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राजस्थानी वातां


पताई रावल री वात

बेगड़ो महमद गुजरात पातिसाही करै। सू पताई रावल ऊपर महम कीवी। पावै गढ नूं बारह तांई घेरियो।
पछै पताई रावल-रै सालो वांकलियो। तिकै-रो  वडो मामलो, वडो इतबार। गढ-री कूंची वसू। तद पातिसाह-सूं साजस कीवी, जू मनै सगलां ऊपर करो तो कूंची देवां। तद पातिसाह कौल दियो।
तद पताई रावल-नूं खबर हुयी, जू गढ पलट्यो। तद पताई रावल भीतर राणियंा-नूं कह्यो, जू थे जूंहर करो। तद राणियां कह्यो-म्हे ही रजपूताणियां छां, म्हे ऊंचियां चढस्यां अर नीचै लकड़ियां रो झूंपो करो, ज्यूं-ज्यूं थे काम आस्यो त्यूं-त्यूं म्हे कूद-कूद पडिस्यां। पछै जद गढ भिलियो अर काम आवण लागा, तद रजपूताण्यां आग मांहे पड़ै। सइयो वांकलियो पातिसाह कन्है ऊभी दिखावै, जू ओ फलाणो रजपूत, अर आ कूद पड़ी तिका बैर। तद पातिसाह देख-अर कह्यो, जू साबास, ऐ रजपूत अर ऐ रजपूताण्यंा।
पछै सर्व काम आय चूका अर सर्व आग मांहे पड़ियां, तद पातिसाह सइयै वांकलियै नूं साबासी दीवी अर गढ मांहे आयो। तद कह्यो-अबै माल मता बतायी। पछै बतायो। पछै काम आया था जितरां रा माथा काट नै भेला कर पछै सइयै वांकलियै-रो माथो काट सगलां माथां ऊपर मेलियो। कह्यो-हमारा कौल था, इण जिसका बोत खाया था, तिसका हि हुवा नहीं, सू हमारा क्या होयगा?
सू पातिसाह गढ लियो। पताई रावल काम आयो। अर सइयो वाकलियो ही मारियो। गढ ही पालट्यो।


सातल सोम री वात

समियाणो गढ। तियै रो नाम हिवारूं समियाणो कहीजै, सू कुंभटगढ छै। अर तलाव भांडेलाव, सू भाडै रैवारी करायो छै। सू कुंभटगढ चाहवाण सातल-सोम राज करै। सू सातल-सोम दिल्ली अलावदीन पातिसाह री चाकरी करै। पातिसाह-री तरवार पाकड़ै।
जाहरां पातिसाह दरबार आ बैसै, ताहरां कहै-ऐसा कोई जमीं वीच है, सू हम-सूं तरवार बांधै? नित प्रति दरबार बैसै ताहरां यूं कहै। ताहरां सातल नै सोम आपस मांहे विचारियो ,जू पातिसाह तो गरव बहुत करै, आपे पातिसाह सूं वीनती करिस्यां, जू म्हे पातिसाह सूं तरवार बांधिस्यां।
ताहरां पातिसाह आई तखत बैठो छै। सरब अमराव आइ मुजरो करि हाथ जोड़ि ऊभा छै। पातिसाह कहै छै-ऐसा ही कोई जमीं वीच है, हमारी तरवार झेलै, हम-सूं जुध करै? ताहरां सातल साम्हो आइ हाथ जोड़ि सलाम की। करिनै कह्यो-हम ऐसी वात कहते हां, सू हरामखोरी लागती है, पिण हजरत कहते हैं, जू कोई तरवार झेलै नहीं, सू हम झेलां। ताहरां पातिसाह कह्यो-साबास सातल। सद रहमत है तुम-कूं साबास। सातल कह्यो-हजरत ! छै मास-री पस पाऊं, सूल-सरांजाम करूं। कह्यो-जा, पस दी। ताहरां सातल पातिसाह रै हजूर रह्यो। सोम विदा हुवो। घरे गयो। जाइ-नै सरांजाम कियो। गढ में संचौ कियो। यूं करतां छै मास हूवा। ताहरां सातल हाथ जोड़ि-नै वीनती की-हजूर ! छै मास हुवै है। ताहरां पातिसाह कह्यो-कुंभटगढ कूं चादर द्यो।
ताहरां पातिसाह मजल-रो-मजल चालियो गयो। ज्यूं कुंभटगढ मजल एक-दो आयो, ताहरां सातल विदा मांगी। पातिसाह सिरपाव घोड़ो दे विदा दी। सातल गढ आयो।
आगै सोम सारो सरांजाम कियो छै। गढ मांहे संचो कियो छै। हजार पांच आदमी गढ ऊपर चाढिया छै। ताहरां लोके कह्यो-गढ यह ही है। ताहरां पातिसाह गढ देखि-नै कह्यो-रे ! गढ कहां है? ताहरां लोके-गढ यह ही है। ताहरां पातिसाह कह्यो, इस गढ ऊपर मुझ-कूं ल्यायो, यह तो समियाणा है, क्या गढ है? इस गढ कूं तोड़ियां धान खाऊंगा।
ताहरां गढ ऊपर चढिया। ढोवो कियो। च्यार पहर जुध हुवो। गोली सर वूहा। राति पड़ी। अपूठा आया। बीजै दिन वले सवारा ही जाइ गढ नूं लागा। तीर वाहण लागा। गोल्या छूटण लाग्यां। च्यार पहर रीठ वाजतो रह्यो। राति पड़ी। अपूठा डेरै आया। पातिसाह कह्यौ-रे ! गढ अजे न लिया? कह्या-हजरत ! गढ अजूं न लिया है। ताहरां पातिसाह मेवा आरोगै। दूध पीवै। तीजै दिन गढ-नूं जाइ लागा। नाल-गोला वहण लागा। च्यार पहर गढरोहो हुवो, सू पहाड़-नूं कासूं लागै? रात पड़ी। फिरी अपूठा आया।
चौथे दिन पातिसाह-सूं अमरावां अरज कीवी, जे हजरत ! पूठी रखावो तो गढ लीजै। ताहरां पातिसाह आप चढियो छै। जाइ कटक गढ-नूं लागा। ढोवो कियो। तीर-गोली वहण लागा। च्यार पहर गढरोहो हुवो। कह्यो-जी ! एक मिटी-रो कोट करो। ते मांहे आदमी पचासेक घातो। इयां-नूं मारि-नै गढ लेस्यां। ताहरां धान खावो। ताहरां पातिसाह मिटी-रो कोट करायो।
ताहरां सातल सोम सुणियो। सोम कह्यो-आखर तो आपां मरणो छै। कहो तो हूं उवै कोट मांहे जाऊं।ताहरां कह्यो-वाह वाह ! ताहरां सोम अढाई हजार आदमी ले-नै उवै कोट मांहे आयो छै। आगला आदमी भाड़ि काढिया छै। सोम कोट मांहे पैठो। पातिसाह री फौज आइ लागी। वेढ हुई। तीर-गोली वहण लागा। च्यार पहर कोट लियो। आदमी लाख काम आया, ऊला-पैला। तियै रो नाम पातिसाह लाखावट दियो। सोम काम आयो।
बारह वरस पातिसाह समियाणै रह्यो। जाहरां समियाणो न लीजै, ताहरां पातिसाह अपूठो दिली नूं हालियो। सात कोसे काणियाणूं जार उतरियो। सातल आदमी मेल्हिया। पातिसाह-नूं अपूठो बुलायो-हजरत ! अपूठा आयीजै, मै कोट द्यूं। हजरत का बोल गात जोवता है। आवो।
ताहरां पातिसाह आयो छै। सातल प्रोल खोलि लड़ियो छै। सातल काम आयो। पातिसाह गढ फतै करि दिल्ली गयो। समियाणो पातिसाह कह्यो।


