापू। म्हनै तो भूख कोनी,
थोड़ो सो पाणी पाय ले
अरफेरा थूं खाय ले।।
म्हंनै तो आवे नींद
कोनी बणू म्हैं बीदं।
टींगर जाण्यो आई आखातीज
बापू ल्यायो कोई खावण री चीज
बो उठ'र मूंडो धोय लियो।
भान पड़ी जद बोल्यौ।।
म्हनै बापू भण्णदे।
मोटो मिनख बणण दे।
थारा क्यूं हिया फूटा
टाबर पणै क्युं बांधे खूंटा।
देख उण कान्या मान्या मंगनिया ने
रोवता देख उण छगानिया ने
बै आपरै करमां ने रोवे है
जमारो बिरथा ईखोवे है
टाबर पणै ब्याव री कोजी रीत
बापू मत कर ऐड़ी प्रीत
आई आ आखातीज

धापुड़ी

मझ थकी मांय ऐक ढाणी जठै नीठ पच्चीस तीसेक घर होसी। पक्का घर ढाणी मांय दोयक होसी। दूजा सगला झूंपा मांय जीवण बसर करै। पर्यावरण प्रदूषण रे नांव सूं अनजाण सगला मौज सू रैवे। अठै कठै हवा प्रदूषण, वाणी (ध्वनि) प्रदूषण अर जल प्रदूषण, अनजै नैड़ौ ई नी फट्क्यौ। सगला परिवार खेती कै ढांडा पालै अर इण माथै ईङज घर रो गुजरो काढ़ै। ठाणी सैर री सगली बांता सूं अनजाण। रेड़ियां दो तीनेक घरां माय जरूर मिल जावै। सगला मौज सूं हिलमिल रैवे।

मूंड़ा माथै अणूता नूर। करडी मेणत करै अर पेट पालै। मगलियो पण इण ढाणी रौ रैवासी। डील सूं लांठो अवधूत पर लत खोटी पड़गी दारू पिवण री, इण बाण के कारण गलियां माय रूलतो फिरै अर थोथी हथायां करतो रैवे। काम धंधा रौ तौ नांव ई नी घर। मांय पन्द्रे बीसेक छाल्या जरूरहै। जिणसू घर रो टबारो निठ गुड़कै।

मगलिया री छोरी धापुड़ी छाल्या चरावे। बरस पन्द्रेक री व्हैगी पण पोसाल रो मूंडो तक नीं देख्यो। पोसाण ढाणी सूं अलगी दूजै गांव मांय ही अर ढाणी मंय होया कांई व्हैतो। गांव रा घणखरा बूढिया तो ऐक ई जूनी रट लगायां बैठ्या ह कै भणाई करर किसो विलायत जावणो है। आपां ने तो औ ईज धंधौ करणो है।

अर छोरयां ने...? आंरो तो नांव लेता ई भंवारां आंख्यां तणीज जावै...कैवे छोरयां ने भणार के करणो है। ऐ तो पराए घर जासी अर लचूला चौकी करसी, ए तो परायो धन है पराएं घर जासी।

बखत री बात राज री योजना मुजब ढाणी मांय आखर केन्द्र खुल्यी। कनै गांव री ऐक भणी पढ़ी छोरी नीलम ने ओ आखर केन्द्र चलावण रो बीड़ो सूंपियौ। केई तिनां तांई वीं ढाणी रा मिनख..लुगाया ताबै नी आया पर उण आखर दू नीलम रे समझावण सू ढाणी रा घणकरा टाबरां ने केन्द्र माथै पढ़ावण सारू हामी भरी अर देखता देखता टाबर पढण लाग।

ऐक दिन री बात धापुड़ी-पगडाण्डी रै नैड़ै...ही, मांय छाल्यां चरावे ही...बा आपरी धुन में लाग्योड़ी गीत गावै ही। च्म्हारा छैल भंवर रौ कागदियौ म्हैं बाचूंला जी बाचूंला।छ इण ईज ओली बा कितरी बाल गाई ही।

आखर दूत नीलम बठी कर ढाणी जावै ही। नीमल की ताल ठमी च्थापुड़ी रो गीत सुणियौ अर माथो धुणियो, मन मांय कीं कैवण लगीछ आ अणपढ़ कियां कागद बांचेला, पर इणरो सुपनो म्है सांचो करूलां। अर धापुड़ी ने नैडी बुलाई, बीनै समझाई कि तू चावै ओ अबै आखर केन्द्र माथै आय सिंझ्वा रा पढ़ सकै अर थांरो कागद वांचण रौ सुपनौ पूरो कर सके।

धापुड़ी हंसती थकी कहवण लागी-किसी बांत करो हो...? अबै कुणसी पढण री ओस्था है...? अबै तो हाथ ई को तुले नीं...।

नीलम पण हंसती थकी समझावण लागी...गैली हुई है...? ए फकत थारौ मन रौ बहम है। थू म्हरै कनै आव म्है थनै भणाव देस्यूं।

नीमल री बात सुण धापुड़ी रे मन मांय भणाई करण रौ उमाव वापरियो। सिंझ्या तांई घरां जाव सगली विगत मां ने सुणाई। पर...बेटी री बात सुणता मावड़ री आंख्या सूं आंसुवां री धार बहवण लागी। बा रोवती थकी कैवा लागी-बेटी, म्हनै तो कीं ओलमो कोनीं पर धारा दारुड़िया बाप ने ठा पड़ी तो दोन्यू रे हाटकां रो चूरमो कर न्हाखसी। उणनै कुण समझासी। धापुड़ी फेरूं कैवण लागी च्माँ...बापू नितका दारू रा नसा ने हिंडता थका आधी तांई घरा पूगै...जितै म्हैं बैगी सी पाछी आय जास्यूं।छ बेटी रे मन री पीड़ अर उमाव ने देख माँ री छारी भरीजगी अर कह्यो च्आछौ बेटी...थूं जा।छ

अबै धापुड़ी आखर केन्द्र पर नितका जावण लागी। उमाव अर लगने पांण धापुड़ी बैगी सी अखबार रा आखर वांचण लागगी। पौथ्यां पण बांचण लागगी। माँ आपरी बेटी ने इयां देख घणी राजी व्ही। बा राज री योजना रा घणा बखाण करण लागी। ढाणी रा घणकरा भलाई पढ़ाई करण लागा। ढाली रा सगला मिनख, लुगायां, टाबर अबै नीमल आखर बैनजी कैवे। नीलम ने ढाणी मांय घणौ सन्मान दैवे।

बखत कितनै ई उडीकै कोनी अर बखत आया धापुड़ी मोट्यार व्हैगी कनै गाँव में धापुड़ी रो ब्याव व्हैगो। धापूड़ी रो धणी पण आखर बाचण जोगो ई हो। धापुड़ी घर रो सगलो काम काज आपरै बलबूतै करण लागी। धापुड़ी सासरा मांय सगलो रे मन भावण लागी। गांव मांय कोई बैठक कै मिटिंग व्है तो बठै धापुड़ी ने जरूर बुलावै।

अबकालै गांव रै सिरपंच रो ओहदो लुगायां खातर मिलियो आ खबर लाय री दाई गांव मांय फैलगी कि अबकालै गांव रो सिरपंच लुगाई बणसी। गांव मोटो हो इण सारू बठै पढी लुगायां रो टोटो नी हो पण इण ओहदा रे लायक सगला ने ओफकत धापुड़ी ई ज जंची।

गांव री बैठक व्ही। कुण ई धापुड़ी रे नांव माथै विरोध नीं जतायो अर गांव री सिरैपंच चुण दी।

धापुड़ी उभी व्है हाथ जोड़ सगला गांव वालो रो आभार जतायौ। अर आपरा पैला भाषण में कह्यो-घ्म्हैं बालपणै सूं अणपढ़ एक छाल्यां चरावण आली धापुड़ी गांव रा सिरमोर ओहदा तांई पुंगला सूपना मांथ नीं सोच्यौ हो पण राज री योजना रे मुजब खुल्यौ आखर केन्द्र म्हनै इण ओहदा तांई पूगावण में महताऊ भौमका निभाई। आप सगलां सूं आ ईज कैवणी चावूं के आप आपरा टाबरां ने जरूर भणावो। धिनवाद।ङ

धापुड़ी आपरै पियर (ढाणी) गई मां बापू ने धोक दोनी। आज मां रे ओढणी रो पल्लो (आंचल) खुशी रे आसुवां सूं तर व्हैगो हो। बापू पण घणौ राजी व्हियौ।

बेटी रे सिरैपंच बणण री खुसी मांय बो दारू छोड़ दियौ। क्यूंके अबै उणरी आंख्यां खुलगी। उणरो सिर ऊंचो व्हैगो हो। अबै बो सिरैपंच बेटी रो बाप कहिजै। धापुड़ी ढाणी मांय घर-घर जाय बूढ़ा बडेरां ने धोक दीनी अर टाबरां ने पढ़ावण री भुलावण देती रही। आखर केन्द्र पूकी आखर बैनजी नीलम सूं गलै मिली। कैवण लागी-च्बैनजी...धन है ओ राज अर इणरी योजनावां जिणरै मांय म्हैल छाल्यां चरावण आली धापुड़ी इण ओहदा तांई पुगी।छ

धापुड़ी खुद हुस्यार ही, इण खातर सगला कागद पानड़ा खुई ई बांचती अर गांव रो विका करायो। अबै उणने भणिया पढ़िया सिरैपंच पति कै दूजा मोटा रूंख री जरूरत नी पड़ी ही। धापुड़ी गांव रो अर परिवार रो नांव ऊंचौ कीनो। बा जई जावती अर बैठक होवती पैली टाबरां ने पढावण री भुलावण दैवती पछै दूजीं बंतल करती।


धौलौ दूध

पातूड़ी गांव री रोही में छाल्यां चराबै ही। उमर 6-7 रै लगहै टगै होसी। मन सूं भोली-ढाली पर आंख उणियारै फूटरी अर हुस्यार छोरी। इणरै दोय ओयं मोटी बैना ही जो घर रो काम काण ईज करै ही। पातूड़ी गांव री पोसाल मांय भणै ही। बा भणाई पढाई में सूं अगाड़ी खातर पोसाल रा सगला माट साङब बातूड़ी रो घणौ लाड़ राखता हा।

एक दिन पातूड़ी रोही में छाल्यां चरावै ही। छाल्यां कनै सी धोरा माथै फोग चबावै ही। पातूड़ी नैड़ै सी एक नाड़ी पर पाणी लेवण गई तो वा टाबर पणा री रमत में लागगी अर थोड़ी ताल बठै ई माटी रा रमतिया बणावण लागगी। फेरूं हाथ पग धोवण सारू नाडी रे पाण मांय उतरी तो अजाणचक पातूड़ी रो पग उंड़ै खाडा मांय पड़गौ अर बा पिसलर पाणी मांय गुचलका खावण लागी. हाका करण लागी।

नाडी कांनी हूं हाका हूक रोही में छाल्यां चरावता उणरै सागै पढण भोजा रै कानां पड़ी तो बो उभा पगां दौड़र ने पाणी सूं बारै काढी।

पातूड़ी रे नाक अर मूंडै सूं पाणी बारे आयौ। घड़ी दोयके रे पथै पातड़ू रो जीव ताबै आयौ। बा भोजा ने दौड़ता आवतो देख लियौ हो। बा घरां जाय सगली बीती बात आपरी मां अर बापू ने बताई तो पातूड़ी रा मायत घणा राजी व्हिया। भोजा ने घरां आवण रो कह्यो। भोजो रा मायतां सामी घणा बखाण कर्या। भई भोजा, आज थूं बठै नी व्हैतो अर पातूड़ी ने बारै नीं काढतौ तो आ आज मर ई जाती।

पातूड़ी भौजा एक डोरौ बांध धरम रो भाई मान लियौ। तीनूं बैनां भोजा ने धरम रो भाई मानै बालपणा री भौल में सगलौ धोलौ दूध निजर आवै। भोजो पण पातूड़ी अर दूजी नै बैनां समझण लागौ।

भोजौ खाता पीता खर रो छोरौ हो इण खातर इणरां मांयत उणनै सैर री अंग्रेजी पोसाण मांय पढण सारू सैर मेल दियौ हो।

बखत किणनै ई उडीकै अर टैम निकला जैज नीं लागी। बखत आया पातूड़ी मोट्यार व्हैगी। डील भरीयै गोलै। गोल उणियारो। मोटी मोटी आंख्यां। गोरो डील घणी फूटरी लागै ही पातूड़ी। पर उणरै घर री माड़ी हालत रे कारण तीनूं मोट्यार छोर्यां रो ब्याव अजै नी व्है सकियौ हो।

भोजो पढ़ाई करतौ थकौ सैर री जगत पोसाल मांय पढण लागौ हौ। पर बठै री सौबत रे पोणा भोजा मटरगस्ती अर दारू अर दूजा नशा करण लागगो। आ कैव है कि काल्या रे कनै धोल्यो रैवे तो गुण नीं तो लखण तो लेवै इज। इण कैवत रे मुजब भोजो पण दूजा छोरां री देखा देखी उंधी सौबत मांय फंसगो हो। अर इणा ईजी उंधी सौबत रे कारण पढ़ाई अधबीचालै छोड सैर री एक होटल मांय नौकरी करण लागौ अर पछै धरू होटल खोल मैनेजर बण बैठगौ।  ुणरी होट मांय केई भांत रा काला कारनामा व्हैतै रैवता। भोजो आपरी होटल मांय सगली सगवड़ देवण रो वादौ कर दिसावरी मिनखां सूं अणूतौ पईसौ लूटतौ। बीरै कने स्हैर अर आसै पासै री घणकरी काला धंधा करण आली छोर्यां अर लुगायां रा ठाणा ठिकाणा लिख्योड़ा हा।

भोजा ईया तो गांव आया बरस बीत गया पर मायतां री ओलूं आवण तांई घड़ी दो घड़ी सारू मिल पाछौ सैर पगू जावतौ हो। भोजा रा गांव मांय घणा बखाण व्हैता क्यूंकि बो जद कदैई गांव आवतो तो बूट सूट अर टाई लगायां चमचमाती पलका पलक करती दिसावरी कार सूं आवतो हो। पर गांव रा नै कांई ठा। बै तो सगलौ धोलौ धोलौ दूध ई जाणै हा।

भोजी री नजर अचाणचक पातुड़ी रै माथै पड़ी तो बीं री निजर बठै ई अटक गी। उणरी आंख्यां फाटीर फाटी रैयगी।

बो सायनां सूं पूछियो-घ्आ छोरी कूण है रे?ङ एक सायनौ पडूत्तर देतौ थकौ बोल्यौ-घ्आ तो पातूड़ी ा है नीं। कांई थूं इणनै पांतर गियौ? नाड़ी सूं बारै काड़ी ही इणनै..डूबती ने।ङ

भोजा बीं बखत ही हथाई छोड पातूड़ी रे घरां गयौ। भोजो घर रे आंगणां मांय मांची माथै बैसगो पर कुण ई उणनै नीं पिछाण सक्या हा। सगला उभा व्है हाथ जोड़ राम राम कीना। भोजा ईया नजारौ देख बोल्यौ घ्कांई थे म्हनै मलनै नी पिछाणियो? म्हैं भोजो हूं...भोजो।ङ ओह, भोजो। भई। सुणीजै थूं तो सैर मांय जाय मोटौ सेठ बणगियौ रे। सगला भोजा सूं बंतल करै।

अरे पातूड़ी, थूं इतरी मोटी व्हेगी...? पातूड़ी (हंसती थकी)...तो कांई म्हैं उतरी इज रैवती?..भई। भई...? भोजा ने एक झटकौ लागौ।...खैर। ऐ तो जूनी बातां व्हैगी। किसा भा ी अर किसी बैन...? गाय रे भैस कांई लागै रोही जाती भेली व्है...? मन मांय कीं गरणाट करै।

फेरूं कैवै...पातूड़ू थूं म्हारै सागै सैर चालसी कांई..? भोजो उणरा मां बाप ने सुणावतो थकौ बोल्यो। हां..थूं ले जासी तो म्है जरूर चालस्यूं...थूं तो म्हारौ धरम भाई है रे...? हां तो आज सिंझ्या म्हैं जावूंलो..थूं व्हीर व्है जाई जै भलौ। पातूड़ी अजै धोली दूध ई जाणै ही। बा राजी राजी भोजा रे सागे व्हीर व्हैगी।

सैर पूग्यां पातूड़ी तो जाणै सैर रो नजरा ौ देख गैली व्हैगी। बा सैर पैली दांण देख्यौ हो। भोजो दो चारेक दिन तांई तो पातूड़ी ने विस्वास दिरायौ। फेरूं एक दिन होटल रा एक ओरा मांय की ओढायोड़ी ट्रे ले जावण रो कह भोजो पातुड़ी ने ट्रे झिलाय दी। पातूड़ी सगलौ धौलौ दूध जाणै ही इण खातर बैजा नी मान्यौ।

बा हाथ में ट्रे लियोड़ी और मांय बड़ी तो ओरो रो किंवाड़ आपू आप बंद व्हैगो। पातूड़ी पीछौ जोयौ तो बंद किवाड़ ने देख होश भूलगी। बा ट्रे ने बई पड़ी टेबल माथै राखी। ओरा मांय एक दिसावरी (विदेसी) अधकर रो बैठी मुलकै हो..बीरै मूंडै सूं अचाणचक निकलियौ, वाह..! भोजा...वहा। तेरी तो दाद देनी पड़ैला। (अंग्रेजी लहजा में हिंदी बोलता थको) हाऊ  ब्यूटी?

