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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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टाबर टोली

पुस्तक - टाबर टोली (लेखक - दीनदयाल शर्मा)

1.कालू कागलो अर सिमली कमेड़ी
2.घमण्डण मछली
3.हरखू री चतराई
4.स्यांती

कालू कागलो अर सिमली कमेड़ी

एक जंगल मांय घणा सारा पंछी रैह्वंता। पंछियां रो राजा मोर हो। मोर राजा आपरै फटाफट न्याव मांय दूर-दूर तांईं जाणीज्तो।
एक दिन तीस-चालीस पंछी मोर राजा रै कनै पूग्या अर कै वण लाग्या, म्हाराज, म्हारा आलणां कांईं ठा कुण तोड़ ज्यावै...पतो'ई नीं लागै।
मोर राजा बां'री सिमस्या सुण'र धीरज बंधायो अर पंछियां रा आलणां तोड़ण आलै नै चटकै'ई पकड़'र सजा देवण री बात कै'ई।
पंछियां नै आपरै राजा माथै पूरो भरोसो हो। बै आपरी सिमस्या बता'र आप-आपरै टूट्योड़ा आलणां कानीं उडग्या।
मोर राजा चिन्ता में पड़ग्यो। मोर राजा सोच्यो कै चिन्ता करणै स्यूं कीं फायदो नीं है। इण सिमस्या रो चटकै'ई हल निकालनो चईजै।
दिन ढलतांई जंगल मंत्री माणक कोचरै ने आपरै दरबार मांय बुला'र मोर राजा कै'यो, च्माणक मंत्री, तनै पतो होणों चइ'जै कै आपणै राज मांय तोड़-फोड़ होवण लागरी है।
च्कियां म्हाराज ?माणक पूछ्यो।
आपणै पंछिया रा आलणां कांईं ठा कुण तोड़ ज्यावै..बां'रो चटकै स्यूं चटकै पतो लगोवहैणा।
मंत्री माणक झुक'र बोल्यो, च्जियां थारी ईज्ञा। म्है आज'ई पतो लगा स्यूं महाराज।इतो कैह'र मंत्री माणक कोचर उडग्यो अर को सेक दूर एक पीपल रे रूख माथै जा'र बैठग्यो।
थोडसी'क ताल पाछै मंत्री णाणक एक कागलै नै उलटी-सीधी हरकत करतां देख्यो। बो बीं'रै कनै पुं' च्यो तो कागले मंत्री कोचर नै झुक'र कैह्यो, च्राम-राम माण्क भाया, और सुणा कांई हाल-चाल है ?
मंत्री माणक कोचर इचरज स्यूं पूछ्यो, च्हाल-चाल तो ठीक है, पण तनै मेरै नांव रो कींयां पतो लाग्यो !
ल्यो करल्यो बात..थारो नांव कुण कोनीं जाणै। थे तो राजा रा मंत्री हो।
तेरो कांई नाम है ? मंत्री माणक कोचर पूछ्यो। कागलो बोल्यो, च्मेरो नाम कालू है, पण लाड स्यूं लोग-बाग म्हनै कालियो कहवै।फेर कालू कागलै इनै-बिनै देख'र मंत्री माणक कोचर रै कान मांय होलैसी क कैह्यो, च्जिकै काम मोर राजा थानै भेज्यो है, बो काम म्हैं मिन्टां मांय कर सकूं।

