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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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श्री सुरेश शर्मा

 

मरम भेदी

देस देस री वातां घणी निराली, ये मनखां ने क्यूं नीं लागे अतरी वाली। अणी वातां रो मरम अमोल, आपे सब क्यूं नीं माना अणी ने हिया में तोल। जणी तरे भगवान आपणा भावनावां में वदापो करे अणी तरे हीज मनख आपणा मनखपणा में वदापो करे। अणी मनखपणा में कुण कणी री वात, पछे कोई कणी ने नीं पूछेला एक दूजा री जात।
जदी मनखां री भावना में बदलावा आवे तो निश्चे ही हरेक मनख अणी ने हमझे जावे। या तो वणी मनख परे है के वो अणी वात ने वणी मनख ने कैवे के नीं कैवे असी हीज एक वात। वात तो घणी जूनी पण वणी वात रो मरम अबार तलक जीवतो है। ज्यूं हरेक गांव वस्या लगा व्है वसो हीज एक गांव। ज्यूं भात भात रा रूंखड़ा अणी धरती परे निपजे वणी हीज तरे वलणी गांम में भात भात रा काम करवावाळा मनख कोई वाणियो, बामण, कुम्हार, मेहतर, गायरी, नट, करसा। ये सब आपणे काम में मगन अणा सबा री खद रे काम में ही घणी लगन।
अणी गाम में एक भोळो करसो। भगवान रे हारू मन में घणी आस्था। वो रोज सुबे – शाम भगवान रो नाम लेईने आपणो खेती – वाड़ी रो काम करतो हो। दूजो वणी में मोटो घण के वो पामणा पीर री सेवा चाकरी आपणा सदमन ऊं करतो हो। अणी काम में वणी री लुगाई आपणा घणी री वात ने कदी अबकी नीं घणी। वा ई करसो नीं व्हैतो जवरे जसो वणे पड़तो वसी पामणा पीर री सेवा चाकरी करती। करसा रे वाते मेहमान ने कई भी वात री तकलीफ व्है तो वो वणी रे हिया में घणो दूखतो।
कैवे है के घर में दोई मनख भोळा व्है तो घर रा केलू ई पाड़ोसी ले जावे। अणी वाचते भगवान एक ने भोळो वणावे तो दूजा ने तो दुनियादारी री खोटी वातं परखवा री अकल देवे है अणी हीज तरे वणी करसा री लुगाई ने अणी दुनियादारी री वातां रो थोड़ो घणो अनुभव हो। यो वणीरो गण केवो के अवगण के वा सई अर गलत आदमी री पेचाण करणी वणीरे वाते कोई मोटो काम नीं हो। आदमी रा रंग – ढंग देखने आपणा मन में परख करे लेती के अणी रे मन में कई वात है।
एक दाण जोग री वात वी के वणी करसा पां भड़े गाम री धूणी वाळा (साधू माराज) वणी रे घरे पधारिया। करसे सदमन ऊं वणीरो घणो आदर सत्कार किदो। मेहमान रा जे टोटका करना व्है वे सब करेन वणे माराज ने बोरी (आसण) माथे बैठाया पछे घर री लूगाई ने कियो के म्हूं हेठजी की दुकान परे जाईने लूण मरच लेयने आवू जतरे थूं माराज रे खावा रो बन्दोस्त कर अर हड़देयने माराज रे वात रे पूड़िया वणाई दे। वो करसो तो या वात केयने हूदो हेठजी री दकान रे हामे व्हियो। करसा री लुगाई माराज ने पाणी पावा हारू लोट्यो दिदो तो वणी ने मन ई मन में लागे ग्यो के माराज तो लखणा रा बोदा हीज है। असा वना लखणा रा आदमी जदी भगमो पेरेन मनखां ने वेण्डा वणावे है तो यो तो हरेक मनख रे वाते घणी भूण्ड़ी वात है।