आज तो खूब शराब (दारू) पीऊंगा और ऐश करूंगा। लट्ठौ ट्रे सूं गाभौ अलगौ करे..ट्रे मांय दो खाली गिलासां अर दिसावरी दारू री बोतल ही...? पातूड़ी एक खुणै मांय हिरणी री दांई धूजै ही। बा किंवाड़ भचीड़ण लागी अर भींता सूं भचीड़ खावण लागी पर उणरी आवाज ओरे बारै नीं पूगी। पातूड़ी ने अबै धोलो दूध कालौ व्हैतो निजर आवण लागौ। बा अणचेतै व्हैगी अर एक खुणै मांय पड़गी। पण वो दिसावीर लट्ठो पातूड़ी रे सागै कालौ मुंहड़ौ कर दियौ। पातूड़ी ने जद चैतौ आयो तो आपू आप तो खाट माथै पड़ी देख अर उणरा गाभा ने देख घणी रोई पर उणरी पीड़ी भींता रे बीचालै दबर रहगी। भोजो पातूड़ी रो सौदौ उण विदेसी लट्ठा रे सागै कर दियौ हो।
पातूड़ी ने धोलौ दूध आज कालौ निजर आयौ।


साफा री लाज

राधा अर माधु रो ब्याव बालपणै हिंडा हंडता री ऊमर मांय आखा तीज रे मौकै वहैगो हो। आखा तीज रे दिन बाल ब्याव राजस्थानी समाज री घणकरी जातियां मांय आज पण राज री आंख्यां रे सांमी व्है। ओ दिन अबूझ सावा रो दिन मानीजै, इसी मानता है। राजा बाल ब्याव ने ढाबण सारू भांत रा जतन करै। सारदा एक्ट नांव रो एक करड़ो कानून बणायौ। पर समाज री इण कोजी रीत माथे ओ कानून असरदार निजर नीं आयो।

राधा पण इणरी लपेट में आयेगी। राधा रो बाप गोपाल अर माधु रो बाप भोपाल दोन्युं आपसारी में सगपण रो दस्तूर कर सगा बणगा। बे दोन्युं टाबरां ने बालपणै ब्याव रा बंधण में बांध दिया।

राधा अर माधु वखत परवाण मोट्यार व्हेगा। राधा कॉलेज री पढ़ाई पूरी करली। माधु तो आठवीं तांई नीठानीठ पड्यौ, बो भणाई पढाई छोड़ कलकते जातो रह्यो, बठै रूलतौ फिरै अर गलिवां मांय फिर फिर ने जूनो कबाड़ भेलौ करण रो काम करै। सोबत रे माय बो सिंझ्या तांई दारू री मेहफलां करै।

माधु धरां (गांव) समाचजार करिया क वो कलकते में ट्रेनिंग कर एक कॉलेज में बाबू बणगो, आ झूठी खबर लाय रे पूरी गांव में फैलगी, जियां आज पण हुवा करै है।

राधा तांई ऐ समाचार पूगा तो बा घणी राजी व्ही। बा मन मांय सोवणा सपना देखण लागी। कलकते जिसा मोटे स्हैर मांय म्हारौ घरधणी बाबू री नौकरी करै, इणसूं वैसी म्हारै वास्तै कांई हरख व्है सकै, बा ऊंड़ा विचारां मांय डूबगी।

राधा अर माधु बखत पाण जोध जवान (मोट्यार) हुयगा। राधा ने बिनणी बणाय घणा लाड कोड सूं माधु रे सगौ आणौ कराय दियौ। दोन्युं छोरी जोबन री थलेटी माथै जद पांवड़ौ राखै तो उणां रौ आणौ कराय दियौ जावै।

माधु एक दो दिन गांव ढबियौ अर बैगो सी कलकते व्हीर व्हैगो। राधा माधु री बात माथै विस्वास कर लियो क वो कलकते स्हैर मांय बाबू रो ओहदा पर नौकरी करे। कलकतै में उणरो दो माला रो घर भी है। माधु एक मीना री तातील पछै कलकते गियो हो।

अबै माधु ने कलकते गया 7-8 मिना व्हैगा। बा माधु ने उडीकती रही। बा विजोगण सूखर कांट व्हैगी। लाज री मारी बा किणी ने कांई नीं कैय सकी।

राधा री नेनकी नणद सुमन तो राधा ने देख बावली व्हैगी। बा भाभी रो पल्लौ पण नीं छोड़े। एक दिन राधा सुमन री आंगली पकड़र ओरा मांय लेयगी अर हथाई करण लागी। राधा पूछ्यो, च्सुमन थां कुणसी किताब तांई भणिया हो।छ पांच किताब तांई भणी भाभी सा सुमन पडूतर देती थकी कहो। बेसी नी भण सकी क्यूंके आपणा गांव मांय पांचवी तांई ईज भणाई व्है सकै अबै तो स्हैर जाणो पड़े अर घर आला ने इंगेज कोनी। सुमन बोली। थांरा भैया रे सागै क्यूं नी गी? बठै तो आपणो घर भी है नीं? राधा लगौलग पूछती गी। नीं भाभीसा बो घर तो मासी रो है, भैया रो कोनीं। मासी बठै सरकारी पोसाल में मास्टराणी है, सुमन फेरूं पडूतर दियौ। कांई बो घर थारौ कोनी? राधा ने एक करड़ो झटको लागो।

बीं नासमझ ने कांई ठा हो कि उणरा एक सबद पण राधा रा कालजा करवत बैवेला। बा मन में विचारे माधु इतरो कूड़ौ क्यूं बोल्यो कि उणरो दो माल रो घर कलकतै सैर मांय है? राधा रो माथो भरन्नाट करवा लागो। फेरूं राधा पूछ्यो थारा भैया कलकते री एक क ॉलेज में बाबू रा ओहदा ने नोकरी करै आ तो सांची है नीं?

आ सुणतां ई पेली तो सुमन जोर जोर सूं हंसण लागी..भैयार अर कॉलेज रो बाबू..? भाभी सा थां कांई हंसी करो हो। वौ तो कलकते में जूनो कबाड़ भेलो करण रो काम करै है। इण बात री ठा म्हनै आपांरा गांव रा सेठ रे मूंड़ै सूं सुण जद ठाह पड़ौ ही। बे घरां आय बाबू सूं कह्यो हो छोरो ऊंदी सोबत में पड़गो है। मौके टोके कदैई मिलै तो दारू रा नशा में हिंड़ा हिंडतो दिसै। म्हैं आ बात म्हारै कांनां सूं सुणी ही काम काज रे बारै में सेठ जी ईज बताई ही जको म्हैं थानें थांने कह्यो। सुमन भोले मन सगली गांठड़ी भाभी रे सांमी खोल दी। बा फेरूं कह्यो सेठजी री कलकते मांय सोना चांदी रे दागीणा री लांठी दुकान है, बो तो वरसा सूं बठैई बसगा मौके टौके गांव आता जाता रैवै, समुन लगोलग पडूतर दैती री।

आ बात सुणतां पांण राधा तो अणचेत व्हैगी, इतरौ झूठ...इतरो जाल म्हारै आगै? बा जोर सूं रोवण लागी अर मन मांय कीं बड़बड़ावण करण लागी।

राधा उणरा बापू ने जद सगली बात बताइ तो उणरो बूढो अर लाचार बाप माथा सूं साफो उतारङर राधा रे सामी राख्यो अर कहवण लागो, घ्बेटा म्हारे साफा री लाज राखङ समाज री रीत रे मुजब आपां ने चालणो पड़सी, पति परमेसर मानीजै चाहे बो अणपढ़, लूलो, खोड़ो, कमाऊ, अणकमाऊ किसो ई व्है। समाज री आ मानता है कि बेटी ब्याव होयां पछै इण कहावत पाण कि घ्अभि आई वा आडी जाईङ कैवण रो मतलब कि मरियां पछै ईज ओ साथ छूट सकै है।

बापू री बात सुण राधा तो अणूते भंवरजाल मांय फंसगी। बा करै पण कांई करै।

पूरो एक बरस निसरयां माधु गांव आयो। राधा माधु सूं सगली बातां अर हाल चाल पूछ्या।

राधा री बोली में फेर देख माधु घबराय गियो। बो बोल्यो राधा थूं ऐ सगली बातां क्यूं पूछै? कांई म्हारै माथै भरोसो कोनी? जे घर नहीं है तो बण जासी। थोड़ो घणो कूड़ तो सगपण रा मामला में भैलीजै ईज है। माधु ठीमरपणौ जतावतो थको राधा ने समझावे। थोड़ो सो कूड़? थां तो कैवता हा कि कलकते में दो माला रो बंगलो है अर कॉलेज रा बाबू हो? अर आ थारे मुंड डै सूं बास...? राधा रोवती जावै अर कालजा री पीड़ कम करण रो जतन करै।

राधा अबै म्हैं कीं दूजा काम धंधा री भाल कर देस्यूं. थूं चिंता न कर। बो राधा ने बिलमावे अर उणरी बाथां में मांय लेवण लागो। राधो तो जाणे भाटो व्हैगी। बा माधु ने एक निजर देखण लागी। अबै राधा सगली पोल जाणगी ही।

दूजै दिन दिनूगै माधु तो पूछ्या न ताछ्यौ कलकते व्हीर व्हैगो। बो राधा ने ईया ईज बिलखती छोड जातो रह्यो।

मन मांय एक घुटन, एक तड़पम उणनै कोजी भांत तोड़ न्हाखी ही। पंख काट्योड़ा पंखेरू री दांई बा फड़फडावै ही। बा अबै मानण लागी कि इणमें सगली भूल समाज री इण कोजी रीत री है म्हनै बालपणै परणाय दी। राधा को बुझयोड़ो मन किणी काम में नी लागै। अबै बा चेता चूक होयोड़ी सी लागै। कदै सी चूल्हे पर दूध उफणीजर ढुल जावतो तो कदेसी माथै पर सूं पाणी रो मटको पड़र फूट जावतो।

इयां काम रे बिगाड़ ने देख उणरी सासू रीसां बलती कोजा बोल बोलती। बा केवती-म्हनै किसी अधगैली बिनणी मिली है। राधा सासू रा खारा बोल सुण सुण सांची अधगैली व्हैगी ही। कदैसी बा उभी सी आगला कै गलियारा में धड़मा सीलाड़ी रे जियां पड़ जावती अर अणचेतै व्है जाती, हाथ पग करड़ा ठीठ व्है जाता अर दांतौर जुड़ जावता। राधा री सासू ईयां देखती तो डाफाचूक व्है जाती कदैसी उणनै पगरखा सूंघावती तो कदैसी पाणी रा छापका मूंडै माथै देवती। आस पडोस री लुगायां भैली व्है जाती। जद राधा ने चेतौ आवतो तो उणरी सासू फेरूं ताना देवण सूं नीं चूकती-केवत बाप किसी वैंडी टाबरी म्हारे गलै न्हाख दी? अबै इने भान आयो कि माधु रातो रात पाछो व्हीर क्यूं हुयो अर अजै तांई पाछो क्यूं नीं बावड़ियो?

राधा ने इयां देख गांव री एक बूढी डोकरी राधा री सासू सूं कह्यो घ्कोजो नीं मानो तो थाने एक बात कैवूं। म्हारौ चित तो कैवे कि इणरै माथै डाकण री छिंया पड़गी लागै। म्हारी मानो तो इणनै भोपाजी रे थान माथै लेय जावङ डाकर सल्ला दीनीं।

घ्थां चोखो कह्यो मांजी, सांची इ ै डाकण लाग्योड़ी लागै। बहेम म्हनै पण व्है।ङ राधा री सासू हामी भरत थकी बोली

आ बात व्हैतां ई लाय री दांई सगलां गांव मांय बैगी सी पगूती व्हैगी कि माधु री लुगाई राधा ने डाकण लाग्योड़ी है।

राधा री सासू राधा ने थान पर बूझ करावण सारू व्हीर होवण रो कह्यो पर राधा सासू रे सांमी हाथ जो़ अर पगां पड़ कहवण लागी, घ्मांजी म्हने कठै ईमत ले जावो। म्हूं सावल हूं।ङ

राधा री सासू नीं मानी अर धिंगाणै उणनै पकड़र टींगा टोली कर बलद गाडी मांय न्हाख दी अर थान माथै भोपाजी रे सांमी ले जाय पटकी। भोपा री मोटी मोटी आंख्यां, उघाड़ो डील, हाथ में मोर पंख, गलो मालवां सूं अटियोड़ो, कमर मे मोटा घूंघरा बंधियोड़ा बो मन मांय की जंतकर मंतर गरणावतो रो राधा रे आसे पासे गोल कुंडल काढ्यो। जोर जोर सूं बोलतो थको बो  कूदण लागो, राधा सूं वाचा लेवै, घ्बोल कुण है थूं? अठै किंयां पूंगी? इणसूं थूं कांई मांगै है?ङ भांत भांत रा सवाल करतो थको चिपटो वासदी में तपाय तपाय राधा रा डील माथे जोर जोर सूं ठोकै। राधा जोर जोर सूं कुरलावै अर जिनवार के जियां अणूती डाडै पर भोपो तो उणनै सांच बोलावण में खपै हो।

राधा रोवती, कुरलावती बोले, घ्म्हैं राधा हूं। म्हैं एकदम सावल हूं। म्हनै मत मारो।ङ
घ्ढब, थूं इयां साच नीं बोलेङ भोपो फेरूं चिपटौ तपाय मारै राधा तो चेतौ भूलगी। बा बैठी जठै ई गुड़गी। अणचेतै व्हैगी राधा।

राधा ने इण हाल में देखतां पाण भोपा रो भाव एका एक उतरगौ। राधा रे मूंडा माथै पाणी रा छापरा देवण लागो।

थोड़ी बखत सूं राधा ने चेतो आयो तो भोपा रो जीव में जीव आयो अर बीनै घरां ले जावण री भुलावण दे दी।

राधा री सासू उणरा बापू ने समाचार दिराया कि उणरी मांदी बेटी ने अठै सूं लेय जावै। राधा रो बापू उभा पगां व्हीर व्है राधा रे सासरे पूगो अर उमरी सासू रे सामी आपरे साफा री लाज राखण री भीख मांगत थको बोल्यो, घ्सगीजी, म्हारे साफा री लाल राखो।ङ बेटी राधा थांरे कांई हुयो, म्हारै साफा री लाज मती गमाइजै बैटी।

गोपाल राधा ने गांव ले आयोओ। सोना जिसी फूटरी फररी बेटी री हालत देख बाप रो कालजो एका एक भावी व्हैगो। राधा सूं पूछ्यो बेटी थांरे कांई दुख है? राधा तो कीं नीं बोली बीनै ठा हो किबापू नेबतायां की फेर पड़ण आलो कोनी। साफा री लाल राखण रीबात उणरी सांमी छाती कटारी लेय उभी ही।

दो च्यार दिन निसरया भणिया पढिया री सल्लू सूं गोपाल राधा ने एक लेडी डाक्टरणी रे कनै ले गियो। डाक्टरणी राधा ने विस्वास में राख ईलाज देवण लागी। हवलै हवलै राधा सावल व्हैगी पर अजै तांई उणरे मन मांय बापू रे साफा री लाज राखण आली बात आज पण उणरी जिनगणी रो रोड़ो बण सांमी छाती ऊभी ही।

राधा हाथ जोड़ बापू सूं कैवल लागी, घ्बापू, दो बरसां तांई म्है थारैङ घ्साफा री लाजङ राखली। अबै आप म्हारी जिनगणा री ला ज राख लो। म्हनै जीवती राखणी चावौ तो बीं घर म्हनै पाछी मत भेजो।

डाक्टरणी गोपाल ने सगली बात बताय दी ही। बो राधा री अरदाम मान ली। राधा रे कालजा री पीड़ ने जाणगौ हो। आ पण जाणगो हि बालपणै रै ब्याव री पडी छोरी ने बेसी झेलणी पड़ै। छोरी रे बी.ए. कै एम.ए. होयां भी उणरो मायनो इण समाजन में नीं है। फख्त घ्साफा री लाजङ फूटरी फररी अर सांतरी भणी पढ़ी ने एक दीठ रे लारै धकैल देणौ ओ सरासर इन्याव है।


अबला

सुखी मां अर बापू री मोबी अर एकाएक धीवड़। इण खातर घणा लाडै कोडै पली, पढी अर मोटी हुई। सुखी रो बापू लाखन एक चौथे दरजे रो राज रौ एलकार हो तो पण आपरी लाडली ने नैणा रे पलकां माथै राखतौ। सुखी री हर मांग पूरी करण रा जतन करतौ। इयां कोडां सुखी मोट्यार व्ही। डील सूं भरियै गोलै, घणी फूटरी फररी। हरिणी जिसा नैण, कमल री पांखड़िया जिसा गुलाबी होठ, कमर तांई लाबां केस अर हंसणी जिसी चाल, एक परी सूं कम नीं लागै है। भणाई-पढाई में सै सूं सिरै ही।

लाखण सुखी रै सगपण सारू गांवतरा करै, फिर फिर पगां रै पांणी काढ़ै पण दायजा रा लोभी बाकौ फाड़र बैठा रैवै। लाखण रै कनै दायजा सारू देवण नै घणौ कीं नी हो। फेरूं पण कीं जोड़ जुगत कर कर कनै सी गांव मांय सुखी रौ सगपण तय कर दियौ अर ब्याव पण कर दियौ।

छार छव मिना तो सूती  ंगगा बही, पर कीं पछै ससरा आला सागी औकात माथै आयगा। सुखी नै दायजा सारू ताना देवण लगा ा। सासू कदै कैवे, भुख्या घर री पाने पड़ी। देवण ने कीं नी तो जा थारै मायतां रे घरां जार बैसजा। पाठौ मुंडो मती ना बताजै। म्हारै लाजू जिसा बेटा ने थारे जिसी तो तेपनसौ मिल जासी। जा थारै बाप ने कैय दीजै कि घर आलो कीं काम धंधो करणो सरो मंसूबहो राखै है, म्हारो बेटो भणियो पढ़ियो नीं है तो कांई? पन्दरे बीसेक छालियां ले लेसी।

सुखी कीं बोली (भुलावण सारू) घ्मांजी कीं दूजो काम करावतो तो चोखो रैवता।ङ अरी थूं कांई जाणै ओ काम माड़ो है, देख, बिहार री राबड़ी देवी ने, बा मुख्यमंत्री व्हैतां थकां जिनावर पालै है, तो आपां किसी खेत री मूली हां। सासु सुखी ने पालती थकी बोली।

लाखन बेटी री पीड़ ने जाण बापू  की फेरूं जोड़ जगत कर बीनै पंदरेक छालियां सारू रकम देय दीनी, इण विचार मांय के किंया ई बैटी सुखी रैवै। सुखी रौ घणी एवड़ सारू छाल्यां ल्यायो अर चरावै। कीं बखत निसरियो पर बो ऊंधी सौबत में लागगौ। छाल्यां मायतां सूं परबारी बेच देवतो अर दारू पीवण लागौ। सुखी पर फेरू पईसा टका सारू ओओखा बोल बोलण लागी। मौसा देवण लागा।

सुखी घणी री मारकूट अर सासू नणद रा ओखा बोल सुण सुश सुखर कांटौ व्हैगी। वा पागल जिसी हरकतां करण लागी। कबाणी चूकगी, चेताचूक व्हैगी।

सुखी माड़ी दिमागी हालात रै पाण कदै माइजल रात या अधरात्यां घर सूं बारै निकल जावती तो सगला लारै भाजता अर सुखी ने समाज रे डर पाण पाछी ले आवता। कदै बीनै ओराय मांय बंद कर देवता। भूखी अर तिकरसी बा भींतां सूं भचीड़ा खाती।

जोग री बात, सुखी अंधारी धुप्प रैण घर सूं बारै निकलगी अर चालती रही, अककालै बा सासर आला रै हाथै नीं आई। सुखी रे जावण रौ कोई ठाणौ ठिकाणौ नी हो। बा तो पागल हुयोड़ी है। बा ईया चालतां चालतां एक स्हैर मांय पूगगी।

सुखी पागल जिसी हरकतां करै, मन मांय की गरणावती रैवै, कुत्तिय भुसे अर लारै न्हाटै, वींरा सगला पूर फाड़ लीरा लीर कर नांख्या। माथा रा बाल उलुझियोडा अर बिखरियोड़ा, पगां सूं उलबाणी। फाट्योडा पूर हाथां रै अर पगथलियां रै बांध्योड़ा। कचरा री ढिगलियां माथै फिरै अर फाट्योड़ा पूरा मेणीया (पॉलीथीन) भेला कर एक गांठडी माथै लटकाई राखै। जाणै कोई वाली (खास) चीजां उण मांय बांध्योड़ी व्है। पर बीं वैंगला अबला रे वास्ते अबै इण सूं व्हाली चीजां कांई व्है सकै ही।

बा अबला गलियां मांय रूलती फिरै। लुगायां, मिनख अर टाबरिया अलगै सूं रोट्यां रा टुकड़ा उणरै सामी फैंके अर नैड़ी आवता देख आडौ बंद कर मांय बड़ जावै। बे रोट्यां रा टुकड़ा ईया फैंके जाणै गली रा कुत्तियां ने देवता व्है। बा रोट्यां रा टुक़ड़ा सड़क सूं बीण लेवै अर ऊभी ऊभी खावण लाग जावै।

सुखी एक रूंखड़ा हेठै रात वासौ पूरौ करै। ईया करतां बरस दोयक व्हैगा। कोई दारूडियो मंगतो सुखी रे कनै दूजा रूंखड़ा हेठै आवण लागौ अर रातवासो ई बठै लेवण लागौ। बो मंगतो सुखी री पागल हातल ने देख उणरै साथै कालौ मूंडौ करतौ रह्यो। बा पगली अबला कांई जाणै-बो कुण है? कांई है? बो कांई करै है? बीनैं कीं भान नीं हो। उणनै तो खुद रा पूरा सावल करण रौ भान नीं हो, तो बा किणनै पालै ही।