पण तने किंयां पतो लाग्यो कै म्हैं कांईं काम आयो हूं! मंत्री माणक कोचरै ईचरज स्यूं पूछ्यो।
अरै भाया, तूं ठै'र्यो उल्लू..चल छोड..काम री बात जाणनो चा'रौ है तो सुण।
च्सुणा।कोचरै कान मांड्यो।
च्म्है बता तो देस्यू, पण मेरो नांव तूं कीनै'ईं नीं बतावैलो। आ मेरी सरत है।
च्मनै तेरी सरत मंजूर है कालू भीया। म्हैं तेरो नांव कीनै'ईं कोनी बताऊं। तूं चटकै-सी बता।
कालू कागलो होलैसी'क बोल्यो, च्ऐ सगला काम सिमली कमेडी रा है। बा मोको देखतांईं किंरो-न-किंरो आलणों रोजिना तोड़ दयै।
च्बा कठै रैह्वै ?मंत्री माणक कोचर पूछ्यो।
च्बीं'रो कांई ठिकाणों ! पण कदै-कदै बा आपणै परलै आंबा रै बाग मांय मिल्या करै। थे पतो करो।
मंत्री माणक राजी हो'र बोल्यो च्पतो कांईं करणों है। तूं झूट थोड़ो'इ बोलै। अच्छ्या भायला तेरो घणओं-घणों धिनवाद।
च्नो मेनसन यार।कहै'र कालू कागलो उडग्यो।
मंत्री माणक कोचर पीपल रै रूंख माथै पूरी रात सूत्यो रैह्यो। फेर दिनूगै सूरज उग्यां बो मोर राजा कनै पूग्यो अर छाती ताण'र बोल्यो, च्महाराज री जै हो..म्हैं पंछियां रा आलणां तोड़नै हालै बदमास रो पतो लगा लियो है म्हाराज।
च्आओ मंत्री जी बिराजो...मनै बताओ बो कुण है जिको मेरै होंवतां थकां जंगल मांय गुंडागरदी करै?मोर राजा बोल्यो।
च्म्हाराज, पंछियां रा आलणां तोड़नै रो काम आपणी रियासत री सिमली कमेड़ी रो है।
मंत्री माणक कोचर स्यूं बात कर'र मोर राजा सेनापति बाज नै हुकम दियो कै सिमली कमेड़ी नै पकड़'र दरबार मांय हाजर करै।
थोड़सी'क ताल पछै सेनापति सिमली कमेड़ी रा झिंटा झाल'र दरबार मांय ल्याओ।
सिमली कमेडी दरबार मांय मोर राजा रै साणै भोत गिड़गिड़ाई, पण मोर राजा बी'री एक नीं सुणी।
सिमली कमेड़ी री गिरफ्तारी रो आज पांचुवों दिन हो। बी'री गिरफ्तारी रै पछै जंगल मांय एक बी पंछी रो आलणओं नी टूट्यो। आ देख'र मोर राजा नै बिस्वास होग्यो कै ए सगला काम सिमली कमेड़ी रा'ई है।
छठै दिन दीनूगै पंछियां स्यूं डटाडट भर्योडी सभा मांय मोर राजा सिमली कमेड़ी नै सजा सुणांण हालो हो। मोर राजा रो भासण सरू होंवतांई सगली सभा मांय सरणाटौ छा ग्यो।
मोर राजा आपरै भासण मांय कै'यो है कै च्भाईयो अर भैनों, थे सगला जणा ंई सिमली कमेड़ी नै देखो. देखण मैं आ जिती सीधी लागै, मांय स्यूं बीती'ई टेडी है। आ रोजिना मोको मिलता'ईं आप लोगां रा आलणां तोड़ देंवती। अर थानै पतो'ई नीं चालतो। ईं री गिरफ्तारी रै बाद आं पांच दिनां मैं एक बी पंछी रो ओलमों नीं आयो। ईंस्यूं साफ पतो लागै कै ए सगला काम सिमली कमेड़ी रा ई हा। आज म्हैं इनैं फांसी तोड़नै रो हुकम देवूं।
सगला पंछी मोर राजा रो भासण सुण'र खुसियां मनाणै लाग्या। पण सिमली कमेड़ी जद आपरी मोत री सजा सुणी तो बी'रै सगलै डील मांय सरणाटौ सो बै'ग्यो। बचण रो बी'नै कोई मारग नीं दीख्यो।
बी'रै कनै इस्यो कोई सबूत'र ग्वाह बी नीं हो, जिकै माथै बा आपणै-आपनै निरदोस साबित करती।
सिमली कमेडी भगवान स्यूं अरदास करण लागी कै हे भगवान...मेरा परमात्मा..मेरा खुदा..मेरा इसामसी..मेरा परवरदिगार मनै बचालै..मूरखां रै राज मांय एक निरदोस री हित्या हो'री है। मनै बचाले मेरा साचा बादसा।
च्सिमली कमेड़ी, म्हैं तनै मोत री सजा सुणा चुक्यो हूं। तूं मरणै स्यूं पैलां तेरी आखरी इच्छ्या बता?मोर राजा पूछ्यो।
सिमली कमेड़ी धूजण लाग्गी। बा बोली, च्म्हैं निरदोस हूं म्हराजा। म्हैं इस्यो कोई काम नीं कर्यो जिकै खातर थे म्हनै मोत री सजा देवौ!
च्म्हैं सफाई नीं सुणनो चा'ऊं  म्हैं तेरी आखरी इच्छाय पूछूं।
सिमली कमेड़ी री आंख्या भरगी। अर बा भर्योड़ै गलै स्यूं बोली, च्म्हराज ! मेरी आखरी इच्छ्या आ है कै थे आइन्दा कोई निरदोन नै बिना कीं सबूत रै मोत री सजा नां दिज्यो।
च्जबान नै लगाम दे सिमली ! तूं मेरै फैसलै नैं चैलैंज करै। सेनापति, सिलमी कमेडी री नाड़ उडा दे।
मोर राजा रौ हुकम सुणतांई सेनापति तलवार उठाई अर सिमली कमेड़ी री नाड़ माथै मारणै लाग्यो तो अचाणचको'ई च्ठै'रो म्हाराजरी जोरदार अवाज सुण'र सेनापती रुक तो ग्यो, पण ई बीच सिमली कमेडी री नाड माथै तलावर लाग्गी। नाड़ स्यूं लो'ई री धार बैवण लाग्गी।