उडणै प्रिथीराज री वात

रावत सूरिजमल खीवै रो। खींवो राणै मोकल रो। कूंभो ही राणै मोकल रौ। सूरिजमल मोटो रजपूत हुवौ। वडो अखाड़ सिद्ध हुवौ। राणै कूंभै रै राणो रायमल हुवो। सू रायमल सीलो ठाकुर हुवौ। मांडव रै सारै देस में जेजियो लगायौ, सारी मैवाड़ माहै। सूरिजमल इसड़ो हुयौ नहीं। बूजड़ां लग सीम घाती। सादड़ी सूरिजमल रौ बैसणो। सारी मेवात लयी। राणै रायमल रै प्रिथीराज वडो बेटो, पाटवी। जुवान हुवौ। वडो दुबाह, जियै दोह बार आबू लियो, बहनेई नैं दियो।
एक दिन कुंभलमेर सूं कुंवर सिकार चढियौ छै। गोडवाड़ नूं ऊलै पासै राणपुर दिसै सिकार रमतो-रमतो दोपहर रो एकै तलाव आइ नीसरियो। आगै पणिहार्यां घड़ा भरियै आवै छै। आप तुको खांचि अर घड़ा भांग्या। पणिहार्यां कहण लाग्यां-"इसड़ो कुंवर छै तो मेवाड़ रो जेजियो कांई मेटावै नहीं? दीसै छै कुमर रो निलाड़ फिरियो, पणिहार्यां रा घड़ा फोड़तो।गोडवाड़ रो ओछो लोक बोलतो क्युं देखै नहीं।" आ वात कुंवर सुणी। कहियो-पणिहार कासूं कहै छै?
राजपूत कहण लागा-"राजि, क्युंई कहै नहीं," ताहरां प्रिथीराज कहै-"साच कहो, कासूं कहै छै? कह्यौ-"राज, देस में जेजियो लागै छै।" कह्यौ-जेजियो कासूं कहीजै? कह्यो, "जी पाघड़ी-बंध दीठ रुपियो एक वरस आदमी दीठ लागै छै। ताहरां कह्यो। "साबास, इयै नूं ! म्हां नूं न कहै, बीजो कियै नूं कहै ! म्हे देस रा घणी। पुकार म्हां आगै हीज करसी।" ताहरां उवै नूं मुहर एक दे नै विदा की।
राजपूतां कह्यो-"राज, पांच सौ असवार कोट रै बारणै रहै छै, सू मांडव रै पातिसाह रा पावणा रहै छै। जेजियो उघरावै छै। ताहरां कुंवर कह्यो," "अपूठा हालो।"
ताहरां प्रिथीराज अपूठो आइ नै पठाण पांच सौ मारिया, तरवार मांहि काढिया। मारि नै कोट मांहे गयो। ताहरां राणै जी कह्यौ," रै तैं तो कहर किया ! हूं नीठ धरती इयां आगै राखतो हुतो। हिवै धरती तैं खोयी।" कह्यो, "दीवाण, धरती दीवाण घणा ही दिन भोगवी। हिवै म्हारै मूंछ्यां आयां। हिवै धरती म्हे भोगविस्यां। दिवाण महलां सुख माणो।"
ताहरां मांडव रै पातिसाह रो अमराव ललाखांन तोडै थाणो दियै रहतो, तियै ललाखांन पठाण मारिया सुणि अर आकोलो मगरोप दुनूं विचलो मेवाड़ रो देस मारियौ। बंद करि नै ले गयौ। ताहरां प्रिथीराज कुंवर सुणियो। ताहरां सुणि नै चढियौ। जाइ नै ललाखांन मारियौ, बादै छुडायी।
ताहरां (प्रिथीराज राजपूतां नूं पूछियौ)-"अठा सूं किती रै सादड़ी?"
ताहरां कह्यौ, "राज, सादड़ी कासूं करिस्यो?" कह्यो, "काकेजी सूं राम-राम करिस्यां।" ताहरां कह्यो, "सूरिजमल जी वासणी वीरी भाचाई रै पावै आविसी।" तो कह्यौ, "वासणी आपै ही हालो।"
ताहरां सूरिजमल तो जाइ नै पाए लागो, ताहरां कह्यौ-"अविचल कंध।" पछै कुंवर प्रिथीराज आइ पाए लागो, ताहरां कह्यौ-"खांडै जैत।"
ताहरां वीरी चारण देव रो आराध करती हुंती। ताहरां प्रिथीराज कुंवर बोलियो-"माताजी, थे कूड़ बोलिया।" कह्यौ, ना वीरा, म्हे कहां छां, सू साच छै।" कह्यौ "जी, साच कहां? म्हारै खाडै जैत नहीं। काकाजी रै कंध नही।" वीरी सूं कही।

हिवै बेवै चारण रै कन्है बैठा, इसा आपस में धरहरै जू कटार्यां विढ्या। ताहरां चारण दिवै नूं कहै-"कांई वीरा, हूं देव रो आराध करूं अर तूं हंकारो ई न दे? दीवौ हांकारो देण लागो। ताहरां दून्यूं दीवै नूं  देखण लागा। दीवै में ध्यान हुवो। ताहरां सूरिजमल तो पगै लागि नै विदा हुवो, वांसै प्रिथीराज पिण लागि नै विदा हुवो।
गांव महां नीसरतां पहिलां सूरिजमल नूं प्रिथीराज जाइ पोहतो। कह्यौ,-"काकाजी, घणा दिन मेवाड़ बंटाई।"ताहरां सूरिजमल असवारां 60 सूं हुतो। प्रिथीराज हजार च्यार सूं हुतो। ताहरां सूरिजमल रै रजपूते कह्यौ, "थे नीसरो, म्हे लड़िस्यां।" कह्यौ-"न करे परमेसर, प्रिथीराज आगै नीसरूं।"
ताहरां सूरिजमल मंडियो। रीठ तरवार्यां तूटण लाग्यां। सूरिजमल घावै पड़्यिौ। ताहरां रजपूत डोली करि सूरिजमल नूं ले वूहा।
वांसै प्रिथीराज री फौज लागी। रजपूत ऊभा रह्या। सूरिजमल नूं ले वूहा। वलै रजपूत पड़ै, फौज आइ पहूचै। यूं नवे ठौडै लड़ाई हुयी। दसमी ठौड जाइ फोज पहोती। ताहरां महियो भाखरोत ऊभौ रह्यो। कह्यौ, "ठाकुरे, म्हारै पटै में कंई रो सीर हुवै तो म्हेई वेढ सीर करां। म्हे सूरिजमल रो घणो खाधो छै। हूं एकलो ऊभो रहीस।" ताहरां सूरिजमल री डोली ले वहीर हुआ।
महियो ऊभो छै। ताहरां रजपूत कहै, "साबास, महिया ! साबास महिया ! तूं भलां खावतो हुतो घणो रिजक।" ताहरां प्रिथीराज कहै, "घणां तो गंडक दौड़ै। जे महियो एकलौ छै तो आपणो ही एक जावो।" ताहरां कह्यौ-"जी, जियै ही नूं कुंवर जी हुकम करै, सू जावे।"
प्रिथीराज देखि अर कह्यौ, "वना देवड़ा, छाडि हो पागड़ा।" ताहरां वनै पागड़ो छाडियौ। वनै रै हाथ महियो रहियो। महियै रै हाथ वनो रहियो। इतरै सूरिजमल री डोली सादड़ी पोहती। प्रिथीराज अपूठो आयो।
बीजै दिहाड़ै साथ करि नै प्रिथीराज सूरिजमल नूं बोलावण आयो। आदमी मूंकि दियो, प्रिथीराज बोलावण आवै छै। ताहरां सूरिजमल बैथाग धावां सूं अचेत। ताहरां खवास नूं कह्यौ, "रे कंई वस्त सूं चेत हुयीजै?"
सू धरती मांहे अफीण कोई खावण पावै नहीं। आप खावै नहीं, कहीं नूं खावण देवै नहीं। ताहरां खुवास जाइ नै नालेर महां अफीम काढि घसि पाणी सूं कचोरलै में घालि अर पायौ। निमख एक हुयी अर चठठाई अर आयी। पहिर बागो अर बैठो। बोलियौ न जावतो हुतो, सू वातां करणै लागौ।
तितरै प्रिथीराज आयो। उठि बैठो हुवो। समाधि पूछी। बातां कियां। कह्यौ,"रोटो खावो।" कह्यौ, "काकाजी, हमारुं रोटी खाइ अर आयो छूं।" "बाबा, रोटी किहाण नूं खावो? तूं मारियो चावै।" ताहरां विदा मांगि अपूठो आयो।
ताहरां सूरिजमल खवास नूं कह्यौ, "मौनूं कासूं दियो?" कह्यौ,       "जी जड़ी घसि दी।" ताहरां कह्यौ,        "जड़ी ल्याव।" "जी, दिखालणी नहीं।" हठ पड़ियो। कह्यौ, "ल्याव।"
कह्यौ, "जी, बांह पाऊं। जीव रो बचाव हुवै।" बांह दी। कह्यौ, "जी, अमल दियौ।" ताहरां कह्यौ, "अमल इसी वसत छै?" ताहरां कह्यौ, " म्हरै देस मांहे अमल दियो  न खावै, सू गुन्हैगार छै।"
रोज प्रिथीराज सूरिजमल सूं लड़ाई करै। ताहरां सूरिजमल सादड़ी छाडी। सूरिजमल देवलियै गयौ। आगै देवलियै मेणो मरि गयो। मैणी राज करै। उठै जाइ नै सूरिजमल पग टेकिया। सू मैणी इसड़ी बलाई, बागो पहिर घोड़ै चढै। सू छै ताकड़ी री बूडी इसड़ी बरछी पकड़ीयै, देस मांहे चौथ ल्यै। अठै सूरिजमल प्रिथीराज रो धकायो-थको मैणी कन्है जाइ रह्यौ। मैणी गांव पटै दिया अर कह्यौ, म्हे मेवासी छां। सखरी चाकरी करी तो 15 गाम वालै देयीस।
मैणी रै एक जेठ रो बेटो अधिकारी। दोइ भाणेजां ऊपरि मुदो। अठै सूरिजमल आयो। सू धरती देखै। धरती में उतपत देखै, त्यूं मन न रहै।
ताहरां दीवाण नूं कहाडियौ-"दीवाण, एक बैर पांच लाख री धरती भोगवै छै। थे कहो, सू करां।
दीवाण कह्यौ, "धरती रै वस्तै घणा थोक कीजै। इयै नूं घर ही घाति नै धरती लेयी। ताहरां मैणी रै भाणेज नूं भखायो-"देखै, तूं इयां रा घणा जतन करे।" जेठउत नूं कह्यो, "रे धरती थारी। तूं इयै रांड नूं मारि ज्यूं टीको तनै द्यूं।"
ताहरां जेठउत काकी मारी। ताहरां भाणेज नूं कह्यौ, "रै, मैं तोनूं मारियो।" ताहरां कह्यो, "रे, थां नै राज कैथ जुड़ै? टीको म्हारो।" ताहरां मैणां मिलि अर कह्यौ, "म्हे धाड़ो ल्यावां, सू अपूठो न दिरावज्यौ। म्हांहरा थे पूठी-रखा हुया। थे राज ल्यौ।" ताहरां मैणां मिलि सूरिजमल नै टीको दियो, सू आज लग देवलियै राज करै छै।