एक दांय सायत बा पगली हात में बीनै (मंगत ने) काठौ पकड़र हाथ रो चामड़ो दांतां सूं तोड़र ले लियौ हो। बीं दिन सूं पाछौ बठै निजर नी आयो। सुखी रौ पग भारी व्हैगो। बा ईया ई गलिया मांय रूलै ही।

एक दिन बा एक गली मांय खाली रे कनै लुटै ही, सगला मिनख, लुगायां, टाबर आवता जावता देखै हा। कुण ई उण अबला री मदद नै तैयार नीं हौ। कनै सी एक घर रो सेठ सुखी री इण हालत ने देख स्हैर मांय काम करण आली संस्था मानव सेवा केन्द्र नै फोन घुमायौ। फोन सुणतां पाण बठै सूं एक एम्बूलेंस आई। सुखी ने सावल मांय बैठाय सफाखान लै गया।

सुखी सफाखाना मांचा माथै लुटरी रही अप पछै उणरै एक गीगौ जलमियौ पर बा तड़फत-तड़फती आ दुनिया छोड़ सुरग सिधाय गी। पर बो छोरौ कांई बणसी मंगतो कै देस रौ नेतौ? आ तो बखतई ज बतावेला। बीं अबला री पीड़ी इण समाज मांय दबर रैयगी।


मां

मीरा सफाखाना रा मांच माथै सूती तड़फा तोड़ै ही। कैई दांण कमर पकडर बा गांठड़ी सी भेली व्है जावती। दरद रो हिलारो उणनै कोजी भांत फंफेड़ न्हाखी। कदैई तो सांसा ई भुलाय देवतौ। मीरां रै जापौ होवण में कीं घड़ियां घटे ही। नर्स आई मीरां रै सूई लगाई अर स्ट्रेचर माथै सुलाय ऑपरेशन रूप मांय लेगी। मीरां रै धणी संकर बारे उटीक रह्यो हो। सफाखाना मांय आवण रो उणरै पेलौ कामई ज हो।

ऑपरेशन रूप री लीलकी बत्ती जुपी। नर्स बारे आई, संकर ने बधाई दी बोली, छोरो जलम्यौ है। संकर रो जीव थोड़ै ताबै आयो। नर्स फेरूं कह्यो, मीरां एकदम सावल है, ऑपरेशन सफल व्हैगो।

संकर मीरां सूं मिलण नै उतावलौ हो पर अजै बा बेसुध ही। उणने स्ट्रेचर माथे पाछी सागी मांच माथै ले आया।

दो तीन घड़ी पछै मीरां ने होश आयो तो बा आपरै कनै सुत्योड़ा बेटा ने देख निहाल व्हैगी। आज बा मां बणगी ही। आज उणरी खुसी रो पार नीं हो। बेटा रो नांव घणै कोड़ सूं अमरौ राख्यो गयो। मीरां उणरा लाडला ने हरमेस उणरी छाती सूं चेप्यो राखै क्यूंकि मीरां अबै फकत मीरां नीं ही बेटे री मां ही।

काजल रा टीका टमका लगावै इण सारू के कठै उणरा लाडला ने निजर नी लाग जावै। ईया लाड़ां कांडा अमर मोटो होयो। पोसाल में दाखलो करायो।

संकर लकड़ियां बाठर भारियां कनै स्हैर में बेचर मेलावो रो टबारौ चलावतौ।

जोग री बात के कोनी होनी किणी सूं टले कोनी संकर जंगल मांय लकड़ियां बाढ रह्यो हो कि सता जोग गहरी बावल आई। घणकरा मोटा मोटा रूंखड़ा धूड़ भेला व्हैगा। अरम रो बापू संकर उणरी लपेट मांय आयगो  ेक मोटा दरखत रो सियारे अबखी पल मांय लियो हो पर बो दरखत उलल गियो अर संकर हेठै दबर मरगो।

मीरां तो जाणै धरती भेली व्हैगी। बा बेटा ने छाती सूं चेप घणी रोई पर अबै कांई व्है?

मीरा अबै अमरा ने देख देख दिनड़ा तोड़ै। अबै बो इज फखत सियारो हो। कदै अमर पोसाल सूं रोवतो घरां आवतो अमरी री आंख्यां मांय आंसू देख मां रो कालजो फाटण लाग जावतो कुण कूट्यो म्हारा आंख्या रा तारा ने? कालजै री कोर नै ओलबो देवण सारू कदै कदै पूरै बास में रोलो मांड देवती। बावली व्है जावती। क्यूंक बा एक मां ही...।

ईया लाडां कोडा अमरीयौ मोट्यार व्हैगो बो मां रो घणो सम्नाम राखै। सिंझ्या तांई बेटो कदै मोड़ो आवतो तो बा बारण कनै ऊभी उडीकती रेवती..चूकि बा एक मां है अर मां रो जीव...।

अमर रो बखत पाण ब्याव कर दिया। घरमां बिनणी आई मीरां घणी राजी व्ही। बिनणी रा वारण लिया, कुंकुं पगल्या मंडाया। बिनणी सासू रे पगां लागी। घरर मांय उच्छब मनायो। केई दिनां तक तो सूती गंगा बैवती री पण हवलै हवलै अमरां मांय कीं फेर वापरियो बो आपरी लुगाई रे केणां मांय चालण लागगौ। केई दिनां तांई मां सू बात नीं करै। मीरां अबै उमर रै लारलै पड़ाव में आयगी ही। बेटा ने ईंया देख मीरा कालजा माथै भाटो राखर मन मसोस ने बैसगी। अमर री लुगाई घर मायं सासू ने सावल बैठण री सीख देवती रेवै। नुंवा जमाना री बिनणी रे मीरा अबै आंख्यां मांय खटकण लागी। आ भरांत मीरा ने घड़ी पल सहन नी व्है पर बा..मां..है।

एक दिन मीरा आपरी बिनणी अर बेटा री दुभरतां सूं तंक व्है आधी रात घर बारे निकलगी। अंधारी धुप्प रात हाथ में एक नैनी सी गांठड़ी जिणमें दो फाट्या पुराणा पूरा व्हैला। न ठावौ ठिकाणौ घर मंजलां घर कूंचा मीरां चालती रही। पांच छह दिन रा गांवतरा रे पछै बा एक स्हैर रै नेड़ै पूगगी। कीं थाकेलो कम करण सारू बठै बैठगी अर आंख लागगी।

जितरे बठी कर एक मारूति निकली बा थोड़ी धकै जाय पाछी पाछपगी मीरा कनै आय ठमी। एक मिनख बूट सूट मांय अर लुगाई धोती (साड़ी) बांध्योड़ी फाटक खोल बारे निकला। मिनख रै मूंड़ै सूं चाणचक निकलयौ मां...। मीरां रै कांना मांय मां सबद पड़तां ई हाफलवाई उठी। फेरूं मीरा सूं ठाणौ ठिकाणौ पूछण लागौ। मीरा बोली, बेटा इण दुनिया मांय सगलो रो ठिकाणो एक ई है, पछै थूं म्हनै कुणसौ ठिकाणौ पूछै है? मारू आलो फेरूं बोल्यो, मां..जी, म्हारो मनसूबौ थाने दुख देवण रो नीं है। बात आ है कै म्हैं दोन्यूं घणी लुगाई हां. म्हारै लारला पंदरै बरसां सूं कोई टाबर नीं है इण खातर बालघर सूं एक टाबर खोलै ल्याया हां. म्हां दोन्यूं धणी लुगाई नौकरी आला हां थां इणरी देखभाल राख सको तो? मीरा रे कालजे मांय फेरूं ममता जागगी। बा हाम भर ली। मीरां उण नैना टाबर री देखभाल सगा बेटा अमरीया री दांई करण लागी। उणरो नांव चंचल राख्यो गयो। चंचल मीरा री देखरेख में मोटो होवण लागो।

जोग री बात अमर री उण इज स्है मांय नौ ैकर लागगी। बो आपरी मोटर साइकिल माथै दफत्र कानी जावे हो कि ट्रक री फेट में आयगो अर घायल व्हेगो। लोग उणने सफाखाने पुगायो। चंचल रो बाप अर जो मीरा ने मां मनर घरां लायो हो बोईज उण सफाखाना मांय डागधर। डागघर री कोसिस रे पाण वअमरा रा पिराण बचगा पर लोही घणो बैवणा सूं कमी आयगी ही। छुट्टी होयां डागघरां घरां पूगौ मन मांय की गरणावे नांव तो अमरौ..पण मौत सूं झूं जै। किसी अजीब बात है। आ बात मीरां रे कानां तांई पूगगी तो बा पूछ्यौ बैटा कैबता है, आज ईंया अणमणौ सो किंया लागै, अर ओ अमरौ..? जिकै रो नांव अबार लियो। मां..जी ईया ई म्हां डागधरां कनै केई अजूबा आवै है। आज एक एक्सीडेंट रो केस आयो, जिणरे कलाई माथै लिखयोड़ो है अमर पर मौत सूं झूंझै। लोही चाईजै उणनै नीं तो वो...? मीर  ाअमर नांव सुणता ई एक दाण जोर सूं कुरलाई..नी! डागधर अचंभौ करण लागौ पर मां थारे कांई हुयौ? बेटा डागधर म्हनै सफाखानै ले चाल। म्हारौ लोही देउण उणनै।

मीरा सफाखाने पूगी तो बा उणरी सागी अमर ने होली सूं रगाबग देख चेता चूक व्हैगी। बेटा ने ईया देख बा रोवण लागी। डागघर रै पगां पड़गी डागधर साब इणनै बचा ल्यौ। थां इ ै म्हारौ लाही चढ़ा दौ। साब ओ म्हारो अमरौ है। बेटा ने देख मां री ममता एकाएक फेरूं जागगी।

डागधर कह्यो मां..जी म्हैं लोही रो इंतजाम कर देस्यूं। अबै अमर म्हारो पण भाई है। मीरां कैवै नीं साब मर करो थां म्हारो लोही लेवो। डागधर रै माथै मां री ममता भारी पड़गी अर मीरा रै लाहो री तपास व्ही।  ्‌णर रा लोही सूं मेल व्हैगो। लोही चढ़ायो गयो। अमर नै होस आयो। मां नै सामी उभी देख अर डागधर रै मूंडा सूं सगली बिगत सुण अमरौ मा रै पगो पड़गौ। आ बो जाणगो हो के मां...कांई व्है। अमर डागधर नै जियां तियां राजी कर मां ने घरां (गांव) ले आयौ। अबे दोन्यूं धणी लुगाई मां री खूब सेवा चाकरी करै।


गिया रूंखां रौ फल

लिछमण लांठै डील रो घणी। साढा छवैक फुट रो भरपुर सूरोपूरौ मरद। मूंडा माथै अणूतो नूर। हंसोकड़ सुभाव। सगलां सूं हेत राखै। लिछमण हरमेस दिन उगै दूध रा ड्रम आपरी बाईसिकल माथै सैरल पुगावण सारू जावै हो। घर मांय राम राजी, गायां, भैंस्यां, धीणौ धापौ भरपूर। लिछमण री कमाई रै पांण उणरी धर आली पतासी मौज सूंरेवै ही। गैणा सूं लाम झूम हरेक बखत बण ठणर रैवै ही। पतासी फखत घर रा चूला चौकी, सासू री सेवा अर उणरा पांच बरस रा बेटा री साल संभाल में रेवै ही। लिछमण ढांडा री साल संभाल में लाग्योड़ी हो। गांव रा घणकरां मिनख अबखी पल मांय लिछमण रै कनै इज आवता हा। लिछमण किणनै ई ना देणौ तो सीख्यो ई कौनी, सगलां रौ काम काढ़तौ।

लिछमण रै घर मांय चार जणा धणी-लगाई, बूढी मां अर छोरौ। घर मांय सै ठाटबाट। सुख सांयती ही। सुरग जिसौ घर।

एक दिन लिछमण स्हैर सूं दूध देयर आयो ई हो के जितै नै गांव रौ विरमौ अणूतौ डाफाचूक होयोड़ौ लिछमण रै घर कानी दौड़तौ आवै हो। लिछमण बारणै रै कनै ऊभौ हो बोल्यौ, घ्कांई बात व्हैगी विरमा इतरौ डाफाचूक क्यूं है?ङ विरमो हाथ जोड़तो थकौ कैवण लागो, घ्लिछू भाई, नैनकियौ छोरौ रमतौ रमतौ पाणी री होदी मांय पड़गौ। छोरी री मां पाणी लेवण नै गी ही अर म्हैं भींत रै गारौ देवै हो। छोरा नै सफाखानै सैर लै जावणौ पड़सी, ई सारू कीं पईसां चाईजै अर थांनै पण सागै चालणौ पड़सी।ङ

घ्थूं घरां चाल म्हें आ आयोङ, विरम नै थथोपतो थको कह्यो। ताबड़ ताबेड़ लिछमण विरमा रै घर कांनी व्हीर व्हियौ। विरमा रै घरां मिनख लुगायां, टाबरां रौ हियो हियो लाग्योड़ौ हौ। छोरा नै जीपड़ी में स्हैर लै जाय ईलाज करायौ, दो तीन घड़ी री औखद रै पाण छोरो सावल व्हैगो। छोरा नै राजी बाजी सिंझ्या तांई गांव ले आया।

लिछमण रौ तो बो इज नित नेम गायां-भैंस्यां री निरणी करणी अर दूध दुहणी कर टैम सर सैर पूगावणौ।

जोग री बात लिछमण उणरी बाईसिकल माथै दूध बेच पाछौ गांव आवै हो के मारग मांय ट्रक रौ भचीड़ लागगौ, लिछमण पैडा हेठै किचरिजगौ अर मरगौ। गांव मांय बावर (समाचार) पूगा। बावर सुणता ई सगला मिनख बठै पूग्या।

ओ नजारो देख सगलां री आंख्यां सू आंसूड़ा ढलकै हा। पूरा गांव मांय हांड्यां बंधीजगी। सगलां रौ लाडलो हो लिछमण। कैवत में कैवीजै कै सौ मर जाइजो पण सौ ने तारण आलो मत मरजो। पण आज तो ऊपर आला रौ उंदौ न्याव हो। सौ ने तारण आलौ ई दुनिया छोड जातौ रह्यो। पर आ भी कैवत है कै घ्होली ने कुण टालै।ङ इण कैवत रै मुजब बूढा बडेरा उणरा दुखी मेलावा नै थथोबौ दैवता।

लिछमण री बूढी मां, लुगाई अर पांच बरस रा नैना छोरा माथै आफत रौ मगरो पड़गो हो। तीनूं ई गैला गूंगा व्हेगा। बडेरा कैवत कही कै आफत किण नै ई समचौ करनी आवै। डाढी मांय सूं सांप निपजै आली कैवत आज लिछमण रै मैलावा माथै खरी उतरगी। महिना दो तीनेक बित्या हा के लिछमण री घरआली सगली गायां भैंस्यां बेच दी। सासू नै आवल कावल बोलण लागी। जियां तिंयां छवेक महिना नीठ पार घाल्या अर दाती पोता नै छोर एक मोट्यारड़ा रै संग कजाती री। बीरै सागै कोरट मांय ब्याव कर लियो। घरवकरी सगली लेयर जाती री।

घर मांय दादी अर पोतो। हेठै धरती माथै आभौ। पेट भरणौ ओखी व्हैगो। सोरा दोरा दिनड़ा पार घालै। लिछमण री मां गांव रा उण मिनखां कनै जावै पर कुण ई उणरै सामौ ई नी जोवै जिणां रै लिछमण आधी रात काम आवतो हो, पण आ केवत है कै उगतां नै सगला पूजै आथमता नै कुण पूजै?

भाग री बात मांय राज रो कैम्प लागौ, इणरौ ओ प्रचार करीजियो कै इण कैम्पय मांय सगला गरीब री सुणवाई व्हैला। आ बात गुड़कती गुड़कती लिछमण री मां रै कानां तांई पूगी तो बा उणरा पोता री आंगली पकड़ कैम्प मांय पूगी।

एक ऐलकार पूछ्यौ, मां सा ओ छोरो किणरौ है? डोकरी कही, बावजी, गिया रूंखां रो फल है। म्हारौ पोतौ है बावजी। इणरौ बापू ट्रक हेठै किरीजगौ अर इणरी मां...? कांई बताऊं बावजी रोट्यआं रा फोड़ा पड़गा। अर डोकरी रै आंख्यां सूं आंसुवां री धार छूटगी। मां जी चिंता ना करो छोरा नै राज री पोसाल मांय भरती करा देस्यां, सगलौ खरचौ राज देसी अर थांनै महिना री पेंशन दिरास्यां। ऐलकार थथोपौ देतौ कह्यौ। डोकरी हाथ जोड़ती थकी कैवण लागी, बा बावजी भगवान थांरौ भलो करसी।


लौही रौ मोल

राजस्थान रौ एक गांव। जछै सगली जात्यां रौ रैवास। इणमें कारीगर, कुम्हार, नाई अर मालियां रा घर। दूजै कानी नायकां, मेघवालां, चमारां अर डूमां रा घर। सगलां घणै हेत सूं रैवै। एक दूजै रै अबखी पल मांय आडा आवै। गांव मांय सै सूं घणा घर ठाकरां रा है।
अबकालै काल पड़ण सूं सगली जात्यां रै रोजी रोटी रौ फोड़ी पड़गौ। जियां तियां दिनड़ा काढै। इणमैं नायक, मेघवाल, चमार अर दूजी घणकरी जात्यां रा मिनख अंग्रेजी बावल बाढै अर कोयला रौ धंधौ कर पेट भरण रा जनत करै।

पतियौ चमार पण आपरै मेलावा रौ पेट भरण सारू औ काम धंधौ करै। सगला मिल गांव री रोही सूं बावल बाढै। ऐ बावल पंचायत सूं निलामी री रसीद फड़ाय बाढ़ रह्या हा। इयां आंरौ तो फकत नांव हो बावल रौ असल ठेको तो गांव रा ठाकर भाखरसिंह रौ है।

पतिया रै घर री हालत घणी फोरी ही। पतिया अर उणरा लुगाई टाबर नै देख आ आपौ आप ठा पड़ै ही। पतिया रा गालड़ा चिप्योडा, आंख्यां ऊंडी ऊंडी, कालौ भटीड़ डील, फाट्योड़ी बंडी। माथा पर गमछौ फाट्याड़ौ, हाथ डेडेक रो। गोडां तांईं धोती अर बा ई लीरा लीर। लुगाई रै पण पूरा सफा फाट्योड़ा। टाबर तीन चारेक जिणें तो नागां भूंगा ही हा।

ठाकर भाखरसिंह आं सूं कोयला धूड़ रै भाव राखै अर घणा मूंगा स्हैर मांय बेचै।

एक दिन पतियौ आपरी धुम में रोही मांय बावल बाठै हो। परैवा सूं डील तर होयोड़ौ। रै रै नै लिलाड़ रौ परैवौ पूंछे। जितै ने उणरौ ट ाबर जोर सूं रोवतौ सुण्यौ। बीरै पग मां स्यात कांटौ चुभगौ हो। बीरै टाबर रै सांमी भालण सूं चेतौ चूकगो अर कवाडिया री पग माथै लागगी। कवाडियो पिंडी रै मांय बड़गौ। बो जोर सूं पग पकड़र बैठ ई बैसगो। उणरी पिंडी सूं लौही री धारोलां फूटगी। पतिया री लुगाई ओठणी नै फाड़ लौही नै ढाबण रा जतन करै ही।