सभा रै सगलै पंछियां री निजर सिमली कमेड़ी स्यूं हट'र नूंवै पंछी कानीं उछगी।
च्कुण है तूं ?मोर राजा लालीपोल हो'र नूवैं पंछी नै ललकार्यो।
च्म्हैं निरभाग सिमली रो धणी हूं, महाराज ! म्हारो नांव भोलियौ है। सिमली निरदोस है, म्हराजा। इत्ता दिन म्हूं परदेस गयोड़ौ हो। थारो असली मुजरिम कालू कागलो है म्हाराज, मेरी बात जे झूटी निकलै तो थे म्हनै भलांई मोत री सजा दे दीज्यौ।
भोलू कमेड़ै री बात सुण'र राजा सेनापति नै हुकम दियौ कै फटाफट बीं बदमास कागलै नै ढूड़'र सामीं हाजर करो।
सगली सभा मांय खलबली मचगी। कालू कांगलो दड़ादड़ पंछइयां रा आलणां तौडण लागर्‌यो हो। सेनापति बीं'नै झापटो मार'र पंजां मैं दाब्यो अर पलक झपकतांईं मोर राजा रै दरबार मांय हाजर कर्यो।
कालू कागलो मोर राजा रै पगां मैं पड़'र गिड़गिड़ाण लाग्यो-च्म्हनै माफ करद्यो महाराज, हूं पापी हूं, इसी गलती हूं फेर कदै नीं  करूंला।कालू कागलो को'जी तरियां रो'ण लागग्यो।
मोर राजा रो पारो सातूंवैं आसमा चडग्यो। मोर राजा बीं'नै ललकार्यो-तनै तेरै जुलम री सजा जरूर मिलसी। तूं गरीब पंछियां रा घर उजाड्या है, तेरै कातर तो मोत री सजा बी कम है।
आ कै'र मोर राजा सेनापति नै कागलै रो सिर कलम करऐ रो हुकम देणै स्यूं पै'लां भोलू कमेड़ै नै पूछ्यो- तूं बता भोलूं, ईं पापी नै कांईं सजा देवा  ं?
भोलू कमेड़ौ हाथ जोड़'र बोल्यो-पापी नै मारणै स्यूं पाप नीं मरै म्हाराज। सो म्हारी राय मानो तो ईं'रो कालो मूंडो कर'र ईंनै देस निकालो देद्यो।
भीड स्यूं अवाज आई, म्हाराज ईं'रो फकत मूंडो'ई सगलै नै'ई कालो कर'र आपणऐ समाज स्यूं बारै का'ड द्यो।
मंत्री माणक कोचरै नै कांईं सजा देवां? मोर राजा भोलू कमेड़ै नै पूछ्यो।

मंत्री जनता री मांग पर जनता रो परतिनिधि होवै म्हाराज। जनता रो परतिनिधि जद जनता पर झूटो इलजाम लगाण लागज्यै तो जनता रो धणीधोरी कुण होसी म्हाराज।
ढीक है भोलू भाई, तूं बिलकुल साची कै'वै। फेर मोर राजा कालू कागलै नै पूछ्यो, च्अरै ओ कालिया, तेरी के होसी ?च्म्हैं थारो निमक खायो है म्हाराज।
च्निमक रा बच्चा, अब तूं मेरै कनै आ। पै'ली तो म्हैं तने चोखी तरिंयां कालो कर द्यूं।
कालू कागलो डरतो-डरतो राजा कनै पुं' च्यो। मोर राजा फटाक्दणीसी'क बीं माथै कालो रंग ढोल दियो। कागलो सफा कालो होग्यो। फेर मोर राजा कालू कागलै नै ललकार'र कैह्यो, च्जा अब दफा होज्या म्हारी रियासत स्यूं.अर कागलो गांवां कानीं आग्यो।
भोलू कमेड़ै नै दरबार रो नूंवो मंत्री बणा'र मोर राजा सिमली कमेड़ी री नाड़ रै इलाज वास्तै अमरीका स्यूं डाकधर बुलाणैं रो बिच्यार कर्यो।
थोड़सीक ताल पछै सभा पूरी होय्गी। सभा रै मांय साचो न्या देख'र पंछियां मिल'र नारा लगाया।
मोर राजा
जिन्दाबाद
भोलू कमेड़ा
जिन्दाबाद
कालू कागलो
मुड़दाबाद
माणक कोचरियो मुड़दाबाद
सिमली कमेड़ी री नाड़ रौ दस दिनां तांईं इलाज चाल्यो। बा ठीक बी होय्गी। पण बी'री नाड़ माथै तलवार रो निसा आपां आज बी देख सकां। ई घटना रै पछै कागलै अर कमेड़ी मांय आज बी दुसमणी चालरी है।