एक दिन कुंवर प्रिथीराज राव दूदै देवड़ै आबू रै धणी नूं कह्यौ-थांरो आबू किसड़ो छै? कह्यौ, "जी, विषम छै।" कह्यौ, "तूं जाह, हूं आवूं छू, च्यार पहर माहे ई।"
सू दूदो बहनेई हुवै। ताहरां दूदो आबू आयो। वांसो-वांस प्रिथीराज आयो। सूतो दूदो जगायो-दूदा जी, जागो। प्रिथीराज आयो।
दूदो जागियौ। प्रिथीराज कन्है जाइ बैठो। दूदै डाबो गोल्यां रो अणायो। आप गोली खावण लागो, ताहरां प्रिथीराज कह्यौ-"कासूं खावो छो?" कह्यौ-"जी गोली छै।" "तो मोनूं कांई न द्यौ?" कह्यौ-"जी, थांनूं नहीं जरै, मोहरै री गोली छै।"
कह्यौ-"जे आबू रै धणी नूं जरसी तो चित्तौड़ रै धणी नूं क्यूं नहीं जरै?" कह्यो, "जी धणी सारै नहीं। मैं साझी छै, थां साझी नहीं छै। विस छै।" कह्यौ, "म्हानूं विस कासूं करसी?" ताहरां सीसोदणी कह्यौ, "परही दे, ज्यूं पाप चूकै।" ताहरां गोली दूदै दीन्ही।
प्रिथीराज गोली खाधी। गोली खाइ नै असवार हुवौ। आवतां खवास दीठो, प्रिथीराज अचेत। ताहरां खवास कह्यौ, "थां कह्यो तो घोड़ा णीस्यांसू दोड़ाणो।" ताहरां घोड़ा दौड़ाणिया। खवास अलगे ले अर पूछियो- "कासंू?" कह्यौ, "गोली औगुण कियो।"
कोस एके जावतां पहिली ढहि पड़ियो। सादड़ी ताराचन्द री किनारे जीव दियो।" 'उडणो हिन्दू' कहाणौ। प्रिथीराज रामसरण हुवौ।