जितै मजूरां री निंगेदास्ती में फिरतौ धिरतो ठाकर भाकरसिंह आयगो। पतिया नै बैठ्यौ बो कड़कङर बोल्यो, च्कै बात है पतिया? बैठ्यो कियां है?छ पतियो हाथ जोड़ कहवण लागौ, घ्हजूर पिंडी मांय कवाडियौ बड़गौ। लौही री धार बह रही है।ङ

ठाकर रौब सूं बोल्यो, घ्कै भांग खायोड़ी ही। इसी के तलवार लागगी थारे। लोही निकलै तो निकलण दे। चमार रै लोही रौ के मोल है।ङ पतियौ हाथ जोड़ कहवण लागौ, घ्हुजूर लौही तौ ठाकर कै चमार दोन्यूं रौ एक जिसौ इ व्है।ङ

घ्म्हारै सूं लप लपङ ठाकर पतिया नै झिड़कतौ थकौ बोल्यो। म्हारै सूं माथौ ना लगा। जाकर बावल बाढ नी तो रोटी रा फोड़ पड़ जावेला। मेरा रौब ने सगलां गांव का जाणे है। म्हैं बिमरियां पठै टका एक रो हूं।

ठाकरां री एक मोबी बेटौ धीरज सैर मांय नौकरी करै हो। वो कदै कदै गांव आवै जद सगलां सूं हंस हंस मिलै, बीरै मन मांय कीं फेरफार निजर नी आवै। बो सगलां साथै उठै बैठै। आ बात ठाकर रै पचै कोनी, बेटा ने मरजाद पाण उठण बैठण री सीख देवै पण नुवै जमानै रौ धीरज आं सगली बातां पुराणा जामना री बातां मानै। बो कदैसी कैवै, घ्जीसा, अबै जमानौ बदलगौ है। ई बतां मांय अबै कीं नी धरियौ। समै रै साथै बदलणौ ई मिनखपणौ अर समझदारी है।ङ

धीरज थूं म्हनै मिनखपणा री सीख देवै। ठाकर बेटा ने पालतौ थकौ बोलै।

एक दिन ठाकर भाकरसिंह मोटर साईकलि पर कनै सी गांव जार पाछौ आवै हो कि मांरग मांय एक भाटा रौ कोपर पैड़ा हेठै आवण सूं मोटर साईकिल बैकाबू व्हैगी अर ठाकर एक रूंखढ़ा सूं भचीड़ खा बठै ई पड़गौ। भचीड़ लागतां ई बो अणचेतै व्हैगो। माथा सूं लौही री धार छूटण लागी। ठाकर सिंझ्या तांई बठै खुरड़ा खोतरिया, मारग सूनी रोही मांय कर आवै हो इण खातर मिनखां रौ घणौ आवणौ जावणौ नी हो।

पतियौ सिंझ्या ताँई आपरै मेलावा रै सागै सागै थाक्यौ पचियौ आवै हो। दोन्यूं धणी लुगाई सिंझ्या रोटी रै जुगाड़ री बंतल करै हा।

चाणचक पतिया री नजिर मोटर  ाईकलि माथै पड़ी तो बो हाकबाकियो व्हैगो। बींरी निजर दूजै कांनी पड़ी तो वो ठाकर भाखरसिंह नै लोही सूं रगाबग देख्यो। पतियौ मन मांय विचारियौ घ्जे ठाकर रै कीं व्हैगो तो ईन्याव व्है जासी। अर जे हाथ लगाऊं तो...? खैर जो होसी सो होसी। मिनख रौ धरम तौ मिनख रै अबखी पर मांय काम आवै जद ई जाणिजै।ङ

पतियौ ठाकर नै खांधा माथै न्हाख गांव मांय ले आयो। धीरज नै ठा पड़ी तो झट सूं ठाकर नै सफाखानै ले जावण रौ जतन करियौ। पतिया नै पण जीप मांय सागै बैठायौ। गांव रा दूजा घणखरा मिनख सफाखानै गिया।

डागधर झट सूं ठाकर रै वास्तै लौही री सगवड़ करण रौ कह्यो। गांव रा सगला मिनख लौही देवण नै तैयार पर किण रौ ही लौही ठाकरा रा लौही सूं मेल नी होयौ।

पतिया रै लौहरी री जांच सै सूं पछै करीजी क्यूकि बा डर रौ मारियौ सै सूं लारै उभौ धूजै हो।

पतिया रौ लौही ठाकर रा लौही सूं मेल व्हैगो। पतिया कैवण लागो, घ्हुजूर, कठै राजा भोज अर कठै गंगू तेली, चमार रा लौही रौ कांई मोलङ, धीरज नै हाथ जोड़तौ बोल्यौ। धीरज बींनै कीं समझायौ तो बो राजी व्हैगो। बो कैवे गर म्हारा लौही सूं ठाकर रा पिराण बचै तो ओ म्हारौ धिन भाग होसी। पतिया री लौही ठाकर रै चढायौ गयौ। रात भाखाटी री वेला ठाकर नै होश आयौ। पतियौ कनै हाथ जोड़ ऊभौ हो। बो कह्यो, हुजूर, म्हैं आपरै लोही रौ नास कर दियौ। आपरै लोही मांय म्हारा लौही रो भैल व्हैगो। म्हैं आपरौ कसूरवार हूं। जितरी सजा देवणी व्है जितरी देवौ पर औ कोजौ काम म्हैं कर दियौ।

गांव रा सगला मिनख अर ठाकर रौ बेटौ धीरज जद ठाकर नै सगली बात बताई अर कह्यो, घ्ओ पतिया तो एक धरम री मूरत है।ङ ठाकर रा कांन खुसर हाथां में आयगा। ठाकर पतिया नै आपरी बाथ मांय ले लियौ। ठाकर कहवण लागौ, पतिया म्हैं बीं दिन लौही रौ मौल नीं पिछाण स्कयौ हो। आज म्हनै ठा पड़ी के लौही रौ मोल कांई व्है? आज म्हारी आंख्यां खुलगी। अजै तांई म्हैं जूनी बातां रै भंवरजाल मांय फंसियोड़ौ हो। आज सूं म्हैं मिनख मिनख मांय फेर नीं राखूंला। सगलां रै वास्तै म्हारौ घर खुलौ रैसी। किण सूं कोई भेदभाव नी रेवैला।

ठाकर राजी व्है पतिया नै एक ऊंट गाड़ौ टाबरां रै कमाई सारू दिय। पतियो ना-मुकर करण लागौ पर ठाकर रै रूबाव में कीं ढालौ देख हामी भर ली। ठाकर अबै सगलां सूं हंस हंस मिलै। अबै ठाकर लौही रौ मोल जाणगौ हो।


दारू दाखां रौ, उजाडै घर लाखां रौ

पेमो बरस अठारो रौ स्याणौ मोट्यार, लांठै डील रौ धणी। बो पोसाल मांय केई बरस तांई गोता खाया पर नीठेक पांचेक किताब पढ़ियौ। इणसूं बैसी सुरसत माता रौ बास उणरै हिरदै नी व्है सकियौ हो। बो नजीक सैर मांय केई दिन तो गतोल  ाखावतौ रह्यौ थेवट बींनै एक फैक्ट्री मांय काम मिलगौ। बो लगन सूं काम करण लागौ। पेमो काण करण नै अबहूज हो। बो सेठ रौ भुलायो काम घणै चाव अर ईमान सूं करतौ हो। पेमा री लगन नै देख सेठ घणौ लाड राखतौ। म्हीनै री बगार दूजां मजूरां सूं उणनै कीं बैसी देवतौ क्यूंकि बो सिंझ्या तांई भुलायौ काम पूरौ करियां पछै घरां जावतो।

पेमा रा काम धंधौ अर इमानदारी नै देखतां थकां बैगोई ज उणरौ सगपण व्हैगो अर बखत पाण ब्याव व्हैगो। पेमो अर उणरी जोड़ायत गीता घणै हेत अर मौज सूं रेवण लागा। पेमो कमाई खूब करै। गीता घरां बैठी मौज करै अर आपरा कमाऊ धणी रा बखाण करती नी थाकै। बास गवाडी अर गांव मांय पेमा रौ धणौ मांन। कमाऊ पूत किणनै खारौ लागै। घर में कमावै अर जग मांय सरावै।

बखत परवाणै पेमा रै दो तीनेक टाबर पण व्हैगा। अबै पेमा रै घर रौ खरच कीं बधगौ हो। बठीनै पेमो साथै काम करणिया दूजा मजूरां री सौबत में लागगो। आ कहावत जग चावी है कि कालिया भेलौ धोलियौ बंधे तो गुण नीं तो लखण तो लेवै इज। पेमो सौबत रै पांण दारू पीवण ढूकगौ। अबै तो सिंझ्या पछै रात पड्यां घरां आवै अर दारू रै अणूतै नरै में हिंडा हिंडतौ आवै। कदै खाली मांय पग पड़ जावैओ। कदै अणूता नसा में मारग में ई पड़ जावै। कुतिया भुसै। कदै उणरौ मूंडौ पण चाटण लाग जावै। कदै माथै मूत जेवै। गिंडक उमरा पूर फाड़ देवै।

घरै गीता धणी री उडीक में रात तांई अणमणी अर भूखी बैठी रैवै।
एक दिन पेमो अणूता नसा में हिंडा हिंडतो घरे पूगो। किंवाड़ रै भचीड़ मेल्यो। बारणौ खोल..अरे..बरणौ नी खोले कांई..?

गीता नारसर बारणा री आगल खोली। पेमो तो तेस में आय खाली बोतल री गीता रै माथा ठोकी। बोतल गीता रै माथा पर फूटगी अर माथा सूं लौही री गंगा उफणण लागी। गीता तो  ्‌णचेतै बारण रै बिचालै ई पड़ीग। गीता रै माथा सूं लौही री धार देखतां ई पेमा रो नसौ एकाएक जीरो डिगरी माथै आयगौ।

आडोसी पाडौसी जद गीता नै कुरलावती सुणी तो उणरै घर कांनी दौड़या अर गाड़ी मंगाय उणने सफाखाने ले जावण री जुगत करी। पेमो ओ सगलो नजारौ फाटी आंख्यां सूं देखतो रह गयो। इण अबकी पल मांय टको एक पण घर मांय नीं हो। सगली कमाई दारू में गमाय देतो।

पेमा रा टाबर मां ने लौही सूं रगाबग देख जोर सूं रोवण लागा।
पेमा घर री फोरी हालत नै देख अड़ौसी पड़ौती थोड़ा थोड़ा पईसा भेला कर गीता रौ ईलाज करायौ। पेमो बारणा रै बारै ई पडगौ रै बारै ई पड़गौ हो अर वछै ई नींद आयगी।

इतरौ फोड़ो पड़ता ई पेमा री बाण नी छूटी अर बो ईयां ई धुत रैवतौ। अबै बो मीना मांय आठ दस दिन नीठ काम माथै आवतो अर जितरौ कमावतो दारू में उडावतौ।

फैक्ट्री रौ सेठ पेमा नै धणौ पालतौ पर पेमो दारू री बाण नीं छोडी। दारू री ऊंदी बाण नै देखतां सेठ पेमा ने फैक्ट्री सूं बारै काढ दियौ। अबै बो गलियां गलियां रूकतौ फिरै। उणनै कुण ई मूंडै नीं लगावै।

पेमा री जोड़ायत गीता जो घर धणी री कमाई पाण मौज करती, अबै बा डील माथै फाड्यो पूरा बिटोलै। रूखी सूखी खावै। टाबर नै भणावण रा मनसोबा तो समंदरा पार रहगा। मेलावा रौ पेट भरणो बीरै खातर ओखौ व्हेगो।

गीता पेट रै खातर गांव मांय दस पंदरे रिपियां री दैनकी करण लागी। बठीने पेमो गीता री कमाई रा पईसा धिगाणै गीता सूं झपटर ले लेवतो अर दारू पीवतो। पईसा नीं देवौ रोजीना घर में कलौ अर धापा मुकी करतौ अर बापड़ी अबला नै सोटा खावण पड़ता।

जद बा भाटा सूं काठी व्हैगी। गीता आपरै कालजा माथै भाटौ बांध नै टाबरां नै इण दुनयि मांय भगवान भरोसै छोड कुवै मांय कूदर आतमघात कर दी।

इण बखत पेमा रौ दारू फेरूं उतरगो। बो गीता सरूं घणौ रोयो पर गियोड़ी चीजां पाछी नीं बावड़ै, आ पेमा नै ठाह ही पण ओजूं उणरी दारू आली बाण नी छूटी। बो गीता रै गम में गैलो गूंगो व्हैगो अर बैसी पवण लागगौ।

छेवट पेमो पण इण दुनिया मांय घणा दिन नीं जीव सक्यौ अर बो एक दिन दारू रा अणूता नसा में रेलगाड़ी रै अंजण सूं कटनै पिराण गमाय दिया।

पेमा रा टाबर रूलगा। ऊपर आभै हेठौ धरती। इणरै सिवा उणरा आंसूड़ा पूंछण आलौ कांई कोनी हो। इंया सगला गांव रा इण कोजी बाण नै दोस देवै हो। ओ दारू पेमा रौ भरियो तरियौ घर उजाड़ दियौ। कैवण में तो घ्दारू दाखां रो पण ओ घर उजाड़े लाखां रौ।ङ

टाबरां रै रोटी रा फोड़ पड़गा। सगलां रै मूंडै सूं एक ई बात ही के ओ दारू आं टाबरां नै कठै रां ई नीं राख्या घ्न धर रा अर अर ना घाट राङ

गांव रौ सिरपंच अर पटवारी दोन्यूं मिल राज री ईमदाद सारू टाबरां नै बालगृह ले जाय भरती कराय दिया।

बीं दिन सूं जद सूं पेमा रो घर उजड़ियो, गांव रा बूढा बडेरा अर मोट्यार जिणां नै दारू पीवण री बाण ही, बीं दिन सूं दारू नी पीवण री सौगन ले लीवी। चौवटा मांय बैठ सगलां हाथां में गंगाजली लेय गांव मांय दारू माथै पूरी पाबंदी लगाय दी। आप री खरी कमाई रा पईसा चोखा काम में  लगावण लागा। गांव मांय फेरूं की मांड़ी बात नी सुणीजी। अबै पेमा रौ गांव एक आदर्श गांव रै नांव सू जाणीजै।


लाडेसर बापू

घर मांय एकलो बैठ्यौ कदै किताबड़ी रा पाना फरोलतो तो कदै बारणा सामी झांकर र बापू ने उडीकतौ। बापू घरां नी पगूता जितरै म्हैं अणमणौ सो बैठ्यो रेवतो अर मां री भींत माथै टांग्योड़ी फोटू ने इकलग देखण लागतो। मां ने परलोक सिधारया अजै छह मीना ई नीं हुया हा। म्हैं बीं फोटू ने इकलग इंया देखतो, जाणै दोन्यूं मां बेटा हथाई कर रह्या व्है पण जद चित ठाणै आवतो तो आंख्यां तर व्है जाती।

अजै म्हारी औस्था घणी नीं ही। म्हारा बापू म्हनै बा रे हाथ सूं जीमावता अर आंगली पकड़ पोसाल तांई पूगावत देवता। बापू पण पोसाल रा मास्टर हा पर दूजै गांव में हा। पोसाल री छुट्टी होयां म्हैं घर रे बारै चौतरी माथै बैठ बापू ने उडीकतौ हो अधघड़ी पछे बापू भी उणारी जुनी बाईसिकल माथै घरां पूग जावता हा।

एक दिन पोसाल सूं आवती टैम् बापू मोटी फूलां री माला लेय आया हा। माला मां री फोटू माथै अरपण करता थका बापू री आंख्यां सूं आंसू टपकण लागा। म्हैं भी ओ निजारौ रोवण लागो। बापू म्हनै गोदी में उठाय लियो अर गला सूं लगाय दिनो। आज म्हारी मां री पैली बरसी ही। बापू ओ दिन कदैई नी भूलता। बखत पाण म्हैं मोठ्यार व्हैगो। कॉलेज तक री भणाई पूरी व्हैगी अबै नौकरी री जोड़ जुगत में लाग्योड़ौ हौ। अठीने बापू नौकरी सूं रिटायर व्हैगा। मालावां अर गुलाल सूं गला तांई लदियोड़ा हा अणूतचे जोस रे सागै घरां पूगा। पोसाल रो स्टयाफ मिल म्हारा बापू ने लाडा कोड़ां घरां पूगाया। पूरा चालीस बरस री नौकरी पूरी ईमान सूं पार घाली ही। किण यूं ई स्टाफ मांय कदै खारौ नीं बोल्या। सगला रा लडा ेसर बण र रह्या हा म्हारा बापू। चोलो पाजोमो अर आंख्यां माथै काली फ्रेम रो चस्मो हाथ में एक गेडियो लियां घर रे बारे अर मांय फिरता निजर आया। स्यात् आज उणनै मां याद आ रही ही। बापू रे एकला रैवण रो आज पैलो दिन हो इण पास्तै म्हैं भी आज पूरे दिन घरांई ज रह्यो हो। ईयां म्हैं कम्पीटीशन री तैयारी ई कर रह्यो हो। बापू दूजा ओरा मांय कीं धारमिक पोथी पढ रह्या हा।

म्हैं विलायत मांय नौकरी सारू इम्तिहान दे दीनो। म्हारी पढाई माथै बापू ने घणो नाज हो। बापू म्हने मोटो मिनख बणावण सारू जी जान सूं लाग्योड़ा हा। बापू री आस अर म्हारी मैणतो रंग लाग्यौ। म्हारी विलायत में नौकरी लागगी। डाकियो हुकम पानो थमाय गियो हो। बापू ने ठा पड़ी तो उणां री बाछां खिलगी। खुसी रे कारण आंख्यां सूं आंसू आवण लागा। पण म्हैं अणमणो व्हैगो ऊंडा विचारां में डूबगो। मन मांय केवण लागौ घ्म्हारा बूढा बापू ने एकलो छोड म्हैं विलायत में मोटो मिनख गिणीजूंला पर बापू री जिद रे कारण म्हनै विलायत व्हीर व्हैणो पड़ियौ। हवाई अड्डा तांई बापू म्हारै सागै आया। म्हैं अजै बापू ने छोडणौ नी चावे हो। बापू म्हनै छाती सूं लगाय दिनो। म्हैं बापू नै धोक दी। बापू कैवण लागा-बेटा, जा फ्लाइट उडण रो बखत व्हैगो। म्हैं फ्लाइट सामी दुर गियो पर म्हारी निजर खांडी नी व्ही बापू हाथ हिलाय रह्या हा। अर आंसू पोंछ रह्या हा।

अणमना मन सूं विलायत में नौकरी करण लागो. म्हैं सै सूं मोटो ऐलकार हो। सगला ठाट बाट पण बापू रे सिवा कीं चोखो नी लागे हो। बापू ने एक कागद लिख्यौ-

म्हारा पूजनीक बापू जी, म्हैं आप सूं अलगो नीं जावणौ चावतौ हो पण आपरी मोटो मिनख बणाचण री जिद म्हनै थां सूं अलगो कर दियो। थारे बिना म्हारो मन घणो अणमणो रैवै। बरसां पेली मां रे पलको सिधारण सूं थां ईयां ई एकाल व्हैगा हा। म्हैं था सूं घणी अरदास कीनी ही क म्हारै साथै पधारौ पर म्हनै ठाह हो थां एक भारतीय मास्टर हो, माटी री महक ने छोड नीं सको। बापू थां म्हनै मोटो मिनख तो बणाय दियो पर थारे बिना म्हैं एकदम छोटो हूं।
आपरो
बेटो हिंदुस्तानी