घमण्डण मछली

एक तलाव मांय घणी सारी मछल्यां रैह्वंती। उण मांय एक मछणी अपणै- आपनै भौत ही स्याणी समझती। बा आपरी सहेल्यां मछल्यां स्यूं रोजिना बढ़ चढ़'र बांता करती। इण कारण तलाव री सगली मछलयां बी'नै बुद्धिमान मछी कैह्वंती। बुद्धइमान मछली नै आपीर बुद्धि माथै घणौ घमण्ड हो।
उणी तलाव मांय डडरू नाम रो एक डेडर बी रैह्वन्तो हो। बुद्धिमान तो डडरू बी कम नीं हो, पण उणनै आपरी बुद्धइमानी रो कदै घण्मड नीं कर्यो।
एक दिन सिंझ्या रै टैम कीं मछउआरै उण तलाव रै कनै आया। वणां मांय एक मछुआरै आपरै भायलै स्यूं कै'यौ- यार, इण तलाम मांय तो भौत मछल्यां है अर पाणी बी कम है। मछल्यां खटा-खट जाल मांय आ ज्यासी।
दूजो मछुआरौ बोल्यो-म्हूं...काल दीनूगै अठिनै आवणौ पक्को। अर बातां करता-करता मछुआरा आपरै गांव कानीं जावण लागग्या। वणांरै जांवतांई तलाव री मछल्यां चिन्ता करण लागगी।
बुद्धइमान मछली बोली-डरण की कांई बात है। जरणौ कायरां रो काम है। मेरी समझ मांय ऐ मछुआरा अठिनै नीं आवैला। अर जे आग्या तो म्हूं आपरी स्याणप स्यू थानै बचा ले स्यूं।
तलाव री सगली मछल्यां बुद्धिमान मछली री बात मानली पण डडरू डेडर रै बीं मछली री बात गलै नीं उतरी बो बोल्यो-बात डरण री नीं है। बात है आपणै बचाव री।  आपानै आपणी रक्स्या खुद'ई करणी पड़सी। संकट आवणै स्यूं पै'लां उणरौ उपाय सोचणौ जरूरी है। मेरी मानो तो आपां सगला नैं दूजै तलाव मांय चल्यो जाणओ चईजै या फरै ईं तलाव रै'ई दूजै किनारै माथै चालां।
बुद्धिमान मछी जोर स्यूं हांसी-ही...ही...ही...तूं तो भौत'ई डरपोक है रै डडरू। तनै डर लागै तो तूं चल्यो जा दूजै तलाव मांय। म्है तो अठिनै'ई रै'स्यां अर ईणीं किनार माथै रैह्स्यां।
डडरू डेडर बुद्धिमान मछली स्यूं बोल्यो-भैन जी, म्हू मानूं कै आप बुद्धिमान हो। पण जे का'ल मछुआरा आग्या अर वणां आपांनै जाल मांय फंसा लिया फेर ? फेर कांई करस्यां।
बुद्धिमान मछी घण्मड स्यूं बोली-डडरू तूं भोलो'ई नीं है, मनैं तो सफा गै'लो लागै। म्हानैं समझाणैं री जूर्त नीं है। तनै जावमओं है तो जा।
बुद्धिमान मछली री घमण्ड भी बांतां सुण'र डडरु उछलतो-कूदतो दूजै तलाव कानीं चल्यो गयो।
दूजै दिन दूनगू ै-दीनूगै मछुआरा उण तलाव रै माथै जाल ले'र आग्या। वणां तलाव मांय जाल फैंक्यो। सगली मछल्यां जाल मांय फंसगी। बुद्धिमान मछी बी'ई जाल मांय फंस्योड़ी ताफड़ा तोड़नै लाग री ही। सगली मछल्यां जाल स्यूं निकलनै री घणी कोसिस करी, पण जास स्यूं बारै नीं नकिल सकी।
अचाणक'ई मछल्यां देख्यो के घणकरीसो'क से'त माख्यां मछुआरा माथै हमलो कर दियो है। मछुआरा आपरी ज् ान बचावण खातर उछल-कूद करणै लागग्या अर माख्यूं स्यूं तंग आ'र भाज छुट्या।
मछुआरा रै जाणै रै पछै डडरू डेडर मछल्यां रै कनै आयो अर बोल्यौ-चिंत नां करो भैनों। से'त माख्यां मिल'र मछुआरा स्यूं  तो पिण्ड छुड़ा दियौ है, अबै रोडू ऊंदरो अर बी'रा संगील-साथी औ जाल काट'र थानै इण कैद स्यू छुटकारो दिरा देसी।
मछल्यां डडरू बात सुणी तो वणां री ज्यान मांय ज्यान आई। थोड़सी'क ताल पछै रोडू ऊंदरो अर बीं'रा भायलां काट'र मछल्यां नै अजादी दिराई।

मछल्यां जाल स्यू अजाद हो'र डडरू नै मोकली-मोकली बधाई दी। बुद्धिमान मछली ओ देख'र सरम स्यूं पाणी-पाणी होय्गी।

हरखू री चतराई

जसाणा रियासत रा राज मेघसिंह भौत अधं-बिस्वासी हो। इण कारण चलाक लोग उणांनै ठगता रैह्वन्ता। राजा मेघसिंह की बीं मिनखी री मनघड़न्त बातां माथै झट बिस्वास कर लेवन्ता।
अंधबिस्वास के मांय राजा रा मंत्री जनकसिंघ वणआं स्यूं चार कदम आगै हा। बै उल्टी-सीधी बातां बणा'र राजा री हां मैं हां मिला देवन्ता।
एक दिन राजा मेघशिंह नै पाड़ोसी रियासत रावछर रै राजा तेजसिंह स्यूं मिलण रै वास्तै जावणौ हो। राजा मेघशिंह दरबार स्यूं बारै आया तो मंत्री नै छींक आ'गी। मंत्री कै'यो-च्म्हाराज ठै'रो। छींक रो सुगन सुब नीं होवै।
राजा मेघसिंघ दूजै दिन बिरकाली जावणै री तेवड़ी। राजा रै जाणै स्यूं पै'लांई मंत्री कै'यो-
म्हाराज, थोड़सी'क ताल पै'ली एक काली बिल्ली आपरै सामी स्यूं गई है, इण वास्तै आज बी आपरो जावणो  सुंब नीं है।
राजा उण दिन बी नीं गया। इण तरियां कई दिन बीतग्या. एक दिन राजा मेघसिंह चोपड़-पासा रै खेल मांयण इतमां रम ग्या कै सुबै रो खाणो बी नीं खा सख्या। दास-दास्या जीमणै रौ कै'वण सारू घणी बार आया पण राजा खेल रै मांय कीं बेसी'ई मगन हा। खेलतां-खेलतां दिन छिप ग्यो, सिंझ्या घिरयाई। कनै बैछ्यौ मंत्री जनकसिंघ कै'यो- म्हाराज, मनै लागै आप दीनूगै स्यूं जीम्या नीं हो। आपरी से'त वास्तै आ बात ठीक नीं है।
मंत्रीजी, आप देख र्या हो कै आज जीमण रो टेम'ई नीं मिल्यौ। राजा पडूतर दियो।
बात टेम री नीं है म्हाराज। आज आप दीनूगै पै'ली किणरा दरसण कर्या है ?
दीनूगै ? राजा मेघसिंह याद करण लाग्या।
हां म्हराजा।
आज तो मै'ल मांय हरखू धोबी आयो हो सा'त...दीनूगै-दीनूगै बींरी'ई सिकल देखी होवैला। राजा याद कर'र बतायो।
गलती छिंमा करो म्हाराज। मनै लागै कै हरखू धोबी रा दरसण चोखा नीं है।
तो फेर कांई करां मंत्रीजी ? राजा थोड़ी चिन्ता करी।
इण असुब मिनख रो जींवन्तो रैह्वणों आपां री रियासत रै हित मांय नीं है म्हाराज। आगै आप री इच्छ्या। मंत्री कैह्यो।
राजा मेघसिंघ नै मंत्रीजी री आ बात सफा करी लागी। बै मांय-मांय हरखू धोबी नै मोत री सजा देवणै री तेवड़ली।
हरखू धोबी नै राजा दरबार मांय हाजर होवण वास्तै राजा रो आदेस मिल्यौ। हरखू फटाफट पुंच्यो। पु' च्ताईं राजा कै'यौ- हरख, तनै दीनूगै फांसी देस्यां।
राजा रैं मु'डै आ बात सुण'र हरखू रै सरीर मांय सरणाटौ सो निकलग्यो। बो बोल्यौ- पण म्हाराज मेरा कसूर कांई है ?
चूप। राजा माथै मांय त्यौर्यां घाल'र कै'यौ।
राजा रे चुप नै आदेस मान'र हरखू चुप होग्यो। हरखू नै काल कोठडी मांय पु' चा दीयौ। काल कोछडी मैं पड़्यौ-पड्यौ हरखू पै'ली तो घबरायो, फेर बण सोच्यो कै चुप रैवणैं स्यूं अर घबराणै स्यूं सिमस्या रो समाधान नीं होवै। राजा रै हटी सुभाव नै बी हरखू चोखी-तरियां जाणै हो।