मूलवै सांगावत री वात

राजा वीसलदेव अजमेर राज करै। वडो महाराज, तैसूं कोई अधको नहीं। तिण सों मूलवै लागवजी हुई, चारण वेसवटे वेइ। वेसवटो मूलवै पासे रहै अर मूलवो चगडोलीयै रहे। सु मूलवै चारण वेसवटे नूं राजा वीसलदेव रै मेलीयो अर कहै, "जु राजा रै घोड़ो कोड़ीधज छै। सु हेर आवजो। कहै छै तैसो हुवे तो घोड़ाक काढूं, का तो माथो कटावूं। पण एक वार तैं देख आव, जु आपणै घोड़ै रो तिलक छै, तैसो उवै रो हुवै तोई घोड़ो काढूं।" ताहरां वेसवटे मूलवै नूं कह्यौ, हेरण रो म्हरो काम नहीं। जो म्हे हेरसां तो लोकां मांहे चाव हूसी। जो तूं घोड़ो हेरावै तो अक आदमी म्हारे साथे बीजो देवो। म्हां चारण छां। म्हारो, काम ओ नहीं।' ताहरां मूलवै धीरीयो साहणी बोलायो नै कह्यौ, "जु तूं वेसवटे साथ जाय नै राजा रो घोड़ो देख नै आव।" ताहरां धीरीयो चारण साथै अजमेर गयो, चारण रो चाकर हुयनै गयो।
ताहरां ए बेवूं अजमेर गया। आप डेरो कीयौ नै प्रभात हुवो तणै राजा वीसलदे रै मुजरै गया। धीरीयो साथै छै। जाय वेसवटो डोढ़ी ख़ड़ो हुवो। ताहरां दरबारी नूं कह्यौ, "भीतर मुजरो मालम करो, जु माहाराज सलामत, वेसवटो चारण मूलवै सांगावत रो छै सु मुजरो गुदरावै छै।" ताहरां राजा कह्यौ, मांणस किसड़ोक छै? हजूर आवण लायक छै क नां? विदा बाहर सों ही दीजै? ताहरां दरबारी फेर वेसवटे पासे आयो अर दरबारी चारण नूं पूछीयो, "जु तुं हजूर किसी विधि जाईस; थारै कपड़ा तो मैला है,।" ताहरां वेसवटो कहै, "इयै वात रो जाब राजा रै हजुर देसां। मांनूं श्री माहाराज रै हजूर ले जावौ।" ताहरां हजूर बोलायो। वेसवटो हजूर आय ऊभो रह्यौ नै आसीस भणी, "राजान के राजा, साह गहण साह, मो खण आप भावीक, जो आरंभ जो करै, आली महिरांण पूर्व के वाजै, पूरब कै जैतवार, दखण कै जैतवार, पछम कै जैतवार, उत्तम के जैतवार।" इये बीध आसीस दीवी।
ताहरां राजा बोहत आदर सनमांन दीयो नै हजूर बैसांणीयो। नै धीरीयो साथ छै। ताहरां राजा चारण नूं पूछै छै, "जु तैं सारीखो मोटो आदमी तो दरबार आवै सु तो कपड़े-लते भली भांत सुभड़क रह नै हजूर आवै। अर थारै कपड़ा मैला, सु किसै वास्तै? सु तुं कहि?" ताहरां वैसवटे हाथ जोड़ वेनती कीवी। दुहो-
वेसवटो इम ऊचरै, आलीणी महिरांण।
ज्यो सेवै त्यो ही वधै, वेलों रूंख प्रमाण।।
इतरो कहि नै वेसवटो फिर बैठो। ताहरां वेसवटो सूं राजा महिरवान हूवौ नै राजा वेसवटे नूं कह्यौ, "जु तूठो, मांगीयो जावै सु मांग। तैं तो आगै चीधड़ सेवीया, सु थारी गरज कई सरी नहीं। हमैं मांगणो हुवै सु मांग।" ताहरां राजा कह्यौ, "हणां तो पधारो। प्रभात आवजो। घोड़ा देखालसां।" ताहरां वेसवट सलाम कीवी। डेरै आयो।
तद धीरीये नूं पूछीयो, "धीरीया, तैं तो उभै सुणीयो ही ज छै। राजा मनै कह्यौ, "मांग, तूठो।" सु मैं किम मांगीयो नहीं अर वीनती कीवी, "जु माहाराज वार 1 घोड़ा देखालो।" सु मूलवै रै वासतै सारी ही रीझ गुमाई ! सु हमै परभातै घोड़ा देखां, ताहरां तूं म्हारै साथ आय घोड़ा देख नै घोड़ो कोड़ीधज देखो।" इतरो धीरीये नूं कह्यौ। ताहरां धीरीये कह्यौ, "राज भलां, राज भलां, घोड़ो हूं ओलखीस।" ताहरां चारण फेर गयो। पछै राजा परधान मल सांखलै नूं कह्यौ, "जु वेसवटो हजूर आयो हंतो। सु म्हे उवे चारण सूं रीझीया। ताहरां कह्यो, मांग। सु वेसवटे किम मांगीयो नहीं अर वेसवटे कह्यौ, घोड़ा री पायगा देखालो। सु म्हां तो जीभ बंधाई छै। थे साथै हुय नै पायगा देखावो।" ताहरां मल सांखलै हाथ जोड़ नै कह्यौ, वीनती कीवी, "जो राज, मूलवै आपां सों बैर बांधो छै। इयै वात बदलै, जु वेस्या सूं मूलवै हंती सु राज वेस्या खोसाय लीवी। तै बदलै मूलवो रीसांणो छै नै चारण मूलवे रो छै। सु इण नां घोड़ा मतां देखालो। आगै पण इण भांत ओखाणो कहै छै। दूहो-
पांण पाक संध पह, पासो पिसण पवंग।
एता न हुवै आपणा, महिला इला भुयंग।।
आगै तो वडो लोक कहै छै, जु दुसमण नुं किम देखालजै नहीं। सुजो आप जीभ बंधाई छै तो कोड़ीधज 1 नहीं देखालो। बीजी देखालसां।" ताहरां राजा कह्यौ, "भलां बीजा देखालो।"
ताहरां प्रभात हुवै वेसवटो दरबार आयो। ताहरां मल नै राजा तेड़ायो।
मल आय हाज हुवो। ताहरां मल नै राजा कह्यौ, "मूलवै री मजाल नहीं, सु ओ घोड़ो लेवै। ओ वेसवटो पालसी। थे घोड़ा देवो। नवलखो मतां देखालो। वेसवटो देख घोड़ा छोडै सु मनै मतां करो। छोडै सु छोडाण देवो। मन्है मतां करो। चारण रै मन आवै सु लेवो।"
ताहरां मल वेसवटे नुं ले पायगा गयो। पायगा जाय उभा रह्य। वेसवटे अर धीरीयै दीठा। ताहरां वेसवटे धीरीये नुं कह्यौ, "जो कोड़ीधज तुं देखे तो उवै उपर हाथ फेरो।" तणै सर्व फिर दीठी, पण कोड़ीधज नहीं। ताहरां मल वेसवटे नूं कही, "जु राजा थांसुं रीझीया हंता नै थे कह्यौ, जु पायगा देखालो। सु आ पायगा छै। थांहरै दाय आवै सु दोय च्यार घोड़ा छोड नै लेवो।' ताहरां वेसवटै धीरीये नूं पूछीयो, पाखती ले नै कह्यौ, "ए घाड़ा छै। देख, इये मांहे कोड़ीधज छै सू नहीं।' ताहरां धीरीयो वेसवटै नुं दूहो कहै छै-
धीरीयो वेसवटै नुं कहै, सोह दीठौ आथांण।
आमीखो दीठौ नहीं, कोड़ीधज केकाम।।
ताहरां वेसवटै मल परधांन नै कह्यौ, "जु मलजी, हूं घोड़ा कोड़ीधज मांगुं नहीं पण एक वार आंख्यौ देखूं। " सु वेसवटो मल नुं दूहो कहै छै। दूहो-
कइसी गल्ह उचेरीया, वाचू किसा बखाण।
देखूं पण मांगू नहीं, कोड़ीधज केकाण।।
ओ दूहो वेसवटै मल नुं कह्यो। ताहरां मल वेसवटै नूं कही, "ओ दूहो मनै मांड दे, जिम राजा नूं गुदरावूं।" ताहरां दूहो लिख दीनो। सु दूहो मल जाय राजा सुं गुदरायो। कह्यौ, "चारण कहै, हुं घोड़ो मांगु नहीं, घोड़ो देखण नुं आयो छुं।" ताहरां राजा नुं सोच हुवो, चारण घोड़ो लेसी। पण परधांन नै कह्यौ, "जावो घोड़ो देखालो।" सो राजा दूहो कहै-
जो आरंभा सु करां, उगे सोय रवांण
वचन यथाली न गमूं, मैं अमली महीराण।।
औ दूहो कह्यौ। ताहरां घोड़ो वेसवटै नुं देखालीयो। घोड़ो सातां भुंवरां मांहे रहै, सु घोड़ो वेसवटै नुं देखालीयो। तठै धीरीयो साहणी साथ छै। सु धीरीयो देख अर दूहो कहै
कासूं मुंह सोभा करूं, की दखूं गुवाह।
तिलक सिरहर अछै, वाह वाह अस वाह।।
ओ दूहो कहि धीरीयो घोड़े उपर हाथ फेरीयो। धीरीयो राजी हूवौ। ताहरांं बेसवटै धीरीये नुं कह्यौ, "घोड़ो छै क नां छै, सु तूं ओलख ईये रे ओलभो तनूं छै।" ताहरां धीरीये कह्यौ, "घोड़ौ कोड़ीधज छै। एसो घोड़ो प्रथी मांहे नहीं।"
ए घोड़ै नुं देख दरबार आया छै। धीरीयो तो डेरै गयो। वेसवटो अर मल दरबार आया। आगै राजा दिलगीर थको बैठो छै अर दरबार मांहे कहै छै, जु चारण घोड़ो छोडै नहीं। इण भांत लोकां नुं कहे छै। ताहरां मल अर वेसवटो भीतर आया। मल हकीकत घोड़ै री गुदराई। कह्यौ, "माहाराज, चारण घोड़ो दीठो पण मांगीयो कोई नहीं।" सु चारण पण हजूर उभो हंतो, सु राजा चारण नुं कहै छै, "जो वेसवटा, तुं चींधड़ा कन्है रहै छै अर म्हे निवाजस कीवी। म्हारी पायगा रा घोड़ा देखाया। कोड़ीधज देखायो। पण तैं घोड़ा मांगीयो नहीं, सु किसे वासतै? तिकै वात ि विवरो मनै दे।" ताहरां वेसवटै विनती कीवी, "जु महाराज, म्हारै मन मांहे हंती राजा विसलदे री घोड़ा री पायगा देखां सुं मैं दीठी। तै वास्ते म्हारी दिल भरीज गई छै। तै मांगीयो नहीं। अर कोड़ीधज सारीसो तो सूरज रै रथ छै, का रावलै छै।" इतरे कहै राजा बोहत राजी हूवौ। ताहरां राजा वेसवटे नूं कह्यौ, "तुं मास छठै पछै भली भांत विदाई देईस। ताहरां वेसवटो हाथ जोड़ दूहो कहै छै- ताल चुगंता मोथका, रेणायर ओपत्त।
जां नरे जैसो सेवीया, तां तै ही फल पत्त।।
ओ दूहो कहि नै वीनती कीवी, "जु माहाराज, माहरो वडो भाग मनूं माहाराज इतरो फुरमावै छै, तनूं मास 6 हूं राखीस" आज मैं बराबर कोई नहीं, ताहरा चारण रह्यौ। फेर सलाम कर दूहो कहै छै-
वीयांण चंद, वड वीयुं, ऐराक वीज, सापुरस वयण।
प्रात गाजं पेहली लहवाय, लहवाय पीछै गरवाय।।
औ कहि वेसवटो राजा वीसलदे पासे रह्यौ छै। ताहरां वेहतो सो उठ उभौ हूवौ नै हाथ जोड़ीया। ताहरां राजा पूछीयो, "थारै जिका मन मांहे वीनती छै, सु कहि।" ताहरां वेसवटै वीनती कीवी, "माहाराज सलामत, हूं राजा पासे रहूं छुं नै मूलवै किम दुख पाय रावलो विगाड़ीयो, ईये वात रो हूं ज जांणूं।" ताहरां राजा कह्यौ, "तनूं किम न लागै। करसी सो पासी।"
हमै वेसवटो तो राजा रै पास रहै छै नै मूलवै पासे धीरीयो गयो। जाय धीरीयो मुजरो कीयो। ताहरां धीरीये नुं मूलवै पूछीयो, "रे तैं भली भांत दीठौ कनो कोई बीजो दीठो न छै?" ताहरां धीरीयै जीका हकीकत थी, तिण भांत कही। 'जे मैं भली भांत दीठौ थौ।' ताहरां धीरीयो दूहो कहै-
उगै जैती आथमै, तेती कोड़ीधज केकांण।
ऐसौ नहीं कोय अवर, वाचो कैसा बखाण।।
ओ दूहो धीरीयै कह्यौ। ताहरां मूलवो कहै-
'जेेती भुव मन जाही, पंजर ही तैती पुलैहि।'
मूलवो एकाएक चालीयो घोड़ो लेवण नूं। ताहरां धीरीयो कहै, राज, थे जांणो तिम घोड़ो नावै। घोड़े आडा तो सात ताला छै नै सात चौकी छै। उतावल कीयो तो नावै। मैं दीठी छै। मनुं पण साथ ले हालो। ताहरां मूलवो कहै, "मनूं बरजो मतां। का तो घोड़ो ल्यावूं अर का मारूं। मैं तो हमै ओ पण कीयो।'
ताहरां मूलवो चालीयो चालीयो अजमेर आयो। ताहरां मूलवो सिकै रो रूप धारीयो छै। ताहरां मूलवो सिकै रो रूप धारीयो छै। ताहरां कितराक दिन रहतां थकां सांहणी सूं मेल कीयो अर बीजा घोड़ां नूं पांणी आंण पावै। सु एक दिन सिको कोड़ीधज नू पावतो, तिको नहीं आयो। ताहरां मूलवै कनां पवायो। तद धोड़ो मूलवै दीठौ। ताहरां मूलवो आयो जांण नै वेसवटो दूहो कहै-
मूलवो आरत आपणी, जल पावै केकाण।
इण कोड़ीधज कारणै, झाझी मेल्हे मांण।।