घर रौ दीवो

दिवाली री दीवा आज पूरा गांव मांय, हरेक घर मांय अर बारै जुपता निजर आवै हा। ज् ायं रा घर कच्चा हा वे बारणा रै बारै दोन्यूं आल्यां मांय अर हवेलियां आला बिंडी माथै दीवां री लांबी ओलां मांड राखी ही। गांव री दुकानां नै भांत भांतीली रोशनी सूं सजाई नैना नैना लुटवां रा मालवा बारै लटकाय राख्या हा। दुकनां रै सामी इण मालावां ने देखण सारू नैना टाबरां रो हियो हियो लाग्योड़ो हो। टाबर दुकानां सूं टिकड़ियां, झामकिया, कोठियां, जमी जकरी, राकेट, सांप री डबियां अर रंग रंगीली फुलझड़ियां वमौलावे हा। टाबर कदै झामकियां बालै, को कदै फटाक फूट जावे तो कदै फुसङङङ रह जावे, जमी चकरी बालै जद सगला ठिणगिया रे साथै साथै कुदके अर बावला व्है जावै।

राय बापू ओ सगलो नजारो  घर रै बारै चोतरी माथै बैठ्यो इकटक देख रह्यो हो। राम बापू रो घर एक दुकानदार रे जोड़ जोड़ ई हो।

घर रै आसे पासे दिवाली रा दीवा अर बिजली रा लट्ट चमाचम कर रह्या हा। पर राम बाबू रै घ मांय आज अंधार घोर छायोड़ो हो। आज उणने उजालो खावण नै दौड़े हो अर ऐ तामझाम उणनै साव फीका लगो हा। बो अणमणा मन सूं टाबरां नै रमता अर कुदकता इकलंग देखे हो। अबके मिनख लुगायां अर टाबरां री भूड़ी सूं अलगो राम बाबपू सगला ने आता जाता देखे हो।
पिन्टू रा बापू...ओ पिन्टू रा बापू...किण विचारां मांय गलतो खाय रह्या हो घर आली दीपिका रो हेलो सुणिजियो तो राम बाबू वीरे सामी भालियो। दीपिका बारै आई बा पण राम बापू अर कनै टाबरां ने मरता अर फटाकड़ा छोड़ता देख जलजली होयगी। ओढणी रा पल्ला सूं बहता नैणा रा पाली नै ढाबण रा जनत करण लागी। पल्लौ भींज गियौ। कैवण लागी-घ्घर मांय चलौ नी पूजा रो बखत टल रह्यो है। थाली सजायोड़ी पडी है। घर मांय एकाद दीवो तो लगावो। साव अंधारो है।ङ  राम बाबू बोल्यो न चाल्यो अणमणा मन सूं पूजा कर पाछौ चौतरी माथै आय बैसगोओ। आज री रात काटण खातर बो बीड़ी पर बीड़ी पी रह्यो हो। बो ऊंडा विचारां मांय गमगो। बीड़ी बलती बलती हाथ मांय ई ज रहगी जद तप आंगलियां तांई पूगो तो चेतो आयो अर टुकड़ो जमी माथे पटक दियो पण दूजी बाली अर एक लंबो कस खेंच्यो। धुंआ रो गोट सूं चेता चूक व्है गियो तो घांसी आवण लागी, एड़ी के दसेक मिनट तांई तो ढबण रो नांव ई नी लियो। फेरूं चेतो आयो।

राम बाबू लारली दिवारी री उण कारी रात ने रैय रैय ने याद करै हो जद दिपिका राता रंग री मोत्यां जड़ी साड़ी पैरयोड़ी ही अर सगला सिणगार करण में कीं कसर नीं राखी ही। राम बाबू पण उणर  ैब्याव रो सूट पैर राख्यो हो। घर मांय दीवां री लंगीलार मांड राखी ही घर रै बारै पण लटुवां रा मालका लटकाय राख्या हा। एकाएक बेटो चिन्तू पुलिस जिसी उरदी (वर्दी) अर टोपी मांय सांगोपांग जचै हो। लिछमी पूजा मांय ओ नैनो सो मेलवो साथै बैठ्यो हो। तीनू जणा सगला रै साथै बाजार री रोशनी देख आया हा सगला रै मूंडा माथै दिवारी रे त्यूहार री खुसी रौ अणूतो नूर हो। बाजार मांय चिन्टू री हरेक मांग पूरी करी। चिन्टू दिवाली रा दीवां मांय इतरो रमगो हो के घर मांय बड़ण रो तो नांव ई नीं लेवौ हो उणरै साथै गली रा आठ दसेक टाबर फेरूं रमे हा।

राम बाबू अर दीपिका दीवाली टाणे लायोड़ी नवी चीजां री सजावट में लाग्योड़ा हा इण नैछा में के चिन्टू अजे बारै फटाकड़ा फोड़ण लाग्योड़ौ है।

राम बाबू अबकी दिवाली नै नवी रंगीन टी.वी. ले आयो हो अर इणरै साथे पड़े वाली टेबल पण ले आयो हो। टी.वी. री सजावट टेबल माथै कर रह्यो हो के चाणचक बारै टाबर कूकत सुणिज्या। राम बाबाजू..चिन्दू..चिन्टू..चोर-चोर। चिन्टू रौ नांव कानां तांई पूगतां ई राम बाबू हाकबाकियो व्हैगोओ। कांई व्है गियो चिन्टू, कांई पटाकड़ा सूं बल गियो अर बो बारण कानी दौड़यौ दौड़तौ पाण टेबर रै ठोकर लागगी अर टेबल टी.वी. समेत गुड़कती ओरो रै रै बारै आंगा तांई आयगी अर ऊंदी व्हैगी अर टी.वी. कांच फूटर पूरा आंगणा मांय बिखरगा। बारै दो तीन टाबर ई हा दूजा डरता आप आपरै घरां कानी टुरगा। बे केवण लागा, घ्राम बाबू राम बापू बे पण अणूता डाफाचूक होयोड़ा हा, काला..गाभा पेरियोड़ा अर मूंडो बांध्योड़ो दो मिनख आया हा न्हाटोड़ा अर चिन्टू नै उठायर ले गिया। बे चिन्टू रौ मूंडौ हाथां सूं काठौ भींच राख्यो हो।ङ

दीपिका पण दौड़ती बारी आई। उणरै पगथलियां रै लोही री तूताड़िया ठूटै ही स्यात् उणरै कांच चुभगो हो, बा पण बेटा रै खातर मोरनी रै जियां कुरलावण लागी। उणरै घर रो दीवो आज बुझतो निजर आयो हो।

बात लाय री दांई गांव मांय पूगी तो सगला मिनख लुगायां टाबर भेला व्हैगा। गांव रो चारेक मोट्यारा टाबरां रै बताया  मारग कांनी लारौ कियो पण कीं कारज नीं सजियौ। सिरैपचं रै मारफत थाणा मांय रपट रो दाखलो करायो गयो।

आज पण बो दिन राम बाबू रे सांमी रैय रैय ने आवै अर नैणां सूं आंसुवां री धारोलां छूटै ही। दीपिका पण भेली रोवे ही। आज रै दिन राम बापू रै घर रौ दीवो बुझगो हो।

राम बाबू ईया ई अणमणा मन सूं बैठ्या हो बीड़ी आधी बलयोड़ी उणरै हाथ मांय। एक जी राम बाबू रै कनने कर निसरी पचासके पांलवडा सूं पाछी लारै आवती दिसी अर घर नै कने ठबी। जीप मांय सगला पुलिस आला बैठ्या हा। जीप रे अगाड़ी बैठछ्यौ एक ऐलकार स्यात् थाणेदार पूछ्यौ-राम बाबू रो घर कुणसौ है? पुलिस नै देखतां पाण राम बापू रै तो झुर झुरी छूटगी। बो हाथ जोडतो थको बोल्यो, घ्ओ ईज घर है म्हैं ई ज राम बाबू हूं। म्हारे सूं कांई गुनो व्हियो हुकम..? ङ थारे घ्बेटा रा नांव कांई होङ? ऐलकार पूछ्यो चिन्टू..चिन्टू हो हुकम..पर बीनै तो..? बात अधूरी ई ज रहगी अर नैणां सूं आंसुवां री घारोलां बैवण लागी। ऐलकार धीजो दिरावतो थको सिपायं सूं कह्यो, घ्छोरा नै बारै लावै।ङ चिन्टू नै जीप सूं बारै उतारियो..देख ओइज है चिन्टू..। हां हुकम धन भाग म्हारा आप म्हारै घरे देवदूत व्हैर पधार्या। घर रो बुझियोड़ो दीवो आज री वेला अरस सागी घड़ी पाछो जगायो। राम बाबू केवण लागया। चिन्टू बापा रे सामी दौड़यो अर जोर जोर सू बांग मेली, ढबण रो नांव ई नी लेवे हो।

घर रा दीवा नै देख दीपिका री आंचल आज खुसी सूं तर व्हैगा हो। दीपिका पुलिस आला रा वारणा लेवण लागी। घर मांय दौड़ी अर मिठाई रो पुड़िको ले आई। ऐलकार अर सिपायां रौ मूंडौ मीठो करायो। जीप सागी मारग जाती रही राम बाबू अर दीपिका घर मायं दीवां जगावण में लागगा।


मिनखपणा

गोपाल अबार ईज मीनो डेडक होसी इंजीनियर री भणाई पूरी कर गांव आयो हो। स्हैर गयो जद जील सूं फखत थाकोड़ो ई हो पर अबै बित्यां छव बरसां मांय तो गोपाल पूरो बदलगो हो।

अबै लांठै डील रो धणी छवेक फुट डीगो। गोरो निचोर। डील सूं चिप्योड़ी जिंस पेंट अर उण सूं मेल खाती टी शर्ट, कमर पट्टो अर उणरै सियारै इज मोबाईल मेल्योड़ो, आंख्यां पर कालो चस्मो। हाथ में सोना रंग री घड़ीयाल। एकदम हीरो लागे हो गोपाल।

गांव रा सगला मिनख लुगायां गोपाल रा बखाण करता नीं थाके हा। जिणरे मूंडा सूं सुणो फखत गोपाल राई ज बखाण सुणीजै। चौपाल मांय बूढा बडेरा हथाई करै तो हर बखत आ इज हथाई। कदै कदै गोपाल पण हथाई सारू चौपाल मांय मिल जावै अर घणै हेत सूं सगलां सूं हथाई करै। मोट्यार गोपाल सूं हथाई रौ चाव राखै।

गोपाल जद उणरी ट्रेनिंग री विगत बतावे तो सगला एक चित होय सुणता ई रह जावे।

गोपाल रै इंजीनियर री भणाई करण री डूंडी पूरा चौखला मांय धकै सूं धकै बाजती री। अबै उणरै सगपण सारू लांठा लांठा सगपणिया पग आंगणो करण लागा। बो आठवीं किताब पढतो हो जद आखा तीज रै टाणो बाल विवाह रै फेरा मांय झइल जावतो पर थोड़ी समझ राखी अर ब्याव सूं मुकर गयो हो। गोपाल अबे नवा नवा सगपणिया रै सां ी ई नीं जावै। क्यूंके बो उणरे सागे ट्रेनिंग करण आली छोरी रूखसाना सूं प्रेम करण लागो हो। रूखसाना रै सागै हेत नै सात जनमां तांई निभावण री ाम दे चुक्यो हो।

गांव री चौपाल हरेक बखत मिनखां टाबरां सूं अटियोड़ी रैवती ही गोपाल पण इण चौपाल मांय भेलौ हथा ी रा ठमीड़ा दे रह्यो हो के टाकियो उणनै एक बिरनी झेलाय दी। गोपाल सगलवो रे सामी ईज बिरनी खोली ओ भणियो तो बो उणरे नौकरी रो हुकम पानौ हो। कोलकातात री एक लांटी कंपनी मांय नौकरी मिलगी ही।

पूरा चोपाल मांय खुसी वापरगी। गोपाल राजी राजी घरे पूगो। मां अर बा ने हुकम पानो पढर सुणायो बे पण घणा राजी व्हिया। गोपाल स्हैर जाय रूखसाना सूं मिलियो। रूखसाना पण घणी राजी व्ही अर मिठाई मंगाय उणरौ मीठो मूंडो कराय घणी बधाई दीनी।

दिन दसेक रै आंतरै गोपाल कलकते पूगो अर उणरो ओहदो संभालयो। मीना छवेक तक तो रूखसाना सूं हेत री हथाई री कानबाती व्हेती री पण..। बो कलकाता जिस मोटा स्हैर री चमक दमक मांय उलूझगो।

एक दिन..हेलो..हेलो..यस..आई..रूखसाना स्पीकिंग..हेलो गोपाल।में रूखसाना बोल रही हूं। कैसे हो? ठीक होना? गांव कब आ रहे हो। तुम्हारी बहुत याद आ रही है। थू म्हारै लारै क्यूं पड़ी है अर थूं कांई कैवणी चावै गर थूं बा जूनी रट अजै रटै है तो सांभल म्हारी बात के थारै जिसी गैली इण दुनिया मांय दूजीकोनी? झट सूं हेत रो डोरो तोड़ न्हाख्यो।

गोपाल..कांई बे दिन...? रूखसाना फेरूं टूटता कालजा में संभालती थकी पूछ्यो। ए जूनी बातां व्हैगी रूखसाना। कठै म्हैं अर कठै थारौ बो सांवलौ रंग। म्हारै साथै थारो मेल नी व्है सकै। रूखसाना, म्हारो भकत खोटी मती कर, म्हनै अजैज एक मीटिंग में जावणो है। गोपाल फेरूं पडूतर दियो। अर हथाई बंद। रूखाना नै बाढो तो लोही नी..। रिसीवर काठो हाथ मांय इज रैगो अर मूरत रै जिंय ऊभी रैगी, आंख्यां फाटीर फाटी रहगी। बा मन ई मन कैवण लागी, घ्कांई म्हैं अर गोपाल एक दूजा नै रंग सूं हेत राखियौ कै कालजा सूं। हेत में रंग रो कोई माजनो। कां ी लुगाई फखत पग री पगरखी ईज मानीजे। सैकड़ो सवाल उणरे उफणता कालजा मांय धपलका लेवण लागा। म्हारो फखत एक दोस कै म्हैं सांवली हूं अर बरसां री प्रीत..? बा मन मसोसर रहगी।ङ

गोपाल बठीने कंपनी रै सेठ री एकाएक बेटी रै हेत रीजाल मांय पजगौ अर कोरट विवाह कर लियो। गोपाल नै खुद रा फुटरापा माथै घमो गुमेज हो अर घर आली पण फूटरी अप्सरा जिसी। करोड़पति बाप री बेटी बा क्यूं कम..? गोपाल तो बंगला अर पलका पाड़ती करां मांय रमगो।

सताजोग री बात गोपाल कंपनी मांय मसीनां री साल संभाल कर रह्यो हो के चाणचक एक बिजली सूं बासदी री ठिणगी (चिणगारी) उछली अर देखतां ई देखतां मशीन मांय लाय लागगी। गोपाल पण इण लपेटा मांय आयोग अर हाथ अर मूंडो भोबरीज (झुलस) गियो। गोपाल नै अजेज सफाखानै पुगायो गयो। दिन चारेक रै आंतरे गोपाल नै चेतौ आयो तो ुणरा हाथ अर डील नै देखतो रहगो। ईलाज पूरौ व्हियां पछै गा ोपाल नै गांव पुगाय दियौ गयो, उबै गोपाल नौकरी रै काबल नी हो। उणरी घर आली सेठ री बेटी राजनामो (तलाक) उणनै पूगतो कर दियो।

गोपाल मांची माथे सूत्यो हो अर उंडा विचारां मांय डूबोडौ हो। गोपाल..ऐ गोपाल..एक जनाना आवाज सुणीजी। तो बो देख्यो सामी रुखसाना ऊभी ही..गोपाल उणरे सांमी निजर नीं टिकाय सक्यो अर उणरी आंख्यां सूं पाणी री धारोलां बैवण लागी। गोपाल रो उणियारो इतरौ भोभरीजगो हो के सामी भालो तो डर लागतो।

गोपाल म्हारै सामी तो भाल..अर थोड़ो धीजो राख। होणी नै कुण टाल सके है। ए है म्हारा खामद (पति) अबार ई ज अमेरिका सूं प्लास्टिक सर्जरी में डागदर री डिगरी कर आया है। थारो ईजाल पूरो व्है जासी। प्लास्टिक सर्जरी सूं थारो उणियारो फूटरो व्है जासी अर हाथ पण सावल व्है जासी। पर..रूखसाना..म्हारे कने तो इतरा रिपिया..? गोपाल कहवण लागो। गोपाल इणरो बेरो थने कोनी। थू तो फखत म्हारे साथे चाल रिपिया टक्का म्हैं दे देस्यूं। रूखसाना अपणायत सूं कह्यो।

रूखसाना..म्हैं इण काबल कोनी..म्हैं तो थारे साथै..?..गोपाल जूनी किताब खोलण लागो।

गोपाल ए बातां अबै कोसां अलगी रैगी। आज करणो है ओ ि चार। रूखसाना कह्यो।

गोपाल रा हाथां अर उणियारा री प्लास्टिक सर्जरी व्ही बो अबै भलो चंगो व्हैगो। रूखसाना नै हाथ जोड़तो थको कैवण लागो, रूखसाना थारा मिनखपणा में अर म्हारा मिनखपणा में लाख गाडा रौ फेर है। म्हैं म्हारी नौकरी अर रूप नै देख मिनखपणौ भूलगौ हो।

गोपाल अबै नेड़ै स्हैर मांय नौकरी पर लागगो अर नैड़ा गांव मांय ब्याव कर घर बसाय लियो।


पराई थाली में घीर घणौ दीसै

सवार रा चार बज्यां भाखफाटी रौ कूकड़ो बोल्यो, तो दीपा री आंख खुली। उणरा दोन्यूं टाबर कनै निधड़क उंडी नींद मांय सूत्या हा। उणनै याद आयो के आज तो करवा चौथ री एकासणौ है बेगौ सी घर रौ सगलौ काम पूरौ करणौ पड़सी पण चाणचक उणरै माथा मांय एक बटीड़ उछलमियो अर चेतौ आयो के बा किणरो एकासणो करसी? उमरी मांग रो सिन्दूर तो आज सूं छव मीनां पैली उजड़गो हो। उणरे नैणा सूं पाणी री धारोला फूटण लागी। दीपा बैठी बैछी बीती (जूनी) बातां नै चितारण लागगी। सामी भींत माथे लटकायोड़ा धणी रा फोटू नै पण इकलंग निरखण लागगी।

दीपा रौ धणी पूरण राज रौ नौकर हो। दीपा रौ नैनो सो मेलावो बेटो, बेटी अर धणी चारूं धणा हेत सूं रे वै हा। पूरम उणरी कम आमद व्हैता थका टाबरां अर दीपा री हरेक आस पूरी करण रा जतन करतो। मैलाव नै कदै ई बैराजी नी करतो।

एक बरस पैली पूरण रै कनला घर मांय भाड़ाय ती लोग लुगाई आया हा। बे दोन्यूं धणी लुगाई पण किणी कंपनी रा नौकर हा। दीपा रा हेत अर हंसोकड़ स्वभाव रै पाण पाड़ ़ ोसम उरमी सूं ओलख व्हैगी। उरमी रा कड़ स्वभाव रै कारण उणरौ धणी रामचन्द्रन घर रा काम मांय उणरौ पूरौ साथ दैतो। दीपा पण उणरी देखा देखी पूरण सूं इसी आस राखण लागी। इया तो पूरण ने नो मोटा काम ठेट सूं ई करतो हो। पर आ कैवत है के गोरिया रे कने धोलियो बंध तौ रंग नीं तो लखण में लारै क्यूं रै? आ ईज कैवत दीपा माथै सांगोपांग निंगै आई।