सिंझ्या नै राजा मेघसिंघ आपीर रियासत मांय ढिंडोरो पिटवा दियौ कै का'ल दस बज्यां हरखू धोबी नै फांसी दी जावैली।
हरखू पीर रात सोचतो रै'यो अर एक मिन्ट बी नीं सो सक्यो। दूजै दिन सूरज उगतांईं मै'ल मांय मेलो सो लागग्यो। जनता स्यूं मै'ल खचाखच भरीजग्यो अर सगलां रै मुं'न्डै एक'ई बात ही कै इण सीधै सुभाव रै बिचारै हरखू धोबी नै मोत री सजा क्यूं ?
दस बज्यां हरखू नै फांसी देवणी ही। दस बजणै मांय बीस मिन्टा बाकी हा। हरखू नै जल्लाद मोत रै घाट माथै ले ग्यो। सगलै लोगां री निजर हरखू रै टिक्योड़ी हो। हरखू रा दोनूं हाथ जेवडी स्यूं कस'र बांध्योडा हा, अर बी'रो मुन्डो कालै कपड़ै स्यूं ढक्यौडो हो। हरखू चुपचाप खड्यो कै ठा कांई सोचै।
दस बजणै मैं अब दस मिन्ट बाकी हा। जल्लाद नै राजा आदेस दियो के हरखू रै मून्डे स्यूं कपड़ो हटा'र बींरा हाथ खोल दिया जावै।
आदेस री पालना करी गई। फेर राजा मेघसिंह हरखू रै कना जा'र  बी'री आखरी इच्छ्या पूछी।
हरखू हाथ जोड'र कैयो- खमाघणी अन्नदाता म्हारी कांईं इच्छया है। म्हूं मोत स्यूं दर नीं डरूं। थे म्हारा राजा हो अर राजा परजा रा मायत होवै म्हाराज। मायतां नै आपरी औलाद री गलत्यां री सजा देवणैं पो पूरो अधिकार है। म्हूं बस एक ई बात बूझूं कै म्हारो कसूर कांई है बतावमै री करिपा करो।
तेरा दरसण चखा नीं है हरखू। तूं खोटो मिनख है। का'ल दीनगू म्हूं तेरो मूं देख्यो जीं कारण का'ल  सारे दिन म्हानै भोजन नीं नसीब हो सक्यो। राजा खुलासो कर्यो।
हरखू बोल्यौ- म्हाराज, म्हूं आपरी मे'नत स्यूं कमा'र खाऊं। फेर म्हूं खोटो मिनख कींयां हो सकूं हू। म्हाराज छोटो णूं अर बडी बात है कै मिनख कदै खोटो नीं होवै। मिनख तो लाखीणों होवै म्हाराज। मिनख जूण तो केठा कित्ता चोखा करम करणै रै पछै मिलै।
हां और बलो। आज धाप'र बोल ले। मनैं लागै कै तूं आपरी आखरी इच्छ्या मांय भासण झाड'र आपरै पेट रौ आफरौ उतारणों चावै। दस बजण मांय अब दो मिन्ट बाकी है। राजा आपरी हाथघड़ी मांय टेम देखतां थकां कै'यौ।
हरखू निडरता स्यूं बोल्यौ- म्हाराज, आप मिनख रै दरसण नै जे चोखो माड़ो समझो तो का'ल दीनूगै म्हूंआपरा दरसण कर्या। अर आज दीनूगै बी आपरा दरसण कर्या। इण वास्तै थे सोचौ'कै आज म्हूं मोत री सजा भुगतण नै आपरै सामीं खड्यौ हूं। तो आपरा दरसण माड़ां कींयां बतां सकूं म्हाराज।
हरखू री बातां सुण'र राजा मेघसिंह री आंख्या खुलगी। राजा सोचौ'कै हरखू साची कै'वै। राजा मेघसिंह हरखू नै गलै लगा लियो। मै'ल मांय आयोड़ी जनता अचाणचकै'ई इण बदलाव नै देख'र सैंतरी-बैंतरी रैह्गी।
राजा मेघसिंह जनता रै सामणैं  मंत्री जनकसिंघ री जगां हरखू नै  आपरै दरबार रो मंत्री बणा'र एलान कर्यो-आज रै पछै बात रो पूरो नितरा निकाल्यां बिनां कीं बी मिनख नै सजा नीं दी जावैली। अर एक और खास बात आ है कै आज स्यूं आपणी रिसासत मांय फांसी री सजा बंद करणै रो मेरी तरफ स्यूं आदेस है। आयोड़ी जनता ओ एलान सुण'र राजा मेघसिंघ री जै-जैकार करी।