हमै मूलवो रोजीनो पांणी पावै सिको हुय, रोज रो काढण रो इलाज करै। पण दाव लागै नहीं। इम रहतां सांवण री तीज आई। ताहरां वीसलदे हुकम कीयो, "जु आज घोड़ा सरब फेरो नै कोड़ीधज पण वणाय नै ले आवो।" ताहरां राजा बैठो ने घोड़ा सरब गुदरे छै। इते वीच कोड़ीधज पण हाजर कीयो। सु कोड़ीधज उपर साह तो कोई नहीं टिक सकै। का तो राजा ई ज चढै, नहीं तो बीजो कोई चढै नहीं। ताहरां मूलवो उठै मसक लीयां छड़काव करतो आय उभो रह्यौ। अर वालणसी नूं राजा हुकम कीयो, "जु तुं चढ।" सु वालणसी तो चढ सकै नहीं। ताहरां मूलवो दीठो, हेणा छक छै, बीजो भावे आवै नहीं। ताहरां मूलवे वालणसी नूं कह्यौ, "कुंवर जी, म्हारै कांधै पग दै चढो।" ताहरां मूलवै घोड़ो पकड़ नै कांधो दीयो। ताहरां कुंवर कांधे एक पग दीनो छै नै घोड़े चढै छै। इम कर बीजो पग पागड़ै दीयो छै। घोड़ो ऊंचो हंतो। ताहरां मूलवै रे कमर मांह छुरी हंती, ते सूं पागड़ो वाढ नांखीयो। ताहरां कुंवर पाछो आय पड़ीयो। इतरै बीच कुंवर रो पड़णो हुदौ नै मूलवै लटी पकड़ नै घोड़ै उपर चढ बैठो नै चालतो हुवो। ताहरां वेसवटो दूहो कहै-
असि मूलौ उपाड़ीयै, गंजे वालण मांण।
तिण वेला सांगावते, आई ओ अमलीमाण।
ओ दूहो वेसवटै कह्यौ। इतरै वीच मूलवै घोड़ो दाबीयो। सु आडी भींत 18 हाथ री चोगांन री हंती, सु डाक पैले पार जावतो रहीयो। ताहरां वेसवटो फेर दूहो कहै-
भींत महा चोगांन री, हुती अठारह हाथ।
सो डाकी असि मूलवै, प्रथी रहावी कथ।।
इतरै राजा हुकम कीयौ, "जांवण पावै नहीं। इतरै कहै अठाड़ै सौ असवार चढियौ। हमै आगे मूलवो नै वांसै सर्व फोज छै। इतरै वीच वाहर मांहा सूरो सांखलो मूलवे ने जाय आपड़ीयो। ताहरां मूलवे दीठो, आय आपड़ीयौ। ताहरां आय आपस मांहे भेला बराबर आण हुवा। ताहरां मूलवै रै कड़ीयो बुगदो हंतो, तैरो घाव कीयो। तै सों सूरो काम आयो। ताहरां मूलवै नूं वेसवटो कहै छै-
काढ गुपती आछैटी, हुती मन में हाम।
सूरे खासो घर तणी, पड़ी वहंते माम।।
हमै मूलवो तो हालतो हुवो छै नै वांसलो लोक सर्व सूरे उपर आय उभो रहो छै। देख नै कह्यौ, "ओ तो गयो इण नूं मार नै। हमै पाछो हालो।" ताहरां वाहर पछी आई। मूलवो घोड़ो ले अर घरे आयो।
ताहरां मल लोकां नूं कहै छै, "हमै थे सर्व राजा नूं मुंह मती देखालो। आपो आप रै मुहै जावौ। थां इतरा आगै मूलवो घोड़ो ले नै गयो।" ताहरां रजपूतां कह्यौ, "म्हे करां कासूं? म्हां सों विढ ने जो ले गयो हुवे तो म्हां नुं दुस्मण, घोड़ै कोड़ीधज नुं पोहचे कोई नहीं। अर एक सूरो पोंहतो, सु मार राखीयो। ताहरां मल राजा कन्हे गयो नै दुहो कहै छै-
मल इसी गल ऊचरै, राजा वीसलदे।
कोड़ीधज पोहतो नहीं, तो घोड़ा पीय न दे।।

ईये नूं दूहो पछै राजा घोड़ों रा रातब मन्है कीया। ताहरां वेसवटो कहै छै-
कढि रा सर्व दांणो काढे, कोई न घातै घास।
राजा वीसलदेव रै, घोड़ा केही आस।।
ताहरां मूलवै नूं खबर हुई, जु रजपूत राजा सौ कह्यौ, "करां कासूं? मूलवो मांटीपणै न गयो, घोड़ै रे बल गयो।" इतरी रजपूतां राजा वीसलदे नूं गुदराई, "जु माहाराज मूलवो वेसवटै रे वस छै। जु हमै कही भांत आंखीयां देखां तो काम घणा ही करां। ताहरां राजा वेसवटै नूं तेड़ नै इम कह्यौ, "मूलवै नूं बोलाय। मूलवो थारै वस छै। जु म्हारा रजपूत कहै, जु एकरसों मूलवो देखां।" ताहरां वेसवटो राजा नूं कहै, "माहाराज, कोई मरण नूं आवै? पण राज कहो छौ तो हेकरसां ले आवसां। पण कहो, कठै ले आवां?" राजा कह्यौ, रडी साम्ही हंती, तिका वात इये उपर आण उभो राख। ताहरां भाद्रवे री तेरस रो बोल कर मूलवे पासे गयो। ताहरां चारण पैहली आपरै घरे गयो, सु कबीले नूं वात कही। तणै घर रा मांणसां कही, "हमै ओ चोर किसी विध जासी? तैं बुरो काम कीयो।" कबीलै रा वरजै छै। वेसवटो वैण कर आयो छै। ताहरां मूलवो वेसवटै रै घर आयो, आय नै वेसवटे नुं कह्यौ, "तुं दिलगीर किसै वास्ते हुवे छै? बीजा जावै रात तो हूं दिन रो जाईस। मूवौ तो अमर हुईस। तुं नीचंत ह तैं बोल कीयो छै, तठै आय उभीस।" ताहरां मूलवो वेसवटै नुं दूहो कहै-
चोरी हंदी घात, मैं कोड़ीधज आणियो।
इल राखूं अखियात, वात तो ही ज ऊबरे।।
इम वेसवटै कह्यौ, "भाद्रवै री तेरस रडकवी कनैं चोगांन मूहै आय उभो रहै।" ताहरां मूलवो वेसवटै नूं कहै, "जु राजा नूं कहि घोड़ा भूखा किसै वास्तै मारै छै? रजपूतां माहै बल नहीं। एक आयो हंतो, सु मै मारीयौ। जु जायद आवंत तो मारंत। ताहरां कह्यै। ताहरां मूलवो राजा नूं दूहो कहै-
तैजागल तोखाल, खाली वीसलदेव रो।
ऊपरलो असवार, सु जसा कै सांगावते।।
ओ दूहो लिखीयो छै नै वेसवटो जाय राजा कन्है आय कहै, "राजा, मूलवो भाद्रवै री तेरस रै दिन चोगांन मां है आय उभो रहिसी। नै ओ दूहो कहै छै। दूहो राजा सांभल नै रजपूतां नुं सुणायो छै अर कह्यौ, "ठाकुरां, मूलवो भाद्रवै री तेरस नै आसी, सु काठा मोटौ हुयजो।"
इतरै करतां भाद्रवै री तेरस आई। सु रजपूत सारा ही त्यार हुआ छै। उभा उडीकै छै नै राजा झरोखे बैठो ख्याल देखै छै। इतरे बीच जिकी वेला रो कवल हंतो तिकी वेला घोड़ा चढीयो थको चौगांन मांहे आय उभो रह्यौ। तद रजपूतां उभां उभां ही ज वेसवटै मूलवै नूं ओलखीयो नै दूहो कहै-
कूड़ो मरद न बोलही, गये न पाछा दंत।
ओ सांवत आवीयो, देखो प्रेमा कंत।।
ओ दूहो कह्यौ। ताहरां मल उपाड़ नै मूलवै सों सांफलो हुवो। ताहरां मूलवै घोड़ो तातो कर नै बरछी री बूडी सों मल नुं मार राखीयो। तिण उपर वेसवटो दूहो कहै-