एक दिन दीपा उणरा धणी पूरण सूं कैवल लागी घ्थे पण थोड़ो मिनखपणो सिखोनी..देखो कनेला घर मांय लोग लुगाई कितरा राजी रैवे। दोन्यूं हिल मिल घर रौ काम करै अर लुगाई सूं कितरो हेत राखे?ङ

पूरण उणनै थ्यावस देतौ थकौ कैवण लागो, दीपा आपणा घर मांय सुख सांयती है दूजा नै देखर होडा होडनी करणी चाईजै। बे दोन्यूं धणी लुगाई नौकरी करै है, इण बास्तै दफ्तर भखतसर पूगण सारू आप आप रो काम ईज तो निवेड़ै है, बो फेरूं क्होय दीपा थूं तो घरेईज रैवै, कुणसी नौकरी करै अर इंया म्हैं किसा दफ्तर सूं बावड़िया पछै ठालो बैठो रेऊं हूं। दीपा आपां नै पराई थाली रौ घी नी देखणो चाईजै। आ कैवत है के घ मांय भले कोठियां भरी व्हो पर पराई थाली रौ घी घणौ नींगे आवै। दीपा तो कीं बोली न चाली मूंडौ चढार बैसगी।

अदितवार रौ दिन हो दीपा अर उरमी हथाई में रमियोड़ी ही। उरमी उणरा धणी रा बखाण रैय रैय नै दीपा रै सांमी कर रही ही अर दीपा सूं भांत भांत रा सवाल करै ही..दीपा कांई थारो धणी थारी बात नी माने? म्हारो धणी तो दैवता सरीखो मिनख है म्हारो कह्यो ई नी लोपै। दीपा अणमणा मन सूं फखत सुणती री अर धणी नै मन मांय गालियां काढण लागी। दीपा आपां आप नै अभागण मान बैठी ही। बा कैवण लागी घ्उरमी थू कितरी भागधारी लुगाई है जको थने देवता सरिखो धणी मिलगो। अर म्हैं..धाणी रौ बलदियो..?ङ

उरमी फेरूं बासदी रा तुंगीया न्हाखती थकी कैवण लागी, घ्म्हारी मानै तो थारौ धणी पण म्हारै आलै रै जिंया सैणी गाय व्है सकै पर मुरी थां रै हाथ में ईज है। मुरी नै थोड़ी आती करर राख। म्हारौ कैवण रौ मतलब बा उणरै कांन मांय कीं छांनी बातां कैवण लागी।ङ कुंठित दीपा रै चित मायं उरमी री बातां अंगोपंग लागगी अर धणी पूरण नै पाट पढ़ावण रौ पूरौ मंसूबौ बणा लियो। थोड़ा दिनां पछै ईज दीपा तो पूरम सूं छोटी मोटी बात माथै आडाखेड़ी करती आवल कावल बोलण लागी। केई केई दिनां तांई तो दोन्यूं अबोला ई व्है जाता। दीपा रै इण बदलिया रूबाव नै देख पूरण रै पगां हेठै कर जमी सरकगी।

एक दिन रात रै बखत पूरण रौ डील भारी व्हैगो। वींनै ताव आयगो हो। डील लाय री दाई बलै हो। दो तीनेक कांबल ओढर सूतो हो।उणने तीरस लागी तो दीपा नै पाणी रौ लोटो लावण सारू चारेक हेला पाड़या पर बा तो दूजा ओरा मांय निधड़क सूती ही। उणरे कानां माथै जू तक नी रैंगी।

पूरण रो गलो तिर रै कराण सूखै हो पर कांई व्है? पूरण जियां तिंया उठर कनला ओर मांय भींता रा अडखण लेतो थको गयो अर दीपा रौ हाथ पकड़ उठण री कैयौ तो ई बा ततो बिफरी अर बिना विचारे बकण लागी। पूरण बोल्यो थूं म्हनै अजै ओलखी कोनी कांई? म्हैं रमतियो कोनी हूं। जको थूं चावै जणा..? दीपा फाटै मूंडै बोलती जाय रही ही। पूरण तो दीपा रौ ओ रूप देख फेरूं डाफाचूक व्हैगो अर दूजा माचा माथै पड़गो।

दीपा रै बदलवै रूबाब नै देख उणरौ कालजौ जगा छोडण लागो। दुख रौ कीं थाग तो व्है। बो गला तांई धापगौ हो। फेरूं होलै से बोल्यो, घ्दीपा म्हारो डील ताव सूं उफण र्हो है सफाखानै जाणो पड़सी अर सोरौ दोरौ फटफटियो ले सफाखाना कानी व्हीर व्है गियौ।ङ घर सूं पचासेक पांवलडा माथै ईज एक जोर रौ हबीड़ बाज्यो, ताव मांय चेत चूक व्हियोड़ौ सांमी आवती ट्रक सूं भचीड़ खायगो हो। हबीड़ सुणता ई दीपा बारै न्हाठी तो देख्यो पूरम रौ फटफटियो ट्रक रै हेठै बड़गो हो। पूरम पैड़ा हेठै किचरीजगो हो, सड़क माथै लोही री नदी बेवण लागी। दीपा फाटी आंख्यां सूं नजारो देख्यो तो बा मोरनी रै जिंया कुरलावण लागी। दीपा रौ चित ठाणै आयगौ हो, बा भींतां सूं भचीड़ लागी पर अबै कठै पूरम अर बो मांग रौ सिन्दूर। हरियो भरियो सुन्दर बाग आंख्यां रै सांमी उजड़तौ देख्यो हो।

आज पूरण री बा कैवत याद करै, दीपा पराई थाली रा घी नै देख उणरी आस में घर रौ नास नीं करणौ। दीप रा दुख सूं अणजाण आज उमरी करवा चौथ रा एकासाण री सराजाम में लाग्योड़ी ही।


रूपाली

सावण री पुन्यू राख़  रौ दिन फौजी करतार सिंह सीमा री रूखाली सारू हाथां में राइफल लेय सावचेत व्हीयोड़ो चारूं कानी निजर न्हाखतौ थको पोहरो दे रह्यो हो। आज राखड़ी रौ दिन हो करतार ने पण बेनन री घणी याद आवण लागी ही। रात दिन धड़धड़ गोल्या बरसावण आला रै नैणां मांय आज आंसुवां रा मोती ढलकै हा। पण निजर सीमा माथै उठियोड़ी एक पल भी खांडी ने व्है।

चाणचक उणने चिरड़ाटी सुणीजी। करतार संभल गियो। स्यात् आतंकवादी व्हैला? बो अलगी थकी निजर न्हाखी पण कीं नीं दीसिणो। तोडी ़ ताल फेरूं जोर जोर सूं चिरडाटियां सुणीजी, हरामी कमीने छोड मुझे बचाओ बचाओ। कोई है? करतार चिरडाटी नै ताकीद बणाय दौड़यौ। फेरूं बोल्यौ कौन है यहाँ? फेरूं एक जनाना आवाज सुणीजी घ्फौजी भैया बचाओ।ङ करतार दौड़यौ तो एक आंतकी बठै सूं न्हाटण लागौ। करतार तौ धड़ाधड़ गौलियां सूं वठै इज ढिगली कर दी। बो एक अपंग लरड़िया चारवण आली सूं जोर जबराई कर रह्यो हो। झड़का रै लारै बा मोट्यार पर अपरंग छोरी गांठड़ी सी भेली व्हियोड़ी ़डील में धूजणी छूट री ही। उणरा गाबा लीरा लीर व्हियोड़ा हा।

करतार उणरी लूंगी छोरी रै सांमी फैंकी तो बा ओढ लीनी। थूं कूण है? करतार पूछ्यौ अर सीमा तांई कियां पूगी? बा जलजली व्हैती थकी केवण लागी फौजी भैया म्हारी लरड़ियां चरती चरती अठै तांई पूगगी अर म्हैं पण इणां रै लारै लारै आयगी। घ्थारौ नांव कांई हैङ करतार फेरूं पूछ्यौ, घ्सलमाङ फौजी भया अर बो जिणरो म्हनै भा नीं हो अठै इंज झाड़का मांय लुकर बैठ्यौ हा। न्हाट र आयौ अर म्हारौ मुंहडौ काठौ भींच लियौ अर..? सलमा रै मूंडा रूं रैय रैयनै भैया..भैया सबद सुणता करतार नै उणरी बैन याद आवण लागी अर आंख्यां जलजली व्हैगी ही। सला फेरूं कैवण लागी भैया, देश रा साचा रूखाला हो। थां पर देश नै गुमेज है। करतरा बोल्यो, घ्सलमा, म्हरा पण थारै जिसी एक बैन ही। घणी फूटरी ही पण..बोलतो बोलता गणो रूंज गियो। पण कांई फौजी भैया? कांई हुयो उणरै लोग लग सवाल करण लागी सलमा।ङ

सासरा आला दायजा रा लभी उणनै घासलेट ढोल बाल न्हाखी ही सलमा। म्हैं उणरौ रूखाली नी कर सक्यौ पर आज थारौ रूखालौ कर म्हारी आतमाना नै सायंती मिलगी। करतार दुख री कथा बांचण लाग्यौ हो।

आज राखड़ी रौ तैंवार है। सलमा म्हारी सूना कलाई माथै एक हेत रौ डोरौ बांध दे। सलमा उणरी फाटोड़ी ओढणी री एक लिरी करतार रै कलाई माथै बांध दी। करतार घणौ राजी व्हियौ आज उणनै सलमा रै रूप मांय बैन मिलगी ही।

सलमा भाई सूं विदाई ले आपरै गांव पूगी अब्बा अर अम्मी नै सगली बीती बात बताई। सलमा रै घरां नीं पूगण सूं घर री हांडी बंधी ही। अब्बू अर अम्मी दोन्यूं जमा फोजी बेटा री लंबी उमर री दुआ मांगी।

आज बरस एक बित्या राखड़ी रौ दिन आयौ पर अबकै सलमा री जगा उणरी राखड़ी अर मिठाई री पुड़कौ पूगौ हो अर साथै एक चिट्ठी ही..।
भाई जान।

म्हैं म्हारा सासरा में खैरियत में हूं। थां पण देश रै अमन खातर झुंझता थका खैरियत में व्होला। था जिसा रूखाला पर देश नै घणो गुमेज है।
थारी लाडेसर बैन

सलमा


जीवतौ भूत

इन्दर राजा रूठियो तो ईसो रूठियो के लगोलग चारेक बरसां तांई मेह री छाटं ई नीं पड़ी। इण खातर काल री छियां गांव माथै घणी गै री पड़गी। सगला कुआं अर बावलड़ियां रौ नीर पातालां पूगगो। पाणी रै खातर मिनख अर डांगरा अणूता डाडै हा। सगला री तिरस बुझावण रौ फकत एक इज आसरौ इण गांव रौ तलाव हो बो पण अबहकै एक दांण इन्दर री किरपा व्ही जद भरीजगो हो नीं तो सगला में फोड़ा पड़ता।

गांव मांय सैंग कर डेड़ सो क घर होसी, इणमें कम बेसी सगली जात्यां रैवै े। सगला घणा हेत सूं एक दूजा रै साथै उठै बैठै अर भीड़ पड़िया एक दूजा री ईमदाद करै। सगला एक इज तलाव अर एक इज घाट सूं पाणी भरै हा। गांव मांय सुख सायंती अर राम राजी।

तलाव रौ आछो पाणी अर छिंया री सगवड़ देखनै एक बाबो तलाव री तीर माथै डेरा न्हाख दिया, दिन चार पांचेक निसर्यां बठै एक कुटिया उभी व्हैगी। बाबो हरेक बखत कुटिया रै बारै माला फेरतौ इज निजर आवै हो अर धूणी धुकायोड़ी राखे हो। डील सूं कालौ भटीड़ आंख्यां मोटी मोटी, जटा अणूती बधायोड़ी, राती लंगोट। गलो मालाव सूं अटियोड़ो। बाबा नरै इण रूप ने देख गांव रा सगला मिनख लुगायां बाबाने पूगोड़ो पुरूष मान कुटिया तांई जावण लागा हा।

भोला ढाला मिनखां रै सागै सागै गांव रा मौजीज मिनख पर बाबा रै कनै जावण लागा अर बठै इ डेरौ जमाय बैठै रैवै। अबै सगला लोग बाब नै बावजी कहर बतलावे हा। घणकरा तो अबै बावजी रै साथै साथै गांजा री चिलम रा सुट लेवण लागा हा। सगलां रै देखा देखी मोट्यारड़ा पण इण लत मांय भेला भिलगा।

केई दिनां तांई तो बावजी बाने आप खुदलियमां रा सुट पावता रह्या अर हेल न्हाखिया पर आ कैवत है के घ्हिलीयोड़ो गोदो खेत मांय बड़यां टाल नीं रेवैङ कैवत रै मुजब सगला नसेड़ी व्हैगा हा। अबै बावजी आपरा हाथ पाछा खांच लिया हा पर नसेड़ी सगला दिन उगै कुटिया माथे जमघट मांडता हा।

बाबो अबै मन मांय जाणगो हो के घ्बींद मरो बींदणी मर बाण रौ टक्को त्यारङ इम कैवत मुजब नसां सूं कितरा घर उजड़ेगा इणरो बेरो उणनै नी हो। गांजो नीं मिलण सूं सगलां रा नाहटा टूटे हा इण खातर बाबा नै गांजा रौ मोल चुकाय नै नशो करण लागा अर बाब कनै अबै ररिपियां री आवक सरू व्हैगी ही। बाबो डोरा डांडा पण कतो हो। पैली पैली तो गांव मांय ढोरा डांगर सगला रै साज मांद में झाड़ो झपटो देतो अर डोरो मादलियां में झाड़ो झपटो देतो अर डोरो कर देतो हो किम सूं टक्को एक पण नीं लेतो पण बखत रै साथे साथे बाबो रौ रूबाब में फेर ावतो गियो अर बो लोभी व्हैगो जद घणा मिनखां रौ हियो लागण लोगो तो बो अबे डागदर रै जिंया भिस वसूल करणा लागगो। हवलै हवलै नैड़ी दूर तक रा गांव मांय बाब री बैठ जमगी ही। अबै बाबा रै आवक में बधापो व्हैतो गियो अर देखतां देखतां कुटिरया री जगा तीन मंजल रो लांठो बंगलो बणगो। बंगया मा ा ंय सागली सगवड़। अबे बाबो एक नामी सेठ सूं कम नी लागे हो। पलका करती कार बंगला मै सामी ऊभी रेवै।

काली री काली छिंया तैर तैर बधती गी। एक बार झड़ाको कदेसी आ जावे तो गांव रौ तलाव हरके बार भरीज जावे। आ कैवत है के,घ्खुरापाती कीं खुरापत कीदा सिवा रवा नीं आवेङ ओ इण कैवत रै पाण बाबो अबे गांव मांय नवी हवा फैलाई के इण गांव रा सगला कुआ अर बावडिया सूखण रौ कारण नीची जात्यां रै मिनखां रै पाणी पीवण अर आंरी छियां पड़णौ है। गांव रौ जीवण अबे भगत ओ तलाव इज है। अबे इणने भरियो राखणो है तो..? पछै थे थारी जाणो। आ दो च्यारेक घरां रै लारै सगलो गांव दुख पावेला। बाबो तीन च्यारेक मौजीजा ने कह्यो।

आ केवत है के घ्भीड़ रै फगत कान व्है मूंडो कोनी व्हैङ रै मुजब हवा लाय री दांई पूरा गांव मांय पूगगी ही। ताबड़ तोड़ एक पंचायत बैठी अर सगलां रौ हुकम व्हियो के नीची जात रा तलाव रै नेड़ा नीं फटकण देणा। तलाव रो पाणी इणां रै घरां तांई नी पूगणौ चाईजै।

इण कैवत रै मुजब के एकलो चणो भाड़ नी फोड़ सके, गांव मांय दो चार घर डेढ सौ रो सानो कियां कर सके हा। अर वे तंग व्है एक एक कर गांव छोड जाता रीया। अबे गांव मांय फगत एक इज मेलावो अठे इज रेवण रौ पक्को मंसूबो ठाण राख्यो हो के अठे जलमियो अठै ई ज मरूंला। बो हो धन्नो धोबी।

दिन च्यारेक रै पछे धन्ना री घर आली रामप्यारी पैली रै जिंया भोला भाव सूं तलवा माथै पाणी लावण सारू गी ही। रामप्यारी रै तीर माथै पग धरतां ई बठे ऊभी दूजी लुगायां उणने आई जियां पाछी जावण रौ हुकम दियौ। रामप्यारी कैवण लागी, बेनां अजे काले तक तो आपां सगली एक इज घाट पर तलाव सूं पाणी भरती ही पण चाणचक म्हनै ना क्यूं..? एक जणी ताकड़ी होयर बोली, म्हारी आंख्यां आज इज खुली है भलो व्हो बावजी रो म्हारी आंख्यां खोल दीनी तो सगला कुआ बावड़ी रै जिंया तलाव रा पणी नै सुखण में जेज नीं लागती। सुणओ सगली बेनां अबे भूल्या जठे सूं गिणती सूर कर दो अर इण मेलावा ने तलाव रै नैड़ कर ई नीं जावण देणो अर रामप् ारी नै हेठी पटक लातां सूं ठोकण लागी। रामप्यारी मार रै कराण चिरड़ाटियां करण लागी ही पर धणी रै बिचालै उणरी चिरडाटी दबर रहगी ही। कोई केस खैंच्या अर कोई ओठनी। एक जणी तो मिनखपणा री मांठ इज डाक दीनी ही। उणरे मूंडा माथे लात री ठोक दीनी, जिणसूं उणरौ मूंडौ लोही सूं रातो व्हैगो हो। जद जायर कठै इणरो लारो छोड़्यो हो।

रामप्यारी ज्यां तिंया घरै पूगी धन्न नै समझतां जैज नीं लागी पर आ कैवत है के बकरी री छींक बजार मांय कुण सांभलै अर बो मन मसोसर रहगो। तीन च्यारेक दिन बित्या पर टाबरां नै पाणी रै खातर बिलखा व्हतै देख धन्ना रौ कालजो फाटण लागगो हो। केली मायं बासी पाणी हो सो दिनड़ा पार घाल्या हा पर अबे साव नीठगो हो। पर मरता कांई नीं करतो सो धन्नो रात नै तलाव सूं पाणी लावण री ठाणी अर दोयक बालट्यां डरतो भर ले आयो इंया छठाने छाने तीनेक दिन फेरूं काढ्या। एक राच चाणचक बाबा री आंख खुलगी तो बो धन्ना नै पाणी लेता देख लियो। अबे बो मन मांय घड़े अर भांगे हो। फेरूं दिन एक आडो पड़यां बाबो रात ने बंगला रै ऊपर डागला माथै सुत्यो निंगे राखे अर तीन च्यारेक नशेड़ी लठेतां नै ओले ऊभा कर दिया। अंधारी धुप्प रैण धन्नो डरतो डरतो भोला भाव सूं बाल्टी तलाव मांय डबकाई के च्यारूं लठैत धड़ाधड़ धन्ना रै माथै सोटा ठोकम लागा। बाबो डागले ऊभो सगलो नजारौ देख रह्यो हो। एक सोट धन्ना री कनपटी माथै बैजा लागगो इण सोट रै साथै इज बो तो बठ तड़फा तोड़तो राम नै प्यारौ व्हैगो। बाब रे बताय मुजब एक जैवड़ो धन्ना रै गला मांय बांध दियो अर ठिड़ता ठिड़ता सूनी रोही मांय एक रूंखड़ा रै टेर दियो हो।