एक वात वळेई के असा माराज म्हारे घर में आवा लागे ग्या तो पछे अणी घर रो तो पतियारो हीज आई जावेला। वगत रेता अणाने गेले करना घणो जरूरी है। यो विसार करता ई वा वणी रे मन में नवी – नवी तरकीबा होचवा लागी। के वतराक में तो वणीने एक विसार आयो अर दौड़ी थकी माराज पां आयी अर वणी माराज रे पगे लागेन कैवा लागी के अन्नदाता म्हारो घर रो घणी घणो खराब आदमी है। वणी रे मन में मनखां ने सतावा रा नवा नवा तूतक हूझे वो कदी गदी तो पामंणा – पीर ने घरे बुलाईने रोट्या री जगा हाळ (चावल) खाण्ड़वा वाळा मूसळाऊं जिमाईने पामणा री खातीर दारी करे। एक दाण मूसळा ऊं जिम्यो थको म्हारे घरे कईं ? वो तो वणी खद रे घरे जावा पेली घणी देर बा’णे उबो रेयने विसार करे। वणी केड़े वो आपणा घर में वळे पछे माराज आपरो हाल कई व्हैला म्हने तो यो दख व्है रियो है। खैर या तो अबे आप परे है आपने भूख लागती व्है तो आप ई वताई दो?
माराज रे तो या वात हुणताई शरीर रा तमाम रूंगा उबा व्है ग्या। वणा तो आपणा झोळी – डण्डा हमेट ने लूगाई रे हाथ जोड़्या के, देवी थे वगत परे म्हने या वात वताईने म्हारी लाज राखी नीं तो अणी गाम में म्हारी कई गत व्हैती? यो तो म्हूं हीज विसारे सकूं। यो सब केता थका वणा तो गेलो पकड्यो के पाछो भाळेन नीं देख्यो।
थोड़ी देर केड़े करसो घरे आयो अर पूछ्यो के, माराज सत पधारिया? वणीरे लुगाई जबाव दिदो के, वे तो अठाऊं रिसाईने परा ग्या? तो करसे केयो क्यूं? वणी जवाब दिदो के, म्हूं हाळ(चौखा) खांड़े री ही तो माराज कियो यो मूसलो म्हने घणो आसे आयो। यो म्हारे चाई रियो है, म्हैं केयो के म्हारा घर का घणी री सला वना म्हूं कई नीं देई सकूं। तो माराज उठेन परा गिया अबे वतावो म्हूं ई कई करती। करसो बोल्यो वेण्ड़ी थें ई यो गजब किदो पांच रिपीया रा मूसळा रे पाछए माराज ने मेले दिदा। यो केता ई वो तो वणी हीज वगत आपणा खान्दा परे मूसळो मेलीन माराज ने पकड़वा दोड्यो के घरे आयो साधू भूखो जाई रियो है।
थोड़िक देर चाल्या केड़े माराज ने गेले जावता थका देख्या तो वणी माराज ने जोर ऊं हेलो पाड्यो के, माराज, परा ढबो यो मूसळो लेता पदारो। माराज जदी करसा री आवाज हूणी अर पाछे भाळ्यो तो वे तो हाया – काया व्है ग्या अर असा तेज न्हाटा जाणे के कोई टेगड़ो पाछे पड़े ग्यो। अठीने करसो माराज ने मनावा हारू वणी हीज रफ्तार ऊं वणारे पाछे न्हाटो। अबे आगे – आगे माराज अर पाछे – पाछे करसो दौड़े पण माराज वणीने पूगे नी आवा दिदो। पांच – दस हाथ माराज छेटी रिया अर करसा ने आई ताण वणी तो होच्यो के, बाबला, रो असो गुस्सो ई काम रो ज्यो माफी मांगता – मांगता ई छिदो पड़े। वणी तो आव देख्यो न ताव अर ताण खाई ने माराज आड़ी मूसळो फेक्यो अर वो बोल्यो के, माराज, यो चावे तो लेई जाजो नीं तो म्हारे यो कई राम रो नीं। करसा री मनसा तो या नीं ही पण भगवान रे आगे कुण पूगे सके। वो मूसळो तो माराज रे जाईने गाबड़ परे पड्यो। माराज तो वठे हीज हेटे पड्या अर करसे होच्यो माराज मूसळो ले लिदो दिखे। वो आपणे घरा एड़ी रवाना व्हियो अर वणी तो पाछे मूड़ने ई नीं देख्यो पण वो मूसळो माराज रे भड़े पड्यो थको होची रियो हो के अणीमें म्हारो दोस कई

 

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