ओ सांगावत आवीयो, तोखीयो केकांण।
आ हणी बूडी सरस, मल पड़े मुंह तांण।।
मल नै मारीयो पछै रजपूत सर्व मूलवै उपर तूट पड़ीया। रीठ वाजे छै। तै समईयै मूलवो केई मांणस छै। तै उपर वेसवटो दूहो कहै छै-
ए जोई पाडेल भड, लपालो, घेलीह।
मूलवो सांगावत गयो, राजा धोले दीह।।
तरै कितरेक दिने राजा वीसलदे देवलोक हुवो। तै वेला आपरा लोक अर कुंवर बैठा हंता। तिका नै राजा कह्यौ, "मूलवो चीधड़ एके गांम रो धणी तिण कन्है म्हारो कोड़ीधज घोड़ो रह्यौ, सु घणो ही सालै छै। सु म्हारे मन मांही ज रही , जो मूलवै नुं मारीयो नहीं अर घोड़ो नहीं। सु ऐसो वासै कोई नहीं, सु मूलवो मारै अर घोड़ो लेवै। ताहरां राणी तारमती तो राजा पास आई, लोक सर्व बोहड़ायो छै नै रांणी आपरो कुंवर थाहरू नाम हंतो सु तेड़ीयो नै रांणी वीनती करै छै, "जो माहाराज सलामत, राज सुख पावौ। ओ कांम हु कराईस। का तो म्हांरो बेटो कांम आवै, का मूलवै नुं मार अर घोड़ो ले आवै। इतरी वात हुई कुंवर नुं म्हारै मुजरै आवण देईस, नहीं तो कुंवर रो मुंह देखूं नहीं।" इतरो वचन रांणी तारमती याद माहाराज सूं वेण कीयो। ते तारमती रो प्रवाण केसोइक-"एके दिन राजा रै खाफरो चोर चोरी करण पैठो। तद राजा हजूर जनांने भीतर आयो। सु खाफरे नूं ओ मंत्र, श्री खेत्रपालजी रो वर, सु ईयै नुं देखै कोई नहीं। ताहरां भीतर आय नै चोरी कीवी। चोरी कर नीसरतो हंतो। इतरै राजा जागीयौ नै राणी पण जागी। इतरै बीच राजा कह्यौ, चोर जावण न पावै। इतरै राजा जागीयौ नै रांणी उठती समो मंदर में ढोलणी हंती सु उठाय नै चोर नूं वाही। तद चोर रै ढोलणी री लागी। सु खाफरो तो आगै तको  वैहतो हंतो नै बीजो चोर साथ थो, ढोलणी री लागी। तद मुवौ। अर खाफरो नास गयो। राणी इण भांत री बलवंत। सु वीनती करै छै, "जो म्हारो दूध चूंघीयो छै तो कुंवर कांम करसी। राजा मन मांहे काई चिन्ता मतां करो।" इतरो कही रांणी कुंवर उभा हुवा छै ! राजा फैर नीसासो खाधो। ताहरां रांणी फेर राजा सूं कहै, "माहाराज, हमै फेर निसासो खाधो, तैरो विचार कहौ। राजा रै मन में जिकी बात हुवै सु कहो, जु खबर पड़ै।" ताहरां राजा राणी नूं कहै छै, जू मैं आ न जाणी, थांरो बेटो ईसो हुसी। सु मैं तनै इसड़ी रांणी नुं दुहाग दीनो। सु करां कासूं? तूं म्हांरै कहै न हाली, तैरो आदू ओखणो छै। राजा कहै-
सूहव एतो मांण कर, जेतो पीव सुहाय।
जो लाखीणी मोजड़ी, जे पहिरीजै पाय।।
सु तैं थारो जांणीयो कीधौ। तैं मैं दुहाग दीयो। पण हमें पछतावूं छुं। थारै एक बेटो छै, ऐसा दोय तीन हुवता तो म्हांरी काईं बाजी उबेल करता। सू इयै वेला मूलवै उपर इयै बीड़ो उठायो। हमे मूलवो मारो, भावै न मारो, पण मैं तो संतोख पायो।" ताहरां इतरै कहै कुंवर थाहरू कहै छै, "जु माहाराज, आज सूं इग्यारवै दिन मूलवै नूं मारूं। माहाराज सुख पावै।" इतरो सुण नै वीसलदे तो देवलोक हुवो, तै वीच राणी कुंवर नूं कहै छै, "जु बेटा, इग्यारे दिन कवल मतां करो। राजा रो कारज कर। पछै काम करजो। ताहरां थारू मा नूं दूहो कहै-
"माता वीसलदेव रो, पहरो हुवो वितीत।
मूलवो मारूं का मरूं, इग्यारहमें दीह।।

इतरो कहि नै सर्व राजा रा कारज करण लगा। इतरै बीज मूलवै नूं पण खबर हुई, राजा वीसलदे देवलोक हुवो। ताहरां मूलवो आपरै मांणसां नूं कहै छै, "जु आज हूं निचंत हुवौ। म्हांरो भय भागो।" इतरो कहि नै मूलवै वधाई बांटी। मूलवो तो निचंत हुवौ छै अर थांहरू आप रै लोकां नूं कहै छै, "ठाकुरो, काम आपां करणो छै।" इतरो कहि नै आपरा लोकां नै कटारी खोली अर कह्यौ, "सर्व सामधरमी छो। मनूं कटारी बंधावज्यौ, हूं मूलवै नूं मारूं पछै वीसलदे रो बारो करूं।" तद कितराक तो लोकां वरजीयो, "ओ मोटो कारज छै। उतावल मतां करो। राजा रो कांम सुधार, पछै ओ कांम करो।" इतरो कहै लोकां नूं  कहै, "जे रे आवणो हुवै सु आवौ। हुं तो चढीस।" तद ओ तो एकाएकी चढीयो नै पाछै जिके वडा 2 सामधरमी रजपूत हंता, सू इण चढीयै पछै वांसे चढीया। सु कितरेक दिने छवीस असवार जाय थाहरू सों भेला हुवा थका जाय मूलवै दोला फिरीया। ताहरां वेसवटो मूलवै पास आयो। आय दूहो कहै-
ए चगडोली ऊपरे, आया सेन अपार।
छवीसां सूं थाहरू, ताता खड़ तोखार।।
चवदां वरसां थाहरू, मूलवो असी मांहि।
जम सूतो चाके चढै, सोई अखूटी जाहि।।
ताहरां मूलवो बाहर आयौ छै अर कहै छै, "इसड़ो कोण जह मो उपर आवै?" ताहरां थाहरू चलाय नै मूलवै उपर आय नै कह्यौ, "संभाय, हुं थाहरू वीसलदेजी रो बेटो घोड़ै रै वैर आयो।" अबे मूलवो अर थाहरू दोने चाके चढीया छै। ताहरां मूलवो थाहरू नूं कहै छै "थाहरू वाहि।" ताहरां थाहरू कहै, "मूलवा तूं वाहि।" ताहरां थाहरू मूलवै नूं तरवार वाही तै सूं मूलवो दुसूत हुवो। इतरै बीच वेसवटो मूलवै नूं दूहो कहै-
"तैं मूलवा पड़तै थकै, वाहे खाग विहार।
बिहु चुह वटके हूवा अस अनै असवार।।
मूलवै पड़तै थकै थाहरू नूं घाव कीयो। तेसूं असवार अर घोड़ो च्यार वटका हुवा। तै उपर वेसवटो दूहौ कह्यौ-
सिर पड़तै सांगावते आछाटीयो केवांण।
ताहर तणी स थाहरू, पड़ियो छडै प्राण।।
हमै ए बेहूं काम आया छै। तै उपर वेसवटो गीत कहै छै-
वह दीह हूवा मोला घणा बेटी रहत पर हंस पेट रहै।
मूलवा मो पडियालम राखीस काढि वाहि जमदाढ कहै।।
तरवार तणो रस लेवा तूं उपर आया घणा अरि।।
कमल ढुलंतो समो कटारी काटूं नहीं त रीस करि।।
फारक अफर फौज फुरलंता गेये घड़ लग मूलराज गयो।
...................................................................
मैल खवा ऊतरीयो माथै कर सांगदूत दिखालो वाढ।
मूलवे मास महारस मैली जाणे तिकू भाखे जमदाढ।।