स्यांती

स्यांती पन्द्र बरसां री होगी। बाबूलाल जी री लाडली बेटी स्यांती। आपरी मां दांई स्यांती घणी रूपाली अर काम मांय चातर ही। स्यांती री आदत है कै बा किणी न किणी टाबर नै गोद्यां मांय या फेर पधेड़ियां जरूर चढायां राखै। टाबरां नै गोद्यां चढायां-चढायां बी री कमर रेडी हो ज्यांवती पण बा कणाई मुंडै स्यूं नीं कैंवती कै म्हूं टाबरां नै कोनीं रमाऊं। घणै धीरज आली ही स्यांती।

स्यांती जद इण संसार मांय आई तो और टाबरां दांईं ना रोई अर ना कूकी। इणी कारण सुगणी दाई बींरो सुभाव देखर स्यांती नांव काढ दीयौ। अर पछै सगला बीं तिणकलै सी न्हानकी नै स्यांती कैङवण लागग्या। स्यांती नै आई नै घण्टौ भर ई नीं होयौ के बींरी मा सोनकी आपरी आंख्यां मींचली। स्यांती उण घड़ी बी कोनीं रोई। कणङई कैङयौ कै सोनकी रै खून री कमी ही। कोई बोल्यौ-टींगरी आंवतांङ ईं आपरी मा नै खायगी। तो कोई कैङवै सांस इत्ताई लिख्यौड़ा हा। कोई कीं कैङवै तो कोई कीं। जित्ता मुंडी बित्ती बातां।

सोनकी मांचै री ठोड़ अब आंगणै रै बिचालै सूती है। भौत गैङरी नींद मांय। उण नै अब कोई नीं जगा सकै। लाल चूनड़ी स्यूं ढक्योड़ी सोनकी ईंयां लागैई जाणै अब उठी अर अब उठी। जाणै उठङर आपरी स्यांती नै दूध चुंघासी।

घर मांय सरणाटौ पसरग्यौ। सगला चुप हा। सगला सोनकी री बिदाई सारु चुपचाप काम लागर्या हा। रोवौ-कूकौ करणआली स्यांती बी चुप ही। बा चुपचाप कदैङई इन्नै-बिन्नै देखै तो कदैङई आपरा नांन्हां-नान्हां हाथ-पगलियां नै इन्नै-बिन्नै मारती होलै-होलै मुलकै।

स्यांती री मा सोनकी देखतां ई देखतां पांच तत्वां मांय बंटगी। लोग नहा-धोयङर घरां आग्या अर आप-आप रै काम लागग्या। बारवों पूरो होंवतां ई बाबूलाल रौ ब्यांव मंडग्यौ। ब्यांव रै दो बरस पछै बाबूलाल री दूजी लुगाई रै लगोलग तीन छोर्यां अर तीन छोर होग्या। आं छै वां नै रमाणै-खुवाणै अर नुह्वावणै-धुवावणै री सगली जिम्मेदारी स्यांती री ही। स्यांती इत्ती स्याणी कै आंख रौ इसारौ समझै। घर मांय चा-रोटी बणावणी। खीचड़ी-दलियो रा घणौ। झाड़ा-पूंछी करणौ। गाभा धोवणां। भुवारी देवणी। यानीं सगला काम सटा-सट करती। आपरी इण तीन बैनां अनै नूंईं मा रै सिर मांय रोल काढणै रौ काम इत्ती फुरती अर सफाई स्यूं करती कै देखणआलौ देखतोई रै ज्यांवतौ। आस-पाड़ौसी घणीई बार कै देंवतां कै बाबूलाल री बडगर स्यांतली काम नै पाणी दांईं पी ज्यावै।

पन्द्रा बरसां मांय स्यांनी नै बींरी नूईं मां जकी लूखी बासी चीज खुवाई, बाई खाई। जिस्यौ फाट्यौ-पुराणौ पैरण नै दीयौ, बिस्यौई पैर्यौ। बण कदैङई माथै मांय सल घालङर बापूजी नै नीं कैङयौ कै नूंई मां म्हारै साथै दुभांत राखै। बा चोखी तरियां जाणै ही कै घर मायं बापूजी री जाबक ई नीं चालै। घर मांय तो नूंई मां री हील चल्लै। इण कारण स्यांती चुप ई रैङवती।

पन्द्रा बरसां री इण चुप्पी रै पछै स्यांत रौ ब्यांव होयौ। स्यांती पी रै स्यूं व्हीर होई। व्हीर होंवतां टैम बी बा नीं रोई। गांव री कई गीतेरण्यां कैवण लागी-कै स्यांती, रोवण रौ थोड़सोक सुगन तो कर दे ए ! पण बा मुलकती रैङई अर मुलकती-मुलकती बा आपरै धणी साथै व्हीर होगी।