दिनूगे तांई धन्नो घरे नी पूगो तो रामप्यारी तलाव कानी न्हाटी। बठे देख्यो तो लोही बिखरियोड़ो अर खुशलिया घालियोड़ी ही। रामप्यारी ने समझता जैज नी लागी अरल लिंगाटी रे स्योर स्यारे रोही मांय रूखड़ा तां ी पूगी तो बठे लोगी झान व्हीयोड़ो धन्नो रो पुतलो हिंडा हिंडे हो। क्यूंके बी रूखड़ा माथै चार पातेक लंगुरियां ऐक डाला सूं दूजा माथै फदाका मारे हा जिणसूं डालो हिलके हो। धन्ने रे पुतला ने देख बा तो बैसुध व्हैगी ही अर आपो संभाल नै तलाव तक पाछी आई ही बाब रे कन्ने लटियां तोड़ती। कैवण लागी घ्बाबाजी म्हारा धणी ने कुण ई मारा न्हाखियोङ बाबो अजणाज व्हैतो थको बोल्यो घ्बेटी आ कियां व्हैगी, अर जोव्हैगी तो धीजो राख, जावण आला ने कुण ढाब सके है ओ तो मानखां री करमगत है, जो सगला ने इण मारग तो जावण इज है। म्हारी माने तो उणरो बैगो सी किरया करम कराय दे अर पछै उणरी आताम री मुगत रो की जतन कर, नीं तो ओ तलाव धन्ना रे भूत री छिंया मांय रैवेला अर इणसूं पूरो ौ गांव दुखी व्हैला। रामप्यारी बाबा री मीठी बात रे भवजाल मांय आयगी। बाब री निजर धन्ना रे कांनी मुरकिया अर झेल माथे ही बो दूजे दिन भाखफाटा पेला धन्ना री रती री वानी मांय सूं ऐक ढेलो हाथ मांय लियो इज हो के गांव रौ ऐक बूढो मिनख बाबा रे रथी कने ऊभो अर वानी सूं हाथ लपट्योड़ा देख लिया। बाबा रो मुंडो तो धोलो फट्ट पड़डगो। बूढ़ो बोल्यो-बावजी अठे कांई करो हो अर मुट्ठी मंय काँई दाब्योड़ो है। बाबा री तो जबान तालवां रै चैंटगी, कीं बोल्यो नीं चाल्यो। बठे सूं तंतगा मनाया कर कुटिया पूगीयो।ङ

बूढो मिनख गांव मांय जाय सगली विगत गांव आलां ने बताई तो गावं री पंचायत भेली व्ही बाबा ने पंचायत मांय बुलायो अर साचीपो देवण रो कह्यो पण बाबो तो काठो डरगो हो कैवत है के घ्चोर रा पग काचा व्हैङ अर बो खुलगो।

अबै गांव आला उणारी बरबपादी रो कारम जाणगा हा के ओब बाबो पूरा गांव ने नसेड़ी कर दिया। गांव मांय ऊंच नीच रो लांपो लगाय दियो। जितने बे च्यारूं लठेत बठे पूगगा अर ऐक जणो पंचायत रे सांमी हाथ जोड़तो थको बोल्यो-ओ बाबो म्हांने बीं दिन फोकट में गांजा री चिलमां दिनी अर म्हां नसा मायं धनना ने मार न्हाखियो। आ सगली खोटी सल्ला इण बाबा री ही।

पंचायत मांय सू एक बूढ़ो मिनख बोल्यो-आ बात पण कांई किणी सूं छानी है के ओ बाबो अठे आयो जद फगत लंगोट अर तूंबी ले आयो हो। ओ बंगलो आपारी कमाई रो है। ऐ कठे हल जोत्या हा। फेरू, दूजो बोल्यो ओ तो ऐक जीवतो भू है जो धन्ना ने जीवता ने खायगो अर मरिया पछे पण उणरी रथी तक नीं छोड़ी।

सगला गांव रा एक मतो कर बाब ने पुलिस ने सूंप दियो। अर आ भुलावण धाती के गांव रा सगला भाई भाई हा। कुण ई ऊंच के नीच कोनी। बाबा रे जावण सूं मोट्यारां री बरबादी बचगी। सगला मिल धन्ना रा मेलावा ने इमदाद दीनी। रामप्यारी ने धीजो दिरायो। अबै रामप्यारी सगली लुगायां रे साथे-साथे तलाब माथै पानी भरै। कुण ई उणने आ नीं कैवे के राम्प्यारी थूं...?


लिछमी

बांझणी..बांझणी..बांझणी। लिछम ीजणा जणा से मुंडां सूं औ सबद सुण सुण साव गैली गूंगी ज्यां व्हैगी। बलिता री भारी लेवण ने जावै चाहे पणघट माथे पाणी भरण जठे जावती उणने ओ इज सबद कानां मांय गरणावतो।

लिछमी री सासु पण उणने घणा अंवला बोल बोलती थकी ताना देती ही, बाकैवे ही-आ किसी बांझणी म्हारा बेटा रे पानी पड़ी, पूरा दस बरस व्हैगा ब्याव ने अजै तांई तो आ बांझणी इज लागे। म्हारा तो मन करे रांड ने धक्का देयर पाछी इणरा मायतां रे घरा काढ देऊं। इसी बांझणी सूं म्हारे घर रो वंश कियां बधसी, म्हारे तो बेटो पण छगन ऐका ऐक अर बिंदणी बांझणी पाने पड़ी। इयां जाणओ व्हैगो सत्यानाश म्हारे घर रो तो। लिछमी री सासु बोलती जाय रही ही।

लिछमी सासु रा ताना सुणती अर थान थपान, सेणा समझणा अर भोपा रे मीने रे तीनस दिन फेरी लगावती रैवती। पेट उघड़ण सारू जितरा भाटा उतरा देव कर न्हाखया। कदै थाना माथै फोपाजी खोल भरावता तो कदे सेणा समझना टोटका करण रो केवता। इयां करता करता लिछमी सफा हारगी ही। उणने कीं ननीं सुजे हो बा करै तौ करै कांई..?

लिछमी जठै ऊभी के बैछी रेवती उणरे कानां मांय फगत एक इज सबद गरणावतो..आ तो..बांझणी है..बांझणी..लिछमी रो धमई छगन आठ किताब तांई भणियो पढ़ियो स्याणो मोट्यार हो बो कने सी सैर मांय मंजूरी करे। सावरना रोट्य रो भांतो लेय बाइसिकल सू जावे अर सिंझ्या घरे पूग जावे। छगन पण लिछणी सू घणो हेत राखे उणने छगन मूंड़ा सूं कदे खारो बोल नीं कह्यो हो।

एक सिस्टर (नर्स) नौकरी सारू पैली बार उण गांव मांय पूगी। बा ऐक मोटा सैर री रैवासी ही। उणरी नौकरी छगन रै गांव मांय लागी ही। लिछमी रीबात गुड़ती गुड़ती सिस्टर कने पूगी तो वा लिछमी रे घरै गी। लिछमी उणरी सासु अर छगसन सूं मिल उणाने विस्वास दिरायो। लिछमी री सास ने भुलावण देती थकी कह्यो, मां जी टाबर नीं होवण रो दोस समाज फगत लुगायां ने देवे है। पर ओ विग्यान रो जुग है। ए बातां अबे हजार कोसां लारे रैगी। इण अपनां फेरी आला डागदर के टोटका रे भवजाल मंय नीं पजणो चाईजै। था दोन्यू धमी लुगाय स्हैर जाय थारे सरीर री तपास कराओ। खोट लुगाई री जगा मिनख में भीत तो व्है सके है।

सिस्टर..आ साची बात है कि खोट लुगाई री जगा मिनख मां पण व्है सकै है? छगन अचम्भो करतो थको पूछ्यो। जितने छगनी री मां रीसा बलती छकी बोलण लागी, कांई म्हारा छगन में खोट लागे थाने...? सिस्टर धीजो दिरवती धकी कैवण लागी नीं..मां जी, म्हारे केवण रो मतलब ओ नीं है पण तपास कराया मालम व्है सके है..। आ तो डागदर री रपट आयां ठाह पड़सी।

छगनल स्याणो मोट्यार हो, इयां बो सगील बातो रो भान राखतो छगन ने पण ाबात सोला आना जंचगी। छगन बोल्यो, सिस्टर थां साव साची केवो हो..डागदर टाबर री औखद देय सके..तो इण रो ईलाज भी तो कर सके। थूं सावल कह रहयो है छगन, विग्या रा जुग मांय दोरी बात की नीं है।

लिछम जद ए बातां सुणी तोउणरा कालजा ने कीं ठाडौल पूगी। वा सिस्टर ने हाथ जोड़ती थकी कैवण लागी, सिस्टर, आपर देवी रूप धारर म्हारे घरे पधारिया, धिन भाग म्हारा अर इण गांव रा।

थूं चिंता मती कर लिछमी। ऊपर आला ने सगलां री खबर है। सिस्टर बोली, म्हैं थांने स्हैर रा एक लूठा अर मौजीज डागदर रो ठिकाणो देऊ थां दोन्यू बठै पूगर तपास कराय द्यो।

लिछमी अर छगन सैरा पूग डागदर सूं मिल्या। डागदर दोन्यूं ने भली भांत समझाया अर बरसो रो बोझ उदार दियो। दोन्यूं री सगली तपास करीजी। तापस में लिछमी एकदम भली चंगी अर टाबर पैदा करण में सही बताई।

डागदर री रपट में मुजब छगन में दोश मिलोय..उणरे सरीर रा बीज (शुक्राणु) टूटा-फूटा अर कम मिल्या जो टाबर री पैदाईस कर सकै। डागदर दोन्यूं ने आछी भुलावण धाती अर छगन रो इलाज किनो।

लगोलगे बारै मीना ईलाज रे पाण छगन रे घरे थाली बाजी। सगला बास गवाड़ी अर घर मांय उच्छब मनाय गयो। लिछमी री सास पण घणी राज व्ही, जद बीने आ ठाह पड़ी के खोट लिछमी मांय नीं वै र छगन मांय ही। तो वा लिछमी ने घणो लाड़ लडायो अर पछतावती थकी कैवण लागी बेटी म्है थने घणा आवल कावण सुणाया। बेटी म्है अग्यानी ही। महनै जुनी रट लाग्योड़ी री। म्हने माफ करदे बेटी..? आज रो विग्यान रो जुग म्हारी आंख्यां खोल दी। अबे लिछमी एक बेटी री मां है। कुण ई उणने नीं कैवे के लिछमी थूं..?


रोलो

मारो..काटो..बालो..।

मिनखां रो हियो हियो लाग्योड़ो हो। इण जमघट रे बीचाले सै सूं अगाडी नवो नेतो थरपिजियौड़ौ। इयां थरेप कुण हो छिगाणे ई बणगो। मोवन हाथ में साठी पांचके फुट री डागं लियोड़ो सगगा ने सलीम रो घर माथे हमलो करण रौ कैवे हो। आ कैवत है के भीड़ रै कान व्है पवर मुंडो नी व्है..। देखा देखी सलीम रा घ मायं बड तोड़-फोड़ मांड दी अर घासलेट न्हाख लाय लगाय दी। सलीम उमरी लुगाई नगमा अर टाबर सगला कुरलावे हा। भेला भेला बां सगला ने पण कोजी भांत कूट्या। कारण कांई हो ओ भीड़ ने ठा नीं हो। सलीम रो कसूर फगत ईतरो ई हो के उणरो पांच बरस रो बेटो मोसिन रमतो कूदतो पोसाल सूं घरा जाती वेला भोलपण ऐक नैनो भाटा रो कोपरियो हाथ सूं छूटगो अर महोन री थलेटी रे मायला पासे पड़गो हो।

बस मोबन ने तो जाणे चुनाव जीतम रो लांठो मुद्द मिलगो व्है इनै लैयर मोवन री आंख्या मांय बासदी रा धपलका उठण लागा। बारे न्हाट आयो अर देखोय तो छोरो..? इण बहात ने लेयने बास में हाका हुक मांड्या !       सुणो भायलो आज म्हारा घर माथे हमलो। काले थारा घर माथे होसी बास रा सगला मिनख लुगायां टाबर भेला व्हैगा। तेर तेर पूरा गांव मांय समचौ पूगतां जैज नीं लागी। भीड़ मांय कुण ई कारण पूछण री जुगत तक नीं कर सगला रे मुंडा सूं फगत ऐज इज सबद मारो..काटो..बाढो। आज छोड़नी नीं है। ज़डा मूल सूं गमावणो है अर सलीम रा घर ने बाल दियो। नगमा रो पग भारी हो। पण किण ने ई उण माथै दया नीं आई। उणरी पग बेणा कुटाई कर दी। बात मोटा ऐलकरां तक पूगी। बखतसर मौका माथै पूगर सांयती कराई नीं तो कांई ठाह कितरो खून खराबो व्है जावतौ। नगमा नै सफाखाने पुगवान री सगवड करीजी। डागदरां री जुगत रे पान गनमा सावल ही उणरे टाबर जमल गियो पर उणरे लोही री कमी ही इण सार डागदर जोड़ जुगत करण रो कह्यो। सलमी पण उण इज सफाखाना मांय दूजा वार्ड में भरती हो। लोही री जुगत कुण करे?

इण बात री ठाह जद गांव रा एक समजा सेवक पुरूषोत्तम शर्मा ने पडी तो वे उणरो लोही दान करर नगमा री जिनगानी उबारण में नाभी भौमका राखी।  भीड़ में हवले हवले कानाबतां होवण लागी..असल रोली रा जड़ कांई ही? सलीम रो कसूर कांई हो? भीड़ में सौ मांय सूं निनाणू ने रोला रो कारण ठाह नीं हो। जद मोवन ने बुलायो अर विगत पूछो तो बो एक नैनोक कांपरियो कांच री अंटी जितोक नीठ होसी खुंजीया (जेब) मांय सूं बारे काढर नीची नाड़ कर बपतावण लागो अर कैवण लागो ओ कोपरियो सलीम रो छोरो म्हारो थलेटी रे मायला पासे फैंक्यो। म्हारा घर माथै साम्प्रदायिक हमलो कियनो। आज कोपरियो फैंक्यो अर काले फेरू कीं..? कैवण लागा बस इण छोटी सी बात ने भाखेर जिसी बणाय दी अर सलीम रो हरियो भरियो घर उजाड़ दियो..सकला पछतावे हा। पर भीड़ तो भीड़ व्है। पूरी पड़ताल रै पछै मोहन ने रोलो करावण रै जुलम में जेल व्हैगी ही।

मीना दोयेक रे पछै मोवन री घरआली झमकू रै टाबर होवण आलो हो। अर आज वो समै नेड़ो आयगो हो। वा घर मायं एकली तड़फा तोड़े ही। पाडौसियां ने ठाह पड़ी तो उणनै अजैज सफाखाना ले गया। उणरा धणी मोवन जैल जावण रे वियोग में वा साव सूखर कांटो व्हैगी ही। वार्ड़ मांय भरती करता ई डागदर पैली लोही रो जतन करण रो कह्यो। मोवन रा काक बाबा ई सुणियो। जद सफाकाना पूगा हा वै लोही खातर अठी उठी घणी भागदौड़ कीनीं पण कीं काम नीं सरियो।

सलीम उणरी घराली नगमा री जांच करावण सारू सफाखाने आयो हो। बौ करनै पलंग माथै सुती लुगाई ने तड़फा तोड़ती देखी तो बो कनै ऊभा मिनखा सूं पूछ्यो कांई बात है?..अर आ तो स्यात् मोवन..? हां सलीम भाई आ मोवन री घरआली है। इणने लोही चाईजै पर अजै सगवड़ व्ही कोनी। सलीम डागदर कने पुगर लौही दान करण रो मंसूबो जतायो। डागदर लौही री तपास कर लौही झमकू ने चढ़ाय दियो। झमकू ने डील मांय सगती वापरी। उणरे टाबर जलमियो राजी बाजी घरा आयगी।

झमकू ने जद ठाह पड़ी के उणरी जिनगाणी उबारण आलो सलीम है। उणरो धणी जिणरो घर उजाड़ दियो। बा सलीम रै पगा पड़ घणी रोई। सलीम धीजो बंधावतो थको कह्यौ, झमकू मिनख रो सांचो धरम अबकी वेला मायं आडो आवे जद इज मानीजै। धरम तो एक दूजा ने जोडणो सिखावे। धरम ने मिनख सूं तोड़नो कै रोला करणो नीं सिखावे। पण अ ै के होत जद चिड़िया चुग गई खेत।

मोहन ने जद आ ठाह पड़ी के उणरी लुगाई झमकू री जिनगाणी बो इज मिनख उबारी है जिण खातर रोलो मांड्यो अर उणरा घर ने अणखादी में उजाड़ दियो हो। अबै सिवा पछवाता रे उणरे कनै कांई नीं हो अर बो भींतां सूं भचीड़ खावण लागो।


हेलजी अपणायत

विकास। ऐम.ए. री लांठी डिगरी लयर मन ई मन हरखे हो। उणरे मुंडा रो नूर वीं बगत फीको पडगो जद बो नौकरड़ी सारू सड़कां माथो रूलतो फिरतौ। उणरो मनसूबो पूरो नीं व्हियो। नौकरी री जुगत नीं बैठी तो आठ दसेक टिगरियां ने ट्यूशन पढ़ावण लागो। उणरी लग रे पाण पढ़ेसरियां रो बधापो व्हैवण लागो। इयां अजै बो हार को मानी ही नी नौकरी खातर दोयक वला फेरू इम्तीहान पण दिना हा पर जोग नीं जमियो। ट्यूशन रे पाण गुजारो करै।

एक दिन बो स्हैर में नौकरी रो इम्तीहान देवे हो। उमरे लारली टेबल माथे एक छोरी पण भेली इम्तीहान देवे ही। इम्तीहान री टैम पूरो व्हियो सगला आप आप रे ठाणै कांनी जावण लागा। बा छोरी कनै ऊभी ही, पूछ्यो थारो नांव? विकास नांव है म्हारो । थारो...? विकास पूछ्यो..वीणा। हवले हवले हथाई बधती रही और दोन्यूं सागी टैक्सी मांय बेसर रेल टेसण पूगा। वीणा फूटरी फररी, गौरी गट, कमर तांई लटकती काली चोटी, भरियौ डील पण मुंडा माथे कीं उदासी वापरियोड़ी ही।

बा चाणचक म्हारे माथे बिस्वास करती थकी कह्यो म्हनै थारी ईमददा री दरकार है, कर सकतो तो..? विकास भवजाल में पजगो खुद बेरूजगार इणरी कांई इमदाद करेला..थने ठाह  ै म्हैं पण रूजगार सारू इने बिने डुलतो फिरूं हूं अर थारी..विकास संकतो थको बोल्यो। बा पूरा विश्वास रे सागे कह्यो-था म्हारी इमदाद कर सको हो..हमारी तो भरो-वीणा कह्यो।

उणरा (वीणा रा) आतम विस्वास रे देखता मन मांय घड़े अर भांगे पण कीं गतामग नीं पड़ी..। फेरूं विकास बोल्यो..म्हैं थारी कांई ईमदाद कर सकूं जे कर सक्यो तो धिन भाग म्हारा।

एक अणजाण मोट्यार छोरी इण भांत गले पड़े अर ईमदाद मांगे तो स्यात् इणने कीं दरकार अवस है। बो मन ई मन बिचारे अर माथो ठणकावतौ हामल भरी।