अरजन हमीर भीमोत री वात

एक दिन भीम गोहिलोत बैठो छै नै बेटा भीम रा अरजन हमीर कूकड़ा लड़ावै छै। कूकड़ां रा पगां रै पाछणा बांधा छै। सो लड़ता-लड़तां अरजन रै कूकड़ै हमीर रै कूकड़ै रो माथो पाछणै सों उतार नांखीयो। ताहरां हमीर आप रै कूकड़ै नूं कहै, "मार, देखे कासों, थारो माथो वाढ साबतो उभो।" इम कहि नै हमीर दूहो कहै:
बैगी वाहै कूकड़ा, सिर पाड़ीयो संभार।
आखै एम हमीरियो, मारण-हारो मार।।
औ वचन कह्यौ। ताहरां भीम बेटे नूं कहै, "इसड़ी किम कहो छौ। माथै वाढीयां किम कर वाहिसी। आ वात लोक सुणसी तो कहिसी, इसड़ी हलकी बात किम कहै छै? बाबा, तूं दावड़ो छै पण रजपूत रै खवै माथौ हुवै, इतरै जोर चालै। अबै इसड़ी हलकी बात कदे मतां कहो।" ताहरां हमीर बापू नूं कहै छै, "जु रामजी ओ दिन करो। ठाकुर गोख विराजै अर माथै वाढीयां वाहवां तो थांहरो बेटो खरो, रावलो चाकर तो खरो।"
इम करतां एक दिन माहादेव सोमईये उपर पातसाही फोज आई। ताहरां बेटा भीम सो कहै छै, "कोट मांहे मांहे विराजो नै म्है सोमईयैं कन्हें कांम आसां।" इम हमीर अरजन दोने कहै छै अर फोज तो सोमईयै माहादेव ऊपर दोलीयां आय फिरीया छै। ताहरां अरजन बाप नूं कहै, "मोनूं हुकम करो।" ताहरां भीम हुकम कीयौ, "भलां, बावा जावो।" तिण उपर दूहो-
ओ अरजनियो जाहि, भीरी मेल्या भीमउत।
घणे वहंतो घाय, साम्है दल सुरतांण रै।।
इम कहि नै अरजन जाहि फोज मांहे लोह भेलीयो। अरजन माथै तरवारीया भीठ पड़़ै छै। घणी जाडी फोज मांहे आपु पूरी बगतर घोड़ा पण पूरी सिलह सो तिण उपर घणा तरवारीयां रा बाड तूटै छै। आप लड़ै छै। ईयै भांत घणी जाडी फोज मांहे जाय घोड़ो फेर पाछो आय बाप नूं सलाम कीवी। ताहरां भीम दूहो कहै छै-
अरजन आकडीयाह, लोहा घाट लागै पछै।
जाणे पुडंग पडाय, भैंसा माथै भीमवुत।।
बीजै फेरै हमीर बाप नूं सलाम कर कहै छै, हेडौंकै म्हारा हाथ देखौ।" पाखरीयो घोड़ो दोनां ही पाखती बाजूवां हालवद बांधा थकां माथै सिरी चोतारी बंध हजार मेघासिरी घोड़ै रै छै। आप पण पूरी सिलह सौ संग रांग हाथल टोप बगतर जोगिंद्र हूवै तिसड़ै विराट रूप धारीयां तिसड़ै कर सलाम नै घोड़ो हाके चढीयौ फोज मांहे उडीयो, तिको पाखरीये आदमी जीनसालीयै नूं वहावे, तिकण रा दोय टूक। इम फोज फाड नै पैलै पार जाय नीसरियौ। काम कर फैर अपूठौ आयो। पूरे लोह नांख घोड़ो आय पाछो भीम नूं सलाम की।
फेर दूसरै वार दोनां ही भायां बाप नूं सलाम कर ने घोड़ा उठाय घातीया। "सोमईयै तुरक लागा, म्हां जीवतां रो धर्म नहीं," इम कहि नै दोनां ही पाछा वलीया। दोनां ही कर ताता चाढ हाका नै फौज मांहे नांखीया, जाय लोह भेलो कीयो। वडा सांमत अठै इहां माथै वडौ रीठ तरवारों रौ पड़ै छै। तरवारां रा वाड छूट रहीया छै वगतर उपर। इतरै माहै पातसाह कहै छै, "यारो, पातसाही फोज मारी। दोनांं ही जणां फुरली क्या जुलम करते हैं।" इम कहतां जठै हमीर धसै, तठै वारो दे जावै। हमीर रै मुहड़ै कोई चढै नहीं। तिण उपर दूहो-

चढ चढ चोबारोह, आवा जिके आरोगता।
ताहा नीवू वागि लेह, भये तुम्हारे भीमवुत।।
ताहरां एक बडो सामंत लोह री लाट, अहंकार रो भारो, गाहड़ रो गाडो, जिकै हूंती काल ही डरै तिके इसड़ा 5 हमीर उपर आया, सिलह कीया। तिको भीम देखै, हमीर पांचा ही सों एकलो लड़ै छै। तिको भीम नै इहां तरवारीया रा रीठ वाजै छै। ईंयै भांत जणा 5 हमीर नूं वाहै छै अर हमीर एकलो पांचां ही नुं खांचवै छै। जणां च्यार तो हमीर आपरै माथै सापता पाड़ीया, पांचवै इके-बाहदुर हमीर नूं वाही। वडौ बाहदुर रै हाथ री, तिको सामंत रै हाथ री लागी, तिको हमीर रौ माथौ वाढीयौ। माथै पड़तां नूं एके हाथ सों माथो संबायौ अर बीजै हाथ सों कटारी काढी। तिण उपर दूहो कहै छै-
कर एक कमल धरेह, कर एक साहि कटारीयां।
बखाणू वलेह, हेके हाथ हमीरीया।।
आतो हिलीयलि हाथ, कर जोहि जाहि कटारीयां।
सोई कर समात, जै सिर पड़तो साहीयो।।
इतरै मांहे लड़तां देख अरजन कहै छै-
बोल ज बापी काह, हमीरे वसीया हीयै।
तै सारवीयूं साच, भागै कांधै भीमवुत।।
इतरै मांहे, वात कहतां वार लागै, इण तुरक इके-बाहदर दीठो, माथो वाढीयौ पण बीजै हाथ सों माथौ संबाय कटारी जीवै हाथ सों काढी। इण भांत इकै-बाहदर सों वाढीयो माथै संवाय हाथ सौं माथौ अर औझड़ वाही कटारी री, तिका बगतररीयां कड़ीयां तोड़, सिल दगकी तोड़, कटारी पार जाय नीसरी। सु तुरकरीयां आतरां ओझ नीकल धरती आय पड़ीया। दोनें जणां खेत रहीया। माथै पड़ीयां इकै-बाहदर नूं पण पाड़ीयौ, तिण उपर दूहो-
बोल अटंका बोलीया, निस्चै निरबहीयाह।
मारणहारो मारीयो, कूकड़ बत कहीयाह।।
हमै अरजन लड़ै छै-
अरजन आख मतांण, पापण भय बीहे प्रथी।
ते मेला मुह कांण, भली मनावी भीमवुत।।
साजै सोमईयाह, असुरां आभड़ीयौ नहीं।
पड़ीयै कर पड़ीयाह, माथै मैछायण तणा।।
घणी फौज तुरकां री मार दोनूं ही जणा काम आया। भीम कोट संबायो, तिण उपर दूहो-
सिर सापुरसेह, उभे आंच न आवही।
पिंड भुय विह पड़ीयेह, सोमईये आयो संकट।।