सासरै मांय हा एक सास जू अर एक देवर। सासू आपरी बीनणीं रा अर देवर आपरी भावज रा इत्ता लाड-कोड कर्या कै स्यांती सासरै मांय मेंहदी दांईं रचगी। घर मांय पाड़ौस्यां रा टाबरां रौ बी जमघट लाग ज्यांवतौ। बा टाबरां मांय भौत ई धुल-मिलगी। कोई बीरै मौङडै चढ ज्यावै...कोई बीं कनूं गोली मांगै। कोई छोरी आपरी गुड्डी खातर पराक बणावावै तो कोई छोरौ मोटी री जीप बणवावै।..किन्नैई बा माटी रौ घर बणायङर बिलमावै तो को ी बीं स्यूं गाणौ सीखै। स्यांती टाबरां माय रैवती-रैवती इत्ती रण-मिलगी के टाबर बीं बिनां अर बा टाबरां बिनां एक मिटंनी रै सकै। सिंझ्या नै घणी ई बार कई टाबर बछै खेलता-खेलता ई सो ज्यांवता। अर कोई टाबर जे आपरै घरां नीं पूगतौ या किन्नैई नी लाधतो बौ सीधौ स्यांती नै आयङर पूछतौ।

आज स्यांती नै सासरै आई नै पांच बरस होग्या। आज बीं रै देवर रौ ब्यांव हो। गाजै-बाजै रै साथै ब्यांव होयौ। घर मांय देराणी आयगी। सगलां रै खुसी रा घुघरिया बंधग्या। सासू अर देराणी-जिठाणी रौ परेम देखङर गली री लुगायां बां री बडाई करती।

खुसी मांय टैम कद नीकलै। मिनख नै पतौङई नी चालै। बस...इणी खुसी-खुसी मायं स्यांती रै ब्याङव रा छः बरस बीतग्या। अर इणी बरस छोकी बींनणीं रै घर मांय फूल सो न्हानियौ आयो। पच्चीस बरस पछै इण घर मांय थाली बाजी। इणी कारण लाडू बी खूब बंट्या। घर मांय खुसी री बिरखा सी होयगी।

एक दिन स्यांती आपरै देवर रै न्हानियै नैं रमावै ही। बो इत्तै जोर स्यूं बोकरड़ा पाड़ै हो कै पूरै घरनै उठा लियौ। स्यांती कदैङई बींनै पाणी पावै, कदैङई पुचकारै, कदैङई लोरी सुणावै अर कदैङई पालणियै मायं सुवायङर हिंडा देवै पण बौ क्यांनै चुप हुवै...रोवै इत्तै जोर स्यूं जाणै बींनै कोई टांटियौ खाग्यौ हुवै। पण स्यांती छोरै रै रोवणै स्यूं आखती नीं होई बींनै चुप कराणै री कोसिस करती ई रै ई। अचाणचक भाजती-भाजती बींरी देराणी आई अर छोरै नै स्यांती री गोदी स्यूं खोसङर आपरी गोद्यां मांय लेंवतां थकां बोली-च्भाभीजी, ईयां कियां चुप कराऔ न्हानियै नै..न्हानियौ पाणी पायां चुप को रैङवै नीं।छ अर पछै नानियै रै मुंङडै  बाबो देंवती बोली-च्थानै कांई ठाह कै टाबर चुप कियां हुवै। टाबर हुवै तो जाणौ नीं।छ

देराणी रा बोल स्यांती रै कालजै नै आग दांईं बालग्या। पण बा आपरी आदत रै मुजब खाली मुलकङर टालगी।

उण रात घर रा सगला सोयग्या। पूरौ गांव नींद मांय हो। चिड़ी-गालका अर रूंख जिनावर तांईं सूत्या हा। पण स्यांती री नींद बींरी आंख्या स्यूं हजारां कोस दूर ही। बा आखी रात आभै मांय तारा जोंवती रैङई। अर उणी दिन स्यांती रै मन मांय टाबर खातर इच्छाय जागी। बा सोचण लागी-कै बींरै बी एक नान्होसौक गीगलो आवै। बौ बींनै मा-मा कैङवै। अर बा बींनै रमावै-लडावै, नुहावै-धुवावै अर दूध चुंधावै। स्यांती मा बणन खातर पितरां रै परसाद बोलती रैङई माता रौ रातिजोगौ, बाबै रै चांदी रौ छत्तर अर पितराणी दादी रै तीवल बोलती-बोलती हाथ जोड़ङर माथै लगाया अर पछै इस्सी आंख लागी कै चिड़िया रीं चिंचाट कानां मायं पड्या ई उछी।

देवर रै न्हानियौ होवण स्यूं घर मांय देराणी रा लाड कोड सवाया होग्या। स्यांती तो अब रसोई मांय कुत्तै री टालयोड़ी रोई दांईं एक खानी पड़ी रैङवती। बरतण-भांडा मांजणा, चौका-पौचा करणां अर गाभा धोवणै रौ काम अब देराणी स्यूं छूटङर स्यांती कन्नै आयग्यौ।

एक दिन स्यांती देराणी रै न्हानियै नै पाणी पावै ही। देराणी रसोई स्यूं भाजङर आई। बोली-भाभीजी, आपरा हाथ तो देखौ...छोरै रै माटी लगायङर ई रौ भौ ना बिगाड़ौ। थे आपरौ काम करौ। छारौ नैं पाणी हूं पा देसूं। अर जे थानै टाबरां नै पाणी पावमै रौ इत्तौई कोड है तो आपरै क्यूं नीं जामल्यौ।