बो बोली म्है बी.एड. तक री भणा ई किदी हूं गर म्हनै थारो सेड़ो मिले तो आपां दोन्यूं किणी स्हैर मांय प्राइवेट पोसाल खोल लेवा अर आपरो रूजगार बणाय लेवां..। विकास तो वीणा रो मुंडो ताकतो रहगो जाणे घर बैठा गंगा मिलगी व्हैे।

विकास थोड़ो खूल्यो अर कैवण लागो वीणा ईयां म्है पण ट्यूशन सूं इज गुजारो करूं हूं। हथाई हथाई में टैसण आयगदो  दोन्यूं कीं सिरावण पाणी लियओ अर रेल मांय बैठा..विकास उणनै पूछयो वीणा इयां थूं रैवे कठै है? थूं कुंवारी है कै परणियोड़ी..। वीणा मुलकती थकी कीं पड़ूतर नीं दियौ अर टालो कर दियो। उणरा टाला ने देखतां बात नीं बधाई अर मन मसोसर रहगो।

रेल धनधनाट करती चीला माथे दौड़ती दौड़ती साग टेसण पूगी। विकास वीणा ने साथे लेयर घरां पूगो मां अर बापू ने वीणा री ओलखाण कराई तो वे उणने राखण सारू राजी व्हैगा। पोसालण खोलण सारू तीन चारेक दिनां तांई घर री भाल में पूरा स्हैर छाण दियो जद जायर कठै एक घर मिलियो। घर मिलोय तो बो भी ठावको अर बस्ती जठै सगला वौपारी कै नौकरी आला। घर रो घणी परदेश वौपार में लाग्योडटो। कुंची पड़ौसी ने सूंप्योड़ी ही कानाबाती सूं सेठ राजी व्हैगी हो। गिणिया दिनां ईज पोसाल रौ नांव सैर मांय चावौ व्हैगो। वीणा पोसाल री हेडमास्टरणी ही। व्यवस्था रौ सगलो काम विकास देखण लागो। उणारी आमद में गौरो बधापो व्हैवण लागो।

ईतवार रो दिन हो। वीणा सवार रा अखबार पढ़े ही। विकास पण उणरै नैड़ो बैठो हो, बो वीणा रा बखाण करतो नीं थाके हो पण घणकरा सवाण उणरा मगज मांय  ुछाला ले रीया हा। वो सेवट पूछ लियो वीणा थूं इण भांत एकली कितरा दिनां तांई दिन गुजारेला थारो की ठांणो..? एकली कठै हूं थां हो नीं अर खिन खिन कर हंसण लागी।

म्हैं कुण हूं, कठै रैवती ही अर कांई करती ही, इण बातां में म्हनै घणौ चाव कोनी। पण अबै कुण हूं, कठै रैवूं हूं, कठै रैवूं हूं, कांई करूं हूं? इण बातां में म्हनै बैसी विस्वास है। पण थां म्हनै बीसूं वेला पूछ लियो इण खातर विगत थांने बताय दूं इणसूं थांने एड़ोनी लागै कै किणरो संगर कर लियो। वीणा पूरा विस्वास सूं कह्यो।

गांव रो नांव थाने पैली बताय दियो बठै म्हारा बापू एक पोसाल रा मास्टर हा। म्हनै घणै लाड़ां कोडां मोटी किदी, इंया मां तोम्‌हनै नैनी थकी (बालपण) ने छोड़ सुरग सिधायगी ही। म्हैं म्हारै बापू री इकलौती औलाद ही इण सारू म्हारा बापू आस करता के म्हनै खातो पीतो घर मिलै अर लाडा कोडा ब्याव व्है। इण सारू नौकरी री पूरी कमाई भेली कर म्हरो ब्याव एक गांव मांय कर दियो अर बे पण म्हनै छोड़ दुनिया सूं जाता रह्या। दायजा रा लोभी म्हारे सासरा आला म्हारे माथे बैजा जुलम कर लागा अर ऐक दिन ऐड़ो आयो कै बै म्हनै घासलेट ढोल होली सुलगावण लागगा। कुदरत के ऊपर आला रा म्हनै थोड़ो भान व्हैगो हो, सासु जियां ई पीपी रो ठकणो खोल्यो, म्हैं दौड़र बारणा बारे आयगी अर न्हाटी न्हाटी म्हारी भुआ रै घरमां जको उण इज गांव मांय मील डोडेक अलगी रैवे ही।

दूजै दिनूसं नौकरी री भाल में निकलगी अर था सूं मिली। वीणा दुखडो गिणाती गी। सगली दुःख री सुनी तो विका रा कानडा मांय आयगा। सगली विगत मन लगार सुणी अर बोल्यो वीणा अबै थूं एकली कोनी। थारी हरेक भीड़ में थारे सागे हूं अर थूं चावै तो आंपा..। इण माथै वीणा कैवण लागी। विकास थे म्हनै इतरी हेजली अपणायत दिनी। म्हैं पण थारे सूं इज हेजली अपणायत राखूं अर थारे सागै जिनगाणी बितावण सारू त्यार हूं। दोनूं राजी बाजी प्रेम ब्याव कर लियो।


कन्यादान

सीमा आज बैजा भवजाल मांय पझगी। तोरणा माथै उभौ बींद। बेटी वसुन्धरा रौ ब्याव। बींद ने टिकण री वैलाई तो सगला रे मुंडा सूं ऐकई ज सबद कै सीमा बींद रै टिको कियं ा कढ़सी बां तो विधवा है। अर ओ तो बींद बीनणी रो अमर कोल है। सीमा रो दोन्यूं कात्या बिचै माथौ करै पण कांई? विचार करण लागी।

सीमा कैवण में तो  ्‌मर सुहागण है, पण लोक लाज रे कारण मांग, लिलाड़ अर कलाईयां साव बांडी। लाम्बी बांयारी कांचली पैर बारणा मांय सगली लुगायां रै भैली जंवाई सा ने निरखे ही, बारणा लैवण ने उतावली पण..।

बो बखत हो जर सीमा आपरी लाडेसर वसुंधरा नै रैय रैय ने बारणा बारे आय आय उडीकै ही। सगला टाबर पोसाल सूं बावड़गा। पण म्हारी लाडेसर अजै आई कोनी। मां..मां..वसुंधरा बस्तो बगावती थकी आवती हाको किनो। सीमा बेटी ने के ी ताल सूं उडीकै ही उणरी निजर। लाडेसर कानी निजर पड़ी बा सांमी जावै अर बेटी ने गोदी मांय उठाव लिवी।

वसुंधरा अजै पांचेक साल री ही। आ कैवत है कै पूत रा पग पालणै दीसै, कैवत रै मुजब वसुंधरा भणाई पढाई ने हुस्यार, पोसाल मांय सै सूं अगाड़ी। ऐक दिन ऐड़ो आयो के बा कॉलेज तक री भणाई कर दीनी। भाग री बात करड़ी मेहनत रै पांण वसुंधरा तहसीलदार रा ओहदा तांई पूगगी।

वसुंधरा रो सगपण उणरै बराबरी रै ओहदा आला रै सगै तय व्हैगो। आज वो दिन आयगो बींद थलैड़ी पूगो। बींद रे तिलक री वेला ही। अबै लुगायां मांय कानाबाती व्हैवण लागी..सीमा तो विधवा है बींद रे तिलक कियां लगासी। ओ तो सरासर इन्याव है। सीमा भंवरजाल मांय पजगी। विचार करण लागी जिण बखत म्हार  ोधणी देस रे खातर लड़ियो अर दुसमिया सूं झूंझतो झूंझतो पिराण दे दिया हा, म्हारै घर माथै दुख रो मगरो पड़गो हो। उण बखत सगला म्हनै थथोबै हा कै देस री रिच्छा करण आला फौजी री लुगाई तो अमर सुहागण गिणिजैला अर आज तांई सुणतती रही हूं।

पण अबै म्हैं म्हारे कालजा रा टुकडा रै खातर जको बाप रे सहीद व्हियां री टैम फगत चारेक मीना री ही। पाल पोसर मोटी कीनी। भणाई पढ़ाई कर एलकरा बणाई। बा मां आज विधवा कियां गिणिजण लागी। इ ै कांई मानू लोगा री कथनी अर करणी मांय फैर कै समाज मांयै वापरियोड़ी कोजी रीत। सीमा केई ताल ऊंडा विचार सूं कोनी उबर सकी। थलेटी रे मांयला पासे मां रे कनै ऊभी वसुंधरा बोली कांई बात है, मां..? बेटी रे सामी एक निजर देख्यो अर नैणा सूं जल री धार छूटण लागी। ओड़णी रे पल्ला सूं आंसूं पूंछ्या। सैवट बोलर कह्यो ऐ इज लोग म्हनै बीस बरसां पैली क्यूं नी कह्यौ कै सीमा आज थू विधवा व्हैगी। अबै थूं अपसुगनी है।

छैकड़ तोरण माथै ऊभौ बींद बोल्यां मां..जी कुण कैवे आप विधवा हो। फोजी री घरआली तो अमर सुहागण मानीजै, तिलक आप लगाओ। बींद री बात सुण सगला मिनख अर लुगायां रो बाको फाटो रो फाटो रह गियो।
वसुंधरा जोस अबै दुगणो व्हैगो उणरो दियो हियो खिलगो। सीमा सगलां रै सांमी थालती थकी धूजता हाथ सूं तिलक लगावण नै त्यार व्ही। राजी राजी तिलक लगायो। घणकरी लुगायां वैराजी व्है आप आप रे घर कानी टुरगी। पण मौजीज अर भणिया पड़िया लोगों रे समझावण सु सगलो सुलटारो व्हैगो। सगला ने ठाह पड़गो कै समै रहता सगला नै समाज री कोजी रीतां रो त्याग करणो पड़सी। वसुंधरा चवरी मांय सात फेरां लैवण लागी। पंडतर मंतर बोलतो थको कह्यो..अबै कन्यादान करो। सीमा रे हाथ सूं बेटी वसुंधरा रो कन्यादान व्हियो।


लांपौ

कदै लाठै डील रा धणी मिसरा जी, धवला धट्ट गाभा माथै चिमटी रंज नी लागण देता। करड़ो धन्ज आंटीलो अर मुंझालो। आठो पोर मुंछा रे बट लगायोड़ो राखता अर राखै पण क्यूं नी सैकड़ा बीघा जागीरी रो घणी अर कनै दूजी पग अणूती अजोग।

अजोग रे पाण आपरे दोन्यूं बेटा अर बेटी ने चोखा भणाया पढ़ाया। दोन्यूं बेटां ने ठावा डागदर बणाया। मिसराजी सगला रे सामी चौड़ी छाती कर बोलता मन माथै अणूतो गुमान हरैक बार वे आपरै मन री बात कह देता कै म्हारा बेटा विदेसा रा लूंठा डागधर बणै तो ईज म्हारो सुपनो पूरो व्है।

छेकड़ मिसराजी रो सुपनो पूरो व्हियो। दोन्यूं बेटा री दिसावर (अमेरिका) मांय नोकरी लागगी। मिसराजी री बेटी सहारा नै पण भणाई पढ़ाई बा पण कनै स्हैर मांय एलकार बणगी। अबै मिसरा जी री छाती सवा गज बधगी। हरैक बखत बेटां रा बखाण करता जबान ई नीं थाकती। दोयक बरसां तक तो सगलो ठीक ठाक रह्यो। पईसा टक्का खिनाता तैरवता पर बखत रै पाण बेटा दिसावरी संगत मांय रलगा रमगा। दिसावर मांय इज ब्याव कर दिया। बापू ने खबर तक नीं।

मिसराजी आपरी एक बेटी सहारा रो सगपण जोड़ी रो छोरो देख कर दियो।

आज मिसरा जी माता माथै पड़या पड़या खैंखार करै, कनै एक फूट्योडी ठिकरो पड़ियौ खैंखार थूकण खातर। मांदगी किण री सगी? डील रै सगलौ लागगो। कोरा हाड़का बचिया हा। पड़ता दिनां सगला रा ऐ इज हवाल व्है। मिसराजी जको सुपना देख्या बे पूरा किना पर आज इणरे बुढ़ापा री डांगड़ी फकथ सहारा इज ही। बखत काढ़र बापू री दवा दारू करावती साल संभाल करती। ईयां करता मिसराजी घणा दिन नीं काढ़्या अर एक दिन इण दुनिया ने छोड़ जाता रह्या। आस पड़ौस कांनीं सूं सहारा ने समिचार करिज्या तो दोन्यू बेटी जंवाई ऊभै पगां पूगगा। सहारा उमरे दोन्यूं भायां सूं कानाबाती (टेलीफून) सूं बतल किनी कै अठै बापू देवलोक व्हैगा। जियां तियां बेगा पूगो। बीं टैम तो मोटैड़े भाई रो मूंडो ई नीं खूल्यो पर घड़ी डेडैक रै पछै फोन री घंटी बाजी। सहारा रिसिवर उठार सुणियो तो मोटेड़ो भाई बोल्यो सहारा आज म्हारै जरूर कांफ्रेंस है। म्हैं नीं पूग सकूं। बैया थनै ठाह है थूं कां ी बोल रह्यो है, थोड़ो संभलर बोल, ओ बखत टालो करण रो नीं है। मां बाप री अरथी ने खांदो अर अगलनी लांपो कै मुट्ठी माटी उणरा बेटाई ज दिया करै अर आई ज समाज री रीत है। इण खातर थनै कियां ई व्है पूगणो पड़सी।

सहारा। म्हैं एक दाण कह दियो नीं कै नीं पूग सकूं। कीं दूजौ अरेजमेंट करर सुलटारो कर दे नीं। दिसावरी बोल्यो।

भाया री बंतल सुण सहारा भंवरजजाल मांय पजगी। फेरूं बां मन मांय विचारियो के छोटेड़ै ने बुलाय देवा। दूजैड़ै सूं कानाबाली व्ही पर बो तो उणसूं ई डावियाल निकलियो। कैवण लागो सहारा इतराक काम रै वास्तै इतरो लम्बो सफर। सहारा अबै जमानो बदलगो है। आजकल तो इलेक्ट्रीक फ्यूनरल व्है अर ओ काम तो..? दूजेड़ो दिसावरी बोल्यो। भा ा थूं घमो बोलगो। दिसावर मांय जा दिसावरी भाषा बोलण लागगो। देस री संस्कृति ने भूलगो। थारा बापू ने भूलगो। जको थनै रिपियो कवौ जिमावतो। थारे खातर मोटा मोटा सुपना देख्या, थनै मोटा डागदर बणायो अर आज आखीर वेला मांय..? म्हारै बापू कोजी कजा व्है री है। सहारा भायां री बंतल सुण घणी रोई अर मन मांय बां ने धिक्कारिया।

टैम खासो व्हैगो हो, खांद्या खतावण करण लागा क्यूंकै सगला ने ठाह पड़गी कै अबै घणो बखत काढ़यौ पण बेटा तो कपूत निवड़िया सो आवे नीं।

सहारा एक कानी बापू ने देख अर दूकै कानी भायां री बंतल कानां मांय गरणावै। घणी रोई, नैणा रा आंसूड़ा पूंछया, बापू री अरथी रे खांदो दिनो अर सागै व्हीर व्हैगी। सगला खांद्या सहारा री हिम्मत ने देख घणा राजी व्हिया। एक बेटी आपरे बापू री देह ने अगली लांपौ दियौ।

पराई बेटी

किरपासंकर रे घर मांय अर बारे मिनखां रो हियो हियो लाग्योड़ो, एक कांनी पुलिस री जीब ऊभी तो दूजै कांनी सफाखाना री ऐम्बूलैंस। धुंओ अजै थोड़ निकलै हो। आता जाता बटाऊपण ऐक दूजा ने पूंछै कांई व्हैगो भायला? आज किरपाजी रे घरां इतरा मिनख, पुलिस अर ऐम्बूलैंस कियां आया है। पण कि ने इ अजै पूरी विगत री जाणकारी नीं ही इण खातर माथा रा ठणका दैवे अर हाथ सूं सैण करै। स्यात बे आ कैवे के अजै म्हैनै ई ठाह कोनी, पण काना काचा व्हे, सुणीजी के किरपांसंकर री घरणाली दया आपरे बेटी री बीनणी शीतल ने घासलेट न्हाख बाल दी बतावे। जिनैते सफाखाना रा कारकून अर पुलिस आला एक धवला गाभां मायं विटोलियोड़ी शीतल ने ऐम्बूलेंस मांय घाली अर सफाखाने  ले गिया। बर्न वार्ड में खाट माथै एक जीवती लास सामी भालो तो डर लागै, कंचन जिसो डील आज हॉरर शौ रे पात्रां रे जिंया लगा रह्यो हो। नरख देता लोही आवतो एड़ी फुटरी फर्री ही शीतल।

उणरो कसूंर कांई हो इण समाज ने ई स्यात ठाह कोनी व्हैला पण आज सगला गूंगा व्हैगा-कसूर फखत ओ के बा एक पराई बेटी है अर सोना रा ईण्डा देवण बाली कूकड़ी कोनी ही। शीतल रा बापू ऐक राज री पोसाल रा मास्टर हो। शीतल रै ब्याव खातर टैम पैली रजा लैली पूरी नौकरी री कमाई शीतल रै सासरा वाला ने दायजा में दे दिनी।

स्यात् इण खातर कै ऐका ऐक लाडेसर इणरे सासरा आला री आंख्या मांय नी खटकै पर लोभ ई किसो थोब व्है, बधतो ईज गियो।

पण आज इण इज दायजा रे काणर लाडली सफाखाना मांय लास रे जिंया पड़ी। रोवे तो बूढा लाचार बाप रे नैना मांय नीर नी। खुड़िया रे अडखण सफाखाने व्हीर व्हियो। पर शीतल तो उणरा बूढापा में सफा गोड़ा भांग दिया हा। डोकरां ने अंधारी आयगी अर हेठो पड़गौ, सगला मिनखा दोड़या पर सियारो दैवण लागा पर होयेक हिचकी रे सागै इज गाबड़ ढलकाय दी। जिंया तियां सफाखाना मांय ले गिया। बर्न वार्ड रो कनलो वार्ड मेडिकल वार्ड हो सो मास्टडरजी ने भर्ती किया, थोड़ी तपास रै पछै डागदर हाथ झटक दिया। मास्टरजी जाता रह्या।

किरपासंकर अर दया मास्टरजी रे देवलोक रा समिचार सुण मन ई मन घमा राजी व्हिया। बां रे ब्यान रो सोवणो मौको हो सो बां रा ब्याव हा भोजन बणावती ही गैस लिक व्हैगी।

बठीनै शीतल मौत सूं झूंझ रही ही पर डागदरा री खासी जोड़ जुगत रै पछै शीतल ने की चैतो आयो। बा पाणी रो एक घूंट लियौ पर अजै ब्यटान चालू नीं व्हिया हा। अठीनै किरपाजी अर दया रो चेती चूकण लागगो। झ सियाला में दोन्यूं रे परेवा रा रैला आवण लागा। सासु सुसरा दोन्यूं शीतल ने हाथ जोड़ण लाग्या बेटी म्हैं थारा मायता हां, म्हारी जिनगाणी थारै हाथ में है।

घड़ी चारेक रै टाल शीतल रा वाचा खुल्या। थाणेदारजी ब्यान लिया। ब्यान में सगली बिगत बताय दी, ब्यान रे मुजब किरपाजी अर दया नै जेल व्हैगी।

अबपै शीतल एक मोटा स्हैर में रैवण लागी, बा लुगायां रै अत्याचार निवारण कमेटी रो गठन कियो। लुगायां सागै अत्याचार री बात माथै बा कुलै हिरदै सूं विरोध करण लागी। दायजा रूपी इण राकस ने जड़ मूल सूं गमावण री अपली करती रैवे।

आगे रा पन्ना

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