चांपैे वाले री वात

चांपो एभल नो मितीयालै राज करै। बेगड़ो मांहमंद ऐमंदाबाद राज करै। एक दीहाड़ा रो समाजोग छै। बेगड़ो मांहमांद पातिसाह बैठो छै।
पातिसाहा कह्यौ, "वे साजण, चांपा कैस्या?"
"चांपा वाला, आलमपनां सलांमत।"
"वे साजण, चांपा मेरी चोट पकड़ेगा?"
"जीवै, आलमपनां सलांमत। जिसा जेसा, तिसा चांपा।"
"खूब, तो मैं चढूं, साजण?"
"पातिसाहा सलांमत, पातिसाहा जांणै।"
"वे साजण, खबर करो। चांपा भाजै तो मैं न चढूं। फोज चलाऊं, जे मुझ सूं लड़ाई ले तो मैं चढूं।"
ताहरां साजण पातिसाहा सूं विदा कर नै चालो, मितीयालै आयो।
आगै वालो चांपो दरीखानै बैठो छै। चांपो साजण नुं मिल्यो, एभल मिल्यो।
"ओ भलां मिल्यौ। साजणजी, रजपूत कीधा।"
"भलां भलां वाला ऐभल ना, तौ जीवड़ छै कूण?"
"राज, रावला रजपूत छां।"
चारण कह्यौ, "भलौ भलौ चांपा, तौनुं हुं मिल्यो। हिवै मोनुं सीख हुवै। ताहरां चांपो कहै, "राज, दस दीहाड़ा रहो। रावला हीड़ा कीजसी। युं राज सीख मांगो। सु मो कन्है आया हुता, किनै आगै पधारीया हुता? मो कन्है आया हुवै तो पांच दिन रहीजै, मोपै चाकरी कराईजै।"
"बाप, ताहरां देवानो कांई अचरज छै? तुं वाटे मिलो थको दे बाप। पिण पातसाहा युं कहा है-तुं खूब रजपूत है, जो तुं मुझ सुं लड़े तो। तुं साजण, आगै कहणा।"
ताहरां चांपो कह्यौ, "साजणजी, थांनं पातिसाहा मेल्हा छै? आय देख नै कहै। दूहो-
वालौ मिलत समाह, की अधकेरौ आपस्यै।
चांपो चीतौ नाह, तौ छुंतै वाड़िसै नहीं।।1।।
पांच घोड़ा, दोय हाथी, सिरपाव, बटवो, माला सोनै हरण साजण नुं हजूर कीधी।
"साजणजी राज, मांगवा नै पधारा था कै पातिसाहा रा मेल्हा आया था?"
"बाप, कहवो। ऐ पातिसाहा कहै छै-मोनूं चांपा जोयवा री खांति छै। पातसाहा आवै?"
ताहरां चांपो कहै, "ल्यावै रे मांहरी तरवार।" तरवार माथे ले नै नाचवा लागो।
चांपो कहै छै, "धन दीहाड़ो, धन घड़ी। मो ऊपर पातिसाहा आवै।"
ताहरां साजण कहै-दूहो
वालै वात सुणेह, यैतै दल असपत तणौ।
कर नाचीया करेह, ऊभां एभलराजउत।।2।।
"साजणजी, जे ऊभा रहसै तो भाजसै नहीं। बेगा पधारो। पातिसाहा नुं कहो।"
साजण चालो। आवै पातसाहा री हजूर हुवो, "पातिसाहा सलांमत, चांपा कहता है-पधारीयै, मै खड़ा हूं"
"लाव रे मेरा पीरोजा घोड़ा।" पातिसाहा चढा। पातिसाहा वहै अर मितीयालै आयो। चांपो चढे अर सांमो आयो, पांच हजार असवारै।
"कठै पातसाह? कठै पातसाह?" दूहो-
वलौ वल हीणेह, काठी भलौ न कूपीयो।
गौ रांणौ रांणेह, ताय वांचतौ वोचउत।।1।।
पातिसाहा रो नै चांपा रो मुंहमेल हुवो।
"वे साजण, ए कूण आवता है?"
"पातिसाहा सलांमत, चांपा आवता है।"
"वे साजण, फोज कै तांई कह आवणै पावै नहीं।"
अराबे कूं हूकम हुवा-इस कूं मारै। दूहो-
माथै मेह थयाह, बेलै बांणाबली तणा।
चांपौ चीतै नाह, ऊला एभलराजउत।।1।।
आप कहै छै-भागो पातिसाहा, कहां?
चारण कहै छै, "भलां चांपा, भला चांपा, भलां बाप।"
लड़तो-लड़तो आव पातिसाहा सुं महुजोड़ो।
ताहरां पातिसाहा आगै साजण ऊभो हुतौ। ताहरां साजण दीठो- कदाच चांपो पातसाह नुं घाव करै।"
तद साजण आवै आडै, दे ढाल आडी अर तरवार काढी। तद चापै झपटे अर दूर कीयौ। आडो रोहेलो आयो। तद रोहेले नुं वाही। दूहो-
फर अफरै फुटाह, बीबा बांणाबली तणा।
दल की दाखै नाह, ऊभत एभलराजउत।।1।।
तदै तरवार वाही। तरवार वाहतां तरवार भागी। ताहरां वालो कहै, "फेट वीनांणी, फेट वीनांणी। भुंडी घड़ी, भुंडी घड़ी।"
ताहरां साजण कहै-दूहो-
वाला म करि वेसास, असमर ऊजड़ीया तणो।
वांक वीनाणी नाह, वांक तमीणै वोचउत ।।1।।
ताहरां रोहले चांपे नुं वाही।  ताहरां चारण कहै, दूहो-
वालौ वल हीणेह, काठी भलौ न कूंपीयो।
गौ राणो राणेह, ताय वाचते वोचउत ।।1।।
चांपा उपरां मरीठ पड़ीयो। ताहरां चांपा नो माथो ऊड पड़ो। साजण दीठो-माथो पड़ो पिण तरवार काढी 'मार मार' कर दौड़ै छै। इसा में चारण कहै छै। दूहो -
धांन गयो घाताह, वालै सु ज बाढीयौ तणौ।
माथो मांझ खलाह, थियुं आपड़णो एभउत।।1।।

ताहरां पाछै पगे माथै आगै धड़ जायै। वले पातसाहा ऊपर सांहमो गयो। ताहरां साजण चारण कहै छै, "चांपा वाला सिर बिहूणा लड़ता है। मुजरा है चांपा का ।"
ताहरां पातिसाहा कहै, "साबास वे हींदू तेरे तांई ! ताहरां साजण कहै छै। दूहो
पड़ि संांगम पीठांह, सुध न होई सरै तणी।
जोयै वध जुड़तांह, असुध तुहाली एभउत।।1।।
बाप, एहवी बेपरवाई कोई दीठी नहीं। माथा पड़ां री खबर नहीं। सवा पौहर दीहाड़ौ चढ़ौ छै तो ई माथा विहूणो झूंबतो रहतो नथी।"
चारण कहै- "भलो चाक थयो बाप !" दूहो-
चांपो चक तणांह, रिणभुय राछ बहारीयै।
सरस लईयुं नाह, ये ऊतरतूं एभउत।।1।।
भलां बाप ! भलां वाला ! दूहो-
धूसक ढोल तणेह, कायर नर कूदे गया।
वाला वाई तेह, तूं आलसीयो एभउत।।1।।
पातिसाहा कहै, वै, "वे देखते हो ! सिर नांही अर धड़ मारता-मारता फिरता-फिरता झूंबता है। रोहेला पठांण मुंह आगा हुता, तिकै काटे तरवारां अर तुटै पड़ा।"

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