देराणी रा बोल सुणङर स्यांती एकर तो भरीजगी पण फेर संस्कार आडा आयग्या अर बा मुलकङर बरतण मांजण लागगी।

उणी रात स्यांती रै सिर मायं भौज जोर रौ घोबौ चाल्यौ तो बा छात पर दरी बिछायङर आडी होयगी। बीं री सासू अर देराणी साल मांय बैठी-बैठी बातां करै ही। बीनैं बा री बातां साफ-साफ सुणीजै ही।

 
हैं ओ मा सा, थानै ध्यान है के, कै स्यांती भाभी रा जे कोई दिनुगै-दिनगै दरसण कर लेवै तो बीं रो पूरौ दिन भौत ई माड़ौ नीकलै।
केठा भाई निकलतो होसी।
मा सा ! आपणै मोहल्लै री सगली लुगायां कै वै कै बांझडी रा तो दरसण ई माड़ा।
चोखा नीं होवै तो आपां किसै कुवै मांय पड़ां। आपणै तो आ राड बांझड़ी घर मांय ही बलै।

हूणी नै नमस्कार करां। किणी रा चोखा-माड़ा दिन किन्नैई कैर नीं आवै। हांसती खेलती स्यांती अब गुमसुम रैङवण लागगी। मनड़ै री बात आपरै आदमी नै कैवणी तो बण कत्तई ठीक नीं समझी। बीं रौ आदमीत  ोखाली घाणी आलै बलद दांईं हो।

घर मांय टाबरां रौ जकौ जमघट रैङवतौ बौ घटतौ-घटतौ जाबक घटग्यौ। एकाधौ टाबर जे घरां आई ज्यांवतौ तो बौ न्हानियै नै एक मिंट खिलायङर फुर्र हो ज्यांवतो। अर धीरै-धीरै एकाधौ टाबर आवणौ बी बंद होग्यौ।

एक दिन बातां-बातां मांय तानां देवती देराणी बोली
-
भाभीजी, दुराजै कानी खड़कौ होवै जद टाबरां नै नां उडीक्या करो। बौ टेम टिपग्यौ जद थानै टाबर आपीर मा सूं बेसी मानता। अब नां तो थारै कन्नै टाबर आवणौ चावै अर नां ही टाबर रां मा-बाप आपरौ टाबर थारै कन्नै भेजङर राजी हुवै। बांनै डर है कै थे थारै टाबर रै चक्कर मांय बारै टाबरां रै टूणो-टमकौ बी कर सकौ।

स्यांती थाली मांजती-मांजती आपरै टाबर खातर सोचती सोचती देराणी रा मैङणा सुणै ही। बींरी सासू बोली-बींनणी, गिलास ल्याई।

-ल्यौ मा सा. स्यांती बोली।
-देख, रांड रौ राम नीकल्यौ, हूं गिलास मांगू अर थाली झलावै।
-थाली नीं चाइजै तो आ ल्यो।
-आकांई मजाक है। म्हूं चमची को मांगूं की। गिलास मांगू, गिलास। तेरौ राम तो को निसरग्यौ नीं।
-ल्यौ मा सा गिलास। स्याती गिलास देंवतां थकां बोली।

-हे राम, बीनई तेरौ होग्यौ कांई ! अब गिलास झलावै अर बौ बी खाली। सिर मांय मारूं के खाली नै ! तेरौ हो ्‌गयौ कांईं आजकाल ! जा बाड़ै मांय, भांडा मांज। तैं ल्या दियौ पाणी। हुहडड!
-ल्यौ मा सा, पाणी रौ गिलास। भर्यौड़ो गिलास देंवता थकां छोटकी बींनणीं बोली।
-छोटकी, इण बडगर रै कांईं होयो है आजकाल!
-कांई ठाह मा.सा।आजकाल भाभीजी के ठाह कांईं सोचती रैङवै।
-मन्नै तो लागै जाणै ई रै दिमाक रा पुरजा हालग्या। बींरी सासू बोली।
-हां मा सा लागै तो म्हनै ई है। ईंयां कैंवती-कैंवती छोटकी बींनणीं मुलकण लागगी। इत्तै मांय बाड़ै सूं जोरदार उबाक री अवाज सुणीजी। सासू अर छोटकी बींनणीं बिन्नै टुरगी।
बाड़ै मांय जायङर देख्यौ। बठै स्यांती उलटयां करै ही। मांजणआला बरतण खिंड्या पड़्या हा।
-कित्ता दिन हुग्या ? सासू पूछ्यौ।
-दो मइनां हुग्यां मा सा। पेट ई..स्यांती संकती सी बोली। ठोकी बींनणी अर सासू अचरज सूं एक दूजै रै मुंडै नै देख्यौ।

घर मांय दूसर थाली बाजसी। स्यांती रो पग भारी है। कैयङर सासु मुलकती छोटकी बींनणीं खानी मुड़ी। पण बा मुंडौ मचकोडती आपरै कमरै खानी मुड़गी। स्यांती मुलकती-मुलकती कांसै रो थाल फुरती सूं मांजण लागगी। उणनै लाग्यौ जाणै बा आपरै पेट जायै न्हानियै नै रमावै। उण रै मुंडै री मुलक पूरै घर मांय पसरगी। सासू लाड स्यूं स्यांती रै माथै पर हाथ फेर्यौ। स्यांती गलगली होयङर  सासु रै पगां पड़ी। सासू स्यांती नै गलै लगा ली।
घर मांय स्यांती ई स्यांती ही।

 
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